बुधवार, 15 जून 2011

Health 4


सांप के काटने पर

सांप के काटने पर पलाश के पेड़ की छाल रगड़ के, सौंठ डाल कर काढ़ा बना के १२-१२ ग्राम हर घंटे में दो, विष उतर जाएगा ।


मिर्गी

मिर्गी में पलाश के पेड़ की जड़ का रस नाक में डालो ।


मधुमेह

मधुमेह में पलाश के पत्ते पानी से पीस के उसका रस पियें ।



आई फ्लू / eye flu

आँखे आई हों तो पलाश के पत्तों का रस शहद के साथ मिलाकर आँखों में डालें ।



खुजली में
अरंडी का तेल लगाने से खुजली में आराम होता है ।


क्रोधी व्यक्ति के लिए

गुस्सा ज्यादा आता हो तो पलाश के छोटे छोटे पत्तों की सब्जी खाने से गुस्साक्रोधऔर पित्त शांत होता है 


दाद व खुजली

पलाश के बीजों का चूर्ण व नींबू मिलाकर लगाने से खुजली व दाद मिटता है ।


पत्तल में भोजन के लाभ

  • पलाश के पत्तल में भोजन करने से स्वर्ण के बर्तन में भोजन करने का पुण्य व आरोग्य मिलता है ।
  • केले के पत्तल में भोजन करने से चांदी के बर्तन में भोजन करने का पुण्य व आरोग्य मिलता है ।


बच्चों के पेट में कीड़े

बच्चों को पेट में कृमि हैं तो पलाश के फूल , बीज का चूर्ण व नींबू चटा दें ।


नेत्रज्योति व नेत्रों की तकलीफ के लिए

नेत्रज्योति में गड़बड़ है तो शहद व पलाश के फूलों का रस नेत्रों में डालें तो नेत्र ज्योति व नेत्रों की तकलीफ दूर होती है ।


गोरी संतान के लिए

१ पलाश का फूल कूट के दूध में उबाल के रोज़ पीने से गोरी व तेजस्वी संतान होती है ।


अगर माँ का दूध ना बनता हो तो
अगर कोई माँ बनी है और बच्चे के लिए पर्याप्त दूध नहीं बनता है तो जीरा, सौंफ और मिश्री समभाग करके १०-१० ग्राम सुबह-शाम खूब चबा-चबा कर खाएं । दूध प्रचुर मात्रा में बनेगा ।



भूत-प्रेत की बाधा

घर में भूत प्रेत की बाधा हो, अथवा बच्चों पे भूत प्रेत की हवा लग जाती है तो उस भूत को और बाधा को मिटाने के लिए होली का उत्सव के दूसरे दिन (धुलेंडी) को होली की राख घर में रख दें । जिस बच्चे को ऊपर की हवा का डर हो उस की नाभि में और ललाट पर तिलक करो, तो भूत प्रेत का प्रभाव भी गायब हो जायेगा ।


बुरी नज़र से बचने के लिए

नज़र लगने का डर हो तो घोड़े के बाल को अंगूठी में मढ़ा के पहना दो, नज़र चली जाएगी ।


होली के बाद खान-पान में सावधानी

होली के बाद नीम की २० से २५ कोपलें २-३ काली मिर्च के साथ खूब चबा-चबाकर खानी चाहिये । यह प्रयोग २०-२५ दिन करने से वर्ष भर चर्म रोग , रक्त विकार और ज्वर आदि रोगों से रक्षा होती है तथा रोग प्रतिकारक शक्ति बनी रहती है । इसके अलावा कड़वे नीम के फूलों का रस सप्ताह या १५ दिन तक पीने से भी त्वचा रोग व मलेरिया से बचाव होता है । सप्ताह भर या १५ दिन तक बिना नमक का भोजन करने से आयु और प्रसन्नता में बढ़ोतरी होती है।


