मंगलवार, 16 सितंबर 2014

गर्दन में दर्द होने के कारण

गर्दन में दर्द होने के कारण-
  • अपने भोजन में तली-भुनी, ठण्डी-बासी या मसालेदार पदार्थों का अधिक सेवन करने के कारण भी गर्दन में दर्द का रोग हो सकता है।
  • गर्दन में दर्द गलत तरीके से बैठने या खड़े रहने से भी हो जाता है जैसे-खड़े रहना या कूबड़ निकालकर बैठना।
  • भोजन में खनिज लवण तथा विटामिनों की कमी रहने के कारण भी गर्दन में दर्द की समस्या हो सकती है।
  • कब्ज बनने के कारण भी गर्दन में दर्द हो सकता है।
  • पाचनशक्ति में गड़बड़ी हो जाने के कारण गर्दन में दर्द का रोग हो सकता है।
  • अधिक चिंता, क्रोध, ईर्ष्या, शोक या मानसिक तनाव की वजह से भी गर्दन में दर्द हो सकता है।
  • किसी दुर्घटना आदि में किसी प्रकार से गर्दन पर चोट लग जाने के कारण भी गर्दन में दर्द का रोग हो सकता है।
  • अधिक शारीरिक कार्य करने के कारण गर्दन में दर्द हो सकता है।
  • मोटे गद्दे तथा नर्म गद्दे पर सोने के कारण गर्दन में दर्द हो सकता है।
  • गर्दन का अधिक कार्यो में इस्तेमाल करने के कारण गर्दन में दर्द हो सकता है।
  • अधिक देर तक झुककर कार्य करने से गर्दन में दर्द हो सकता है।
  • व्यायाम न करने के कारण भी गर्दन में दर्द हो सकता है।
  • अधिक दवाइयों का सेवन करने के कारण भी गर्दन में दर्द हो सकता है।
  • शारीरिक कार्य न करने के कारण भी यह रोग हो सकता है।
  • चिंता, क्रोध, मानसिक तनाव, ईर्ष्या तथा शोक आदि के कारण भी गर्दन में दर्द हो सकता है।
  • किसी दुर्घटना में गर्दन पर चोट लगने के कारण भी यह रोग हो सकता है।
 उपचार-
  • गर्दन के दर्द को ठीक करने के लिए प्राकृतिक चिकित्सा के अनुसार सबसे पहले रोगी के गलत खान-पान के तरीकों को दूर करना चाहिए और फिर रोगी का उपचार करना चाहिए।
  • इस रोग से पीड़ित रोगी को हमेशा पौष्टिक भोजन करना चाहिए। रोगी को अपने भोजन में विटामिन `डी` लोहा, फास्फोरस तथा कैल्शियम का बहुत अधिक प्रयोग करना चाहिए ताकि हडि्डयों का विकास सही तरीके से हो सके और हडि्डयों में कोई रोग पैदा न हो सके।
  • शरीर में विटामिन `डी` लोहा, फास्फोरस तथा कैल्शियम मात्रा को बनाये रखने के लिए व्यक्ति को अपने भोजन में गाजर, नीबू, आंवला, मेथी, टमाटर, मूली आदि सब्जियों का अधिक सेवन करना चाहिए। फलों में रोगी को संतरा, सेब, अंगूर, पपीता, मौसमी तथा चीकू का सेवन अधिक करना चाहिए।
  • गर्दन में दर्द से पीड़ित व्यक्ति को चोकरयुक्त रोटी व अंकुरित खाना देने से बहुत जल्दी लाभ होता है।
  • गर्दन के दर्द को ठीक करने के लिए प्राकृतिक चिकित्सा के ही एक भाग जल चिकित्सा का सहारा लिया जा सकता है। इस उपचार के द्वारा रोगी को स्टीमबाथ (भापस्नान) कराया जाता है और उसकी गर्दन पर गरम-पट्टी का सेंक करते है तथा इसके बाद रोगी को रीढ़ स्नान कराया जाता है जिसके फलस्वरूप रोगी की गर्दन का दर्द जल्दी ही ठीक हो जाता है। इस प्रकार से उपचार करने से रोगी के शरीर में रक्त-संचालन (खून का प्रवाह) बढ़ जाता है और रोमकूपों द्वारा विजातीय पदार्थ बाहर निकल जाते हैं जिसके फलस्वरूप रोगी की गर्दन का दर्द तथा अकड़न होना दूर हो जाती है।
  • गर्दन के दर्द तथा अकड़न को दूर करने के लिए सूर्य किरणों द्वारा बनाए गए लाल व नारंगी जल का उपयोग करने से रोगी को बहुत अधिक फायदा होता है। सूर्य की किरणों में हडि्डयों को मजबूत करने के लिए विटामिन `डी` होता है। सूर्य की किरणों से शरीर में विटामिन `डी` को लेने के लिए रोगी को पेट के बल खुले स्थान पर जहां पर सूर्य की किरणें पड़ रही हो उस स्थान पर लेटना चाहिए। ताकि सूर्य की किरणें सीधी उसकी गर्दन व रीढ़ की हड्डी पर पड़े। इस क्रिया को करते समय सिर पर कोई कपड़ा रख लेना चाहिए ताकि सिर पर छाया रहें।
  • गर्दन के दर्द को ठीक करने के लिए रोगी की गर्दन पर सरसों या तिल के तेल की मालिश करनी चाहिए। मालिश करते समय यह ध्यान देना चाहिए कि मालिश हमेशा हल्के हाथों से करनी चाहिए। मालिश यदि सूर्य की रोशनी के सामने करें तो रोगी को बहुत अधिक लाभ मिलता है।
  • योगासन के द्वारा भी गर्दन के दर्द तथा अकड़न को ठीक किया जा सकता है। योगासन द्वारा गर्दन के दर्द तथा अकड़न को ठीक करने के लिए सबसे पहले गर्दन को पीछे की ओर ले जाएं और फिर धीरे-धीरे गर्दन को आगे की ओर झुकाएं। फिर ठोड़ी को कंठ कूप से लगाएं। इसके कुछ देर बाद गर्दन को दाएं से बाएं तथा फिर बाएं से दाएं हल्के झटके के साथ घुमाएं।
  • गर्दन के दर्द तथा अकड़न को दूर करने के लिए भुजंगासन, धनुरासन या फिर सर्पासन करना लाभकारी रहता है।
  • गर्दन के दर्द तथा अकड़न को ठीक करने के लिए प्राणायाम ध्यान का अभ्यास करें।
  • गर्दन के दर्द तथा अकड़न की समस्या को दूर करने के लिए रोजाना सुबह के समय में खुली ताजी हवा में घूमें।
  • गर्दन में दर्द होने पर इसका उपचार करने के लिए सबसे पहले गर्दन में दर्द होने के कारणों को दूर करना चाहिए।
  • योगाभ्यास तथा विशेष व्यायाम से गर्दन के दर्द से पूरी तरह छुटकारा मिल सकता है।
  • गर्दन के दर्द से पीड़ित रोगी को अपने कंधों को ऊपर से नीचे की ओर करना।
  • कंधों को सामने तथा पीछे की ओर गतिशील करना चाहिए इससे गर्दन का दर्द ठीक हो जाता है।
  • कंधों को घड़ी की दिशा में सीधी तथा उल्टी दिशा में घुमाना चाहिए जिससे गर्दन कां दर्द ठीक हो जाता है।
  • गर्दन से पीड़ित रोगी को अपनी उंगुलियों को गर्दन के पीछे आपस में फंसाना चाहिए और फिर फंसी उंगुलियों की तरफ दबाव देते हुए अपने कोहनी को आगे से पीछे की ओर गतिशील करना चाहिए जिसके फलस्वरूप गर्दन का दर्द जल्दी ही ठीक हो जाता है।
  • गर्दन से पीड़ित रोगी को अपने भोजन में विटामिन `डी´, लोहा, कैल्शियम, फास्फोरस की अधिकता वाले खाद्य पदार्थों का अधिक उपयोग करना चाहिए।
  • संतरा, सेब, मौसमी, अंगूर तथा पपीता व चीकू का उपयोग भोजन में अधिक करना चाहिए।
गर्दन में दर्द तथा अकड़न से बचने के लिए कुछ सावधानियां-
  • सोने के लिए व्यक्ति को सख्त तख्त का ही प्रयोग करना चाहिए।
  • सोते समय गर्दन के नीचे तकिए का प्रयोग नहीं करना चाहिए।
  • किसी भी कार्य को करते समय अपनी रीढ़ की हड्डी को तनी हुई और बिल्कुल सीधी रखनी चाहिए।
  • गर्दन के दर्द तथा अकड़न का उपचार करते समय अधिक सोच-विचार नहीं करना चाहिए।
  • गर्दन में दर्द तथा अकड़न की समस्या से बचने के लिए वह कार्य नहीं करना चाहिए जिससे गर्दन या आंखों पर अधिक बोझ या तनाव पड़े।
  • गर्दन में दर्द तथा अकड़न की समस्या से बचने के लिए प्रतिदिन 6 से 8 घण्टे की तनाव रहित नींद लेना बहुत ही जरूरी है।
  • गर्दन के दर्द तथा अकड़न से बचने के लिए यह ध्यान देना चाहिए कि यदि खड़े है तो तनकर खड़े हो तो अपनी पीठ सीधी रखनी चाहिए।
  • आगे की ओर झुककर किसी भी कार्य को नहीं करना चाहिए।
जानकारी-
           इस प्रकार से कुछ नियमों का अपने जीवन में प्रयोग करने से गर्दन में कभी भी दर्द तथा अकड़न नहीं होता है। यदि गर्दन में दर्द तथा अकड़न हो भी गई है तो संतुलित भोजन का सेवन करके तथा प्राकृतिक चिकित्सा से उपचार करके जल्दी ही इस रोग को ठीक किया जा सकता है।

