रविवार, 8 अप्रैल 2012

हेल्दी रहने के लिए क्या खाएं क्या न खाएं

कोई भी मौसम हो हमारा स्वास्थ्य तभी ठीक रहता है। जब हमारा आचरण भोजन और दिनचर्या मौसम के अनुसार हो। आयुर्वेद में भी गर्मी में स्वस्थ रहने के लिए भोजन कैसा हो और क्या खाएं क्या न खाएं जैसी बातों को सपष्ट किया गया है। आइए जानते हैं हम गर्मियों के लिए कुछ स्पेशल टिप्स जिन्हें अपनाकर झुलसाने वाली गर्मी में भी हम अपने स्वास्थ्य को बरकरार रख सकते हैं। 

अधिक गर्मी के कारण पित्त के विदग्ध होने से जठराग्रि मंद हो जाती है। दस्त, उल्टी, अर्जीण आदि रोग होते हैं, ऐसी स्थिति में कम आहार ग्रहण करना गर्मी में ज्यादा ठीक रहता है। ज्यादा चाय, काफी पीना, धुम्रपान और अन्य तरीके से तम्बाकू आदि का सेवन गर्मी को बढ़ाते हैं इसलिए इनके सेवन से बचना चाहिए। इससे शरीर में पित्त और गर्मी बढ़ती है। गर्मी में ठंडा पानी और पेय पदार्थ अधिक पीने चाहिए, क्योंकि गर्मी के मौसम में शरीर से अधिक पसीना निकलने के कारण पानी की कमी हो जाती है।

खस चंदन आदि का शर्बत और फलों का रस आदि पेय पदार्थों का सेवन इस ऋतु में अधिक करना चाहिए। गर्मी के मौसम में रोजाना नित्यकर्म के बाद एक ग्लास ठंडाई दूध, लस्सी और जौ या चने का सतू पानी में घोलकर पीना चाहिए। जौ को भून-पीसकर बनाया गया सतू अग्रि को तेज करने वाला, कफ-पित्तनाशक गुणयुक्त होता है। अगर सत्तू को जल में घोलकर पीया जाए तो वह बलदायक, कब्ज दूर करने वाला, मधुर होता है। दोपहर के भोजन में ऐसे हल्के आहार होने चाहिए जो शीघ्र पच सकें। भूख से थोड़ा कम खाना ही स्वास्थ्य के लिए बेहतर है। गर्मी में मांस खाना भी आयुर्वेद के अनुसार नुकसानदायक होता है। 

दोपहर में सोकर उठने के बाद भुने हुए चने या जौ चबाकर ठंडा पानी पीना चाहिए। गर्मी की मौसम में पके-मीठे आम, आमरस, कच्चे आम को भूनकर बनाया गया जीरा रस का सेवन अति लाभदायक होता है। इसका रस हाजमा को बढ़ाता है। शरीर को पुष्ट भी करता है। फूलों में ककड़ी, अंगूर, खरबूजा, तरबूज आदि फल का अधिक सेवन करना चाहिए। इस मौसम में टमाटर, बधुआ, आदि के साथ-साथ नींबू, हरी धनिया, पुदीना का भी नियमित रूप से सेवन करना चाहिए।

शुक्रवार, 6 अप्रैल 2012

हरड़ का थोड़ा सा पाउडर ऐसे उपयोग करें तो... बाल और दांत दोनों चमकने लगेंगे

हरड़ को आयुर्वेद में बहुत उपयोगी माना गया है। यह त्रिफला के तीन फलों में सबसे गुणकारी माना गया है। बाजार में दो प्रकार की हरड़ मिलती है। बड़ी हरड़ और छोटी हरड़। हरड़ पेड़ के वे फल हैं जो गुठली पैदा होने से पहले ही गिर पड़ते हैं।  हरड़ में एस्ट्रिन्जेन्ट, टैनिक अम्लए गैलिक अम्ल, चेबूलीनिक अम्ल और म्यूसीलेज । रेजक पदार्थ हैं एन्थ्राक्वीनिन जाति के ग्लाइको साइड्स। इसके अलावा हरड़ में दस प्रतिशत जल, 13.9 से 16.4 प्रतिशत नॉन टैनिन्स और शेष अघुलनशील पदार्थ होते हैं।इसके अलावा इसमें वैज्ञानिकों के अनुसार ग्लूकोज, सार्बिटाल, फ्रक्टोस, सुकोस, माल्टोस एवं अरेबिनोज हरड़ के प्रमुख कार्बोहाइड्रेट हैं। इसमें 18 प्रकार के अमीनो अम्ल पाए जाते हैं। हरड़ इतने गुणों से भरपूर है लेकिन अधिकांश लोग इसके प्रयोग नहीं जानते तो अगर आप भी उन्हीं लोगों में से एक हैं तो आइए हम बताते हैं आपको हरड़ के कुछ अचूक प्रयोग। 

