शुक्रवार, 11 मई 2012

जानिए कब-कब ले सकते हैं आयुर्वेदिक दवाएं.


आयुर्वेदिक दवाओं के बारे में अक्सर हम यह सोचते हैं, कि इसे कभी भी ले लो क्या फर्क पड़ता है? तो आप गलत सोचते हैं, आज हम आपको बताएंगे इन दवाओं को लेने के भी अपने कुछ नियम होते हैं, जिसके अनुसार-

1.सूर्योदय का समय

2.दिन में भोजन करते समय

3.सायंकाल भोजन करते समय

4.अनेक बार यानि पुन: पुन:

5.रात्रि में

ये पांच समय दवाओं के प्रयोग हेतु निर्देशित किये गए हैं।

-सूर्योदय के समय कफ एवं पित्त दोष अपने स्थान से बाहर निकलने को बेताब होते है, अत: वामक एवं विरेचक दवाओं के सेवन के लिए यह बेहतर समय माना गया है।

-मलाशय में उपस्थित अपान वायु के कारण होने वाली परेशानियों में दिन में भोजन के पहले दवा का सेवन करना बेहतर होता है।

-यदि खाने की इच्छा न हो यानि अरुचि जैसी स्थिति हो तो, रुचिकर भोजन के साथ मिलाकर दवा का सेवन करना बेहतर होगा।

-यदि रोगी में समान वायु के बिगड़ जाने से अग्नि मंद हो गयी हो तो, बुझी हुई अग्नि को प्रज्वलित करने हेतु भोजन करते समय या आधा भोजन कर लेने के बाद औषधि का सेवन करना चाहिए।

- इसी  प्रकार व्यान वायु बिगडने पर भोजन के बाद दवा का सेवन करना चाहिए ...,पुन:  यदि किसी को हिचकी,झटके एवं कम्पवात जैसी समस्या हो एवं समान वायु भी विकृत हो तो, भोजन के पूर्व या भोजन करने के बाद दवा देना चाहिए ...उदान वायु के बिगडऩे पर या सांस,खांसी आदि  स्थितियों में रात्रि के पूर्व प्रहर में दो ग्रास के मध्य औषधी देनी चाहिए।

- प्राणवायु के विकृत होने पर सायंकालीन नाश्ते  के अंत  मे  दवा देनी  चाहिए ..प्यास,उल्टी दमा या विष के सेवन किये रोगी को जल्दी-जल्दी अनेक बार अलग से या भोजन में मिलाकर दवा देने का निर्देश है।

- इसी प्रकार कान,नाक ,गला जिव्हा ,दांत आदि से समबंधित रोगों में दोषों को घटाने  या बढाने के लिए रात्रि में सोते समय भोजन से पूर्व दवा दी जानी चाहिए .....।

 इसलिए बेहतर यह होगा कि आप कुशल आयुर्वेदिक चिकित्सक के परामर्श से ही आयुर्वेदिक दवा का सेवन करें ...जिनसे दवा के किस समय लेने ,न लेने ,किसके साथ लेने न लेने,पथ्य एवं अपथ्य  से सम्बंधित परामर्श भी मिले।
 

गर्मी में इन 8 आयुर्वेदिक हेल्दी आदतों को अपनाएं और देखें कमाल

आयुर्वेद में ऋतुओं को काल के अनुसार आदान काल एवं विसर्ग काल में बांटा गया है। आदान काल में वर्षा ,शरद एवं हेमंत ऋतुएं आती हैं तथा विसर्ग काल में शिशिर ,वसंत एवं ग्रीष्म ऋतु का समावेश होता है। आदानकाल में सूर्यबल क्षीण एवं चन्द्रबल पूर्ण होता है, जबकि इसके  विपरीत विसर्ग काल में सूर्यबल पूर्ण एवं चन्द्रबल क्षीण होता है। ध्यान रहे , ऋतुओं का यह वर्गीकरण भारतीय उपमहाद्वीप के मौसम के हिसाब है। प्रत्येक ऋतु में रहने-खाने के बारे में कुछ नियमों को बतानेवाला विज्ञान मात्र आयुर्वेद है आइये आज हम आपको गर्मी के दिनों में स्वस्थ  रहने के टिप्स बताते हैं 

- गर्मी के मौसम में सूर्य जगत के स्नेहों का आदान यानी अवशोषित कर लेता है। इसलिए इस मौसम में क्षमता से अधिक व्यायाम,धूप एवं कटु,अम्ल  ,लवण रसयुक्त भोजन के सेवन का सर्वथा परित्याग कर देना चाहिए।

-  शराब का सेवन नहीं करें तो बेहतर है, शक्कर मिली हुई ठंडी पानक ,शरबत या सत्तू के घोल का सेवन करना चाहिए।