गुरुवार, 13 फ़रवरी 2014

पारंपरिक चिकित्सा 4


हड्डी के टूटने / हड्डी का टेढ़ापन और सड़े-गले घावों का उपचार


यह संदेश निर्मल कुमार अवस्थीजी ने जांजगीर चांपा छत्तीसगढ़ के वैध मनहरलाल लाठिया का साक्षात्कार लेते समय का है.
मनहरलाल लाठिया का कहना है की वह टूटी हड्डी, हड्डी का टेढ़ापन और सड़े-गले घावों को ठीक करते है…इनका कहना है के वह एक लेप बनाते है और उसे घावों पर लगते है.. जिससे सडा-गला मांस पानी बनकर बह जाता है और नया मांस आने लगता है….यह अभी तक ऐसे लगभग 200 मरीजों को ठीक कर चुके है.. वह मरीजों को हठजोड़ खिलाते है और शंखपुष्पी का चूर्ण देते है….इनके अनुसार इन्होने एक चमत्कारी चूर्ण बनाया है जिसमे काला जीरा, अजमोठ और मैथी होती है…इस चूर्ण को देने से घावों का सड़ना-गलना रुक  जाता है और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ जाती है…अगर किसी का ज्यादा खून बहने लगे तो यह उसका भी इलाज करते है…साथ ही यह अनियमित माहवारी भी का भी इलाज करते है….यह इलाज के लिए चूर्ण और अपनी बनाई गोली भी देते है…

   
विभिन्न प्रकार के विष का उपचार
October 3, 2013

यह संदेश डॉ. एच.डी. गाँधी का धर्मार्थ दवाखाना, संजय नगर (रायपुर) छत्तीसगढ़ से है:

इस संदेश में डॉ. एच.डी. गाँधी का कहना है की अगर बिच्छु काटे स्थान पर अकौए (Calotropis gigantea) का दूध लगाने से लाभ मिलता है…काटे हुए स्थान पर पोटेशियम पेर्मेगनेट (Potassium Permanganate) या कार्बोलिक एसिड (Carbolic Acid) लगाने से लाभ होता है….तीसरा इमली का बीज पत्थर पर पानी से साथ रगड़कर दंश वाले स्थान पर लगाने से वह चिपककर सारा विष खीच लेता है….चौथा इन्द्रायण के फल का 5 ग्राम गुदा खाने से लाभ होता है….सांप काटने पर कालीमिर्च और प्याज़ पीसकर दंश वाले स्थान पर लगाये इससे प्याज़ का रंग हरा हो जायेगा…यह प्रक्रिया दोहराते रहे जब तक प्याज़ का रंग बदलना जारी रहे….सांप काटे स्थान पर अकौए (Calotropis gigantea) का दूध टपकाते रहे जब तक दूध कर रंग सफ़ेद न होने लगे….कनखजूरा काटने पर अकौए का दूध लगाने पर लाभ होगा.. यदि कनखजूरा चिपक गया है तो उस पर सरसों का तेल लगाये….मधुमक्खी के काटने पर तुलसी की पत्तियों को नमक में पीसकर लगाने से लाभ होगा….घर में लहसुन का चूर्ण पोटली में बांध कर रखने से चींटी-तिलचट्टे घर में नहीं आते है….भांग के नशे में दही पिलाने से लाभ होता है… तम्बाकू का नशा प्याज़ का रस 10 मी.ली. पिलाने से नशा उतर जाता है….मकड़ी का विष सौंठ और जीरा पानी में पीसकर लगाने से उतर जाता है…सूरजमुखी के 15 ग्राम बीज पीसकर खाने से सभी प्रकार के विष उतर जाते है….डॉ. एच.डी. गाँधी का संपर्क है 9424631467 है…


दूध बढ़ाने के लिए
October 3, 2013

यह संदेश डॉ. एच.डी. गाँधी का धर्मार्थ दवाखाना, संजय नगर (रायपुर) छत्तीसगढ़ से है:

इस संदेश में डॉ. एच.डी. गाँधी का कहना है की जिन स्तनपान कराने वाली माताओं का दूध कम आता है वह सतावर का 10 ग्राम चूर्ण दूध के साथ सेवन करने से दूध में वृद्धी होती है…दूसरा विदारीकन्द का 5 ग्राम चूर्ण दूध के साथ सेवन करने से शीघ्र लाभ होता है….कच्चे पपीते के सेवन से भी दूध में वृद्धी होती है…रक्त प्रदर होने पर 50 ग्राम चावल को पानी से धो कर उसे दुबारा 100 ग्राम पानी में 4 घंटों के लिए भिगोने के बाद उसे मसलकर उस पानी के सेवन से लाभ होता है….दूसरा केले की नर्म जड़ के 10 ग्राम रस का प्रतिदिन सेवन करने से लाभ होता है….तीसरा गुलर की 200 ग्राम छाल 250 ग्राम पानी में उबालकर 50 ग्राम शेष रहने पर उसमे 25 ग्राम मिश्री और 2 ग्राम सफ़ेद जीरे कर चूर्ण मिलकर सेवन करने से शीघ्र लाभ होता है…चौथा प्रसव में पुदीने का रस पिलाने से प्रसव आसानी से हो जाता है…. डॉ. एच.डी. गाँधी का संपर्क है 9424631467


गुलर के गुण
October 3, 2013

यह सन्देश वैध श्री निर्मल अवस्थी का , वार्ड क्रमांक 4, कस्तूरबा नगर बिलासपुर छत्तीसगढ़ से है:

इस संदेश में निर्मलजी गुलर (Cluster Tree- Ficus racemosa) के गुणों के बारे में बता रहे है…इनका कहना है की ताजा और सूखे फल शहद, शक्कर और मिश्री के साथ खाने से प्रदर रोग मिटता है…गुलर के पके हुए फल सैंधा नमक के साथ खाने से असाध्य प्रमेह रोग भी मिटता है….गुलर के पत्तियों का रस पीने से हृदय, यकृत और वात विकार भी दूर होता है….गुलर के पत्तियों का 6 ग्राम रस प्रतिदिन पीने से रक्त प्रमेह भी मिटता है….गुलर के कच्चे फलों का समभाग शक्कर मिलकर चूर्ण बना कर रख ले इस चूर्ण को प्रतिदिन 5 ग्राम दूध के साथ लेने से शक्ति बढती है याद रखे दूध यदि गाय (Cow Milk) का हो तो ज्यादा लाभदायक है….प्रतिदिन गुलर फल खाने से मधुमेह (Diabetes) मिटता है…गुलर के कच्चे फल का साग खाने से भी मधुमेह मिटता है….सड़े-गले घावों पर गुलर की पत्तियां पीस कार लगाने से काफी आराम मिलता है….गुलर का पानी मिला दूध औटाकर पीने से पुराना बुखार (Old Fever) उतरता है…निर्मलजी का संपर्क है: 09685441912


वातनाशक तेल
October 3, 2013

यह संदेश वैध श्री निर्मल अवस्थी का , वार्ड क्रमांक 4, कस्तूरबा नगर बिलासपुर छत्तीसगढ़ से है:

निर्मलजी इस संदेश में वातनाशक तेल के बारे में बता रहे है जो घुटने, कमर और शरीर दर्द में लाभदायक है जिसे हम घर में ही बना सकते है….इसके लिए सरसों का तेल (Mustered Oil) 500 ग्राम, केवड़े के बीज 25 ग्राम, धतूरे के बीज 25 ग्राम, तम्बाकू जर्दा (Tobacco Leaves)25 ग्राम और लहसुन की कलियाँ (Garlic) 25 ग्राम, इस सभी सामग्रियों को साफ़ करके सरसों के तेल में डाल कर धीमी आंच पर पकाएं जब सारे घटक (सामग्री) जल जाएँ और तेल 3/4 बच जाये तो इस तेल तो ठंडा कर के छान कर रख ले….यह तेल दर्द वाले स्थान पर लगा कर मालिश करे  और अकौए (Calotropis gigantea) के पत्ते तो थोडा गरम कर उस दर्दवाले स्थान की सिकाई करे….घर पर बने इस तेल के उपयोग से आराम होगा…..जिन भाइयों को गठियावत हो तो वह इस के साथ अश्वगंधा, विधारा और मीठी सुरंजन (Colchicum Luteum) 100-100 ग्राम और सौंठ 25 पीस कर चूर्ण बना ले और इस चूर्ण को सुबह-शाम 5 ग्राम की मात्रा में दूध के साथ लेने से लाभ होगा….निर्मलजी का संपर्क है: 09685441912


धातु रोग का घरेलु उपचार
October 2, 2013

यह संदेश अनंतराम श्रीमाली का सागर से है:

इनका कहना है की यह समस्त रोगों का उपचार जड़ी-बूटियों से करते है इनका कहना है की धातु रोग का उपचार करने के लिए तुलसी के बीज 2 ग्राम, शाम को एक मुट्ठी धनिया (Coriander Seeds)  200 ग्राम पानी में फुलाएं और उस पानी से धनिया को निकाल कर उसी पानी में तुलसी के (Basil Seeds) बीज पीस कर लेने से धातु रोग ठीक होने लगते है…..अनंतराम श्रीमालीजी का संपर्क है: 9179607522

पारंपरिक चिकित्सा 3


सहजन / मुनगा से पोषण / Drumstick is helpful to fight malnutrition
October 26, 2013

यह मोहनजी यादव का है जो बैतूल मध्यप्रदेश में नीरज यादव से बात कर रहे है, नीरजजी का कहना है की मध्यप्रदेश में लगभग 60 बच्चे कुपोषण का शिकार है और हर साल कई बच्चो की कुपोषण से मृत्यु हो जाती है…उनका कहना है की “शेवगा” यानि (मूनगा / सहजन) जिसे अंग्रेजी में ड्रमस्टिक के नाम से जाना जाता है की पत्तियों में कुपोषण से बचाने के गुण होते है और यह सहजता से उपलब्ध है…उनका यह भी कहना है की “शेवगा की पत्तियाँ खिलाओ, कुपोषित बच्चों को मरने से बचाओ“…अगर इसकी पत्तियों का उपयोग किया जाये तो बच्चो को कुपोषण से बचाया जा सकता है… इसकी पत्तियों में विटामिन “ए” गाजर से 4 गुना अधिक, विटामिन “सी” संतरे से 7 गुना अधिक, प्रोटीन दही से दोगुना, कैल्शियम दूध से 4 गुना अधिक, पोटेशियम केले से 3 गुना अधिक इसके आलावा इसमें मेगनिशियम, आयरन और जिंक भी प्रचुर मात्रा में पाया जाता है…जो शरीर को पोषक तत्वों की पूर्ति करते है…कुछ विशेषज्ञ मानते है की इसका पाउडर मल्टी-विटामिन टेबलेट के बराबर काम करता है…
Mohan Ji is talking to Neeraj Yadav who tells us that we can beat malnutrition by using leaf of Drum stick. He says more than 60% children are malnourished in places like Madhya Pradesh and leaf of Drum stick contains 4 times from Vitamin A than carrot, twice protein than curd, 4 times more calcium than milk and 7 times more Vitamin C than orange. People can grow drum stick in their house and save their children from malnutrition. For more Mohan Ji is at 09479598133
   
