गुरुवार, 4 नवंबर 2010
आंत्रवृद्धि (आंत का उतरना)
परिचय : आंत का अपने स्थान से हट जाना ही आंत का उतरना कहलाता है। यह कभी अंडकोष में उतर जाती है तो कभी पेडु या नाभि के नीचे खिसक जाती है। यह स्थान के हिसाब से कई तरह की होती है जैसे स्ट्रैगुलेटेड, अम्बेलिकन आदि। जब आंत अपने स्थान से अलग होती है तो रोगी को काफी दर्द व कष्ट का अनुभव होता है।
लाल चंदन :
लाल चंदन, मुलहठी, खस, कमल और नीलकमल इन्हें दूध में पीसकर लेप करने से पित्तज आंत्रवृद्धि की सूजन, जलन और दर्द दूर हो जाता है।
पारा :
पारे की भस्म को तेल और सेंधानमक में मिलाकर अंडकोषों पर लेप करने से ताड़फल जैसी अंडवृद्धि भी ठीक हो जाती है।
गुग्गुल:
गुग्गुल एलुआ, कुन्दुरू, गोंद, लोध, फिटकरी और बैरोजा को पानी में पीसकर लेप करने से अंत्रवृद्धि खत्म होती है।
तम्बाकू :
तम्बाकू के पत्ते पर एरंडी का तेल चुपड़कर आग पर गरम कर सेंक करने और गरम-गरम पत्ते को अंडकोषों पर बांधने से अंत्रवृद्धि और दर्द में आराम होता है।
छोटी हरड़ :
छोटी हरड़ को गाय के मूत्र में उबालकर फिर एरंडी का तेल लें। इन हरड़ों का पाउडर बनाकर कालानमक, अजवायन और हींग मिलाकर 5 ग्राम मात्रा मे सुबह-शाम हल्के गर्म पानी के साथ खाने से या 10 ग्राम पाउडर का काढ़ा बनाकर खाने से आंत्रवृद्धि की विकृति खत्म होती है।
त्रिफला :
इस रोग में मल के रुकने की विकृति ज्यादा होती है। इसलिए कब्ज को खत्म करने के लिए त्रिफला का पाउडर 5 ग्राम रात में हल्के गर्म दूध के साथ लेना चाहिए।
दूध :
उबाले हुए हल्के गर्म दूध में गाय का मूत्र और शक्कर 25-25 ग्राम मिलाकर खाने से अंडकोष में उतरी आंत्र अपने आप ऊपर चली जाती है।
हरड़ :
हरड़, मुलहठी, सोंठ 1-1 ग्राम पाउडर रात को पानी के साथ खाने से लाभ होता है।
बकरी का दूध :
आंखों के लाल होने पर मोथा या नागरमोथा के फल को साफ करके बकरी के दूध में घिसकर आंखों में लगाने से आराम आता है।
भिंडी :
बुधवार को भिंडी की जड़ कमर में बांधे। हार्निया रोग ठीक हो जायेगा।
एरंड :
एक कप दूध में दो चम्मच एरंड का तेल डालकर एक महीने तक पीने से अंत्रवृद्धि ठीक हो जाती है।
खरैटी के मिश्रण के साथ अरण्डी का तेल गर्मकर पीने से आध्यमान, दर्द, आंत्रवृद्धि व गुल्म खत्म होती है।
रास्ना, मुलहठी, गर्च, एरंड के पेड की जड़, खरैटी, अमलतास का गूदा, गोखरू, पखल और अडूसे के काढ़े में एरंडी का तेल डालकर पीने से अंत्रवृद्धि खत्म होती है।
इन्द्रायण की जड़ का पाउडर, एरंडी के तेल या दूध में मिलाकर पीने से अंत्रवृद्धि खत्म हो जाएगी।
लगभग 250 ग्राम गरम दूध में 20 ग्राम एरंड का तेल मिलाकर एक महीने तक पीयें इससे वातज अंत्रवृद्धि ठीक हो जाती है।
एरंडी के तेल को दूध में मिलाकर पीने से मलावरोध खत्म होता है।
दो चम्मच एरंड का तेल और बच का काढ़ा बनाकर उसमें दो चम्मच एरंड का तेल मिलाकर खाने से लाभ होता है।
कॉफी :
बार-बार काफी पीने से और हार्निया वाले स्थान को काफी से धोने से हार्निया के गुब्बारे की वायु निकलकर फुलाव ठीक हो जाता है।
बार-बार काफी पीने और हार्निया वाले स्थान को काफी से धोने से हार्नियां के गुब्बारे की वायु निकलकर फुलाव ठीक हो जाता है। मृत्यु के मुंह के पास पहुंची हुई हार्नियां की अवस्था में भी लाभ होता है।
मुलहठी :
मुलहठी, रास्ना, बरना, एरंड की जड़ और गोक्षुर को बराबर मात्रा में लेकर, थोड़ा सा कूटकर काढ़ा बनायें। इस काढ़े में एरंड का तेल डालकर पीने से आंत्रवृद्धि में लाभ होता है।
बुधवार, 3 नवंबर 2010
बहु उपयोगी सलाह घरेलू उपायों की
बहु उपयोगी सलाह घरेलू उपायों की
भूख न लगे या कुछ खाने की इच्छा न होने पर अजवायन में स्वादानुसार काला नमक मिलाकर, पीस कर, चुटकी भर काली मिर्च, पिसा पोदीना, सब गर्म पानी से फंकी लेने पर अरुचि की शिकायत दूर हो जाती है।
* पेट में रूकी हुई गैस दूर करने के लिए दो लहसुन मुनक्का में लपेट कर भोजन के बाद चबाकर निगलने पर गैस बाहर निकल जाएगी।
* दानेदार मेथी की फंकी गर्म पानी में लेने से पेट दर्द दूर हो जाता है।
* सुबह-शाम दो भाग दही और एक भाग शहद मिलाकर चाटने से कीड़े मर जाते हैं।
* सरसों के तेल की मालिश पेट पर करने से कब्ज में आराम होता है।
* दो लौंग गर्म पानी से लेने पर जी मिचलाना, हिचकी, मुख का बिगड़ा स्वाद, चक्कर, उबकाई आना सब ठीक हो जाता है।
* अदरक के लच्छे पर नमक छिड़क कर भोजन के साथ सेवन करने पर दस्त में आराम मिलता है।
* पेचिश में भिंडी की सब्जी खाना लाभदायक है।
* पीलिया होने पर 1 कप पानी में 1 चम्मच ग्लूकोच डाल कर दिन में 5-5 बार लें।
* ताजे अदरक के छोटे-छोटे टुकडे करके चूसने से पुरानी नई सब तरह की हिचकी बंद हो जाती है।
* अदरक को घोलकर एक टुकड़ा मुख में रखकर चूसने से कफ आसानी से निकल जाती है।
* हफ्ते में दो बार लहसुन की 4 फली लेने पर सर्दी नहीं लगती।
* अजवायन को गर्म पानी के साथ लेने पर खांसी में आराम मिलता है।
* भोजन में हींग का प्रयोग अवश्य ही करें। दुर्बल हृदय को शक्ति मिलती है। रक्त संचार सरलता से होता है।
* दिल के दौरे पड़ने की संभावना होने पर 5 कलियां लहसुन तुरंत चबाकर निगल लें। दौरा पड़ने के चांस निर्मूल सिध्द होते हैं फिर लहसुन को दूध में उबाल कर लेते रहना चाहिए।
