अक्सर लोग सिर दर्द की समस्या से परेशान रहते हैं लेकिन कुछ लोगों ऐसे हैं जिनके लिए अक्सर होने वाला आधाशीशी का दर्द बडी परेशानी बन गया है। नीचे बताए जा रहे कुछ आयुर्वेद के उपायों से आप इस समस्या से हमेशा के लिए छुटकारा पा सकते हैं।
1। गाय का ताजा घी सुबह शाम दो चार बूंद नाक में डालने से टपकाने से आधाशीशी का दर्द हमेशा के लिए जड़ से खत्म हो जाता है।
2। सिर के जिस भाग में दर्द हो रहा हो उस तरफ के नथुने में चार पांच बूंद सरसों के तेल की डालने से या तेल को सूंघने से आधासिर दर्द बन्द हो जाता है।
विशेष: इस विधि को अपनाने से नाक से खून आने(नकसीर) की समस्या भी दूर हो जाती है
शुक्रवार, 4 मार्च 2011
मंगलवार, 1 मार्च 2011
क्या आपको कुछ याद नहीं रहता...?
आजकल अच्छा खान पान न होने की वजह से याददाश्त का कमजोर होना एक आम समस्या बन गई है।हर आदमी अपनी भूलने की आदत से परेशान है लेकिन अब आपको परेशान हो की आवश्यकता नहीं है क्योंकि आयुर्वेद में इस बीमारी को दूर करने के सरलतम उपाय बताए हैं।
1। सात दाने बादाम के रात को भिगोकर सुबह छिलका उतार कर बारीक पीस लें । इस पेस्ट को करीब 250 ग्राम दूध में डालकर तीन उबाल लगाऐं। इसके बाद इसे नीचे उतार कर एक चम्मच घी और दो चम्मच शक्कर मिलाकर ठंडाकर पीऐं। 15 से 20 दिन तक इस विधि को करने से याददाश्त तेज होती है।
2। भीगे हुए बादाम को काली मिर्च के साथ पीस लें या ऐसे ही खूब चबाचबाकर खाऐं और ऊपर से गुनगुना दूध पी लें।
3। एक चाय का चम्मच शंखपुष्पी का चूर्ण दूध या मिश्री के साथ रोजाना तीन से चार हफ्ते तक लें ।
विशेष: सिर का दर्द, आंखों की कमजोरी, आंखों से पानी आना, आंखों में दर्द होने जैसे कई रोगों में यह विधि लाभदायक है।
1। सात दाने बादाम के रात को भिगोकर सुबह छिलका उतार कर बारीक पीस लें । इस पेस्ट को करीब 250 ग्राम दूध में डालकर तीन उबाल लगाऐं। इसके बाद इसे नीचे उतार कर एक चम्मच घी और दो चम्मच शक्कर मिलाकर ठंडाकर पीऐं। 15 से 20 दिन तक इस विधि को करने से याददाश्त तेज होती है।
2। भीगे हुए बादाम को काली मिर्च के साथ पीस लें या ऐसे ही खूब चबाचबाकर खाऐं और ऊपर से गुनगुना दूध पी लें।
3। एक चाय का चम्मच शंखपुष्पी का चूर्ण दूध या मिश्री के साथ रोजाना तीन से चार हफ्ते तक लें ।
विशेष: सिर का दर्द, आंखों की कमजोरी, आंखों से पानी आना, आंखों में दर्द होने जैसे कई रोगों में यह विधि लाभदायक है।
दालचीनी से भगाएं मौसमी बीमारियां
सामान्यत: सभी लोगों मौसम परिवर्तन के समय छोटी-छोटी बीमारियों से ग्रसित हो जाते हैं। मौसमी बीमारियां जैसे सर्दी-जुकाम, बुखार, खांसी आदि। इनसे बचने के लिए आयुर्वेद में दालचीनी का उपयोग बताया गया है।
यदि आप अत्यधिक कार्य की वजह से मानसिक तनाव झेल रहे हैं तो रात को सोते समय एक चुटकी दालचीनी पाउडर शहद के साथ लें, इससे सोचने की शक्ति भी बढ़ती है। कुछ ही दिनों तनाव दूर हो जाएगा।
यदि आपका गला बैठ गया है, तो दालचीनी का बारीक पाउडर एक गिलास पानी में उबालें और चुटकीभर कालीमिर्च व शहद के साथ लें।
