गुरुवार, 12 अप्रैल 2012

चलते-फिरते इन छोटे-छोटे उपायों को आजमाएं और खूबसूरत बन जाएं

कहते हैं फस्ट इम्प्रेशन इज द लास्ट इम्प्रेशन। किसी भी व्यक्ति पर फस्ट इम्प्रेशन तो चेहरे की रंगत तथा हाव-भाव का ही पड़ता है। पहली नजर में ही अपने व्यक्तित्व की अमिट छाप यदि किसी पर छोडऩा हो तो नीचे दिये उपायों को अपनाकर चेहरे पहले ज्यादा प्रभाशाली बनाया जा सकता है....नीचे दिये गए छोटे व सरल उपायों से त्वचा की चमक को बढ़ाया और लंबे समय तक टिका-कर रखा जा सकता है....



1. चेहरे पर कुदरती चमक लाने के लिये शुद्ध प्राकृतिक ग्वारपाठा यानी ऐलोविरा का ज्यूस हथेलियों पर लेकर चेहरे पर मसाज करते हुए लगाएं। और सूख जाने पर चेहरे को साफ गुनगुने पानी से धो लें। 7 दिनों के भीतर ही आप बदलाव देखकर दंग रह जाएंगे।



एक अन्य प्रयोग में दो चम्मच बेसन, हल्दी पावडर, गुलाब जल व शहद मिलाकर लेप बनाएं। इसे चेहरे व हाथ-पैरों और गर्दन पर लगाएं व 10 मिनट बाद  धो लें। इससे त्वचा निखर जाएगी।



2.  कच्चे दूध में हल्दी डालकर पेस्ट बनाएं। इसे चेहरे और हाथ-पैरों पर लगाएं। 10 मिनट बाद धो लें। त्वचा निखर उठेगी।



3.  होठों को सुंदर और मुलायम बनाए रखने के लिए रात को सोते समय दूध की मलाई लगाएं, सुबह ठंडे पानी से धो लें।



4.  आंखों में जलन व काले घेरों को कम करने के लिए रात को सोते समय आंखों पर ठंडे दूध में रुई भिगोकर रखें।



5.  8-10 दिन में एक बार चेहरे को भाप अवश्य दें। इस पानी में पुदीना, तुलसी की पत्ती, नीबू का रस व नमक डालें। भाप लेने के बाद इसी गुनगुने पानी में 5 मिनट के लिए हाथों को रखें। हाथ की त्वचा निखर जाएगी।

असरदार दवा: ऐसे बनाकर खाएं तो जल्द ही मिलेगा बच्चों का सुख

कई बार महंगा से महंगा इलाज करवाने  के बाद भी कुछ दंपति माता-पिता बनने का सुख नहीं उठा पाते। इस समस्या के कई कारण हो सकते हैं। ऐसे में हमारे ऋषि-मुनियों द्वारा आजमाएं हुए सौ-प्रतिशत कारगर नुस्खे ही एक मात्र उम्मीद होते हैं। वाकई में ये नुस्खे काम भी करते हैं। इन्हें आयुर्वेद की भाषा में रासायन कहा जाता है। ऐसा ही एक योग है अमृत संजीवनी रासायन योग जिसे घर पर ही बनाया जा सकता है। इसे खाने से नि:संतान लोगों को संतान हो जाती है। साथ ही इसके सेवन से कई लाइलाज बीमारियों का इलाज भी संभव है।

बनाने की विधि और सामग्री - अमृता, खस, नीम की छाल, मछेली, अडूसा, गोबर मुदपर्णी, सेमल, मूसली, शतावर, सभी को अलग-अलग कर  एक किलो लेकर कुट करके आठ गुने पानी में पकाएं। जब पानी 4 भाग शेष रह जाएं। तब एक किलो गुड़ (बिना मसाले का) अडूसा, शतावरी, आंवला, मछेली का कल्क प्रत्येक 160-160 ग्राम-काली गाय के घी में धीमी आंच पर पकाएं।

घी मात्र जब शेष रह जाए तो छानकर खस, चंदन, त्रिजातक, त्रिकुटा, त्रिफला, त्रिकेशर ( नागकेशर, कमल केशर) वंश लोचन, चोरक, सफेद मुसली, असगंध, पाषाण भेद, धनिया, अडूसा, अनारदाना, खजूर, मुलैठी, दाख, निलोफर, कपूर, शीलाजीत, गंधक सभी दस-दस ग्राम लेकर कपड़छन करके  उपरोक्त घी में मिला दें।

मात्रा-सुबह खाली पेट 10 ग्राम घी गौ- दूध में डालकर सेवन करें और एक घंटे तक कुछ भी ना खाएं।

