मंगलवार, 31 मई 2011

नुस्खे मोटापा


  • एक मूली ले और इस पर शहद लगाकर खायें।
  • मोटापा रोग में घी, दूध, गेंहूं की रोटी तथा चावल कम कर दें और चने की रोटी खायें।
  • प्रतिदिन एक गिलास फलों का रस पीयें।



ह्रदय रोग



ह्रदय रोग में २ चम्मच शहद, १ चम्मच नींबू का रस  पीने से तुरंत ह्रदय रोग में आराम होता है l  अथवा अदरक के रस में सामान मात्रा में पानी मिलकर पियें  |

ह्रदय में पीड़ा हो, हार्ट अटैक का भय हो तो तुलसी के ८-१० पत्ते, २-३ काली मिर्च चबा के पानी पी लें l  जादुई असर होगा  |

१०-२० तुलसी के पत्तों का रस गर्म करके, गुनगुने पानी में पियें और तुलसी के पत्तों को पीस कर उसका ह्रदय पर लेप करें |

ब्लड प्रेशर

लहसुन पीस कर दूध में डाल कर पीने से ब्लड प्रेशर में आराम होता है  |

दन्तशूल(toothache) के घरेलू उपचार



   दांत,मसूढों और जबडों में होने वाली पीडा को दंतशूल  से परिभाषित किया जाता है। हममें से कई लोगों को ऐसी पीडा अकस्मात हो जाया करती है। दांत में कभी सामान्य तो कभी असहनीय दर्द उठता है। रोगी को चेन नहीं पडता। मसूडों में सूजन आ जाती है। दांतों में सूक्छम जीवाणुओं का संक्रमण हो जाने से स्थिति और बिगड जाती है। मसूढों में घाव बन जाते हैं जो अत्यंत कष्टदायी होते हैं।दांत में सडने की प्रक्रिया शुरु हो जाती है और उनमें केविटी बनने लगती है।जब सडन की वजह से दांत की नाडियां प्रभावित हो जाती हैं तो पीडा अत्यधिक बढ जाती है।
   प्राकृतिक उपचार दंत पीडा में लाभकारी होते हैं। सदियों से हमारे बडे-बूढे दांत के दर्द में घरेलू पदार्थों का उपयोग करते आये हैं।  यहां हम ऐसे ही प्राकृतिक उपचारों की चर्चा कर रहे हैं।

१) बाय बिडंग १० ग्राम,सफ़ेद फ़िटकरी १० ग्राम लेकर तीन लिटर जल में उबालकर जब मिश्रण एक लिटर रह जाए तो आंच से उतारकर ठंडा करके एक बोत्तल में भर लें। दवा तैयार है। इस क्वाथ से सुबह -शाम कुल्ले करते रहने से दांत की पीडा दूर होती है और दांत भी मजबूत बनते हैं।

२) लहसुन में जीवाणुनाशक तत्व होते हैं। लहसुन की एक कली थोडे से सैंधा नमक के साथ पीसें फ़िर इसे दुखने वाले दांत पर रख कर दबाएं। तत्काल लाभ होता है। प्रतिदिन एक लहसुन कली चबाकर खाने से दांत की तकलीफ़ से छुटकारा मिलता है।

३) हींग दंतशूल में गुणकारी है। दांत की गुहा(केविटी) में थोडी सी हींग भरदें। कष्ट में राहत मिलेगी।

४)  तंबाखू और नमक महीन पीसलें। इस टूथ पावडर से रोज दंतमंजन करने से दंतशूल से मुक्ति मिल जाती है।

५) बर्फ़ के प्रयोग से कई लोगों को दांत के दर्द में फ़ायदा होता है। बर्फ़ का टुकडा दुखने वाले दांत के ऊपर या पास में रखें। बर्फ़ उस जगह को सुन्न करके लाभ पहुंचाता है।

