गुरुवार, 7 जुलाई 2011

नींबू के पत्तों का रस सूंघते ही सिरदर्द हो जाएगा छूमंतर

नींबू एक ऐसा फल है जिसकी खुशबू मात्र से ही ताजगी का अहसास होता है। नींबू का अनोखा गुण यह है कि इसकी खट्टी

खुशबू खाने से पहले ही मुंह में पानी ला देती है। चांट हो या दाल कोई भी व्यंजन इसके प्रयोग से और भी सुस्वादु हो जाता है। यह फल खट्टा होने के साथ-साथ बेहद गुणकारी भी है। आइए जानते हैं इसके कुछ प्रयोगों के बारे में-

कृमि रोग-

10 ग्राम नींबू के पत्तों का रस (अर्क) में 10 ग्राम शहद मिलाकर पीने से 10-15 दिनों में पेट के कीड़े मरकर नष्ट हो जाते हैं। नींबू के बीजों के चूर्ण की फं की लेने से कीड़ों का विनाश होता है।

सिरदर्द या माइग्रेन-

नींबू के पत्तों का रस निकालकर नाक से सूंघे, जिस व्यक्ति को हमेशा सिरदर्द बना रहता है, उसे भी इससे शीघ्र आराम मिलता है।

नाक से खून आना-

ताजे नींबू का रस निकालकर नाक में पिचकारी देने से नाक से खून गिरता हो, तो बंद हो जाएगा।

पेट, सिर या दांत में... हर दर्द का मुंहतोड़ जवाब है दादी के पास

चिकित्सा क्षेत्र में हुई प्रगति के दम पर आज इंसान ने अधिकांश बीमारियों का इलाज खोज निकाला है। लेकिन समस्या यह है कि ये अंग्रेजी दवाइयां जहां एक बीमारी को दबाती हैं तो दो दूसरी खड़ी हो जाती हैं। इतना ही नहीं इन अंग्रेजी दवाइयों का घातक साइड इफेक्ट भी होता है।

इसलिए दादी-नानी के जमाने से चले आ रहे घरेलू नुस्खों और घरेलू इलाजों का सहारा लेना सुरक्षित है। रसोई घर में रखी कई चीजें जैसे मसाले, खाद्यान्न, फ ल-सब्जी, शहद, घी-तेल आदि औषधि का काम भी करते हैं। अत: रसोई घर को 'औषधि का भंडार' कहना गलत नहीं होगा। आइये जानते हैं ऐसे कुछ अनुभूत नुस्खे जो वक्त पडऩे पर बेहद कारगर सिद्ध हो सकते हैं-

पेट दर्द- अजवाइन, सौंफ और थोड़ा-सा काला नमक मिलाकर चूर्ण बनाकर खाएं। आराम मिलेगा। पेटदर्द गायब हो जाएगा।

सिर दर्द- एक कप दूध में पिसी इलायची डालकर पीने से सिरदर्द ठीक हो जाएगा।

दांत दर्द- एक चम्मच सरसों के तेल में एक चुटकी हल्दी और नमक मिलाकर दांतों पर लगाने या हल्के-हल्के मालिश करने से दांत का दर्द दस से पंद्रह मिनट में ठीक हो जाता है।

घुटनों का दर्द- पानी में अजवाइन उबालकर इस अजवाइन वाले पानी की भाप घुटनों पर देने से दर्द ठीक होता है। अजवाइन के पानी में तौलिया भिगोकर और हल्का निचोड़कर उसे घुटनों पर रखकर गर्म सेंक देने से भी दर्द में राहत मिलती है।

माइग्रेन- रात में सोने से पहले नाक में गाय के दूध से बने घी की दो-दो बूंदें डालें। इसके अलावा सिर पर गाय के घी की मालिश हल्के हाथ से करें।

बुधवार, 6 जुलाई 2011

दमा और सांस के रोगों से पाएं स्थाई छुटकारा

सुबह-सुबह थोड़ा सा व्यायाम या योगासन करने से हमारा पूरा दिन स्फूर्ति और ताजगीभरा बना रहता है। यदि आपको दिनभर अत्यधिक मानसिक तनाव झेलना पड़ता है तो यह क्रिया करें, दिनभर चुस्त रहेंगे। इस क्रिया को करने वाले व्यक्ति से फेफड़े और सांस से संबंधित बीमारियां सदैव दूर रहेंगी।

