शुक्रवार, 20 अप्रैल 2012

पपीता का असर....ऐसे करेगी ये पेट और स्कीन की सारी परेशानियों को बेअसर

पपीता एक ऐसा फ्रूट है। जो टेस्टी होने के साथ ही गुणों से भरपूर है। पपीते के नियमित सेवन से शरीर को विटामिन-ए और विटामिन सी की एक निश्चित मात्रा प्राप्त होती है, जो अंधेपन से बचाती है। पीले रंग के पपीते के मुकाबले लाल पपीते में कैरोटिन की मात्रा अपेक्षाकृत कम होती है। इस फल का चिकित्सकीय महत्व भी काफी है, यह सुपाच्य होता है। पेट में गैस बनने से रोकता है। कब्ज का दुश्मन है और स्वास्थ्य व सौंदर्यवर्धक है। पपीते में पाए जाने वाले पपाइन नामक एंजाइम से भोजन पचाने में मदद मिलती है। यह मोटापे का भी दुश्मन हैं।

पेट के रोगों को दूर करने के लिए पपीते का सेवन करना लाभकारी होता है। पपीते के सेवन से पाचनतंत्र ठीक होता है। पपीते का रस अरूचि, अनिद्रा (नींद का न आना), सिर दर्द, कब्ज व आंवदस्त आदि रोगों को ठीक करता है। पपीते का रस सेवन करने से खट्टी डकारें बंद हो जाती है। पपीता पेट रोग, हृदय रोग, आंतों की कमजोरी आदि को दूर करता है। पके या कच्चे पपीते की सब्जी बनाकर खाना पेट के लिए लाभकारी होता है।

पपीते के पत्तों के उपयोग से उच्च रक्तचाप में लाभ होता है और हृदय की धड़कन नियमित होती है। पपीते में विटामिन डी, प्रोटीन, कैल्शियम, लौह तत्व आदि सभी भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं।पपीता वीर्य को बढ़ाता है, पागलपन को दूर करता है एवं वात दोषों को नष्ट करता है। इसके सेवन से जख्म भरता है और दस्त व पेशाब की रुकावट दूर होती है। कच्चे पपीते का दूध त्वचा रोग के लिए बहुत लाभ करता है। पका पपीता पाचन शक्ति को बढ़ाता है, भूख को बढ़ाता, पेशाब अधिक लाता है, मूत्राशय के रोगों को नष्ट करता है, पथरी को लगाता है और मोटापे को दूर करता है। पपीता कफ  के साथ आने वाले खून को रोकता है एवं खूनी बवासीर को ठीक करता है। पपीता त्वचा को ठंडक पहुंचाता है। पपीते के कारण आंखो के नीचे के काले घेरे दूर होते हैं।कच्चे पपीते के गूदे को शहद में मिलाकर चेहरे पर लगाने से कील-मुंहांसो का अंत होता है।

इससे बॉडी हो जाएगी चुस्त-दुरुस्त और खून भी बढ़ जाएगा

स्वस्थ जीवन जीने के  लिए सही आहार और विहार दोनों ही जरूरी है। कई बार इन दोनों में ही अनियमितता के कारण जल्दी थकान और खून की कमी जैसी प्रॉब्लम्स सताने लगती है। ऐसे में इन परेशानियों को जल्दी से दूर करने के लिए और शरीर को चुस्त-दुरुस्त बनाने के लिए आयुर्वेद में कई औषधीय

योग बताए गए है जिनके सेवन से इन प्रॉब्लम्स से छुटकारा पाया जा सकता है। हम बताने जा रहे हैं  आज आपको एक ऐसा ही घरेलू योग जो खून की कमी को दूर करने के साथ ही शरीर को शक्तिशाली भी बनाता है।

