गुरुवार, 9 फ़रवरी 2012

डाइट सोडा: वजन बढाता है या घटाता है?

वजन कम करने के लिए डाइट सोडा एक प्रभावशाली पेय माना जाता है। कई वजन कम करने वालों का यह मानना है कि भोजन के बाद इसका सेवन करने से शरीर की एक्‍स्‍ट्रा कैलोरी बर्न होती। क्‍या यह सच है? क्‍या डाइट सोडा पीने से आपके वजन में सच-मुच कोई कमी आई है या फिर आपका वजन और बढ गया है? चलिए जानते हैं इसके पीछे का राज़। 

1.कार्बोनेटेड ड्रिंक खासतौर पर डाइट सोड़े में कैलोरीज़ पाई जाती हैं जो हमारे शरीर के लिए बहुत खतरनाक साबित हो सकती हैं। इसको पीने से शरीर पर पहले तो प्रभाव नहीं पडेगा पर धीरे धीरे आप का वजन बढने लगेगा। 

2.इसमें पाई जाने वाली कृत्रिम मिठास शरीर में ब्‍लड शुगर को बढ़ा सकती है। अगर ब्‍लड शुगर बढ गई तो डायबीटीज होने का खतरा बढ़ सकता है। 

3.यह माना जाता है कि डाइट सोडे में कम कैलोरी होती है पर आपके लिए यह जानना जरुरी है कि कोई भी ड्रिंक जिसमें कृत्रिम स्‍वीटनर मिला होता है वह हर एक ड्रिंक स्‍वास्‍थ्‍य के लिए खराब और वजन को बढाने वाली होती है। डाइट सोडे में तरह तरह के यानी की सैक्‍रीन, सूकरालोज़ और नीयोटेम नामक शुगर सब्स्टिटूट मिले होते हैं, जो की वजन बढाने का कार्य करते हैं। 

4.मीठे पेय आपकी टेस्‍ट बड को नुक्‍सान पहुंचा सकते हैं। इसको पीने की लत पड़ सकती है और इसकी वजह से आपकी डाइट पर असर पड़ सकता है। 

5.डाइट सोडा पीने से शरीर में पानी की कमी हो सकती है। कई लोग प्‍यास लगने पर पानी न मिलने पर साफ्ट ड्रिंक का उपभोग कर लेते हैं जो डीहाइड्रेशन का कारण बन सकता है। प्‍यास लगने पर हमेशा पानी ही पीना चाहिए।

अचूक उपाय: न होगा आपरेशन न दर्द आसानी से हो जाएगी डिलेवरी

 मां होने का एहसास हर औरत के लिए बहुत खास होता है। लेकिन डिलेवरी के समय होने वाला दर्द बहुत अधिक होता है अगर ये दर्द कम हो जाए तो मां बनने का दर्द और भी अधिक सुखद हो सकता है। इसीलिए डिलेवरी  से पहले यानी गर्भावस्था के दौरान बद्धकोणासन करें। इस आसन से प्रसव पीड़ा कम होती है। साथ ही यह आसन पुरुष भी कर सकते हैं जिससे शरीर के कई रोग दूर होते हैं।



बद्धकोणासन की विधि-



समतल स्थान पर कंबल या अन्य कोई कपड़ा बिछाकर दोनों पैरों को सामने की ओर करके बैठ जाएं। फिर दोनों घुटनों को मोड़ते हुए पैरों के पास ले आएं और दोनों पैरों के तलवें आपस में मिलाएं। दोनों हाथों की उंगलियों को आपस में जोड़ लें। पैरों की उंगुलियों को दोनों हाथों से पकड़ लें और रीढ़ को सीधा रखें जैसे तितली आसन में बैठा जाता है। बाजू को सीधा करें और पैरों को ज्यादा से ज्यादा पास लाने का प्रयास करें जिससे आपका शरीर तन जाए।