प्रतिदिन रात को सोते समय दालचीनी का सेवन करें। इससे मौसमी बीमारियों को आपसे दूर रहेंगी।
सिरदर्द होने पर दालचीनी के पाउडर को पानी में मिलाकर पेस्ट बनाकर माथे पर लगाएं।
स्कीन संबंधी बीमारी जैसे कील-मुंहासे, काले दाग-धब्बे होने पर दालचीनी के पाउडर को नीबू के उस में मिलाकर लगाएं।
यदि आपके मुंह से बदबू आती है तो दालचीनी का छोटा टुकड़ा चूसें।
दस्त की समस्या होने पर एक चम्मच दालचीनी पाउडर सुबह-शाम पानी के साथ लें।
यदि आप अत्यधिक कार्य की वजह से मानसिक तनाव झेल रहे हैं तो रात को सोते समय एक चुटकी दालचीनी पाउडर शहद के साथ लें, इससे सोचने की शक्ति भी बढ़ती है। कुछ ही दिनों तनाव दूर हो जाएगा।
यदि आपका गला बैठ गया है, तो दालचीनी का बारीक पाउडर एक गिलास पानी में उबालें और चुटकीभर कालीमिर्च व शहद के साथ लें।
प्रतिदिन रात को सोते समय दालचीनी का सेवन करें। इससे मौसमी बीमारियों को आपसे दूर रहेंगी।
सिरदर्द होने पर दालचीनी के पाउडर को पानी में मिलाकर पेस्ट बनाकर माथे पर लगाएं।
स्कीन संबंधी बीमारी जैसे कील-मुंहासे, काले दाग-धब्बे होने पर दालचीनी के पाउडर को नीबू के उस में मिलाकर लगाएं।
यदि आपके मुंह से बदबू आती है तो दालचीनी का छोटा टुकड़ा चूसें।
दस्त की समस्या होने पर एक चम्मच दालचीनी पाउडर सुबह-शाम पानी के साथ लें।
शहद से बंद होगा बालों का झडऩा
सामान्यत: सभी के यहां शहद आसानी से मिल जाता है। शहद के औषधीय गुण सभी जानते हैं। शहद की तासीर ठंडी होती है और यह कई बीमारियों को दूर करने में सक्षम है। शहद से बालों का झडऩा भी रोका जा सकता है। आज छोटी उम्र से ही बालों के झडऩे की समस्या देखी जाती है। इस बीमारी से बचने के लिए शहद और दालचीनी कारगर उपाय है।
बाल झड़ते हैं तो गरम जैतून के तेल में एक चम्मच शहद और एक चम्मच दालचीनी पाउडर का पेस्ट बनाएं। नहाने से पहले इस पेस्ट को सिर पर लगा लें। 15 मिनट बाद बाल गरम पानी से सिर को धोएं। ऐसा करने पर कुछ ही दिनों बालों के झडऩे की समस्या दूर हो
बाल झड़ते हैं तो गरम जैतून के तेल में एक चम्मच शहद और एक चम्मच दालचीनी पाउडर का पेस्ट बनाएं। नहाने से पहले इस पेस्ट को सिर पर लगा लें। 15 मिनट बाद बाल गरम पानी से सिर को धोएं। ऐसा करने पर कुछ ही दिनों बालों के झडऩे की समस्या दूर हो
शनिवार, 26 फ़रवरी 2011
स्पाइसी बनाता है ऑयल
किसी कारण आपका सेक्स डिजायर कम हो गया है तो इसका उपाय पिल्स नहीं है बल्कि कुछ प्राकृतिक ऑयल हैं जो आपके सेक्स लाइफ को फिर से सक्रिय बना सकते हैं। ये ऑयल आपको क्रियाशील बनाने के साथ साथ रिलैक्स करते है और मन को शांति प्रदान करते हैं।
• चन्दन ऑयल चंदन की सुगंध भौतिक अंतरंगता बढ़ाने में मदद करता है । यौन समस्याओं से गुजर रहे हैं तो इस तेल की मालिश सोने से पहले जरूर करें। यह नसों को आराम देने के साथ साथ क्रियाशील भी बनाता है।
• लैवेंडर ऑयल जिन महिलाओं का यौन जीवन समस्याओं से घिरा होता है उनके लिए लैवेंडर ऑयल बेहतर विकल्प हो सकता है। यह संवेदनशीलता बढ़ाने के साथ सुखद एहसास कराता है।
