बुधवार, 19 जनवरी 2011

हार्ट अटैक के बाद जीवन शैली और घरेलू उपचार.

हार्ट अटैक के बाद की जीवन शैली और घरेलू उपचार
    एक बार हार्ट अटैक झेल चुके हृदय के मरीजों को अत्यन्त सावधानी के साथ अपनी जीवन शैली में ऐसे बदलाव अपनाने चाहिये जिससे दूसरी बार अटैक से बचे रहें। मैं ऐसे रोगियों के लिये परामर्ष के तौर पर कुछ लाभदायक बातें और निर्देश यहां प्रस्तुत कर रहा हूं। अपने चिकित्सक के परामर्श से अमल में लाकर लाभ उठावें।
१) हार्ट अटैक के बाद रोगी २-३ सप्ताह पूर्ण विश्राम करें।
२)  विश्राम अवधि के बाद धीरे-धीरे चलने का अभ्यास  करें। हां ,ज्यादा थकावट मेहसूस नहीं होनी चाहिय। शारीरिक सक्रियता लगातार बढाते जाएं। तकलीफ़ मालुम ना  हो तो तेज चलने का उपक्रम भी करते रहें।
३)  मन में निराशा,चिंता,टेंशन बिल्कुल न आने दें। प्रसन्न रहना हार्ट रोगियों के लिये टानिक का काम करता है। अटैक पडने के एक दो माह बाद तबीयत  ठीक हो  तो सेक्स करने मे भी  कोइ अडचन नही है।
४)  अपने ब्लड प्रेशर की नियमित जांच करवाते रहना चाहिये। खून में कोलेस्ट्रोल के लेविल की जांच भी नियमित अंतराल पर करवाते रहें।
५)  हार्ट  के मरीजों के भोजन में हरी सब्जीयां और फ़लों की अधिकता जरूरी है। अंकुरित किये हुए मैथी बीज सोयाबीन बीज मूंग,अलसी बीज खाने की आदत डालना आवश्यक है।
६)  आंवला विटामिन सी का उत्तम स्रोत है। यह हृदय के लिये अमृत समान फ़ल है।  नित्य १० मिलि. आंवला रस पीना लाभदायक है।
७)  अदरक का हार्ट पर उत्तम प्रभाव देखा गया है।  इससे कोलेस्त्रोल का लेविल घटता है। और अदरक के प्रभाव से खून में  थक्का भी नहीं जमता है।
८)   नींबू  के नियमित सेवन से खून की नलियों मे कोलेस्ट्रोल नहीं जम पाता है। एक नींबू का रस मामूली गरम जल में रोजाना लेते रहें।
९)  आयुर्वेदिक चिकित्सक हृदय रोगियों में अर्जुनारिषट का बहुतायत से प्रयोग करते हैं ।
इससे परिसंचरण तन्त्र मजबूत होता है। हार्ट की सुरक्छा के लिये यह औषधि प्रसिद्ध हो चुकी है।
१०)  शहद १५ ग्राम एक नींबू के रस में मिलाकर लेने से हृदय की ताकत में इजाफ़ा होता है।
११)  ताजा अनुसंधान में पता चला है कि लहसुन की ४ कली चाकू से बारीक काटकर १०० ग्राम दूध में उबालकर लेने से  खून  में थक्का नहीं जमता है और कोलेस्ट्रोल का लेविल भी कम हो जाता है।
     हार्ट के मरीज ऊपर बताये गये उपाय अपनाकर अपने हृदय को सुरक्छित रखते हुए दूसरे हार्ट अटैक से  बचे रहेंगे और उनका इम्युन सिस्टम भी शक्तिशाली बन जाएगा।

