मंगलवार, 11 जनवरी 2011
ऐरोमाथैरेपी खुशबू से उपचार
पेट के ऊपरी भाग में दर्द की स्थिति में तीन बूँदें पिपरमेंट ऑइल, दो बूँदें क्लोव ऑइल तथा एक बूँद यूकेलिप्टस ऑइल के मिश्रण में एक चम्मच वेजीटेबल ऑइल मिलाकर मालिश करने से लाभ होता है। दर्द यदि पेट के निचले हिस्से में हो तो दो बूँद जिरेनियम ऑइल, दो बूँद रोजमेरी ऑइल व एक बूँद जिंजर ऑइल में एक चम्मच वेजीटेबल ऑइल डालकर दर्द वाले भाग पर हल्के हाथ की मालिश की जा सकती है।
दाँतों का पोषण
दाँतों की उचित सफाई न रखने व अच्छे पोषण के अभाव से कई बार दाँतों में खून लगता है। इस स्थिति में एक लीटर गुनगुने पानी में एक चम्मच ब्रैंडी, दो बूँद लेमन ऑइल, एक बूँद लेवेंडर ऑइल व एक बूँद यूकेलिप्टस ऑइल मिलाकर कुल्ला करने से फायदा होगा। इस मिश्रण को पिएँ नहीं।
नकसीर फूटनागर्मियों में नकसीर फूटना या नाक से खून आना एक आम समस्या है। इसके लिए पीठ के बल सीधे लेट जाएँ और एक टिशु पेपर पर एक बूँद साइप्रस ऑइल, एक बूँद लेवेन्डर ऑइल, दो बूँद लेमन ऑइल व एक बूँद रोज ऑइल डालकर सूँघने से राहत मिलेगी। छोटे-मोटे साधारण घाव व फोड़े-फुंसियों के उपचार के लिए दो बूँद लैवेंडर ऑइल, एक बूँद कैमोमाइल ऑइल व एक बूँद टी ट्री ऑइल के मिश्रण को एक कप गुनगुने पानी में मिलाकर दिन में दो बार घाव को धोएँ। घाव या फुंसी को धूल-मिट्टी से जरूर बचाएँ।
फिशर
गुदा का फिशर होने पर दो लीटर गुनगुने पानी में पाँच बूँदें लेवेंडर, दो बूँदें जिरोनियम व दो बूँदें लेमन ऑइल डालकर गुदा वाले भाग को धोएँ। उसके बाद ये सभी एसेंशियल ऑइल एलोवीरा जेल में मिलाकर प्रभावित भाग के चारों ओर मालिश करें। घर में भारी सामान उठाते समय, नृत्य या व्यायाम करते समय, हाथ या पैरों की मांसपेशियाँ खिंच जाने से हाथ या पैर में मोच आ सकती है। ऐसी स्थिति में किसी भी बेस ऑइल की तीस मि.ग्रा. मात्रा लेकर उसमें पाँच बूँद ब्लैक पेपर ऑइल, पंद्रह बूँद यूकेलिप्टस ऑइल, पाँच बूँद जिंजर ऑइल व नट मेग ऑइल मिलाकर दिन में तीन बार मालिश करें। साथ ही ठंडी मसाज भी फायदेमंद होगी।
रजोनिवृत्तिरजोनिवृत्ति के समय महिलाओं के स्वभाव में परिवर्तन हो जाना एक आम समस्या है। वास्तव में रजोनिवृत्ति के समय रक्त नलिकाओं में अनियमितता आ जाने के कारण या तेज गर्मी की वजह से अक्सर महिलाएँ चिड़चिड़ी व बेचैन हो जाती हैं। 30 मिलीग्राम बेस ऑइल में छः बूँद लेमन ऑइल, दस बूँद क्लैरी सेज ऑइल, 9 बूँद जिरेनियम ऑइल व पाँच बूँदें इवनिंग प्राइमरोज ऑइल मिलाएँ व संपूर्ण शरीर की मालिश करें। नहाने के पानी में भी इस मिश्रण का प्रयोग करें। ऐसे वक्त में चाय-कॉफी व अन्य गर्म पेय पदार्थों का सेवन बंद कर देना चाहिए।
नींद न आना
आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी में नींद न आना भी एक आम समस्या है। इसके कारण शारीरिक या मानसिक दोनों हो सकते हैं। शरीर की मालिश या नहाने के पानी में कुछ तेलों के प्रयोग से यह समस्या दूर हो सकती है। तीस मिलीग्राम बेस ऑइल में पाँच बूँद कैमोमाइल ऑइल, पाँच बूँद मेजोरम ऑइल, पंद्रह बूँद सैंडल वुड ऑइल तथा पाँच बूँद क्लैरीसेज ऑइल मिलाकर मालिश करने से आराम मिलता है। मालिश करते समय ध्यान दें कि मालिश पूरी पीठ, गले तथा कंधों आदि पर अच्छी तरह करें। नहाने के पानी में इस मिश्रण का प्रयोग करते समय जाँच लें कि नहाने के पानी का तापमान साधारण हो, न तो गर्म और न ही ठंडा।
चूँकि प्रत्येक व्यक्ति न केवल मानसिक अपितु शारीरिक क्षमता में भी दूसरों से भिन्न होता है इसलिए जरूरी है कि उपरोक्त किसी भी चिकित्सा पद्धति का प्रयोग करने से पूर्व अपने चिकित्सक की सलाह अवश्य लें।
तेल बहुत उपयोगी
घर में प्रयोग किए जा सकने वाले तेल विभिन्न प्रकार से इस्तेमाल किए जा सकते हैं, जैसे मालिश में, नहाने के पानी में या भाप के पानी में आदि। शरीर से दूषित पदार्थों के निष्कासन में ये तेल बहुत उपयोगी होते हैं जैसे एंटीसेप्टिक, एंटीबैक्टीरियल, एंटीफंगस, एंटीन्यूरालाजिक, एंटीडिपरेसेंट, रक्टी, रूमेटिक, डियोडराइजिंग आदि। एसेंशियल ऑइल को भाप विधि के द्वारा निकाला जाता है। जैसे लैवेंडर के लगभग एक सौ किलो पौधे से लगभग तीन किलो तेल प्राप्त किया जा सकता है। इन एसेंशियल तेलों का प्रयोग सदैव बेस ऑइल के साथ मिलाकर किया जाता है।
विभिन्न प्रकार के तेलों को बेस ऑइल के रूप में लिया जा सकता है जैसे वेजीटेबल ऑइल, एप्रीकाट ऑइल, मीठा बादाम तेल आदि। एसेंशियल ऑइल की मात्रा के अनुसार बेस ऑइल की मात्रा भी बदलती रहती है। जैसे एक बूँद एसेंशियल ऑइल में एक मि.ली. बेस ऑइल, चार से दस बूँद में दस मि.ली. बेस ऑइल और छः से पंद्रह बूँद में पंद्रह मि.ली. बेस ऑइल का प्रयोग किया जाता है।
आयुर्वेदिक चूर्ण
अश्वगन्धादि चूर्ण : धातु पौष्टिक, नेत्रों की कमजोरी, प्रमेह, शक्तिवर्द्धक, वीर्य वर्द्धक, पौष्टिक तथा बाजीकर, शरीर की झुर्रियों को दूर करता है। मात्रा 5 से 10 ग्राम प्रातः व सायं दूध के साथ।