मैथी के गुण / Medicinal Properties of Fenugreek
October 12, 2013

यह संदेश श्री निर्मल कुमार अवस्थीजी का वार्ड क्रमांक 4 कस्तूरबा नगर, छत्तीसगढ़ से है…यह आज मैथी के गुणों के बारे में बता रहें है… इनका कहना है की हमारे आहार में हरी साग-सब्जियों का काफी महत्व है आधुनिक विज्ञान के मतानुसार हरी सब्जियों में क्लोरोफिल नामक तत्व होता है जो जीवाणुओं का नाशक है और यह दाँतों और मसूड़ों में सडन पैदा करनेवाले कीटाणुओं का यह नाश करता है….हरी सब्जियों में प्रोटीन और लौहतत्व भी भरपूर मात्र में होता है जो शरीर में रक्त को बढ़ता है…यह शरीर के क्षार को घटा कर उसका नियमन करता है…हरी सब्जियों में मैथी का प्रयोग भारत के सभी भागों में बहुतायत से किया जाता है…कई लोग इसे सुखाकर कर भी उपयोग में लाते है… मैथी के दानो (बीजों) का प्रयोग प्रायः हर घर में बघार (छौंक) लगाने में होता है…वैसे तो मैथी वर्षभर उगाई जाती है पर विशेषकर मार्गशीर्ष से फागुन माह में ज्यादा उगाई जाती है…कोमल पत्ते वाली मैथी कम कडवी होती है… मैथी की भाजी तीखी, कडवी, रुक्ष, गरम, पित्तवर्धक और भूखवर्धक पचने में हलकी और हृदय को बल प्रदान करने वाली होती है… मैथी के बीजों की अपेक्षा मैथी की भाजी कुछ ठंडी, पचने में आसान, प्रसूता, वायु दोष वालो के लिए उपयोगी है…यह बुखार, अरुचि, उलटी, खांसी,  वातरोग, बवासीर, कृमि तथा क्षय का नाश करने वाली होती है…मैथी पौष्टिक और रक्त को शुद्ध करने वाली है…यह वायुगोला, संधिवात, मधुमेह, प्रमेह और निम्न रक्तचाप के घटाने वाली है… मैथी माता का दूध बढाती है…काम दोष को मिटाती और शरीर को पुष्ट करती है…कब्जियत और बवासीर में मैथी से सब्जी रोज खाने से लाभ मिलता है… जिसे बहुमूत्रता की शिकायत हो उसे 100 मी.ली मैथी के रस में डेढ़ ग्राम कत्था और तीन ग्राम मिश्री मिलकर प्रतिदिन सेवन करना चाहिये… इससे लाभ होगा.. निर्मल अवस्थी का संपर्क है: 9685441912

This is a message from Nirmal Awasthi from ward no. 4, Kasturba Nagar, Chhatisgarh.

In this message Nirmalji is telling us about the medicinal properties of Fenugreek (Trigonella foenum-graecum). He says – As per modern science green vegetables contain an element named “Chlorophyll”  which helps destroy bacterial & fungal infections. Green vegetables are also a very good source of Iron & minerals. Fenugreekin  is an perennial vegetable  and is commonly used in every home throughout India. Fenugreek is used both as dried as well as fresh leaves. The seeds & dried leaves of this vegetable can be used as a condiment in many foods before final serving to give flavor & aroma. This vegetable has a number of health benefits and is used in traditional medicine.

Medicinal Usages:

Fenugreek is very helpful to increase & stimulate lactation for nursing mothers.

It is beneficial for people with diabetes.

It is also helps to relieve cough & pain

Daily use of  100 gram Fenugreek juice with Catechu & sugar can cure frequent urination problem.

It is also helpful for piles patients.

Nirmal Awasthi jis contact number is: 9685441912


सर्दी और खांसी का उपचार / Treatment of Cough & Cold
October 12, 2013

यह संदेश रामफल पटेलजी का प्रज्ञा संजीवनी नया बस स्टैंड पाली जिला कोरबा, छत्तीसगढ़ से है… इस सन्देश में रामफलजी सर्दी और खांसी के उपचार के बारे में बता रहें है…इनका कहना है की सौंठ 50 ग्राम, पीपर 50 ग्राम, कालीमिर्च 50 ग्राम, अडूसा 25 ग्राम, गिलोय 25 ग्राम और मुलेठी 25 ग्राम इन सबको पीसकर कर चूर्ण बना लें…और सुबह-शाम 2-3 ग्राम शहद के साथ ले…आवश्कता पड़ने पर 3 बार भी लिया जा सकता है…इसको लेने से सर्दी-खांसी में आराम मिलेगा….रामफल पटेलजी का संपर्क है: 8815113134

This message is by Shri. Ramfal Patel from Pragya Sanjeevani, New Bus Stand, Korba distt., Chhatisgarh. In this message he is telling us about a traditional remedy to treat cough & cold. He suggests – Take 50gms Dry Ginger, 50gms  Piper (longum), 50gms plack pepper, 25gms Justicia (adhatoda), 25gms Tinospora cordifolia and 25gms Glycyrrhiza glabra and grind them until a powder is formed. Take 2-3 gms of this powder with Honey. This medicine is very helpful to alleviate cough.

Ramfal Patel ji’s contact number is: 8815113134

अपामार्ग / लट्ठजीरा के औषधीय गुण / Medicinal Properties of Achyranthes aspera
October 10, 2013

यह संदेश लोमेश कुमार बच का लिमरू वन औषधालय, जिला कोरबा, छतीसगढ़ से है…इस संदेश में वह अपामार्ग जिसे कई स्थानों पर लट्ठजीरा / चिरचिटा के नाम से भी जाना जाता है के औषधि गुणों के बारे में बता रहे है… इनका कहना है की यह प्रायः सभी स्थानों पर पाया जाता है…यह औषधि अपने दिव्य प्रभावों से शरीर की दूषित धातुओं को शुद्ध करके हमें निरोगी बनाती है…रोग निदान के लिए इसकी पत्तियां, बीज जड़ सभी काम में लायी जाती है इस प्रकार यह सम्पूर्ण पौधा अपने आप में औषधि गुणों को समेटे हुए है… इसकी औषधि देने की मात्रा है पत्र स्वरस 3 ग्राम दिया जाता है, पत्र चूर्ण 3-6 ग्राम की मात्रा में दिया जाता है, मूल चूर्ण को 2-6 ग्राम की मात्रा में और बीज को 3-5 ग्राम की मात्रा में दिया जाता है…. इसके फूलों की मंजरी को तोड़ कर दातों पर मलने से  दांत मजबूत और निरोगी होते है… रक्तार्श जिसे खुनी बवासीर भी कहते है के लिए अपामार्ग के बीजों को पीसकर चावल के धोवन के साथ लेने पर रक्त आना बंद हो जाता है… बधिरता में इसके क्षार को तेल में पकाकर वह तेल कान में डालते रहने पर बधिरता समाप्त हो जाती है… बिच्छु के डंक मारने पर इसकी पत्तियों का रस पिलाने और इसकी जड़ को पीसकर उसका लेप दंश वाले स्थान पर लगाने से आराम मिलता है… भस्मक रोग जिसमे खूब खाने के बाद भी भूख नही मिटती और खाने के इच्छा होती ही रहती है उसके निदान के लिए इसके बीजों को खीर में मिलकर देने से लाभ मिलता है… सेहुआ रोग जिसमे त्वचा में सफ़ेद चकत्ते पड़ जाते है उसके उपचार के लिए इसका पंचांग बनाकर उसके क्षार बनाकर उसे केले के पत्तों का क्षार और हल्दी मिलाकर सेहुआ पर लगाने से अच्छा लाभ होता है…लोमेश्जी का संपर्क है: 9753705914

This is a message of vaidya Lomesh Kumar Buch from Limru forest hospital in Korba, Chhatisgarh. In this message Lomesh ji describes the medicinal use of the wild herb known as “Apamarga” in Hindi (Achyranthes aspera). It is a perennial herb commonly found throughout India & the Indian subcontinent. Lomesh ji says this herb has divine healing powers and it is very useful in expelling toxic contamination from our body. The plant’s leaves, stem, flowers, seeds & root are all equally useful for healing.

Prescribed & recommended quantitative dose of this herb with respect to different parts of the plant:

1. Leaves extract 3 grams.

2. Dry leaves powder 3-6 grams.

3. Dry root powder 2-6 grams.

4. Seeds 3-5 grams.
Uses
Rubbing the spica of this plant on the teeth is very helpful to keep them healthy & strong.
The powder of the plant’s seeds along with water used to wash rice is given to cure piles.
In the case of scorpion bites, the patient gets relief by drinking the extract of the plant’s leaves & by applying the crushed roots of the plant on the bitten area to alleviate venom, as it has anti venom properties.
The seeds of this plant have the property of reducing appetite. The plant’s seeds with condensed milk is used for this purpose.
Apamarga also helps cure a lot of skin diseases such as the disease known as “Sehua” otherwise known as “Tinea versicolor” or “Pityriasis versicolor” in medical terminology. In this disease lighter or darker patches on skin appears. Apamarga Alkali is very useful for removing these skin patches.