मोच
चने
मोच के स्थान पर चने बांधकर उन्हें पानी से भिगोते रहें। जैसे-जैसे चने फूलेंगे वैसे-वैसे मोच दूर होती जाएगी।
शहद
मोच वाले अंग पर शहद और चूना मिलाकर हल्की मालिश करने से आराम होता है।
तिल
तिलों की खली को पानी में कूटकर और पकाकर मोच के ऊपर गरम-गरम बांध देने से मोच जल्दी ही ठीक हो जाती है।
50 ग्राम तिल के तेल में 2 ग्राम अफीम को मिलाकर मोच से ग्रस्त अंग पर मालिश करने से लाभ मिलता है।
फिटकरी
फिटकरी के 3 ग्राम चूर्ण को आधा किलो दूध के साथ लेने से मोच और भीतरी चोट ठीक हो जाती है।
नौसादर
10-10 ग्राम नौसादर और कलमी शोरा को पीसकर 200 ग्राम पानी में मिलाकर इसमें कपड़ा भिगोकर बार-बार मोच पर लगाने से लाभ होता है।
सरसो
सरसो और हल्दी को गर्म करके लगाकर मोच वाले स्थान पर लगायें और एरण्ड के पत्ते को उस पर रखकर पट्टी बांध दें।
पान
पान के पत्ते पर सरसों का तेल लगाकर, पत्ते को गर्म करके मोच से ग्रस्त अंग पर बांध दें।
तेजपत्ता
मोच वाले स्थान पर तेजपत्ता और लौंग को पीसकर लेप लगायें। इससे धीरे-धीरे मोच के कारण आने वाली सूजन दूर हो जाती है।
तुलसी
तुलसी के पत्तों के रस तथा सरसों के तेल को एक साथ मिलाकर थोड़ी-थोड़ी देर बाद मोच वाले अंग पर लगाना लाभकारी रहता है।
ग्वारपाठा
मोच व सूजन पर ग्वारपाठे का रस लगाने से काफी आराम मिलता है।
धनिया
ऊंची नीची जगहों पर पैर पड़ जाने या शक्ति से अधिक सामान उठाने के कारण मोच आ जाती है। उस समय नस अकड़ जाती है और एक प्रकार का खिंचाव आ जाता है। रोगी को किसी भी करवट चैन नहीं पड़ता है। ऐसी दशा में 10 ग्राम पिसा हुआ धनिया, 5 ग्राम हल्दी 5 ग्राम और जीरा को एकसाथ मिलाकर तिली के तेल में अच्छी तरह से पका लेना चाहिए। इस तेल से कुछ देर तक धीरे-धीरे मालिश करने से मोच में आराम मिलता है।
ग्वारफली
जिस व्यक्ति को मोच या चोट लगी हो उसे तिल और ग्वार बराबर मात्रा में लेकर व पीसकर और पानी डालकर पिलाएं। फिर मोच या चोट वाली जगह पर इसे बांध दें। इस प्रयोग से मोच का दर्द दूर हो जाता है।
नमक
नमक को धीमी आग पर सेंककर गर्म-गर्म ही मोटे कपड़े में बांधकर मोच से पीड़ित अंग पर सिंकाई करने से आराम मिलता है।
नमक और सरसों के तेल को एकसाथ मिलाकर गर्म करके मोच पर लगाने से लाभ मिलता है।
सेंधानमक और बूरा को बराबर मात्रा में मिलाकर 1 चम्मच सुबह और शाम पानी के साथ सेवन करने से मोच में लाभ मिलता है।
नमक और हल्दी को बारीक पीसकर लगाने से मोच या चोट के कारण होने वाले दर्द में आराम मिलता है।
इमली
किसी अंग में मोच आ जाने पर इमली की पत्तियों को पीसकर गुनगुना करके लेप लगाने से तुरंत ही आराम हो जाता है।
मरुआ
मरुआ के तेल की मालिश से मोच और रगड़पर आश्चर्यजनक लाभ होता है।
फोड़े-फुंसियां (फुरुन्क्ले)
दही
अगर फोड़े में सूजन, दर्द और जलन आदि हो तो उस पर पानी निकाले हुए दही को लगाकर पट्टी बांध देते हैं। एक दिन में 3 बार इस पट्टी को बदलने से लाभ होता है।
गाजर का रस
300 मिलीलीटर गाजर के रस और 112 मिलीलीटर पालक के रस को एकसाथ मिलाकर पीने से फोड़े-फुंसी, कैंसर, सांस की नली की सूजन, मोतियाबिन्द, जुकाम, कब्ज, आंखों के रोग, गलगण्ड, बवासीर, हर्निया, फ्लू, गुर्दे के रोग, पीलिया, हृदयशूल, और वात रोग ठीक हो जाते हैं।
280 मिलीलीटर गाजर का रस और लगभग 170 मिलीलीटर पालक का रस एकसाथ मिलाकर पीने से मुंहासे, कण्ठलूशाक, सफेद पदार्थ निकलना, दमा, मधुमेह, सिरदर्द, अनिद्रा, लीवर के रोग, आधे सिर का दर्द, बुखार आदि ठीक हो जाते हैं।
गाजर की गर्म पुल्टिश (पोटली) बांधने से फोड़े-फुन्सियों में लाभ होता है। यह फोड़े-फुन्सियों के जमे हुए खून को भी पिघला देती है।
मसूर की दाल
मसूर के आटे की पुल्टिश (पोटली) लगाने से फोड़े शीघ्र ही फूट जाते है और उसकी मवाद सूख जाती है। मसूर की दाल को पीसकर उसकी पुल्टिस (पोटली) को फोड़ों पर बांधने से वो ठीक हो जाते हैं।
मुलहठी
फोड़े पर मुलहठी का लेप लगाने से फोड़ा जल्दी पककर फूट जाता है।
अड़ूसा (वासा)
फोड़े-फुंसियों की प्रारंभिक अवस्था में ही अड़ूसा के पत्तों को पीसकर बनाया गया गाढ़ा लेप लगाकर बांध देने से वह बैठ जाते हैं। यदि फोड़े पक गए हो तो वह शीघ्र ही फूट जाते हैं। फूटने के बाद इस लेप में थोड़ी सी पिसी हल्दी मिलाकर लगाने से घाव शीघ्र भर जाते हैं।
गेंदा
गेंदे के पत्तों को पीसकर फोड़े-फुंसियों पर 2-3 बार लगाने से लाभ मिलता है।
कनेर
कनेर के लाल फूलों को पीसकर लेप तैयार करें। इस लेप को फोड़े-फुन्सियों पर दिन में 2 से 3 बार नियमित रूप से लगाने से लाभ मिलता है।
कनेर की जड़ की छाल को पीसकर पके हुए फोड़े पर लेप करने से फोड़ा 3 से 4 घंटे में ही फूट जाता है।
इमली
फोड़े होने पर 30 ग्राम इमली को 1 गिलास पानी में मसलकर मिलाकर पीने से लाभ मिलता है।
इमली के 10 ग्राम पत्तों को गर्म करके उसकी पुल्टिश (पोटली) बनाकर बांधने से फोड़ा पककर जल्दी फूट जाता है।
इमली के बीजों की पुल्टिश (पोटली) बांधने से फुंसियां मिट जाती हैं।
अजवाइन
नींबू के रस में अजवाइन को पीसकर फोड़ों पर लेप करना चाहिए।