- मिट्टी के बर्तन में रखे गए जल का सेवन शरीर में शीतलता को बनाए रखते हैं। 

- द्राक्षा (अंगूर ),नारियल का पानी,प्राकृतिक हवा का सेवन उत्तम है।

- स्नान में चन्दन एवं कपूर का प्रयोग गर्मी से राहत देता है।

- मैथुन को भी प्रतिदिन वज्र्य माना गया है।

- हल्के पतले कपडे पहनना ही इस ऋतु में शरीर को सुख देता है।

- पूल ,तालाब या नदी में तैरना भी उचित माना गया है। ये सभी रहने के नियम आयुर्वेद में ऋतुचर्या की नाम से ग्रथों में बताये गए हैं जिनके सयंमित      प्रयोग से आप स्वस्थ रह सकते हैं।

सोमवार, 7 मई 2012

कोलेस्ट्रोल कंट्रोल करने के लिए, कच्चे लहसुन का बहुत आसान प्रयोग

कोलेस्ट्रोल का स्तर जब सामान्य से अधिक हो जाता है तो वह रक्त वाहिनियों में जमने लगता है जिसके कारण हृदय रोग होने की संभावना बढ़ जाती है। अगर आप भी बढ़े हुए कोलेस्ट्रोल या दिल की बीमारी से पीड़ित हैं तो नीचे लिखे उपाय आपके बहुत लाभदायक सिद्ध होंगे। 

- कच्चा लहसुन रोज सुबह खाली पेट खाने से कोलेस्ट्रोल कम होता है।



- रोज 50 ग्राम कच्चा ग्वारपाठा खाली पेट खाने से कोलेस्ट्रोल कम हो जाता है।



- अंकुरित दालें भी खाना आरंभ करें।



- भोजन में सोयाबीन का तेल जरूर प्रयोग करें यह भी एक उपचार है।



- लहसुन, प्याज का रस भी उपयोगी हैं।



- नींबू, आंवला जैसे भी ठीक लगे,प्रतिदिन लें।



- शराब या कोई नशा न करें।



- ईसबगोल के बीजों का तेल आधा चम्मच दिन में दो बार लें कोलेस्ट्रोल कंट्रोल में रहेगा।



- दूध में दालचीनी डालकर पीएं तो कोलेस्ट्रोल कण्ट्रोल में हो जाएगा।



- रात के समय दो चम्मच धनिया एक गिलास पानी में भिगो दें। प्रात: हिलाकर पानी पी लें। धनिया भी चबाकर निगल जाएं।



- तुलसी के पत्तों का रस और नींबू का रस मिलाकर पीने से भी लाभ होता है।

ब्लडप्रेशर...??? ये पांच नुस्खे अचूक रामबाण हैं

अगर आपको कभी भी चक्कर आने लगते हैं, सिर घूमने लगता है, या किसी किसी काम में मन नहीं लगता, कमजोरी महसूस होती है और नींद भी नहीं आती तो जरा सावधान हो जाइए। वर्तमान समय में बढ़ते मानसिक तनाव और भागदौड़ से लोगों में हाई ब्लड प्रेशर की शिकायत होना आम हो गया है। थोड़ी सी टेंशन या जम्मेदारियों को पूरा न कर पाने का दबाव इस बीमारी को लगातार बढ़ावा दे रहा है। आयुर्वेद के कुछ घरेलू नुस्खों को अपनाकर आप काफी हद तक इस बीमारी से बच सकते हैं।

-प्याज का रस और शुद्ध शहद बराबर मात्रा में मिलाकर रोज करीब दस ग्राम की मात्रा में लें।

- तरबूज के बीज की गिरि और खसखस दोनों को बराबर मात्रा में मिलाकर पीस लें रोज सुबह-शाम एक चम्मच खाली पेट पानी के साथ लें। यह प्रयोग करीब एक महीने तक नियमित करें।

- मेथीदाने के चूर्ण को रोज एक चम्मच सुबह खाली पेट लेने से हाई ब्लडप्रेशर से बचा जा सकता है।

- खाना खाने के बाद दो कच्चे लहसुन की कलियां लेकर मुनक्का के साथ चबाएं, ऐसा करने से हाई ब्लड प्रेशर की शिकायत नहीं होती।

- 21 तुलसी के पत्ते तथा सिलबट्टे पर पीसकर एक गिलास दही में मिलाकर सेवन करने से हाई ब्लडप्रेशर में लाभ होता है। 

खाना न पचने पर अपनाएं ये छोटे-छोटे घरेलू टिप्स

1- नींबू को काटकर नमक डालकर गर्म करके चूसने पर खाना आसानी से पच जाता है।



2- दही में सिका हुआ जीरा, नमक और कालीमिर्च डाल कर रोज खाने से खाना जल्दी पच जाता है। 



3- दो लौंग पीसकर उबलते हुए आधा कप पानी में डाले फिर ठंडा करके पी जाएं। इसे रोज तीन बार करें। 



4- प्याज काटकर नींबू निचोड़ कर भोजन के साथ खाने से बदहजमी दूर होता है। 



5- तीन ग्राम राई को पीसकर पानी में घोलकर पीने से फायदा मिलता है।



6- खाने के बाद तुलसी और कालीमिर्च चबाने से अपच की समस्या खत्म हो जाती है।



7- खाने के बाद छाछ पीने से भी लाभ होता है।



8- दालचीनी, सौंठ और इलायची थोड़ी-थोड़ी मात्रा में मिलाकर खाएं अपच की समस्या नहीं होगी।

एक छोटा सा नींबू भी कर सकता है इन बड़ी प्रॉब्लम्स का इलाज!