अविपित्तकर चूर्ण : अम्लपित्त की सर्वोत्तम दवा। छाती और गले की जलन, खट्टी डकारें, कब्जियत आदि पित्त रोगों के सभी उपद्रव इसमें शांत होते हैं। मात्रा 3 से 6 ग्राम भोजन के साथ।
अष्टांग लवण चूर्ण : स्वादिष्ट तथा रुचिवर्द्धक। मंदाग्नि, अरुचि, भूख न लगना आदि पर विशेष लाभकारी। मात्रा 3 से 5 ग्राम भोजन के पश्चात या पूर्व। थोड़ा-थोड़ा खाना चाहिए।
आमलकी रसायन चूर्ण : पौष्टिक, पित्त नाशक व रसायन है। नियमित सेवन से शरीर व इन्द्रियां दृढ़ होती हैं। मात्रा 3 ग्राम प्रातः व सायं दूध के साथ।
आमलक्यादि चूर्ण : सभी ज्वरों में उपयोगी, दस्तावर, अग्निवर्द्धक, रुचिकर एवं पाचक। मात्रा 1 से 3 गोली सुबह व शाम पानी से।
एलादि चूर्ण : उल्टी होना, हाथ, पांव और आंखों में जलन होना, अरुचि व मंदाग्नि में लाभदायक तथा प्यास नाशक है। मात्रा 1 से 3 ग्राम शहद से।
गंगाधर (वृहत) चूर्ण : अतिसार, पतले दस्त, संग्रहणी, पेचिश के दस्त आदि में। मात्रा 1 से 3 ग्राम चावल का पानी या शहद से दिन में तीन बार।
जातिफलादि चूर्ण : अतिसार, संग्रहणी, पेट में मरोड़, अरुचि, अपचन, मंदाग्नि, वात-कफ तथा सर्दी (जुकाम) को नष्ट करता है। मात्रा 1.5 से 3 ग्राम शहद से।
दाडिमाष्टक चूर्ण : स्वादिष्ट एवं रुचिवर्द्धक। अजीर्ण, अग्निमांद्य, अरुचि गुल्म, संग्रहणी, व गले के रोगों में। मात्रा 3 से 5 ग्राम भोजन के बाद।
चातुर्जात चूर्ण : अग्निवर्द्धक, दीपक, पाचक एवं विषनाशक। मात्रा 1/2 से 1 ग्राम दिन में तीन बार शहद से।
चातुर्भद्र चूर्ण : बालकों के सामान्य रोग, ज्वर, अपचन, उल्टी, अग्निमांद्य आदि पर गुणकारी। मात्रा 1 से 4 रत्ती दिन में तीन बार शहद से।
चोपचिन्यादि चूर्ण : उपदंश, प्रमेह, वातव्याधि, व्रण आदि पर। मात्रा 1 से 3 ग्राम प्रातः व सायं जल अथवा शहद से।
तालीसादि चूर्ण : जीर्ण, ज्वर, श्वास, खांसी, वमन, पांडू, तिल्ली, अरुचि, आफरा, अतिसार, संग्रहणी आदि विकारों में लाभकारी। मात्रा 3 से 5 ग्राम शहद के साथ सुबह-शाम।
दशन संस्कार चूर्ण : दांत और मुंह के रोगों को नष्ट करता है। मंजन करना चाहिए।
नारायण चूर्ण : उदर रोग, अफरा, गुल्म, सूजन, कब्जियत, मंदाग्नि, बवासीर आदि रोगों में तथा पेट साफ करने के लिए उपयोगी। मात्रा 2 से 4 ग्राम गर्म जल से।
पुष्यानुग चूर्ण : स्त्रियों के प्रदर रोग की उत्तम दवा। सभी प्रकार के प्रदर, योनी रोग, रक्तातिसार, रजोदोष, बवासीर आदि में लाभकारी। मात्रा 2 से 3 ग्राम सुबह-शाम शहद अथवा चावल के पानी में।
पुष्पावरोधग्न चूर्ण : स्त्रियों को मासिक धर्म न होना या कष्ट होना तथा रुके हुए मासिक धर्म को खोलता है। मात्रा 6 से 12 ग्राम दिन में तीन समय गर्म जल के साथ।
पंचकोल चूर्ण : अरुचि, अफरा, शूल, गुल्म रोग आदि में। अग्निवर्द्धक व दीपन पाचन। मात्रा 1 से 3 ग्राम।
पंचसम चूर्ण : कब्जियत को दूर कर पेट को साफ करता है तथा पाचन शक्ति और भूख बढ़ाता है। आम शूल व उदर शूल नाशक है। हल्का दस्तावर है। आम वृद्धि, अतिसार, अजीर्ण, अफरा, आदि नाशक है। मात्रा 5 से 10 ग्राम सोते समय पानी से।
यवानिखांडव चूर्ण : रोचक, पाचक व स्वादिष्ट। अरुचि, मंदाग्नि, वमन, अतिसार, संग्रहणी आदि उदर रोगों पर गुणकारी। मात्रा 3 से 6 ग्राम।
लवणभास्कर चूर्ण : यह स्वादिष्ट व पाचक है तथा आमाशय शोधक है। अजीर्ण, अरुचि, पेट के रोग, मंदाग्नि, खट्टी डकार आना, भूख कम लगना। आदि अनेक रोगों में लाभकारी। कब्जियत मिटाता है और पतले दस्तों को बंद करता है। बवासीर, सूजन, शूल, श्वास, आमवात आदि में उपयोगी। मात्रा 3 से 6 ग्राम मठा (छाछ) या पानी से भोजन के पूर्व या पश्चात लें।
लवांगादि चूर्ण : वात, पित्त व कफ नाशक, कंठ रोग, वमन, अग्निमांद्य, अरुचि में लाभदायक। स्त्रियों को गर्भावस्था में होने वाले विकार, जैसे जी मिचलाना, उल्टी, अरुचि आदि में फायदा करता है। हृदय रोग, खांसी, हिचकी, पीनस, अतिसार, श्वास, प्रमेह, संग्रहणी, आदि में लाभदायक। मात्रा 3 ग्राम सुबह-शाम शहद से।
व्योषादि चूर्ण : श्वास, खांसी, जुकाम, नजला, पीनस में लाभदायक तथा आवाज साफ करता है। मात्रा 3 से 5 ग्राम सायंकाल गुनगुने पानी से।
शतावरी चूर्ण : धातु क्षीणता, स्वप्न दोष व वीर्यविकार में, रस रक्त आदि सात धातुओं की वृद्धि होती है। शक्ति वर्द्धक, पौष्टिक, बाजीकर तथा वीर्य वर्द्धक है। मात्रा 5 ग्राम प्रातः व सायं दूध के साथ।
स्वादिष्ट विरेचन चूर्ण (सुख विरेचन चूर्ण) : हल्का दस्तावर है। बिना कतलीफ के पेट साफ करता है। खून साफ करता है तथा नियमित व्यवहार से बवासीर में लाभकारी। मात्रा 3 से 6 ग्राम रात्रि सोते समय गर्म जल अथवा दूध से।
सारस्वत चूर्ण : दिमाग के दोषों को दूर करता है। बुद्धि व स्मृति बढ़ाता है। अनिद्रा या कम निद्रा में लाभदायक। विद्यार्थियों एवं दिमागी काम करने वालों के लिए उत्तम। मात्रा 1 से 3 ग्राम प्रातः -सायं मधु या दूध से।
सितोपलादि चूर्ण : पुराना बुखार, भूख न लगना, श्वास, खांसी, शारीरिक क्षीणता, अरुचि जीभ की शून्यता, हाथ-पैर की जलन, नाक व मुंह से खून आना, क्षय आदि रोगों की प्रसिद्ध दवा। मात्रा 1 से 3 गोली सुबह-शाम शहाद से।