• जैस्मीन ऑयल पुरुषों में शीघ्र स्खलन की समस्या आम होती है। ऐसे पुरुषों के लिए जैस्मीन ऑयल बहुत उपयोगी है। साथ ही एनर्जी लेवल को भी बढ़ाता है।
• गुलाब ऑयल गुलाब के फूल के साथ महिलाओं का गहरा नाता है। यह महिलाओं के सेक्स डिजायर को बढ़ाने का काम करता है। इसके साथ जो महिलाएं हार्मोंस संबंधी समस्या से गुजर रही है उनके लिए इसका तेल काफी फायदेमंद है। इसका उपयोग कैसे करें इन ऑयल के कुछ बूंदों को अपने नहाने के पानी मिलाएं। बेडरूम में कुछ बूंदे सोने के पहले बिस्तर पर छिड़क दें। चाहें तो रात में इसे परफ्यूम की तरह भी इस्तेमाल कर सकती है।
• चन्दन ऑयल चंदन की सुगंध भौतिक अंतरंगता बढ़ाने में मदद करता है । यौन समस्याओं से गुजर रहे हैं तो इस तेल की मालिश सोने से पहले जरूर करें। यह नसों को आराम देने के साथ साथ क्रियाशील भी बनाता है।
• लैवेंडर ऑयल जिन महिलाओं का यौन जीवन समस्याओं से घिरा होता है उनके लिए लैवेंडर ऑयल बेहतर विकल्प हो सकता है। यह संवेदनशीलता बढ़ाने के साथ सुखद एहसास कराता है।
• जैस्मीन ऑयल पुरुषों में शीघ्र स्खलन की समस्या आम होती है। ऐसे पुरुषों के लिए जैस्मीन ऑयल बहुत उपयोगी है। साथ ही एनर्जी लेवल को भी बढ़ाता है।
• गुलाब ऑयल गुलाब के फूल के साथ महिलाओं का गहरा नाता है। यह महिलाओं के सेक्स डिजायर को बढ़ाने का काम करता है। इसके साथ जो महिलाएं हार्मोंस संबंधी समस्या से गुजर रही है उनके लिए इसका तेल काफी फायदेमंद है। इसका उपयोग कैसे करें इन ऑयल के कुछ बूंदों को अपने नहाने के पानी मिलाएं। बेडरूम में कुछ बूंदे सोने के पहले बिस्तर पर छिड़क दें। चाहें तो रात में इसे परफ्यूम की तरह भी इस्तेमाल कर सकती है।
गुरुवार, 24 फ़रवरी 2011
फल और सब्जी से करें उपचार
मूली : इसका रस 1-1 चम्मच दिन में 3-4 बार पीने से आँतों के विकार दूर होते हैं और बवासीर रोग ठीक होता है। मूली स्वयं हजम नहीं होती, लेकिन अन्य भोज्य पदार्थों को पचा देती है।
अमरूद : अमरूद के पत्तों का काढ़ा बनाकर कुल्ले करने से मुँह के छालों और मसूड़ों के कष्ट में आराम मिलता है। जामफल में विटामिन सी की अधिकता होने के कारण यह त्वचा से संबंधित बीमारियों को कम करता है।
अँगूर : अँगूर की पत्तियाँ सुखाकर पीसकर रख लें। एक चम्मच चूर्ण एक गिलास पानी में उबालकर काढ़ा करें और इस कुनकुने गर्म काढ़े से गरारे करने से मुँह के छाले, दाँत दर्द और टॉंसिल्स के कष्ट में बहुत लाभ होता है।
पत्तागोभी : इसके पत्तों के रस में समभाग पानी मिलकर गरारे करने से टॉंसिलाइटिस, फेरिजाइटिस और लेरिजाइटिस आदि व्याधियाँ नष्ट हो जाती हैं। प्रतिदिन पत्तागोभी के पत्ते बारीक काटकर सेवन करने से नेत्र ज्योति तेज होती है।
खूबानी : इसकी गिरियों का एक चम्मच चूर्ण शहद में मिलाकर चाटने और ऊपर से गर्म दूध पीने से सर्दी-खाँसी, श्वास कष्ट, सिर दर्द, वात प्रकोप, गैस ट्रबल और पेट दर्द आदि व्याधियाँ नष्ट हो जाती हैं।