क्रिया की विधि

समतल और हवादार स्थान पर किसी भी आसन जैसे पदमासन या सुखापन में बैठकर इस क्रिया को किया जाता है। दोनों हाथ को दोनों घुटनों पर रखें। अब नाक के दोनों छिद्र से तेजी से गहरी सांस लें। फिर सांस को बिना रोकें, बाहर छोड़ दें।

इस तरह कई बार तेज गति से सांस लें और फिर उसी तेज गति से सांस छोड़ते हुए इस क्रिया को करें। इस क्रिया में पहले कम और बाद में धीरे-धीरे इसकी संख्या को बढ़ाएं।

इस क्रिया से लाभ

इस क्रिया के अभ्यास से फेफड़े में स्वच्छ वायु भरने से फेफड़े स्वस्थ्य और रोग दूर होते हैं। यह आमाशय तथा पाचक अंग को स्वस्थ्य रखता है। इससे पाचन शक्ति और वायु में वृद्धि होती है तथा शरीर में शक्ति और स्फूर्ति आती है। इस क्रिया से सांस संबंधी कई बीमारियां दूर ही रहती हैं।

सावधानी

यदि किसी व्यक्ति को दमा या सांस संबंधी कोई बीमारी हो तो वह अपने डॉक्टर से परामर्श कर ही इस क्रिया को करें।

मंगलवार, 5 जुलाई 2011

घाव कितना भी गहरा हो... नामोनिशान मिटा देंगे ये देशी नुस्खे

घाव भरने के लिए एन्टीबायोटिक्स अंग्रेजी दवाइयां लेने की कोई जरूरत नहीं है। क्योंकि अधिकांश अंग्रेजी दवाइयों के हानिकारक साइड इफेक्ट्स होते हैं। किसी भी प्रकार का घाव हुआ हो, टांके लगवाये हों या  शल्यक्रिया (ऑपरेशन) का घाव हो, अंदरूनी घाव हो या बाहरी हो, घाव पका हो या न पका हो लेकिन आपको प्रतिजैविक लेकर जठरा, आंतों, यकृत एवं गुर्दों को साइड इफेक्ट द्वारा बिगाडऩे की कोई जरूरत नहीं है बल्कि नीचे दिये जा रहे आसान घरेलू उपायों को अपनाकर किभी भी तरह के गहरे से गहरे घाव को जड़ से मिटाया जा सकता है-

- घाव को साफ  करने के लिए ताजे गोमूत्र का उपयोग करें। बाद में घाव पर हल्दी का लेप करें।

- एक से तीन दिन तक उपवास रखें। ध्यान रखें कि उपवास के दौरान केवल उबालकर ठंडा किया हुआ या गुनगुना गर्म पानी ही पीना है, अन्य कोई भी वस्तु खानी-पीनी नहीं है। दूध भी नहीं लेना है।

- उपवास के बाद जितने दिन उपवास किया हो उतने दिन केवल मूंग को उबाल कर जो पानी बचता है वही पानी पीना है। मूंग का पानी धीरे-धीरे गाढ़ा करके लिया जा सकता है।

- मूंग के पानी के बाद धीरे-धीरे मूंग, खिचड़ी, दाल-चावल, रोटी-सब्जी इस प्रकार सामान्य खुराक पर आना चाहिये। 

- कब्ज की शिकायत हो तो रोज 1 चम्मच हरड़ का चूर्ण सुबह अथवा रात को पानी के साथ लें।

- जिनके शरीर की प्रकृति ऐसी हो कि घाव होने पर तुरंत पक जाता हो, उन्हें त्रिफ ल गूगल नामक 3-3 गोलीदिन में 3 बार पानी के साथ लेनी चाहिए।

- सुबह 50 ग्राम गोमूत्र तथा दिन में 2 बार 3-3 ग्राम हल्दी के चूर्ण का सेवन करने से बहुत जल्दी लाभ होता है। 