यह इस आसन की प्रारंभिक स्थिति है। गहरी सांस भरें और सांस छोड़ते हुए धीरे-धीरे कमर से आगे इस प्रकार झुकें कि रीढ़ और पीठ की माँसपेशियों में खिंचाव बना रहे। प्रयास करें की आपका सिर जमीन से स्पर्श हो जाए। अगर ये संभव ना हो तो अपनी ठुड्डी को पैरों के अंगूठे से सांस को सामान्य कर लें। अंत में सांस भरते हुए वापस प्रारंभिक स्थिति में आ जाएं. दो या तीन बार इस आसन का अभ्यास करें।



बद्ध कोणासन की प्रारंभिक स्थिति तितली आसन जैसी ही है। गर्भवती महिलाएं इन दोनो आसनों का अभ्यास योग शिक्षक की सलाह लेकर पहले 6 महीने तक कर सकती है।



गर्भवती महिलाएं विशेष ध्यान रखें कि वे बद्ध कोणासन में आगे की तरफ ना मुड़ें। उन्हें केवल बैठने का अभ्यास ही करना है और रीढ़ को सीधा रखना है ठीक उसी तरह जिस तरह तितली आसन में बैठा जाता है।



इसके अतिरिक्त पद्मासन में बैठकर पर्वतासन का अभ्यास करना भी सरल है। वैसे सभी वर्ग के लोग पर्वतासन का अभ्यास कर सकते हैं।



बद्ध कोणासन के लाभ-



जो बद्ध कोणासन का अभ्यास करते हैं उन्हें किडनी, यूरीनरी ब्लैडर और प्रोस्टेट की समस्या नहीं होती।बद्ध कोणासन श्याटिका के दर्द को दूर करने में सहायक है। जो इस आसन का नियमित अभ्यास करते हैं उन्हें भविष्य में हर्निया की समस्या भी नहीं होती। गर्भवती महिलाएं भी बद्ध कोणासन को नियमित रूप से एक या दो मिनट तक बैठने का अभ्यास कर सकती हैं। गर्भवती महिलाएं सिर्फ बैठने का ही अभ्यास करेंगी, आगे की ओर बिल्कुल नहीं झुकेंगी। इस आसन के अभ्यास से प्रसव के दौरान कम से कम पीड़ा होगी।

काली कोहनियों से परेशान लोगों के लिए ये है रामबाण उपाय

अगर आप अपनी सांवली रंगत से परेशान हैं और कई तरह के क्रीम और दवाओं का उपयोग करने के बाद भी रंगत में कोई फर्क महसूस नहीं हो रहा हों तो घबराइए नहीं कुछ आसान आयुर्वेद नुस्खे ऐसे हैं जिनसे आपका सांवलापन दूर हो सकता है।

-  एक बाल्टी ठण्डे या गुनगुने पानी में दो नींबू का रस मिलाकर गर्मियों में कुछ महीने तक नहाने से त्वचा का रंग निखरने लगता है (इस विधि को करने से त्वचा से सम्बन्धी कई रोग ठीक हो जाते हैं )।

- आंवले का मुरब्बा रोज एक नग खाने से दो तीन महीने में ही रंग निखरने लगते है।

- कोहनियों का कालापन साफ करने के लिए गुलाब जल व ग्लिसरीन में नींबू रस मिलाकर लोशन तैयार करें। इस लोशन को पांच मिनट तक धूप में रखें। फिर कोहनियों पर मलें।

-  गाजर का रस आधा गिलास खाली पेट सुबह शाम लेने से एक महीने में रंग निखरने लगता है।