सूजन आने पर अजवाइन को पीसकर उसमें थोड़ा-सा नींबू निचोड़कर फुंसियों पर लगाने से लाभ होता है।
प्याज
प्याज को कूटकर पीस लें। फिर उसमें हल्दी, गेंहू का आटा, पानी और शुद्ध घी मिलाकर थोड़ी देर आग पर रखकर पकाकर पोटली बनाकर फोड़े पर बांधने से फोड़ा फूट जाता है और आराम मिलता है।
फोड़े, गांठ, मुंहासे, नारू, कंठमाला (गले की गिल्टी) आदि रोगों पर प्याज को घी में तलकर बांधने से या प्याज के रस को लगाने से लाभ पहुंचता है।
प्याज को पीसकर उसकी पोटली बनाकर फोड़े पर बांधने से फोड़ा फूट जाता है और उसकी मवाद निकलने के बाद फोड़ा सूख जाता है।
अलसी
एक चौथाई अलसी के बीजों को बराबर मात्रा में सरसों के साथ पीसकर गर्म करके लेप बना लें। फोड़े पर 2-3 बार यह लेप करने से फोड़ा बैठ जाता है या पककर फूट जाता है।
अलसी को पानी में पीसकर उसमें थोड़ा जौ का सत्तू मिलाकर खट्टे दही के साथ फोड़े पर लेप करने से फोड़ा पक जाता है।
वात प्रधान फोड़े में अगर जलन और वेदना हो तो तिल और अलसी को भूनकर गाय के दूध में उबालकर, ठंडा होने पर उसी दूध में उन्हें पीसकर फोड़े पर लेप करने से लाभ होता है।
अगर फोड़े को पकाकर उसका मवाद निकालना हो तो अलसी की पुल्टिस (पोटली) में 2 चुटकी हल्दी मिलाकर फोड़े पर बांध दें।
अमरूद
4 सप्ताह तक रोजाना दोपहर में 250 ग्राम अमरूद खाने से पेट साफ होता है, बढ़ी हुई गर्मी दूर होती है, खून साफ होता है और फोड़े-फुन्सी तथा खाज-खुजली ठीक हो जाते हैं।
अमरूद की थोड़ी सी पत्तियों को लेकर पानी में उबालकर पीस लें। इस लेप को फुंसियों पर लगाने से लाभ होता है।
अनानास
अनानास का गूदा फुंसियों पर लगाने से लाभ होता है।
लालमिर्च
बरसात के मौसम में होने वाले फोड़े-फुंसियों और खुजली आदि में लालमिर्च के तेल को सेवन करने से फोड़े-फुंसी जल्दी ठीक जाते हैं।
गर्मी के मौसम में शरीर पर दाने या फुंसियां हो जाती है उन्हें खत्म करने के लिए मिर्ची के तेल को लगाने से राहत मिलती है और फोडे़-फुंसियां भी ठीक हो जाती हैं।
नीम
नीम की 6 से 10 पकी निंबौली को 2 से 3 बार पानी के साथ सेवन करने से फुन्सियां कुछ ही दिनों में समाप्त हो जाती है।
नीम, तुलसी और पोदीने की पत्तियों को पीसकर उसमें मुलतानी मिट्टी और चन्दन का चूर्ण मिलाकर बनें मिश्रण को चेहरे पर लगाने से चेहरे के मुंहासे समाप्त होकर त्वचा निखर जाती है।
नीम की पत्तियों का रस पानी में मिलाकर नहाने से खाज-खुजली नष्ट हो जाती है।
नीम की पत्तियों को पीसकर फोडे़-फुन्सियों पर लगाने से लाभ होता हैं।
नीम के पत्ते, छाल और निंबौली को बराबर मात्रा में पीसकर बने लेप को दिन में 3 बार लगाने से फोड़े-फुन्सी और घाव जल्दी ठीक हो जाते हैं।
नीम की पत्तियों को गर्म करके या नीम की छाल को घिसकर फोड़े-फुन्सी और बिच्छू के काटे भाग पर लगाकर सेंकने से लाभ पहुंचता है।
नीम के पत्ते को पीसकर शहद के साथ मिलाकर लेप करने से फूटे हुए फोड़े जल्दी ठीक हो जाते हैं।
नीम के पत्ते को पीसकर दही और बेसन में मिलाकर चेहरे व दूसरे अंगों में लगाने से और कुछ देर बाद पानी से साफ कर देने से चेहरे की फुंसियां और मुंहासे समाप्त होकर त्वचा निखर उठती हैं।
175 ग्राम नीम के पत्तों को बिना पानी डाले पीसकर लुगदी बना लें। तांबे के बर्तन में इसका आघा हिस्सा सरसों का तेल डालकर गर्म करें, तेल में धुंआ आने पर इसमें बनी हुई लुगदी डाल दें। लुगदी तेल में जलकर काली पड़ने पर उतारकर ठंडा कर दें। फिर इसमें कपूर और जरा-सा मोम डालकर पीस लें। इस बने लेप को लगाने से फोड़े-फुंसियों में लाभ होता है।
मार्च-अप्रैल के महीने में जब नीम की नयी-नयी कोंपलें (मुलायम पत्तियां) खिलती है तब 21 दिन तक युवा लोगों को नीम की ताजी 15 कोंपले (मुलायम पत्तियां) और बच्चों को 7 पत्तियां रोजाना गोली बनाकर दातुन-कुल्ला करने के बाद पानी के साथ खाने से या पीसकर लगाने से पूरे साल तक फोड़े-फुंसिया नहीं निकलती है।
एरण्ड
एरण्ड की जड़ को पीसकर घी या तेल में मिलाकर कुछ गर्म करके गाढ़ा लेप करने से विद्रधि (फोड़ा) मिट जाती है।
तिल
8 ग्राम काले तिल, 2 ग्राम सोंठ और 4 ग्राम गुड़ के मिश्रण को गर्म दूध के साथ दिन में 3 बार सेवन करने से लाभ होता है।
100 ग्राम तिल के तेल में भिलावे को जलाकर उसमें 30 ग्राम सेलखड़ी को पीसकर मिला दें। यह हर प्रकार के जख्म को अच्छा कर देती है। मगर जब जख्म पर लगाएं तो मुर्गी के पंख से ही लगाएं।
बेर
बेर के पत्तों को पीसकर गर्म करके उसकी पट्टी बांधने से और बार-बार उसको बदलते रहने से फोड़े जल्दी पककर फूट जाते हैं।
नारियल
100 ग्राम नारियल का तेल, 10 ग्राम मुहार की मिक्खयों का मोम और 2 चम्मच तुलसी के पत्तों के रस को मिलाकर थोड़ी देर के लिये आग पर पकाने के लिए रख दें। फिर इसे आग पर से उतारकर ठंडा करके इस लेप को कुछ दिनों तक फोड़े-फुंसियां पर लगाने से वो ठीक हो जाती है।
नींबू
नींबू के रस में चन्दन का चूर्ण डालकर फुंसियों पर लगाने से लाभ होता है।
जामुन
जामुन की गुठलियों को पीसकर फुंसियों पर लगाने से फुंसियां जल्दी ठीक हो जाती है।
मेहन्दी