- पुराने घाव में चन्द्रप्रभा वटी की 2-2 गोलियां दिन में 2 बार लें। 

- जात्यादि तेल अथवा मलहम घाव पर लगाएं इससे घाव सीघ्र ही भरने लगेगा।

5 पत्तियों के ऐसे गुणों को जानकर बोल उठेंगे... ओह! वाकई कमाल है

सामान्य से दिखने वाले तुलसी के पौधे में अनेक दुर्लभ और बेशकीमती गुण पाए जाते हैं। आइये जाने कि तुलसी का पूज्यनीय पौधा हमारे किस-किस काम आ सकता है-

- डेली 5 पत्तियां सुबह खाली पेट चूंसने से बीमार होने की संभावना काफी हद तक समाप्त हो जाती है, क्योंकि इससे शरीर की रोग-प्रतिरोधक क्षमता कई गुना बढ़ जाती है।

- शरीर के वजन को नियंत्रित रखने में तुलसी बेहद कारगर और गुणकारी है।

- इसके नियमित सेवन से भारी व्यक्ति का वजन घटता है एवं पतले व्यक्ति का वजन बढ़ता है यानी तुलसी शरीर का वजन आनुपातिक रूप से नियंत्रित करती है।

- तुलसी के रस की कुछ बूंदों में थोड़ा-सा नमक मिलाकर बेहोंश व्यक्ति की नाक में डालने से उसे शीघ्र होश आ जाता है। - चाय बनाते समय तुलसी  के 4-5 पत्ते साथ में उबाल लिए जाएं तो सर्दी, बुखार एवं मांसपेशियों के दर्द में तत्काल राहत मिलती  है।

- 10 ग्राम तुलसी के रस को 5 ग्राम शहद के साथ सेवन करने से हिचकी एवं अस्थमा के रोगी को ठीक किया जा सकता है।

- तुलसी के काढ़े में थोड़ा-सा सेंधा नमक एवं पीसी सौंठ मिलाकर सेवन करने से कब्ज दूर होती है।

- दोपहर भोजन के पश्चात तुलसी की पत्तियां चबाने से पाचन शक्ति मजबूत होती है।

- 10 ग्राम तुलसी के रस के साथ 5 ग्राम शहद एवं 5 ग्राम पिसी कालीमिर्च का सेवन करने से पाचन शक्ति की कमजोरी समाप्त हो जाती है।

- दूषित पानी में तुलसी की कुछ ताजी पत्तियां डालने से पानी का शुद्धिकरण किया जा सकता है।

रविवार, 3 जुलाई 2011

अगर शरीर के जोड़ों में हो बहुत दर्द

यदि आप जोड़ों के दर्द से परेशान हैं तो घबराने की जरूरत नहीं है, आयुर्वेद के कुछ उपाय आपको दर्द से निजात दिलाने में कारगर होंगे:-

- सौंठ,मरीच एवं पिप्पली का प्रयोग त्रिकटु के रूप में १/२ चम्मच नित्य गुनगुने पानी से प्रयोग जोड़ों के दर्द में राहत देता है।

- अरंडी की जड़ का चूर्ण १/२-१ चमच्च लेने से भी गठिया के रोगियों में चमत्कारिक लाभ मिलता है।

- यदि जोड़ों का दर्द बहुत पुराना हो तो बालू की पोटली का सेक भी सूजन से राहत दिलाता है।

- प्रारंभिक अवस्था में यदि जोड़ों के दर्द की शुरुवात हुई हो तो अरंडी के तेल के मालिश भी अत्यंत प्रभावी होते है।

- केवल सौंठ का प्रयोग भी पुराने से पुराने जोड़ों के दर्द में लाभ देता है।

- अश्वगंधा,शतावरी एवं आमलकी का चूर्ण जोड़ों से दर्द के कारण आयी कमजोरी को दूर करता है।

- दशमूल का का काढा भी १०-१५ एम्.एल. की मात्रा में जोड़ों के दर्द में लाभ पहुंचाता है।

- जोड़ों के दर्द के साथ यदि सूजन हो तो एरंडी एवं निर्गुन्डी के पत्तों की सिकाई दर्द एवं सूजन को कम करती है।

- यदि गठियावात (आर्थराईटिस) के दर्द का कारण RHEUMATOID फेक्टर हो तो गुग्गुलु का प्रयोग चिकित्सक के परामर्श से करना चाहिए।

- गठियावात के कारण उत्पन्न जोड़ों के दर्द में पंचकर्म चिकित्सा अत्यंत प्रभावी है।