- कब्ज के इलाज के लिए हरड़ को पीसकर पाउडर बनाकर या घी में सेकी हुई हरड़ की डेढ़ से तीन ग्राम मात्रा में शहद या सैंधा नमक में मिलाकर लेना चाहिए।

 - अतिसार होने पर हरड़ गर्म पानी में उबालकर प्रयोग की जाती है। 

- हरड़ का चूर्ण, गोमूत्र तथा गुड़ मिलाकर रात भर रखने और सुबह यह मिश्रण रोगी को पीने के लिए दें,इससे बवासीर तथा खूनी पेचिश आदि बिल्कुल ठीक हो जाते हैं। 

- लीवर, स्पलीन बढऩे की या पेट में कीड़ों की समस्या हो तो दो सप्ताह तक लगभग तीन ग्राम हरड़ के चूर्ण का सेवन करना चाहिए।

-हरड़ का चूर्ण दुखते दांत पर लगाने से भी तकलीफ कम होती है।

- एलर्जी से परेशान लोग हरड़ फल और हल्दी से तैयार लेप लगाएं।जब तक  एलर्जी खत्म न हो जाए तब तक लेप जारी रखें।

- हरड़ के फल को नारियल तेल में उबालकर लेप बनाएं और बालों में लगाएं। हरड़ के उपयोग से बाल काले और चमकीले बनते हैं।

-हरड़ का लेप पतले छाछ के साथ बनाकर गरारे करने से मसूढ़ों की सूजन में भी आराम मिलता है।

सफेद बालों को फिर से काला बनाने वाले कुछ सिम्पल घरेलू नुस्खे


वर्तमान समय में भाग दौड़ भरी जिंदगी में, बालों की ठीक से देखभाल न हो पाने और प्रदूषण के कारण बाल सफेद हो जाते है। बाल डाई करना या कलर करना इस समस्या का एकमात्र विकल्प नहीं। कुछ घरेलू उपचार आजमा कर भी सफेद बालों को काला किया जा सकता है। हम आपको बताने जा रहे हैं, कुछ ऐसे ही सिंपल घरेलू फंडे जिनसे आप अपने सफेद बालों को फिर काला बना पाएंगे।
-दस मिनट का कच्चे पपीता का पेस्ट सिर में लगाएं। बाल नहीं झड़ेंगे और डेंड्रफ  भी नहीं होगी।



- बेसन और  दूध या दही के घोल से बालों को धोएं। फायदा होगा।



- आंवले के पावडर में नींबु मिलाकर नियमित रूप से लगाएं सफेद बाल काले हो जाते हैं।



- रोजाना सिर में प्याज का पेस्ट लगाएं। बाल सफेद से काले होने लगेंगे।



- तिल खाएं। इसका तेल भी बालों को काला करने में कारगर है।



- आधा कप दही में चुटकी भर काली मिर्च और चम्मच भर नींबू रस मिलाकर बालों में लगाएं।



- रोज घी से सिर की मालिश करके भी बालों के सफेद होने की समस्या से छुटकारा पाया जा सकता है।

गुरुवार, 5 अप्रैल 2012

इन बातों को जानकर आप भी कह उठेंगे तरबूज का जवाब नहीं!

 गर्मी में प्यास बुझाने में तरबूज का जबाब नहीं। इसे गर्मी में खाने से गर्मी से तो राहत मिलती ही है। साथ ही इसे खाने के अनेकों फायदे हैं। आइए जानते हैं तरबूज के बारे में कुछ ऐसी ही बातें जिन्हें जानकर आप कह उठेंगे तरबूज का जवाब नहीं। तरबूज का 70 से 80 प्रतिशत भाग खाया जाता है। लाल रंग के गूदे वाले तरबूज मेँ सबसे अधिक लाइकोपिन पाया जाता है । लाइकोपिन एंटीआक्सीडेंट की तरह काम करता है। 

