रविवार, 11 अगस्त 2024
नौकरी पाने का यंत्र
शनिवार, 3 अगस्त 2024
Opens the blocked veins of the body from heel to head
एडी से चोटी तक शरीर की ब्लाक नसों को खोले –
ज़रूरी सामान
1gm दाल चीनी
10 gm काली मिर्च साबुत
10gm तेज पत्ता
10gm मगज
10 gm मिश्री डला
10 gm अखरोट गिरी
10gm अलसी
टोटल 61gm सभी सामान रसोई का ही है
बनाने की विधि
सभी को मिक्सी में पीस के बिलकुल पाउडर बना ले और 6gm की 10 पुड़िया बन जायेगी
एक पुड़िया हर रोज सुबह खाली पेट नवाये पानी से लेनी है और एक घंटे तक कुछ भी नही खाना है चाय पी सकते हो ऐड़ी से ले कर चोटी तक की कोई भी नस बन्द हो खुल जाएगी हार्ट पेसेंट भी ध्यान दे ये खुराक लेते रहो पूरी जिंदगी हार्टअटैक या लकवा से नही मरेगा गारंटीड।
(Must Read चाहे 90% हार्ट ब्लॉकेज (Heart Blockage) ही क्यों ना हो, ये अद्भुत उपाय पुरे शरीर के सभी ब्लॉकेज को बाहर निकाल फेकेगा )
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शुक्रवार, 26 जुलाई 2024
शारीरिक मानसिक समस्या से निजात दिलाता है यह पौधा
लेखक - नजूमी जी
हालांकि आधुनिक दौर में इन बातों का कोई मूल्य नहीं है परंतु फिर भी कई बार जिनकी शरीर की और आभामंडल कमजोर होती है और जब भी वह कभी नकारात्मक जगह से गुजरते हैं तो ऐसे समय में कुछ लोगों में कुछ शारीरक तथा मानसिक समस्याएं उत्पन्न होती हैं। उनमें से एक समस्या यह है कि शरीर का रक्तचाप या तो अत्यधिक धीमा हो जाना या फिर शरीर का रक्तचाप अत्यधिक उच्च हो जाना और तथा आंखों में लाली शरीर में कंपन और अत्यधिक तेज बुखार हालांकि यह अचानक से ही आता है और फिर चला जाता है दवाइयां ली जाती हैं परंतु फिर भी जैसे ही अचानक किसी प्रकार की नकारात्मक विचारों का अनुभव हो इस समय तुरंत तेज बुखार उठना है और इसे देसी गांव की बोली में भूतिया बुखार भी कह देते हैं यानी की दवाई इत्यादि बहुत करने के बाद भी अचानक से तेज बुखार उठ जाना चेहरे पर लाल लाल रंग के धब्बे तथा बेवजह मुंह से कुछ ना कुछ बोलने लग जाना जो की शरीर की समस्या के साथ-साथ ही मानसिक समस्या भी प्रतीत होती है यह एक प्रकार की नकारात्मक ऊर्जा का ही प्रभाव होता है।
इस पौधे को अपा मार्ग या फिर चिरचिटामूल कहते हैं और यह उत्तर भारत में लगभग हर जगह पर सड़क के किनारे देखने को मिल जाता है आयुर्वेद में कम से कम 20 बीमारियों में जैसे की पेट की चर्बी अत्यधिक मोटापा लीवर की बीमारियां पित्त की पथरी तथा गुर्दे के रोग इत्यादिक मैं प्रयोग होता है और इसके साथ ही तंत्र में भी प्रयोग होता है तंत्र का मतलब यह नहीं है कि कि किसी प्रकार का सिर्फ कोई खास अनुष्ठान परंतु दर्द का अर्थ यकि किसी प्रकार का सिर्फ कोई खास अनुष्ठान परंतु तंत्र का अर्थ यह है कि जो यह संसार की प्रकृति है यह एक तंत्र है और प्रकृति द्वारा उपलब्ध चीजों को किस प्रकार से प्रयोग ला सके असल में यही तंत्र है और इस तंत्र के अंतर्गत संसार का वह प्रत्येक काम जो मनुष्य की भलाई के लिए है वह सभी के सभी तंत्र ही हैं जैसे की खेती किसानी आयुर्वेद या फिर प्रकृति द्वारा उत्पन्न खनिजों का प्रयोग करके उन्हें लोहा सोना पत्थर इत्यादि में दवाइयां में मनुष्य की