गुण-सभी प्रकार के कैंसर में प्रथम व द्वितीय अवस्था तक के अलग-अलग अनुपान से, पुराना गठिया, घुटनो में सुजन व दर्द, साइटिका, अमाशय में पितरोग, नामर्दी, शुक्राणु का अभाव, शीघ्र पतन, पागलपन, अवसाद, बिगड़ी हुई खांसी, गलगंड, पीलिया, वात रोग, रक्तरोग, रसायन, वाजीकरण, श्वास रोग, गले के रोग, हृदय रोग, पिताशय की पथरी में लाभकारी। जो स्त्री रजोदोष से पीडि़त हो, जिस स्त्री के रजनोप्रवृति प्रारंभ ही न हुई हो, जो कष्ट पीडि़त हो तथा जिन स्त्रियों को बार-बार संतान होकर मर जाती हो, उन सभी को राहत मिलेगी। मासिक धर्म शुरू होकर बीच में ही बंद हो गया हो और अनेकों औषधी व मंत्रों के प्रयोग से संतान उत्पन्न न हुई हो उन्हें निश्चित ही संतान होगी।

मोटापा घटाने के लिए इसे खाएं इस तरह

अंगूर में ग्लूकोज और डेक्स्ट्रोज पाए जाते है, जो शरीर के अंदर ऊर्जा उत्पन्न करते हैं। शरीर को अच्छी मात्रा में फाइबर उपलब्ध कराते हैं और सुपाच्य होते हैं। कुछ नए शोधों से पता चला है कि अंगूर, विशेषकर काले अंगूर दिल से संबंधित रोगों को रोकने में सहायक होता है। 

अंगूर में ऐसा पदार्थ भी पाया जाता है जो कि शरीर के विषाक्त द्रव्यों को शरीर से बाहर वमन और मूत्र के रूप में निकाल देता है। इसके लिए कई लोग अंगूर कल्प या फलाहार में सिर्फ अंगूर कल्प या फलाहार में अंगूर का सेवन करते हैं, जिससे शरीर की शुद्धि होती है। अंगूर कल्प 100 ग्राम अंगूर से शुरू करें। जब भी भूख लगे, सिर्फ अंगूर का ही सेवन करें। हर तीसरे दिन 100+100 = 200 ग्राम मात्रा बढ़ा लें। जब-जब भूख हो, 100-100 ग्राम की मात्रा में इसे खाएं। 

फिर तीसरे दिन 200-200 ग्राम फिर 3 दिन तीन-तीन सौ ग्राम, फिर एक माह तक 500 ग्राम तक आ जाएं। फिर इसी क्रम में 100-100 ग्राम मात्रा में घटाते जाएं। बीच में अन्न न लें।यह क्रिया मोटापा भी घटाती है और शरीर की विषाक्तता को नष्ट कर मूत्र के रूप में बाहर निकलती है। यदि शरीर पर बुखार या पित्त का असर हो तो घबराएं नहीं इस क्रिया को 2-3 दिन रोककर जब आराम आ जाए तो दोबारा शुरू कर लें। इस बीच आप अन्य फल या हल्का आहार लें।

मंगलवार, 10 अप्रैल 2012

अमरबेल के खास नुस्खे: दांत और चेहरा दोनों हो जाएंगे चिकने और चमकदार

अमरबेल में कई ऐसे दिव्य गुण पाए जाते हैं जिनसे रोगों का आसानी से घरेलू उपचार किया जा सकता है। ग्रामीण अंचलो में सरलता से पाए जाने वाले इस पौधे की कई विशेषताए हैं। साथ ही कई रोगों के उपचार में भी इसका प्रयोग किया जाता है।

कैसे पहचाने- अमरबेल बिना जड़ का पीले रंग का परजीवी पौधा है। यह पेड़ों के ऊपर अपने आप उग आती है। बिना जड़ के पौधों पर ऊपर की ओर चढ़ता है। इसमें गुच्छों में सफेद फूल लगे होते हैं।

उपयोग-  कैसी भी खुजली हो, अमरबेल पीसकर उस पर लेप करने से खुजली खत्म हो जाती है। 

- पेट फूलने एवं आफरा होने पर इसके बीज जल में उबालकर पीस लें। इसका गाढ़ा लेप पेट पर लगाने से आफरा और उदर की पीड़ा खत्म होती है।

- खून की खराबी होने पर कोमल ताजी फलियों के साथ तुलसी की चार-पांच पत्तियां चबा-चबाकर चूसना चाहिए।

- इसके पत्तों का रस पीने से मूत्र संबंधी विकार दूर होते हैं। 

- अमरबेल के फूलों का गुलकंद बनाकर खाने से याददाश्त में वृद्धि होती है।

- अमरबेल को पानी में उबालकर उससे सूजन वाली जगह की सिकाई करें। कुछ दिनों तक इसका इस्तेमाल करने पर सूजन कम हो जाती है।

- इसके पत्तों का रस में सादा नमक मिलाकर दांतों पर मलने से दांत चमकीले होते हैं।

- अमरबेल की टहनी का दूध चेहरे पर लगाने से गजब का निखार आता है।

- यह प्रयोग करने से महावारी नियमित होती है। 

- अमरबेल के चूर्ण को सोंठ और घी मिलाकर लेप करने से पुराना घाव भरता है या इसके बीजो को पीसकर पुराने घाव पर लेप करें, इससे घाव ठीक हो जाता है।