नींबू को विटामिन ''सी'' का सबसे अच्छा स्त्रोत व स्वास्थ्य के लिए बहुत लाभदायक माना जाता है। विशेषकर पेट से संबंधित समस्याओं के लिए नींबू का प्रयोग अनेक तरीकों से किया जाता है। आज हम आपको बताने जा रहे हैं नींबू के ऐसे ही कुछ प्रयोगों के बारे में जिनसे आप कई छोटी-मोटी स्वास्थ्य समस्याओं से निजात पा सकते हैं।



नींबू की शिकंजी, चीनी के बजाय सेंधा नमक डालकर पिएं कब्ज दूर हो जाएगी। स्कर्वी रोग में नींबू कारगर है एक भाग नींबू का रस और आठ भाग पानी मिलाकर रोजाना दिन में एक बार लें। नींबू के रस में थोड़ी शकर मिलाकर इसे गर्म कर सिरप जैसा बना लें। फिर इसमें थोड़ा पानी मिलाकर पीएं पित्त के लिए यह अचूक औषधि है। आधे नींबू का रस और दो चम्मच शहद मिलाकर चाटने से तेज खांसी व जुकाम में लाभ होता है।

नींबू से हृदय की असामान्य धड़कन सामान्य हो जाती है।

उच्च रक्तचाप के रोगियों की रक्तवाहिनियों को यह शक्ति देता है। एक नींबू के रस में तीन चम्मच शकर, दो चम्मच पानी घोलकर बालों की जड़ों में लगाकर एक घंटे बाद अच्छे से सिर धोने से रूसी दूर हो जाती है और बाल गिरना बंद हो जाते हैं। बालों में रूसी है तो बालों की जड़ों में नींबू का रस थोड़ी देर के लिए लगाकर छोड़ दें। फिर कुछ देर बाद सिर धो लें। रूसी से छुटकारा मिल जाएगा। शैम्पू करने के बाद थोड़े-से पानी में नींबू का रस मिलाकर बालों पर लगाएं। बाल चमकदार व मुलायम हो जाएंगे।

मोटापे से परेशान हैं तो सुबह हल्के गर्म पानी में नींबू का रस डालकर पीएं। निरंतर प्रयोग से वजन कम हो जाएगा। मलेरिया और हैजा जैसी बीमारियों में भी नींबू पानी बहुत ही फायदेमंद है। काली कोहनियों को साफ करने के लिए नींबू को दो भागों में काटें और उस पर खाने वाला सोडा डालकर कोहनियों पर रगड़ें। मैल साफ हो जाएगा, कोहनियां मुलायम हो जाएंगी।

नींबू के सेवन से सूखा रोग दूर होता है। नींबू का छिलका पीसकर उसका लेप माथे पर लगाने से माइग्रेन ठीक होता है। नींबू में पिसी काली मिर्च छिड़क कर जरा सा गर्म करके चूसने से मलेरिया ज्वर में आराम मिलता है। नींबू के बीज को पीसकर लगाने से गंजापन दूर होता है। बहरापन हो तो नींबू के रस में दालचीनी का तेल मिलाकर कान में डालें। आधा कप गाजर के रस में नींबू का रस मिलाकर पीएं,खून की कमी दूर होगी।

शहद खाएं तो इन बातों का रखें ध्यान वरना ये जहर बन जाएगा

शहद को आयुर्वेद में अमृत माना गया है। रोजाना सही ढंग से शहद लेना सेहत के लिए अच्छा होता है। लेकिन गलत तरीके से शहद का सेवन करने से फायदे की जगह नुकसान भी हो सकता है। इसलिए जब भी शहद का सेवन करें नीचे लिखी बातों को जरूर ध्यान में रखें।



- चाय, कॉफी में शहद का उपयोग नहीं करना चाहिए। शहद का इनके साथ सेवन जहर के समान काम करता है।



- अमरूद, गन्ना, अंगूर, खट्टे फलों के साथ शहद अमृत है।



- इसे आग पर कभी न तपायें।



- मांस, मछली के साथ शहद का सेवन जहर के समान है।



- शहद में पानी या दूध बराबर मात्रा में हानिकारक है।



- चीनी के साथ शहद मिलाना अमृत में विष मिलाने के समान है।



- एक साथ अधिक मात्रा में शहद न लें। ऐसा करना नुकसानदायक होता है। शहद दिन में दो या तीन बार एक चम्मच लें।



- घी, तेल, मक्खन में शहद जहर के समान है।



- शहद खाकर किसी तरह की परेशानी महसूस हो रही हो तो नींबू का सेवन करें।

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