गुरुवार, 26 मई 2011

कैंसर रूपी काल का भी काल है यह धार्मिक पौधा!!!

तुलसी का पौधा कितना अनमोल है, यह इसी बात से पता चल जाता है कि इसे गुणों को देखकर इसे भगवान की तरह पूजा जाता है। यूं तो आज हर आदमी को किसी न किसी बीमारी ने अपने कब्जे में कर रखा है। लेकिन केंसर एक ऐसी बीमारी है जो लाइलाज कही जाती है।  अभी तक इस बीमारी का कोई परमानेंट इलाज नहीं है। आज यह बीमारी तेजी से फैल रही है। वैसे तो केंसर का कोई परमानेंट इलाज नहीं है लेकिन फिर भी आर्युवेद ने तुलसी को केंसर से लडऩे का एक बड़ा तरीका बताया है। आर्युवेद में बताया गया है कि तुलसी की पत्तियों के रोजाना प्रयोग से केंसर से लड़ा जा सकता है। और इसके लगातार प्रयोग से केंसर खत्म भी हो सकता है।

- कैंसर की प्रारम्भिक अवस्था में रोगी अगर तुलसी के बीस पत्ते थोड़ा कुचलकर  रोज पानी के साथ निगले तो इसे जड़ से खत्म भी किया जा सकता है।

-तुलसी के बीस पच्चीस पत्ते पीसकर एक बड़ी कटोरी दही या एक गिलास छाछ में मथकर सुबह और शाम पीएं कैंसर रोग में बहुत फायदेमंद होता है।

केंसर मरीज के लिए विशेष आहार

अंगूर का रस, अनार का रस, पेठे का रस, नारियल का पानी, जौ का पानी, छाछ, मेथी का रस, आंवला, लहसुन, नीम की पत्तियां, बथुआ, गाजर, टमाटर, पत्तागोभी, पालक और नारियल का पानी।

मोतियाबिंद


        गाजर का रस एक गिलास सुबह व शाम पीने से मोतियाबिंद में लाभ मिलता है।


        लहसुन क ो छीलकर पानी में भिगो दे। अगली सुबह खाली पेट लहसुन को खा ले और उसका पानी  पी लें इससे मोतियाबिंद ठीक हो जाता है।

बुधवार, 25 मई 2011

बालों में खुजली हो या डेंड्रफ... घरेलू नुस्खों का कमाल देखें


डेंड्रफ हमारे सिर की त्वचा में स्थित मृत कोशिकाओं से पैदा होती है। साथ ही वात संबंधी दोषों के कारण भी डेंड्रफ हो जाती है। इसकी वजह से सिर में खुजली रहती है और बाल गिरने लगते हैं। इससे निजात पाने की घरेलू टिप्स-

- नारियल के तेल में कपूर मिलाएं और यह तेल अच्छी तरह बालों में तथा सिर पर लगाएं। कुछ ही दिनों डेंड्रफ की समस्या

   से राहत मिलेगी।

- नींबू के रस को बालों में लगाएं। कुछ समय बाद सिर धो लें।

- नींबू का रस नारियल के तेल में मिलाकर लगाएं।

- दही से सिर धोएं, इससे भी डेंड्रफ से निजात मिलेगी।

  यह उपाय नियमित रूप से अपनाएं।

पायरिया


  • भुनी हुई फिटकरी और अकरकरा को सिरके में मिला लें या बारीक पीसकर रख लें। इस मंजन से    दांत साफ करने से पायरिया रोग में आराम मिलता है।

  •        आंवला जला कर भस्म कर लें। उसमें थोड़ा सा नमक मिलाकर सरसों के तेल के साथ मंजन करने से पायरिया रोग  दूर हो जाता है।

सोमवार, 23 मई 2011

मुंह में छाले हों तो


मुंह में छाले हों तो

मुंह में छाले हों तो त्रिफला के कुल्ले करें l

हड्डी टूटने पर

जिसकी हड्डियाँ कमज़ोर हों या हड्डी टूट गयी हो , वो लहसुन की कलियाँ, घी में सेंक कर लें , तो हड्डी जल्दी जुड़ेगी l  अथवा  गेंहू सेंक लें और पीस के वो आटा, शहद के साथ मिलाकर लें तो हड्डी जल्दी जुड़ेगी l

मोटापा हो तो ..

मोटापा हो तो गर्म पानी में १ पके बड़े नींबू का रस और शहद मिलाकर भोजन के तुरंत बाद पियें l
छाछ में तुलसी के पत्ते लेने से भी मोटापे में आराम होता है l 

वजन बढ़ाना हो तो ..

