गुरुवार, 24 नवंबर 2011

कभी नहीं होंगे बीमार अगर डेली लाइफ में ले आएंगे ये छोटे-छोटे सुधार

कहते हैं अगर किसी व्यक्ति की दिनचर्या नियमित हो और वह आयुर्वेद में बताए गए कुछ नियमों का पालन अपनी डेली लाइफ में करे तो कोई भी सुखपूर्वक निरोगी जीवन व्यतीत कर सकता है। आज हम आपको बताने जा रहे हैं ऐसे ही कुछ टिप्स जिन्हें अपनाएंगे तो आप कभी बीमार नहीं होंगे।

- प्रात:काल 4 से 6 बजे के मध्य अर्थात सूरज उगने से पूर्व बिस्तर छोड़ दें।

- सुबह ब्रश व शौचादि से पहले ताम्बे के लोटे में रात्रि को रखा पानी पीयें।

- नाश्ता या भोजन हमेशा भूख से थोड़ा कम करें तथा योग्य आहार का ही सेवन करें ।

 -  भोजन के साथ -साथ पानी पीने की प्रवृति से बचें।

- रोगप्रतिरोधक क्षमता को बढाने के लिए आंवले  का सेवन नित्य करें।

- आहार में रेशेदार फल सब्जियों के अलावा दालों का सेवन, शरीर में किसी भी प्रकार के क्षय (टूट- फूट ) को ठीक करने में मददगार होता है।

- आहार में स्नेह अर्थात घी का नियंत्रित मात्रा में प्रयोग करें।

-  भोजन में लाल मिर्च का सेवन कम करें। 

- दिनचर्या में जानबूझकर,अनजाने में या असयंमित होकर किये गए आचरण को प्रज्ञापराध की श्रेणी में रखा जाता है,इससे से बचें।

- आहार स्वयं एक औषधी है,अत:ज्ञानेन्द्रिय को वश में करते हुए ही भोजन सहित अन्य आचरण करना स्वस्थ रहने में मददगार होता है।

- शुद्ध जल एवं वायु का सेवन आयुर्वेद अनुसार रोगों से मुक्ति का मार्ग है।

- गाय के दूध का नियमित रूप से सेवन करें।

- साल में एक बार पंचकर्म चिकित्सक के निर्देश में अवश्य करवाएं।

मंगलवार, 22 नवंबर 2011

घरेलु संजीवनी बूटी- ये है इन सारी बीमारियों की एक दवा

ज्यादा वर्कलोड के कारण थकान होना, कमजोरी महसूस होना, ये सब अच्छे लक्षण नहीं  है। ऐसे लोगों को अक्सर बुखार और सर्दी, खांसी  व स्नायुतंत्र जैसी समस्याएं जल्दी घेर लेती हैं। ऐसे में बार-बार कई तरह की ऐलोपैथिक दवाई लेना भी शरीर के लिए नुकसानदायक होता है। इसलिए बार-बार  क्लिनिक के चक्कर लगाने से अच्छा है कि आप एक बार इन समस्याओं को जड़ से मिटाने के लिए नीचे लिखा नुस्खा जरुर आजमाएं। 

सामग्री- गुलाब के फूल, तुलसी के पत्ते, ब्राह्मी बूटी, खसखस, और शंखपुष्पी 300-300ग्राम। बनफशा, मुलहठी, सौंफ, तेजपान, 100-100ग्राम। लाल चंदन, बड़ी इलाइची, दालचीनी, लौंग, सौंठ, बदयान, काली मिर्च और असली केसर 10-10 ग्राम सबको अच्छी तरह पीसकर, छानकर बारीक चूर्ण कर लें।

 सेवन विधि- एक चम्मच चूर्ण एक लीटर पानी में डाल कर उबालें। उचित मात्रा में चीनी और दूध डालकर सुबह खाली पेट एक गिलास  पीएं। यह मात्रा चार व्यक्ति के लिए है। 

