मंगलवार, 17 अप्रैल 2012

इस तरीके से खाएं सौंफ तो आंखें कमजोरी नहीं होंगी, सुंदर हो जाएंगी

आंखें भगवान का दिया अनमोल तोहफा है। साथ ही आंखें हमारे शरीर का सबसे कोमल और संवेदनशील अंग भी हैं। जिसमें छोटी-सी परेशानी जिंदगी भर की तकलीफ बन सकती है। अधिकांश लोग आंखों की छोटी-छोटी प्रॉब्लम्स जैसे आंखों की कमजोरी जैसे आंखों में से पानी आना, आंखों में जलन, लाल होना,आंखों में जाले आना, आंख का चिपकना, आंख की पलकों पर सूजन आना आदि परेशानियों को अनदेखा करते हैं। 

आगे चलकर ये लापरवाही ज्यादा परेशानी देने वाली साबित हो सकती है। इसीलिए रोजाना सुबह-शाम मुंह में पानी भरकर आंखों पर खूब पानी छिड़के। पर्याप्त नींद लें व साथ ही नीचे लिखे आयुर्वेदिक नुस्खें को भी अपनाएं।



नुस्खा-बादाम गिरी और सौंफ 100-100 ग्राम लें। सौंफ  का महीन चूर्ण करें, इसमें बादाम गिरी को खूब महीन कतरकर तथा सौंफ  के उक्त चूर्ण के साथ खूब अच्छी तरह पीसकर रखें।  रोज रात इस मिश्रण को 10-10 ग्राम मात्रा में मुख में रखकर धीरे-धीरे खाकर सो जाएं, इसके ऊपर पानी या दूध नहीं पीना है।

शर्तिया नुस्खा: ग्लिसरीन बालों में ऐसे लगाएं,फिर देखें डेंड्रफ गायब हो जाएगी


आयुर्वेद के अनुसार वात,कफ, पित्त इन तीनों में से किसी एक भी तत्व के घटने या बढऩे पर शरीर में बीमारियां हो सकती है। वात संबंधी दोषों के कारण भी डेंड्रफ हो जाती है। इसकी वजह से सिर में खुजली रहती है और बाल गिरने लगते हैं। शैंपू, तेल आदि से डेंड्रफ  तब तक ही दूर रहती है जब तक कि उन उत्पादकों का उपयोग किया जाता है लेकिन इनका उपयोग बंद करने के बाद डेंड्रफ वापस हो जाती है। इससे निजात पाने की घरेलू टिप्स-



- ग्लिसरीन और गुलाब जल का एक तीन के अनुपात में मिश्रण बना कर एक शीशी में रख लें। नहाने के बाद रोज थोड़ा हथेली पर लेकर बालों की जड़ों में उंगलियों की मदद से लगाएं। इससे डेंड्रफ से राहत मिल जाती है।



- नारियल के तेल में कपूर मिलाएं और यह तेल अच्छी तरह बालों में तथा सिर पर लगाएं। कुछ ही दिनों डेंड्रफ की समस्या से राहत मिलेगी।
- नींबू के रस को बालों में लगाएं। कुछ समय बाद सिर धो लें।



- नींबू का रस नारियल के तेल में मिलाकर लगाएं।



- दही से सिर धोएं, इससे भी डेंड्रफ  से निजात मिलेगी।

योगा फंडा: गर्मियों में रहेंगे कूल, बीमारियां और लू रहेंगी कोसो दूर


गर्मियों की शुरुआत हो चुकी है। बारिश और ठंड की बजाय गर्मियों का सीजन सभी के लिये ज्यादा कठिन होती है। गर्मी की तपन और चुभन व लू से होने वाली बीमारियों से बचने के लिए योग सबसे अच्छा उपाय हैं। ऐसी ही एक योगिक क्रिया है शीतली प्राणायाम। शीतली एक ऐसी क्रिया है, जिसे करने में मात्र 5 से 7 मिनिट लगते हैं तथा इसके करने से गर्मी में भारी राहत मिलती है। यह क्रिया है-शीतली प्राणायाम। आइये देखें इस योगिक क्रिया को कैसे किया जाता है-

शीतली प्राणायाम: पद्मासन में बैठकर दोनों हाथों से ज्ञान मुद्रा लगाएं। होठों को गोलाकार करते हुए जीभ को पाइप की आकृति में गोल बनाएं।

अब धीरे-धीरे गहरा लंबा सांस जीभ से खींचें। इसके बाद जीभ अंदर करके मुंह बंद करें और सांस को कुछ देर यथाशक्ति रोकें। फिर दोनों नासिकाओं से धीरे-धीरे सांस छोड़ें। इस क्रिया को 20 से 25 बार करें।

लाभ- शीतली प्राणायाम से लू लगना, एसिडिटी, आंखों और त्वचा के रोगों में तत्काल आराम मिलता है।

रविवार, 15 अप्रैल 2012

छोटा सा नुस्खा: मिर्च को ऐसे लगाने से फुंसी जल्दी से बैठ जाती है!