Procedure to prepare “Apamarga” Alkali:

Burn leaves, seeds, stem together in deep pan until ash is formed. Then pour some water and mixed well and removing plant residues filter it with cotton cloth and boil again until water evaporates and after complete evaporation the remaining greasy substance at the bottom is “Apamarga Alkali”

   
एक्जिमा एवं आधासीसी दर्द का उपचार
October 9, 2013

यह संदेश श्री. निर्मल कुमार अवस्थीजी का वार्ड क्रमांक 4, कस्तूरबा नगर, छत्तीसगढ़ से है..आप वह एक्जिमा के उपचार के बारे में बता रहें है… उनका कहना है यह दो अचूक नुस्खे है जो एक्जिमा रोगियों के लिए अत्यंत लाभदायक है…

पहला नुस्खा है: जमीन में एक फीट का गड्ढा खोदकर एक चूल्हा बना ले.. उसमे ऊंट की सुखी लेंडी भरकर आग लगा दें…फिर पीतल की एक थाली में पानी भरकर उसे उसी चूल्हे पर  चढ़ा दें..धीरे-धीरे पीतल की थाली के निचले पेंदे में धुंए का काजल इकठ्ठा हो जायेगा…आग के बुझने पर पीतल की उस थाली से काजल को  निकालकर किसी डिबिया में रख ले…इसी काजल को नित्य एक्जिमा पर लगाने से पुराने से पुराना एक्जिमा ठीक हो जाता है…

दूसरा नुस्खा है: करेले के पत्तों का रस निकालकर गरम करें..उसी अनुपात में  तिल का तेल भी गरम करें…फिर दोनों को मिलाकर गरम करें… करेले के रस की मात्रा सुखकर कम हो जाने पर उसे एक शीशी में भरकर रख लें..इसे एक्जिमा पर लगाये अवश्य लाभ होगा….

आधासीसी के दर्द का उपचार: आधासीसी का दर्द काफी पीड़ादायक होता है…इसे ठीक करने के लिए सतावर की ताज़ी जड़ को कूटकर उसका अर्क निकल लें… और  उसी मात्रा में तिल का तेल मिलाकर गर्म करें और जब तेल से सतावर का अर्क सूखकर सिर्फ तेल रह जाये तो उसे छानकर किसी बोतल में भरकर रख लें… इसी तेल को जिस भाग में दर्द हो रहा हो वहां लगायें और सूंघे अवश्य लाभ होगा…यह स्वनुभूत योग है…


पीलिया रोग में आहार
October 9, 2013

यह संदेश सरोजनी गोयल का बाल्को, जिला कोरबा, छत्तीसगढ़ से है..इस संदेश में वह पीलिया रोग में लिए जा सकने वाले आहार के बारे में बता रहीं है… उनका कहना है की बदलते मौसम में कई रोगों के साथ पीलिया भी बढ़ रहा है… इससे बचने के लिए मकोय की पत्तियों को पानी में उबालकर उसे पिये तो लाभ होता है… मकोय पीलिया के लिए उत्तम औषधि है इसका सेवन किसी भी रूप में किया जाये लाभदायक होता है… यदि पीलिया की लक्षण दिखाई देने लगे तो पानी पीने की मात्र बढ़ा दे इससे शरीर के हानिकारक तत्व उसर्जित हो जाते है… कच्चे पपीते का ज्यादा उपयोग करना रोगी के लिए अच्छा होता है…एक धारणा है की पीलिया के रोगी को मीठा नहीं खाना चाहिये… पर वास्तविकता है की रोगी यदि गाय के दूध से बना पनीर व छेने से बनी मिठाई खाए तो फ़ायदा होता है… इसके बारे में ज्यादा जानकारी अपने चिकित्सक से ले..

परंपरागत उपचार: पीलिया के रोगी को मुली के रस का सेवन करना खासा लाभदायक होता है..यह रक्त और यकृत से अतिरिक्त रक्तिम-पित्तवर्णकता (Bilirubin) को निकलता है..पीलिया के रोगी को धनिया, टमाटर, प्याज यह सब्जियां देना चाहिये…. सरोजनी गोयल का संपर्क है: 9165058483


रसपान से रोग उपचार
October 9, 2013

यह संदेश लोमेश कुमार बच का लिमरू वन औषधालय, जिला कोरबा, छतीसगढ़ से है…इस संदेश में वह विभिन्न रोगों का फलों-सब्जियों के रस से उपचार के बारे में बता रहे है… कौन से रोगों में कैसा रसोपचार किया जाये निम्नलिखित है:

गठियावात: अनन्नास, नीबू, खीरा, गाजर, पालक, चुकंदर का रस उपयोगी है.

मधुमेह: गाजर, संतरा, पालक, मुसम्बी, अन्नानास, नीबू, का रस उपयोगी है.

उच्च रक्तचाप: संतरा, अंगूर, गाजर चुकंदर, खीरा का रस उपयोगी है.

सर्दी-जुकाम: नीबू, संतरा, अनन्नास, गाजर, प्याज, पालक का रस उपयोगी है.

आँखों के लिए: टमाटर, गाजर, पालक, खुबानी का रस उपयोगी है.

मोटापे के लिए: नीबू, संतरा, अनन्नास, टमाटर, पपीता, चुकंदर, गाजर, पालक, पत्तागोभी का रस उपयोगी है.

अल्सर के लिए: गाजर, पत्तागोभी, अंगूर, खुबानी का रस उपयोगी है.

टांसिल के लिए: नीबू, संतरा, अनन्नास, गाजर, पालक, मूली, खुबानी का रस उपयोगी है.

सिरदर्द: अंगूर, नीबू, गाजर, पालक का रस उपयोगी है.

अनिद्रा: सेव, गाजर, अंगूर, नीबू कर रस उपयोगी है.

रक्ताल्पता: गाजर, पालक, काले अंगूर, चुकंदर, खुबानी का रस उपयोगी है.

कब्ज: अंगूर, गाजर, चुकंदर, पपीता का रस उपयोगी है.

बुखार: संतरा, नीबू, मुसम्बी, गाजर, अनन्नास, प्याज, पालक, खुबानी का रस उपयोगी है.

पीलिया: गन्ना, नीबू, गाजर, अंगूर, चुकंदर, खीर, मुली, पालक, नाशपाती का रस उपयोगी है.

लोमेश कुमार बच का संपर्क है: 9753705914


अदरक के गुण
October 9, 2013

यह संदेश सरोजनी गोयल का बाल्को, जिला कोरबा, छत्तीसगढ़ से है…इस संदेश में सरोजनीजी अदरक के गुणों के बारे में बता रहीं है…उनका कहना है की अदरक सामान्यतः सभी घरों में आसानी से उपलब्ध होता है…इसे अक्सर चाय में डालकर पिया जाता है..और यह कई रोगों की अचूक दवा भी है…गठियावात के रोगी इसे गाय के घी में भुनकर खाए और तेल में तलकर उससे जोड़ो की मालिश करें तो उन्हें आराम मिलेगा…लकवा होने की दशा में रोगी को अदरक शहद में मिलकर खिलाये लाभ होगा..अगर पेट में तकलीफ या उल्टियाँ हो रही हो तो 5 ग्राम अदरक के रस में 5 ग्राम पुदीने का रस 2 ग्राम सैंधा नमक मिलकर खिलाये लाभ होगा…अगर खांसी हो रही हो तो अदरक के रस में उतना ही निम्बू का रस मिलकर दे खांसी में आराम होगा…नजला और जुकाम होने पर अदरक के छोटे-छोटे टुकडे काट ले और उसी के वजन के बराबर देशी घी में भुन ले..और उसमे सौंठ, जीरा, कालीमिर्च, नागकेसर, इलाइची, धनिया और तेजपत्ता मिलाकर काढ़ा बना ले और इसका प्रयोग करें…अगर उल्टियाँ हो रही हो तो अदरक का रस प्याज के रस में मिलकर पियें आराम होगा…सरोजनी गोयल का संपर्क है: 9165058483


वायुदोष (गैस) एवं पथरी का उपचार
October 8, 2013

यह संदेश श्रीमती आशीष रात्रे का बाल्को नगर जिला कोरबा, छत्तीसगढ़ से है उनका कहना है की अगर किसी को पेट में गैस (वायु) के समस्या हो तो वह एक लीटर पानी में एक चम्मच अजवाइन डालकर अच्छी तरह पका लें….और उसे ठंडा कर उसी पानी का पीने में उपयोग करें…जब भी कभी पानी पीना हो तो इसी तरह पानी का प्रयोग करें….इसी प्रकार रात को सोते समय चुटकी बार अजवाइन खाकर पानी पी लें…ऐसा करने से पेट की गैस समाप्त हो जाती है… दूसरा प्रयोग है पत्थरचटा ढाई पत्तों को चबाकर कर खाने से अपच दूर हो जाती है…पत्थरचटा का एक प्रयोग पथरी के रोगी भी कर सकते है… इसने ढाई पत्तें 3-5 दिनों तक नियमित चबाकर खाने से पथरी चाहे वह गुर्दे में हो या अमाशय में, वह भी गलकर निकल जाती है…आशीष रात्रे का संपर्क है: 9981440565

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शहद की उपयोगिता
October 8, 2013