तेज तर्रार याददाश्त चाहिए??..तो गर्मी में बनाकर खाएं ये स्पेशल टॉनिक

वीक मेमोरी या कमजोर याददाश्त एक ऐसी बीमारी है। जिसमें इंसान कही हुई बात या याद हुई चीज को तुरंत भूल जाता है। भूलने वाले लोगों के लिए यह बहुत अधिक परेशानियों का कारण है, इसके लिए एक आयुर्वेदिक नुस्खा यहां दिया जा रहा है, जो स्मरण शक्ति बढ़ाता है।

- सामग्री- ब्राह्मी, मुलहठी, गिलोय, शंखाहूली सभी 50-50 ग्राम लें।

 निर्माण विधि- सभी द्रव्यों को कूट पीसकर कपड़े से छानकर चूर्ण बना लें। फिर इसमें सोने का अर्क या भस्म 3 ग्राम मिलाकर खरल में घोटाई करें। जिससे स्वर्णभस्म अच्छी तरह मिल जाए, उसके बाद एक बोतल में सुरक्षित रख लें।

सेवन विधि - उम्र के अनुसार इस चूर्ण को आधा ग्राम से दो ग्राम की मात्रा में लेकर घी और शहद (विषम मात्रा में) मिलाकर खाएं, घी कम और शहद ज्यादा मात्रा में लेना चाहिए। कुछ दिनों तक इसके सेवन से स्मरणशक्ति और बुद्धि तीव्र होती है तथा भूलने की आदत से छुटकारा मिल जाता है।

सोमवार, 9 अप्रैल 2012

आसान तरीका: बिना दवा के करें पेट से जुड़ी हर बीमारी का इलाज

 भागदौड़ से भरी जिंदगी के कारण सही समय पर न खाना या असंयमित भोजन से यह समस्या कई लोगों के साथ होती है। इससे निपटने के लिए प्रतिदिन उदर शयनासन करना श्रेष्ठ उपाय है क्योंकि ये आसन पेट से जुड़ी लगभग हर समस्या का बिना दवा के इलाज कर देता है।

उदर शयनासन की विधि

सामान्यत: इस आसन की दो विधियां हैं। किसी सुविधाजनक स्थान पर कंबल या दरी बिछाकर पेट के बल लेट जाएं। पांवों के पंजों को परस्पर मिलाकर रखें। हाथों को कोहनियों से मोड़कर, सिर के पिछले हिस्से में इधर-उधर लगा लें। दो-दो मिनिट तक इस क्रिया को 4-5 बार अवश्य करें। दूसरी स्थिति में पहले की तरह पेट के बल लेट जाएं। पंजों को साथ-साथ मिला लें और दोनों हाथों को भी सिर के इधर-उधर से निकाल कर, पैरों की तरह सीधे तान लें। पैरों के पंजों और हाथों की हथेलियों को जमीन पर स्पर्श कराएं।



आसन के लाभ

इस आसन के नियमित अभ्यास से पेट संबंधी कई छोटी-छोटी बीमारियां तो हमेशा दूर रहती हैं साथ ही कब्ज, एसीडिटी की समस्या कभी नहीं होती। इस आसन से अत्यधिक कार्य के बाद महसूस होने वाली थकान भी समाप्त हो जाती है। यह आसन सभी स्त्री और पुरुषों के लिए लाभदायक है। इससे सिर, छाती और पेट संबंधी विकार नष्ट हो जाते हैं।

चुटकीभर हल्दी का देसी नुस्खा: ये हर तरह के जाइंट पेन को ठीक कर देगा


खान-पान और प्रदूषण के दुष्प्रभाव के कारण आजकल किसी भी उम्र में जोड़ों का दर्द होना एक आम समस्या है। असल में हमारा शरीर इस प्रकृति का ही एक हिस्सा है। इसलिये शरीर से जुड़ी समस्याओं का समाधान भी हमें प्रकृति की गोद में ही मिल सकता है। आइये हम बताते हैं कि आप कैसे नेचुरल देसी तरीकों से जोड़ों के दर्द  से छुटकारा पा सकते हैं....
- सरसों के तेल में चुटकीभर हल्दी मिलाकर धीमी आंच पर गर्म कर लें। इस तेल के ठंडा होने पर शरीर के सभी जोड़ों पर  इसकी हल्की मसाज करें। सुबह की नर्म धूप में यह प्रयोग करने पर सीघ्र लाभ मिलता है। मसाज के बाद शरीर को तत्काल ढक लें हवा न लगने दें अन्यथा लाभ की बजाय हानि भी हो सकती है।
- अजवाइन को तवे के ऊपर थोड़ी धीमी आंच पर सेंक लें तथा ठंडा होने पर धीरे-धीरे चबाते हुए निगल जाएं। लगातार 7 दिनों तक यह प्रयोग किया जाए तो आठवे दिन से  ही जोड़ों के दर्द या कमर दर्द में 100 फीसदी लाभ होता है।
- जहां दर्द होता होता है हो वहां 5 मिनट तक गरम सेंक करें और दो मिनट ठंडा सेंक देने से तत्काल लाभ पहुंचता है।

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