रविवार, 1 अप्रैल 2012

गोरा होना हो तो दूध को ऐसे लगाएं चेहरे पर

जिस अनुपात में आधुनिक सुख-सुविधाएं बढ़ रही हैं, उससे अधिक तेजी से वातावरण प्रदूषण बढ़ रहा है। दिनभर दौड़ते वाहनों से निकलने वाला धुआं वातावरण को तो नुकसान पहुंचा रहा है साथ ही हमारी त्वचा के लिए भी यह हानिकारक है। इसके साथ धूल-मिट्टी भी स्कीन पर बुरा असर डालती है। ऐसे ही बुरे प्रभावों से स्वयं की त्वचा को बचाने के लिए दूध काफी मददगार सिद्ध होता है। जानिए दूध के खास उपाय जिनसे आपकी त्वचा लंबे समय चमकदार और जवान रहेगी-

- प्रतिदिन सुबह या शाम को दूध की मलाई में हल्दी मिलाकर चेहरे पर लगाएं। फिर थोड़ी देर बाद पानी से धो लें। इससे जल्द ही आपके चेहरे पर निखार आ जाएगा।

- गुलाबजल और कच्चा दूध मिलाकर चेहरे पर लगाएं। त्वचा चमक जाएगी।

- यदि आपके पास पर्याप्त समय हो तो रात के समय काजू को दूध में भिगोकर रख दें। इसके बाद सुबह इन काजू को पीस लें और मुलतानी मिट्टी मिलाएं। इस तरह दूध में भीगे हुए काजू और मुलतानी मिट्टी का पेस्ट बन जाएगा। इस पेस्ट में नींबू की कुछ बूंदे डाल लें। अब इसे चेहरे पर, हाथों और पैरों पर लगाएं। कुछ देर बाद पानी से धो लें। आपकी त्वचा एकदम निखर जाएगी।

- यदि आपकी त्वचा खुश्क है तो थोड़ी सी दूध की मलाई लें उसमें शहद मिलाकर त्वचा पर लगाएं, इससे त्वचा की खुश्की  समाप्त हो जाएगी। 

जानिए स्ट्रेस और डिप्रेशन में आपको क्या खाना चाहिए

आजकल अधिकांश लोगों के साथ समस्या रहती है असंतुलित खान-पान की। खाने-पीने के संबंध में यदि सावधानी नहीं रखी जाती है तो तुरंत इसके बुरे प्रभाव सामने आ जाते हैं। तेजी से बदलते खान-पान में ऐसी चीजों को छोड़ देना चाहिए जो आपकी सेहत के लिए ठीक नहीं हैं।

इस दौर में आपको क्या खाना चाहिए और क्या नहीं, जानिए...

यदि आप तनाव के कारण परेशान हैं तो ध्यान रखें ये बात कि स्ट्रेस से दिमाग ऑक्सीडेटिव डैमेज के प्रति संवेदनशील हो जाता है। यानी कोशिकाओं को मिलने वाली ऑक्सीजन की मात्रा प्रभावित होने लगती है। आगे चल कर इसका प्रभाव मस्तिष्क की कार्यप्रणाली पर पड़ता है। ऐसे में एंटी-ऑक्सीडेंट्स से भरपूर खान-पान अपनाने से न सिर्फ मस्तिष्क बल्कि किडनी, लीवर और दिल को भी सेहतमंद बनाए रखा जा सकता है। इसके लिए दिन भर में तीन से पांच छोटे बाउल ताजे फलों का सेवन करें। फल विटामिन सी, केरोटिनायड्स और फाइबर से भरपूर होते हैं। ये कोशिकाओं को पोषण दे, उन्हें क्षतिग्रस्त होने से बचाते हैं। इसके साथ ही ज्यादा कॉफी या चाय पीने से बचें। कैफीन की ज्यादा मात्रा से तनाव में वृद्धि होती है। शाम को तो इनके सेवन से जरूर बचें, क्योंकि कैफीन का असर नींद पर पड़ता है।

 जो लोग डिप्रेशन का सामना कर रहे हैं वे दिनभर में सात अखरोट खाएं। ये ओमेगा 3 फैटी एसिड से भरपूर होते हैं, जो दिमाग के न्यूरोट्रांसमीटर पर असर छोड़ते हैं। इसके अलावा अगर डिप्रेशन ज्यादा रहता है तो कम वसा वाले डेयरी उत्पाद, मेवे और साबुत अनाज का सेवन करें। इनमें सेलेनियम अच्छी मात्रा में होता है, जो निराशा कम करने में मददगार है। इसके साथ ही विटामिन बी3 से भरपूर बीन स्प्राउट और ब्रोकोली, केले का सेवन करें। इनमें विटामिन सी और ए भी होता है, जो निराशा कम करने में मददगार है। सेब, बादाम और गाजर का सेवन करें, इनमें प्राकृतिक एंटीडिप्रेसेंट फिनेलिथैलेलाइन होता है। 