यह संदेश श्री निर्मल अवस्थी का कस्तूरबा नगर, वार्ड क्रमांक 4, बिलासपुर से है…वह आज शहद के बारे में जानकारी दे रहें है…उनका कहना है की शहद आयुर्वेदिक चिकित्सा का महत्वपूर्ण अवयव है इसके बिना आयुर्वेदिक उपचार अधुरा माना गया है…मधुमक्खियाँ विभिन्न प्रकार के फूलों से यह मधुरस एकत्रित करती है…शहद में वह सभी पोषक तत्व पाए जाते है हो शरीर के विकास और पाचन क्रिया को सुचारू रखने के लिए आवश्यक होते है….यह रोगाणुनाशक और उत्तम भोज्य पदार्थ है…आयुर्वेद में माँ के दूध के बाद शहद को ही बच्चे के लिए सर्वाधिक पोषक बताया गया है.. शीतकाल में सोते समय ठन्डे दूध के शहद लेने से यह शरीर को मोटा और सुडौल बनाता है…इसके विपरीत सुबह शौच के पहले एक चम्मच शहद पानी के साथ लेने से यह मोटापा कम करता है…इसके अलावा शहद को हलके गर्म दूध, पानी, दही, दलिया, नीबू के रस, खीर, सलाद में भी अलग-अलग समय प्रयोग किया जाता है…. शहद को पके आम के रस साथ खाने से पीलिया दूर होता है…गोखरू के चूर्ण में शहद मिलकर खाने से पथरी में लाभ होता है…अदरक के रस के साथ शहद को चाटने से यह पेट के लिए उपयोगी है…अडूसे के काढ़े में शहद मिलकर पीने से खांसी में लाभ होता है…बैंगन के भर्ते में शहद मिलाकर खाने से अनिद्रा रोग में फ़ायदा होता है…थकान होने पर शहद के सेवन से ताजगी आती है…शहद को केवड़ा रस व पानी के साथ पीने से मांसपेशियों को ताकत मिलती है… काली खांसी होने पर 2 बादाम के साथ शहद लेने पर लाभ होता है… बवासीर में एक चुटकी त्रिफला चूर्ण के साथ शहद लेने से आराम मिलता है… शरीर के किसी जले हुए भाग पर शहद लगाने से आराम मिलता है… निर्मल अवस्थी का संपर्क है: ०९६८५४४१९१२



चुकंदर के गुण
October 8, 2013

यह संदेश शिवेंद्र का जिला अनुपपुर मध्य-प्रदेश से है.. इस संदेश में वह चुकंदर के गुणों के बारे में बता रहें है…उनका कहना है की चुकंदर अनीमिया को दूर करने में लाभदायक है इसके लिए या तो चुकंदर का रस पिये या इसे सलाद के रूप में भी लिया जा सकता है…चुकंदर गुर्दे के रोगों में भी लाभदायक है.. गुर्दे के रोग से पीड़ित व्यक्तियों को चुकंदर का नियमित सेवन करना चाहिये… चुकंदर का रस पीलिया में भी गुणकारी है पीलिया से ग्रस्त रोगियों को दिन में चार बार चुकंदर का रस पीना चाहिये पर यह ध्यान रखें की एक बार में केवल एक कप रस का ही सेवन करें…उल्टी-दस्त होने पर चुकंदर के रस में चुटकी भर नमक मिलकर पिलाना चाहिये इससे लाभ होगा… चुकंदर मासिक धर्म के दौरान होने वाली परेशानियों को भी दूर करता है…बच्चों और वयस्कों को चुकंदर का नियमित सेवन करना चाहिये इससे दांतों को मजबूती मिलती है और अपच की शिकायत भी दूर होती है…शिवेंद्र का संपर्क है: 9981915159
   
पीपल के गुण
October 6, 2013

यह संदेश सरोजनी गोयल का बाल्को कोरबा, छत्तीसगढ़ से है…इस संदेश में सरोजनीजी पीपल के गुणों के बारे में बता रहीं है…उनका कहना है की पीपल बहुत सारे रोगों को दूर करता है….पीपल का फल बाँझपन को दूर करने में मददगार है…जिन स्त्रियों को गर्भ धारण नहीं होता है वह इसके फलो को बारीक़ पीसकर दिन के एक बार खाए तो उनको शीघ्र गर्भ धारण करने में मदद मिलेगी….वहीँ आजकल पुरषों में शीघ्रपतन होना आम है वह पीपल के दूध को बताशे के साथ पकाकर खाए उनको लाभ होगा…पीपल दमे को भी ठीक करने में मददगार है, पीपल के छाल का चूर्ण थोड़े गरम पानी के साथ दिन में तीन बार लेने से दमा ठीक हो जाता है….पेट में कृमि होने पर पीपल के पंचांग का चूर्ण थोड़े गुड और सौंफ के साथ खाने से लाभ होता है….जिनको पीलिया हो रहा हो तो वह पीपल और नीम के 5-5 पत्ते पीसकर सैंधा नमक मिलाकर नियमित खाए तो लाभ होगा….सरोजनी गोयल का संपर्क है: 9165058483
   

अशोक वृक्ष के लाभ
October 6, 2013

यह संदेश निर्मल अवस्थीजी का कस्तूरबा नगर, वार्ड क्रमांक 4, छत्तीसगढ़ से है…इस संदेश में निर्मलजी अशोक के गुणों के बारे में बता रहे है….इनका कहना है की अशोक का वृक्ष सम्पूर्ण भारतवर्ष में पाया जाता है…लोग इसे घर पर भी लगाते है…आज वह अशोक से सौंदर्यवर्धक उबटन बनाने की विधि बता रहें है…गेहूं का आटा 4 चम्मच, सरसों का तेल 2 चम्मच, अशोक का चूर्ण 4 चम्मच इन तीनो को मिलाकार गाढ़ा घोल बना लें…यदि घोल ज्यादा गाढ़ा बन जाये तो इसमें थोडा दूध या पानी मिलाकर पतला कर ले….इस उबटन के प्रतिदिन चहरे, हाथों और पैरों पर लगाये….इससे रंग साफ़ होगा और तेजस्विता आएगी…..दूसरा उपयोग अशोक की 250 ग्राम छाल का बारीक़ चूर्ण बना ले और इसमें 250 ग्राम मिश्री मिलकर रख ले…यह चूर्ण श्वेत और रक्त प्रदर के लिए बड़ा उपयोगी है….मात्रा 10 ग्राम चूर्ण फांक कर ऊपर से चावल के धोवन का आधा गिलास पानी पी ले…तीसरा उपयोग गर्भस्राव को रोकने के लिए है… उपर लिखी विधि का प्रयोग गर्भधारण के पूर्व और बाद का प्रयोग करना है….साथ में अशोकघनसत्व वटी 2 गोली, प्रवालपिष्टी 2 रत्ती, गिलोय सत्व 4 रत्ती ऐसी मात्रा दिन में तीन बार देते रहें….साथ ही शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर भी ध्यान दे…इसका प्रयोग कुछ दिनों तक करने से लाभ होता है.. निर्मल अवस्थी का संपर्क है: 09685441912


पीलिया, हिचकी, प्रदर, रक्तप्रदर, स्वप्नदोष
October 5, 2013

यह संदेश निर्मल अवस्थीजी का कस्तूरबा नगर, वार्ड क्रमांक 4, बिलासपुर से है…उनका कहना है की पीलिया होने पर आक जिसको मदार भी कहते है की नयी कोमल कोंपले पीसकर मावे में मिलकर और उसने शक्कर मिलकर खिलाकर उपर से दूध पिला दे….यह चमत्कारिक ढंग से पीलिया को समाप्त कर देगी..अगर कोई कसर रह जाये तो इसे दवा लेने के तीसरे दिन भी एक बार दे दे…पीलिया जड़ से समाप्त हो जायेगा…दूसरी औषधि भी पीलिया के लिए ही है…100 ग्राम मुली के रस में 20 ग्राम शक्कर मिलकर पिलाये…गन्ने का रस, टमाटर और पपीते का सेवन करे…अगर किसी को हिचकी आती है तो मयूर पंख का चांदोबा जलाकर बनाई 2 रत्ती भस्म, 2 रत्ती पीपल चूर्ण को शहद में मिलाकर देने से हिचकी दूर होती है….प्रदर रोग में 100 ग्राम धनिया बीज 400 ग्राम पानी में स्टील के बर्तन में उबालें…आधा शेष रहने पर 20 ग्राम मिश्री मिलाकर सुबह-शाम सेवन करें, 3-4 दिनों में लाभ होगा…रक्त प्रदर में 10 ग्राम मुल्तानी मिट्टी 100 ग्राम पानी में रात में भिगो दे, प्रातः इसे छान ले मिट्टी छोड़कर उस पानी को सोना-गेरू एक चम्मच फांक कर यह पानी पी लें…अगर सोना-गेरू नहीं हो फिर भी यह लाभ करेगा….स्वप्नदोष दूर करने के लिए बबूल की कोमल फलियाँ जिसमे बीज न आया हो उसे छाया में सुखा लें.. फिर उसे पीसकर चूर्ण बनाकर उसमे बराबर मात्र में मिश्री मिला लें….उसे सुबह-शाम एक-एक चम्मच लेने से स्वप्नदोष में लाभ होगा….निर्मल अवस्थी का संपर्क है: 09685441912


अधिक माहवारी रोकने के लिए औषधि
October 5, 2013

यह संदेश संजय माधब सेठ का लखमारा, जिला बारगाह ओडिशा से है…वह महिलायों में अधिक माहवारी से उत्पन्न तकलीफों का उपचार बता रहे है.. उनका कहना है की इसकी औषधि बनाने के लिए….कालीमिर्च 5 ग्राम, हिंग 5 ग्राम और सैंधा नमक 8 ग्राम इन तीनो सामग्रियों को पीसकर चूर्ण बना लें.. और इसे सुबह-शाम ठन्डे पाने से 3 माह तक लेने से कमर दर्द, पेट दर्द और अधिक माहवारी से उत्पन्न समस्याएँ दूर होंगी…संजय माधब सेध का संपर्क है: 09938323201


दोहों के माध्यम से रोग उपचार की जानकारी
October 5, 2013

यह संदेश निर्मल कुमार अवस्थी का कस्तूरबा नगर वार्ड क्रमांक 4, बिलासपुर से है…उन्होंने रोगों के उपचार के बारे में बताने के लिए दोहों के रचना की है… वह दोहों के माध्यम से रोग के उपचार की जानकारी दे रहें है उनके दोहें इस प्रकार है:
आँखों लाली बसे और धुंधली हो यदि दृष्टी,
आलू का रस डालिए तो दिखने लगती सृष्टि

लेकर के शरणागत को छठे आंवला युक्त,
रोगी हो जाता तुरंत बवासीर से मुक्त

प्रातः उठ कर करें जो जन जलपान ,
वे निरोगी रहते सदा , रोगों से अनजान

प्रतिदिन हम खाते रहे मात्र एक ही सेव,
बढे हमारा स्वास्थ्य , हो अनुकूल सदैव

काढ़ा तुलसी -अडूसे का, कुछ दिन पिये श्रीमान,
सुखी खासी दूर हो, रोगी जाये जान

तम्बाकू मत खाइए लीजिये दवा का काम,
तेल निलामल हम बनायें , खुजली काम-तमाम

चेहरे में हल्दी सहित, मन चन्दन और दुग्ध,
आकर्षण नित्य प्रति बढे, होगी जन मन मुग्ध