कब्जनाशक प्रयोगः

कब्ज अनेक रोगों का गढ़ है। कब्ज दूर करने के लिए निम्न उपाय करें।
रात को हरड़ पानी में भिगोकर रखें। सुबह थोड़ी सी हरड़ उसी पानी में रगड़ें और थोड़ा सा नमक मिलाकर पियें।
सूर्योदय से पहले खाली पेट रात का रखा हुआ पानी आवश्यकतानुसार पियें (गुनगुना हो तो उत्तम)।
मेथी के पत्तों की सब्जी खायें।
धनिया, पुदीना, काला नमक व काली मिर्च की चटनी भोजन के साथ लें।
श्वास बाहर निकालकर गुदाद्वार का संकोचन विस्तरण (अश्विनी मुद्रा) करने को स्थलबस्ति कहते हैं। यह प्रयोग रोज तीन-चार बार करने से भी कब्ज दूर होता है और वीर्यहानि, स्वप्नदोष एवं प्रदर रोग से रक्षा होती है। व्यक्तित्व विकसित होता है।

आमवातः

आमवात के रोगियों को अमरबेल, अरण्डी और सहजन के पत्तों को पानी में उबालकर हलके गर्म पानी से स्नान करने से सूजन तथा दर्द में आराम मिलता है।


खाँसी

अदरक का रस और शहद बराबर मात्रा में मिलाकर दिन में तीन-चार बार चाटने से कफ, खाँसी में आराम मिलता है।

Health 3


पायरिया

पायरिया (दाँत से खून, मवाद आना) में संतरे का सेवन व उसकी छाल के चूर्ण का मंजन लाभदायी है।

सगर्भावस्था में

गर्भवती महिलाओं को दोपहर के समय संतरा खिलाने से उनकी शारीरिक शक्ति बनी रहती है तथा बालक स्वस्थ व सुंदर होता है। इसके सेवन से सगर्भावस्था में जी मिचलाना, उलटी आदि शिकायतें भी दूर होती हैं।

पेट की गड़बड़ियों में

संतरे के रस में थोड़ा सा काला नमक व सोंठ मिलाकर लेने से अजीर्ण, 
अफरा, अग्निमांद्य आदि पेट की गड़बड़ियों में राहत मिलती है।


पुराना कब्ज

सुबह दो संतरे के रस में थोड़ा ताजा ठंडा पानी मिलाकर नियमित लेने से पुराना से पुराना कब्ज दूर हो जाता है।

कमजोर व्यक्ति

अत्यंत कमजोर व्यक्ति को संतरे का रस थोड़ी-थोड़ी मात्रा में दिन में 2-3 बार देने से शरीर पुष्ट होने लगता है। बच्चों के सूखा रोग में जब शरीर का विकास रुक जाता है तब संतरे का रस पिलाने से उसे नवजीवन प्राप्त होता है।


बवासीर

बवासीर में पलाश के कोमल पत्तों की सब्जी बनाकर खाएं ।


हड्डियाँ मज़बूत करने के लिए

पलाश के गोंद का पाउडर १-२ ग्राम, दूध के साथ लेने से हड्डियाँ मजबूत होती हैं ।


वीर्यवान बनने के लिए

पलाश का गोंद पचने में भारी होता है, लेकिन आंवले के रस के साथ लें तो हिजड़ा भी मर्द बन जाए...........तो मर्दों की तो बात ही क्या ..........



Health 21


निम्न रक्तचाप में

10 बूँद बरगद का दूध, लहसुन का रस आधा चम्मच तथा तुलसी का रस आधा चम्मच इन तीनों को मिलाकर चाटने से निम्न रक्तचाप में आराम मिलता है।


गाँठ

शरीर में कहीं गठान हो तो प्रारम्भिक स्थिति में तो गाँठ बैठ जाती है और बढ़ी हुई स्थिति में पककर फूट जाती है।


अतिसार में

दूध को नाभि में भरकर थोड़ी देर लेटने से अतिसार में आराम होता है।


चोट-मोच और गठिया रोग में

चोट-मोच और गठिया रोग में सूजन पर इसके दूध का लेप करने से आराम मिलता है। यह सूजन को बढ़ने से रोकता है।