माईग्रेन(आधाशीशी) रोग का सरल उपचार

१)  बादाम १०-१२ नग प्रतिदिन खाएं। यह माईग्रेन का बढिया उपचार है।
२)  बन्ड गोभी को कुचलकर एक सूती कपडे में बिछाकर  मस्तक (ललात) पर बांधें। रात को सोते वक्त या दिन में भी सुविधानुसार कर सकते हैं। जब गोभी का पेस्ट सूखने लगे तो नया पेस्ट बनाककर पट्टी बांधें। मेरे अनुभव में यह माईग्रेन का सफ़ल उपाय हैं।
३)  अंगूर का रस २०० मिलि सुबह -शाम पीयें। बेहद कारगर नुस्खा है।
४)  नींबू के छिलके  कूट कर पेस्ट बनालें।  इसे ललाट पर बांधें । जरूर फ़ायदा होगा।
५)  गाजर का रस और पालक का रस दोनों करीब ३०० मिलि  पीयें आधाशीशी में गुणकारी है।
६) गरम जलेबी २०० ग्राम नित्य सुबह खाने से भी कुछ रोगियों को लाभ हुआ है।
७)   आधा चम्मच सरसों के बीज का पावडर ३ चम्मच पानीमें घोलक्रर नाक में रखें । माईग्रेन का सिरदर्द कम हो जाता है।
७) सिर को कपडे से मजबूती से बांधें। इससे खोपडी में रक्त का प्रवाह कम होकर सिरदर्द से राहत मिल जाती है।
८) माईग्रेन रोगी देर से पचने वाला और मसालेदार भोजन न करें।
९) विटामिन बी काम्प्लेक्स का एक घटक नियासीन है। यह विटामिन आधाशीशी रोग में उपकारी है। १०० मिलि ग्राम की मात्रा में रोज लेते रहें।
१०) तनाव मुक्त जीवन शैली अपनाएं।
 ११) हरी सब्जियों और फ़लों को अपने भोजन में प्रचुरता से शामिल करें।

कान दर्द निवारक कुदरती उपचार

१)  दर्द वाले कान में हायड्रोजन पेराक्साइड की कुछ बूंदे  डालें। इससे कान में जमा मैल( वाक्स) नरम होकर बहार निकल जाता है।  अगर कान में कोइ संक्रमण होगा तो भी यह उपचार उपकारी रहेगा। हायड्रोजन में उपस्थित आक्सीजन जीवाणुनाशक होती है।
२)  लहसुन संस्कारित तेल कान पीडा में हितकर है। १० मिलि तिल के तेल में ३ लहसुन की कली पीसकर डालें और इसे  किसी बर्तन में गरम करें। छानकर शीशी में भरलें। इसकी  ४-५ बूंदें रुग्ण कान में टपकादें। रोगी १० मिनिट तक लेटा रहे। फ़िर इसी प्रकार दूसरे कान में भी दवा डालें। कान दर्द में लाभ प्रद नुस्खा है।
३)  जेतुन का तेल मामूली गरम करके कान में डालने से दर्द में राहत होती है।
४)  मुलहठी कान दर्द में उपयोगी है। इसे घी में भूनें । बारीक पीसकर पेस्ट बनाएं। इसे कान के बाह्य भाग में लगाएं। कुछ ही मिनिट में दर्द समाप्त होगा।
५)  बच्चों के कान में पीप होने पर स्वस्थ स्त्री  के दूध की कुछ बूंदें कान में टपकादें। स्त्री के दूध में प्रतिरक्छा तंत्र को मजबूत करने के गुण विध्यमान होते हैं। उपकारी उपचार है।
६)  कान में पीप होने पर प्याज का रस लाभप्रद उपाय है। प्याज का रस गरम करके कान में २-४ बूंदे डालें। दिन में ३ बार करें। आशातीत लाभकारी उपचार है।
७) अजवाईन का तेल  और तिल का तेल १:३ में मिक्स करें। इसे मामूली गरम करके कान में २-४ बूंदे टपकादें। कान दर्द में उपयोगी है।
८) पांच ग्राम मैथी के बीज एक बडा चम्मच तिल के तेल में गरम करें। छानकर  शीशी में भर लें। २ बूंद दवा और २ बूद दूध कान में टपकादें। कान पीप का उम्दा इलाज माना गया है।
९)  तुलसी की कुछ पत्तिया और लहसुन की एक कली पीसकर पेस्ट बनालें। इसे गरम करें। कान में इस मिश्रण का रस २-३ बूंद टपकाएं। कान में डालते समय रस सुहाता गरम होना चाहिये। कान दर्द का तत्काल लाभप्रद उपचार है।
१०)  कान दर्द और पीप में पेशाब की उपयोगिता सिद्ध हुई है। ताजा पेशाब ड्रापर में भरकर कान में डालें,उपकार होगा।
११)  मूली कान दर्द में हितकारी है। एक मूली के बारीक टुकडे करलें । सरसों के तेल में पकावें। छानकर शीशी में भर लें ।कान दर्द में इसकी २-४ बूंदे टपकाने से आराम मिल जाता है।
१२) गरम पानी में सूती कपडा भिगोकर निचोडकर ३-४ तहें बनाकर कान पर सेक के लिये रखें।  कान दर्द परम उपकारी उपाय है।
१३)  सरसों का तेल गरम करें । सुहाता गरम तेल की २-४ बूंदे कान में टपकाने से कान दर्द में तुरंत लाभ होता है।
१४)  सोते वक्त सिर के नीचे बडा तकिया रखें। इससे युस्टेशियन नली में जमा श्लेष्मा नीचे खिसकेगी और नली साफ़ होगी। मुंह में कोई चीज चबाते रहने से भी नली का अवरोध हटाने में मदद मिलती है।
१५)   केले की पेड की हरी छाल निकालें। इसे गरम करें  सोते वक्त इसकी ३-४ बूंदें कान में डालें । कान दर्द  की उम्दा दवा है।