सुदर्शन (महा) चूर्ण : सब तरह का बुखार, इकतरा, दुजारी, तिजारी, मलेरिया, जीर्ण ज्वर, यकृत व प्लीहा के दोष से उत्पन्न होने वाले जीर्ण ज्वर, धातुगत ज्वर आदि में विशेष लाभकारी। कलेजे की जलन, प्यास, खांसी तथा पीठ, कमर, जांघ व पसवाडे के दर्द को दूर करता है। मात्रा 3 से 5 ग्राम सुबह-शाम पानी के साथ।
सुलेमानी नमक चूर्ण : भूख बढ़ाता है और खाना हजम होता है। पेट का दर्द, जी मिचलाना, खट्टी डकार का आना, दस्त साफ न आना आदि अनेक प्रकार के रोग नष्ट करता है। पेट की वायु शुद्ध करता है। मात्रा 3 से 5 ग्राम घी में मिलाकर भोजन के पहले अथवा सुबह-शाम गर्म जल से भोजन के बाद।
सैंधवादि चूर्ण : अग्निवर्द्धक, दीपन व पाचन। मात्रा 2 से 3 ग्राम प्रातः व सायंकाल पानी अथवा छाछ से।
हिंग्वाष्टक चूर्ण : पेट की वायु को साफ करता है तथा अग्निवर्द्धक व पाचक है। अजीर्ण, मरोड़, ऐंठन, पेट में गुड़गुड़ाहट, पेट का फूलना, पेट का दर्द, भूख न लगना, वायु रुकना, दस्त साफ न होना, अपच के दस्त आदि में पेट के रोग नष्ट होते हैं तथा पाचन शक्ति ठीक काम करती है। मात्रा 3 से 5 ग्राम घी में मिलाकर भोजन के पहले अथवा सुबह-शाम गर्म जल से भोजन के बाद।
त्रिकटु चूर्ण : खांसी, कफ, वायु, शूल नाशक, व अग्निदीपक। मात्रा 1/2 से 1 ग्राम प्रातः-सायंकाल शहद से।
त्रिफला चूर्ण : कब्ज, पांडू, कामला, सूजन, रक्त विकार, नेत्रविकार आदि रोगों को दूर करता है तथा रसायन है। पुरानी कब्जियत दूर करता है। इसके पानी से आंखें धोने से नेत्र ज्योति बढ़ती है। मात्रा 1 से 3 ग्राम घी व शहद से तथा कब्जियत के लिए 5 से 10 ग्राम रात्रि को जल के साथ।
श्रृंग्यादि चूर्ण : बालकों के श्वास, खांसी, अतिसार, ज्वर में। मात्रा 2 से 4 रत्ती प्रातः-सायंकाल शहद से।
अजमोदादि चूर्ण : जोड़ों का दुःखना, सूजन, अतिसार, आमवात, कमर, पीठ का दर्द व वात व्याधि नाशक व अग्निदीपक। मात्रा 3 से 5 ग्राम प्रातः-सायं गर्म जल से अथवा रास्नादि काढ़े से।
अग्निमुख चूर्ण (निर्लवण) : उदावर्त, अजीर्ण, उदर रोग, शूल, गुल्म व श्वास में लाभप्रद। अग्निदीपक तथा पाचक। मात्रा 3 ग्राम प्रातः-सायं उष्ण जल से।
माजून मुलैयन : हाजमा करके दस्त साफ लाने के लिए प्रसिद्ध माजून है। बवासीर के मरीजों के लिए श्रेष्ठ दस्तावर दवा। मात्रा रात को सोते समय 10 ग्राम माजून दूध के साथ।
पुरूषों में बढता हेयरफाल, पाएं निजात
1. हेयरविशेषज्ञों के अनुसार 30 की उम्र के बाद हेयरफाल का जितना खतरा महिलाओं को होता है, पुरूषों में भी इस उम्र के बाद हेयरफाल की समस्या हो जाती है। कई बार तो कम उम्र में बाल झडना शुरू हो जाते हैं और कम उम्र में ही गंजेपन की समस्या से सामना करना पडता है। 60 का पडाव पार करने तक ऎसे पुरूष बिलकुल गंजे हो सकते हैं।
2. पुरूषों में भी फैशन का क्रेज बढता जा रहा है। ऎसे में पुरूष अपनी गर्लफ्रैंड या पत्नियों के सौंदर्य प्रसाधनौं का इस्तेमाल करते हैं। उनका तेल और कंडीशनर यूज करते हैं। लेकिन यह जरूरी नहीं है कि जो तेल, शैम्पू आपकी गर्लफ्रैंड या पत्नी को सूट करता है वह आपको भी करे। यदि आपको बालो संबंधी कोई समस्या हो तो सबसे पहले हेयर एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें।
3. एंटीडैंड्रफ शैंपू का ज्यादा प्रयोग न करें। क्योकी एंटीडैंड्रफ शैंपू का ज्यादा प्रयोग सिर की नेचुरल नमी को खत्म कर देता है।
4. गंदे बालों पर जैल या कोई हेयर स्प्रे न करें। ऎसा करना आपकी बालों की सेहत के लिएहानिकारक हो सकता है।
5. बालों को कभी-कभी शैंपू करें। साथ ही गर्दन तक शैंपू का प्रयोग करें। उंगलियौं के पोरों से हल्के-हल्के शैंपू से मसाज करें। ऎसा करने से आपके सिर का ब्लड सर्कुलेशन बढेगा।
6. हर समय कैप पहनने से बचें। कैप पहनने से पसीना, कीटाणु और गंदगी सिर के किनारों पर जम जाती है। इससे बालों की जडों को नुकसान पहुंचता है और बाल गिरने शुरू हो जाते हैं।
7. गीले बालों में कंघी करने से बचें। यदि गीले बालों में कंघी करें तो चौडे दांतों वाले कंघे का प्रयोग करें। साथ ही दिन में तीन-चार बार कंघी करें। ऎसा करने से बालों में जमीं तेल की चिपचिपाहट दूर होती है और नए बाल उगने में मदद मिलती है।
8. पुरूषों मे हेयरफाल का सीधा संबंध तनाव से होता है। तनाव के कारण बालों की जडें कमजोर हो जाती हैं। इसलिए जहां तक हो सके तनाव को अपनी जिंदगी से दूर रखें। साथ ही जंकफूड के बजाय घर का पौष्टिक भोजन करें। पानी भरपूर मात्रा में पिएं।
9. सिर पर तेल से मसाज करें। इसके लिए आप सरसों और जैतून के तेल को बराबर मात्रा में मिला कर बालों में हल्के-हल्के उंगलियों के पोरों से मसाज करें। साथ ही हथेलियों से सिर को थपथपाएं। ऎसा करने से बालौं में डैंड्रफ और हेयरफाल की समस्या से निजात मिलता है। मसाज करने के बाद तौलिये को गर्म पानी में भिगोएं फिर उसे निचोड कर सिर को भाप दें। इससे आपके रोमछिद्र खुल जाते हैं और तेल बालों की जडों के अंदर तक समा जाता है। इससे आपके बाल मजबूत होंगे।
