शुक्रवार, 11 नवंबर 2011
अनार के मुरीद हो जाएंगे जब जान जाएंगे इसके छिलके में छुपे गुण
कहावत है कि एक अनार सौ बीमार। अनार सबसे सुंदर फल होता है। ईश्वर ने इसे जितना सुंदर बनाया है। उतने ही सुंदर इसके गुण भी है। अनार का हर एक छोटा दाना कई गुणों से भरपूर होता है। अनार सौ बीमारियों की एक दवा है। इसका रस अगर कपडों पर लग जाये तो यह असानी नही छूटता। मगर अनार खाकर आप अपनी कई बिमारियों को दूर कर सकते हैं।अनार कई रोगों में गुणकारी है। मीठे अनार तृषा, पित्तनाशक, कृमि का नाश करने वाला, पेट रोगों के लिए हितकारी तथा घबराहट को दूर करने वाला होता है। अनार स्वरतंत्र, फे फड़े, यकृत, दिल, आमाशय तथा आंतों के रोगों पर काफी लाभकारी है। अनार में एंटीऑक्सिडेंट, एंटीवायरल और एंटी-ट्यूमर जैसे तत्व पाये जाते हैं। अनार विटामिन्स का एक अच्छा स्रोत है। इसमें विटामिन ए, सी और ई भरपूर मात्रा में पाया जाता है।
अनार दिल के रोगों से लेकर पेट की गड़बड़ी और मधुमेह जैसे रोगों में फायदेमंद होता है। अनार का छिलका, छाल और पत्तियों को लेने से पेट दर्द में राहत मिलती है। पाचन तंत्र के सभी समस्याओं के निदान में अनार कारगर है। अनार की पत्तियों की चाय बनाकर पीने से पाचन संबंधी समस्याओं में भी बहुत आराम मिलता है। दस्त और कॉलरा जैसी बीमारियों में अनार का जूस पीने से राहत मिलती है। मधुमेह के रोगियों को अनार खाने की सलाह दी जाती है इससे कॉरोनरी रोगों का खतरा कम होता है।
अनार में लोहा की भरपूर मात्रा होती है, जो रक्त में आयरन की कमी को पूरा करता है।सूखे अनार के छिलकों का चूर्ण दिन में 2-3 बार एक-एक चम्मच ताजा पानी के साथ लेने से बार-बार पेशाब आने की समस्या ठीक हो जाती है। अनार के छिलकों को पानी में उबालकर, उससे कुल्ला करने से सांस की बदबू समाप्त हो जाती है।अनार के छिलकों के चूर्ण का सुबह-शाम एक-एक चम्मच सेवन करने से बवासीर ठीक हो जाता है। खांसी में अनार के छिलके को मुंह में रखकर उसे धीरे धीरे चूसना शुरू कर दें।
अनार दिल के रोगों से लेकर पेट की गड़बड़ी और मधुमेह जैसे रोगों में फायदेमंद होता है। अनार का छिलका, छाल और पत्तियों को लेने से पेट दर्द में राहत मिलती है। पाचन तंत्र के सभी समस्याओं के निदान में अनार कारगर है। अनार की पत्तियों की चाय बनाकर पीने से पाचन संबंधी समस्याओं में भी बहुत आराम मिलता है। दस्त और कॉलरा जैसी बीमारियों में अनार का जूस पीने से राहत मिलती है। मधुमेह के रोगियों को अनार खाने की सलाह दी जाती है इससे कॉरोनरी रोगों का खतरा कम होता है।
अनार में लोहा की भरपूर मात्रा होती है, जो रक्त में आयरन की कमी को पूरा करता है।सूखे अनार के छिलकों का चूर्ण दिन में 2-3 बार एक-एक चम्मच ताजा पानी के साथ लेने से बार-बार पेशाब आने की समस्या ठीक हो जाती है। अनार के छिलकों को पानी में उबालकर, उससे कुल्ला करने से सांस की बदबू समाप्त हो जाती है।अनार के छिलकों के चूर्ण का सुबह-शाम एक-एक चम्मच सेवन करने से बवासीर ठीक हो जाता है। खांसी में अनार के छिलके को मुंह में रखकर उसे धीरे धीरे चूसना शुरू कर दें।