शरीर में जहां पर फोड़े-फुंसिया हो उस जगह को मेहन्दी के पानी से धोने से लाभ होता है।
मोम
मौलसिरी की छाल को लेकर सुखा लें। फिर उसे पीसकर मोम या वैसलीन में मिला लें। इसे दिन में 3 से 4 बार लगाने से फोड़े और फुंसिया ठीक हो जाती है।
कपूर
20 ग्राम राल, 20 ग्राम कपूर, 10 ग्राम नीला थोथा, 20 ग्राम मोम और 20 ग्राम सिन्दूर को पीसकर घी में मिलाकर लेप बना लें। इस लेप को फोड़े-फुंसियों पर लगाने से आराम मिलता है।
कटहल
कटहल की लकड़ी को घिसकर उसके अन्दर कबूतर की बीट मिला लें। उसके बाद उसमें लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग चूना मिलाकर इसका लेप करने से लाभ होता है।
तुलसी
तुलसी के पत्तों को पानी में उबालकर उस पानी से फोड़े को धो लेते हैं। तुलसी के ताजा पत्तों को पीसकर फोड़ों पर लगाना चाहिए। इससे फोड़ों में लाभ मिलता है।
तुलसी और पीपल के नये कोमल पत्तों को बराबर मात्रा में पीसकर फोड़ों पर प्रतिदिन 3 बार लगाना चाहिए। इससे फोड़े जल्दी नष्ट हो जाते हैं।
गर्मी या वर्षा ऋतु में होने वाली फुंसियों पर तुलसी की लकड़ी को घिसकर लगाने से लाभ मिलता है।
हल्दी
भृंगराज (भंगारा), हल्दी, सेंधानमक और धतूरे के पत्तों को बराबर मात्रा में लेकर पीस लें और गर्म करके फोड़े-फुंसियों पर लेप करें या आंबाहल्दी, प्याज और घी को गर्म करके बांध लें।
पानी
रोजाना रात को फुंसियों पर गर्म पानी से सिंकाई करने से लाभ होता है।
करेला
फुंसियों पर थोड़े दिन तक करेले का रस लगाने से फुंसिया सूख जाती है।
बरगद
बरगद के दूध को फोड़े पर लगाने से फोड़ा जल्दी पककर फूट जाता है।
बरगद के नये पत्तों को आग के ऊपर से ही हल्का सा गर्म करके उसके ऊपर थोड़ा सा तेल लगाकर बांधने से लाभ होता है।
घी
अगर फोड़े को पकाना हो तो पान के पत्ते पर थोड़ा सा घी गर्म करके फोड़े पर लगाकर बांध दें।
बैंगन
फोड़े, फुन्सी होने पर बैंगन की पट्टी बांधने से फोड़े जल्दी पक जाते हैं।
बेल
खून के विकार से उत्पन्न फोड़े-फुंसियों पर बेल के पेड़ की जड़ या लकड़ी को पानी में पीसकर लगाने से लाभ पहुंचता है।
बथुआ
बथुए को कूटकर सोंठ और नमक के साथ मिलाकर गीले कपड़े में बांधकर कपड़े पर गीली मिट्टी लगाकर आग में सेंकें। सेकने के बाद बांध लें, इस प्रयोग से फोड़ा बैठ जायेगा अथवा पककर जल्दी फूट जायेगा।
परवल
कड़वे परवल और कड़वे नीम के काढ़े से फोड़ों को धोने से फोड़े साफ हो जाते हैं।
पीपल
पीपल के कोमल पत्ते को घी लगाकर गर्म करके फुंसी-फोड़े पर बांधने से लाभ होता है।
पीपल की छाल को पानी में घिसकर फोड़े-फुंसियों पर लगाने से लाभ होता है।
फोड़ों को पकाने के लिए पीपल की छाल की पुल्टिश (पोटली) बनाकर फोड़े पर बांधने से लाभ मिलता है।
पीपल के पत्ते को गर्म करकें पत्ते की सीधी तरफ थोड़ा सा असली शहद या सरसों का तेल लगाकर फोड़े पर बांधने से लाभ होता है।
पीपल की छाल का चूर्ण जख्म पर छिड़कने से भी लाभ मिलता है।
विशेष
नीम की नई-नई कोंपलों को सुबह खाली पेट खाना चाहिए और उसके बाद 2 घंटे तक कुछ नहीं खाना चाहिए। इससे खून की खराबी, खुजली, त्वचा के रोग, वात (गैस), पित्त (शरीर की गर्मी) और कफ (बलगम) के रोग जड़ से खत्म हो जाते हैं। इसको लगातार खाने से मधुमेह (डायबटिज) की बीमारी भी दूर हो जाती है। इससे मलेरिया और भयंकर बुखार के पैदा होने की संभावना भी नहीं रहती पर ध्यान रखना चाहिए कि बड़ों को 15 कोंपलें (मुलायम पत्तों) और बच्चों को 7 कोपलों से ज्यादा नहीं देनी चाहिए और ज्यादा समय तक भी नहीं खाना चाहिए। नहीं तो मर्दाना शक्ति भी कमजोर हो जाती है।
शीशम
शीशम के पत्तों का 50 से 100 मिलीलीटर काढ़ा सुबह-शाम पीने से फोड़े-फुन्सी नष्ट हो जाते हैं। कोढ़ होने पर इसके पत्तों का काढ़ा रोगी को पिलाना लाभकारी रहता है।
अखरोट
यदि फुंसियां अधिक निकलती हो तो 1 वर्ष तक रोजाना सुबह के समय 5 अखरोट सेवन करते रहने से लाभ होता है।
मेथी
दाना मेथी को थोड़े-से पानी में भिगोकर, पीसकर उसमे थोड़ा-सा घी या तेल डालकर गर्म करके पुल्टिश बनाकर बांधने से फोड़े-फुंसी, सूजन और दर्द में लाभ मिलता है।
मेथी के पत्तों की सब्जी बनाकर खाने से कोष्ठबद्धता (कब्ज) नष्ट होती है, खून शुद्ध होता है और फोडे़-फुंसियों की विकृति भी नष्ट हो जाती है।
काजू
काजू की कच्ची गिरी और तीवर के फल को ठंडे पानी में घिसकर लेप करने से फोड़ा जल्दी मिट जाता है।
दूब
पके फोड़े पर प्रतिदिन दूब को पीसकर लेप करने से फोड़ा जल्दी फूट जाता है।
चावल
सरसों के तेल में पिसे हुए चावलों की पुल्टिश बनाकर बांधने से फोड़ा फूट जाता है एवं पस निकल जाती है।
मिट्टी
सूजन, फोड़ा, उंगुली की विषहरी हो (उंगुली में जहर चढ़ने पर), तो गीली मिट्टी का लेप हर आधे घण्टे तक करते रहने से लाभ होता है। फोड़ा बड़ा तथा कठोर हो, फूट न रहा हो तो उस पर गीली मिट्टी का लेप करें। इससे फोड़ा फूटकर मवाद बाहर आ जाती है। बाद में गीली मिट्टी की पट्टी बांधते रहें। मिट्टी की पट्टी या लेप फोड़ों को बाहर खींच निकालता है।
शरीर पर अगर फोड़े-फुंसी निकल रहे हो और फूट नहीं रहे हो तो उन पर काली मिट्टी का लेप करना चाहिए।
चन्दन
चन्दन को पानी में घिसकर लगाने से फोडे़-फुन्सी और घाव नष्ट हो जाते हैं।