10. 1 अंडे को फेंट कर उसकी जर्दी को बालों में लगाएं और आधे घंटे बाद शैंपू से बालौं को धो लें। ऎसा सप्ताह में एक बार करें। ऎसा करने से आपके बाल मजबूत होंगे। समय रहते यदि आप अपने झडते बालों में उपरोक्त बातें ध्यान में रखकर उपाय करेंगें तो आपको कम उम्र में गंजेपन की समस्या का सामनानहीं करना पडेगा। साथ ही आपके बाल मजबूत, घने और चमकदार रहेंगे।
सोमवार, 10 जनवरी 2011
मधुमेह दमन चूर्ण
घटक द्रव्य - नीम के सूखे पत्ते 20 ग्राम, ग़ुडमार 80 ग्राम, बिनोले की मींगी 40 ग्राम, जामुन की गुठलियों की मींगी 40 ग्राम, बेल के सूखे पत्ते 60 ग्राम।
निर्माण विधि - सब द्रव्यों को खूब कूट-पीसकर मिला लें और इस मिश्रण को 3 बार छानकर एक जान कर लें। छानकर शीशी में भर लें।
मात्रा और सेवन विधि - आधा-आधा चम्मच चूर्ण, ठण्डे पानी के साथ सुबह-शाम सेवन करें।
लाभ - यह योग मूत्र और रक्त में शर्करा को नियन्त्रित करता है। इसका प्रभाव अग्न्याशय और यकृत के विकारों को नष्ट कर देता है। इसका सेवन कर मधुमेह रोग को नियन्त्रित किया जा सकता है। इसके साथ वसन्त कुसुमाकर रस की 1 गोली प्रतिदिन लेने से यह रोग निश्चित रूप से नियन्त्रित रहता है। यह योग इसी नाम से बाजार में मिलता है।
घरेलू डॉक्टर होती हैं सब्जियाँ
सौन्दर्य निखार के नुसखें
- चेहरे पर बादाम के तेल की मालिश करने से इसके रोमकूप खुलते है।
- चेहरे पर गुलाबी पन लाने के लिए नहाने से पहले कच्चे दूध मे निंबू का रस व नमक मिला कर मलें।
- शहद मे ज़रा-सी हलदी मिला कर चेहरे पर लगाएं इससे चेहरे की मैल निकलने से चेहरा साफ व ताज़गी भरा बना रहेगा।
- केले को मैश करके उस मे एक चम्मच दूध मिलाएं। इसे चेहरे पर लगा कर ठंडे पानी से छिंटे मारें। ऐसा १०-१५ मिनट करने के पश्चात चेहरे को थपथपा कर सुखा लें झुर्रियां दुर होंगी।
- एक चमच सौफ को पानी मे अच्छी तरह उबालें। जब पाने गाढा हो जाए तो उतनी मात्रा मे ही शहद मिला लें इसे चेहरे पर लगाने के १० मिनट बाद चेहरा धो लें। झुर्रियां दुर होकर चेहरे पर चमक आएगी।
- शहद को त्वचा पर मलने से नमी नष्ट नही होती । तरबूजे के गूदे को चेहरे व गर्दन पर मलें । थोडी देर बाद इसे ठंडे पानी से धो लें । नियमित करने से चेहरे के दाग दूर होते हैं
- तुलसी के पत्तों का रस निकाल कर उसमे बराबर मात्रा मे नीबूं का रस मिला कर लगाएं । चेहरे की झांईयां दूर होती है ।
- चेहरे, गले व बांहों की त्वचा के लिए नीम की पत्ते व गुलाब के पंखुडियां समान मात्रा मे लेकर 4 गुना मात्रा पानी मे भीगो दें । सुबह इस पानी को इतना उबालें कि पानी एक तिहाई रह जाए । अब यदि पानी 100 मी ली हो, तो लाल चंदन का बारीक चूर्ण 10 ग्राम मिला कर घोल बनाएं व फ़्रिज मे रख दें । एक घंटे बाद इस पानी मे रुई डुबो कर चेहरे पर लगाएं । कुछ मिनट बाद रगड कर चेहरे की त्वचा साफ़ कर लें । अगर आंखों के नीचे काले घेरें हों तो सोते समय बादाम रोगन उंगली से आंखों के नीचे लगाएं और 5 मिनट तक उंगली से हल्के हल्के मलें । एक सप्ताह के प्रयोग से ही त्वचा में निखार आ जाता है और आंखों के नीचे के काले घेरें भी खत्म होते हैं ।
सोमवार, 20 दिसंबर 2010
मोटापा दूर करने के लिए
मोटापा दूर करने के लिए
10 ग्राम शोधन कल्प (आश्रम वाला), १० ग्राम शहद घोल बना के सुबह खाली पेट चाट लो । १-२ बार शौच होगा । इससे मोटापा, कोलेस्ट्रोल दूर होगा ।
पहला प्रयोगः केवल सेवफल का ही आहार में सेवन करने से लाभ होता है।
दूसरा प्रयोगः अरनी के पत्तों का 20 से 50 मि.ली. रस दिन में तीन बार पीने से स्थूलता दूर होती है।
तीसरा प्रयोगः चंद्रप्रभावटी की 2-2 गोलियाँ रोज दो बार गोमूत्र के साथ लेने से एवं दूध-भात का भोजन करने से 'डनलप' जैसा शरीर भी घटकर छरहरा हो जायेगा।
चौथा प्रयोगः आरोग्यवर्धिनीवटी की 3-3 गोली दो बार लेने से व 2 से 5 ग्राम त्रिफला का रात में सेवन करने से भी मोटापा कम होता है। इस दौरान केवल मूँग, खाखरे, परमल का ही आहार लें। साथ में हल्का सा व्यायाम व योगासन करना चाहिए।
पाँचवाँ प्रयोगः एक गिलास कुनकुने पानी में आधे नींबू का रस, दस बूँद अदरक का रस एवं दस ग्राम शहद मिलाकर रोज सुबह नियमित रूप से पीने से मोटापे का नियंत्रण करना सहज हो जाता है।
1 : नींबू
25 ग्राम नींबू के रस में 25 ग्राम शहद मिलाकर 100 ग्राम गर्म पानी के साथ प्रतिदिन सुबह-शाम पीने से मोटापा दूर होता है।
एक नींबू का रस प्रतिदिन सुबह गुनगुने पानी में मिलाकर पीने से मोटापे की बीमारी दूर होती है।।
1 नींबू का रस 250 ग्राम पानी में मिलाकर थोड़ा सा नमक मिलाकर सुबह-शाम 1-2 महीने तक पीएं। इससे मोटापा दूर होता है।
नींबू का 25 ग्राम रस और करेला का रस 15 ग्राम मिलाकर कुछ दिनों तक सेवन करने से मोटापा नष्ट होता है।
250 ग्राम पानी में 25 ग्राम नींबू का रस और 20 ग्राम शहद मिलाकर 2 से 3 महीने तक सेवन करने से अधिक चर्बी नष्ट होती है।
