बुधवार, 15 जून 2011

Health 12


त्रिफला के फायदे

त्रिफला चूर्ण बनाने की विधिः
• सूखा देसी आँवला, बड़ी हर्रे व बहेड़ा लेकर गुठली निकाल दें। तीनों समभाग मिलाकर महीन पीस लें। कपड़छान कर काँच की शीशी में भरकर रखें।
औषधि प्रयोगः
• नेत्र प्रक्षालनः एक चम्मच त्रिफला चूर्ण दो घंटे तक एक कटोरी पानी में भिगो दें, फिर कपड़े से छानकर उस पानी से आँखें धो लें। यह प्रयोग आँखों के लिए अत्यंत हितकर है। इससे आँखें स्वच्छ व दृष्टि सूक्ष्म होती है। आँखों की जलन, लालिमा, आँखों से पानी आना तथा आँख आने पर नेत्र प्रक्षालन से खूब फायदा होता है।
• गण्डूष धारण (कुल्ले करना)- त्रिफला दो घंटे पानी में भिगो के रखें। फिर यह पानी मुँह में भर लें और थोड़ी देर बाद निकाल दें। इससे दाँत व मसूड़े वृद्धावस्था तक मजबूत रहते हैं। कभी-कभी त्रिफला चूर्ण से मंजन करना भी लाभदायी है। गण्डूष धारण से अरूचि, मुख की दुर्गन्ध व मुँह के छाले नष्ट होते हैं।
• घी (गाय का) व शहद के विमिश्रण (घी अधिक व शहद कम) के साथ त्रिफला चूर्ण का सेवन आँखों के लिए वरदानस्वरूप है। संयमित आहार-विहार के साथ इसका नियमित प्रयोग करने से मोतियाबिंद, काँचबिंदु, दृष्टिदोष आदि नेत्ररोग होने की सम्भावना नहीं होती। वृद्धावस्था तक आँखों की रोशनी अचल रहती है।
• त्रिफला के काढ़े से घाव धोने से एलोपैथिक एंटिसेप्टिक की आवश्यकता नहीं रहती। घाव जल्दी भर जाता है।
• त्रिफला के गुनगुने काढ़े में शहद मिलाकर पीने से मोटापा कम होता है।
• मूत्र-संबंधी सभी विकारों व मधुमेह (डायबिटीज) में त्रिफला का सेवन बहुत लाभदायी है।
• रात को गुनगुने पानी के साथ त्रिफला लेने से कब्जियत नहीं रहती।
मात्राः 2 से 4 ग्राम चूर्ण दोपहर को भोजन के बाद अथवा रात को गुनगुने पानी के साथ लें। रात को न ले सकें तो सुबह जल्दी भी ले सकते हैं।
सावधानीः दुर्बलकृश व्यक्ति तथा गर्भवती स्त्री को एवं नवज्वर (नये बुखारमें त्रिफला कासेवन नहीं करना चाहिए।
यदि दूध का सेवन करना हो तो दूध  त्रिफला के सेवन के बीच दो ढाई घंटे का अंतर रखें।


अधिक नीद आने पर

जिन को दिन में बार-बार नींद के झोके आते हैं, वे छुहारे (खरिक) को धोकर टुकड़े करके पास रख लें और नींद आये तो टुकड़ा खाए और थोड़ा दूध पियें । एक दिन में ३-४ लें, ज्यादा नहीं....तो नींद नहीं आयेगी । अथवा सुबह खाली पेट लाल गाजर का रस पियें । 

घुटनों का दर्द

नागरमोथा को पीस लो और सौंठ को पीस लो । १-१ चम्मच शहद के साथ मिलाकर लो । अब गर्मी के दिन थोड़े हठ जायें, सर्दी के दिनों में आराम हो जायेगा ।

अनिद्रा

अनिद्रा के चार कारण हैं -
  • कफ की कमी
  • दूसरे का हक छीनना
  • व्यर्थ की चिंता
  • कुछ रोगों के कारण

(1) हरा धनिया का रस व मिश्री मिलाकर " ॐ हंसं हंसः " १०८ बार जप करके पी लें ।

(2) गाय का घी सिर व पैरों के तलवों पर मलें ।

(3) भैंस के दूध से बनी लस्सी दोपहर को पियें ।

(4) "शुद्धे शुद्धे महायोगिनी महानिद्रे स्वाहा" इस मंत्र का जप सोते समय प्रेम पूर्वक करें। 