शरीर की अतिरिक्त चर्बी कम करने के कुदरती उपचार-

१)  चर्बी घटाने के लिये व्यायाम बेहद आवश्यक उपाय है।एरोबिक कसरतें लाभप्रद होती हैं। आलसी जीवन शैली से मोटापा बढता है। अत: सक्रियता बहुत जरूरी है।

२) शहद मोटापा निवारण के लिये अति महत्वपूर्ण पदार्थ है। एक चम्मच शहद आधा चम्मच नींबू का रस गरम जल में मिलाकर लेते रहने से शरीर की अतिरिक्त चर्बी नष्ट होती है। यह दिन में ३ बार लेना कर्तव्य है।

३)  पत्ता गोभी(बंद गोभी) में चर्बी घटाने के गुण होते हैं। इससे शरीर का मेटाबोलिस्म ताकतवर बनता है। फ़लत: ज्यादा केलोरी का दहन होता है।  इस प्रक्रिया में चर्बी समाप्त होकर मोटापा निवारण में मदद मिलती है।

४)  पुदीना में मोटापा विरोधी तत्व पाये जाते हैं। पुदीना रस एक चम्मच २ चम्मच शहद में मिलाकर लेते रहने से  उपकार होता है।

५)  सुबह उठते ही २५० ग्राम टमाटर का रस २-३ महीने तक पीने से  शरीर की वसा  में कमी होती है।

६) गाजर का रस मोटापा कम करने में उपयोगी है। करीब ३०० ग्राम गाजर का रस दिन में किसी भी समय लेवें।

७) एक अध्ययन का निष्कर्ष आया है कि वाटर थिरेपी मोटापा की समस्या हल करने में कारगर सिद्ध हुई है। सुबह उठने के बाद प्रत्येक घंटे के फ़ासले पर २ गिलास पानी पीते रहें। इस प्रकार दिन भर में कम से कम २० गिलास पानी पीयें। इससे विजातीय पदार्थ शरीर से बाहर निकलेंगे और चयापचय प्रक्रिया(मेटाबोलिस्म) तेज होकर ज्यादा केलोरी का दहन होगा ,और शरीर की चर्बी कम होगी। अगर २  गिलास के बजाये ३ गिलास पानी प्रति घंटे पीयें तो और भी तेजी से मोटापा निवारण होगा।