लाभ- इसके सेवन से शरीर के आंतरिक दोष दूर होते हैं। मानसिक  व शारीरिक थकावट  व निर्बलता दूर होती है। सिरदर्द, खांसी, गैस ज्वर, और उदर रोगों से छुटकारा मिलता है। स्मरण शक्ति और दिमागी ताकत बढ़ती हैं। स्नायुदौर्बल्य दूर होता है। दरअसल यह संजीवनी बूटी की तरह लाभकारी है।

शर्तिया नुस्खा- बिना दवाई व तेल करें झड़ते बालों व गंजेपन का इलाज

क्या आप झड़ते बालों से परेशान हैं?गंजेपन के कारण आपकी उम्र ज्यादा दिखने लगी है? झड़ते बालों के लिए आयुर्वेदिक नुस्खे अपनाकर या तेल लगाकर थक चूके हैं पर असर नहीं हो रहा है? अगर आपके साथ भी ऊपर लिखी परेशानियां हैं, तो हम देने जा रहे हैं आपको आज एक नुस्खा। जिसे अपनाकर आप झड़ते बालों की समस्या से निजात पा सकते हैं।   



नुस्खा- इस बीमारी से निजात पाने के लिए योग शास्त्र में माण्डु की मुद्रा सबसे श्रेष्ठ उपाय बताया गया है।



माण्डुकी मुद्रा की विधि



इस मुद्रा के लिए किसी शांत एवं स्वच्छ वातावरण वाले स्थान का चयन करें। शांति में किसी भी सुविधाजनक आसन में बैठ जाएं। अब मुंह बंद करके जीभ को तालु में घुमाना चाहिए और सहस्रार से टपकती हुई बुंदों का जीभ से पान करें। यह माण्डुकी मुद्रा है।



माण्डुकी मुद्रा के लाभ



इस मुद्रा के नियमित अभ्यास से बाल झडऩा बंद हो जाते हैं। असमय सफेद हो गए हो तो वह समस्या भी इस मुद्रा से दूर हो जाती है। इससे आपकी त्वचा चमकदार और निरोगी बनती है। इस मुद्रा के नियमित अभ्यास से वात-पित्त एवं कफ की समस्या दूर हो जाएगी।

सोमवार, 21 नवंबर 2011

नारियल का अनूठा प्रयोग: हो जाएगी एसीडिटी की छुट्टी हमेशा के लिए

नारियल को भारतीय सभ्यता में शुभ और मंगलकारी माना गया है। इसलिए पूजा-पाठ और मंगल कार्यों में इसका उपयोग किया जाता है। किसी कार्य का शुभारंभ नारियल फोड़कर किया जाता है। पूजा के प्रसाद में इसका प्रयोग किया जाता है। इसका उपयोग काड लिवर आइल के स्थान पर सेवन में किया जा सकता है। यह कच्चा और पका हुआ दो अवस्थाओं में मिलता है। नारियल का पानी पिया जाता है। इसका पानी मूत्र, प्यास व जलन शांत करने वाला होता है। 

 मुंह के छाले- मुंह के छाले होने पर नारियल की सफेद गिरी का टुकड़ा और एक चम्मच भर चिरोंजी मुंह में डालकर धीरे-धीरे चबाना व चूसना चाहिए। 

 पेट के कीड़े- बड़ी उम्र के व्यक्ति को अगर पेट में कृमि की समस्या है तो सूखे गोले का ताजा बूरा 10 ग्राम मात्रा में लेकर खूब चबा-चबाकर खा लें। इसके तीन घंटे बार सोते समय दो चम्मच केस्टर आइल, आधा कप गुनगुने गर्म दूध में डालकर तीन दिन तक पीएं। पेट के कीड़े मल के साथ निकल जाएंगे। 

 आधा सीसी- आधा सीसी वाला दर्द हो तो नारियल का पानी ड्रापर से नाक के दोनों तरफ दो-दो बूंद टपकाने से आधा सीसी का दर्द दूर होता है। 