तरबूज में बीटा केरोटिन भी प्रचुर मात्रा में पाया जाता है । इसके छिलके मेँ सिट्रलिन रसायन पाया जाता है जो शरीर में एर्जीमिन अमिनो एसिड बनाता है । यह एसिड शरीर से अमोनिया व अन्य विषैले पदार्थोँ को शरीर से बाहर निकालने में सहायता करता है। तरबूज विटामिन सी और ए का खजाना है।साथ ही मर्दो में प्रोस्टेट कैंसर के खतरे को भी कम कर देता है। गर्मी के मौसम में इसका जमकर सेवन करें, क्योंकि यह विटामिन बी, बी6, बी1 का अच्छा स्रोत है। अगर हम कहे कि यह पानी से भरा होता है, तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी, क्योंकि इसमें 98 प्रतिशत तक जल होता है। अमीनो अम्ल भी प्रचुरता से पाया जाता है, यह अर्जीनाइन शरीर में चलने वाले यूरिया चक्र को प्रोत्साहित करता है। 

थाइमिन और मैग्नेशियम जैसे तत्व जो शरीर में उर्जा का उत्पादन और मांसपेशियों के क्षरण को रोकने का काम करते हैं, इसमें पाये जाते हैं। इसके सेवन से गुर्दे की पथरी, दमा, दिल संबंधी बीमारी और ऑथराइटिस का खतरा कम होता है। अगर आपके शरीर पर अतिरिक्त चर्बी है, तरबूज का सेवन करें। खाना खाने के उपरांत तरबूज का रस पीने से भोजन शीघ्र पच जाता है। इससे नींद भी अच्छी आती है। इसके रस से लू लगने का अंदेशा भी नहीं रहता। पोलियो रोगियों को तरबूज का सेवन करना बहुत लाभकारी रहता है, क्योंकि यह खून को बढ़ाता है और उसे साफ भी करता है। त्वचा रोगों के लिए यह फायदेमंद है। तपती गर्मी में जब सिरदर्द होने लगे तो तरबूज के आधा गिलास रस को पानी में मिलाकर पीना चाहिए। पेशाब में जलन हो तो ओस या बर्फ में रखे हुए तरबूज का रस निकालकर सुबह शकर मिलाकर पीने से लाभ होता है।

गर्मी में नित्य तरबूज का ठंडा-ठंडा शरबत पीने से शरीर को शीतलता तो मिलती ही है । साथ ही चेहरे पर एक चमक भी आ जाती है। इसके लाल गूदेदार छिलकों को हाथ-पैर, गर्दन व चेहरे पर रगडऩे से सौंदर्य निखरता है। सूखी खांसी में तरबूज खाने से खांसी का बार-बार चलना बंद होता है। तरबूज का गूदा लें और इसे ब्लैक हैडस के प्रभावित जगह पर धीरे- धीरे रगड़ें। एक ही मिनट उपरांत चेहरे को गुनगुने पानी से साफ कर लें।

आलू से हो सकती है आपकी कायापलट....ये पढ़ेंगें तो जान जाएंगें

वैसे तो आलू का चरबी बढ़ाने वाला वाला माना जाता है,लेकिन आलू के फायदे बहुत कम लोग जानते हैं। हम बताते हैं आपको आलू के कुछ ऐसे ही गुण जो शायद आप नहीं जानते होंगे। आलू में विटामिन सी, बी कॉम्पलेक्स तथा आयरन , कैल्शियम, मैंगनीज, फास्फोरस तत्त्व होते हैं। आलू के प्रति 100 ग्राम में 1.6 प्रतिशत प्रोटीन, 22.6 प्रतिशत कार्बोहाइड्रेट, 0.1 प्रतिशत वसा, 0.4 प्रतिशत खनिज और 97 प्रतिशत कैलोरी ऊर्जा पाई जाती है।

- आलू उबालने के बाद बचे पानी में एक आलू मसलकर बाल धोने से आश्चर्यजनक रूप से बाल चमकीले, मुलायम और जड़ों से मजबूत होंगे। सिर में खाज, सफेद होना व गंजापन तत्काल रुक जाता है। 

- जलने पर कच्चा आलू कुचलकर जले भाग पर तुरंत लगा देने से आराम मिल जाता है। - आलू को पीसकर त्वचा पर मलें। रंग गोरा हो जाएगा। 

- आलू के रस में नींबू रस की कुछ बूंदें मिलाकर लगाने से धब्बे हल्के हो जाते हैं।

- आलू के टुकड़ों को गर्दन, कुहनियों आदि सख्त स्थानों पर रगडऩे से वहां की त्वचा साफ एवं कोमल हो जाती है।

- आलू भूनकर नमक के साथ खाने से चर्बी की मात्रा में कमी होती है।

- झाइयों तथा झुर्रियों से छुटकारा पाने के लिए आलू के रस में मुल्तानी मिट्टी मिलाकर झाइयों और झुर्रियों पर लगाएं। बीस मिनट बाद चेहरा पानी से साफ कर लें।

-  भुना हुआ आलू पुरानी कब्ज दूर करता है। आलू में पोटेशियम साल्ट होता है जो अम्लपित्त को रोकता है।

