आज अधिकांश लोगों की समस्या होती है उनका मन कहीं एक जगह नहीं लगता। ऐसा सबसे  ज्यादा विद्यार्थियों के साथ होता है कि पढ़ाई में मन नहीं लगता। स्टडी के समय  ध्यान कहीं ओर होता है। लगातार पढ़ाई के बाद भी कुछ याद नहीं रहता। इन सब की वजह मन  की एकाग्रता की कमी है। एकाग्रता बढ़ाने के लिए योग में कई आसन है। जिनकी मदद से आप  अपना ध्यान केंद्रीत रख सकते हैं। ऐसा ही एक आसन है भद्रासन।
भद्रासन की  विधि-  किसी हवा वाले स्थान पर चटाई बिछाकर घुटनों के बल खड़े हो जाएं। अब अपने  दाएं पैर को घुटने से मोड़कर पीछे की ओर ले जाकर हिप्स के नीचे रखें। बाएं पैर को  भी घुटने से मोड़कर पीछे की ओर ले जाकर हिप्स के नीचे रखें। घुटनों को आपस में  मिलाकर जमीन से सटाकर रखें तथा पंजे को नीचे व एडिय़ों को ऊपर सटाकर रखें। अब अपने  पूरे शरीर का भार पंजे व एडिय़ों पर डालकर बैठ जाएं। इसके बाद अपने दाएं हाथ से  बाएं पैर के अंगूठे को पकड़ें तथा बाएं हाथ से दाएं पैर का अंगूठा पकड़ लें। अब  सांस को अंदर खींच कर सिर को आगे झुकाकर रखें और कंधे को ऊपर खींचते हुए आगे की ओर  करें। अब नाक के अगले भाग को देखते हुए भद्रासन का अभ्यास करें। इस सामान्य स्थिति  में जब तक रहना सम्भव हो रहें और सिर को ऊपर करके सांस बाहर छोड़ें। पुन: सांस को  अंदर खींचकर भद्रासन का अभ्यास करें।
  लाभ-   इस आसन में सिर के  मध्य ध्यान लगाया जाता है, जिससे मन को स्थिर रखने में व मानसिक तनाव समाप्त होता  है। मन की एकाग्रता के लिए यह आसन अधिक लाभकारी है, क्योंकि इसमें नाक के अगले भाग  पर दृष्टि जमाने से मन स्थिर होता है। इससे शारीरिक स्वास्थ्य बना रहता है। इस आसन  को करने से भूख बढ़ती है। फेफड़ों के लिए भी यह आसन लाभकारी होता है।
मंगलवार, 22 मार्च 2011
क्या आपका पढ़ाई में मन नहीं लगता...?
सोमवार, 21 मार्च 2011
बचना चाहते हैं बायपास सर्जरी से तो पीएं लौकी का रस
क्षमता से ज्यादा काम और मानसिक तनाव के कारण आजकल दिल से सम्बन्धित रोग बढ़ते जा  रहे हैं। हर दिन कोई भी एक नया व्यक्ति दिल के रोग से पीडि़त मिल ही जाता है।  किसी-किसी को तो ये रोग इतने ज्यादा हद तक होजाते हैं कि उनका इलाज केवल  एन्ज्योग्राफी या बायपास सर्जरी ही होता है। अगर आप इन रोगों से बचना चाहते हैं तो  लौकी का रस आपकी बहुत मदद कर सकता है। अगर आपको दिल से सम्बन्धी कोई भी बीमारी हो  तो लौकी का रस जरूर पिएं।
लौकी का ज्यूस बनाने की विधि- सबसे पहले  लौकी को धो ले फिर उसे कद्दूकस कर लें। कद्दूकस की हुई लौकी में सात तुलसी के पत्ते  और पांच पुदीने की पत्तियां डाल कर उसे मिक्सर में पीस लें। रस की मात्रा कम से कम  150 ग्राम होनी चाहिए। अब इस रस में बराबर मात्रा में पानी मिलाकर तीन चार पिसी  काली मिर्च और थोड़ा सा सेंधा नमक मिलाकर पिऐं।
रस को पीने की विधि-  यह रस किसी भी दिल के मरीज को दिन में तीन बार सुबह, दोपहर और शाम को खाने के  बाद पिलाना चाहिए। शुरूआत के दिनों में रस कुछ कम मात्रा में लें और जैसे ही वह  अच्छे से पचने लगे इसकी मात्रा बढ़ा दें।