- दही से सिर धोने से केश मुलायम, घने, काले और चमकदार तथा लंबे होते हैं। 

-  प्रतिदिन खाने के बाद सोंफ का सेवन करें।

-  पेट को हमेशा दुरुस्त रखें, कब्ज न रहने दें।

- दो छोटे चम्मच बेसन में आधी छोटी चम्मच हल्दी मिलाकर खूब फेंटें। फिर इस लेप में दस बूंद गुलाब जल व दस बूंद नींबू मिलाकर खूब फेंटे। स्नान से पूर्व इस लेप को चेहरे पर मलें। आधे घंटे उपरांत चेहरे को धो लें।

-  अधिक से अधिक पानी पीएं।

- चाय-कॉफी जैसे धीमे जहर से यथ संभव दूर रहें।

- हाथ पैर एवं चेहरे का सौंदर्य बढ़ाने में दही सर्वोत्तम है। दो बड़े चम्मच दही लेकर हाथ पैर एवं चेहरे पर मलें। दस मिनट उपरांत धो लें। आपकी त्वचा चिकनी एवं साफ हो जाएगी। यह प्रयोग तीन हफ्ते तक करने से आपकी सुंदरता में गजब का निखार आने लगेगा।

- रोजाना सुबह शाम खाना खाने के बाद थोड़ी मात्रा में सौंफ  खाने से खून साफ  होने लगता है और त्वचा की रंगत बदलने लगती है।

मंगलवार, 7 फ़रवरी 2012

अजीनोंमोटो के साइड इफेक्‍ट

सफेद रंग का चमकीला सा दिखने वाला मोनोसोडि़यम ग्‍लूटामेट यानी की अजीनोंमोटो, एक सोडियम साल्‍ट है। अगर आप चाइनीज़ डिश के दीवाने हैं तो यह आपको उसमें जरुर मिल जाएगा क्‍योंकि यह एक मसाले के रुप में उसमें इस्‍तमाल किया जाता है। शायद ही आपको पता हो कि यह खाने का स्‍वाद बढ़ाने वाला मसाला, सेहत के लिए भी बहुत खतरनाक होता है। चलिए जानते हैं कि कैसे- 
साइड इफेक्‍ट- 

1.सिर दर्द, पसीना आना और चक्‍कर आने जैसी खतरनाक बीमारी आपको केवल अजीनोमोटो से हो सकती है। अगर आप इसके आदि हो चुके हैं और खाने में इसको बहुत प्रयोग करते हैं तो यह आपका ब्रेन भी डैमेज कर सकता है। 

2.इसको खाने से शरीर में पानी की कमी हो सकती है। चेहरे की सूजन और त्‍वचा में खिचाव महसूस होना इसके कुछ साइड इफेक्‍ट हो सकते हैं। 

3.इसका ज्‍यादा प्रयोग से धीरे धीरे सीने में दर्द, सांस लेने में दिक्‍कत और आलस भी पैदा कर सकता है। इससे सर्दी-जुखाम और थकान भी महसूस होती है। इसमें पाये जाने वाले एसिड सामग्रियों की वजह से यह पेट और गले में जलन भी पैदा कर सकता है। 

4.पेट के निचले भाग में दर्द, उल्‍टी आना और डायरिया इसके आम दुष्प्रभावों में से एक हैं। 

5.अजीनोमोटो आपके पैरों की मासपेशियों और घुटनों में दर्द पैदा कर सकता है। यह हड्डियों को कमज़ोर और शरीर दा्रा जितना भी कैल्‍शिम लिया गया हो, उसे कम कर देता है। 

6.ब्‍लड प्रेशर की समस्‍याओं से घिरे लोगों को यह बिल्‍कुल नहीं खाना चाहिए क्‍योंकि इससे अचानक ब्‍लड प्रेशर बढ़ और घट जाता है। 

7.व्‍यक्तियों को इससे माइग्रेन होने की समस्‍या भी हो सकती है। आपके सिर में दर्द पैदा हो रहा है तो उसे तुरंत ही खाना बंद कर दें।