आँखों से पानी आना

आँखों से पानी आता हो तो सूखे धनिये का काड़ा २-२ बूंद आँखों में डाल लीजिये, आँखों से पानी आना बंद हो जायेगा ।


नकसीर

जिसको नकसीर निकलती है, तो उसके लिए पुदीना, हरा धनिया पीस के माथे पे लेप करें और रात को आंवला, धनिया का चूर्ण भिगो के रखें और सुबह पियें, ठीक हो जायेगा । तुलसी या हरा धनिया की २ बूंद रस नाक में डाल दो, नकसीर ठीक हो जाएगी । तरबूज, ठंडी लस्सी, आंवला-मिश्री का घोल पियें ।


एड़ी का दर्द
कई लोगों को ४० साल की उम्र के बाद पैर की एड़ी में दर्द होता है, बोले हड्डी बढ गयी है । उन्हें पाद्पश्चिमोत्तानासन करना चाहिये ।


apendix

जिनको apendix है, वो थोड़ा हरड फांक कर ऊपर से पानी पी लें और घूमा करें और पाद्पश्चिमोत्तानासन करें ।


कमज़ोर आंतें

जिनकी आंतें कमज़ोर हों, वो खाली पेट ज़रा सा घी ले लिया करें ।



बुखार में
बुखार में दूध पीना, सांप के ज़हर के बराबर है । बुखार में दूध, घी और भारी खुराक ना खाएं ।

बेल का पाउडर
बेल फल पानी में ३ दिन डुबा दो । १ दिन कड़ाके की धूप खिलाओ .......बाद में सूखा दो और पाउडर बना दो । १ चम्मच भर के पाउडर मुंह में रख लो......पिघल जायेगा । पित्त है तो ऊपर से दूध पी लो, वायु है तो ऊपर से गुनगुना पानी पी लो और कफ है तो नमक मिलाकर खाओ । ये प्रयोग गोरखनाथजी का है ।

विशेष सावधानी : जिन्हें दीक्षा लिए हुए  साल से ज्यादा हो गया हो .....भजन कियाहोवही ये प्रयोग कर सकते हैं ।


पानी कैसे और कितना पियें

एक दिन में २ से २.२५ लीटर पानी पर्याप्त है । उससे कम पियेंगे तो भी सेहत ख़राब होती है और अधिक पीने पर लीवर और किडनी में जोर पड़ता है । फैट बद जाती है । भोजन के पहले पानी पीने पर कमज़ोर होते हैं ...जठरा मंद हो जाती है । भोजन के बीच १ गिलास गुनगुना पानी पियें तो सेहत अच्छी रहती हैं । १/२ पेट भोजन से, १/४ पेट पानी से और १/४ पेट खाली रखना चाहिए । पूरे दिन में ५०० ग्राम भोजन पर्याप्त होता है ।


बच्चों के लिए उपयोगी कटहल

बच्चों के विकास के लिए कटहल (पका हुआ) बड़ा लाभकारी है । कटहल की सब्जी व कटहल के बीज, बादाम जितनी ताकत रखते हैं । इससे बच्चों की हड्डियाँ बदती हैं , कद बदता है और बच्चे स्वस्थ होते हैं ।


शौचालय में नमक
घर में नमक खुला रखने से दरिद्रता आती है । लेकिन अपने शौचालय में नमक (खड़े नमक की डली) रखना चाहिए, इससे ऋण आयान बनते हैं । इससे स्वास्थ्य भी अच्छा रहता है । नमक की डली पिघल जाए तो बदल देना चाहिए । 

Health 11


बारिश की सर्दी मिटाने के लिए

बारिश की सर्दी लगने का अंदेशा हो तो एक लौंग मुंह में रख देना चाहिये और घर जाकर मत्था जल्दी पोंछ लेना चाहिये । बदन सूखा कर लेना चाहिये और बांये करवट थोड़ा लेट के दायाँ श्वास चालू रखना चाहिये । इससे बारिश में भीगने का असर नहीं होगा ।