राई
राई का लेप सदा ठंडे पानी में बनायें। राई का लेप सीधे त्वचा पर न लगाये इसका लेप लगाने से पहले त्वचा पर घी या तेल लगा लें क्योंकि इसका लेप सीधे लगाने से फोड़े-फुंसी आदि होने का डर रहता है। राई को ताजे पानी के साथ बारीक पीसकर लेप बनाकर साफ मलमल के कपड़े पर पतला-पतला लेप करके इस कपड़े को रोगी के फोड़े-फुंसी से पीड़ित अंग पर रख दें।
चोट-(INJURY) लगना
चोट-(INJURY)
आज के व्यस्त माहौल में चोट लगना कोई बड़ी बात नहीं है क्योंकि हमारे रोजाना के कामों में सावधानी बरतने के बाद भी चोट लग ही जाती है। बच्चे भी अक्सर खेलते-खेलते अपने आपको चोट पहुंचवा ही लेते हैं।
ग्वार
ग्वार और तिल को बराबर मात्रा में पीसकर पानी में डालकर पका लें। इसे मोच या चोट वाली जगह पर लगाने से दर्द कुछ ही देद में दूर हो जाता है।
वनहल्दी
वनहल्दी का लेप चोट, मोच एवं सूजन में काफी उपयोगी होता है। वनहल्दी के सिद्ध तेल का प्रयोग भी लेप की तरह ही उपयोगी होता है। इस तेल से रोजाना 3-4 बार मालिश करने से चोट के कारण होने वाला दर्द ठीक हो जाता है।
घी
घी और कपूर को बराबर मात्रा में मिलाकर किसी भी चोट के स्थान पर बांधने से दर्द दूर होता है तथा खून बहना भी बंद हो जाता है।
कुन्दुरू
चोट लगने के कारण सूजन होने पर कुन्दरू और खस-खस के तेल और सफेद मोम को हल्की आग पर पिघलाकर कपड़े से छानकर, तैयार मलहम को रोजाना 2-3 बार लगाने से लाभ होता है।
कुन्दुरू की गोंद, अफीम, धतूरा और अजवायन को एकसाथ मिलाकर मोटे कपड़े पर सूखा लेप चढ़ाकर पट्टी करने से रक्तवाहिनियों के संकुचन के कारण होने वाला दर्द कम हो जाता है।
पान
पान के रस में चूना मिलाकर सूजन वाले भाग पर पट्टी बांधने से दर्द और सूजन में आराम होता है।
पान के पत्ते पर चूना और कत्था लगाकर उसमें थोड़ा सा तम्बाकू डालकर पीस लें फिर गुनगुना करके चोट पर बांधने से दर्द दूर होता हैं और जख्म जल्दी भर जाता है।
पान के पत्तें को चोट लगी हुई जगह पर बांधने से लाभ होता है।
तारपीन
चाकू, छूरी, तलवार आदि से कटे हुए स्थान से खून बह रहा हो तो असली तारपीन के तेल में रूई का फोहा गीला करके कटे हुए स्थान पर रखें। इससे कुछ ही देर में खून बहना बंद हो जाता है।
चीता
चीता या चित्रक मूल से सिद्ध तेल से मालिश करने पर चोट के कारण होने वाला दर्द कम हो जाता है।
आमचूर
अगर नाखून पर चोट लगे तो आमचूर व नमक को पीसकर पानी में मिलाकर लगाने से आराम होता है।
गेंदा
गेंदे का पंचांग का रस निकालकर चोट, मोच, सूजन पर लगाने व मालिश करने से आराम मिलता है।
बकायन
चोट से पीड़ित स्थान पर खून जमकर उत्पन्न हुई सूजन पर बकायन के 10-20 पत्तों को पीसकर पुल्टिश बनाकर बांधने से सूजन के कारण जमा हुआ खून पिघल जाता है।
10 ग्राम बकायन के फल की गिरी को 100 ग्राम खोपरे के तेल में पीसकर गर्म पानी, घी या तेल आदि के कारण होने वाले घावों में लाभ होता है।
मेथी
मेथी के पत्तों को पीसकर लेप करने से चोट या मोच के दर्द में आराम मिलता है।
मेथी के पत्तों की पुल्टिश (पोटली) बांधने से चोट की सूजन मिट जाती है।
मेथी के पत्तों की पुल्टिश बांधने से चोट की सूजन मिट जाती है। यह बालों को सफेद होने से रोकती है। कब्ज हो तो मेथी के पत्तों की सब्जी खाने से आराम मिलता है।
पानी
चोट लगने या जख्म होने पर ठंडे पानी से भीगा हुआ कपड़ा उस स्थान पर बांध दें। इस कपड़े को बांधने के बाद भी हमेशा गीला रखे रहने से जख्म जल्दी ठीक हो जाता है।
हल्दी
गुम चोट लगने पर 1 चम्मच हल्दी को गर्म दूध के साथ पीने से दर्द और सूजन दूर होती है। चोट लगे स्थान पर हल्दी को पानी में गूंथ कर लेप करने से आराम मिलता है। चोट से खून बह रहा हो तो उस स्थान पर हल्दी भर देने से लाभ मिलता है। आंख में चोट लगने पर भी हल्दी का सेवन करना लाभदायक होता है।
2 चम्मच पिसी हुई हल्दी, 4 चम्मच गेहूं का आटा, 1 चम्मच देशी घी, आधा चम्मच सेंधानमक को थोड़े से पानी में मिलाकर हलुआ बना लें। शरीर में चोट लगे स्थान पर इस हलुवे की पट्टी बांधने से आराम मिलता है। आधा किलो उबलते हुए गर्म पानी में आधा चम्मच नमक डालें। फिर पानी को उतारकर जब पानी सेंक करने जैसा हो जायें तो उसमें कपड़ा भिगोकर चोट लगे हुए अंग पर सिंकाई करने से दर्द आदि में आराम मिलता है।
शरीर की कोई सी भी हड्डी टूटने पर हल्दी का रोजाना सेवन करने से लाभ होता है।
1 प्याज को पीसकर हल्दी में मिलाकर कपड़े सें बांध लें। इसे तिल के तेल में रखकर गर्म करें और चोट लगे हुए स्थान पर सेंक करें। कुछ देर सेंकने के बाद पोटली खोलकर दर्द वाले स्थान पर बांधने से आराम मिलता है।
शरीर में कहीं भी चोट लगी हो या सूजन आ गई हो तो 2 भाग पिसी हुई हल्दी और 1 भाग चूने को एकसाथ मिलाकर लेप करने से लाभ होता है।
चोट लगने के कारण सूजन आने पर 10 कली लहसुन और आधा चम्मच हल्दी को एकसाथ पीसकर 1 चम्मच तेल में गर्म करके सूजन वाली जगह पर लेप करके रुई लगाकर पट्टी बांधने से सूजन जल्दी ही दूर हो जाती है।
3 ग्राम पिसी हुई हल्दी को सुबह-शाम दूध से लेने से चोट या सूजन दूर हो जाती है।