-  चार आलू सेंक लें और फिर उनका छिलका उतार कर नमक, मिर्च डालकर खाएँ। इससे गठिया ठीक हो जाता है।

-  उच्च रक्तचाप के रोगी भी आलू खाएँ तो रक्तचाप को सामान्य बनाने में लाभ करता है।

-  कच्चा आलू पत्थर पर घिसकर सुबह-शाम काजल की तरह लगाने से 5 से 6 वर्ष पुराना जाला और 4 वर्ष तक का फूला 3 मास में साफ हो जाता है।

इससे हो जाएगा एसीडिटी का परमानेंट इलाज

कभी-कभी ज्यादा खा लेने पर एसीडिटी हो जाती है। इसके विपरित ज्यादा समय तक भुखे रहने पर भी एसीडिटी हो जाती है। ऐलोपेथिक दवाई लेने पर एसीडिटी से थोड़े समय के लिए निजात तो जरूर मिल जाती है लेकिन पूरी तरह छुटकारा नहीं मिलता है। इसीलिए एसीडिटी मिटाने के लिए आयुर्वेदिक देसी नुस्खे सबसे अधिक कारगर होते है।



आयुर्वेद और यूनानी पद्धति में तो शहद एक शक्तिवर्धक औषधी के रूप में लंबे समय से प्रयुक्त किया  जा रहा है। इसके विभिन्न गुण अब दुनिया भर में किए जा रहे शोधों से उजागर हो रहे हैं। दालचीनी और शहद का योग पेट रोगों में भी लाभकारी है। पेट यदि गड़बड़ है तो इसके लेने से पेट दर्द ठीक हो जाता है और पेट के छाले भी खत्म हो जाते हैं। खाने से पहले दो चम्मच शहद पर थोड़ा-सा दालचीनी पावडर बुरककर चाटने से एसिडिटी में राहत मिलती है और खाना अच्छे से पचता है।

आम नहीं बहुत खास है ''आम '' इसमें छुपे इन गुणों को जानेंगे तो मानेंगे

आम को फलों का राजा माना जाता है। खाने में तो ये फल खट्टा-मीठा और स्वाद से भरा होता है। लेकिन आम के अंदर छुपे असली गुणों को बहुत कम लोग जानते हैं आम पर कही गई कहावत आम तो आम और गुठलियों के दाम एकदम सही है क्योंकि इस फल का छिलका और गुठलिया भी बहुत उपयोगी होते है आइए जानते हैं आम के कुछ ऐसे ही गुणों के बारे में....

100 ग्राम आम में पोषकता

पोषण     पका आम             हरा आम

ऊर्जा        74  किलोकैलोरी     44 किलोकैलोरी

रेशा        0.7   ग्राम             1.2 ग्राम

कैल्शियम   14   मि.ग्रा            10 मि.ग्रा

लौह         1.3   मि.ग्रा           5.4 मि.ग्रा

कैरोटीन     2743  माइक्रोग्राम    90 माइक्रोग्राम

विटामिन सी   16   मि.ग्रा          3 मि.ग्रा

- गर्मियों के मौसम में पका हुआ फल खाने से थकान और प्यास का अनुभव नहीं होता।

- ग्लूकोज कार्बोहाइड्रेट, फ्रक्टोज, सुक्रोज विटामिन सी आदि प्रचुर मात्रा में पाया जाता है।

- आम की छाल का काढ़ा बनाकर घाव को धोने से पुराना से पुराना घाव भी भर जाता है।

- आम के ताजे पत्ते चबाने से मजबूत होते हैं और दांत के बहुत सारे रोग जड़ से खत्म हो जाते हैं।

-  पका आम आलस्य को दूर करता है तथा मूत्र संबंधी रोगों का सफाया करता है।

- आम के छिलके को ताजे पानी में पीसकर पिलाने से हैजा ठीक हो जाता है।

-  प्राकृतिक रूप से पका हुआ आम क्षयरोग यानी टीबी को मिटाता है।

-  जिन लोगों को शुक्रप्रमेह शारीरिक विकारों और वातादि यानी वायु संबंधी दोषों के कारण संतानोत्पत्ति न होती हो उनके लिए पका आम किसी      वरदान से कम नहीं है। मतलब कि संतान सुख से वंचित दंपत्ती के लिये आम बेहद लाभदायक  होता है। 

-  प्राकृतिक रूप से पके हुए ताजे आम के सेवन से पुरूषों में शुक्राणुओं की कमी,  नपुंसकता, दिमागी कमजोरी आदि रोग दूर होते हैं।

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