विशेष- लौकी का रस पेट के  विकारों को मल के द्वारा बाहर निकाल देता है। जिसके कारण शुरूआत में पेट में  गडग़ड़ाहट और खलबली मच सकती है इससे घबराएं नहीं कुछ समय बाद यह अपने आप ठीक हो  जाएगा। इस रस को पीने के साथ मरीज का अपनी पहले से चल रही दवाईयों को भी चालू रखना  चाहिए पहले से चल रही दवाईयों को एकदम न छोड़ें।
दाग-धब्बों का हर्बल उपचार
दाग धब्बों की समस्या किशोर  उम्र की सबसे आम परेशानी है। इनसे छुटकारा पाने के कुछ आसान हर्बल उपचार हैं :  लेकिन सर्वोत्तम तरीका यूनानी चिकित्सा पद्धति के अनुसार सुझाया गया हर्बल उपचार ही  है। 
आप अपनी त्वचा को कैसे कील-मुँहासों और दाग-धब्बों से दूर रख सकते हैं, इसके आसान से उपाय यहाँ बताए जा रहे हैं। 25 मिली ग्लिसरीन और 25 मिली शुद्ध गुलाब जल में 5 ग्राम सल्फर पावडर मिलाए। इस लेप को रात में चेहरे के दाग-धब्बे, मुँहासे पर लगाकर छोड़ दें। सबेरे पानी से चेहरा धोएँ। इस लेप से एक हफ्ते में आप एक्ने की प्रॉब्लम से निजात पा सकते हैं। बेहतरीन रिजल्ट पाने के लिए सप्ताह में 3 बार इसे लगाएँ।
संतरे के 20 ग्राम सूखे छिल्के, 5 ग्राम सूखे नीम के पत्ते लें और इन्हें पीसकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण में 5 ग्राम चूर्ण, चंदन चूर्ण और आटा मिलाएँ। इस मिश्रण में 5 मिली बादाम तेल और इतनी ही मात्रा में तिल का तेल मिलाएँ। अब इस उबटन को रातभर चेहरे पर लगाए रखें और सबेरे पानी से धो दें। इस उबटन को हफ्ते में 3-4 बार लगाएँ।
गुलाब पत्तियों, सेना, नीम, तुलसी और कासनी की 3 ग्राम (प्रत्येक) पत्तियों को उबालें। इस मिश्रण को छानकर इसमें चीनी मिलाएँ। इस मिश्रण को छानकर इसमें चीनी मिलाएँ। इस मिश्रण को हर रात सोने से पहले पिएँ और आपको 15 दिनों में ही फर्क दिखाई देने लगेगा।
आप अपनी त्वचा को कैसे कील-मुँहासों और दाग-धब्बों से दूर रख सकते हैं, इसके आसान से उपाय यहाँ बताए जा रहे हैं। 25 मिली ग्लिसरीन और 25 मिली शुद्ध गुलाब जल में 5 ग्राम सल्फर पावडर मिलाए। इस लेप को रात में चेहरे के दाग-धब्बे, मुँहासे पर लगाकर छोड़ दें। सबेरे पानी से चेहरा धोएँ। इस लेप से एक हफ्ते में आप एक्ने की प्रॉब्लम से निजात पा सकते हैं। बेहतरीन रिजल्ट पाने के लिए सप्ताह में 3 बार इसे लगाएँ।
संतरे के 20 ग्राम सूखे छिल्के, 5 ग्राम सूखे नीम के पत्ते लें और इन्हें पीसकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण में 5 ग्राम चूर्ण, चंदन चूर्ण और आटा मिलाएँ। इस मिश्रण में 5 मिली बादाम तेल और इतनी ही मात्रा में तिल का तेल मिलाएँ। अब इस उबटन को रातभर चेहरे पर लगाए रखें और सबेरे पानी से धो दें। इस उबटन को हफ्ते में 3-4 बार लगाएँ।
गुलाब पत्तियों, सेना, नीम, तुलसी और कासनी की 3 ग्राम (प्रत्येक) पत्तियों को उबालें। इस मिश्रण को छानकर इसमें चीनी मिलाएँ। इस मिश्रण को छानकर इसमें चीनी मिलाएँ। इस मिश्रण को हर रात सोने से पहले पिएँ और आपको 15 दिनों में ही फर्क दिखाई देने लगेगा।
असरकारी उपाय, अवश्य आजमाएँ
* यदि जामुन ज्यादा खा लिया हो व  इससे जी मिचला रहा हो तो आम की एक फाँक खा लेने से तत्काल राहत महसूस होने लगती  है।
