मंगलवार, 12 अप्रैल 2011

नारियल एक गुण अनेक

मानव के दैनिक जीवन में नारियल का अत्यधिक महत्व है। यह कहना सर्वथा उचित होगा कि नारियल अनेक गुणों का भंडार होने के अतिरिक्त कार्यों में भी शुभ माना जाता है। भारत, मलाया, गुवाना नारियल के मूलत: जन्मस्थान माने जाते हैं। नारियल को उसके विभिन्न गुणानुसार निम्न प्रकार से उपयोग में लाया जा सकता है।

1. नारियल का तेल बालों के लिए बहुत उपयोगी है। यह बालों की जड़ों में प्रवेश कर बालों को जड़ से ही सुदृढ़ करते हुए घने लम्बे बालों का पोषण करता है। नारियल तेल के निरंतर उपयोग से सिर की रूसी समाप्त होकर बालों का झड़ना रूक जाता है।
2. औषधीय गुणों की खान नारियल में कार्बोहाइड्रेट, कैल्शियम, प्रोटीन, फाइबर, आयरन और विटामिन होते हैं, जिनसे आवश्यक शक्ति एवं प्रतिशोधात्मक ऊर्जा शरीर को प्राप्त होती है। नारियल में विद्यमान खनिज, प्रोटीन एवं विटामिन- ए की प्रचुर मात्रा मानव जीवन को उच्च स्तरीय औषधीय गुण प्रदान करती है, जिससे शरीर स्वस्थ, सुंदर बना रहता है।
3. पौष्टिक तत्वों एवं औषधीय गुणों का भंडार नारियल तेल, चेहरे के दाग-धब्बे मिटाने में गुणकारी प्रमाणित हो रहा है। नारियल तेल लगाने से शरीर पर होने वाली पित्त ठीक हो जाती है। नारियल से बनी खाद्य सामग्री स्वादिष्ट एवं पौष्टिक तत्वों से भरपूर होती है। नारियल की चटनी दक्षिण भारतीय भोजन इडली-डोसा को पूर्णता प्रदान करती है।
4. कच्चे नारियल के गूदे के प्रयोग से अपच ठीक हो जाती है, जिससे पाचन क्रिया ठीक-ठाक बनी रहती है।
5. कच्चे नारियल के पानी को खनिज जल (मिनरल वाटर) कहा जाए तो उचित प्रतीत होगा, क्योंकि इसके सेवन से हैजा, बुखार में स्वास्थ्य लाभ होता है और शरीर में गैस बनने व उल्टी होने की स्थिति में राहत महसूस होन लगती है। नारियल पानी पीने से गर्मी में राहत मिलती है, जिससे शरीर सदैव तरोताजा व स्वस्थ बना रहता है।
6. नींद न आने का स्थिति में नारियल के दूध का उपयोग बहुत गुणकारी एवं लाभदायक है। सूखे नारियल का सेवन एसिडिटी के उपचार में सहायक है।
7. स्वादिष्ट भोजन-मिष्टान्न में सूखे कटे एवं पिसे हुए नारियल के प्रयोग के अतिरिक्त शुध्दता के कारण धार्मिक कार्यों और प्रसाद वितरण में यह शुभ माना जाता है।
इस प्रकार नारियल के विभिन्न उपयोगों से प्रमाणित हो जाता है कि नारियल अनेक गुणों का धारक है, जिसका अन्य कोई विकल्प नहीं है।