शरीर में कटी हुई जगह पर हल्दी के साथ पिसी फिटकरी या घी भर देने से लाभ होता है।
चोट लगने पर 1 चम्मच हल्दी को गर्म दूध में मिलाकर पीने से दर्द और सूजन दूर हो जाती है। चोट लगी जगह पर हल्दी को पानी में मिलाकर उसका लेप लगाएं और अगर चोट ज्यादा गहरी हो तो उसमें हल्दी भर दें इससे चोट जल्दी भर जाती है। आंख में चोट लगने पर भी हल्दी को खाया जा सकता है। घी और आधा चम्मच सेंधानमक को थोड़े से पानी में मिलाकर हलुवा सा बनाकर चोट पर रखकर बांधें। आधा लीटर उबलते हुए गर्म पानी में आधा चम्मच सेंधानमक ड़ाले, फिर हिलाएं इसमें एक चम्मच हल्दी डाले और बर्तन को उतारकर रख दें जब पानी सेंक करने लायक हो जायें तो कपड़ा भिगोकर चोट वाले अंग पर इससे सेंक करे दर्द में आराम मिलेगा।
केला
चोट या रगड़ लगे हुए स्थान पर केले के छिलके को बांध देने से उस स्थान पर सूजन पैदा नहीं होती। पका हुआ केला और गेहूं का आटा पानी में गूंथकर गर्म करके लेप करने से चोट ठीक हो जाती है।
दूब
चाकू आदि से शरीर का कोई भाग कटने या चोट लगने से खून बह रहा हो तो दूब को कूटकर उसके रस में कपड़े को भिगोकर उसकी पट्टी बांधने से खून का बहना बंद हो जाता है।
लहसुन
लहसुन की कलियों को नमक के साथ पीसकर उसकी पुिल्टस बांधने से चोट और ऐंठऩ में लाभ होता है।
अन्दरूनी चोट में लहसुन, हल्दी और गुड़ को मिलाकर लेप करने से आराम मिलता है।
प्याज:
1 चम्मच पिसी हुई हल्दी को 2 चम्मच प्याज के रस में मिलाकर इसकी पोटली बांधकर सरसों के गर्म तेल में डुबोकर चोट लगे स्थान पर सेंक करें और फिर इसे चोट वाली जगह लेप करें इसके बाद रुई लगाकर पट्टी बांध दें। 2 चम्मच प्याज के रस और 1 चम्मच शहद को मिलाकर 2 बार रोजाना चाटे। इससे चोट का दर्द व सूजन ठीक हो जाती है।
प्याज को काटकर कपड़े में बांध लें। इसे मोच वाली जगह पर लपेटने से मोच के कारण होने वाली सूजन कम हो जाती है।
खरोंच आने पर प्याज का टुकड़ा काटकर खरोंच वाली जगह पर मलने से लाभ होता है। लेकिन कटी या फटी त्वचा पर प्याज न लगाएं।
नमक
नमक को तवे पर सेंककर गर्म-गर्म ही मोटे कपड़े में बांधकर दर्द वाली जगह को सेंकने से मोच व चोट में आराम मिलता है।
गर्म पानी में नमक घोलकर सेंक करने से चोट ठीक हो जाती है।
अदरक
चोट लगने पर, भारी समान उठाने पर, कुचल जाने पर दर्द होने पर वहां अदरक को पीसकर मोटा लेप करके पट्टी बांध दे। लगभग 2 घण्टे बाद इस पट्टी को हटाकर ऊपर से सरसों का तेल लगाकर सेंक करें। इस तरह एक बार रोजाना लेप करने से दर्द दूर हो जाता है।
एरण्ड
चोट लगने के कारण खून बहने में या घाव होने पर एरण्ड का तेल लगाकर पट्टी बांधने से लाभ होता है।
एरण्ड के पत्ते पर तिल का तेल लगाकर गर्म करके बांधने से चोट के कारण आने वाली सूजन एवं दर्द में लाभ होता है।
10-10 ग्राम एरण्ड के बीज की गिरी और काले तिल को दूध में पीसकर कम गर्म ही मोच पर बांधने से आराम मिलता है।
एरण्ड के कुछ पत्तों को पानी में उबालकर इस पानी को चोट पर लगाने से राहत मिलती है।
कपूर
कपूर को चौगुने तेल में मिलाकर चोट, मोच, ऐंठन आदि में मालिश करने से दर्द दूर होता है।
चन्दन
चोट, मोच के कारण सूजन होने पर चन्दन के तेल का लेप करने से लाभ होता है।
फिटकरी
फिटकरी को कचूर के साथ पीसकर लेप करने से मोच के कारण होने वाला दर्द और सूजन दूर हो जाती है।
आधा ग्राम फिटकरी भूनी को गर्म दूध के साथ सुबह-शाम लेने से गुम चोट में यह बहुत लाभ होता है।
लगभग 4 ग्राम फिटकरी को पीसकर आधा किलो गाय के दूध में मिलाकर पीने से चोट के कारण होने वाला दर्द बंद हो जाता है।
लगभग 10 ग्राम फिटकरी को 40 ग्राम घी में भूनकर रख लें। जब घी जम जायें, तब इस घी में चीनी और मैदा मिलाकर हलुआ बना लें। इस हलुए में 3 दिन तक फिटकरी मिलाकर खाने से चोट लगने के कारण जमा हुआ खून पिघल जाता है।
डेढ़ ग्राम फिटकरी को फांककर उसके ऊपर से दूध पीने से चोट लगने के कारण खून नहीं जमता और इससे होने वाला दर्द दूर हो जाता है।
हरड़
हरड़, आंवला और रसौत को 50-50 ग्राम की मात्रा में कूटकर और छानकर 5-5 ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम पानी के साथ लेने से चोट के कारण खून का बहना बंद हो जाता है।
पोदीना
चोट लगने पर अगर खून जम जाए तो पोदीने का रस पीने से जमा हुआ खून पिघल जाता है।
सूखे पोदीने को पीसकर फंकी लेने से चोट आदि के कारण जमा हुआ खून पिघल कर चोट ठीक हो जाती है।
गुड़
चोट लगने के कारण हड्डी टूट जाने पर प्लास्टर लगाकर एक बार की टूटी हड्डी तो जल्द ही ठीक हो जाती है मगर जो हड्डी बार-बार टूटी हो उस में जगह बनने से पानी जमने, सड़ने की संभावना हो सकती है। इसके लिए 1 छोटा चम्मच पिसी हुई हल्दी, 1 चम्मच भर पुराना गुड़ जो कि 1 साल पुराना हो और 2 चम्मच देशी घी को एकसाथ मिलाकर 1 कप पानी में उबालें। जब उबलते-उबलते पानी आधा रह जाये, तब इसे थोड़ा ठंड़ा कर पी जायें। इस प्रयोग को केवल 15 दिन से 6 महीने तक करने से लाभ नज़र आ जाता है।
धनिया