दूध पपीता रात पी, केवल चम्मच एक,
कीड़ें निकलेंगे सुबह, यह सलाह है नेक

तुलसी पत्ते खाइए थोड़े गुड के संग,
कीड़ें मरें पेट के, हो जाये मन चंग

 प्रातः कार्तिक मास में, नित तुलसी जो खाए,
एक वर्ष तक रोग फिर उसको ढूंड न पाए

तुलसी रस के साथ में निगले गुड और सौंठ,
होगा दूर अजीर्ण थके न कहते ओंठ

तुलसी को शुभदा कहें सदा सयाने लोग,
नारी तुलसी खाए नित रहे प्रजनन अंग निरोग


निर्मल अवस्थी का संपर्क है: 09685441912


गठियावात – साइटिका के लिए औषधि
October 5, 2013

यह संदेश अजय कुमार सैनी (अजय क्लिनिक) का विट्ठल नगर  सागर से है इस संदेश में वह गठियावात और साइटिका के औषधि बता रहे है…उनका कहना है की यह औषधि बनाने के लिए हरसिंगार की पत्तियां 500 ग्राम, सहजन (मुनगा) की पत्तियां 100 ग्राम, अशोक की छाल 100 ग्राम और अजवाईन 25 ग्राम इन सब सामग्रियों को 2 लीटर पानी में उबाले और जब पानी 1 लीटर बच जाये तो उसे छान कर रख लें….इस काढ़े को 50-50 ग्राम सुबह-शाम को ले…इस प्रकार इसे 90 दिनों तक लेने से जोड़ों का दर्द और साइटिका नष्ट होता है….अजय कुमार सैनी का संपर्क है: 8462970635 / 9893222938


श्वेत प्रदर की पारंपरिक चिकित्सा
October 4, 2013

यह संदेश निर्मल कुमार अवस्थी का है जो चांपा छत्तीसगढ़ में पारंपरिक चिकित्सक रमेश कुमार पटेल का साक्षात्कार कर रहे है…रमेश कुमार का कहना है की श्वेत प्रदर होने पर वह अशोक की छाल, सेमल के छाल, अपामार्ग, अश्वगंधा की जड़, सतावर की जड़ का काढ़ा बना कर एक सप्ताह की खुराक देते है… यह खुराक सुबह-शाम को खाना खाने से पहले 10 मी.ली. दी जाती है…. निर्मल कुमार अवस्थी का संपर्क है:09685441912

काली मिर्च के लाभ
October 4, 2013

यह संदेश निर्मल कुमार अवस्थी का बिलासपुर से है आज यह हमें काली मिर्च के लाभों के बारे में बता रहे है…इनका कहना है की लाल मिर्च सभी को मना नहीं की जाती बल्कि उन लोगो के लिए निषेध है जो अल्सर, बवासीर, सीने की जलन या अम्लता से पीड़ित होते है…इनका कहना है की काली मिर्च जिन घरों में अधिक उपयोग में लाई जाती है उन लोगो का डॉक्टरों के यहाँ जाना कम ही होता है….काली मिर्च न सिर्फ खाने का स्वाद बढाती है बल्कि यह एक गुणकारी औषधि भी है….काली मिर्च का पाउडर गुड में मिलकर खाने से नजला, जुकाम ठीक हो जाता है….काली मिर्च के पानी से गरारे करने या काली मिर्च के चूर्ण से मंजन करने से दाँतों का दर्द दूर हो जाता है….5-7 काली मिर्चें घी के साथ खाने से जहर का असर कम हो जाता है….काली मिर्च साफ जगह पर घिस कर लगाने से फुंसियाँ, छोटे फोड़े ठीक हो जाते है….कालीमिर्च का चूर्ण सूंघने से खासी के कारण हुआ सर का भारीपन कम हो जाता है….कालीमिर्च को पानी में बताशे के साथ उबालकर उस पानी को पीने से पसीना आता है और सुस्ती दूर हो जाती है….11 काली मिर्चें घिसकर पानी में उबालकर कर पीने से मौसमी बुखार ठीक हो जाता है….कालीमिर्च के सेवन से भूख बढती है…इससे बवासीर में भी लाभ होता है….निर्मल अवस्थी का संपर्क है: 09685441912

   
नपुंसकता का उपचार
October 4, 2013

यह संदेश निर्मल कुमार अवस्थी का बिलासपुर, छत्तीसगढ़ से है…इसमें वह नपुंसकता का उपचार बता रहे है…इनका कहना है की अधिकतर नपुंसकता मानसिक और शारीरिक होती है…. इसके उपचार की औषधि बनाने के के लिए आक के पौधे का दूध इकठ्ठा कर ले फिर लगभग आधा किलो छुआरे लेकर उसे बीच में से काटकर उसकी गुठली निकाल दे और उसमे में आक का दूध भर कर उसे धागे से बांध दे…इसके बाद गेहूं का आटा गूंधकर एक गेंद बनाकर उन दूध भरे छुआरों को उसमे भरकर (जैसे कचौड़ी बनती है) सब तरफ से बंद कर दे…फिर उसे भट्टी में रख दे….जिससे उसकी भस्म बन जाये….यही औषधि है इस भस्म को 2-2 ग्राम सुबह-शाम गाय के दूध के साथ ले….इससे कमजोरी और नपुंसकता धीरे-धीरे समाप्त हो जाएगी…निर्मल अवस्थी का संपर्क है: 09685441912

पारंपरिक चिकित्सा 2


पथरी का सरल और कारगर नुस्खा / Simple & effective remedy for Kidney stone


यह संदेश डॉ. एच डी गाँधी का रायपुर छत्तीसगढ़ से है…इस संदेश में वह डॉ. आर.डी चंद्रेश्वर से पथरी के सरल उपचार के बारे में पूछ रहे है…डॉ. आर. डी चंद्रेश्वर का कहना है की पथरी के सरल और सर्वसुलभ औषधि के लिए बबूल के वृक्ष की 50 ग्राम पत्तियाँ तोड़ ले…बबूल का वृक्ष सामान्यतः सभी जगह मिल जाता है…. इन पत्तियों को बारीक़ पीस कर इसमें 250 ग्राम दही मिलाकर इसके 5 बराबर हिस्से कर लें…और इसके 1-1 हिस्से को 3 घंटे के अंतराल पर लेते रहें…इसे पथरी के समाप्त होने तक रखें…यह बड़ा ही कारगर सस्ता सरल नुस्खा है….पथरी के रोगियों के लिए परहेज है की वह दूध से बनी वस्तुओं का सेवन न करें…. हर किस्म की भाजी न ले…चने और अरहर की दाल न लें…डॉ एच. डी गाँधी का संपर्क है 9424631467

 This is a message of Dr. H D Gandhi from Raipur, Chhatisgarh…In this message he is talking to Dr. R D Chandreshwar who is telling us the remedy for Kidney stone…He said take 50 gram Acacia leaves & grind to form paste then add 250 gram curd & mix well… Divide this combination in five equal parts… Take each part in every 3 hour interval..Continue this remedy until stone get dissolved…Avoid milk products, Gram & Pigeon pea pulses…This is a simple & effective remedy.. Dr. H D Gandhi is at 9424631467


Why Iodine is very essential for our body
December 7, 2013

यह संदेश जगदीशजी का रीवा मध्यप्रदेश से है..अपने इस संदेश में वह हमें आयोडीन की कमी से होने वाली बिमारियों के बारे में बता रहे है…इनका कहना है की आयोडीन कोई औषधि नहीं है बल्कि यह एक ऐसा सूक्ष्म पोषक तत्व है जो मानसिक और शारीरिक विकास के लिए अत्यंत आवश्यक है…हमारे गले में एक ग्रंथि पाई जाती है जिसे थाइरोइड कहते है यह ग्रंथि आयोडीन के मदद से थाईरोक्सिन नामक हार्मोन बनाती है…जो विशेषकर बच्चों के बौद्धिक विकास में मदद करता है… वैसे तो यह तत्व प्राकृतिक रूप से मिट्टी की उपरी सतह में पाया जाता है…पर बारिश के दौरान मिट्टी की उपरी परत बह जाने से यह आयोडीन हमारी फसलों, फलों और सब्जियों में पर्याप्त मात्रा में नहीं पहुँच पाता…जिससे हमारे शरीर में आयोडीन की मात्रा कम होने से कई प्रकार की बीमारियाँ होने लगती है…आयोडीन की कमी से सबसे ज्यादा बच्चे ग्रसित होते है इसकी कमी से बच्चे बहरे, गूंगे और अपाहिज तक हो सकते है…उनका कद छोटा रह सकता है….उनका मानसिक विकास रुक जाता है…बड़ो और बच्चों में आयोडीन की कमी से उर्जा का स्तर कम हो जाता है….जिससे व्यक्ति जल्दी थक जाता है और उसको सुस्ती का अनुभव होता है…और उसकी कार्यक्षमता घट जाती है…गर्भवती महिलाओं में आयोडीन की कमी से गर्भपात हो सकता है…ऐसे में आयोडीन की पर्याप्त मात्रा पाने के लिए हमेशा आयोडीन युक्त नमक का ही सेवन करें…जिस नमक के पैकेट पर सूरजमुखी फूल का चिन्ह हो वही नमक ख़रीदे…यह सावधानी लेकर कई बिमारियों से बचा जा सकता है…जगदीशजी का संपर्क है 9424745340

This is a message of Jagdish from Rewa, Madhya Pradesh….In this message Jagdishji describing us about Iodine…Iodine is a micro nutrient & it is very essential for physical & mental development.. especially for children….Thyroid gland present in our throat, this gland produce & secretes Thyroxin hormone with the help of Iodine…Usually this Iodine can be found on the upper layer of soil.. But this Iodine drains & washout in rainy season…& when the crop is grown in this soil crop doesn’t contains sufficient quantity of Iodine. Deficiency of Iodine could affects proper mental growth…In adults lack of Iodine reduces working performances. Iodine deficiency in pregnant women can cause miscarriage. children can be more affected by the Iodine deficiency. Goiter disease caused by deficiency of Iodine.