६) कुछ रोगी गरम सेक से लाभान्वित होते हैं। गरम पानी की ्थैली से सेक करना प्रयोजनीय है।

७)  प्याज कीटाणुनाशक है। प्याज को कूटकर लुग्दी दांत पर रखना हितकर उपचार है। एक छोटा प्याज नित्य भली प्रकार चबाकर खाने की सलाह दी जाती है। इससे दांत में निवास करने वाले जीवाणु नष्ट होंगे।

८) लौंग के तैल का फ़ाया दांत की केविटी में रखने से तुरंत फ़ायदा होगा। दांत के दर्द के रोगी को दिन में ३-४ बार एक लौंग मुंह में रखकर चूसने की सलाह दी जाती है।

९) नमक मिले गरम पानी के कुल्ले करने से दंतशूल नियंत्रित होता है। करीब ३०० मिलि पानी मे एक बडा चम्मच नमक डालकर तैयार करें।दिन में तीन बार कुल्ले करना उचित है।

१०) पुदिने की सूखी पत्तियां  पीडा वाले दांत के चारों ओर  रखें। १०-१५ मिनिट की अवधि तक रखें। ऐसा दिन में १० बार करने से लाभ मिलेगा।

११) दो ग्राम हींग नींबू के रस में पीसकर पेस्ट जैसा बनाले। इस पेस्ट  से दंत  मंजन करते रहने से दंतशूल का निवारण होता है।

१२। मेरा अनुभव है कि विटामिन सी ५०० एम.जी. दिन में दो बार और केल्सियम ५००एम.जी दिन में एक बार लेते रहने से दांत के कई रोग नियंत्रित होंगे और दांत भी मजबूत बनेंगे।

१३)  मुख्य बात ये है कि  सुबह-शाम दांतों की स्वच्छता करते रहें। दांतों के बीच की ्जगह में अन्न कण फ़ंसे रह जाते हैं और उनमें जीवाणु पैदा होकर दंत विकार उत्पन्न करते हैं।

१४) शकर का उपयोग हानिकारक है। इससे दांतो में जीवाणु पैदा होते हैं। मीठी वसुएं हानिकारक हैं। लेकिन कडवे,ख्ट्टे,कसेले स्वाद के पदार्थ दांतों के लिये हितकर होते है। नींबू,आंवला,टमाटर ,नारंगी का नियमित उपयोग  लाभकारी है। इन फ़लों मे जीवाणुनाशक तत्व होते हैं। मसूढों से अत्यधिक मात्रा में खून जाता हो तो नींबू का ताजा रस पीना  लाभकारी है।

१५) हरी सब्जियां,रसदार फ़ल भोजन में प्रचुरता से शामिल करें।

१६)  दांतों की  केविटी में दंत चिकित्सक केमिकल मसाला भरकर इलाज करते हैं। सभी प्रकार के जतन करने पर भी दांत की पीडा शांत न हो तो दांत उखडवाना ही आखिरी उपाय है।

सोमवार, 30 मई 2011

लू और गर्मी से कैसे बचें?


ग्रीष्म ऋतु में जैसे-जैसे गरमी बढ़ती जाती है लोग लू का शिकार होने लगते हैं। बढ़ती गरमी से शरीर को बचाना आवश्यक हो जाता है। इस ऋतु में बाहर के तेज तापमान और लू से शरीर की हिफाजत करने के लिये पर्याप्त सावधानी बरतना जरूरी हो जाता है। निम्न छोटे-छोटे उपायों द्वारा शरीर को गरमी के कहर से बचाकर तरोताजा रखा जा सकता है।

