सोमवार, 9 अप्रैल 2012

सिरदर्द को समझे... ये बन सकता है कारण इन जानलेवा बीमारियों का

रिलेक्सेशन न मिलने के कारण या अन्य कई वजहों से अक्सर सिरदर्द हो जाया करता है। ऐसे में ज्यादा पेन किलर खाने पर रिएक्शन का डर बना रहता है। साथ ही सिरदर्द का इस तरह से इलाज करना कई बार बड़ी जानलेवा बीमारियों का कारण बन जाता है। सिर दर्द कई जानलेवा बीमारियों का एक प्रमुख लक्षण है, दर्द होना यह प्रदर्शित करता है कि शरीर में कहीं कोई गड़बड़ी अवश्य है, सिर दर्द में थकान होना भी बड़ी बीमारी का संकेत हो सकता है।

किस रोग की संभावना- सिर में अक्सर दर्द रहना हाई ब्लडप्रेशर, ब्रेन ट्यूमर,साइनस या फिर ब्रेन हेमरेज का सूचक भी हो सकता है।

 क्या करें- अगर आपके सिर में अक्सर दर्द रहता है, कि पेनकिलर्स लेने पर ठीक भी हो जाता है, तो इसे नजरअंदाज न करें। अगर दर्द के साथ-साथ उल्टियां भी होती हों तो डॉक्टर से तुरंत संपर्क करें। इसके अलावा दर्द के साथ आंखों की रोशनी कम होती जाए या चक्कर भी आएं तो यह ब्रेन ट्यूमर होने का इशार हो सकता है।

रविवार, 8 अप्रैल 2012

कमर पतली हो जाएगी और स्कीन चमकने लगेगी इस आसन से

कई बार ज्यादा मोटापा या स्कीन प्राब्लम्स खूबसूरती को छूपा देते हैं। ऐसे में स्कीन पर बहुत अधिक कास्मेटिक यूज करने या वजन घटाने की हानिकारक गोलियां खाने से अच्छा है, रोजाना कुछ देर योगा किया जाए। माना जाता है रोजाना दस मिनट मृगासन करने से कमर पतली और आकर्षक होती है साथ ही चेहरा भी चमकने लगता है।

मृगासन की विधि

किसी स्वच्छ स्थान पर कंबल या अन्य कोई आसन बिछाकर बैठ जाएं। अब घुटनों को मोड़कर पैरों को पीछे करके बैठ जाएं। पेट और छाती को जानुओ पर जमा कर रखें। अब दोनों हाथों को पीछे ले जाएं और कमर के पीछे तानकर सीधे उठाएं। चेहरा जमीन पर नहीं लगना चाहिए। सांस रोककर नितंबों को उठाएं। पूरे शरीर का भार घुटनों पर आना चाहिए। अब नितंबों को टांगों पर रख दें, हाथों को आगे कर सीधे हो जाएं और सांस छोड़कर सामान्य अवस्था में आ जाएं।

मृगासन के लाभ

इस आसन से मधुमेह में लाभ मिलता है साथ ही इससे शरीर की फालतू चर्बी भी कम हो जाती है। इस आसन से पाचन-क्रिया ठीक होती है। गठिया के दर्द में भी लाभ मिलता है। इससे घुटनों को मजबूती मिलती है। जब तक इस आसन का अभ्यास करेंगे कमर दर्द की शिकायत नहीं होती। इससे शरीर में हल्कापन, सुंदरता और त्वचा में चमक आती है।

संतरे के छिलके को ऐसे लगाएं तो मुहांसे मिटेंगे, चेहरा एकदम क्लीन हो जाएगा

युवाअवस्था में कदम रखते ही हार्मोनल चेंजेस के कारण अधिकतर युवक और युवतियों को ब्लेकहेड्स, व्हाइट हेड्स  और पिंपल्स जैसी समस्याएं सताने लगती हैं। मुंहासों की समस्या से निजात पाने के लिए बाजार में कई तरह की दवाईयां और क्रीम उपलब्ध हैं लेकिन बिना चिकित्सकीय निर्देशन के इनके इस्तेमाल से बचना चाहिए। ऐसे में जब चेहरे पर थोड़े बहुत मुहांसे हों तो घरेलू उपाय अपनाना ज्यादा बेहतर होता है। आज हम आपको बताने जा रहे हैं नारंगी के छिलकों का ऐसा प्रयोग जिससे आपकी स्कीन क्लीन एंड क्लियर हो जाएगी।