 To get sufficient amount of Iodine always use Iodized salt. Symbol of Sunflower on salt packet means that packet of salt is enriched in Iodine….Contact of Jagdish Yadav is 9424745340

दूर्वा / दूब की उपयोगिता – Properties of (Coach Grass) Cynodon dactylon
December 6, 2013

यह संदेश श्री अनंतराम श्रीमाली का सागर, मध्यप्रदेश से है इस संदेश में वह दूर्वा जिसे दूब भी कहते है उसकी उपयोगिता के बारे में बता रहें है.. दूर्वा सभी जगह आसानी से मिल जाती है…और लगभग सभी लोग इस घास के बारे में जानते है…अनंतरामजी का कहना है की दूर्वा 5 ग्राम, बेलपत्र 5 और लौकी 5 ग्राम सभी को ताजा पीसकर लेने से समस्त प्रकार के रक्तविकार दूर होते है… रुके हुए मासिक धर्म को  शुरू करने के लिए दूर्वा 15 ग्राम और उतनी मात्रा में चावल को पीसकर घी में भुनकर लेने से रुका हुआ मासिक धर्म शुरू हो जाता है और यह कमजोरी को भी दूर करता है… अनंतराम श्रीमाली का संपर्क है: 9179607522

This is a message of Shri. Anantram Srimali from Sagar, Madhya Pradesh. In this message Anantramji telling us about the medicinal properties of Coach Grass. This grass is commonly known as “Durva” in Hindi language…He said by taking grind mixture of 5 gm Durva, 5 gm Bael (Aegle marmelos) Leaves & 5 gm Louki (Bottle Gourd) that can cure blood related disorders. To continue stopped Mensuration take 15 gm Durva and same amount of Rice and grind well and roast this mixture using ghee. Anantram Shrimali is at 9179607522


सेमल के काँटों की उपयोगिता / Traditional usage of silk cotton thorns
December 5, 2013

यह संदेश डॉक्टर दीपक आचार्य जी द्वारा अभुमका प्राइवेट लिमिटेड अहमदाबाद का है…. इसमें इन्होने आँखों के नीचे जो काले धब्बे या डार्क सर्किल हो जाते हैं उन्हें ठीक करने का आदिवासी पारंपरिक उपचार बताया है… इन्हें ठीक करने के लिए सेमल वृक्ष  के तने पर पाए काँटों को कुचल लिया जाये, सेमल का वृक्ष जंगलों और अर्ध वन क्षेत्रों में अक्सर दिखाई देता है जिसके तने पर नुकीले कांटे होते हैं, इन काँटों को इकठ्ठा करके इन्हें कुचल कर इसका चूर्ण तैयार किया जाये और करीब आधा चम्मच चूर्ण को 5 मिलीलीटर मतलब लगभग एक चम्मच दूध में मिला लिया जाये और इस मिश्रण को आँखों के नीचे काले धब्बों वाले स्थान पर लगाये और करीब आधे घंटे तक लगा रहने दें और बाद में इसे साफ़ पानी से धो लें…. सुबह और रात में इस नुस्खे को  एक महीने तक लगातार दोहराएँ  तो काफी लाभ होगा..यह स्वदेशी वनवासियों का ज्ञान है…एक बार अवश्य आजमाए…दीपकजी का संपर्क है 09824050784

This is a message of Shri. Deepak Aacharya from Abhumka Herbals, Ahmedabad…In this message he is telling traditional tribal usage of silk cotton tree… He said as per tribal traditional knowledge thorns of silk cotton tree can be used as a remedy to remove dark circles under eyes…To do this take some thorns of cotton seed tree and grind well.. then mix this powder in 1 spoon of milk…apply this paste under eye and after half hour wash it with clean water…continue this twice a day for month.. Contact of Deepak  Aacharya is 09824050784


भिंडी के बीजों से बुद्धिवर्धक टॉनिक / Memory enhancing tonic from Ladyfinger seeds.
December 4, 2013

यह संदेश श्री दीपक आचार्या का अभुमका हर्बल्स, अहमदाबाद से है..अपने इस संदेश में दीपकजी हमें बता रहें है की किस प्रकार भिंडी के बीजों से बच्चों के लिए पौष्टिक टॉनिक तैयार किया जा सकता है…इनका कहना है की भिंडी को चीरा लगाकर इसके बीजो को एकत्रित कर सुखाकर इसका चूर्ण बना लें और यह चूर्ण बच्चों को दिन में दो बार 2-2 ग्राम मात्रा में दें…इसमें काफी मात्रा में प्रोटीन पाया जाता है… गुजरात के हर्बल जानकार डांग आदिवासी यह मानते है की यह नुस्खा बच्चों में याददाश्त बढाने में टॉनिक जैसा काम करता है…दीपकजी का कहना है इस नुस्खे को आजमाकर अवश्य देखें…यह लाभदायक है…दीपकजी का संपर्क है 09824050784

This is a message of Deepak Aacharya from Abhumka Helbals, Ahmedabad…In this message Deepakji is telling us memory enhancing properties of Ladyfinger…He said take some Ladyfinger and remove its seeds keep them for drying..then grind dry seeds until fine powder is formed…Give 2 gms this powder to children twice a day… This powder is rich in protein. “Dang” tribe of Gujrat is using this powder to enhance memory of their children…Deepakji is at 09824050784


तुलसी के औषधीय गुण / Medicinal Properties of Basil
December 2, 2013

यह संदेश रमाशंकर प्रजापति का ए.पी.एस यूनिवर्सिटी रीवा से है…अपने इस संदेश में रमाशंकरजी हमें पञ्च तुलसी के रसों के बारे में बता रहें है…जिसके बारे में इनका कहना है तुलसी मुख्यतः पाँच प्रकार की होती है श्याम तुलसी, राम तुलसी, श्वेत तुलसी, वन तुलसी और पाँचवी नीबू तुलसी…इस पाँचो तुलसियों के रस को मिलकर पञ्च तुलसी रस बनता है जो स्मरण शक्ति को बढ़ाता है, हिमोग्लोबिन के स्तर को बढ़ाता है,  भोजन पश्चात 2 बूंद पञ्च तुलसी रस का सेवन करने से यह पेट से सम्बंधित विकारों को कम करने में लाभदायक है…आग से जलने या किसी जहरीले कीड़े के काटने पर पञ्च तुलसी रस लगाने से राहत मिलती है…दमे और खांसी में पञ्च तुलसी के रस की 2 बूंदें अदरक और शहद के साथ सुबह, दोपहर और शाम को लेने से आराम मिलता है… मुहँ से दुर्गन्ध आने पर पञ्च रस की दो बूंदें लेने से दुर्गन्ध आना समाप्त हो जाता है…दाँतों में होनेवाले दर्द में 5 बूंदें पञ्च तुलसी रस पानी में मिलकर कुल्ले करने से लाभ मिलता है…पञ्च तुलसी के रस की 10-15 बूंदें तेल में मिलाकर शरीर पर मलने से मच्छर कम काटते है…कान का दर्द होने पर पञ्च तुलसी का रस थोडा सा गुनगुना कर के एक-एक बूंद कान में डालने से आराम मिलता है…सरदर्द होने पर पञ्च तुलसी की 10-12 बूंदें किसी हेअर आयल में डालकर लगाना फायदेमंद होता है… रमाशंकर प्रजापति का संपर्क है 9685420819

This is a message of Ramashankar Prajapati from A.P.S University Rewa..In this message Ramashankar is telling us about the formulation named “Panch Tulsi“…Ramashankar said mainly there are 5 types of Basil is commonly known.. Extract of all these 5 Basil is called “Panch Tulsi“…It can be increase the level of hemoglobin, memory power…This remedy has can be used to get relief from many disorders…After meal taking 2 drops of this formulation could be lower stomach related disorders…It can be useful in venomous insect bite…To get rid of bed breath just take 2 drops of  ”Panch Tulsi“… By mixing 10-15 drops of this formulation in oil and apply on body that could helpful to keep mosquito away…Contact of Ramashankar Prajapati is 9685420819


माहवारी के समय होने वाली समास्याओं का इलाज / Treatment of Mensuration Problems
December 1, 2013

यह संदेश डॉ एच.डी गाँधी का मंडला मध्यप्रदेश से है जो अपने प्रवास के दौरान काजल इनवासी से साक्षात्कार कर रहे है…इस संदेश में काजल इनवासी महिलाओं को माहवारी में आने वाली समस्याओं के उपचार के बारे में बता रहीं है….इनका कहना है की माहवारी लगभग पांच दिनों तक रहती है इसमें राहत पाने के लिए महिलाओं को सुबह-शाम एलोवेरा (धृतकुमारी) दूध एवं अनार के रस का सेवन करना चाहिए पर कुछ परहेज भी है जिनका ध्यान रखना भी आवश्यक है जैसे इस काल में खटाई एवं गर्म तासीर वाली वस्तुओं का सेवन न किया जाये.. इनका यह भी कहना है की इनके इस नुस्खे से अभी तक 50-60 महिलाओं को लाभ हुआ है…

This is a message of Dr. H D Gandhi from Mandla Distt., Madhya Pradesh. During his tour he is interviewing a lady named Kajal Invasi… She is telling us how to get relief from problems occurring during mensuration… She said mensuration period is approximately of 5 days & women who is undergoing this period should take Aloe Vera juice, Milk & Pomegranate juice twice a day & must avoid sour & hot things..She adds about 50-60 women’s have benefited so far by her remedy…Contact of Kajal Invasi is 8817468389

पेट के कृमियों का परंपरागत उपचार / Traditional treatment of stomach worms
November 30, 2013