 एसीडिटी- आजकल एसीडिटी यानी पित्त प्रकोप होना आम बात हो गई है। एसीडिटी से ग्रसित होने पर सीने व पेट में जलन, जी मचलाना, उल्टी होने जैसा जी करना या उल्टी होना, मुंह में छाले होना, सिरदर्द, होना पतले दस्त लगना आदि लक्षण प्रकट होते हैं। कच्चे नारियल की सफेद गिरी, खस और सफेद चंदन का बुरादा दस-दस ग्राम ले। एक गिलास पानी में डाल कर शाम को रख दें। सुबह इसे मसल कर छान कर खाली पेट पीने से एसीडिटी धीरे-धीरे खत्म होने लगेगी। 

लहसुन की सिर्फ दो कली मिटा देगी इन जानलेवा बीमारियों को

जो कुछ भी हम रोजमर्रा के आहार में खाते-पीते हैं। उन सभी के अपने गुण-दोष होते हैं। रोटी, चावल, दाल, सब्जी, तथा उनमें डाले जाने वाले मसाले आदि सभी के कुछ न कुछ गुण हैं। अब जैसे लहसुन में एक नहीं अनगिनत गुण हैं। ऐसे ही लहसुन के एक गुणकारी प्रयोग की जानकारी दी जा रही हैं। 

लहसुन खून में बढ़ी चर्बी कोलेस्ट्रोलको कम करने का काम करता है। उच्च रक्तचाप भी अनेक मारक रोगों का बढ़ा कारण माना जाता है। लहसुन का प्रयोग इन दोनों ही बीमारियों को जड़ से नष्ट करने की क्षमता रखता है। बस इसमें एक ही कमी हैं, वह है इसकी दुर्गंध। लेकिन इसमें कोलेस्ट्रोल को ठीक करने की गजब की क्षमता होती है। 

रोज सबेरे बिना कुछ खाए- पीए दो पुष्ट कलियां छीलकर टुकड़े करके पानी के साथ चबाकर खा ले निगल जाए। इस साधारण से प्रयोग को नित्य करते रहने से रक्त में बढ़ा हुआ कोलेस्ट्रोल तो कम होगा ही, साथ ही उच्च रक्तचाप रोगियों का रोग भी नियंत्रित हो जाएगा। शरीर में कही भी ट्युमर होने की संभावना दूर हो जाती है।

शुक्रवार, 18 नवंबर 2011

घर पर बनाएं ये आयुर्वेदिक चूर्ण वैवाहिक जीवन भर जाएगा आनंद से

आज की व्यस्ततम जीवनशैली ,तनावभरी दिनचर्या और भौतिक सुख सुविधायें जुटाने की लालसा ने खुशहाल वैवाहिक जीवन को एक सपने की तरह बना दिया है। काम ने इस पवित्र कर्म के मूल में निहित भाव एवं उद्देश्य को समाप्त कर दिया है। काम आज दाम्पत्य जीवन की औपचारिकता भर रह गया है ,इन्ही कारणों से यौन संबंधों को लेकर असंतुष्ट  युगलों  की संख्या में निरंतर इजाफा हो रहा है। अगर आपके साथ भी यही समस्या है आपको कमजोरी व क्षीणता महसूस होती है। अपने साथी को संतुष्ट नहीं कर पाते हैं तो नीचे लिखे आयुर्वेदिक नुस्खे को जरूर अपनाएं निश्चित ही फायदा होगा।



सामग्री- 
सकाकुल मिश्री, सालम मिश्री, काली मूसली और शतावर सभी 40-40 ग्राम। बहमन सफेद बहमन लाल तोदरी छोटी, तोदरी बड़ी सभी 20-20ग्राम। सुरवारी के बीज, इंद्र जौ मीठे, जावित्री, जायफल, सौंठ, कुलींजन सभी 10-10 ग्राम। 



निर्माण विधि-
 सारी औषधियों को अलग-अलग कुट पीसकर बाद में उक्त अनुपात में मिलाकर साफ सूखी शीशी में भरकर रखें।