विधि- सितोपलादि चूर्ण 50 ग्राम, आमल की रसायन 50 ग्राम, अश्वगंधा सत्व 50 ग्राम, शतावर चूर्ण 10 ग्राम, सिद्धमकर ध्वज 5 ग्राम, लौहभस्म 100 पुटी 10 ग्राम, अष्ट वर्ग चूर्ण 25 ग्राम, शहद 300 ग्राम इस योग को 5 से 10 ग्राम सुबह- शाम चाटकर मीठा दूध पीएं। इसके सेवन से नए खून के निर्माण के साथ ही शक्ति का संचार हो जाता है। शरीर में कायाकल्प हेतु ये योग बहुत अच्छा माना जाता है।

बुधवार, 18 अप्रैल 2012

शादी के बाद भी फिगर मैंटेन रखने के लिए


शादी के बाद भी फिगर मैंटेन रखने के लिए

शादी के बंधन में बंधने के अधिकतर महिलाएं अपने ऊपर ध्यान नहीं दे पाती हैं। ध्यान नहीं देने के कारण वे कई बार अपनी बीमारियों को छिपाए रखती हैं। इस तरह अंदर ही अंदर वे कमजोर होती जाती हैं। श्वेत रक्त प्रदर, रक्त प्रदर , मासिक धर्म की अनियमितता, कमजोरी दुबलापन, सिरदर्द, कमरदर्द आदि। ये सभी बीमारियां शरीर को स्वस्थ और सुडौल नहीं रहने देती हैं।  इसलिए हम आपको बताने जा रहे हैं एक ऐसा आयुर्वेदिक नुस्खा जो महिलाओं की हर तरह की कमजोरी को दूर करता है।साथ ही शरीर को स्वस्थ और सुडौल बनाता है।



नुस्खा- स्वर्ण भस्म या वर्क दस ग्राम, मोती पिष्टी बीस ग्राम, शुद्ध हिंगुल तीस ग्राम, सफेद मिर्च चालीस ग्राम, शुद्ध खर्पर अस्सी ग्राम। गाय के दूध का मक्खन पच्चीस ग्राम थोड़ा सा नींबू का रस पहले स्वर्ण भस्म या वर्क और हिंगुल को मिला कर एक जान कर लें। फिर शेष द्रव्य मिलाकर मक्खन के साथ घुटाई करें। फिर नींबु का रस कपड़े की चार तह करके छान लें और इसमें मिलाकर चिकनापन दूर होने तक घुटाई करनी चाहिए।आठ-दस दिन तक घुटाई करनी होगी। फिर उसकी एक-एक रत्ती की गोलियंा बना लें।



सेवन की विधि-  1 या 2 गोली सुबह शाम एक चम्मच च्यवनप्राश के साथ सेवन करें। इस दवाई का सेवन करने से महिलाओं को प्रदर रोग, शारीरिक क्षीणता, और कमजोरी आदिसे मुक्ति मिलती है और शरीर स्वस्थ और सुडौल बनता है। यह दवाई स्वर्ण मालिनी वसंत के नाम से बाजार में भी मिलती है। इसके सेवन से शरीर बलशाली होता है। शरीर के सभी अंगों को ताकत मिलती है।

मंगलवार, 17 अप्रैल 2012

इस तरीके से खाएं सौंफ तो आंखें कमजोरी नहीं होंगी, सुंदर हो जाएंगी

आंखें भगवान का दिया अनमोल तोहफा है। साथ ही आंखें हमारे शरीर का सबसे कोमल और संवेदनशील अंग भी हैं। जिसमें छोटी-सी परेशानी जिंदगी भर की तकलीफ बन सकती है। अधिकांश लोग आंखों की छोटी-छोटी प्रॉब्लम्स जैसे आंखों की कमजोरी जैसे आंखों में से पानी आना, आंखों में जलन, लाल होना,आंखों में जाले आना, आंख का चिपकना, आंख की पलकों पर सूजन आना आदि परेशानियों को अनदेखा करते हैं। 