मुहांसों से मुक्ति- नारंगी और चारोली के छिलकों को दूध के साथ पीस कर इसका लेप तैयार कर लें और चेहरे पर लगाए। इसे अच्छी तरह सूखने दें और फिर खूब मसल कर चेहरे को धो लें। इससे चेहरे के मुहांसे गायब हो जाएंगे। अगर एक हफ्ते तक प्रयोग के बाद भी असर न दिखाई दे तो लाभ होने तक इसका प्रयोग जारी रखें।

चमकता चेहरा- चारोली को गुलाब जल के साथ सिलबट्टे पर या मिक्सर में बारीक पीस कर लेप तैयार कर चेहरे पर लगाएं। लेप जब सूखने लगे तब उसे अच्छी तरह मसलें और बाद में चेहरा धो लें। इससे आपका चेहरा चिकना, सुंदर और चमकदार हो जाएगा। इसे एक सप्ताह तक हर रोज प्रयोग में लाए। बाद में सप्ताह में दो बार लगाते रहें। इससे आपका चेहरा लगेगा हमेशा चमकदार व खिला-खिला और हरदम ताजातरीन भी।

हेल्दी रहने के लिए क्या खाएं क्या न खाएं

कोई भी मौसम हो हमारा स्वास्थ्य तभी ठीक रहता है। जब हमारा आचरण भोजन और दिनचर्या मौसम के अनुसार हो। आयुर्वेद में भी गर्मी में स्वस्थ रहने के लिए भोजन कैसा हो और क्या खाएं क्या न खाएं जैसी बातों को सपष्ट किया गया है। आइए जानते हैं हम गर्मियों के लिए कुछ स्पेशल टिप्स जिन्हें अपनाकर झुलसाने वाली गर्मी में भी हम अपने स्वास्थ्य को बरकरार रख सकते हैं। 

अधिक गर्मी के कारण पित्त के विदग्ध होने से जठराग्रि मंद हो जाती है। दस्त, उल्टी, अर्जीण आदि रोग होते हैं, ऐसी स्थिति में कम आहार ग्रहण करना गर्मी में ज्यादा ठीक रहता है। ज्यादा चाय, काफी पीना, धुम्रपान और अन्य तरीके से तम्बाकू आदि का सेवन गर्मी को बढ़ाते हैं इसलिए इनके सेवन से बचना चाहिए। इससे शरीर में पित्त और गर्मी बढ़ती है। गर्मी में ठंडा पानी और पेय पदार्थ अधिक पीने चाहिए, क्योंकि गर्मी के मौसम में शरीर से अधिक पसीना निकलने के कारण पानी की कमी हो जाती है।

खस चंदन आदि का शर्बत और फलों का रस आदि पेय पदार्थों का सेवन इस ऋतु में अधिक करना चाहिए। गर्मी के मौसम में रोजाना नित्यकर्म के बाद एक ग्लास ठंडाई दूध, लस्सी और जौ या चने का सतू पानी में घोलकर पीना चाहिए। जौ को भून-पीसकर बनाया गया सतू अग्रि को तेज करने वाला, कफ-पित्तनाशक गुणयुक्त होता है। अगर सत्तू को जल में घोलकर पीया जाए तो वह बलदायक, कब्ज दूर करने वाला, मधुर होता है। दोपहर के भोजन में ऐसे हल्के आहार होने चाहिए जो शीघ्र पच सकें। भूख से थोड़ा कम खाना ही स्वास्थ्य के लिए बेहतर है। गर्मी में मांस खाना भी आयुर्वेद के अनुसार नुकसानदायक होता है। 

दोपहर में सोकर उठने के बाद भुने हुए चने या जौ चबाकर ठंडा पानी पीना चाहिए। गर्मी की मौसम में पके-मीठे आम, आमरस, कच्चे आम को भूनकर बनाया गया जीरा रस का सेवन अति लाभदायक होता है। इसका रस हाजमा को बढ़ाता है। शरीर को पुष्ट भी करता है। फूलों में ककड़ी, अंगूर, खरबूजा, तरबूज आदि फल का अधिक सेवन करना चाहिए। इस मौसम में टमाटर, बधुआ, आदि के साथ-साथ नींबू, हरी धनिया, पुदीना का भी नियमित रूप से सेवन करना चाहिए।