* मूली ज्यादा खा ली हो तो चौथाई चम्मच अजवायन फाँक लें या मूली का ऊपरी मुलायम पत्ता खा लेने से गैस या अपच नहीं होती।
* मूली के तीन-चार पत्ते से खाने से हिचकी दूर होती है।
* केले ज्यादा खा लिए हों तो एक इलायची चबा लें, केला हजम हो जाएगा।
* बदन में थकावट का दर्द होने पर सरसों के तेल में नमक मिलाकर गुनगुना कर लें व पूरे बदन पर मालिश करके गर्म पानी से नहा लें। इससे राहत मिलेगी।
* जी मिचला रहा हो और उल्टी हो रही हो तो 4-5 लौंग, एक चम्मच चीनी में बारीक पीसकर चुटकी-चुटकी भर जीभ पर रखकर चाटने से आराम मिलता है।
* मूँग की दाल रात को भिगोकर सुबह उसमें 2 लौंग डालकर बनाया जाए तो ज्यादा पाचक होती है व गैस भी नहीं बनती।
* मेथी को अजवायन के संग बराबर मात्रा में लेकर पीस लें व खाने के बाद गुनगुने पानी के साथ फाँक लें। गैस-अपच नहीं होगी और कब्ज भी नहीं रहेगा।
* साबुत काली मिर्च व मिश्री चबाने से गले की खराश तत्काल दूर हो जाती है।
* खुश्की के कारण फट रहे पाँव व फटी बिवाइयों में सरसों का तेल व मोम पिघलाकर सूखी मेहँदी बुरक दें व गुनगुना ही बिवाइयों में भरें, दो-तीन बार के प्रयोग में ही लाभ होगा।
* मूली ज्यादा खा ली हो तो चौथाई चम्मच अजवायन फाँक लें या मूली का ऊपरी मुलायम पत्ता खा लेने से गैस या अपच नहीं होती।
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* बदन में थकावट का दर्द होने पर सरसों के तेल में नमक मिलाकर गुनगुना कर लें व पूरे बदन पर मालिश करके गर्म पानी से नहा लें। इससे राहत मिलेगी।
* जी मिचला रहा हो और उल्टी हो रही हो तो 4-5 लौंग, एक चम्मच चीनी में बारीक पीसकर चुटकी-चुटकी भर जीभ पर रखकर चाटने से आराम मिलता है।
* मूँग की दाल रात को भिगोकर सुबह उसमें 2 लौंग डालकर बनाया जाए तो ज्यादा पाचक होती है व गैस भी नहीं बनती।
* मेथी को अजवायन के संग बराबर मात्रा में लेकर पीस लें व खाने के बाद गुनगुने पानी के साथ फाँक लें। गैस-अपच नहीं होगी और कब्ज भी नहीं रहेगा।
* साबुत काली मिर्च व मिश्री चबाने से गले की खराश तत्काल दूर हो जाती है।
* खुश्की के कारण फट रहे पाँव व फटी बिवाइयों में सरसों का तेल व मोम पिघलाकर सूखी मेहँदी बुरक दें व गुनगुना ही बिवाइयों में भरें, दो-तीन बार के प्रयोग में ही लाभ होगा।
डायबिटीज के लिए घरेलू नुस्खे
आँवला ज्यूस 10 मिली. की  मात्रा में दो ग्राम हल्दी पावडर मिला कर दिन में दो बार लें। यह रक्त में शकर की  मात्रा को नियंत्रित करता है। 
औसत आकार का एक टमाटर, एक खीरा और एक करेला, इन तीनों का ज्यूस निकाल कर रोज खाली पेट सेवन करें।
सौंफ के सेवन से भी डायबिटीज पर नियंत्रण संभव है।
काले जामुन डायबिटीज के मरीजों के लिए अचूक औषधि मानी जाती है।
  
शतावर रस और दूध समान मात्रा में  लेने से डायबिटीज में लाभ होता है। 
नियमित रूप से दो चम्मच नीम का रस और चार चम्मच केले के पत्ते का रस लेना चाहिए। चार चम्मच आँवले का रस, गुडमार की पत्ती का काढ़ा भी मधुमेह नियंत्रण के लिए रामबाण है।