देव वृक्ष पीपल में रहता है देवताओं का निवास

भारतीय संस्कृति में पीपल देववृक्ष है, इसके सात्विक प्रभाव के स्पर्श से अन्त: चेतना पुलकित और प्रफुल्लित होती है। पीपल वृक्ष प्राचीन काल से ही भारतीय जनमानस में विशेष रूप से पूजनीय रहा है। ग्रंथों में पीपल को प्रत्यक्ष देवता की संज्ञा दी गई है। स्कन्दपुराणमें वर्णित है कि अश्वत्थ(पीपल) के मूल में विष्णु, तने में केशव, शाखाओं में नारायण, पत्तों में श्रीहरिऔर फलों में सभी देवताओं के साथ अच्युत सदैव निवास करते हैं। पीपल भगवान विष्णु का जीवन्त और पूर्णत:मूर्तिमान स्वरूप है। यह सभी अभीष्टोंका साधक है। इसका आश्रय मानव के सभी पाप ताप का शमन करता है। भगवान कृष्ण कहते हैं-
अश्वत्थ: सर्ववृक्षाणां
अर्थात् समस्त वृक्षों में मैं पीपल का वृक्ष हूं। स्वयं भगवान ने उससे अपनी उपमा देकर पीपल के देवत्व और दिव्यत्वको व्यक्त किया है। शास्त्रों में वर्णित है कि
अश्वत्थ: पूजितोयत्र पूजिता:सर्व देवता:।
अर्थात् पीपल की सविधि पूजा-अर्चना करने से सम्पूर्ण देवता स्वयं ही पूजित हो जाते हैं। पीपल का वृक्ष लगाने वाले की वंश परम्परा कभी विनष्ट नहीं होती। पीपल की सेवा करने वाले सद्गति प्राप्त करते हैं। पीपल वृक्ष की प्रार्थना के लिए अश्वत्थस्तोत्रम्में दिया गया
मंत्र है-

अश्वत्थ सुमहाभागसुभग प्रियदर्शन। इष्टकामांश्चमेदेहिशत्रुभ्यस्तुपराभवम्॥आयु: प्रजांधनंधान्यंसौभाग्यंसर्व संपदं।देहिदेवि महावृक्षत्वामहंशरणंगत:॥

वृहस्पतिकी प्रतिकूलता से उत्पन्न होने वाले अशुभ फल में पीपल समिधा से हवन करने पर शांति मिलती है।

आप सभी को सब प्रकार से पीपल वृक्ष की आराधना करनी चाहिए। इसके पूजन से यम लोक के दारुण दु:ख से मुक्ति मिलती है। अश्वत्थोपनयनव्रत में महर्षि शौनकवर्णित करते हैं कि मंगल मुहूर्त में पीपल के वृक्ष को लगाकर आठ वर्षो तक पुत्र की भांति उसका लालन-पालन करना चाहिए। इसके अनन्तर उपनयनसंस्कार करके नित्य सम्यक् पूजा करने से अक्षय लक्ष्मी मिलती हैं।

पीपल वृक्ष की नित्य तीन बार परिक्रमा करने और जल चढाने पर दरिद्रता, दु:ख और दुर्भाग्य का विनाश होता है। पीपल के दर्शन-पूजन से दीर्घायु तथा समृद्धि प्राप्त होती है। अश्वत्थ व्रत अनुष्ठान से कन्या अखण्ड सौभाग्य पाती है।

शनिवार की अमावस्या को पीपल वृक्ष के पूजन और सात परिक्रमा करने से तथा काले तिल से युक्त सरसोतेल के दीपक को जलाकर छायादानसे शनि की पीडा का शमन होता है।

अथर्ववेदके उपवेद आयुर्वेद में पीपल के औषधीय गुणों का अनेक असाध्य रोगों में उपयोग वर्णित है। अनुराधा नक्षत्र से युक्त शनिवार की अमावस्या में पीपल वृक्ष के पूजन से शनि से मुक्ति प्राप्त होती है।
श्रावण मास में अमावस्या की समाप्ति पर पीपल वृक्ष के नीचे शनिवार के दिन हनुमान की पूजा करने से बडे संकट से मुक्ति मिल जाती है।
पीपल का वृक्ष इसीलिए ब्रह्मस्थानहै। इससे सात्विकताबढती है। पीपल के वृक्ष के नीचे मंत्र,जप और ध्यान उपादेय रहता है।
श्रीमद्भागवत् में वर्णित है कि द्वापरयुगमें परमधाम जाने से पूर्व योगेश्वर श्रीकृष्ण इस दिव्य पीपल वृक्ष के नीचे बैठकर ध्यान में लीन हुए। इसका प्रभाव तन-मन तक ही नहीं भाव जगत तक रहता है।