काली मिर्च एक ऐसा मसाला है जो स्वाद के साथ ही औषधिय गुणों से भी भरपूर है। इसे सलाद, कटे फल या दाल शाक पर बुरक कर उपयोग लिया जाता है। इसका उपयोग घरेलु इलाज में भी किया जा सकता है। आज हम आपको बताने जा रहे हैं कालीमिर्च के कुछ ऐसे ही रामबाण प्रयोग।



- त्वचा पर कहीं भी फुंसी उठने पर, काली मिर्च पानी के साथ पत्थर पर घिस कर अनामिका अंगुली से सिर्फ फुंसी पर लगाने से फुंसी बैठ जाती है।



- काली मिर्च को सुई से छेद कर दीये की लौ से जलाएं। जब धुआं उठे तो इस धुएं को नाक से अंदर खीच लें। इस प्रयोग से सिर दर्द ठीक हो जाता है। हिचकी चलना भी बंद हो जाती है।



- काली मिर्च 20 ग्राम, जीरा 10 ग्राम और शक्कर या मिश्री 15 ग्राम कूट पीस कर मिला लें। इसे सुबह शाम पानी के साथ फंाक लें। बावासीर रोग में लाभ होता है।



- शहद में पिसी काली मिर्च मिलाकर दिन में तीन बार चाटने से खांसी बंद हो जाती है।



- आधा चम्मच पिसी काली मिर्च थोड़े से घी के साथ मिला कर रोजाना सुबह-शाम नियमित खाने से नेत्र ज्योति बढ़ती है।



- काली मिर्च 20 ग्राम, सोंठ पीपल, जीरा व सेंधा नमक सब 10-10 ग्राम मात्रा में पीस कर मिला लें। भोजन के बाद आधा चम्मच चूर्ण थोड़े से जल के साथ फांकने से मंदाग्रि दूर हो जाती है।



- चार-पांच दाने कालीमिर्च के साथ 15 दाने किशमिश चबाने से खांसी में लाभ होता है।



- कालीमिर्च सभी प्रकार के संक्रमण में लाभ देती है।



-  ब्लड प्रेशर लो रहता है, तो दिन में दो-तीन बार पांच दाने कालीमिर्च के साथ 21 दाने किशमिश का सेवन करें।



- बुखार में तुलसी, कालीमिर्च तथा गिलोय का काढ़ा लाभ करता है। 

गर्मियों में चीकू खाएं और बचें इन प्रॉब्लम्स से

गर्मियों में चीकू खाने से शरीर में विशेष प्रकार की ताजगी और फुर्ती आती है। इसमें शर्करा की मात्रा अधिक होती है। यह खून में घुलकर ताजगी देती है। चीकू खाने से आंतों की शक्ति बढती है और आंतें अधिक मजबूत होती हैं। चीकू की छाल बुखार नाशक होती है। इस छाल में टैनिन होता है। चीकू के फल में थोड़ी सी मात्रा में संपोटिन नामक तत्व रहता है। चीकू के बीज मृदुरेचक और मूत्रकारक माने जाते हैं। चीकू के बीज में सापोनीन एवं संपोटिनीन नामक कड़वा पदार्थ होता है। 

चीकू के फल में 71 प्रतिशत पानी, 1.5 प्रतिशत प्रोटीन, 1.5 प्रतिशत चर्बी और साढ़े पच्चीस प्रतिशत कार्बोहाइड्रेट है। इसमे विटामिन ए अच्छी मात्रा में तथा विटामिन सी कम मात्रा में है। चीकू के फल में 14 प्रतिशत शर्करा भी होती है। तथा इसमें फस्फोरस तथा लौह भी काफी मात्रा में होता है एवं क्षार का भी कुछ अंश होता है।

चीकू शीतल, पित्तनाशक, पौष्टिक, मीठे और रूचिकारक हैं। भोजन के बाद यदि चीकू का सेवन किया जाए तो यह निश्चित रूप से लाभ प्रदान करता है। चीकू हमारे ह्रदय और रक्तवाहिकाओं के लिए बहुत लाभदायक होता है। चीकू कब्ज और दस्त की बीमारी को ठीक करने बहुत सहायक होता है।चीकू खाने से के होने का खतरा कम होता है।

चीकू में होता है जो की फेफड़ो के कैंसर के होने के खतरे को कम करता है।चीकू एनिमिया होने से भी रोकता है।यह हृदय रोगों और गुर्दे के रोगों को भी होने से रोकता है।यह ऊर्जा का एक अच्छा स्त्रोत है, क्योंकि इसके गूदे में 14 प्रतिशत मात्रा शर्करा की होती है। इसमें पर्याप्त मात्रा में कैरोटिन और अल्प मात्रा में आयरन व विटामिन भी पाया जाता है। डायबिटीज के रोगी इसे न सेवन करें तो ठीक है।