भलाई में प्रयोग लाना असल में तंत्र की परिभाषा मूल रूप से यह है, लेकिन लेकिन हम तंत्र को कुछ अलग ही नाम से मानकर बैठे हैं मूल रूप से देखा जाए और एक अलग नजरिए से देखा जाए प्रकृति द्वारा प्राप्त लोहा एक प्रकार का तंत्र है और उसका प्रयोग करके जो चीज बनाई जाती हैं वह यंत्र है और उसे जिस प्रकार की ऊर्जा जैसे मनुष्य प्रयोग में लाता है मनुष्य की प्रयोग की शक्ति ही मंत्र है या अगर वह स्वचालित है तो वह सॉफ्टवेयर की ऊर्जा शक्ति ही मंत्र है यानी की तंत्र मंत्र यंत्र की यह एक सरल परिभाषा जो कि आम एक इंसान को समझ आ सके मैं पेश करने की कोशिश की है।हालांकि अपने मूल बात पर चलें जिसे मैं जिक्र किया था अगर किसी व्यक्ति को उपरोक्त प्रकार की शारीरिक मानसिक समस्या जिसमें की तेज बुखार और आंखों में लाली और मानसिक विकार जिसकी मैं चर्चा सबसे पहले की है, ऐसे में अपामार्ग
अनचाहे बालों से हैं परेशान? इन आयुर्वेदिक उपायों की मदद से पाए निजात
लेखक - नजूमी जी
यह प्रयोग हमारे भारत में प्राचीन काल से है लेकिन हमें इसकी जानकारी नहीं है जानकारी के अभाव में जो भी महिलाएं या पुरुष अधिक रोम वाले स्थान को रोमरहित करना चाहते हैं इनका प्रयोग करते हैं और यह प्रयोग भी बहुत ही पीड़ा दायक तथा दर्दनाक भी होता है और बहुत महंगे भी हैं। लेकिन फिर भी आधुनिकता के चक्कर में दर्द सहने को भी तैयार हैं और पैसे खर्च करने को भी तैयार है। भारत के पुरातन समय में कुछ सन्यासी के संप्रदायों में पूरी तरह से सर के बल तथा दाढ़ी का मुंडन यानी की सर और दाढ़ी के बाल रखने की परंपरा नहीं है, किसके साथ ही जैन धर्म में भी सर और दाढ़ी के बाल को नोच कर निकाल देने की परंपरा है। आयुर्वेद में शरीर से स्थाई तौर पर रोम रहित स्थान पानी की कई विधियां हैं परंतु जानकारी का अभाव है।
पुराने समय में जो साधु संत पूरी तरह से सिर के बाल मुड़वा देते थे उनमें से कुछ जो स्थाई रूप से ही गंजा होना चाहते थे निम्नलिखित औषधीय प्रयोग करते थे। हालांकि यह विधियां बहुत ही कम आयुर्वेद जानकारी तक सीमित है जिन औषधीय का प्रयोग करते थे वह निम्नलिखित तौर पर है -:(2) हरताल एक भाग, जवाखार 1 भाग , पोस्त छिलका की राख एक भाग, चूना 1 भाग पानी में घोट कर जिस स्थान पर लगाया जाए वह स्थान सदा के लिए रोम रहित हो जाता है।
(3) चुना तथा हरताल सेब का सिरका या फिर गुड़ के सिरके में घोट कर जिस स्थान पर लगाया जाए वह स्थान सदा के लिए रोम रहित हो जाता है।
(4) 70 ग्राम चूना व 10 ग्राम हरताल वर्किया अच्छी तरह से मिलाकर अगर सिर पर लेप किया जाए या जिस स्थान पर रोम हो रोम स्थायी तौर गिर जाते है।
हालांकि ब्यूटी पार्लर या फिर त्वचा से संबंधित संस्थानों में केमिकल युक्त प्लास्टिक के दाने को गर्म करके जो हॉट वैक्सिंग की जाती है उस दर्दनाक पीड़ा भी होती है और रोम क्षिद्र को हानि होती है जिसकी वजह से गर्मी में पसीना ना आने की वजह से शरीर में त्वचा में अनेकों प्रकार के रोग उत्पन्न होते हैं या त्वचा में लाल लाल दाने हो जाते हैं और जो बाद में की काले रंग के पड़ जाते हैं त्वचा को नुकसान होता है प्रकृति ने हमें रोम छिद्र तथा रोम हमारी त्वचा की सुरक्षा के लिए दिए हैं।
