अपरिहार्य परिस्थितिवश यदि ऋण लेना ही है तो बुद्धवार को बुद्ध की होरा में ले सकते हैं. बहुत ही जल्दी उतर भी जायेगा.
किसी भी मंगलवार से मंगल की होरा में अपने कर्ज़े उतारने के शुरुआत कीजिये. आपको पता भी नहीं चलेगा कि कैसे और कब आप ऋणमुक्त हो भी गये.
गुरु अकेला द्वितीय, पंचम और सप्तम भावस्थ हो तो धन, पुत्र और स्त्री के लिए सर्वदा अनिष्टकारक होता है. जिस भाव का जो ग्रह माना गया है, यदि वह अकेला उस भाव में हो तो उस भाव को बिगाड़ता है.
निवासकर्ता की नाम राशि से गांव की राशि यदि 2, 5, 9, 10, 11वीं हो तो उत्तम तथा 1, 3, 4, 7वीं हो तो सम तथा 6, 8 व 12वीं हो तो निषिद्ध समझना चाहिए। इसी तरह काकिणी, नराकृति आदि विचारों के द्वारा भी शुभकारक गांव का चयन करना चाहिए।
यदि किसी व्यक्ति का व्यापार न चल रहा हो, या घाटे-नुकसान में घिसट रहा हो, तो यह उपाय शुक्लपक्ष के किसी भी शुक्रवार को सूर्योदय से दो घन्टे चौबीस मिनट के भीतर कर सकते हैं. प्रातः स्नान से निवृत होकर अपने इष्ट्देव अथवा देवी माँ की विधिवत पूजा करे और खोये के पेड़ों का भोग लगाये. इसके पश्चात् खोये के पेड़ों का प्रसाद स्वयं न खाकर, अपने कर्मचारिओं को एक रूपए के सिक्के सहित बांटे. प्रसाद, व्यक्ति की धर्मपत्नी अथवा माता जी बांटे. इस दिन घर के अन्य सदस्य अपना आहार-विहार पूर्णतयः सात्विक रखें. कैसा और कितना जल्द काया-कल्प होगा।
लग्न में राहु और सप्तम भाव में केतु हो और अन्य ग्रह इन दोनों के मध्य भावस्थ हों तो इसके कारण व्यक्ति निरन्तर मानसिक रूप से अशान्त रहता है. जीवन में अस्थिरता, कपट-बुद्धि, प्रतिष्ठा-हानि, वैवाहिक जीवन का दुःखमय होना, इत्यादि प्रभाव देखने को मिलते हैं. व्यक्ति को कामयाबी हासिल करने के लिए काफी स्ट्रगल करना पड़ता है.
उपाय : गले में हमेशा चांदी का चौकोर टुकड़ा अपने क्षेम नक्षत्रानुसार पूर्ण विधि-विधान एवं अनुकूल मुहूर्त में अपने दैवज्ञ ज्योतिषी के निर्देशानुसार धारण करें. समय तो लगेगा, लेकिन इन दुश्वारियों से छुटकारा निश्चित ही मिल जायेगा.
जान जोखिम में न
डालें तो बेहतर
इस बात का हमेशा
ख्याल रखें कि नवमी और चतुर्दशी (कृष्ण और शुक्ल - दोनों पक्ष की) तिथि को,
अमावस्या और पूर्णिमा को, सूर्यग्रहण और चन्द्रग्रहण वाले दिन से एक दिन
पूर्व और एक दिन बाद तक के तीन दिवस, मंगल जिस दिन राशि-परिवर्तन कर रहे हों, शनि जिस दिन वक्री हो रहे हों अथवा मार्गी हो रहे हों,
जिस दिन मंगल-शनि की युति हो रही हो अथवा
एक-दूजे को सप्तम दृष्टि से देख रहे हों, चन्द्र्मा अष्टम भावस्थ हो - इन दिनों को हमेशा के लिये किसी भी प्रकार की यात्रा
हेतु ब्लैक-लिस्टेड कर दीजिये.
यह लेख विश्वजीत बब्बल वैदिक काउंसलर के फेसबुक पोस्ट से लिया गया है. वे वास्तु और ज्योतिष की बहुत अच्छी जानकारी रखते हैं. उन्होंने अपनी जानकारी के आधार पर कई लोगों के परेशानिया दूर की है. यह अपने अनुभव को भी समय समय पर लोगों से शेयर करते हैं. आप इनसे सशुल्क परामर्श ले. सकते हैं. आप उनसे फेसबुक के द्वारा सम्पर्क कर सकते हैं. इस सेवा का लाभ जरुर लें.
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