कुछ छोटी -छोटी बातों एवं सावधानियों का ध्यान रखकर हम जोड़ों के दर्द से रहत पा सकते हैं। 

- यदि जोड़ों के दर्द का कारण यूरिक एसिड का बढ़ना है तो भोजन में प्रोटीन की मात्रा कम कर देनी चाहिए।

- सूजन की अवस्था में आसनों का प्रयोग नहीं करना चाहिए।

- गठिया की प्रारंभिक अवस्था में योग एवं प्राणायाम का नित्य प्रयोग संधिवात के कारण उत्पन्न जोड़ों के दर्द को कम करता है।

- गठिया के रोगियों को तले भुने भोजन का सेवन नहीं करना चाहिए।

- जोड़ों के दर्द में भोजन में उड़द की दाल भिन्डी बैगन एवं अचार का सेवन वर्ज्य है।

- हरी पत्तेदार एम रेशेदार फल सब्जियां योगी के कब्ज को ठीक कर जोड़ों के दर्द में लाभ पहुंचाती है।

इन आयुर्वेदिक उपायों से खुशहाल बना सकते हैं दाम्पत्य को...


आज के समय में युवा पीढी विज्ञापनों के भंवरजाल में पड़कर यौन सम्बन्धी कई भ्रांतियों को पाल बैठती है। आयुर्वेद में इन सभी का समाधान उपलब्ध है। विवाह संस्कार को सोलह संस्कारों में एक महत्वपूर्ण संस्कार माना गया है तथा विवाह उपरान्त सेक्स का उद्देश्य संतानोत्पत्ति के लिए माना गया है।

यौन क्षमता को बढाने के लिए वाजीकारक द्रव्यों के सेवन का निर्देश है तथा स्त्री को श्रेष्ट वाजीकारक बताया गया है। संतानहीन पुरुष को सूखे पेड़ की संज्ञा दी गयी है अर्थात संतति को आगे बढाने के लिए प्रचुर यौन क्षमता क़ी आवश्यकता को आयुर्वेद ने भी माना है एवं इसे बढाने के लिए कुछ सरल नुस्खे भी बतलाये हैं जिनका सयंमित प्रयोग केवल यौन क्षमता को बढाने में ही कारगर नहीं है , बल्कि यौन सम्बंधी विकृतीयों को भी दूर करता है।

आइये इन्हें आजमायें और अपने वैवाहिक जीवन को खुशहाल बनाएं।

- अश्वगंधा,शतावरी एवं सफ़ेद मुसली के चूर्ण को सम मात्रा में मिलाकर १/२ से एक चमच्च लेना यौन क्षमता को बढाता है।

- उड़द क़ी दाल क़ी खिचड़ी के साथ गर्म दूध का प्रयोग यौन क्षमता को कई गुना बढ़ा देता है।

- कौंच के बीज का चूर्ण,शतावरी एवं दुग्ध के साथ मात्रा में प्रयोग से कामोत्कर्ष (ओर्गास्म) कई गुना बढ़ जाता है।

- सुमधुर संगीत एवं तनाव मुक्त शयन कक्ष भी यौन क्रीडा को आनंदित बनाता है।

- शिलाजीत क़ी निश्चित मात्रा का दुग्ध एवं शहद के साथ सेवन यौन क्षमता को बढाने में कारगर होता है।

- नित्य आसनों का अभ्यास जननांगों में रक्त के प्रभाव को बढ़ा कर प्राकृतिक रूप से उनको सक्रिय बना देता है जिसे यौन क्रीडा का आनंद मिलता है।

- नित्य अभ्यंग (मालिश ) एवं स्नान भी यौन क्षमता को बढाने में मददगार होते हैं।

- पीपल के कोपलों के दुग्ध का प्रयोग अलग - अलग नासिका में करना यौन क्षमता को बढाने के साथ उत्तम संतति प्राप्त करने में मददगार होता है।

- आयुर्वेद में अकाल,ग्रहण एवं आपदाओं के समय यौन सम्बन्ध बनाने को निषिद्ध किया है।

अतः यौन क्षमता सुखी दाम्पत्य जीवन के लिए ही आवश्यक न होकर गृहस्ताश्रम को सुचारू एवं सफलता पूर्वक चलाने के लिए भी आवश्यक है।
 

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