सिद्ध कुंजिका स्तोत्र की साधना व उपाय
दुर्गा सप्तशती में वर्णित सिद्ध कुंजिका का पाठ हम सब ने सुना व किया भी होगा । अलग अलग समस्याओं के लिये अलग अलग साधना व उपाय वर्णित हैं , लेकिन सिद्ध कुंजिका स्तोत्र को हम भली भांति जानते हैं , और सिद्ध कुंजिका स्तोत्र की महत्ता इसलिये और बढ़ जाती है क्योंकि सप्तशती पाठ में वर्णित अन्य सभी जैसे स्वयं सप्तशती पाठ, कवच, अर्गला, कीलक इत्यादि के लिये एक पूरी नियमावली है , जो आम इंसान नही कर पाता या उसे पता नही होता । ऐसे में जाने अनजाने में कोई गलती न हो जाये इसके लिये भी सप्तशती में इसका भी उपाय है और वो है सिद्ध कुंजिका स्तोत्र जिसके लिये किसी नियम की आवश्यकता नही है । इसके लिये विनियोग की भी आवश्यकता नही है । मैं समझता हूं कि सिद्ध कुंजिका स्तोत्र का निर्माण ही शायद इसलिये हुआ था कि जो लोग नियम व तरीके नही जानते उनके लिये ये सुलभ हो सके । कहते हैं कि सिर्फ सिद्ध कुंजिका स्तोत्र को पढ़ने मात्र से सम्पूर्ण सप्तशती का फल मिल जाता है । हम सभी सिद्ध कुंजिका स्तोत्र को एक पाठ की तरह बेहद साधारण नियम से पढ़ते हैं आज आपको एक खास नियम के बारे में बताऊंगा जिसको करने से सिद्ध कुंजिका स्तोत्र के पाठ का फल तो मिलेगा ही वरन ये जागृत होकर आपके लिये रक्षा कवच का कार्य भी करेगा । पाठ इस प्रकार करें :-
सभी प्रकार के दोष इससे समाप्त होते हैं मंजुघोष मंत्र से
मंजुघोष का सामान्य रूप से प्रचार कम है इसीलिए इनकी साधना पद्वति गोपनीय रही है इसलिये इनका प्रचार प्रसार कम ही रहा है । इनका 6 अक्षरों का मंत्र है और इसके बहुत सारे प्रयोग हैं । आम इंसान व गृहस्थ व्यक्ति के लिये इस मंत्र के सात्विक व कर सकने लायक प्रयोग इस प्रकार हैं :-
पितृ दोष निवारण बेहद सरल हैं और प्रभावी उपाय
हर व्यक्ति अपने अनुसार या श्रद्धा के हिसाब से पितरों की संतुष्टि के लिये भोग लगता है दान-पुण्य करता है , ब्राह्मणों को भोजन करवाता है । जिसकी जैसी श्रद्धा और जेब होती है वो वैसा ही करता है । मुझे हैरानी होती है पितरों से संबंधित या अन्य ज्योतिषीय उपाय बताने पर लोग बोलते हैं कि कब तक करना है ? सोचने की बात तो ये है कि अगर इससे आपको लाभ मिलता है तो निरंतर करने में क्या हर्ज है ? क्यों लोगों को लगता है कि बस काम निकल गया अब करने की क्या जरूरत है ? इसी तय मानसिकता को लेकर जब लोग उपाय करते हैं तो उनको उपाय फलित नही होते उसका दोष भी लोग ज्योतिष व ज्योतिषी को देते हैं । ये सर्व विदित है कि हम अपनी परेशानियों से मुक्ति के लिये अपने स्वार्थ वश ही ये उपाय करते हैं .. देवताओं व पितरों को भोग लगाते हैं उनके निमित दान करते हैं अन्यथा तो हम ये सब करें नही न हम माने इन सब को ..फिर भी भगवान की व्यवस्था में इतनी छूट मनुष्य को दी है कि ये सब जानते हुए भी सब कुछ ग्रहण करते हैं और इच्छा स्वरूप फल देते हैं । बहराल ये तो इंसान की प्रकृति की बात हो गई अब बात करते हैं कि इन सब का उपाय क्या है ? हम कैसे जानें कि पितरों से संबंधित उपाय फलित हो रहे हैं या नही ? इसकी बहुत आसान पद्वति आपको बताता हूँ ।
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