1-1 कप गर्म पीनी प्रतिदिन सुबह-शाम भोजन के बाद पीने से शरीर की चर्बी कम होती है। इसके सेवन से चर्बी कम होने के साथ-साथ गैस, कब्ज, कोलाइटिस (आंतों की सूजन) एमोबाइसिस और कीड़े भी नष्ट होते हैं।
2 : सेब और गाजर
सेब और गाजर को बराबर मात्रा में कद्दूकस करके सुबह खाली पेट 200 ग्राम की मात्रा में खाने से वजन कम होता है और स्फूर्ति व सुन्दरता बढ़ती है। इसका सेवन करने के 2 घंटे बाद तक कुद नहीं खाना चाहिए।
3 : मूली
मूली का चूर्ण 3 से 6 ग्राम शहद मिले पानी में मिलाकर सुबह-शाम पीने से मोटापे की बीमारी से छुटकारा मिलता है।
मूली के 100-150 ग्राम रस में नींबू का रस मिलाकर दिन में 2 से 3 बार पीने से मोटापा कम होता है।
मूली के बीजों का चूर्ण 6 ग्राम और ग्राम यवक्षार के साथ खाकर ऊपर से शहद और नींबू का रस मिला हुआ एक गिलास पानी पीने से शरीर की चर्बी घटती है।
6 ग्राम मूली के बीजों के चूर्ण को 20 ग्राम शहद में मिलाकर खाने और लगभग 20 ग्राम शहद का शर्बत बनाकर 40 दिनों तक पीने से मोटापा कम होता है।
मूली के चूर्ण में शहद में मिलाकर सेवन करने से मोटापा दूर होता है।
4 : मिश्री
मिश्री, मोटी सौंफ और सुखा धनिया बराबर मात्रा में पीसकर एक चम्मच सुबह पानी के साथ लेने से अधिक चर्बी कम होकर मोटापा दूर होता है।
5 : चूना
बिना बुझा चूना 15 ग्राम पीसकर 250 ग्राम देशी घी में मिलाकर कपड़े में छानकर सुबह-शाम 6-6 ग्राम की मात्रा में चाटने से मोटापा कम होता है।
6 : सहजन
सहजन के पेड़ के पत्ते का रस 3 चम्मच की मात्रा में प्रतिदिन सेवन करने से त्वचा का ढीलापन दूर होता है और चर्बी की अधिकता कम होती है।
7 : विजयसार
विजयसार के काढ़े में शहद मिलाकर पीने से मोटापा कम होता है।
8 : अर्जुन
अर्जुन के 2 ग्राम चूर्ण को अग्निमथ के काढ़े में मिलाकर पीने से मोटापा दूर होता है।
9 : भृंगराज
भृंगराज के पेड़ के ताजे पत्ते का रस 5 ग्राम की मात्रा में सुबह पानी के साथ प्रयोग करने से मोटापा कम होता है।
10 : शहद
120 से 240 ग्राम शहद 100 से 200 मिलीलीटर गुनगुना पानी के साथ दिन में 3 बार लेने से शरीर का थुलथुलापन दूर होता है।
11 : विडंग
विडंग के बीज का चूर्ण 1 से 3 ग्राम शहद के साथ दिन में 2 बार सेवन करने से मोटापा में लाभ मिलता है।
वायविंडग, सोंठ, जवाक्षार, कांतिसार, जौ और आंवले का चूर्ण शहद में मिलाकर सेवन करने से मोटापा में दूर होता है।
12 : तुलसी
तुलसी के कोमल और ताजे पत्ते को पीसकर दही के साथ बच्चे को सेवन कराने से अधिक चर्बी बनना कम होता है।
तुलसी के पत्तों के 10 ग्राम रस को 100 ग्राम पानी में मिलाकर पीने से शरीर का ढीलापन व अधिक चर्बी नष्ट होती है।
तुलसी के पत्तों का रस 10 बूंद और शहद 2 चम्मच को 1 गिलास पानी में मिलाकर कुछ दिनों तक सेवन करने से मोटापा कम होता है।
13 : बेर
बेर के पत्तों को पानी में काफी समय तक उबालकर पीने से चर्बी नष्ट होती है।
14 : टमाटर
टमाटर और प्याज में थोड़ा-सा सेंधानमक डालकर खाना खाने से पहले सलाद के रूप में खाने से भूख कम लगती है और मोटापा कम होता है।
15 : त्रिफला
रात को सोने से पहले त्रिफला का चूर्ण 15 ग्राम की मात्रा में हल्के गर्म पानी में भिगोकर रख दें और सुबह इस पानी को छानकर शहद मिलाकर कुछ दिनों तक सेवन करें। इससे मोटापा जल्दी दूर होता है। त्रिफला, त्रिकुटा, चित्रक, नागरमोथा और वायविंडग को मिलाकर काढ़ा में गुगुल को डालकर सेवन करें।
त्रिफले का चूर्ण शहद के साथ 10 ग्राम की मात्रा में दिन में 2 बार (सुबह और शाम) पीने से लाभ होता है।
2 चम्मच त्रिफला को 1 गिलास पानी में उबालकर इच्छानुसार मिश्री मिलाकर सेवन करने से मोटापा दूर होता है।
त्रिफला का चूर्ण और गिलोय का चूर्ण 1-1 ग्राम की मात्रा में शहद के साथ चाटने से पेट का बढ़ना कम होता है।
16 : हरड़
हरड़ 500 ग्राम, 500 ग्राम सेंधानमक व 250 ग्राम कालानमक को पीसकर इसमें 20 ग्राम ग्वारपाठे का रस मिलाकर अच्छी तरह मिलाकर सूखा लें। यह 3 ग्राम की मात्रा में रात को गर्म पानी के साथ प्रतिदिन सेवन करने से मोटापे के रोग में लाभ मिलता है।
हरड़ पीसकर बारीक चूर्ण बना लें और इसे नहाने से पहले पूरे शरीर पर लगाकर नहाएं। इससे पसीने के कारण आने वाली बदबू दूर होती है।
हरड़, बहेड़ा, आंवला, सोंठ, कालीमिर्च, पीपल, सरसों का तेल और सेंधानमक को एक साथ पीसकर 6 महीने तक लगातार सेवन करने से मोटापा, कफ और वायु रोग समाप्त होता है।
17 : सोंठ
सोंठ, जवाखार, कांतिसार, जौ और आंवला बराबर मात्रा में लेकर पीसकर छान लें और इसमें शहद मिलाकर पीएं। इससे मोटापे की बीमारी समाप्त हो जाती है।
सोंठ, कालीमिर्च, छोटी पीपल, चव्य, सफेद जीरा, हींग, कालानमक और चीता बराबर मात्रा में लेकर अच्छी तरह से पीसकर चूर्ण बना लें। यह चूर्ण सुबह 6 ग्राम चूर्ण में गर्म पानी के साथ पीने से मोटापा कम होता है।
18 : गिलोय
गिलोय, हरड़, बहेड़ा और आंवला मिलाकर काढ़ा बनाकर इसमें शुद्ध शिलाजीत मिलाकर खाने से मोटापा दूर होता है और पेट व कमर की अधिक चर्बी कम होती है।
