रविवार, 4 दिसंबर 2011

कड़वा काढ़ा नहीं घर का ये टेस्टी शर्बत करेगा सर्दी-खांसी,एसीडिटी का इलाज

बदलते मौसम के कारण सर्दी-खांसी, पेट खराब होना, एसीडिटी होना एक आम समस्या होती है। जिसका इलाज करने के लिए अधिकतर लोग घरेलु काढ़ा या कड़वी दवाईयां लेते हैं। अगर आप भी इन समस्याओं का इलाज करने के लिए कड़वी दवाईयां लेकर थक चूके हैं तो अपनाइए नीचे लिखा ये टेस्टी इलाज।

तुलसी की पत्तियों और गुड़, नीबू के साथ मिलकर स्वादिष्ट पेय तुलसी सुधा बनाया जाता है। यह स्वादिष्ट होने के साथ साथ जुकाम, खांसी, सिरदर्द और पेट के गैस और एसीडिटी रोगों को खत्म करता है, पाचन के लिये अच्छा होता है और शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को बढा़ता है।

सामग्री- तुलसी की पत्तियां आधा कप,गुड़ - 3/4 कप, नीबू - 5 नीबू का रस (मध्यम आकार के)छोटी इलाइची 10, पानी 10 कप।

विधि - तुलसी की पत्तियों व नीबू का रस निकाल लीजिए। तुलसी की पत्तियां और इलाइची को नीबू के रस के साथ बारीक पीस लीजिये। पानी को गुड़ डालकर उबलने रख दीजिये, पानी में उबाल आने और गुड़ घुलने के बाद गैस बन्द बन्द कर दीजिये। पानी जब थोड़ा गरम रह जाय, तब गुड़ घुले पानी में तुलसी और इलाइची का पेस्ट जो नीबू के रस के साथ बानाया है, मिला कर 2 घंटे के लिये ढक कर रख दीजिये।

अच्छी तरह ठंडा होने के बाद तुलसी का शर्बत छान लीजिये, स्वादिष्ट तुलसी सुधा तैयार है। गर्मी के मौसम में ठंडा या नार्मल तापमान पर तुलसी सुधा पीजिये और सर्दियों में गरम गरम चाय की तरह से तुलसी सुधा पीजिये। तुलसी सुधा पेय को आप फ्रिज में रखकर 15 दिन तक पी सकते हैं

आसान प्रयोग: स्वमूत्र से एक महीने में डेंड्रफ और मुहांसे दोनों हो जाएंगे साफ


बढ़ते प्रदूषण या खाने-पीने की अनियमितता के कारण मुहांसे व डेंड्रफ से होने वाली परेशानी आजकल युवाओं में एक आम समस्या है। मुंहासों के कारण चेहरे पर दाग धब्बे हो जाते हैं वहीं डेंड्रफ के कारण बाल बहुत अधिक झडऩे लगते हैं।साथ ही रूखे और बेजान दिखने लगते हैं। दोनों ही समस्याओं से अगर आप भी परेशान हैं? इन्हें जड़ से मिटाना चाहते हैं तो स्वमूत्र से सस्ता और अच्छा इनका कोई इलाज नहीं है। नीचे लिखे स्वमूत्र के प्रयोग को अपनाकर आप अपने बाल व स्कीन दोनों को हेल्दी व चमकदार बना सकते हैं।

प्रयोग-

- स्वमूत्र को सिर के बालों की जड़ों में लगाकर पांच मिनट तक मालिश करके स्नान करें रूसी समाप्त हो जाएगी।

- स्वमूत्र के प्रयोग से मुंहासे भी ठीक हो जाते हैं। चेहरे पर स्वमूत्र लगाकर पांच-दस मिनट तक मसलें। आधे घंटे बाद धो लें।

- शेव करने के बाद स्वमूत्र लगाकर 15-20 मिनट मसाज करें। फिर आधे घंटे बाद धो लें। इससे चेहरे का रंग साफ होता है त्वचा चमकदार होती है।
सावधानी- स्वमूत्र का प्रयोग करते समय साबुन का प्रयोग न करें।

गुरुवार, 1 दिसंबर 2011

घरेलु अमृत संजीवनी: कई जानलेवा लाइलाज बीमारियों की एक ग्यारंटेड दवा

कई बार बड़ी बीमारियों का इलाज करवाते हुए। हम थक जाते हैं लेकिन अच्छे से अच्छे और महंगा से महंगा इलाज करवाने  पर भी बीमारी ठीक नहीं हो पाती। ऐसे में हमारे ऋषि-मुनियों द्वारा आजमाएं हुए सौ-प्रतिशत कारगर नुस्खे ही एक मात्र उम्मीद होते हैं। वाकई में ये नुस्खे काम भी करते हैं इन्हें आयुर्वेद की भाषा में रासायन कहा जाता है। ऐसा ही एक योग है अमृत संजीवनी रासायन योग जिसे आप घर पर ही बनाकर कई जानलेवा बीमारियों का इलाज कर सकते हैं। 