गुरुवार, 10 नवंबर 2011
एक ग्लास ज्यूस जो दिलवाएगा एसीडिटी से राहत
संतरा खाने के बाद एकदम चुस्ती महसूस होती है। नियमित रूप से संतरे को आहार में शामिल करने से सर्दी, खांसी या रक्तस्त्राव की शिकायत नहीं रहती। शरीर सशक्त और दीर्घायु बनता हैं। रात को सोते समय और फिर से सुबह संतरा खाने से हाजमा ठीक रहता है। प्रतिदिन संतरे के ज्यूस का सेवन से किसी भी प्रकार के कैंसर की संभावना कम होती है क्योंकि संतरे के ज्यूस में एण्टीआक्सिडेंट्स अधिक मात्रा में पाये जाते है।
गठिया के मरीज भी संतरे के जूस का सेवन कर सकते हैं। इससे दर्द से आराम मिलता है और वजन भी नियंत्रित रहता है। संतरे के ज्यूस में फोलेट पाया जाता है और फोलेट घावों को भरने में और नये सेल्स के निर्माण में मदद करता है।संतरे के छिलकों को पत्थर पर पानी के साथ पीसकर शरीर पर मलने से चाहे कितनी भी पुरानी खुजली का रोग हो सिर्फ 5-6 दिनों में ही दूर हो जाता है। संतरे के छिलकों को धूप में सुखाकर जहां पर मच्छर हो उस जगह पर जलाने से सारे मच्छर भाग जाते हैं।
जलते हुए संतरे के छिलकों की खुशबू पूरे वातावरण में फैलने से सारा वातावरण सुगंधमय हो जाता है। संतरे के रस में एक रूई के फाए को भिगोकर आंखों पर लगभग 20 से 25 मिनट तक रखने से आंखों के नीचे के काले घेरे समाप्त हो जाते हैं। रोज संतरे के रस में थोड़ा सा पिसा तथा भुना हुआ जीरा और पिसा हुआ सेंधा नमक मिलाकर पीने से अम्लपित्त यानी एसीडिटी के रोग में आराम मिलता है। गर्भवती स्त्री अगर गर्भधारण होने के बाद के दिनों में रोजाना संतरे का प्रयोग करें तो इससे उसकी होने वाली संतान बहुत सुंदर पैदा होती है।
गठिया के मरीज भी संतरे के जूस का सेवन कर सकते हैं। इससे दर्द से आराम मिलता है और वजन भी नियंत्रित रहता है। संतरे के ज्यूस में फोलेट पाया जाता है और फोलेट घावों को भरने में और नये सेल्स के निर्माण में मदद करता है।संतरे के छिलकों को पत्थर पर पानी के साथ पीसकर शरीर पर मलने से चाहे कितनी भी पुरानी खुजली का रोग हो सिर्फ 5-6 दिनों में ही दूर हो जाता है। संतरे के छिलकों को धूप में सुखाकर जहां पर मच्छर हो उस जगह पर जलाने से सारे मच्छर भाग जाते हैं।
जलते हुए संतरे के छिलकों की खुशबू पूरे वातावरण में फैलने से सारा वातावरण सुगंधमय हो जाता है। संतरे के रस में एक रूई के फाए को भिगोकर आंखों पर लगभग 20 से 25 मिनट तक रखने से आंखों के नीचे के काले घेरे समाप्त हो जाते हैं। रोज संतरे के रस में थोड़ा सा पिसा तथा भुना हुआ जीरा और पिसा हुआ सेंधा नमक मिलाकर पीने से अम्लपित्त यानी एसीडिटी के रोग में आराम मिलता है। गर्भवती स्त्री अगर गर्भधारण होने के बाद के दिनों में रोजाना संतरे का प्रयोग करें तो इससे उसकी होने वाली संतान बहुत सुंदर पैदा होती है।
देहाती फंडा जो देगा तलवार सा तेज और धारदार दिमाग