Monday 27 September 2010

भोजन-पात्र विवेक

· भोजन के समय खाने व पीने के पात्र अलग-अलग होने चाहिए।
· काँसे के पात्र बुद्धि वर्धक, स्वाद अर्थात् रूचि उत्पन्न करने वाले हैं। उष्ण प्रकृतिवाले व्यक्ति तथा अम्लपित्त, रक्तपित्त, त्वचाविकार, यकृत व हृदयविकार से पीड़ित व्यक्तियों के लिए काँसे के पात्र स्वास्थ्यप्रद हैं। इससे पित्त का शमन व रक्त की शुद्धि होती है।
· 'स्कन्द पुराण' के अनुसार चतुर्मास के दिनों में पलाश (ढाक) के पत्तों में या इनसे बनी पत्तलों में किया गया भोजन चान्द्रायण व्रत एवं एकादशी व्रत के समान पुण्य प्रदान करने वाला माना गया है। इतना ही नहीं, पलाश के पत्तों में किया गया एक-एक बार का भोजन त्रिरात्र व्रत के समान पुण्यदायक और बड़े-बड़े पातकों का नाश करने वाला बताया गया है। चतुर्मास में बड़ के पत्तों या पत्तल पर किया गया भोजन भी बहुत पुण्यदायी माना गया है।
· केला, पलाश या बड़ के पत्ते रूचि उत्पन्न करने वाले, विषदोष का नाश करने वाले तथा अग्नि को प्रदीप्त करने वाले होते हैं। अतः इनका उपयोग हितावह है।
· लोहे की कड़ाही में सब्जी बनाना तथा लोहे के तवे पर रोटी सेंकना हितकारी है इससे रक्त की वृद्धि होती है। परंतु लोहे के बर्तन में भोजन नहीं करना चाहिए इससे बुद्धि का नाश होता है। स्टील के बर्तन में बुद्धिनाश का दोष नहीं माना जाता। पेय पदार्थ चाँदी के बर्तन में लेना हितकारी है लेकिन लस्सी आदि खट्टे पदार्थ न लें। पीतल के बर्तनों को कलई कराके ही उपयोग में लाना चाहिए।
· एल्यूमीनियम के बर्तनों का उपयोग कदापि न करें। वैज्ञानिकों के अनुसार एल्यूमीनियम धातु वायुमंडल से क्रिया करके एल्यूमीनियम ऑक्साइड बनाती है, जिससे इसके बर्तनों पर इस ऑक्साइड की पर्त जम जाती है। यह पाचनतंत्र, दिमाग और हृदय पर दुष्प्रभाव डालती है। इन बर्तनों में भोजन करने से मुँह में छाले, पेट का अल्सर, एपेन्डीसाईटिस, रोग, पथरी, अंतःस्राव, ग्रन्थियों के रोग, हृदयरोग, दृष्टि की मंदता, माईग्रेन, जोड़ों का दर्द, सर्दी, बुखार, बुद्धि की मंदता, डिप्रेशन, सिरदर्द, दस्त, पक्षाघात आदि बीमारियाँ होने की पूरी संभावना रहती है। एल्यूमीनियम के कुकर का उपयोग करने वाले सावधान हो जायें।
· प्लास्टिक की थालियाँ (प्लेट्स) व चम्मच, पेपल प्लेट्स, थर्माकोल की प्लेट्स, सिल्वर फाइल, पालीथिन बैग्ज आदि का उपयोग स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है।
· पानी पीने के पात्र के विषय में 'भावप्रकाश' ग्रंथ में लिखा है कि पानी पीने के लिए ताँबा, स्फटिक या काँच-पात्र का उपयोग करना चाहिए। ताँबा तथा मिट्टी के जलपात्र पवित्र व शीतल होते हैं। टूटे-फूटे बर्तन से अथवा अंजलि से पानी नहीं पीना चाहिए।


मोबाइल फ़ोन कैसे उपयोग करें

मोबाइल फोन भी कान से ढाई से.मी. की दूरी पर रखा जाय।

मोटापा, कोलेस्ट्रोल दूर करने के लिए
१० ग्राम शोधन कल्प (आश्रम वाला), १० ग्राम शहद घोल बना के सुबह खाली पेट चाट लो । १-२ बार शौच होगा । इससे मोटापा, कोलेस्ट्रोल दूर होगा ।

दिमागी कमजोरी, यादशक्ति, सिरदर्द के लिए

थोड़ी सी जीभ दांतों के बाहर निकालो जैसे १/२ cm और पहली उंगली अंगूठे के साथ मिला दो (जीरो बना दिया) । इससे दिमागी कमजोरी, यादशक्ति, सिरदर्द आदि दूर होते हैं । सिरदर्द वाले रोगी देसी गाय के घी का नस्य लें । यादशक्ति के लिए तालू में जीभ लगायें ।