बनाने की विधि और सामग्री - अमृता, खस, नीम की छाल, मछेली, अडूसा, गोबर मुदपर्णी, सेमल, मूसली, शतावर, सभी को अलग-अलग कर  एक किलो लेकर जौकुट करके आठ गुने पानी में पकाएं। जब पानी 4 भाग शेष रह जाएं। तब एक किलो गुड़ (बिना मसाले का) अडूसा, शतावरी, आंवला, मछेली का कल्क प्रत्येक 160-160 ग्राम-काली गाय के घी में धीमी आंच पर पकाएं। 

घी मात्र जब शेष रह जाए तो छानकर खस, चंदन, त्रिजातक, त्रिकुटा, त्रिफला, त्रिकेशर ( नागकेशर, कमल केशर) वंश लोचन, चोरक, सफेद मुसली, असगंध, पाषाण भेद, धनिया, अडूसा, अनारदाना, खजूर, मुलैठी, दाख, निलोफर, कपूर, शीलाजीत, गंधक सभी दस-दस ग्राम लेकर कपड़छन करके  उपरोक्त घी में मिला दें।

मात्रा-सुबह खाली पेट 10 ग्राम घृत गौ- दूध में डालकर सेवन करें और एक घंटे तक कुछ भी ना खाएं।

गुण-सभी प्रकार के कैंसर में प्रथम व द्वितीय अवस्था तक के अलग-अलग अनुपान से, पुराना गठिया, घुटनो में सुजन व दर्द, साइटिका, अमाशय में पितरोग, नामर्दी, शुक्राणु का अभाव, शीघ्र पतन, पागलपन, अवसाद, बिगड़ी हुई खांसी, गलगंड, पीलिया, वात रोग, रक्तरोग, रसायन, वाजीकरण, श्वास रोग, गले के रोग, हृदय रोग, पिताशय की पथरी में लाभकारी। जो स्त्री रजोदोष से पीडि़त हो, जिस स्त्री के रजनोप्रवृति प्रारंभ ही न हुई हो, जो कष्ट पीडि़त हो तथा जिन स्त्रियों को बार-बार संतान होकर मर जाती हो, उन सभी को राहत मिलेगी। मासिक धर्म शुरू होकर बीच में ही बंद हो गया हो और अनेकों औषधी व मंत्रों के प्रयोग से संतान उत्पन्न न हुई हो उन्हें निश्चित ही संतान होगी।

सर्दी स्पेशल- हैरान रह जाएंगे ठंड में घी खाने के ये ढेरों फायदे जानकर

घी का नाम आते ही उसकी खुशबू ,स्वाद और न जाने क्या क्या हमारे दिलों दिमाग पर छा जाता है, हो भी क्यों न? हमने अपनी परम्परा से जो इसे पाया है। भले ही अंगरेजी में इसे क्लेरीफायडबटर के नाम से जाना जाता हो, पर देशी शुद्ध घी के अपने ही फायदे हैं। आयुर्वेद में भी घी को उदाहरण के रूप में दिया जाता है, जो संस्कारों द्वारा अपने गुणों को न छोडते हुए दूसरों के गुणों को भी अपने अन्दर समाहित कर लेता है। 16 वीं शताब्दी के ग्रन्थ भावप्रकाश पर यदि नजर डाला जाय तो इसे स्वाद को बढ़ाने वाला और ऊर्जा प्रदान करने वाला माना गया है।

शायद इसलिए हम इसे सदियों से अपने भोजन का अभिन्न हिस्सा मानते रहे हैं। घी केवल रसायन ही नहीं आपकी आँखों की ज्योति को भी बढाता है। ठंड में इसके सेवन को विशेष लाभदायी माना गया है।  इसके अपने गुणों के कारण ही मक्खन की जगह हम इसका इस्तेमाल कर सकते हैं। हमारे देश में  बड़ी ही तसल्ली से मक्खन को धीमी आंच पर पिघलाते हुए पकाकर घी बनाया जाता है। 