गेहूँ के पौधों में रोगनाशक गुण होते हैं। गेहूँ के छोटे-छोटे पौधों का रस असाध्य बीमारियों को भी जड़ से मिटा डालता है। इसका रस मनुष्य के रक्त से चालीस फीसदी मेल खाता है। इसे ग्रीन ब्लड भी कहते हैं। रोगी को प्रतिदिन सुबह और शाम में आधा कप जवारे का ताजा रस दिया जाना चाहिए।
औसत आकार का एक टमाटर, एक खीरा और एक करेला, इन तीनों का ज्यूस निकाल कर रोज खाली पेट सेवन करें।
सौंफ के सेवन से भी डायबिटीज पर नियंत्रण संभव है।
काले जामुन डायबिटीज के मरीजों के लिए अचूक औषधि मानी जाती है।
नियमित रूप से दो चम्मच नीम का रस और चार चम्मच केले के पत्ते का रस लेना चाहिए। चार चम्मच आँवले का रस, गुडमार की पत्ती का काढ़ा भी मधुमेह नियंत्रण के लिए रामबाण है।
गेहूँ के पौधों में रोगनाशक गुण होते हैं। गेहूँ के छोटे-छोटे पौधों का रस असाध्य बीमारियों को भी जड़ से मिटा डालता है। इसका रस मनुष्य के रक्त से चालीस फीसदी मेल खाता है। इसे ग्रीन ब्लड भी कहते हैं। रोगी को प्रतिदिन सुबह और शाम में आधा कप जवारे का ताजा रस दिया जाना चाहिए।
लहराती जुल्फों के घरेलू शैंपू
1. बेसन का बना शैम्पू : बेसन को पानी में घोलकर इस घोल को सिर के बालों में लगाएँ। एक घन्टे बाद पानी से बालों को धो डालें। एक हफ्ते में दो बार इस क्रिया को करने से बाल घने, काले और मुलायम तो होते ही हैं साथ ही बालों की गंदगी दूर होती है जिससे बाल मुलायम और चमकदार बनते हैं। इस क्रिया से सिर की खाज और फुन्सियाँ भी ठीक होती हैं।
2. मुल्तानी मिट्टी का बना शैम्पू : 100 ग्राम मुल्तानी मिट्टी को एक कटोरे पानी में भिगो दें। दो घन्टे बाद जब मुल्तानी मिट्टी पूरी तरह घुल जाए तो इस घोल को सूखे बालों में लगा कर हल्के हाथ से बालों को रगड़े। पाँच मिनट तक ऐसा ही करें। अगर सर्दियाँ हैं तो गुनगुने पानी में और अगर गर्मियाँ हैं तो ठन्डे पानी से सिर को धो लें। अगर बालों मे ज्यादा गंदगी मौजूद है, तो इस क्रिया को दोबारा फिर करें।
हफ्ते में दो बार इस क्रिया को करने से बालों में बहुत ज्यादा निखार आ जाता है। बाल लम्बे, रेशमी और मुलायम हो जाते हैं। इस क्रिया को करने के बाद सिर में हल्केपन के साथ शीतलता का अहसास होता है। ऐसी शीतलता किसी भी शैम्पू में नहीं मिल सकती है।
2. मुल्तानी मिट्टी का बना शैम्पू : 100 ग्राम मुल्तानी मिट्टी को एक कटोरे पानी में भिगो दें। दो घन्टे बाद जब मुल्तानी मिट्टी पूरी तरह घुल जाए तो इस घोल को सूखे बालों में लगा कर हल्के हाथ से बालों को रगड़े। पाँच मिनट तक ऐसा ही करें। अगर सर्दियाँ हैं तो गुनगुने पानी में और अगर गर्मियाँ हैं तो ठन्डे पानी से सिर को धो लें। अगर बालों मे ज्यादा गंदगी मौजूद है, तो इस क्रिया को दोबारा फिर करें।
हफ्ते में दो बार इस क्रिया को करने से बालों में बहुत ज्यादा निखार आ जाता है। बाल लम्बे, रेशमी और मुलायम हो जाते हैं। इस क्रिया को करने के बाद सिर में हल्केपन के साथ शीतलता का अहसास होता है। ऐसी शीतलता किसी भी शैम्पू में नहीं मिल सकती है।
जायफल : सुगंधित औषधि