शरीर में खून जमा हो जाने के कारण नील पड़ जाता है। प्राय: गिर-पड़ने, चोट खाने, मार-पीट आदि के कारण ऐसा होता है। ऐसी दशा में 10 ग्राम धनिया, 5 ग्राम हल्दी, 2 पुती लहसुन और ग्वार के पत्ते को एकसाथ मिलाकर सरसों के तेल में अच्छी तरह से पकाना चाहिए। फिर इस तेल को छानकर स्वच्छ शीशी में भर लेना चाहिए। इस तेल में रूई के फाहे को भिगोकर चोट वाले स्थान पर लगाकर पट्टी बांध देनी चाहिए।
यदि शरीर में गुम चोट लगी हो तो सरसों के तेल में पिसा हुआ धनिया डालकर उस तेल में कपड़े के फाहे को भिगोकर चोट वाले स्थान पर धीरे-धीरे सेंक करना चाहिए। चोट वाले स्थान पर धनिये की पोटली भी रखी जा सकती है।
गेहूं
गेहूं की राख, घी और गुड़ को बराबर मात्रा में मिलाकर 1-1 चम्मच सुबह-शाम दिन में 2 बार खाने से चोट का दर्द ठीक हो जाता है।
हड्डी टूटना, चोट, मोच लगने पर गुड़ में गेहूं का हलवा या शीरा बनाकर खायें। 2 चम्मच गेहूं की राख में गु़ड़ और घी मिलाकर रोजाना सुबह-शाम चाटे। इससे दर्द में फायदा होता है और हड्डी जल्दी जुड़ जाती है।
भांग
भांग का एक पूरा पेड़ पीसकर नए घाव में लगाने से घाव में आराम मिलता है। चोट के दर्द को दूर करने के लिए इसका लेप बहुत ही लाभकारी होता है।
बरगद(बड़)
बड़ का दूध चोट, मोच, सूजन पर मलने और दिन में 2-3 बार लगाने से लाभ होता है।
मंगलवार, 2 नवंबर 2010
बालों का गिरना
चाय
सिर धोने के बाद चाय के पानी (बिना चीनी और दूध का) से सिर धोने से बालों में चमक आती है और बालों का टूटना बन्द हो जाता है।
नींबू
बालों में नींबू के रस से मालिश करके धोने से बालों का झड़ना कम हो जाता है।
एक गिलास पानी में 2 चम्मच चाय डालकर उसे उबाल लें और उसे ठंड़ा होने दें। ठंड़ा होने के बाद उसे छानकर उसमें नीबू निचोड़ लें। बालों को अच्छी तरह साफ लेने के बाद इस पानी से बालों को धोयें। इसके बाद साफ पानी से बालों को धोयें। इस तरह बालों को धोने से बाल चमकदार और मुलायम हो जाते हैं और उनका झड़ना भी कम हो जाता है।
ककड़ी
ककड़ी के रस के इस्तेमाल से बाल घने होते हैं।
चौलाई
चौलाई की सब्जी खाने से बालों का झड़ना कम हो जाता है।
कनेर
कनेर की जड़, दन्ती और कड़वी तोरई-इन सभी को पीसकर केले के रस (क्षार) में इस तेल को पका लें। इसे बालों में लगाने से बालों का गिरना बन्द हो जाता है।
दही
बालों को गिरने से रोकने के लिए दही से सिर को धोना चाहिए क्योंकि दही में वे सभी तत्व होते हैं जिसकी स्वस्थ बालों को अधिक आवश्यकता रहती है। दही को बालों की जड़ों में लगाकर बीस मिनट बाद धोने से लाभ मिलता है।
हल्दी
कच्ची हल्दी में चुकन्दर के पत्तों का रस मिलाकर सिर में लगायें। इससे बाल नहीं गिरते और नये बाल भी उग आते हैं। बाल सुन्दर और आकर्षक बन जाते हैं।
भाप
बालों में भाप देने से बाल रेशम की तरह चमकदार और स्वस्थ होते हैं। इससे बालों का झड़ना भी बन्द हो जाता है। भाप देने के लिए सबसे पहले एक भगोने में गर्म पानी लें और एक तौलिये में इसे भिगोकर हल्का सा निचोड़कर बालों में लपेट लें। ठंड़ा होने पर दूसरे तौलिया को इसी तरह भिगोकर लपेटें। इसी तरह 10 मिनट तक भाप दें। जिस दिन बालों में भाप देनी है उससे एक दिन पहले ही सिर में तेल लगा लें।
नीम
सिर के बाल गिरने की शुरुआत ही हुई हो तो इसके लिए आप को नीम और बेर के पत्तों को पानी में उबाल लेना चाहिए। इससे बालों को धोने से बालों का झड़ना कम हो जाता है। इस तरह बाल काले भी होंगे और लंबे भी। इसके प्रयोग से सिर की ``जूं´´ भी मर जाती हैं। सिर धोते समय इस बात का ध्यान रखें कि यह पानी आंखों में प्रवेश न हो। इसके लिए आंखों को बन्द रखें।
पत्तागोभी
पत्तागोभी के 50 ग्राम पत्तों को रोजाना 1 महीने तक खाने से झड़े हुए बाल फिर से उग आते हैं।
तुलसी
कम उम्र में बाल गिरते हो और बाल सफेद हो गये हो तो इसके लिए तुलसी के पत्ते और आंवले का चूर्ण पानी के साथ मिलाकर सिर में मालिश करें। इसके 10 मिनट बाद सिर को धो लें। इससे बालों का झड़ना कम होता है तथा बाल काले और लंबे भी होते हैं।
राई
राई के हिम या फांट से सिर धोने से बाल गिरना बन्द हो जाते हैं। सिर में फोडे़-फुन्सी, जुएं और खुजली आदि रोग समाप्त हो जाते हैं।
दालचीनी
आलिव ऑयल गर्म करके इसमें एक चम्मच शहद और एक चम्मच दालचीनी पाउडर मिलाकर उसका पेस्ट बना लें, इस पेस्ट को बालों की जड़ों व त्वचा पर स्नान करने से 15 मिनट पहले लगा लें। जिन लोगों के सिर के बाल गिरते हो और जो गंजे हो गये हो उन्हें लाभ होता है।
आम
नरम आम की टहनी के पत्तों को पीसकर लगाने से बाल बड़े और काले होते हैं। इन पत्तों के साथ कच्चे आम के छिलकों को पीसकर तेल मिलाकर धूप में रख दें। इस तेल को लगाने से बालों का झड़ना बन्द हो जाता है और बाल काले हो जाते हैं।
लहसुन
बालों में लहसुन का रस लगाकर सूखने दें। इस तरह 3 बार रोज लहसुन का रस कुछ हफ्ते तक लगाते रहने से सिर पर बाल उग जाते हैं।
बालों को काला करना
सरसों
1 किलो सरसो का तेल, रतनजोत, मेहंदी के पत्ते, जलभांगरा के पत्ते तथा आम की गुठलियों को 100-100 ग्राम की मात्रा लेकर सभी को कूटकर लुगदी बना लें और लुगदी को निचोड़ लें। इस पानी को सरसों के तेल में इतना उबालें कि सारा पानी जल जाए, केवल तेल ही शेष बचे। इसे छानकर इसका तेल रोजाना सिर पर लगायें। इस प्रयोग में सुबह के समय शीर्षासन करना चाहिए और सुबह-शाम 250 ग्राम दूध पीना चाहिए। इससे बाल काले हो जाते हैं।