गिलोय 3 ग्राम और त्रिफला 3 ग्राम को कूटकर चूर्ण बना लें और यह सुबह-शाम शहद के साथ चाटने से मोटापा कम होता है।
गिलोय, हरड़ और नागरमोथा बराबर मात्रा में मिलाकर चूर्ण बना लें। यह 1-1 चम्मच चूर्ण शहद के साथ दिन में 3 बार लेने से त्वचा का लटकना व अधिक चर्बी कम होता है।
19 : जौ
जौ का रस व शहद को त्रिफले के काढ़े में मिलाकर पीने से मोटापा समाप्त होता है।
जौ को 12 घंटे तक पानी में भिगोकर सूखा लें और इसका छिलका उतारकर पीसकर एक कप दूध में खीर बनाकर प्रतिदिन सुबह कुछ दिनों तक खाने से कमजोरी दूर होती है।
20 : गुग्गुल
गुग्गुल, त्रिकुट, त्रिफला और कालीमिर्च बराबर मात्रा में लेकर चूर्ण बना लें और इस चूर्ण को अच्छी तरह एरण्ड के तेल में घोटकर रख लें। यह चूर्ण 3 ग्राम की मात्रा में सेवन करने से मोटापा की बीमारी ठीक होती है।
1 से 2 ग्राम शुद्ध गुग्गुल को गर्म पानी के साथ दिन में 3 बार सेवन करने से अधिक मोटापा कम होता है।
21 तिल
तिल के तेल से प्रतिदिन मालिश करने से शरीर पर बनी हुई अधिक चर्बी कम होती है।
22 : सरसो
सरसो के तेल से प्रतिदिन मालिश करने से मोटापा नष्ट होता है।
23 : दही
दही को खाने से मोटापा कम होता है।
24 छाछ
छाछ में कालानमक और अजवायन मिलाकर पीने से मोटापा कम होता है।
25 आलू
आलू को तलकर तीखे मसाले और घी में मिलाकर खाने से चिकनाई वाले पदार्थो के सेवन से उत्पन्न मोटापा दूर होता है।
आलू को उबालकर गर्म रेत में सेंकर खाने से मोटापा दूर होता है।
26 : अपामार्ग
अपामार्ग के बीजों को पानी में पकाकर खाने से भूख कम लगती है और चर्बी कम होने लगती है।
27 : कुल्थी
100 ग्राम कुल्थी की दाल प्रतिदिन सेवन करने से चर्बी कम होती है।
28 : पीपल
4 पीपल पीसकर आधा चम्मच शहद मिलाकर सेवन करने से मोटापा कम होता है।
29 : पालक
पालक के 25 ग्राम रस में गाजर का 50 ग्राम रस मिलाकर पीने से शरीर का फैट (चर्बी) समाप्त होती है। 50 ग्राम पालक के रस में 15 ग्राम नींबू का रस मिलाकर पीने से मोटापा समाप्त होता है।
30 : पानी
भोजन से पहले 1 गिलास गुनगुना पानी पीने से भूख का अधिक लगना कम होता है और शरीर की चर्बी घटने लगती है।
बासी ठंडे पानी में शहद मिलाकर प्रतिदिन पीने से मोटापा में लाभ मिलता है।
250 ग्राम गुनगुने पानी में 1 नींबू का रस और 2 चम्मच शहद मिलाकर खाली पेट पीना चाहिए। इससे अधिक चर्बी घटती है और त्वचा का ढीलापन दूर होता है।
31 डिकामाली
डिकामाली (एक तरह का गोंद) लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग की मात्रा में गर्म पानी के साथ मिलाकर सुबह-शाम पीने से मोटापा कम होता है।
32 कूठ
कूठ को गुलाब जल में पीसकर पेट पर लेप करने से पेट की बढ़ती हुई अवस्था में लाभ होता है। इसका लेप हाथ, पांव पर लेप करने से सूजन कम होती है।
33 : माधवी
माधवी के फूल की जड़ 10 ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम छाछ के साथ सेवन करने से कमर पतली व सुडौल होता है।
34 बरना
बरना के पत्तों का साग नियामित रूप से सेवन करने से मोटापा दूर होता है।
35 : एरण्ड
एरण्ड की जड़ का काढ़ा बनाकर 1-1 चम्मच की मात्रा में शहद के साथ दिन में 2 बार सेवन करने से मोटापा दूर होता है।
एरण्ड के पत्तों का रस हींग मिलाकर पीने और ऊपर से पका हुआ चावल खाने से अधिक चर्बी नष्ट होती है।
36 : पिप्पली
पिप्पली का चूर्ण लगभग आधा ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम शहद के साथ प्रतिदिन 1 महीने तक सेवन करने से मोटापा समाप्त होता है।
पीप्पल 150 ग्राम और सेंधानमक 30 ग्राम को अच्छी तरह पीसकर कूटकर 21 खुराक बना लें। यह दिन में एक बार सुबह खाली पेट छाछ के साथ सेवन करें। इससे वायु के कारण पेट की बढ़ी हुई चर्बी कम होती है।
पिप्पली के 1 से 2 दाने दूध में देर तक उबाल लें और दूध से पिप्पली निकालकर खा लें और ऊपर से दूध पी लें। इससे मोटापा कम होता है।
37 जौखार
जौखार 35 ग्राम और चित्रकमूल 175 ग्राम को अच्छी तरह पीसकर चूर्ण बना लें। यह 5 ग्राम चूर्ण एक नींबू का रस, शहद और 250 ग्राम गुनगुने पानी में मिलाकर सुबह खाली पेट लगातार 40 दिनों तक पीएं। इससे शरीर की फालतू चर्बी समाप्त हो जाती है और शरीर सुडौल होता है।
जौखार का चूर्ण आधा-आधा ग्राम दिन में 3 बार पानी के साथ सेवन करने से मोटापा दूर होता है।
38 लुके मगसूल
50 ग्राम लुके मगसूल को कूटकर चूर्ण बना लें और यह चूर्ण 1 ग्राम की मात्रा में सुबह पानी के साथ सेवन करें। इससे मोटापा दूर होता है।
39 माजून मुहज्जिल
माजून मुहज्जिल 10 ग्राम की मात्रा में लेकर पानी के साथ रात को सोते समय पीने से पेट का बढ़ना कम होता है।
40 बबूल
बबूल के पत्तों को पानी के साथ पीसकर शरीर पर करने से त्वचा का ढीलापन दूर होकर मोटापा कम होता है।
41 : सुगन्धबाला
सुगन्धबाला, नागकेशर और मोतिया के पत्तों को बारीक पीसकर शरीर पर लगाने से पसीने के कारण आने वाली बदबू दूर होती है।
42 : चित्रक