पीपल के औषधीय गु

पीपल के वृक्षों में अनेक औषधीय गुण हैं। जो गुणी होता है, लोग उसका आदर करते ही हैं। तुलसी का पौधा गुणों का भंडार है। लोग उसे पूजते हैं। पीपल की लकड़ी, पत्तियों के डंठल, हरे पत्ते एवं सूखी पत्तियां, सभी गुणकारी हैं और उनका उपयोग रोगों के निवारण के हेतु किस प्रकार किया जा सकता है देखें-

-पीलिया : पीलिया के रोगी को पीपल की नर्म टहनी (जो की पेंसिल जैसी पतली हो) के छोटे-छोटे टुकड़े काटकर माला बना लें। यह माला पीलिया रोग के रोगी को एक सप्ताह धारण करवाने से पीलिया नष्ट हो जाता है।
-रतौंधी : बहुत से लोगों को रात में दिखाई नहीं पड़ता। शाम का झुट-पुटा फैलते ही आंखों के आगे अंधियारा सा छा जाता है। इसकी सहज औषध है पीपल। पीपल की लकड़ी का एक टुकड़ा लेकर गोमूत्र के साथ उसे शिला पर पीसें। इसका अंजन दो-चार दिन आंखों में लगाने से रतौंधी में लाभ होता है।
-मलेरिया : पीपल की टहनी का दातुन कई दिनों तक करने से तथा उसको चूसने से मलेरिया बुखार उतर जाता है।
-कान दर्द : पीपल की ताजी हरी पत्तियों को निचोड़कर उसका रस कान में डालने से कान दर्द दूर होता है। कुछ समय तक इसके नियमित सेवन से कान का बहरापन भी जाता रहता है।
-खांसी और दमा : पीपल के सूखे पत्ते को खूब कूटें। जब पाउडर सा बन जाए, तब उसे कपड़े से छान लें। लगभग 5 ग्राम चूर्ण को दो चम्मच मधु मिलाकर एक महीना सुबह चाटने से दमा और खांसी में लाभ होता है।
-सर्दी और सिरदर्द : सर्दी के सिरदर्द के लिए सिर्फ पीपल की दो-चार कोमल पत्तियों को चूसें। दो-तीन बार ऎसा करने से सर्दी जुकाम में लाभ होना संभव है। उपचार के लिए इसके उपयोग से पूर्व किसी
विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें
अन्य उपयोग : * इसकी छाल का रस या दूध लगाने से पैरों की बिवाई ठीक हो जाती है।
* पीपल की छाल को जलाकर राख कर लें, इसे एक कप पानी में घोलकर रख दें, जब राख नीचे बैठ जाए, तब पानी नितारकर पिलाने से हिचकी आना बंद हो जाता है।
* इसके पत्तों को जलाकर राख कर लें, यह राख घावों पर बुरकने से घाव ठीक हो जाते हैं

दमा : पीपल की अन्तरछाल (छाल के अन्दर का भाग) निकालकर सुखा लें और कूट-पीसकर खूब महीन चूर्ण कर लें, यह चूर्ण दमा रोगी को देने से दमा में आराम मिलता है। पूर्णिमा की रात को खीर बनाकर उसमें यह चूर्ण बुरककर खीर को 4-5 घंटे चन्द्रमा की किरणों में रखें, इससे खीर में ऐसे औषधीय तत्व आ जाते हैं कि दमा रोगी को बहुत आराम मिलता है। इसके सेवन का समय पूर्णिमा की रात को माना जाता है।