गाजर : प्रतिदिन दोपहर में एक गिलास गाजर का रस पीने से शरीर में रक्त बढ़ता है। शरीर पुष्ट और सुडौल होता है तथा आँखों की ज्योति बढ़ती है। गाजर का रस पीने से चेहरे पर लालिमा आ जाती है।
अमरूद : अमरूद के पत्तों का काढ़ा बनाकर कुल्ले करने से मुँह के छालों और मसूड़ों के कष्ट में आराम मिलता है। जामफल में विटामिन सी की अधिकता होने के कारण यह त्वचा से संबंधित बीमारियों को कम करता है।
अँगूर : अँगूर की पत्तियाँ सुखाकर पीसकर रख लें। एक चम्मच चूर्ण एक गिलास पानी में उबालकर काढ़ा करें और इस कुनकुने गर्म काढ़े से गरारे करने से मुँह के छाले, दाँत दर्द और टॉंसिल्स के कष्ट में बहुत लाभ होता है।
पत्तागोभी : इसके पत्तों के रस में समभाग पानी मिलकर गरारे करने से टॉंसिलाइटिस, फेरिजाइटिस और लेरिजाइटिस आदि व्याधियाँ नष्ट हो जाती हैं। प्रतिदिन पत्तागोभी के पत्ते बारीक काटकर सेवन करने से नेत्र ज्योति तेज होती है।
खूबानी : इसकी गिरियों का एक चम्मच चूर्ण शहद में मिलाकर चाटने और ऊपर से गर्म दूध पीने से सर्दी-खाँसी, श्वास कष्ट, सिर दर्द, वात प्रकोप, गैस ट्रबल और पेट दर्द आदि व्याधियाँ नष्ट हो जाती हैं।
गाजर : प्रतिदिन दोपहर में एक गिलास गाजर का रस पीने से शरीर में रक्त बढ़ता है। शरीर पुष्ट और सुडौल होता है तथा आँखों की ज्योति बढ़ती है। गाजर का रस पीने से चेहरे पर लालिमा आ जाती है।
बीमारियों को दूर करते हैं फूल
प्रकृति की बेहद खूबसूरत सौगात रंग-बिरंगे, महकते फूल सिर्फ आँखों को ही शीतलता नहीं देते बल्कि सेहत की दृष्टि से भी लाजवाब होते हैं। फूलों की हजारों प्रजातियों में से कई ऐसी हैं, जिनमें घाव को भरने से लेकर त्वचा संबंधी बीमारियों को दूर करने का भी उपचार है। फूलों की अलग-अलग प्रजातियाँ अलग-अलग स्वास्थ्य समस्याओं को दूर करने में सहायक होती हैं और इसलिए इनका उपयोग करने के पहले विशेषज्ञ का परामर्श आवश्यक होता है।
गेंदे का फूल
जिनके घरों में बच्चे हों, उन्हें अपने घरों में गेंदे का फूल जरूर लगाना चाहिए। गेंदे के फूल को घाव भरने के लिए सर्वश्रेष्ठ मरहम माना जाता है। पुराने समय में बच्चों को चोट लगने पर गेंदे के फूलों को पीस कर घाव के स्थान पर लगा दिया जाता था। गेंदे के फूलों को तुलसी के पत्तों के साथ पीस कर उसका मलहम बना कर भी घाव के उपर रखा जा सकता है। इसके अलावा गेंदे की एक विशेष प्रजाति से त्वचा संबंधी रोगों का भी उपचार किया जा सकता है। इन दिनों लोकप्रिय अरोमाथेरेपी में भी एग्जिमा, जलन और त्वचा के दाग-धब्बों के उपचार संबंधी दवाइयों में गेंदा मुख्य घटक होता है।
फूलों के राजा गुलाब का भी चिकित्सा के क्षेत्र में अहम योगदान है। आयुर्वेद में गुलाब का उपयोग स्कर्वी के उपचार और गुर्दे संबंधी समस्याओं में होता है। फूलों से उपचार के क्षेत्र में शोध कर रहे आयुर्वेद चिकित्सक डॉ। नितिन शर्मा ने बताया कि गुलाब का फूल शरीर में विटामिन सी की कमी को दूर करने में सहायक होता है।
गुलाब