उपयोग : शोथ हर, वेदना नाशक, वातशामक और कृमिनाशक होने से स्नायविक संस्थान के लिए उपयोगी होता है तथा रोचक, दीपक, पाचक, यकृत को सक्रिय करने वाला और ग्राही होने से पाचन संस्थान के लिए उपयोगी होता है। अनिद्रा, शूल, अग्निमांद्य, कास (खाँसी), श्वास, हिचकी, शीघ्रपतन और नपुंसकता आदि व्याधियाँ दूर करने में उपयोगी होता है। इसके चूर्ण और तेल को उपयोग में लिया जाता है।
त्वचा की झाइयाँ : पत्थर पर पानी के साथ जायफल को घिसें और लेप तैयार कर लें। इस लेप को नेत्रों की पलकों पर और नेत्रों के चारों तरफ लगाने से नेत्र ज्योति बढ़ती है, चेहरे की त्वचा की झाइयाँ और धब्बे आदि दूर होते हैं। लगातार कुछ दिनों तक लेप लगाना चाहिए।
दूध पाचन : शिशु का दूध छुड़ाकर ऊपर का दूध पिलाने पर यदि दूध पचता न हो तो दूध में आधा पानी मिलाकर, इसमें एक जायफल डालकर उबालें। इस दूध को थोडा ठण्डा करके कुनकुना गर्म, चम्मच कटोरी से शिशु को पिलाएँ, यह दूध शिशु को हजम हो जाएगा।
जोड़ों का दर्द : शरीर के जोड़ों में दर्द होना गठिया यानी सन्धिवात रोग का लक्षण होता है। गठिया के अलावा चोट, मोच और पुरानी सूजन के लिए जायफल और सरसों के तेल के मिलाकर मालिश करने से आराम होता है। इसकी मालिश से शरीर में गर्मी आती है, चुस्ती फुर्ती आती है और पसीने के रूप में विकार निकल जाता है।
उदर शूल : पेट में दर्द हो, आद्यमान हो तो जायफल के तेल की 2-3 बूँद शकर में या बताशे में टपकाकर खाने से फौरन आराम होता है। इसी तरह दाँत में दर्द होने पर जायफल के तेल में रूई का फाहा डुबोकर इसे दाँत-दाढ़ के कोचर में रखने से कीड़े मर जाते हैं और दर्द दूर हो जाता है। इस तेल में वेदना स्थापना करने का गुण होता है, इसलिए यह तेल उस अंग को थोड़े समय के लिए संज्ञाशून्य कर देता है और दर्द का अनुभव होना बन्द हो जाता है।
त्वचा की झाइयाँ : पत्थर पर पानी के साथ जायफल को घिसें और लेप तैयार कर लें। इस लेप को नेत्रों की पलकों पर और नेत्रों के चारों तरफ लगाने से नेत्र ज्योति बढ़ती है, चेहरे की त्वचा की झाइयाँ और धब्बे आदि दूर होते हैं। लगातार कुछ दिनों तक लेप लगाना चाहिए।
दूध पाचन : शिशु का दूध छुड़ाकर ऊपर का दूध पिलाने पर यदि दूध पचता न हो तो दूध में आधा पानी मिलाकर, इसमें एक जायफल डालकर उबालें। इस दूध को थोडा ठण्डा करके कुनकुना गर्म, चम्मच कटोरी से शिशु को पिलाएँ, यह दूध शिशु को हजम हो जाएगा।
जोड़ों का दर्द : शरीर के जोड़ों में दर्द होना गठिया यानी सन्धिवात रोग का लक्षण होता है। गठिया के अलावा चोट, मोच और पुरानी सूजन के लिए जायफल और सरसों के तेल के मिलाकर मालिश करने से आराम होता है। इसकी मालिश से शरीर में गर्मी आती है, चुस्ती फुर्ती आती है और पसीने के रूप में विकार निकल जाता है।
उदर शूल : पेट में दर्द हो, आद्यमान हो तो जायफल के तेल की 2-3 बूँद शकर में या बताशे में टपकाकर खाने से फौरन आराम होता है। इसी तरह दाँत में दर्द होने पर जायफल के तेल में रूई का फाहा डुबोकर इसे दाँत-दाढ़ के कोचर में रखने से कीड़े मर जाते हैं और दर्द दूर हो जाता है। इस तेल में वेदना स्थापना करने का गुण होता है, इसलिए यह तेल उस अंग को थोड़े समय के लिए संज्ञाशून्य कर देता है और दर्द का अनुभव होना बन्द हो जाता है।
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