सेवन विधि- 
पांच ग्राम की मात्रा लेकर इस चूर्ण को 10 ग्राम शहद में मिलाकर चाट लें। दूध के साथ न लें। उसी से दवा खानी चाहिए। इस मदनानंद चूर्ण के सेवन से धातु क्षीणता, नामर्दी की शिकायत भी कुछ दिनों मिट जाती है। वास्तव में यह चूर्ण कामोत्तेजना जाग्रत करने का बहुत अच्छा उपाय है। अगर स्त्री प्रसंग से परहेज करके इस दवा का सेवन छ: महीने तक कर लिया जाए तो बहुत ही अच्छा है।

गुरुवार, 17 नवंबर 2011

तिल के तेल का ये अनोखा फार्मूला कर देगा मुहांसों को जड़ से साफ

किशोरवस्था की समाप्ति और युवावस्था के आरंभ में कुछ युवक और युवतियों के चेहरे पर निकलने वाले मुहांसों पीडि़त हो जाते हैं। मुहांसों से कष्ट तो होता ही है, चेहरे भी भद्दा दिखाई देता है। जिनको मुहांसे निकलते हों उन्हें अपने खाने में गर्म प्रकृति पदार्थ, तले हुए, तेज मिर्च मसाले वाले, खट्टे तीखे पदार्थों को शामिल नहीं करना चाहिए। दोनों वक्त, सुबह उठने के बाद और रात को सोने से पहले पेट साफ होना आवश्यक है। भोजन करते समय कौर 32 बार चबाना चाहिए। इतना करते हुए, मुहांसे ठीक करने के लिए, निम्रलिखित दवाई का सेवन करना चाहिए। 

सामग्री-पलाश के फूल, लाल चंदन, लाख, मजीठ, मुलहठी, कुसुम, खस, पदमाख, नील, कमल,बड़ की जटा, पाकड़ की मूल, कमल केशर, मेंहदी, हल्दी, दारुहल्दी और अनन्तमूल-सभी 16 द्रव्य 50-50 ग्राम। तिल का तैल 200 ml बकरी का दूध 200ml और पानी 3 लीटर। 

कैसे बनाएं-सब द्रव्यों को खूब कूट पीस कर महीन कपड़ छन चूर्ण कर लें। फिर तीन लीटर पानी में इन्हें इतनी देर तक उबालें कि पानी एक चौथाई बचे। इसे छान लें। अलग से केशर, मजीठ, मुलहठी, लाख व पतंग 10-10ग्राम ले कर लुगदी बनाकर इसमें डाल दें। फिर तैल व बकरी का दूध डाल कर मंदी आंच पर पकाएं। जब पानी व दूध जल जाए, सिर्फ तैल बचे, तब उतार कर ठंड कर लें और छान कर बाटल में भर लें। 

 मात्रा और सेवन विधि- अनामिका अंगुली से तैल मुहांसों पर लगा कर चेहरे को मलना चाहिए। एक बार सुबह स्नान करने से आधा घंटा पहले और दूसरी बार रात को सोने से आधा घंटा पहले इस तैल लगा कर मसाज करें। 

 लाभ-लगातार यह प्रयोग करने से मुहांसे तो ठीक होते ही हैं, साथ ही चेहरे की त्वचा उजली, कांतिपूर्ण और चिकनी होने से चेहरा चमकने लगता है। जिनका सुबह पेट साफ न होता हो वे शाम को सोने से पहले वैद्य पटनाकर काढ़ा, एक चम्मच थोड़े से पानी में मिला कर पी लिया। एक चम्मच से असर  हो तो दो चम्मच काढ़ा लिया करें। काढ़े की मात्रा ज्यादा हो जाने पर सुबह दस्त पतला होगा। ऐसे में काढ़े की मात्रा कम कर लें। तीन-चार दिन में काढ़े की मात्रा घटा और बढ़ाकर अपने अनुकूल मात्रा निश्चित कर लें। अनुकूल मात्रा में ही इस काढ़े का सेवन करें। इस पूरे प्रयोग से एक दो माह में मुहांसे गायब हो जाएंगे।

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