* मौसम के अनुकूल वस्त्र पहनें। हल्के फुल्के खुले व सूती या खादी वस्त्र इस मौसम में हितकर होते हैं। हल्के रंग की ही वस्त्र इस्तेमाल करें।
* धूप में ज्यादा बाहर न निकलें। अति आवश्यक होने पर ही बाहर जाएं अन्यथा न जाएं।
* धूप में बाहर जाने से पहले पर्याप्त मात्रा में पानी पी लें।
* इन दिनों कमजोरी मालूम होने पर एक लीटर पानी में एक छोटा चम्मच नमक, दो चुटकी मीठा सोडा, जरा सा नींबू रस और चीनी मिला घोल बनाकर पिये रसीले फल और शाक सब्जियों का सेवन करें। इससे शरीर में पानी और इलेक्ट्रोलाइट्स की कमी नहीं होगी। दिन भर पानी और दूसरे पेय पदार्थ खूब सेवन करें।
* शिकंजी, कच्चे आम से बना अमरस, नींबू-पानी, पुदीने की चटनी, कच्चे प्याज का रस, छाछ, लस्सी व प्राकृतिक रसों से बने शरबत आदि के सेवन से बहुत ही राहत मिलती है।
* सिर पर साफा बांधें या टोपी पहनें। सुबह शाम ठंडे पानी से स्नान करें। इससे शरीर को ठंढक मिलती है।
* यदि किसी को लू लग जाय तो उसके शरीर पर ठंडे जल की पट्टियां रखे और पंखा चला दें।
* यदि उपरोक्त बातों को अमल में लायेंगे तो आप निश्चिय ही भीषण गर्मी में भी अपने को तरोताजा रख सकेंगे।