दाद-खाज : पीपल के 4-5 कोमल, नरम पत्ते खूब चबा-चबाकर खाने से, इसकी छाल का काढ़ा बनाकर आधा कप मात्रा में पीने से दाद, खाज, खुजली आदि चर्म रोगों में आराम होता है।

मसूड़े : मसूड़ों की सूजन दूर करने के लिए इसकी छाल के काढ़े से कुल्ले करें

औषधि भी है कर्पूर

कर्पूर औषधीय गुणों से भरपूर होता है। इसका प्रयोग सदियों से विभिन्न मलहमों में किया जाता है। यह जीवाणुओंसे लडने का भी काम करता है। कर्पूर तेल का इस्तेमाल मोच और मांसपेशियों में खिंचाव में इस्तेमाल किया जाता है। हिन्दू धर्म में इसका इस्तेमाल पूजा में सदियों से होता आ रहा है। यह वातावरण को शुद्ध करने का काम करता है। आज आपको बता रहे हैं इसके खास गुणों के बारे में-

* कर्पूर युक्त मलहम से मांस- पेशियों के दर्द में राहत मिलती है।

* आर्थराइटिसके दर्द से राहत पाने के लिए कर्पूर मिश्रित मलहम का प्रयोग करें।

* पानी में कर्पूर के तेल की कुछ बूंदों को डालकर नहाएं। यह आपको तरोताजा रखेगा।

* कफ की वजह से छाती में होने वाली जकडनमें कर्पूर का तेल मलने से राहत मिलती है।

* सूजन, मुहांसेऔर तैलीयत्वचा के उपचार में इसका उपयोग किया जाता है।

* गर्भावस्था या अस्थमा के मरीजों को कर्पूर तेल का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।

* गर्दन में दर्द होने पर कर्पूर युक्त बाम लगाने पर आराम मिलेगा।

* कर्पूर का तेल त्वचा में रक्त संचार को सहज बनाता है।

सोमवार, 11 अप्रैल 2011

डार्क सर्कल्स दूर करते है ये 5 टिप्स

आज की तनाव भरी जिंदगी में स्वास्थ्य का ध्यान रख पाना काफी मुश्किल हो गया है। इन्हीं कारणों के चलते काफी लोगों को डार्क सर्कल की समस्या हो जाती है। डार्क सर्कल यानि आंखे के नीचे काले घेरे बन जाते हैं। इस वजह से लड़कियों की सुंदरता पर बुरा प्रभाव पड़ता है।

डार्क सर्कल्स से बचने के लिए कई देसी उपाय बताए गए हैं। इन्हें अपनाने से यह समस्या तो दूर होगी साथ ही अन्य स्वास्थ्य लाभ भी प्राप्त होंगे-

रात को बादाम पानी में भिगोकर रख दें। सुबह भिगे हुए बादाम को पीस लें, इसमें नींबू की कुछ बूंद मिलाएं और इसे आंखों के आसपास लगाएं।

डार्क सर्कल्स दूर करने के लिए खीरा सबसे अच्छा उपाय है। इसके लिए खीरा और उसमें पोदीने की कुछ पत्तियां मिलाकर पीस लें। इस पेस्ट को डार्क सर्कल्स पर लगाएं। कुछ ही दिनों में लाभ होगा।

दिन में कम से कम ढाई लीटर पानी अवश्य पीएं।

जहां तक हो सके चिंताओं से दूर रहें। कार्य का अतिरिक्त भार आपकी सेहत पर बुरा प्रभाव डालता है। योग और ध्यान करें। इससे मन को शांति मिलेगी और तनाव दूर होगा। जिससे डार्क सर्कल्स की समस्या से निजात मिलेगी।