पिस्ता को सबसे अच्छा स्नेक माना जाता है। पिस्ते के छिलके को हटाकर इसके अंदर का हिस्सा जो खाने में प्रयोग लाया जाता है। वह बिल्कुल आंख की तरह दिखाई पड़ता है। माना जाता है कि भगवान ने जो फ्रूट जिस शेप का बनाया है। शरीर में उसके आकार अगर कोई अंग हो तो वह शरीर के उस हिस्से को सबसे अधिक प्रभावित करता है। पिस्ता का शेप क्योंकि आंख जैसा है इसलिए कुछ मात्रा में पिस्ते का सेवन हमें करना चाहिए या कहें कि आंखों के इलाज में पिस्ता आपकी सहायता कर सकता है।
ताजा शोध से ज्ञात हुआ है पिस्ता का सेवन जब सामान्य हाई कार्बोहाइड्रेट भोजन जैसे ब्रेड आदि के साथ किया जाता है तो ये कार्बोहाइड्रेट शरीर में बेहतर अवशोषण सुनिश्चित करते हैं, जिसके परिणाम स्वरूप ब्लड शुगर का स्तर अपेक्षा से कहीं अधिक घट जाता है। पिस्ते वीर्यवर्धक (धातु को बढ़ाने वाला), रक्त को शुद्ध करने वाले, शक्तिवद्र्धक, पित्तकारक, भेदक, कटु और सारक (दस्तावर) हैं। वात, कफ और पित्तनाशक है। इसके उपयोग से मस्तिष्क (दिमाग) की दुर्बलता दूर होती है।
पिस्ता ताकत देने वाला और पौष्टिक होता है। पिस्तों में से तेल निकलता है। इस तेल की मालिश सिर में करने से दिमाग की गर्मी दूर हो जाती है। रेशम पर किरमिजी रंग चढ़ाने में भी इसके तेल का उपयोग होता हैं। पिस्ते, बादाम की गिरी, चिरौंजी और खसखस इन चारों को पीसकर दूध में उबालकर खीर बनाए। इसमें शक्कर (चीनी) गाय का घी मिलाकर सेवन करने से मस्तिष्क की कमजोरी दूर होती है।
ताजा शोध से ज्ञात हुआ है पिस्ता का सेवन जब सामान्य हाई कार्बोहाइड्रेट भोजन जैसे ब्रेड आदि के साथ किया जाता है तो ये कार्बोहाइड्रेट शरीर में बेहतर अवशोषण सुनिश्चित करते हैं, जिसके परिणाम स्वरूप ब्लड शुगर का स्तर अपेक्षा से कहीं अधिक घट जाता है। पिस्ते वीर्यवर्धक (धातु को बढ़ाने वाला), रक्त को शुद्ध करने वाले, शक्तिवद्र्धक, पित्तकारक, भेदक, कटु और सारक (दस्तावर) हैं। वात, कफ और पित्तनाशक है। इसके उपयोग से मस्तिष्क (दिमाग) की दुर्बलता दूर होती है।
पिस्ता ताकत देने वाला और पौष्टिक होता है। पिस्तों में से तेल निकलता है। इस तेल की मालिश सिर में करने से दिमाग की गर्मी दूर हो जाती है। रेशम पर किरमिजी रंग चढ़ाने में भी इसके तेल का उपयोग होता हैं। पिस्ते, बादाम की गिरी, चिरौंजी और खसखस इन चारों को पीसकर दूध में उबालकर खीर बनाए। इसमें शक्कर (चीनी) गाय का घी मिलाकर सेवन करने से मस्तिष्क की कमजोरी दूर होती है।
एसीडिटी ने कर रखा है बेचैन तो अपनाएं ये देसी फंडे
क्या आप पेट की गड़बड़ और एसीडिटी से परेशान हैं? आपको भूख नहीं लगती, जी मचलाने लगता है या पेट में जलन होती है तो ये सब एसीडिटी की निशानी है। एसीडिटी से निजात पाने के लिए लोग कई तरह की दवाईयां खाते हैं। लेकिन देसी नुस्खों से अच्छा एसीडिटी को जड़ से मिटाने का कोई और तरीका नहीं है तो आइए आज हमबताते हैं कुछ ऐसी ही देसी फंडों के बारे में जिन्हें उपयोग में लाकर एसीडिटी को जड़ से मिटाया जा सकता है।
- अपच या एसीडिटी आफरा होने पर खाने के बाद 250 ग्राम अमरूद खाना चाहिए।
- जीरा, सौंठ, सेंधा नमक, पीपल, काली मिर्च, समान मात्रा में मिलाकर पीसकर उसमें एक चम्मच रोज दिन में तीन बार गर्म पानी से फांकी लें।
- खाना न पचने पर पपीता खाना अच्छा है। लगातार पीपता के सेवन से यह समस्या दूर होती हैं।