बिवाइयाँ

हाथ पैर में बिवाइयाँ फटी हों तो उसमें बरगद का दूध लगाने से ठीक हो जाती हैं।


दाँत का दर्द

दाँतों में बड़ का दूध लगाने से दाँत का दर्द समाप्त हो जाता है।

बल-वीर्यवर्धक,मासिक स्राव तथा खूनी बवासीर में

स्वप्नदोष आदि रोगों में बड़ का दूध अत्यन्त लाभकारी है। सूर्योदयक से पूर्व 2-3 बताशों में 3-3 बूँद बड़ का दूध टपकाकर उन्हें खा जायें। प्रतिदिन 1-1 दिन बूँद मात्रा बढ़ाते जायें। 8-10 दिन के बाद मात्रा कम करते-करते अपनी शुरूवाली मात्रा पर आ जायें। यह प्रयोग कम से कम 40 दिन अवश्य करें। बवासीर, धातु-दौर्बल्य, शीघ्र पतन, प्रमेह, स्वप्नदोष आदि रोगों के लिए यह अत्यंत लाभकारी है। इससे हृदय व मस्तिष्क को शक्ति मिलती है तथा पेशाब की रूकावट में आराम होता है। यह प्रयोग बल-वीर्यवर्धक व पौष्टिक है। इसे किसी भी मौसम में किया जा सकता है। इसे सुबह-शाम करने से अत्यधिक मासिक स्राव तथा खूनी बवासीर में रक्तस्राव बंद हो जाता है।


संतरे का शरबतः

संतरे का शरबतः पाव किलो संतरे के रस में एक किलो मिश्री चाशनी बनाकर काँच की बोतल में रखें। ताजे संतरे न मिलने पर इसका उपयोग करें।
सावधानीः कफजन्य विकार, त्वचारोग, सूजन व जोड़ों के दर्द में तथा भोजन के तुरंत बाद संतरे का सेवन न करें। संतरा खट्टा न हो, मीठा हो इसकी सावधानी रखें।


मुँहासे व चेहरे के दाग

संतरे के ताजे छिलकों को पीसकर लेप करने से मुँहासे व चेहरे के दाग मिट जाते हैं, त्वचा का रंग निखरता है।

Health 2


ग्रीष्म ऋतु में

ग्रीष्म ऋतु में सूर्य अपनी किरणों द्वारा शरीर के द्रव तथा स्निग्ध अंश का शोषण करता है, जिससे दुर्बलता, अनुत्साह, थकान, बेचैनी आदि उपद्रव उत्पन्न होते हैं। उस समय शीघ्र बल प्राप्त करने के लिए मधुर, स्निग्ध, जलीय, शीत गुणयुक्त सुपाच्य पदार्थों की आवश्यकता होती है। इन दिनों में आहार कम लेकर बार-बार जल पीना हितकर है परंतु गर्मी से बचने के लिए बाजारू शीत पदार्थ एवं फलों के डिब्बाबंद रस हानिकारक हैं। उनसे लाभ की जगह हानि अधिक होती है। उनकी जगह नींबू का शरबत, आम का पना, जीरे की शिकंजी, ठंडाई, हरे नारियल का पानी, फलों का ताजा रस, दूध आदि शीतल, जलीय पदार्थों का सेवन करें। ग्रीष्म ऋतु में स्वाभाविक उत्पन्न होने वाली कमजोरी, बेचैनी आदि परेशानियों से बचने के लिए ताजगी देने वाले कुछ प्रयोगः
धनिया पंचकः धनिया, जीरा व सौंफ समभाग मिलाकर कूट लें। इस मिश्रण में दुगनी मात्रा में काली द्राक्ष व मिश्री मिलाकर रखें।
उपयोगः एक चम्मच मिश्रण 200 मि.ली. पानी में भिगोकर रख दें। दो घंटे बाद हाथ से मसलकर छान लें और सेवन करें। इससे आंतरिक गर्मी, हाथ-पैर के तलुवों तथा आँखों की जलन, मूत्रदाह, अम्लपित्त, पित्तजनित शिरःशूल आदि से राहत मिलती है। गुलकंद का उपयोग करने से भी आँखों की जलन, पित्त व गर्मी से रक्षा होती है।
ठंडाईः जीरा व सौंफ दो-दो चम्मच, चार चम्मच खसखस, चार चम्मच तरबूज के बीज, 15-20 काली मिर्च व 20-25 बादाम रात भर पानी में भिगोकर रखें। सुबह बादाम के छिलके उतारकर सब पदार्थ खूब अच्छे से पीस लें। एक किलो मिश्री अथवा चीनी में चार लिटर पानी मिलाकर उबालें। एक उबाल आने पर थोड़ा-सा दूध मिलाकर ऊपर का मैल निकाल दें। अब पिसा हुआ मिश्रण, एक कटोरी गुलाब की पत्तियाँ तथा 10-15 इलायची का चूर्ण चाशनी में मिलाकर धीमी आँच पर उबालें। चाशनी तीन तार की बन जाने पर मिश्रण को छान लें, फिर ठंडा करके काँच की शीशी में भरकर रखें।
उपयोगः ठंडे दूध अथवा पानी में मिलाकर दिन में या शाम को इसका सेवन कर सकते हैं। यह सुवासित होने के साथ-साथ पौष्टिक भी हैं। इससे शरीर की अतिरिक्त गर्मी नष्ट होती है, मस्तिष्क शांत होता है, नींद भी अच्छी आती है।
आम का पनाः कच्चे आम को पानी में उबालें। ठंडा होने के बाद उसे ठंडे पानी में मसल कर रस बनायें। इस रस में स्वाद के अनुसार गुड़, जीरा, पुदीना, नमक आदि मिलाकर खासकर दोपहर के समय इसका सेवन करें। गर्मियों में स्वास्थ्य-रक्षा हेतु अपने देश का यह एक पारम्परिक नुस्खा है। इसके सेवन से लू लगने का भय नहीं रहता ।
गुलाब शरबतः डेढ़ कि.ग्रा. चीनी में देशी गुलाब के 100 ग्राम फूल मसलकर शरबत बनाया जाय तो वह बाजारू शरबतों से पचासों गुना हितकारी है। सेक्रीन, रासायनिक रंगों और विज्ञापन से बाजारू शरबत महंगे हो जाते हैं। आप घर पर ही यह शरबत बनायें। यह आँखों व पैरो की जलन तथा गर्मी का शमन करता है। पीपल के पेड़ की डालियाँ, पत्ते, फल मिलें तो उन्हें भी काट-कूट के शरबत में उबाल लें। उनका शीतलतादायी गुण भी लाभकारी होगा।
अपवित्र पदार्थों से बने हुए, केमिकलयुक्त, केवल कुछ क्षणों तक शीतलता का आभास कराने वाले परंतु आंतरिक गर्मी बढ़ाने वाले बाजारू शीतपेय आकर्षक रंगीन जहर हैं। अतः इनसे सावधान!