गुलाब की कलियाँ विटामिन सी से समृद्ध होती हैं। इन कलियों को स्कर्वी दूर करने के एक प्रमुख तत्व के तौर पर शामिल किया जाता है। गुलाब की कलियाँ का अर्क गुर्दे की बीमारियों की दवाइयाँ बनाने में भी इस्तेमाल होता है। यह मूत्र संबंधी विकारों को दूर करती हैं। इसके अलावा गुलाब की पँखुड़ियाँ गर्मी के कारण आए बुखार को दूर करने, शरीर को ठंडा करने और त्वचा की झाइयाँ दूर करने में उपयोग की जाती हैं।
कमल
कीचड़ में खिलने वाला कमल भी डायरिया को दूर करने और गर्मी के कारण झुलसी त्वचा को निखारने में मददगार साबित होता है।
डायरिया के उपचार के लिए कमल के बीजों को गर्म पानी में डाल कर उसमें काला नमक मिलाया जाता है। अब इसमें चाय की पत्ती डालकर उबाल कर पीने से डायरिया का उपचार किया जा सकता है।कमल की पत्तियों को पीस कर उसे झुलसी त्वचा पर लगाने से त्वचा की गर्मी दूर हो जाती है और झुलसने का निशान भी चला जाता है। शरीर से अतिरिक्त वसा कम करने की दवाइयों में भी कमल की पत्तियों का उपयोग होता है।
गेंदे का फूल
जिनके घरों में बच्चे हों, उन्हें अपने घरों में गेंदे का फूल जरूर लगाना चाहिए। गेंदे के फूल को घाव भरने के लिए सर्वश्रेष्ठ मरहम माना जाता है। पुराने समय में बच्चों को चोट लगने पर गेंदे के फूलों को पीस कर घाव के स्थान पर लगा दिया जाता था। गेंदे के फूलों को तुलसी के पत्तों के साथ पीस कर उसका मलहम बना कर भी घाव के उपर रखा जा सकता है। इसके अलावा गेंदे की एक विशेष प्रजाति से त्वचा संबंधी रोगों का भी उपचार किया जा सकता है। इन दिनों लोकप्रिय अरोमाथेरेपी में भी एग्जिमा, जलन और त्वचा के दाग-धब्बों के उपचार संबंधी दवाइयों में गेंदा मुख्य घटक होता है।
फूलों के राजा गुलाब का भी चिकित्सा के क्षेत्र में अहम योगदान है। आयुर्वेद में गुलाब का उपयोग स्कर्वी के उपचार और गुर्दे संबंधी समस्याओं में होता है। फूलों से उपचार के क्षेत्र में शोध कर रहे आयुर्वेद चिकित्सक डॉ। नितिन शर्मा ने बताया कि गुलाब का फूल शरीर में विटामिन सी की कमी को दूर करने में सहायक होता है।
गुलाब
गुलाब की कलियाँ विटामिन सी से समृद्ध होती हैं। इन कलियों को स्कर्वी दूर करने के एक प्रमुख तत्व के तौर पर शामिल किया जाता है। गुलाब की कलियाँ का अर्क गुर्दे की बीमारियों की दवाइयाँ बनाने में भी इस्तेमाल होता है। यह मूत्र संबंधी विकारों को दूर करती हैं। इसके अलावा गुलाब की पँखुड़ियाँ गर्मी के कारण आए बुखार को दूर करने, शरीर को ठंडा करने और त्वचा की झाइयाँ दूर करने में उपयोग की जाती हैं।
कमल
कीचड़ में खिलने वाला कमल भी डायरिया को दूर करने और गर्मी के कारण झुलसी त्वचा को निखारने में मददगार साबित होता है।
डायरिया के उपचार के लिए कमल के बीजों को गर्म पानी में डाल कर उसमें काला नमक मिलाया जाता है। अब इसमें चाय की पत्ती डालकर उबाल कर पीने से डायरिया का उपचार किया जा सकता है।कमल की पत्तियों को पीस कर उसे झुलसी त्वचा पर लगाने से त्वचा की गर्मी दूर हो जाती है और झुलसने का निशान भी चला जाता है। शरीर से अतिरिक्त वसा कम करने की दवाइयों में भी कमल की पत्तियों का उपयोग होता है।
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