औषधीय गुणों से भरपूर लौकी

सब्‍जी के रुप में खाए जाने वाली लौकी हमारे शरीर के कई रोगों को दूर करने में सहायक होती है। यह बेल पर पैदा होती है और कुछ ही समय में काफी बड़ी हो जाती है। वास्‍तव में यह एक औषधि है और इसका उपयोग हजारों रोगियों पर सलाद के रूप में अथवा रस निकालकर या सब्‍जी के रुप में एक लंबे समय से किया जाता रहा है। 

लौकी को कच्‍चा भी खाया जाता है, यह पेट साफ करने में भी बड़ा लाभदायक साबित होती है और शरीर को स्‍वस्‍य और शुद्ध भी बनाती है। लंबी तथा गोल दोनों प्रकार की लौकी वीर्यवर्ध्‍दक, पित्‍त तथा कफनाशक और धातु को पुष्‍ट करने वाली होती है। आइए इसकी औषधीय गुणों पर एक नज़र डालते हैं- 

1. हैजा होने पर 25 एमएल लौकी के रस में आधा नींबू का रस मिलाकर धीरे-धीरे पिएं। इससे मूत्र बहुत आता है। 

2.खांसी, टीबी, सीने में जलन आदि में भी लौकी बहुत उपयोगी होती है। 

3.हृदय रोग में, विशेषकर भोजन के पश्‍चात एक कप लौकी के रस में थोडी सी काली मिर्च और पुदीना डालकर पीने से हृदय रोग कुछ ही दिनों में ठीक हो जाता है। 

4.लौकी में श्रेष्‍ठ किस्‍म का पोटेशियम प्रचुर मात्रा में मिलता है, जिसकी वजह से यह गुर्दे के रोगों में बहुत उपयोगी है और इससे पेशाब खुलकर आता है। 

5.लौकी श्‍लेषमा रहित आहार है। इसमें खनिज लवण अच्‍छी मात्रा में मिलती है। 

6.लौकी के बीज का तेल कोलेस्‍ट्रॉल को कम करता है तथा हृदय को शक्‍ति देता है। यह रक्‍त की नाडि़यों को भी स्‍वस्‍थ बनाता है। लौकी का उपयोग आंतों की कमजोरी, कब्‍ज, पीलिया, उच्‍च रक्‍तचाप, हृदय रोग, मधुमेह, शरीर में जलन या मानसिक उत्‍तेजना आदि में बहुत उपयोगी है।

थकान और वर्कलोड से परेशान लोग एक बार जरूर करें ये अनोखा काम


काम के बहुत अधिक बोझ व सही समय पर संतुलित खाना न होने से। अधिकांश लोगों के साथ थकान की समस्या बनी रहती है।ऑफिस कार्य ज्यादातर बैठे रहने वाला होता है ऐसे में बैठे-बैठे भी थकावट महसूस होने लगती है। थकान से कई अन्य समस्याएं शुरू हो जाती है शरीर की रोगप्रतिरोधी क्षमता घटती जाती है। इन सभी से बचने के लिए जरूरी है कुछ व्यायाम जरूरी है। थकान से बचने के लिए सबसे सरल और कारगर उपाय है भूनमनासन। इस आसन से कुछ ही दिनों में आपकी थकान दूर हो जाएगी और हर कार्य पूरी स्फूर्ति के साथ कर सकेंगे।यह आसन कमर और रीढ़ के लिए काफी लाभदायक है। इसमें हम शरीर को पीछे या आगे की ओर न झुकाकर दाएं या बाएं घुमाते हैं। इससे लंबे समय तक बैठने या खड़े होने से आई थकावट दूर होती है। भूनमनासन की विधि- समतल स्थान पर कंबल आदि बिछाकर बैठ जाएं। दोनों पैर सामने रखें। शरीर को सीधा रखकर सांस भरिए। कमर से ऊपर के भाग को सीधे हाथ की ओर मोड़ें और दोनों हथेलियों को जमीन पर दाहिनी तरफ रखें। अब सांस छोड़ते हुए अपने सिर को जमीन से छूने का प्रयास करें। इस स्थिति में कुछ क्षण रुके। सांस सामान्य रखें। इसके बाद सांस भरते हुए शरीर को ऊपर की ओर लाएं और सांस को छोड़ते हुए शरीर को सीधा कर लें। ऐसे ही दूसरी और से इस प्रक्रिया को करें। 
भूनमनासन के लिए सावधानियां