  • आम विकार / पाचन तंत्र ठीक करने के तरीके

  • वज्रासन में बैठ के श्वास बाहर निकालें, मन में रं रं....जप करें.......जठरा प्रदीप्त होगी । ५०-६० सेकंड श्वास बाहर रोके और पेट को अंदर बाहर करें तो जह्त्रा प्रदीप्त होने से उस को पाचन ज्यादा चाहिये तो बदले में आम को पचा लेगी ।
  • एक सेब ले लो..उस मीठे सेब फल में जितने लगा सके उतने लौंग अंदर भोंक दो.......और वो सेब फल पडा रहे छाया में ७ -११ दिन तक ...सेब सड़ जायेगा ...और लौंग मुलायम हो जायेगा...वो लौंग बन गया पाचन तंत्र को तेज करनेवाली औषधि....ये पाचन तंत्र के लिए एकदम वरदान है । 
  • एक रबड़ का पायदान आता है, जिसके एक तरफ गोल सुराख़ होते हैं और एक तरफ लम्बे नुकीले दाने होते हैं । उस पर रोज़ ५ मिनट खड़े रहें ।


सत्तू

गर्मियों में गरमा गरम भोजन से बचें और सत्तू बनवा लें जिस में जौ, चावल, गेंहू और चना हो । इस में घी और ठंडा पानी मिला कर खाए अथवा नमक -मिर्ची डाल के चरपरा बना के खाएं । हलवा भी बना कर खा सकते हैं । ये सत्तू बल दायक और ब्रह्मचर्य के लिए अच्छा है । सफ़र में बाहर का खाने से ये अच्छा है ।


खून बढ़ाने के लिए

  • खून बढ़ाने के लिएगन्ने का रस पियें ।
  • बेल का फल सूखा कर उस के गुदे का चूर्ण में मिश्री मिला कर लेने से भी खून सी बढ़ोतरी होती है ।

फोड़े-फुंसियाँ

फोड़ा-फुंसी है तो पालक+गाजर+ककड़ी तीनों को मिला कर उस का रस ले लें अथवा नारियल का पानी पियें तो फोड़ा पुंसी में आराम होता है ।