चतुर्मास में जीवनशक्ति बढ़ाने के उपायः

  • साधारणतया चतुर्मास में पाचनशक्ति मंद रहती है। अतः आहार कम करना चाहिए। पन्द्रह दिन में एक दिन उपवास करना चाहिए।
  • चतुर्मास में जामुन, कश्मीरी सेब आदि फल होते हैं। उनका यथोचित सेवन करें।
  • हरी घास पर खूब चलें। इससे घास और पैरों की नसों के बीच विशेष प्रकार का आदान-प्रदान होता है, जिससे स्वास्थ्य पर अच्छा प्रभाव पड़ता है।
  • गर्मियों में शरीर के सभी अवयव शरीर शुद्धि का कार्य करते हैं, मगर चतुर्मास शुद्धि का कार्य केवल आँतों, गुर्दों एवं फेफड़ों को ही करना होता है। इसलिए सुबह उठने पर, घूमते समय और सुबह-शाम नहाते समय गहरे श्वास लेने चाहिए। चतुर्मास में दो बार स्नान करना बहुत ही हितकर है। इस ऋतु में रात्रि में जल्दी सोना और सुबह जल्दी उठना बहुत आवश्यक है।

बेहोश होने पर

कोई बेहोश हो गया हो तो उसके सिर पर तेल की मालिश करो, पैरों पर तिल का तेल रगड़ो । उस के कानों में "ऐं ऐं" अथवा "ॐ ॐ" बोलें ।


नेत्र ज्योति बढाने के लिए

दोनों हाथों के नाखूनों को आपस में रगड़ने से नेत्र ज्योति बदती है ।

विघ्न नाश, रोग नाश एवं कार्य सिद्धि के लिए
गेहूंचावल , उड़द , मूंग और तिल का आटा गूंधकर, घी डाल के दिया जला दें | हनुमानजी या बरगद या पीपल के पेड़ के नीचे दिया जलाये । 

हनुमानजी के आगे सरसों से ऊपर का दीया जलाये तो रोगों का नाश करने मे मदद मिलेगी |

गणपति जी के प्रतिमा के निकट जलाएंगे तो विघ्न नाश करने में मदद मिलेगी |

पीपल या वट वृक्ष के नीचे हनुमानजी का सुमिरन करके ऊपर युक्त दीया जलाया जाए तो कार्यसिद्धि करने मे मदद मिलेगी |


गर्भ की रक्षा

किसी महिला को बार बार गर्भ पात हो जाता हो या बच्चा होने के बाद तुरंत मर जाता हो तो ऐसी महिला डेढ़ – दो महीने तक ऐसा करे :- दोनों टाइम सात्विक भोजन करेतीखा मिर्च मसाला वाला नहीं खाए… रोज सुबह देसी गाय का दूध पिए..ऐसा नहीं की दूध पहले से निकाल के रखा और ग्वाला घर पे ला कर देगा फिर उस महिला ने पिया ऐसा नहीं..वो महिला गौशाला में जाएसाथ में मिश्री का पाउडर तैयार रखेगौशाला में जैसे ही दूध निकाला, तुरंत छाना और मिश्री पाउडर डाल के पी लेऐसा डेढ़-दोमहीना करे…..रोज भगवान श्रीकृष्ण का ध्यान करे और प्रार्थना करें कि आप ने उत्तरा के गर्भ का रक्षण किया, ऐसे मेरे भी गर्भ की रक्षा करे.. गाय का ताज़ा दूध बिना गरम किया हुआ पीना- ये सर्वोत्तम उपाय है। 


किस महीने में क्या नहीं खाना

सावन में साग नहीं ।
भादो में दही-छाछ नहीं ।
आश्विन में दूध नहीं ।
कार्तिक में दालें नहीं ।

कमज़ोर बच्चों के लिए
अगर कमज़ोर बच्चे हैंतो पपीते के बीज छाया में सूखा दो और कूट के पाउडर बना दो । -पपीते के बीज का पाउडर और आधा चम्मच नीम का रसबच्चे को  दिन तक पिलाओ । पेटमें कृमि या और कोई तकलीफ हैवो दूर होगी ।

गर्भ की रक्षा
चांदी की कटोरी में दही जमाकर खाने से गर्भपात नहीं होता ।

दमा
अंजीर सुबह उबाल कर खाने से दमा में फायदा होता है ।



बार बार बुखार आना

बार-बार बुखार आता हो तो भोजन से पहले २-३ ग्राम अदरक और थोड़ा नींबू खाएं फिर भोजन करें ।



साइटिका

  • साइटिका निवृत करने के लिए पैरों के तलवे पर सरसों का तेल लगायेऔर पैरों से ताली बजाएं और सोते -सोते प्राणायाम करें।
  • साइटिका है तो सुबह सूर्य की किरणों में बैठ के श्वास बाहर निकाल के दायाँ पैर सीधा रखें और बाएं पैर की तरफ खींचे, फिर श्वास ले लेवें । फिर बायाँ पैर आगे रख कर दायें पैर के तरह खींचे ।