घरेलु टिप्स- चिलचिलाती धूप में भी चेहरे पर नहीं पड़ेंगे दाग, धब्बे

गर्मी का मौसम शुरू हो गया है, इस मौसम में अधिकांश लोगों को त्वचा संबंधी कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है। तेज धूप त्वचा को झुलसा देती है, चेहरा काला पड़ जाता है और चमक गायब हो जाती है। इस मौसम में बेफिक्र रहना हो और चिलचिलाती धूप को बेअसर करना हो तो अपनाइएं ये घरेलु नुस्खे-

इस मौसम में पसीना अधिक आता है जिससे शरीर में पानी की कमी हो जाती है, इससे निपटने के लिए पर्याप्त पानी पीएं। पर्याप्त मात्रा में पानी से आपकी त्वचा चमकदार बनी रहेगी।

पेट का हाजमा ठीक न हो तो चेहरे पर कील-मुंहासे हो सकते हैं। ऐसे में प्रतिदिन सुबह-सुबह कुनकुने पानी में शहद की कुछ बूंदे डालकर पीएं। इससे कील-मुंहासे की समस्या समाप्त हो जाएगी।

बार-बार ठंडे पानी से चेहरा धोते रहें। साबुन या फेसवॉश का प्रयोग कम से कम ही करें।

यदि आपके चेहरे पर दाग-धब्बे पड़ गए हैं तो नींबू के छिलके पर थोड़ी सी शकर डालें और फिर छिलके को दाग-धब्बे वाले स्थान पर धीरे-धीरे रगड़ें।

चेहरे की गंदगी और धूल-मिट्टी साफ करने के लिए टमाटर के टुकड़े चेहरे पर धीरे-धीरे रगड़ें। 

गर्मी में ध्यान रखें ये 6 बातें, स्वस्थ रहेंगे और मस्त रहेंगे

गर्मी के मौसम की सबसे बड़ी समस्या है धूप और पसीना। धूप और पसीने के कारण ही त्वचा संबंधी कई बीमारियां होती हैं। इसके साथ गर्मी के दिनों में पेट संबंधी रोग भी काफी लोगों को सताते हैं। इस मौसम में अपनाएं ये पांच बातें तो आप गर्मी में भी रहेंगे स्वस्थ-

- हमें गर्मी के दिनों में सर्वाधिक ध्यान खान-पान की ओर देना चाहिए। इस दौरान अधिक से अधिक ठंडी चीजें खाना-पीना चाहिए। ठंडी चीजें जैसे फलों को रस, मट्ठा, दही, लस्सी आदि।

- धूप में यदि कहीं बाहर जाना हो तो चेहरे की त्वचा को सूती कपड़े से ढंक लेना चाहिए। इससे धूप में आपकी त्वचा झुलसने का खतरा नहीं रहेगा।

- संभव हो तो दिन में कम से कम तीन बार अवश्य नहाएं। इससे आपकी ताजगी हमेशा बनी रहेगी।

- समय-समय पर चेहरा साफ और ठंडे पानी से धोते रहें। साबुन का उपयोग कम से कम करें।

- बाहर की चीजें न खाएं। अधिक से अधिक फलों का सेवन करें।

- गर्मी के दिनों सूती और हल्के रंगों के कपड़े पहनना चाहिए।

शुक्रवार, 30 मार्च 2012

असरदार इलाज: पाइल्स से रिलीफ के लिए ऐसे उपयोग करें अनार का छिलका

अनार एक ऐसा फल है जो खट्टा-मीठा और स्वाद से भरपूर होने के साथ ही अनार स्वरतंत्र, फेफड़े, यकृत, दिल, आमाशय तथा आंतों के रोगों पर बहुत फायदेमंद है। अनार में एंटीऑक्सिडेंट, एंटीवायरल और एंटी-ट्यूमर जैसे तत्व पाये जाते हैं। अनार विटामिन्स का एक अच्छा स्रोत है। इसमें विटामिन ए, सी और ई भरपूर मात्रा में पाया जाता है।

अनार दिल के रोगों से लेकर पेट की गड़बड़ी और मधुमेह जैसे रोगों में फायदेमंद होता है। अनार का छिलका, छाल और पत्तियों को लेने से पेट दर्द में राहत मिलती है। पाचन तंत्र के सभी समस्याओं के निदान में अनार कारगर है। अनार की पत्तियों की चाय बनाकर पीने से पाचन संबंधी समस्याओं में भी बहुत आराम मिलता है। दस्त और कॉलरा जैसी बीमारियों में अनार का जूस पीने से राहत मिलती है। मधुमेह के रोगियों को अनार खाने की सलाह दी जाती है इससे कॉरोनरी रोगों का खतरा कम होता है।

अनार में लोहा की भरपूर मात्रा होती है, जो रक्त में आयरन की कमी को पूरा करता है। सूखे अनार के छिलकों का चूर्ण दिन में 2-3 बार एक-एक चम्मच ताजा पानी के साथ लेने से बार-बार पेशाब आने की समस्या ठीक हो जाती है। अनार के छिलकों को पानी में उबालकर, उससे कुल्ला करने से सांस की बदबू समाप्त हो जाती है। अनार के छिलकों के चूर्ण का सुबह-शाम एक-एक चम्मच सेवन करें या अनार के छिलकों को पानी में भिगो दें। फिर छिलकों को पानी से हटा दें जब भी प्यास लगे, इस पानी को पीने से बवासीर ठीक हो जाता है। खांसी में अनार के छिलके को मुंह में रखकर उसे धीरे धीरे चूसना शुरू कर दें।