वजन बढ़ाना हो तो रात को भैंस के दूध में चने भिगोकर सुबह चबा चबा कर खाएं l  खजूर व किशमिश खाएं . इससे वज़न बढेगा l 

शरीर टूटने पर, और जोड़ो के दर्द में

शरीर टूटता हो, जोड़ों का दर्द हो तो भोजन के आखिरी ग्रास में १/४ चम्मच अजवाइन मिलाकर, हनुमान जी का सुमिरन करके "नासे रोग हरे सब पीरा, जपत निरंतर हनुमंत बीरा" करके वो ग्रास चबाएं l  शरीर टूटने व जोड़ों के दर्द में आराम होगा l   

लकवे में ये करें

  लकवा मार गया हो तो शहद के साथ लहसुन पीस के चाटें l  लकवे में आराम होगा l

चैन की नींद के लिए

चैन की नींद न आती हो, तो सिरहाने की तरफ कपूर जलाकर "" का गुंजन करें l सुबह -शाम जलाने से वायु दोष दूर होगा, लक्ष्मी प्राप्ति होगी, बुरे सपने नहीं आयेंगे l 

बेल से घरेलू उपचार


बिल्वफल अर्थात् बेल का मूल वतन भारत ही है। अति प्राचीन काल से इसकी गणना औषधि के रूप में होती आ रही है। आकार की दृष्टि से यह गोल कैथ (कपित्थ) से मिलता-जुलता है। यह साधारण गेंद के समान होता है। हिमालय की तराई, मध्य एवं दक्षिण भारत, बिहार, बंगाल आदि प्रान्तों में बेल के वृक्ष बहुतायत मात्रा में पाये जाते हैं।


बिल्व का गूदा, पत्ता, जड़, छाल आदि औषधि के लिए उपयोगी माना जाता है। छोटे कच्चे बेल के फल को छीलकर, गोल-गोल कतरेनुमा टुकड़े काटकर सुखाकर मुखरबंद डिब्बों में संग्रह करके रखा जाता है। इसका उपयोग वैद्य लोग सालों भर तक औषधि के रूप में किया करते हैं। प्रयोग हेतु जंगली फलों का ही संग्रह करके रखा जाना उत्तम माना जाता है।
सेवन की दृष्टि से बेल का चूर्ण तीन ग्राम से छह ग्राम तक ही लेना उचित होता है। रस एक तोला से एक ग्राम तक ही सेवनीय होता है।

औषधीय प्रयोग : बिल्वपत्र के औषधीय गुणों का कारण उसमें स्थित ‘टॉनिन’ होता है। पाचन की तकलीफों और पुरानी पेचिश के लिए बिल्वफल के रस के समान अन्य कोई उपाय नहीं होता। इसका रस पौष्टिक होता है तथा रक्त विकार को भी दूर करता है।
बेल आमातिसार (बादी दस्त) तथा खूनी दस्त (रक्तातिसार) की अचूक औषधि है। दस्त, संग्रहणी (पेचिश), गर्भवती का वमन, बच्चों के दांत निकलते समय का दस्त, कब्ज, समज्वर, रक्तहीनता (एनीमिया), बहुमूत्र, प्रदर (ल्यूकोरिया), हैजा, मस्तिष्क की गर्मी, नपुंसकता, कुकर खांसी, फोड़ा, कंठमाला, रतौंधी, बहरापन, वायु गोला आदि का सफल चिकित्सक हैं। मच्छर-मक्खी भगाने के लिए भी बेल एक सस्ती दवा है।
रक्तहीनता का प्रयोग ः कमजोरी की अवस्था में खून की मात्रा शरीर में कम होने पर बेलगिरी का चूर्ण 5 ग्राम चीनी मिले हुए दूध के साथ दिन में चार बार तक खाने से एनीमिया दूर होता है।
बहुमूत्र पर प्रयोग : पेशाब के जल्दी-जल्दी आने पर दस ग्राम बेलगिरी और पांच ग्राम सोंठ को 

कूटकर रख लें। चार सौ ग्राम पानी में इसका (काढ़ा) बनाइए। जब पानी का आठवां भाग बाकी रह जाए तो उतार कर पांच ग्राम की मात्रा में रोगी को दिन में तीन बार तक पिलाइए।
कुक्कुर खांसी पर प्रयोग : बिल्व की हरी पत्तियों को गर्म तवे पर रख दीजिए। जब वे भुनकर काले रंग के हो जाएं तो उन्हें पीसकर कपड़छन कर लीजिए। फिर इसे शीशी में भरकर रख लीजिए। प्रात: दोपहर तथा सायं एक से 2 ग्राम तक शहद के साथ चाटने से हठीली से हठीली कुक्कुर खांसी एक सप्ताह के अन्दर (कभी-कभी एक ही दिन में) समाप्त हो जाती है।
रतौंधी पर प्रयोग : यह आंखों की बीमारी है। शाम होते ही दिखाई देना बन्द हो जाता है। बेल के ताजे पत्ते दस ग्राम, काली मिर्च सात दाने, पानी सौ ग्राम तथा चीनी (खांड) 25 ग्राम ले लें। बेल के पत्तों को खूब पीस लें। फिर उसमें काली मिर्च डालकर पीस लें। उसमें चीनी डालकर शरबत की तरह प्रात: सायं पिएं। बेल के पत्तों को रात में पानी में भींगने के लिए छोड़ दें। इसी पानी से प्रात: काल आंखों को धोएं। इस प्रकार करने से आंखों की रतौंधी 

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