चित्रक की जड़ का बारीक चूर्ण शहद के साथ सेवन करने से पेट की बीमारियां और मोटापा समाप्त होता है।
43 : बेल
बेल के पत्तों के रस में शंख का चूर्ण मिलाकर लेप करने से शरीर के अन्दर से आने वाली बदबू कम हो जाती है।
बेल के पत्ते, काली अगर, खस, सुगन्धवाला और चंदन मिलाकर पीसकर शरीर पर लेप करने से शरीर की बदबू मिटती है।
बेल के पत्ते और हरड़ बारीक पीसकर लगाने से मोटापा दूर होता है।
44 : परवल
परवल और चीते का काढ़ा बनाकर सौंफ और हींग का चूर्ण मिलाकर सेवन करने से मोटापा कम होता है।
45 : समुद्रफेन
समुद्रिफेन को ब्राह्मी के रस में पीसकर शरीर पर लगाने से पसीने की बदबू समाप्त होती है।
46 : हल्दी
हल्दी को दूध में मिलाकर शरीर पर लेप करने से लाभ होता है।
47 : असगंध
असगंध 50 ग्राम, मूसली 50 ग्राम और काली मूसली 50 की मात्रा में लेकर चूर्ण बना लें और 10 ग्राम की मात्रा में सुबह दूध के साथ लेने से मोटापे की बीमारी समाप्त होती है।
48 : अजवायन
अजवायन 20 ग्राम, सेंधानमक 20 ग्राम, जीरा 20 ग्राम और कालीमिर्च 20 ग्राम को कूटकर चूर्ण बना लें और यह चूर्ण प्रतिदिन सुबह खाली पेट छाछ के साथ पीएं। इससे शरीर की अधिक चर्बी नष्ट होती है।
49 : फलालैन
फलालैन का कपड़ा ढीला करके गले पर लपेटकर रखने से गले की अधिक चर्बी कम होती है।
50 : चावल
चावल का गर्म-गर्म मांड लगातार कुछ दिनों तक सेवन करने से मोटापा दूर होता है।
51 : करेला
करेले के रस में 1 नींबू का रस मिलाकर सुबह सेवन करने से शरीर की चर्बी कम होती है।
52 : चाय
चाय में पोदीना डालकर पीने से मोटापा कम होता है।
53 : दालचीनी
एक कप पानी में आधा चम्मच दालचीनी का चूर्ण डालकर उबालतें और इसमें एक चम्मच शहद प्रतिदिन सुबह खाली पेट और रात को सोते समय खाएं। इससे शरीर का अधिक वनज कम होता है और मोटापा दूर होता है।
54 : रस
फलों का रस बहुत उपयोगी है। मोटापा कम करने के लिए 6 से 8 महीने तक फलों का रस लेना लाभदायक होता है। इसके सेवन से किसी भी प्रकार के दुष्परिणामों का सामना नहीं करना पड़ता। फलों का रस कैलोरी को कम करता है जिससे स्वभाविक रूप से वसा कम हो जाती है। इससे शरीर का वजन और मोटापा कम होता है। गाजर, ककड़ी, पत्तागोभी, टमाटर, तरबूज, सेब व प्याज का रस फायदेमंद होता है।
55 : धनिया
सूखा धनिया 10 ग्राम, गुलाब के सूखे फूल 20 ग्राम और मिश्री को मिलाकर चूर्ण बना लें और यह 2-2 चुटकी सुबह-शाम दूध के साथ लेने से चर्बी नष्ट होती है और मोटापा दूर होता है।
56 : छाछ
मोटापे से परेशान व्यक्ति को प्रतिदिन छाछ पीना चाहिए।
57 : ईसबगोल
ईसबगोल के नियमित सेवन करने से कोलेस्ट्राल नियंत्रित होता है और शरीर में अधिक चर्बी नहीं बनती।
58 : अनन्नास
प्रतिदिन अनन्नास खाने से स्थूलता नष्ट होती है क्योंकि अनन्नास चर्बी को नष्ट करता है।
मोटापा कम करे यह स्पेशल चाय
धनिया- इससे मोटापा कम होता है और पाचन तंत्र भी मजबूत होता है। अदरक- इसमें जलन कम करने वाला यौगिक ओल्डेरोसिन होता है जो पाचनतंत्र की मांसपेशियों के लिए लाभदायक होता है। गुड़- गुड़ कैल्शियम का मुख्य स्रोत है।
मोटापा कम करे यह स्पेशल चाय एक चम्मच सूखा अदरक पाउडर, आधा चम्मच धनिया पाउडर, दो चम्मच गुड़, आधा चम्मच सौंफ, एक टी बैग और एक कप पानी। सौंफ को दो मिनट पानी में उबालिए और गर्म पानी में 1 मिनट के लिए टी बैग डालें। इससे फ्लेवर आ जाएगा। और चाय का स्वाद भी कुछ बदल जाएगा जो पीने में अच्छा लगेगा। आखिर में सारे पदार्थ इसमें मिला दें और गुड़ मिलाकर इसे घोलें। जब गुड़ मिल जाए तो स्वाद के साथ पीएं।
चुम्बक चिकित्सा द्वारा मोटापे का उपचार-
हम जानते हैं कि चुम्बक हमारे शरीर की ग्रन्थियों की दोषपूर्ण क्रिया को ठीक करती है तथा ग्रन्थियों को ठीक दिशा में कार्य करने में मदद करता है इसलिये इस रोग का चुम्बक से इलाज करने से बहुत अधिक लाभ मिलता है।
मोटे व्यक्तियों को रोजाना सुबह अपने हथेलियों पर शक्तिशाली चुम्बकों का प्रयोग करना चाहिए तथा शाम को इन चुम्बकों का प्रयोग अपने नाभि के ऊपर अर्थात मध्य रेखा के 5 सेंटीमीटर की दूरी पर दोनों ओर सूचीवेधन बिंदु St-21 पर लगाना चाहिए तथा इस प्रयोग में उत्तरी ध्रुव वाला चुम्बक सूचीवेधन बिंदु के दांयी ओर तथा दक्षिणी ध्रुव वाला चुम्बक सूचीवेधन बिंदु के बायीं ओर पर लगाना चाहिए। मोटापे से ग्रस्त व्यक्ति को चुम्बकित जल का सेवन भी करना चाहिए। इससे बहुत अधिक लाभ मिलता है।
मालिश की भूमिका
सबसे पहले मोटापे से पीड़ित रोगी को समझा देना चाहिए कि जब तक आप अपने खान-पान में सुधार नहीं करेगें, तब तक आपका मोटापा दूर नहीं हो सकता है। सादा भोजन और व्यायाम शरीर में अधिक चर्बी को पिघलाता है। मालिश उसमें सहायता करती है और रोगी के शरीर मे कमजोरी नहीं आने देती है, साथ ही चर्बी घटने पर शरीर के मांस को ढीला नहीं पड़ने देती, बल्कि मालिश शरीर को मजबूत तथा आकर्षक बना देती है। इसलिए मोटापा कम करने वाले व्यक्ति को चाहिए कि वह अपने भोजन में सुधार करे तथा प्रतिदिन व्यायाम करें। ठण्डी मालिश मोटापा दूर करने में विशेष सहायता करती है, इसके अलावा तेल मालिश या सूखी मालिश भी की जा सकती है। वैसे तेल मालिश का उपयोग कम ही करें तो अच्छा है क्योंकि तेल की मालिश तभी अधिक लाभ देती है जब रोगी उपवास कर रहा हो।