आगे चलकर ये लापरवाही ज्यादा परेशानी देने वाली साबित हो सकती है। इसीलिए रोजाना सुबह-शाम मुंह में पानी भरकर आंखों पर खूब पानी छिड़के। पर्याप्त नींद लें व साथ ही नीचे लिखे आयुर्वेदिक नुस्खें को भी अपनाएं।



नुस्खा-बादाम गिरी और सौंफ 100-100 ग्राम लें। सौंफ  का महीन चूर्ण करें, इसमें बादाम गिरी को खूब महीन कतरकर तथा सौंफ  के उक्त चूर्ण के साथ खूब अच्छी तरह पीसकर रखें।  रोज रात इस मिश्रण को 10-10 ग्राम मात्रा में मुख में रखकर धीरे-धीरे खाकर सो जाएं, इसके ऊपर पानी या दूध नहीं पीना है।

शर्तिया नुस्खा: ग्लिसरीन बालों में ऐसे लगाएं,फिर देखें डेंड्रफ गायब हो जाएगी


आयुर्वेद के अनुसार वात,कफ, पित्त इन तीनों में से किसी एक भी तत्व के घटने या बढऩे पर शरीर में बीमारियां हो सकती है। वात संबंधी दोषों के कारण भी डेंड्रफ हो जाती है। इसकी वजह से सिर में खुजली रहती है और बाल गिरने लगते हैं। शैंपू, तेल आदि से डेंड्रफ  तब तक ही दूर रहती है जब तक कि उन उत्पादकों का उपयोग किया जाता है लेकिन इनका उपयोग बंद करने के बाद डेंड्रफ वापस हो जाती है। इससे निजात पाने की घरेलू टिप्स-



- ग्लिसरीन और गुलाब जल का एक तीन के अनुपात में मिश्रण बना कर एक शीशी में रख लें। नहाने के बाद रोज थोड़ा हथेली पर लेकर बालों की जड़ों में उंगलियों की मदद से लगाएं। इससे डेंड्रफ से राहत मिल जाती है।



- नारियल के तेल में कपूर मिलाएं और यह तेल अच्छी तरह बालों में तथा सिर पर लगाएं। कुछ ही दिनों डेंड्रफ की समस्या से राहत मिलेगी।
- नींबू के रस को बालों में लगाएं। कुछ समय बाद सिर धो लें।



- नींबू का रस नारियल के तेल में मिलाकर लगाएं।



- दही से सिर धोएं, इससे भी डेंड्रफ  से निजात मिलेगी।

योगा फंडा: गर्मियों में रहेंगे कूल, बीमारियां और लू रहेंगी कोसो दूर


गर्मियों की शुरुआत हो चुकी है। बारिश और ठंड की बजाय गर्मियों का सीजन सभी के लिये ज्यादा कठिन होती है। गर्मी की तपन और चुभन व लू से होने वाली बीमारियों से बचने के लिए योग सबसे अच्छा उपाय हैं। ऐसी ही एक योगिक क्रिया है शीतली प्राणायाम। शीतली एक ऐसी क्रिया है, जिसे करने में मात्र 5 से 7 मिनिट लगते हैं तथा इसके करने से गर्मी में भारी राहत मिलती है। यह क्रिया है-शीतली प्राणायाम। आइये देखें इस योगिक क्रिया को कैसे किया जाता है-

शीतली प्राणायाम: पद्मासन में बैठकर दोनों हाथों से ज्ञान मुद्रा लगाएं। होठों को गोलाकार करते हुए जीभ को पाइप की आकृति में गोल बनाएं।

अब धीरे-धीरे गहरा लंबा सांस जीभ से खींचें। इसके बाद जीभ अंदर करके मुंह बंद करें और सांस को कुछ देर यथाशक्ति रोकें। फिर दोनों नासिकाओं से धीरे-धीरे सांस छोड़ें। इस क्रिया को 20 से 25 बार करें।

लाभ- शीतली प्राणायाम से लू लगना, एसिडिटी, आंखों और त्वचा के रोगों में तत्काल आराम मिलता है।

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