- दूध तथा दुध उत्पादो का एसीडिटी के दौरान उपयोग करने से राहत मिलती है।
- ताजा पुदीने के रस का रोज सेवन करना एसीडिटी के लिए एक बेहतर उपाय है।
- एक ग्लास पानी में दो चम्मच सेब का सिरका तथा दो चम्मच शहद मिलाकर खाने से पहले सेवन करें, यह भी एक बेहतरीन उपाय है।
- एक गिलास पानी मे साबुत जीरे को उबाले तथा छानकर भोजन करते समय साथ मे लें एसीडिटी खत्म हो जाएगी।
- अपच या एसीडिटी आफरा होने पर खाने के बाद 250 ग्राम अमरूद खाना चाहिए।
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- ताजा पुदीने के रस का रोज सेवन करना एसीडिटी के लिए एक बेहतर उपाय है।
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- एक गिलास पानी मे साबुत जीरे को उबाले तथा छानकर भोजन करते समय साथ मे लें एसीडिटी खत्म हो जाएगी।
लाख दुखों की एक दवा है सौंफ
सौंफ में ऐसे अनेक औषधीय गुण मौजूद होते हैं जो सभी के स्वास्थ्य के लिए लाभकारी होता है। सौंफ में कैल्शियम, सोडियम, फास्फोरस, आयरन और पोटेशियम जैसे अहम तत्व होते हैं।पेट के कई विकारों जैसे मरोड़, दर्द और गैस्ट्रो विकार के उपचार में यह बहुत लाभकारी है। बड़ा हो या छोटा बचा यह हर किसी के स्वास्थ्य के लिए बड़ी लाभकारी है।
जिन व्यक्तियों को संग्रहणी की बीमारी हो, उन्हें चाहिए कि भोजन के बाद आधी क'ची, आधी भुनी हुई सौंफ तैयार करवाकर दोनों समय नियमित सेवन करें।
- कब्ज दूर करने के लिए 100 ग्राम सौंफ पीसकर रख लें। इसकी दो चम्मच गुलाब के गुलकंद के साथ सुबह-शाम भोजन के बाद खाएं।
- गले में खराश होने पर सौंफ को चबाते रहने से बैठा गला साफ हो जाता है। दिमाग से सम्बन्धी रोगों के लिए सौंफ बड़ी लाभकारी होती है। इसके निरन्तर उपयोग से आंखें कमजोर नहीं होती है और मोतियाबिन्द की शिकायत नहीं होती।
- उल्टी प्यास जी मिचलाना जलन उदरशूल पित्तविकार मरोड़ आदि में सौंफ का सेवन बहुत लाभकारी होता है।
- रोजाना सुबह और शाम दस दस ग्राम सौंफ बिना मीठा मिलाए चबाने से रक्त साफ होता है और त्वचा का रंग भी साफ होने लगता है।
- हाथ पांव में जलन की शिकायत होने पर सौंफ के बराबर मात्रा में धनिया कूट कर मिश्री मिला लें। खाना खाने के बाद पानी से करीब एक चम्मच रोज लेने से यह शिकायत कुछ ही दिनों में दूर हो जाती है।
- अगर आपके ब'चे को अक्सर अफरे की शिकायत रहती है या अपच, मरोड़, और दूध पलटने की शिकायत रहती है तो दो चम्मच सौंफ के पावडर को करीब दो सौ ग्राम पानी में उबाल लें और ठण्डा कर शीशी में भर लें। इस पानी को एक एक चम्मच दिन में दो तीन बार पिलाने से ये सारी शिकायतें दूर हो जाती हैं।
जिन व्यक्तियों को संग्रहणी की बीमारी हो, उन्हें चाहिए कि भोजन के बाद आधी क'ची, आधी भुनी हुई सौंफ तैयार करवाकर दोनों समय नियमित सेवन करें।
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- हाथ पांव में जलन की शिकायत होने पर सौंफ के बराबर मात्रा में धनिया कूट कर मिश्री मिला लें। खाना खाने के बाद पानी से करीब एक चम्मच रोज लेने से यह शिकायत कुछ ही दिनों में दूर हो जाती है।
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