देखा गया है कि मालिश में दलना, मरोड़ना, मांसपेशियों को मसलना, झकझोरना, खड़ी थपकी देना, तेज मुक्की देना और थपथपाना आदि विधियों के प्रयोग से शरीर की फालतू की चर्बी समाप्त हो जाती है।
ये क्रियाएं चर्बी कम करने में महत्त्वपूर्ण साबित होती है। इसके अलावा रोगी को प्रतिदिन 20 मिनट का कटि-स्नान तथा सप्ताह में 2 बार पूरी चादर का लपेट करना चाहिए (इसमें सारे शरीर को गीली चादर में लपेटकर फिर कंबलों से लपेटा जाता है।) इसके अलावा रोगी को कभी-कभी वाष्प-स्नान और `एपसम साल्ट बाथ´ देना चाहिए।
रोगी को उबली हुई सब्जियां, क्रीम निकला हुआ दूध, संतरा, नींबू आदि खट्टे फल तथा 1-2 चपाती नियमित रूप से कई महीने तक लेनी चाहिए। रोगी को तली और भुनी हुई चीजों को अपने भोजन से पूरी तरह दूर रखना चाहिए। उपचार के दौरान रोगी को बीच-बीच में 1-2 दिन का उपवास भी रखना चाहिए। उपवास के दिनों में केवल नींबू पानी अधिक मात्रा में पीना चाहिए। इस प्रकार के भोजन व उपचार से कुछ दिनों तक तो रोगी को कमजोरी महसूस होगी, परन्तु कुछ दिनों के अभ्यास से जब शरीर इसका आदि हो जाएगा, तब रोगी अपने को अच्छा महसूस करने लगेगा।
जिन लोगों को मोटापा थायराइड ग्रंथि की गड़बड़ी के कारण हो गया हो, उन्हें मोटापा दूर करने के लिए क्रीम निकले दूध के स्थान पर गाय का दूध पीना चाहिए, इससे रोगी को कोई नुकसान नहीं होगा। रोगी के लिए आवश्यक यह है कि वह एक समय में ही भोजन करे और सुबह और शाम 250 ग्राम से 300 ग्राम दूध के साथ कुछ फल भी ले, इससे रोगी को जल्दी लाभ होगा।
मोटापा रोग का प्राकृतिक चिकित्सा से उपचार-
1. इस रोग को ठीक करने के लिए सबसे पहले रोगी व्यक्ति को अपने भोजन करने की आदत पर संतुलन करना चाहिए और इसके बाद प्राकृतिक चिकित्सा से उपचार करना चाहिए।
2. शारीरिक रूप से नियमित व्यायाम करने से काफी हद तक इस बीमारी से छुटकारा मिल सकता है।
3. भूख से ज्यादा भोजन कभी नहीं करना चाहिए तथा शर्करा और चर्बी वाले पदार्थो का भोजन नहीं खाना चाहिए।
4. जहां तक हो सके तो भोजन में नमक का इस्तेमाल कम करना चाहिए। यदि नमक खाना भी है तो सेंधानमक का इस्तेमाल करना चाहिए।
5. अपने भोजन में साग-भाजी तथा हरी सब्जियों का रस ज्यादा लें। अंकुरित दालों का सेवन भी करते रहना चाहिए। अधिकतर गेहूं या चावल से बने पदार्थ ही खाएं। अपने आहार की मात्रा को घटाते रहना चाहिए, इससे चर्बी का बनना रुक जाता है।
6. वैसे कहा जाए तो उतना ही भोजन सेवन करना चाहिए जितनी की शरीर को आवश्यकता हो। प्रतिदिन सुबह के समय में खाली पेट स्वास्थ्य पेय या पानी में शहद व नीबू डालकर हल्का गर्म पानी पीएं। इससे कुछ दिनों में ही रोगी को बहुत अधिक लाभ मिलता है।
7. तांबा-चांदी-सोना के बर्तन में पानी रखकर उसे गरम या गुनगुना करके पीने से शरीर की फालतू चर्बी कम हो जाती है।
8. मोटापा रोग से पीड़ित रोगी को एक गिलास पानी में तुलसी का रस मिलाकर पीना चाहिए तथा पेट पर मिट्टी की पट्टी तथा इसके कुछ देर बाद पेट पर गर्म या ठंडा सेंक करना चाहिए। रोगी को एनिमा क्रिया करके अपने पेट को भी साफ करना चाहिए।
9. रोगी व्यक्ति को कुंजल क्रिया करके उसके बाद भाप स्नान करना चाहिए और सप्ताह में एक बार गीली लपेट का शरीर पर प्रयोग करना चाहिए तथा शंख प्रक्षालन, सूर्यस्नान, गर्म पादस्नान तथा सूखा घर्षण करना चाहिए। इससे मोटापा रोग कुछ ही दिनों में ठीक हो जाता है।
10. सूर्यतप्त नांरगी बोतल का पानी प्रतिदिन पीने तथा गहरी सांस लेते हुए सैर पर जाने और प्रतिदिन 2 मिनट तक ठहाके लगाकर हंसने से मोटापे का रोग ठीक होने लगता है।
11. मोटापे रोग को ठीक करने के लिए कई प्रकार के आसन हैं जिसको करने से यह रोग ठीक हो जाता है। ये आसन इस प्रकार हैं- भुजंगासन, शलभासन, वज्रासन, पश्चिमोत्तानासन, पवनमुक्तासन, उडि्डयान बंध, मूलबंध तथा सूर्य नमस्कार आदि।
12. रोगी व्यक्ति को रात को सोते समय तांबे के लोटे में पानी रखना चाहिए। इस पानी को सुबह के समय में पीने से रोगी को बहुत अधिक लाभ मिलता है।
होम्योपैथिक
1 : ग्रैफाइटिस
मोटापन रोग को ठीक करने के लिए ग्रैफाइटिस औषधि की 3x मात्रा दो सप्ताह से कुछ ज्यादा दिनों तक सेवन कराने से लाभ मिलता है। स्त्रियों के इस रोग को ठीक करने के लिए ग्रैफाइटिस औषधि अधिक उपयोगी होती है।
2 : फाइटोलैक्का
फाइटोलैक्का की एक ग्रेन की टिकिया या एक बूंद की टिकिया एक महीने तक प्रतिदिन दिन में दो बार सेवन करने से मोटापन रोग को ठीक करने में लाभ मिलता है।
3 : फ्यूकस वेसिक्युलोसस
रोगी को फ्यूकस वेसिक्युलोसस औषधि के मदरटिंचर के 5 से 6 बूंद दिन में दो बार सेवन करने से लाभ मिलता है।
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