- इस आसन को सभी आसनों के अंत में करें।

- भू-नमनासन करते समय अपना ध्यान पीठ और कंधे की मांसपेशियों पर लगाकर रखें।

- आसन के दौरान कोशिश करें कि रीढ़ की हड्डी सीधी रहे और शरीर का वजन हाथों पर आए।

- इससे रीढ़ की हड्डी और कमर के निचले हिस्से का तनाव कम होता है।

- गर्भवती महिलाएं शुरूआत के तीन महीनों तक इस आसन का अभ्यास कर सकती हैं। इसके बाद इस आसन को न करें।

- जिन लोगों को हार्नियां और अल्सर की परेशानी हो वे भी इस आसन को न करें।

थकान और वर्कलोड से परेशान लोग एक बार जरूर करें ये अनोखा काम


काम के बहुत अधिक बोझ व सही समय पर संतुलित खाना न होने से। अधिकांश लोगों के साथ थकान की समस्या बनी रहती है।ऑफिस कार्य ज्यादातर बैठे रहने वाला होता है ऐसे में बैठे-बैठे भी थकावट महसूस होने लगती है। थकान से कई अन्य समस्याएं शुरू हो जाती है शरीर की रोगप्रतिरोधी क्षमता घटती जाती है। इन सभी से बचने के लिए जरूरी है कुछ व्यायाम जरूरी है। थकान से बचने के लिए सबसे सरल और कारगर उपाय है भूनमनासन। इस आसन से कुछ ही दिनों में आपकी थकान दूर हो जाएगी और हर कार्य पूरी स्फूर्ति के साथ कर सकेंगे।यह आसन कमर और रीढ़ के लिए काफी लाभदायक है। इसमें हम शरीर को पीछे या आगे की ओर न झुकाकर दाएं या बाएं घुमाते हैं। इससे लंबे समय तक बैठने या खड़े होने से आई थकावट दूर होती है। भूनमनासन की विधि- समतल स्थान पर कंबल आदि बिछाकर बैठ जाएं। दोनों पैर सामने रखें। शरीर को सीधा रखकर सांस भरिए। कमर से ऊपर के भाग को सीधे हाथ की ओर मोड़ें और दोनों हथेलियों को जमीन पर दाहिनी तरफ रखें। अब सांस छोड़ते हुए अपने सिर को जमीन से छूने का प्रयास करें। इस स्थिति में कुछ क्षण रुके। सांस सामान्य रखें। इसके बाद सांस भरते हुए शरीर को ऊपर की ओर लाएं और सांस को छोड़ते हुए शरीर को सीधा कर लें। ऐसे ही दूसरी और से इस प्रक्रिया को करें। 
भूनमनासन के लिए सावधानियां

- इस आसन को सभी आसनों के अंत में करें।

- भू-नमनासन करते समय अपना ध्यान पीठ और कंधे की मांसपेशियों पर लगाकर रखें।

- आसन के दौरान कोशिश करें कि रीढ़ की हड्डी सीधी रहे और शरीर का वजन हाथों पर आए।

- इससे रीढ़ की हड्डी और कमर के निचले हिस्से का तनाव कम होता है।

- गर्भवती महिलाएं शुरूआत के तीन महीनों तक इस आसन का अभ्यास कर सकती हैं। इसके बाद इस आसन को न करें।

- जिन लोगों को हार्नियां और अल्सर की परेशानी हो वे भी इस आसन को न करें।

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