घी
घी खाने और बालों की जड़ों में घी मालिश करने से बाल काले होते हैं।
दही
10 पिसी हुई कालीमिर्च का चूर्ण और 1 नींबू निचोड़कर आधा कप दही में मिला लें और इसे बालों पर लगाकर 20 मिनट तक लगा रहने दें। इसके बाद सिर को धो लें। इससे बाल काले और मुलायम हो जाते हैं।
100 ग्राम दही में बारीक पिसी हुई 1 ग्राम कालीमिर्च को मिलाकर सप्ताह में एक बार सिर को धोयें और बाद में गुनगुने पानी से सिर को धो लें। इस प्रयोग को करने से बालों का झड़ना बन्द हो जाता है तथा बाल काले और सुन्दर हो जाते हैं।
कालीमिर्च
जुकाम में भी बाल सफेद हो जाते हैं। अगर बाल जुकाम के कारण सफेद हो गये हो तो 10 कालीमिर्च रोजाना सुबह-शाम निगल जायें। इससे कफ-विकार (बलगम रोग) खत्म हो जाते हैं और नये बाल उगना शुरू हो जाते हैं। इसका प्रयोग 1 साल से अधिक करें। तिल के तेल में कालीमिर्च को बारीक पीसकर बालों में लगाने से बाल काले हो जाते हैं।
मुल्तानी मिट्टी
100 ग्राम मुल्तानी मिट्टी 1 कटोरे में लेकर पानी में भिगो दें। जब यह 2 घंटे में फूलकर लुग्दी सी बन जाए तो हाथ से मसलकर गाढ़ा घोल बना लें। ध्यान रहे कि इसमें डालिया न बचने पायें। इस घोल को सूखे बालों में डालकर मुलायम हाथों से धीरे-धीरे बालों में लगायें। इसे लगाने के 5 मिनट बाद सर्दियों में गुनगुना और गर्मियों में ठंड़े पानी से धो लें। अगर बाल ज्यादा गंदे हो तो वैसे ही करें। इस तरह साबुन की जगह मुल्तानी मिट्टी से बालों को सप्ताह में 2 बार धोने से उसमें अच्छी चमक देखने को मिलती है। पहली बार ही धोने से सिर में हल्कापन और शीतलता का अनुभव होता है जैसा कि और शैम्पू में नहीं देखने को मिलता है।
काला तिल
250 ग्राम काला तिल, 250 ग्राम गुड़ दोनों को सही तरह से कूटकर रख लें। इसे रोजाना 50 ग्राम खाने से शरीर में ताकत आती है। इससे पेशाब अधिक नहीं लगती और उम्र से पहले आये सफेद बाल काले होने लगते हैं।
काला तिल, सूखा भृंगराज, सूखा आंवला और मिश्री को बराबर लेकर बनाये गये चूर्ण को रोजाना सुबह 6 ग्राम की मात्रा में खाकर ऊपर से 250 ग्राम दूध का सेवन करें। इसे 1 साल तक लगातार खाने से रूप बदल जाता है।
नोट : इस प्रयोग के समय ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए।
मेहंदी
50 ग्राम मेहंदी, आधा चम्मच कॉफी और 25 आंवला को दूध में भिगोकर बालों में लगा लें, 1 घण्टे के बाद पानी से सिर धो लें, सप्ताह में 2 बार ऐसा करने से सफेद बाल काले-सुनहरे हो जाते हैं।
6 चम्मच मेहंदी, 4 चम्मच सूखा आंवला, 1 चम्मच कॉफी, चौथाई चम्मच कत्था-इन सबको मिलाकर 1 लोहे के बर्तन में कॉफी के उबले हुए पानी में भिगो लें। दूसरे दिन इनका बालों पर लेप करें। 20 मिनट तक लेप को लगा रहने दें। इसके बाद सिर को धो लें और सिर में आंवले का तेल लगाएं। आंवला बालों के लिए एक प्राकृतिक (कुदरती) देन है। इसे बालों में किसी भी तरीके से लगा सकते हैं और इसका रस पीयें। इससे बालों को लाभ होता है।
मेहंदी के पत्तों का चूर्ण और नील के पत्तों का चूर्ण समान मात्रा में लेप बनाकर लगाने से सफेद बाल प्राकृतिक रूप से काले हो जाते हैं।
मेहंदी, दही, नींबू और चाय की पत्तियों को मिलाकर 2 से 3 घंटे तक बालों में लगाने से बाल घने, मुलायम, काले और लंबे हो जाते हैं।
नीम
नीम के बीजों को भांगरा और विजयसार के रस के साथ कई बार उबालकर उसके बीजों का तेल निकालकर 2-2 बूंदों को नाक से लेने से तथा आहार में केवल दूध और भात को खाने से सफेद बाल काले हो जाते हैं।
विशेष
युवावस्था से ही सुबह-शाम भोजन करने के बाद वज्रासन में बैठकर 2-3 मिनट तक लकड़ी, सींग और हाथी दांत की कंघी करने से बालों का सफेद होना कम हो जाता है। इससे बालों का जल्दी पकना और गिरना, सिर की खुजली, सिर का पिलपिला होना, चक्कर और सिर की गर्मी नष्ट हो जाती
बेसन का शैम्पू
साबुन की जगह सप्ताह में दो बार बेसन को पानी में सही तरह से घोलकर बालों में लगाएं और इसे 1 घण्टे बाद धो लें। इससे बाल घने और काले होते हैं। इस तरह बालों की गन्दगी साफ हो जाती है, बाल चमकीले और मुलायम हो जाते हैं। सिर की खाज खुजली और फुन्सियां जल्द ही ठीक हो जाती हैं।
नारियल
300 ग्राम नारियल के तेल में कालीमिर्च (मोटी कुटी हुई) 3 ग्राम (लगभग एक चम्मच) डालकर गर्म कर लें। थोड़ा तेज गर्म हो जाने पर साफ कपड़े से छानकर बोतल में भर लें। रात में साने से पहले इसे बालों की जड़ों में अंगुलियों के सिरों से हल्की-हल्की मालिश करें। इससे बाल काले हो जाते हैं।
तुलसी
बराबर मात्रा में तुलसी और हरा धनिया पीसकर आंवले के रस के साथ कुछ दिनों तक लगाएं। बाद में ताजे पानी से बालों को धो लें। इससे बाल काले बनते हैं।
तुरई (तोरी)
तुरई के टुकड़ों को छाया में सुखाकर कूट लें। इसमें नारियल का इतना तेल डालें कि यह पूरी तरह से डूब जाए। इसी प्रकार 4 दिनों तक इसे भिगोयें, फिर उबालें और इसे छानकर बोतल में भरकर रख लें। इस तरह इस तेल को बालों में लगाने और मालिश करने से बाल काले हो जाते हैं।
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