शुक्रवार, 6 अप्रैल 2012

हरड़ का थोड़ा सा पाउडर ऐसे उपयोग करें तो... बाल और दांत दोनों चमकने लगेंगे

हरड़ को आयुर्वेद में बहुत उपयोगी माना गया है। यह त्रिफला के तीन फलों में सबसे गुणकारी माना गया है। बाजार में दो प्रकार की हरड़ मिलती है। बड़ी हरड़ और छोटी हरड़। हरड़ पेड़ के वे फल हैं जो गुठली पैदा होने से पहले ही गिर पड़ते हैं।  हरड़ में एस्ट्रिन्जेन्ट, टैनिक अम्लए गैलिक अम्ल, चेबूलीनिक अम्ल और म्यूसीलेज । रेजक पदार्थ हैं एन्थ्राक्वीनिन जाति के ग्लाइको साइड्स। इसके अलावा हरड़ में दस प्रतिशत जल, 13.9 से 16.4 प्रतिशत नॉन टैनिन्स और शेष अघुलनशील पदार्थ होते हैं।इसके अलावा इसमें वैज्ञानिकों के अनुसार ग्लूकोज, सार्बिटाल, फ्रक्टोस, सुकोस, माल्टोस एवं अरेबिनोज हरड़ के प्रमुख कार्बोहाइड्रेट हैं। इसमें 18 प्रकार के अमीनो अम्ल पाए जाते हैं। हरड़ इतने गुणों से भरपूर है लेकिन अधिकांश लोग इसके प्रयोग नहीं जानते तो अगर आप भी उन्हीं लोगों में से एक हैं तो आइए हम बताते हैं आपको हरड़ के कुछ अचूक प्रयोग। 

- कब्ज के इलाज के लिए हरड़ को पीसकर पाउडर बनाकर या घी में सेकी हुई हरड़ की डेढ़ से तीन ग्राम मात्रा में शहद या सैंधा नमक में मिलाकर लेना चाहिए।

 - अतिसार होने पर हरड़ गर्म पानी में उबालकर प्रयोग की जाती है। 

- हरड़ का चूर्ण, गोमूत्र तथा गुड़ मिलाकर रात भर रखने और सुबह यह मिश्रण रोगी को पीने के लिए दें,इससे बवासीर तथा खूनी पेचिश आदि बिल्कुल ठीक हो जाते हैं। 

- लीवर, स्पलीन बढऩे की या पेट में कीड़ों की समस्या हो तो दो सप्ताह तक लगभग तीन ग्राम हरड़ के चूर्ण का सेवन करना चाहिए।

-हरड़ का चूर्ण दुखते दांत पर लगाने से भी तकलीफ कम होती है।

- एलर्जी से परेशान लोग हरड़ फल और हल्दी से तैयार लेप लगाएं।जब तक  एलर्जी खत्म न हो जाए तब तक लेप जारी रखें।

- हरड़ के फल को नारियल तेल में उबालकर लेप बनाएं और बालों में लगाएं। हरड़ के उपयोग से बाल काले और चमकीले बनते हैं।

-हरड़ का लेप पतले छाछ के साथ बनाकर गरारे करने से मसूढ़ों की सूजन में भी आराम मिलता है।

सफेद बालों को फिर से काला बनाने वाले कुछ सिम्पल घरेलू नुस्खे


वर्तमान समय में भाग दौड़ भरी जिंदगी में, बालों की ठीक से देखभाल न हो पाने और प्रदूषण के कारण बाल सफेद हो जाते है। बाल डाई करना या कलर करना इस समस्या का एकमात्र विकल्प नहीं। कुछ घरेलू उपचार आजमा कर भी सफेद बालों को काला किया जा सकता है। हम आपको बताने जा रहे हैं, कुछ ऐसे ही सिंपल घरेलू फंडे जिनसे आप अपने सफेद बालों को फिर काला बना पाएंगे।
-दस मिनट का कच्चे पपीता का पेस्ट सिर में लगाएं। बाल नहीं झड़ेंगे और डेंड्रफ  भी नहीं होगी।