दमदार नुस्खा...खून और कैल्सियम की कमी का नेचुरल इलाज

विश्व का सबसे मीठा फल अंजीर स्वाद में जितना मीठा और स्वादिष्ट है। शरीर के लिए भी उतना ही लाभदायक है।कैल्सियम, रेशों व विटामिन ए, बी, सी से युक्त होता है और एक अंजीर में लगभग 30 कैलोरी होती हैं। अंजीर में एंटीऑक्सीडेंट तत्व प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं, जो संक्रमण और रोग से लडऩे की क्षमता को बढ़ाते हैं।  इसमें कैल्सियम और लौह तत्व प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। यह दिमाग को शांत रखता है और शरीर को आराम देता है। डायबिटीज में अंजीर बहुत उपयोगी होता है। अंजीर में आयरन और कैल्सियम प्रचुर मात्रा में पाए जाने के कारण यह एनीमिया में लाभप्रद होता है।

 अंजीर में विटामिन्स ए, बी1, बी2, कैल्सियम, आयरन, फास्फोरस, मैगनीज, सोडियम, पोटैशियम और क्लोरीन पाया जाता है। इसका सेवन करने से डायबिटीज, सर्दी-जुकाम, अस्थमा और अपच जैसी तमाम व्याधियां दूर हो जाती हैं। घरेलू उपचार में ऐसा माना जाता है कि स्थाई रुप से रहने वाली कब्ज अंजीर खाने से दूर हो जाती है। जुकाम, फेफड़े के रोगों में पांच अंजीर पानी में उबाल कर छानकर यह पानी सुबह-शाम पीना चाहिए। दमा जिसमे कफ (बलगम) निकलता हो उसमें अंजीर खाना लाभकारी है इससे कफ  बाहर आ जाता है। सूखे अंजीर को उबालकर अच्छी तरह पीसकर गले की सूजन या गांठ पर बांधा जाए तो शीघ्र ही लाभ होता है।

साधारण कब्ज की अवस्था में गरम दूध में सूखे अंजीर उबालकर सेवन करने से प्रात:काल दस्त साफ आता है। ताजे अंजीर खाकर ऊपर से दूध पीना बहुत शक्ति देने वाले होते हैं।खून की खराबी में सूखे अंजीर को दूध एवं मिश्री के साथ लगातार एक सप्ताह सेवन करने से खून के विकार नष्ट हो जाते हैं। मधुमेह रोग में अन्य फलों की तुलना में अंजीर का सेवन विशेष लाभकारी होता है। अंजीर को अधिक मात्रा में सेवन करना उपयोगी होता है।अस्थमा की बीमारी में सुबह सूखे अंजीर का सेवन अच्छा माना गया है। टी.बी. के मरीज को ताजे अंजीर खाना फायदेमंद है।श्वेत प्रदर में भी इसका उपयोग गुणकारी है।

खूबसूरत और मजबूत मुस्कान के लिए...तीन आयुर्वेदिक सूत्र

चेहरे की सुंदरता में सबसे पहले नयन और नक्क्ष यानी आंख व नाक की सुंदरता के बाद दांतों की बनावट को अहम् माना जाता है।  अगर अच्छे नयन नक्क्ष के साथ ही दांत साफ  व सफेद ओर मजबूत दांत किसी भी चेहरे की खूबसूरती में चार चांद लगा सकते हैं।

आयुर्वेद के 3 कीमती सूत्र:

1. आजकल के बच्चों के दांत सफ़ेद-सुन्दर नहीं होते क्योंकि टूथपेस्ट में डले हुए फ्लोराईड से दांत और हमारे शरीर की हड्डियां गलने, खराब होने लगती हैं। इस पर अनेक शोध हो चुके हैं। अत: पेस्ट के स्थान पर किसी आयुर्वेदिक या प्राकृतिक जड़ी-बूटियों से बने हुए मन्जन का प्रयोग करना चाहिये।

2. कभी-कभी अवसर मिलने पर नीम, बबूल, बिल्व आदि पेड़ों से प्राप्त दांतुन भी करते रहना चाहिये।

3. मल-मूत्र त्याग के समय दांत दबाकर बैठें और बाद में कुल्ला कर लें। इससे भी दांत मजबूत बनते हैं। असल में मल-मूत्र त्याग के समय हमारे दांतों की जडों में कुछ तेजाबी पदार्थ एकत्रित होकर उनकी जडों को कमजोर बना देते हैं। कुल्ला करने से ये तेजाबी तत्व निकल जाते हैं। हमारे पूर्वज तभी तो मल-मूत्र त्याग के बाद सदा कुल्ला किया करते थे।

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