प्रतिदिन फल अवश्य खाएं। हो सके तो प्रतिदिन एक सेब अवश्य लें।

डार्क सर्कल्स दूर करते है ये 5 टिप्स

आज की तनाव भरी जिंदगी में स्वास्थ्य का ध्यान रख पाना काफी मुश्किल हो गया है। इन्हीं कारणों के चलते काफी लोगों को डार्क सर्कल की समस्या हो जाती है। डार्क सर्कल यानि आंखे के नीचे काले घेरे बन जाते हैं। इस वजह से लड़कियों की सुंदरता पर बुरा प्रभाव पड़ता है।

डार्क सर्कल्स से बचने के लिए कई देसी उपाय बताए गए हैं। इन्हें अपनाने से यह समस्या तो दूर होगी साथ ही अन्य स्वास्थ्य लाभ भी प्राप्त होंगे-

रात को बादाम पानी में भिगोकर रख दें। सुबह भिगे हुए बादाम को पीस लें, इसमें नींबू की कुछ बूंद मिलाएं और इसे आंखों के आसपास लगाएं।

डार्क सर्कल्स दूर करने के लिए खीरा सबसे अच्छा उपाय है। इसके लिए खीरा और उसमें पोदीने की कुछ पत्तियां मिलाकर पीस लें। इस पेस्ट को डार्क सर्कल्स पर लगाएं। कुछ ही दिनों में लाभ होगा।

दिन में कम से कम ढाई लीटर पानी अवश्य पीएं।

जहां तक हो सके चिंताओं से दूर रहें। कार्य का अतिरिक्त भार आपकी सेहत पर बुरा प्रभाव डालता है। योग और ध्यान करें। इससे मन को शांति मिलेगी और तनाव दूर होगा। जिससे डार्क सर्कल्स की समस्या से निजात मिलेगी।

प्रतिदिन फल अवश्य खाएं। हो सके तो प्रतिदिन एक सेब अवश्य लें।

रविवार, 10 अप्रैल 2011

अपनी मुस्कुराहट को बचाएं इन नुस्खों के साथ

चाहे सर्दी हो या गर्मी किसी किसी के होंठ मौसम के बदलते रुख को सह नहीं पाते और फट जाते हैं। यहां तक की ये अपने निशान भी छोड़ देते हैं।

बहुत सी महिलाएं अपने होठो को सुन्दर दिखाने के लिए लिपस्टिक का प्रयोग करती हैं लेकिन लिपस्टिक के लगातार प्रयोग से अक्सर होठों की प्राकृतिक सुन्दरता खत्म हो जाती है और होठ काले पडऩे लगते हैं।

अगर आप अपने होठों के फटने या कालेपन से परेशान हैं तो टेंशन न लें, नीचे दिए जा रहे कुछ आसान घरेलू नुस्खों से आप अपने होठों की सुन्दरता को चार चांद लगा सकते हैं।



अगर आपके होठ हमेशा रूखे रहते हैं तो थोड़ी सी मलाई में चुटकी भर हल्दी मिलाकर धीरे धीरे होठो पर मालिश करें
होठों को फटने से बचाने के लिए रात में सोते समय सरसों के तेल को गुनगुना कर अपनी नाभि पर लगाएं
अगर आपके होठों पर पपड़ी जम जाती है तो बादाम का तेल रात को सोते समय होंठो पर लगाएं।
गुलाब की पंखुडिय़ों को पीसकर उसमें थोड़ी सी ग्लिसरीन मिलाकर। इस मिक्सचर को रोजाना अपने होंठों पर लगाएं होंठों का कालापन जल्दी ही दूर होने लगेगा और लिपस्टिक लगाना बन्द कर दें।
दही के मक्खन में केसर मिलाकर होठों पर मलने से आपके होठ हमेशा गुलाबी रहेंगे।

Featured post

इस फ़ार्मूले के हिसाब से पता कर सकती हैं अपनी शुभ दिशाऐं

महिलाएँ ...इस फ़ार्मूले के हिसाब से पता कर सकती हैं अपनी शुभ दिशाऐं।   तो ये है इस फ़ार्मूले का राज... 👇 जन्म वर्ष के केवल आख़री दो अंकों क...