जोड़ों का दर्द
जोड़ों का दर्द है तो पहली ऊँगली अंगूठे के मूल में डाल दो और ३ उंगलियाँ सीधी रखो । श्वास बाहर रख दें और " बम बम बम....." का जपें ।


पुदीने का पानी

भूख नहीं लगती तो पुदीने के १०-२५ पत्ते रगड़-रगड़ के, कूट के पानी में डालो और पानी उबाल के पियो, भूख लगेगी और वायु की तकलीफ ठीक होगी। अथवा तो १०-२० ग्राम पुदीने को मिक्सी में घूमा के फिर १-२ लीटर पानी में डाल दो । जब १ लीटर पानी ३/४ लीटर हो जाए तब उपयोग करो । भूख, जोड़ों का दर्द, वायु की तकलीफ में आराम होगा।



उपयोगी अरबी के पत्ते

अरबी के पत्तों की सब्जी बहुत फायदेमंद एवं वीर्यवर्धक है । सभी को खानी चाहिये ।

टूटे कांच व बंद हुई घड़ी ना रखे
घर के दरवाजे में या खिड़कियों में टूटे कांच हैं तो बीमारी के द्योतक हैं, उनको तुरंत बदल दें.....घर में टूटे हुए कांच का सामान हो तो उसे निकाल दें......बंद पड़ी हुई घड़ियाँ होगीं तो उन को सुधार के ठीक कर लें या बिगड़ गयी हैं तो फ़ेंक दें.....पुराने कपड़े जो आप नहीं पहनते उन को बाँट दो, अथवा यथा योग्य विसर्जन कर दो .....पुरानी चाबियाँ, पुराने ताले जो काम में नहीं आते, घर में नहीं रखें.......ऐसे चीजे नकारात्मक ऊर्जा पीड़ा करती हैं........घर में जो चीजें अनावश्यक हैं उन की सफाई कर दो ।

पाचन तंत्र ठीक करने के लिए
दिन में २-३ बार पुदीने के अर्क में थोड़ा पानी मिलाकर मुंह में थोड़ी देर रखें । इससे पाचन तंत्र ठीक रहेगा और मुंह की दुर्गन्ध भी दूर होगी ।


असाध्य रोगों में

गिलोय, घी, दूर्वा, काले तिल की ११०० आहुतियाँ अग्नि में कुछ दिन डालें । इस दौरान केवल कटी वस्त्र पहने जिससे श्वास और रोमकूपों के द्वारा इसका धुआं शरीर में जायेगा । इससे असाध्य रोग दूर होंगे ।


Thursday 8 July 2010

जोड़ों का दर्द, बदहाजमा व थकान आदि में

१० ग्राम काली मिर्च कूट लें, १० ग्राम सौंठ का पाउडर, २० ग्राम जीरा पाउडर अच्छे से सेंक लें । इन सबको कूट के उस में १० ग्राम सेंधा नमक व १० ग्राम काला नमक मिलाकर रखें। कभी -कभी भोजन से १० मिनट पहले उसमे नींबू का रस मिलाकर चाट लें तो बदहाजमा , जोड़ों का दर्द, मोटापा, भूख नहीं लगना व शरीर में थकान दूर होगी ।

नोटइसकी तासीर गर्म होने के कारण कभी-कभी खाएंज्यादा दिन नहीं खाएं । 


भोजन के मध्य में आंवले का रस

भोजन के मध्य में अगर आंवले का रस ३०-३५ ग्राम पानी मिलाकर २१ दिन पिया जाए, तो ह्रदय व मस्तिष्क की सारी दुर्बलताएं दूर हो जाएगी । ह्रदय पुष्ट होता है व दिमाग तीव्र होता है ।


चांदी वर्क खतरनाक

मिठाई में चांदी के वर्क की जगह एलुमिनियम के वर्क होते हैं । ये धीमा ज़हर है । इससे भविष्य में दुर्बलता आती है व पाचन तंत्र कमज़ोर होता है ।


हरड व सेंधा नमक प्रयोग

२०० ग्राम हरड पाउडर में १०-२० ग्राम सेंधा नमक मिलाकर रखें । पेट की गड़बडी लगे तो शाम को ५-७ ग्राम फांक लें । गैस, कब्ज़, शरीर टूटना, वायु-आम के सम्बन्ध से बनी बीमारियों में आराम होगा ।

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