इससे इसके तीन लेयर बन जाते हैं ,पहला लेयर पानी से युक्त होता है, जिसे बाहर निकाल लिया जाता है ,इसके बाद दूध के ठोस भाग को निकाला जाता है, जो अपने पीछे  एक सुनहरी सेचुरेटेड चर्बी को छोड़ जाता है ,जिसमें कंजुगेटेड लाईनोलीक एसिड पाया जाता है। यह  कंजुगेटेड लाईनोलीक एसिड शरीर के संयोजी उतकों को लुब्रीकेट करने एवं वजन कम होने से रोकने में मददगार के रूप में जाना जाता है। यह भी एक सत्य है कि, घी एंटीआक्सीडेंट गुणों से भरपूर होता है। आयुर्वेद में घी को आतंरिक और बाह्य  दोनों ही प्रयोगों में सदियों से लाया जाता रहा है।

जोड़ों का दर्द हो, या हो त्वचा का रूखापन, या कराना हो आयुर्वेदीय पंचकर्म में शोधन, हर जगह इसका प्रयोग निश्चित है । हम जानते हैं, कि हमारा शरीर अधिकांशतया पानी में घुलनशील हानिकारक पदार्थों को बाहर निकालता है। लेकिन घी चर्बी में घुलनशील हानिकारक रसायनों को हमारे आहारनाल से बाहर निकालता है। घी को पचाना आसान होता है, साथ ही इसका शरीर में एल्कलाईन फार्म में होनेवाला परिवर्तन  अत्यधिक एसिडिक खान-पान के कारण होनेवाले   पेट की सूजन (गेस्ट्राईटीस ) को  भी कम करता है। 

चूँकि धीमी आंच पर गर्म करने से दूध के ठोस तत्व बाहर निकल  जाते हैं, इसलिए यह लेकटोज फ्री होता है, और यह उन लोगों के लिए भी खाने योग्य है जिन्हें  साधारण डेयरी प्रोडक्ट हजम नहीं होते हैं। घी मेध्य है ,अर्थात हमारी बुद्धिमता (आई.क्यू,) को बढाता है ,और तंत्रिकाओं को पोषण देता है।इन्ही गुणों के कारण आयुर्वेदिक चिकित्सक इसे अवसाद,एंजायटी,एपीलेप्सी आदि मानसिक स्थितियों में प्रयुक्त कराते हैं।इसे गर्भवती महिलाएं भी ले सकती हैं तथा अपनी आनेवाली संतान को गुणवान एवं बुद्धिमान प्राप्त कर सकती हैं

बुधवार, 30 नवंबर 2011

शहद अमृत है लेकिन इन चीजों के साथ खाएंगे तो ये जहर बन जाएगा

शहद को आयुर्वेद में अमृत माना गया है। माना जाता है कि रोजाना सही ढंग से शहद लेना सेहत के लिए अच्छा होता है। लेकिन शहद का सेवन करने के फायदे ही नहीं नुकसान भी हो सकते हैं। इसलिए शहद का सेवन जब भी करें नीचे लिखी बातों को जरूर ध्यान रखें।



   - चाय, कॉफी में शहद का उपयोग नहीं करना चाहिए। शहद का इनके साथ सेवन विष के समान काम करता है।



   - अमरूद, गन्ना, अंगूर, खट्टे फलों के साथ शहद अमृत है।



   - शरीर के लिये आवश्यक, लौह, गन्धक, मैगनीज, पोटेशियम आदि खनिज द्रव शहद में होते हैं।



   - शहद के एक बड़ा चम्मच में 75 ग्राम कैलोरी शक्ति होती है।



   - किसी कारणवश आप को शहद सूट नहीं किया तो या खाकर किसी तरह की परेशानी महसूस हो रही हो तो  नींबू का सेवन करें।



   - इसे आग पर कमी न तपायें।



   - मांस, मछली के साथ शहद का सेवन जहर के समान है।



   - शहद में पानी या दूध बराबर मात्रा में हानिकारक है।



   - बाजरू चीनी के साथ शहद मिलाना अमृत में विष मिलाने के समान है।



   - शहद सर्दियों में गुनगुने दूध या पानी में लेना चाहिये।



   - एक साथ अधिक मात्रा में शहद न लें। ऐसा करना नुकसानदायक होता है। शहद दिन में दो या तीन बार एक चम्मच लें।