घरेलू औषधि भी है धनिया



धनिये का प्रयोग भोज्य पदार्थ बनाने में मसाले के रूप में किया जाता है। धनिया सिर्फ मसाले के योग्य नहीं होता बल्कि इसका प्रयोग अनेक बीमारियों में औषधि के रूप में भी किया जाता है। आयुर्वेद शास्त्र में महर्षि चरक एवं महर्षि सुश्रुत ने धनिये के अनेक औषधीय प्रयोगों का वर्णन किया है। आयुर्वेद के प्रसिध्द ग्रंथ ‘भाव प्रकाश’ में भी धनिये के अनेक प्रयोग बताये गये हैं। आयुर्वेदज्ञों के अनुसार धनिया त्रिदोषहर, शोधहर, कफध्न, ज्वरध्न, मूत्रजनक एवं मस्तिष्क को बल प्रदान करने वाला होता है।
यूनानी मतानुसार देशी धनिया दूसरे दर्जे में शीत एवं रूक्ष होता है जबकि नेपाली धनिया दूसरे दर्जे में रूक्ष एवं उष्ण होता है। इसको सूंधना एवं खाना मस्तिष्क एवं हृदय दोनों के लिए बलदायक होता है। यह शीतल होता है अत: आमाशय एवं यकृत दोनों को ही शक्ति प्रदान करता है, पाचन शक्ति को बढ़ाता है तथा वायु उत्सर्ग करता है। मुख-पाक की बीमारी में इसके स्वरस से कुल्ला करने पर लाभ होता है। आयुर्वेद की औषधि के रूप में मुख्ययोग तुम्बर्वादि चूर्ण, धान्य-पंचक, धान्यचतुष्क, धान्यकादिहिम आदि प्राप्त होते हैं। हरी महक वाली पत्ती तथा सूखे धनियों के बीच का औषधीय प्रयोग परम्परागत रूप में निम्नानुसार किया जाता है-
* सामान्य त्वचा रोगों तथा मौसम के बदलाव पर यदि खुजली होती हो तो उस स्थान पर हरे धनिया को पीसकर लगाने से खुजली दूर हो जाती है।
* अगर पेशाब रूक-रूककर आ रहे हों तो दो चम्मच धनिया चूर्ण को पानी में अच्छी तरह उबालकर पी लेने पर पेशाब खुलकर आने लगता है।
* कमजोरी या अन्य कारणों से चक्कर आने पर धनिया पाउडर दस ग्राम तथा आंवले का पाउडर दस ग्राम लेकर एक गिलास पानी में भिगोकर रख दें। सुबह अच्छी तरह मिलाकर पी लें। इससे चक्कर आने बंद हो जाते हैं।
* पित्त बढ़ जाने पर हरी-पीली उल्टियां आनी शुरू हो जाती हैं। इस अवस्था में हरे धनिया का रस निकालकर उसमें गुलाब जल मिलाक पिलाने से लाभ होता है।
* सूखा धनिया पाउडर एक ग्राम, हरे धनिया का रस एक चम्मच, धनिया पत्ती का रस एक चम्मच तथा शहद एक चम्मच मिलाकर पीते रहने से पुरुष की स्तम्भन शक्ति बढ़ती है तथा वीर्य गाढ़ा होता है।
* पेशाब के साथ अगर खून का अंश आता हो तो सूखे धनिये का काढ़ा बनाकर एक कप की मात्रा में दिन में तीन बार पीजिये। इसमें स्वाद के अनुसार काला नमक मिलाया जा सकता है।
5 अगर बच्चा तुतलाता हो तो हरा धनिया पीसकर पर्याप्त पानी डालकर छान लें। इसमें आधा चम्मच भुनी फिटकरी मिलाकर कुछ दिनों तक कुल्ली करवायें। इस विधि से बच्चे का तुतलाना ठीक हो सकता है।
* शरीर के भीतर किसी भी अंग में मीठी खुजली (सबसबाहट) चल रही हो तो ताजे हरे धनिया को पीसकर उस अंग में लगाने से खुजली दूर होती जाती है।
* गर्मी के कारण कोई भी उपद्रव होने पर सुबह-शाम पिसी धनिये की फक्की एक-एक चम्मच लेते रहना चाहिए।
* बच्चा अगर बहुत ज्यादा तुतलाता हो तो 30 ग्राम धनिये का पाउडर तथा दस ग्राम अमलतास का गूदा लेकर दोनों का काढ़ा बना लें। इस काढ़ा से दो माह तक लगातार सुबह-शाम कुल्ला (गरारा) कराइये। निश्चित ही तुललाना कम होगा।
* पित्त बढ़ जाने से जी मिचलाना रहता हो तो हरा धनिया पीसकर उसका ताजा रस दो चम्मच की मात्रा में पिलाने से लाभ होता है। भोजन में हरे धनिये की ताजी पिसी चटनी का प्रयोग करते रहने से भी जी मिचलाना कम होता है।
* धनिये की हरी पत्तियों को लहसुन, प्याज, गुड़, इमली, अमचूर, आंवला, नींबू, पुदीना आदि के साथ बारीक पीसकर चटनी के रूप में खाते रहने से पाचन क्रिया दुरुस्त बनी रहती है तथा भूख खूब लगती है।

शनिवार, 28 मई 2011

नुस्खे सांप के काटने पर



  • सौ गा्रम प्याज के रस में, चौबीस ग्राम सरसों का तेल मिलाकर, आधे-आधे घंटे बाद रोगी को तीन  खुराक पिला दें। सांप काटे का जहर उतर जाएगा। कटी जगह पर पोटाश परमैग्नेट भर दें और तत्काल डॉक्टर को दिखाएं।
  • सांप के काटने पर, इमली के बीज क ो पानी में घिसकर दंशित स्थान पर चिपका दें।
  • सांप के काटने पर तुरंत कागजी नींबू के तीन ग्राम बीज को पानी के साथ बारीक पीसकर पतला ही  

Featured post

इस फ़ार्मूले के हिसाब से पता कर सकती हैं अपनी शुभ दिशाऐं

महिलाएँ ...इस फ़ार्मूले के हिसाब से पता कर सकती हैं अपनी शुभ दिशाऐं।   तो ये है इस फ़ार्मूले का राज... 👇 जन्म वर्ष के केवल आख़री दो अंकों क...