८)  कम केलोरी वाले खाद्य पदार्थों का उपयोग करें। जहां तक आप कम केलोरी वाले भोजन की आदत नहीं डालेंगे ,मोटापा निवारण दुष्कर कार्य रहेगा। अब मैं ऐसे भोजन पदार्थ निर्देशित करता हूं जिनमें नगण्य केलोरी होती है। अपने भोजन में ये पदार्थ ज्यादा शामिल करें--

नींबू
जामफ़ल (अमरुद)
अंगूर
सेवफ़ल
खरबूजा
जामुन
पपीता
आम
संतरा
पाइनेपल
टमाटर
तरबूज
बैर
स्ट्राबेरी
सब्जीयां जिनमें नहीं के बराबर केलोरी होती है--
पत्ता गोभी
फ़ूल गोभी
ब्रोकोली
प्याज
मूली
पालक
शलजम
सौंफ़
लहसुन
९)  कम नमक,कम शकर उपयोग करें।

१०) अधिक वसा युक्त भोजन पदार्थ से परहेज करें।  तली गली चीजें इस्तेमाल करने से चर्बी बढती है। वनस्पति घी हानिकारक है।

११) सूखे मेवे (बादम,खारक,पिस्ता) ,अलसी के बीज,ओलिव आईल में उच्चकोटि की वसा होती है। इनका संतुलित उपयोग उपकारी है।

१२)  शराब और दूध निर्मित पदार्थ का उपयोग वर्जित है।

१३)  अदरक चाकू से बरीक काट लें ,एक नींबू की चीरें काटकर  दोनो पानी में ऊबालें। सुहाता गरम पीयें। बढिया उपाय है।

१४)  रोज  पोन किलो फ़ल और सब्जी का उपयोग करें।

१५)  ज्यादा कर्बोहायड्रेट वाली वस्तुओं का परहेज करें।शकर,आलू,और चावल में अधिक कार्बोहाईड्रेट होता है। ये चर्बी बढाते हैं। सावधानी बरतें।

१६)  केवल गेहूं के आटे की रोटी की बजाय गेहूं सोयाबीन,चने के मिश्रित आटे की रोटी ज्यादा फ़यदेमंद है।

१७)  शरीर के वजने को नियंत्रित करने में योगासन का विशेष महत्व है। कपालभाति,भस्त्रिका का  नियमित अभ्यास करें।।

१८) सुबह आधा घंटे तेज चाल से घूमने जाएं।  वजन घटाने का सर्वोत्तम तरीका है।

१९) भोजन मे ज्यादा रेशे वाले पदार्थ शामिल करें। हरी सब्जियों ,फ़लों  में अधिक रेशा होता है। फ़लों को छिलके सहित खाएं। आलू का छिलका न निकालें। छिलके में कई  पोषक तत्व होते हैं।

कोलेस्टरोल कम करने के आसान उपाय.

१) एल.डी एल.कोलेस्टरोल- ---यह हानिकारक कोलेस्टरोल रक्त वाहिकाओं में जमता रहता है, जिससे वे भीतर से संकरी हो जाती है और उनमें दौडने वाले खून के प्रवाह में बाधा उत्पन्न होने से हार्ट अटैक और हाई ब्लड प्रेशर जैसे हृदय रोग  जन्म लेते हैं।
२) एच.डी.एल.कोलेस्टरोल-- यह लाभदायक कोलेस्टरोल माना जाता है । खून में इसका वांछित स्तर बना रहने से हृदय रोगों की संभावना कम हो जाती है। यह खराब और  हानिकारक कोलेस्टरोल को शरीर से बाहर निकालने की प्रक्रिया में मददगार होता है।
३) ट्राईग्लिसराईड कोलेस्टरोल भी हानिकारक होता है। हार्ट अटैक रोग में इसकी जिम्मेदारी  काफ़ी  अहम मानी गई है।
कोलेस्टरोल नियंत्रित और कम करने के लिये निम्न उपाय करना उचित है--