   -  घी, तेल, मक्खन में शहद विष के समान है।

बीमारियों को दूर भगाने के कुछ सस्ते और अच्छे नुस्खे

क्या आप बार-बार बीमार हो जाते हैं? जब भी मौसम बदलता है तब आपके पल्ले कोई नई बीमारी पड़ जाती है? विज्ञान के अनुसार इसका कारण कमजोर इम्युनिटी पॉवर है। इम्युनिटी पॉवर कम होने का बड़ा कारण अंसतुलित खान-पान और सही समय पर खाना न खाना है। इन कारणों से बीमारियों के जल्दी घेरने की संभावना अधिक बढ़ जाती है। इससे निजात पाने के लिए निम्न उपाय अपनाएं-

- सब्जियां ज्यादा खाएं।

- फल या ज्यूस रोज लें।

-ज्यादा से ज्यादा पानी पीएं। 

- खाने में मीठा कम करें बेसन से बनी चीजों का सेवन ज्यादा न करें।

- एक्सर्साइज और योगा करें। शारीरिक श्रम अधिक करें।

- मोटापा भी कई बीमारियों का कारण है वजन कम करने के लिए नियमित रूप से योगासन करें।

- तली-भुनी चीजों से परहेज करें।

- योगा से कम समय में ही शरीर को संतुलित किया जाता है अत: प्रतिदिन कुछ समय योगा अवश्य करें।

- अधिक कैलोरी वाले खाने का पूर्णत: त्याग करें। 

- समय पर सोएं।

- दिनचर्या नियमित रखें।

-मौसमी फलों का सेवन जरूर करें।

ऐसे बनाएं घर में आयुर्वेदिक फेसपैक, सारी स्कीन प्रॉब्लम्स खत्म हो जाएंगी

आजकल त्वचा को वातावरण के प्रदूषण, धूल-मिट्टी, धूप इत्यादि का सामना करना ही पड़ता है। ऐसे में त्वचा मुरझाई-सी दिखने लगती है। उम्र के साथ होने वाले हार्मोनल परिवर्तन से, प्रदूषण से व कई अन्य कारणों से स्कीन प्रॉब्लम्स सताने लगती हैं। अगर आपके साथ भी कोई स्कीन प्रॉब्लम हैं तो घर पर ही नीचे लिखी विधि से आयुर्वेदिक फेसपैक बनाकर उससे मुक्ति पा सकते हैं।

 - चेहरे पर चेचक, छोटी माता या बड़ी फुंसियों के दाग रह गए हैं तो दो पिसे हुए बादाम, दो चम्मच दूध और एक चम्मच सूखे संतरों के छिल्कों का पावडर मिलाकर आहिस्ता-आहिस्ता फेस पर मलें और छोड़ दें।

- हफ्ते में एक बार स्क्रब करें। घरेलु स्क्रब बनाने के लिए 1 चम्मच दरदरा चावल का आटा, 1 चम्मच दरदरी मसूर की दाल का पाउडर, 1/2 उड़द की दाल का दरदरा पाउडर, 1 चम्मच गुलाब जल और 1/2 चम्मच शहद मिलाकर गाढा पेस्ट बनाएं और चेहरे पर लगाएं। हलका सूखने पर स्क्रब करते हुए हटाएं। रंग निखर जाएगा।

 - हल्दी को मलाई में डालकर चेहरे पर रगडऩे से त्वचा चमकीली बनती है। हल्दी को कच्चे दूध में डालकर मुंहांसों पर लगाने से मुंहासे दूर हो जाते हैं।

- आधा चम्मच संतरे का रस लेकर उसमें 4-5 बूंद नींबू का रस, आधा चम्मच मुल्तानी मिट्टी, आधा चम्मच चंदन पाउडर और कुछ बूंदें गुलाब जल की। इन सबको मिलाकर कर थोड़ी देर के लिए फ्रिज में रख दें। इसे लगा कर 15-20 मिनट तक रखें। इसके बाद पानी से इसे धो दें। यह तैलीय त्वचा का सबसे अच्छा उपाय है।

 - अगर आपकी त्वचा ड्राई है, तो काजू को रात भर दूध में भिगो दें और सुबह बारीक पीसकर इसमें मुल्तानी मिट्टी और शहद की कुछ बूंदें मिलाकर स्क्रब करें। 

- धूप से हुई सांवली त्वचा में फिर से निखार लाने के लिए नारियल पानी, कच्चा दूध, खीरे का रस, नींबू का रस, बेसन और थोड़ा-सा चंदन का पावडर मिलाकर उबटन बनाएं, इसे नहाने के एक घंटे पहले लगा लें। सप्ताह में दो बार करें। सांवलापन खत्म हो जाएगा।

- रोमछिद्र ज्यादा बड़े हो गए हों तो उन पर टमाटर का रस, नींबू का रस और कच्चा दूध तीनों का पैक बनाकर लगाएं।

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