- बेसन और  दूध या दही के घोल से बालों को धोएं। फायदा होगा।



- आंवले के पावडर में नींबु मिलाकर नियमित रूप से लगाएं सफेद बाल काले हो जाते हैं।



- रोजाना सिर में प्याज का पेस्ट लगाएं। बाल सफेद से काले होने लगेंगे।



- तिल खाएं। इसका तेल भी बालों को काला करने में कारगर है।



- आधा कप दही में चुटकी भर काली मिर्च और चम्मच भर नींबू रस मिलाकर बालों में लगाएं।



- रोज घी से सिर की मालिश करके भी बालों के सफेद होने की समस्या से छुटकारा पाया जा सकता है।

गुरुवार, 5 अप्रैल 2012

इन बातों को जानकर आप भी कह उठेंगे तरबूज का जवाब नहीं!

 गर्मी में प्यास बुझाने में तरबूज का जबाब नहीं। इसे गर्मी में खाने से गर्मी से तो राहत मिलती ही है। साथ ही इसे खाने के अनेकों फायदे हैं। आइए जानते हैं तरबूज के बारे में कुछ ऐसी ही बातें जिन्हें जानकर आप कह उठेंगे तरबूज का जवाब नहीं। तरबूज का 70 से 80 प्रतिशत भाग खाया जाता है। लाल रंग के गूदे वाले तरबूज मेँ सबसे अधिक लाइकोपिन पाया जाता है । लाइकोपिन एंटीआक्सीडेंट की तरह काम करता है। 

तरबूज में बीटा केरोटिन भी प्रचुर मात्रा में पाया जाता है । इसके छिलके मेँ सिट्रलिन रसायन पाया जाता है जो शरीर में एर्जीमिन अमिनो एसिड बनाता है । यह एसिड शरीर से अमोनिया व अन्य विषैले पदार्थोँ को शरीर से बाहर निकालने में सहायता करता है। तरबूज विटामिन सी और ए का खजाना है।साथ ही मर्दो में प्रोस्टेट कैंसर के खतरे को भी कम कर देता है। गर्मी के मौसम में इसका जमकर सेवन करें, क्योंकि यह विटामिन बी, बी6, बी1 का अच्छा स्रोत है। अगर हम कहे कि यह पानी से भरा होता है, तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी, क्योंकि इसमें 98 प्रतिशत तक जल होता है। अमीनो अम्ल भी प्रचुरता से पाया जाता है, यह अर्जीनाइन शरीर में चलने वाले यूरिया चक्र को प्रोत्साहित करता है। 

थाइमिन और मैग्नेशियम जैसे तत्व जो शरीर में उर्जा का उत्पादन और मांसपेशियों के क्षरण को रोकने का काम करते हैं, इसमें पाये जाते हैं। इसके सेवन से गुर्दे की पथरी, दमा, दिल संबंधी बीमारी और ऑथराइटिस का खतरा कम होता है। अगर आपके शरीर पर अतिरिक्त चर्बी है, तरबूज का सेवन करें। खाना खाने के उपरांत तरबूज का रस पीने से भोजन शीघ्र पच जाता है। इससे नींद भी अच्छी आती है। इसके रस से लू लगने का अंदेशा भी नहीं रहता। पोलियो रोगियों को तरबूज का सेवन करना बहुत लाभकारी रहता है, क्योंकि यह खून को बढ़ाता है और उसे साफ भी करता है। त्वचा रोगों के लिए यह फायदेमंद है। तपती गर्मी में जब सिरदर्द होने लगे तो तरबूज के आधा गिलास रस को पानी में मिलाकर पीना चाहिए। पेशाब में जलन हो तो ओस या बर्फ में रखे हुए तरबूज का रस निकालकर सुबह शकर मिलाकर पीने से लाभ होता है।

गर्मी में नित्य तरबूज का ठंडा-ठंडा शरबत पीने से शरीर को शीतलता तो मिलती ही है । साथ ही चेहरे पर एक चमक भी आ जाती है। इसके लाल गूदेदार छिलकों को हाथ-पैर, गर्दन व चेहरे पर रगडऩे से सौंदर्य निखरता है। सूखी खांसी में तरबूज खाने से खांसी का बार-बार चलना बंद होता है। तरबूज का गूदा लें और इसे ब्लैक हैडस के प्रभावित जगह पर धीरे- धीरे रगड़ें। एक ही मिनट उपरांत चेहरे को गुनगुने पानी से साफ कर लें।

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