१) पर्याप्त रेशे वाली खाद्य वस्तुएं दैनिक भोजन में शामिल करें।हरी पत्तेदार सब्जियों में प्रचुर रेशा होता है। इनका ज्युस भी लाभदायक है। सब्जियों में कोलेस्टरोल नहीं होता है।

२) सभी तरह के फ़ल खाएं। कोलेस्टरोल घटाने में इनका विशेष महत्व है।

३) साबुत अनाज,भूरे चावल जई,सोयाबीन का उपयोग करना लाभप्रद है। सोयाबीन में उच्चकोटि का प्रोटीन होताहै।। आलू और चावल में कोलेस्टरोल और सोडियम नहीं होते हैं और कोलेस्टरोल नियंत्रण के लिये इनके उपयोग की अनदेखी नहीं करना चाहिये।

४) टमाटर ,गाजर,सेवफ़ल,नारंगी,पपीता आदि फ़ल खूब खाएं।

५) एक अनुसंधान में यह तथ्य सामने आया है कि काली और हरी चाय का उपयोग कोलेस्टरोल नियंत्रण का सशक्त उपाय है। ज्यादा चाय पीने वालों को हार्ट अटैक की संभावना कम हो जाती है। लेकिन यह  चाय  दूध और शकर रहित होनी चाहिये।

६)  तेल और वनस्पति घी में तली वस्तुएं खाने से खराब कोलेस्टरोल तेजी से बढता है। इनसे बचें।सब्जी, दाल का स्वाद मसालों से बढाएं। तेल,घी न्युनतम व्यवहार करें। कचोरी समोसे तो कभी न खाएं। लेकिन इस जगह यह लिखना भी जरूरी है कि जेतुन का तेल कोलेस्टरोल कम करता है। मंहगा जरूर है पर बहुत ज्यादा फ़ायदेमंद भी है।

७)  मांस खाने से खराब कोलेस्टरोल बढता है। यह हृदय रोग उत्पन्न करता है। मांस खाना छोड दें।

८)  लहसुन का प्रयोग कोलेस्टरोल घटाता है। सुबह ३-४ लहसुन की कली  कच्ची चबाकर खाएं। इसमें खून को पतला करने के तत्व हैं जो खून मे थक्का जमने से बचाव करते हैं। भोजन में भी पर्याप्त लहसुन का प्रयोग करें।

९) कच्चा प्याज ,बादाम, अखरोट,खारक का समुचित उपयोग उत्तम है। इनमें उच्चकोटि की वसा पायी जातीहै।

१०) शकर से कोलेस्टरोल की वृद्धि होती है। अत: न्युनतम उपयोग करें।

११) मछली का तेल बुरे कोलेस्टरोल को नियंत्रित करता है। काड लिवर आईल भी उत्तम है।

१२)  नियमित रुप से व्यायाम( घूमने,सीढी चढने) करने से कोलेस्टरोल नियंत्रण में रहता है।

 योगासन और प्राणायाम कोलेस्टरोल घटाने मे आशातीत लाभप्रद परिणाम प्रस्तुत करते  हैं।

१३) एलोपैथी के चिकित्सक कोलेस्टरोल कम करने के लिये स्टेटिन दवा का व्यवहार करते हैं।

१४) आयुर्वेदिक वैध्य  अर्जुन की छाल का काढा,त्रिफ़ला,पुनर्नवा मंडूर ,आरोग्यवर्धिनी वटी तथा चन्द्रप्रभा वटी का उपयोग करते हैं।

१५) कोलेस्टरोल कम करने के लिये जीवनशैली में बदलाव बेहद जरूरी है। मोटापा कम करने से भी कोलेस्टरोल नियंत्रण में मदद मिलती है। आलसी जीवन से कोलेस्टरोल बढता है।