पित्तजन्य / गर्मी के कारण बीमारियाँ

धनिया, आंवला, मिश्री समभाग पीस के रख दें........एक चम्मच रात को भिगो दें और सुबह मसल के पियें तो सिर दर्द में आराम हो जायेगा, नींद अच्छी आएगी, मूत्र दाह, नकसीर में आराम होगा, लू से रक्षा होगी और पेट भी साफ रहेगा ।


गर्मी या पित्त के कारण सिर दर्द

गर्मी में सिर दर्द होता हो, कमजोरी हो तो सूखा धनिया पानी में पीस/घिस के माथे पे लेप करने से सिर दर्द में आराम होता है ।


त्वचा के रोग एवं घमोरियां

जिनको को पहले निमोनिया जैसी गंभीर बीमारी हो गयी हो, जिन को चमड़ी के रोग हों या घमोरियां हो वो नीम के फूल १० ग्राम मिश्री मिला कर पियें ।



पक्षाघात (लकवा)-

बरगद का 5 ग्राम दूध महानारायण तेल में मिलाकर मालिश करें।
बड़ की छाल और काली मिर्च दोनों 100-100 ग्राम पीसकर 250 ग्राम सरसों के तेल में पकायें फिर लकवाग्रस्त अंग पर लेप करें।

गर्भस्थापन के लिएः

ऋतुकाल में यदि वन्ध्या स्त्री पुष्य नक्षत्र में लाकर रखे हुए वटशुंग (बड़ के कोंपलों) के चूर्ण को जल के साथ सेवन करे तो उसे अवश्य गर्भधारण होता है। - आयुर्वेदाचार्य शोढल

बल-वीर्य की वृद्धिः

बड़ के कच्चे फल छाया में सुखा के चूर्ण बना लें। बराबर मात्रा में मिश्री मिलाकर रख लें। 10 ग्राम चूर्ण सुबह-शाम दूध के साथ 40 दिन तक सेवन करने से बल-वीर्य और स्तम्भन (वीर्यस्राव को रोकने की) शक्ति में भारी वृद्धि होती है।

Health 1


आँत्रवृद्धि

छाल व पत्तों द्वारा उपचारः बालकों की आँत्रवृद्धि (Hernia) में छाल का काढ़ा (25 मि।ली.) बनाकर पिलायें।

बिच्छूदंश

पलाश के बीज आक (मदार) के दूध में पीसकर बिच्छूदंश की जगह पर लगाने से दर्द मिट जाता है।


कृमि

पलाश के बीजों द्वारा उपचारः पलाश के बीजों में पैलासोनिन नामक तत्त्व पाया जाता है, जो उत्तम कृमिनाशक है। 3 से 6 ग्राम बीज-चूर्ण सुबह दूध के साथ तीन दिन तक दें। चौथे दिन सुबह 10 से 15 मि।ली. अरण्डी का तेल गर्म दूध में मिलाकर पिलायें, इससे कृमि निकल जायेंगे।

आँख आने पर

रतौंधी की प्रारम्भिक अवस्था में फूलों का रस आँखों में डालने से लाभ होता है।
आँख आने पर (Conjunctivitis) फूलों के रस में शुद्ध शहद मिलाकर आँखों में आँजें।


प्रमेह (मूत्र-संबंधी विकारों) में

प्रमेह (मूत्र-संबंधी विकारों) में पलाश के फूलों का काढ़ा(50 मि.ली.) मिलाकर पिलायें।


महिलाओं के मासिक धर्म में अथवा पेशाब में

महिलाओं के मासिक धर्म में अथवा पेशाब में रूकावट हो तो फूलों को उबालकर पुल्टिस बना के पेड़ू पर बाँधें। अण्डकोषों की सूजन भी इस पुल्टिस से ठीक होती है।

Featured post

इस फ़ार्मूले के हिसाब से पता कर सकती हैं अपनी शुभ दिशाऐं

महिलाएँ ...इस फ़ार्मूले के हिसाब से पता कर सकती हैं अपनी शुभ दिशाऐं।   तो ये है इस फ़ार्मूले का राज... 👇 जन्म वर्ष के केवल आख़री दो अंकों क...