ज्यूस थेरेपी: करें इन बड़ी बीमारियों का टेस्टी-टेस्टी इलाज ठंडक के साथ

आयुर्वेद के अनुसार ज्यूस पीकर भी कई बीमारियों को दूर भगाया जा सकता है। इसीलिए आयुर्वेद में ज्यूस को बहुत महत्व दिया गया है। प्राकृतिक चिकित्सा में भी रसाहार को विशेष स्थान प्राप्त है। इसमें अलग-अलग फलों और सब्जियों का रस दिया जाता है। करेला जामुन या लौकी के ज्यूस में स्वाद नहीं होता है लेकिन इनका ज्यूस पीने के बहुत फायदे हैं। आइए जानते हैं ज्यूस थेरेपी के कुछ स्पेशल राज जिनसे कर सकते हैं आप इन बीमारियों का इलाज....

खून की कमी- पालक के पत्तों का रस, मौसम्मी, अंगूर, सेब, टमाटर और गाजर का रस लिया जा सकता है। 

भूख की कमी- नींबू, टमाटर का रस लें।

फ्लू और बुखार- मौसम्मी, गाजर, संतरे का रस लेना चाहिए।

एसीडिटी- मौसम्मी, संतरा, नींबू, अनानास का रस लें।

कृमि रोगों में- लहसुन और मूली का रस पेट के कीड़ों को मार देता हैं।

 मुहांसों में- गाजर, तरबूज, और प्याज का रस लें।

पीलिया- गन्ने का रस, मौसम्मी और अंगूर का रस दिन में कई बार लेना चाहिए।

पथरी- खीरे का रस लें।

मधुमेह- इस रोग में गाजर, करेला, जामुन, टमाटर, पत्तागोभी  एवं पालक का रस लिया जा सकता है। 

अल्सर में- गाजर, अंगूर का रस ले सकते हैं। कच्चे नारियल का पानी भी अल्सर ठीक करता है। 

मासिकधर्म की पीड़ा में- अनानास का रस लें।

बदहजमी -अपच में नींबू का रस, अनानास का रस लें, आराम मिलेगा।

हाइब्लडप्रेशर- गाजर, संतरा, मौसम्मी का रस लें।

लो-ब्लडप्रेशर- अंगूर और सभी मीठे फलों का रस लिया जा सकता है।

इन पांच चीजों को ज्यादा खाएंगे तो कभी टॉनिक नहीं लेना पड़ेगा

 हमारी रोजाना कि खाने-पीने की चीजों में ऐसी कई चीजे होती हैं जो हमें ताकत देती हैं। लेकिन समस्या यह है कि अधिकतर लोगों को यह पता नहीं होता की कौन सा भोजन अधिक ताकत देता है, तो आइए आज हम आपको ऐसी पांच चीजों की जानकारी देते हैं जिन्हें आप अपने भोजन में शामिल करके ताकतवर बन सकते हैं।



अमरुद-अमरुद को दिन का हीरा कहते हैं क्योंकि दिल की बीमारियों को दूर रखने और कब्ज जैसी सामान्य समस्या को खत्म करने में इसका कोई जोड़ नही है। शुगर यानि मधुमेह की रोकथाम के लिए भी इस फल को औषधि की तरह इस्तेमाल किया जाता है।



हरी फूल गोभी- जन्म के साथ होने वाली बीमारियों से लडऩे में ये गोभी बेहद कारगर होती है। ये न सिर्फ  हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाती है बल्कि, हड्डियों को मजबूत करने की इसमें गजब की क्षमता होती है।

पालक- इसमें कई विटामिन एक साथ पाए जाते हैं। पालक में स्कीन और ब्रेस्ट कैंसर से लडऩे की सबसे ज्यादा ताकत होती है। मजे की बात है कि इसमें कोलेस्ट्राल बिल्कुल नही होता।

गाजर- रोगों से लडऩे की क्षमता बढ़ाने में गाजर का कोई मुकाबला नही है। एक कप कतरे हुए गाजर में 52 कैलोरी होती है इसके बावजूद इसमें कोलेस्ट्राल बिल्कुल नही होता। बच्चों के विकास में ये सबसे ज्यादा मददगार होता है। फेफड़े, स्कीन और मुंह के कैंसर से बचाने के लिए इसे रामबाण माना जाता है।

गोभी- शरीर में बनने वाले विषैलें पदार्थ को रोकने में इस गोभी की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। सब्जियों की किसी भी किस्म की तुलना में इसमें पौष्टिकता सबसे अधिक होती है।

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