थकान उतारने के आसान तरीके

अधिक परिश्रम करने से शरीर में थकान आ जाती है, शरीर सुस्त हो जाता है। फिर कुछ काम करने का मन नहीं करता, सिर्फ आराम की जरूरत महसूस होती है।

थकान उतारने के लिए आप कुछ इस तरह प्रयास करें-

अपनी दो अँगुलियों के पोरों से चेहरे की हल्की मालिश करें। इससे ब्लड सर्कूलेशन बढ़ेगा, जिससे आप महसूस करेंगे कि आपकी थकान रफूचक्कर हो गई है।

* नाक के दोनों ओर हल्की मालिश करते हुए धीरे-धीरे दोनों आँखों के बीच वाले भाग से लेकर आँखों के नीचे भी हल्की मालिश करें। फिर इसी तरह से भौहों तक पहुँचें।

* भौहों पर हल्का दबाव डालते हुए अंदर से बाहर की ओर मालिश करें।

* अब आँखों के बाहरी किनारों पर मालिश करते हुए ललाट तक पहुँचें।

* इसके बाद आँखों के एकदम नीचे की ओर आएँ। गालों के बीच हल्की मालिश करते हुए फिर ऊपर से ही मसूड़ों की भी मालिश करें। इसके बाद जबड़ों को अंगुलियों की पकड़ में लें और जबड़ों के किनारों पर हल्का दबाव डालें।

* कई बार सुगंधित तेल के प्रयोग से भी शरीर की थकावट को भगाया जा सकता है। सुगंधित तेल से प्रभावित अंग की हल्की मालिश करने से ताजगी महसूस होती है, इसके लिए सुगंधित तेल की कुछ बूँदें वनस्पति तेल में मिलाकर मालिश करनी चाहिए। 

मंगलवार, 18 जनवरी 2011

तुलसी एक दिव्य पौधा है।

तुलसी की २१ से ३५ पत्तियाँ स्वच्छ खरल या सिलबट्टे (जिस पर मसाला न पीसा गया हो) पर चटनी की भांति पीस लें और १० से ३० ग्राम मीठी दही में मिलाकर नित्य प्रातः खाली पेट तीन मास तक खायें। ध्यान रहे दही खट्टा न हो और यदि दही माफिक न आये तो एक-दो चम्मच शहद मिलाकर लें। छोटे बच्चों को आधा ग्राम दवा शहद में मिलाकर दें। दूध के साथ भुलकर भी न दें। औषधि प्रातः खाली पेट लें। आधा एक घंटे पश्चात नाश्ता ले सकते हैं। दवा दिनभर में एक बार ही लें परन्तु कैंसर जैसे असह्य दर्द और कष्टप्रद रोगो में २-३ बार भी ले सकते हैं।

इसके तीन महीने तक सेवन करने से खांसी, सर्दी, ताजा जुकाम या जुकाम की प्रवृत्ति, जन्मजात जुकाम, श्वास रोग, स्मरण शक्ति का अभाव, पुराना से पुराना सिरदर्द, नेत्र-पीड़ा, उच्च अथवा निम्न रक्तचाप, ह्रदय रोग, शरीर का मोटापा, अम्लता, पेचिश, मन्दाग्नि, कब्ज, गैस, गुर्दे का ठीक से काम न करना, गुर्दे की पथरी तथा अन्य बीमारियां, गठिया का दर्द, वृद्धावस्था की कमजोरी, विटामिन ए और सी की कमी से उत्पन्न होने वाले रोग, सफेद दाग, कुष्ठ तथा चर्म रोग, शरीर की झुर्रियां, पुरानी बिवाइयां, महिलाओं की बहुत सारी बीमारियां, बुखार, खसरा आदि रोग दूर होते हैं।

यह प्रयोग कैंसर में भी बहुत लाभप्रद है।

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