यह सन्देश निर्मल महतोजी का बोकारो झारखण्ड से है…अपने इस सन्देश में निर्मलजी हमें पेट में होने वाले कीड़ो से बचने का उपचार के बारे में बता रहे है…पेट में कीड़े या कृमि यह रोग ज्यादातर बच्चों में ही पाया जाता है…इस रोग के कारण शरीर का वजन कम होने लगता है तथा मल में साथ में कीड़े भी निकलने लगते है…इसके उपचार के लिए आधा ग्राम अजवाइन में उतने वजन का गुड मिलाकर दिन में तीन बार खिलाने से लाभ होता है…यह 3-5 वर्षों के बच्चों को खिलाना चाहिए… बच्चों को सुबह 10 ग्राम गुड खिलाना चाहिए इससे पेट के सारे कीड़े एकत्रित हो जाते है इसके बाद आधा ग्राम अजवाइन का चूर्ण बासी पानी से खिलाने से कीड़े मल के साथ निकल जाते है…अगर यही समस्या वयस्कों को हो तो उन्हें 50 ग्राम गुड खाने के बाद 2 ग्राम अजवाइन का चूर्ण बासी पानी के साथ लेना चाहिए…बच्चों को रात को सोने से पहले आधा ग्राम अजवाइन के चूर्ण में चुटकी भर काला नमक मिलाकर गुनगुने पाने से देना चाहिए इससे सारे कीड़े मरकर सुबह मल के साथ निकल जायेंगे…वयस्क इससे दुगनी मात्रा में इसका प्रयोग करें…अजवाइन का चूर्ण मट्ठे के साथ लेने से भी लाभ मिलता है… टमाटर के साथ कालीमिर्च और सैंधा नमक मिलकर खाने से भी आराम मिलता है…निम्बू के बीजो को पीसकर उसका चूर्ण 1 ग्राम बच्चों को और 3 ग्राम वयस्कों को गुनगुने पानी के साथ देने से आराम मिलता है… बच्चो को एक सेव फल रात को छिलके समेत खिलाना चाहिए..पर उसके बाद पानी नहीं पिलाना चाहिए ऐसा करने से एक सप्ताह में पेट के कीड़े नष्ट हो जाते है.. अनार का रस पीने से भी इस रोग में आराम मिलता है….

 This message is from Shri Nirmal Mahoto of Bokaro, Jharkhand …. He is advising about treatment for stomach worms … the problem of stomach worms (krimi) is generally found in children …generally loss of weight is observed alongwith worms are seen in stool ….. for treatment take half gram Ajwain with equal amount of Gur (Jaggery) three times daily … this is effective for 3~5 years children … children should be given 10 gms of Gur (Jaggery) in the morning so that the worms accumulate and then if given 1/2 gm Ajwain powder with water would result in the worms being excreted with stool … for adults the dosage is 50 gms of Gur and then 2gms of Ajwain (Carom Seeds) powder. Giving 1/2 gm Ajwain powder with a pinch of Rock Salt in warm water at night will also help in excreting the worms with stool … for adults the dosage is double that for children. Ajwain churn could also be taken with butter milk (matha) Tomato with black pepper and rock salt (saindha namak) also provides relief … crushed lemon seeds taken with warm water also gives relief – 1 gm for children and 3 gms for adults … For children one unpealed apple taken during bedtime for one week also helps in destroying the worms – however no water should be taken afterwards …. Anar (Pomegranate) juice is also helpful

   
घृतकुमारी के चिकित्सीय गुण / Medicinal Properties of Aloe vera
November 29, 2013

यह सन्देश लोमेश कुमार बच का जिला कोरबा, छत्तीसगढ़ से है…वह आज हमें एक बहुउपयोगी वनस्पति के औषधीय गुणों के बारे में बता रहे है जिसे घृतकुमारी / ग्वारपाठा / कुमारिका आदि नामो से जाना जाता है…इसका वैज्ञानिक नाम है एलो वेरा इनका कहना है की यह सम्पूर्ण भारतवर्ष में पाया जाता है… यह वनस्पति त्रिदोषनाशक है, सरदर्द होने पर ग्वारपाठे के रस में थोड़ी दारुहल्दी मिलाकर सहने योग्य गरम करके दर्द वाले स्थान पर बांधने से आराम मिलता है….फोड़े-फुंसी या घाव होने के दशा में ग्वारपाठे का गुदा सहने योग्य गर्म कर बाँध देने और उसे थोड़े-थोड़े  अंतराल में बदलते रहने से फोड़ा ठीक होने लगता है और यदि फोड़ा पकने लगा हो तो यह जल्दी पककर फूट जाता है…फोड़े के फूटने पर उसपर ग्वारपाठे के गुदे में हल्दी मिलाकर उसपर बांध देना चाहिए…इससे से रक्त का शोधन होकर शीघ्र घाव भर जाता है…इसी प्रकार अगर किसी उभरते हुए फोड़े को पकाना हो तो ग्वारपाठे के गुदे में थोडा सा सज्जीखार जिसे पापड़ खार भी कहते है उसे और हल्दी को मिलाकर सूजन वाले स्थान पर बांध देने से फोड़ा जल्दी पककर फूट जाता है…

This is a message of Lomesh Kumar Bach from Dist. Korba, Chhatisgarh…Lomeshji telling us about medicinal usages of Aloe vera. It is commonly found across India & mainly known as “Gwarpatha” in Hindi…In case of headache take extract of Aloe vera (Juice) and mix small amount of Berberis aristata (Daru Haldi) in it and bearable warm this combination and tie it on the place of pain. To cure Boil warm the pulp of Aloe vera  and tie it on the boil and repeat this procedure some times. By doing so the pus of boil can be washed out and wound can recover soon…Contact of Lomesh Kumar Bach is:9753705914

   
आदिवासी पारंपरिक गठियावात का इलाज / Tribal traditional treatment of Arthritis
November 28, 2013

यह संदेश श्री दीपक आचार्या का अभुमका हर्बल्स, अहमदाबाद से है…अपने इस संदेश में दीपकजी हमें बता रहें है की आदिवासी पारंपरिक इलाज के तहत गठियावात में कच्चे का कैसे उपयोग किया जाये…इनका कहना है की कच्चा आलू गठिया के रोगियों के लिए वरदान के सामान है..सबसे पहले कच्चे आलूओं को छील कर किसनी से किसकर 250 मी.ली पानी में रात भर भिगो दें…सुबह इसे छानकर इस प्रकार महीनेभर पीने से गठियावात में काफी आराम मिलता है..दीपकजी का कहना है की आधुनिक शोध भी यह कहता है इसमें जो खनिज और कार्बोनिक नमक जैसे तत्व पाए जाते है जो गठिया के रोगियों के लिए काफी फायदेमंद साबित हो सकते है.. दीपकजी का संपर्क है 09824050784

This message is of Shri. Deepak Aacharya from Abhumka Herbals, Ahmedabad..In this message Deepakji is telling us how raw potato could be helpful for Arthritis patients. He said as per tribal herbal healing method soak finely chopped potatoes in 250 ml water overnight. In the morning filter this combination and drink it. This should continued for month. This could be beneficial for arthritis patients. As per modern research this combination contains minerals & carbonic salt that proves helpful for arthritis…Deepakji is at ०९८२४०५०७८४


अस्थमा की पारंपरिक चिकित्सा / Traditional Treatment of Asthma
November 27, 2013

यह संदेश अवधेश कुमार कश्यप का बिलासपुर छत्तीसगढ़ से है… इस संदेश में अवधेशजी हमें अस्थमा जिसे दमा भी कहते है उसके पारंपरिक इलाज और इसकी औषधि निर्माण के बारे में बता रहे है…इनका कहना है की भट्टकटैया के बारे में काफी लोग जानते है अस्थमा होने पर भट्टकटैया के 3-5 किलो पके फल इकट्ठे कर उसके गुदे जिसमे बीज रहते है उसे निकाल दे…फिर उस गुदारहित छिलकों को सरसों के तेल में कालापन आने तक तल ले…अब उन छिलकों को तेल से निकालकर उसमे सैंधा नमक या गुड मिलाकर किसे डब्बे में रख ले… यह औषधि तैयार है…इस सुबह नाश्ते के बाद एक चम्मच और शाम को भोजन उपरांत एक चम्मच लें….दमे के रोगियों को लाभ होगा…अवधेशजी का संपर्क है 7587038414

This is a message of Awdhesh Kumar Kashyap from Dist. Bilaspur, Chhatisgarh…In this message Awdheshji sharing us the traditional medicine of Asthma & its preparation. He said Solatium indicum (Bhatkataiya) is a well known herb..Procedure to prepare traditional medicine from Solatium indicum is, first collect 3-5 kg ripen fruit of this plant and remove its pulp & seeds and fry remaining skin in Mustard oil until its become dark then mix some rock salt or Jaggery and keep this preparation in the jar. Now medicine is ready to use. Take this one tablespoon medicine after breakfast & one tablespoon after dinner…This medicine is very useful for Asthma patient…Contact of Awdheshji is 7587038414


मधुमेह को नियंत्रित रखने का पारंपरिक तरीका / Traditional method to control Diabetes
November 26, 2013

यह संदेश श्री दीपक आचार्या का अभुमका हर्बल्स अहमदाबाद से है इस अपने इस संदेश में दीपकजी हमें बता रहें है की कैसे आदिवासी पारंपरिक तरीको से मधुमेह के लिए नुस्खे बनाते है…. दीपकजी का कहना है की वह हमें दो नुस्खों के बारे में बता रहे है..

पहला नुस्खा है: एक चम्मच अलसी के बीजों को खूब चबाकर खाइए और फिर ऊपर से दो गिलास पानी पी लीजिये…ऐसा प्रतिदिन सुबह खाली पेट और शाम को सोने के पहले करिए..

 दूसरा नुस्खा है: दालचीनी का चूर्ण कर लीजिये और आधा चम्मच चूर्ण को आधा कप पानी में मिला लीजिये और इसे सुबह और शाम खाली पेट लेना है…इसके लिए यह ध्यान रखे की यह चूर्ण पानी में 15-20 मिनिट पहले मिला ले… नुस्खों का प्रयोग करके मधुमेह को नियंत्रण में रखा जा सकता है…दीपकजी का संपर्क है 09824050784

This is a message of Shri. Deepak Aacharya from Abhumka Herbals, Ahmedabad….this message is on how to control Diabetes by using Traditional Adivasi methods…he is advising two methods.

First one is to chew well one teaspoon Linseed (Alsi) followed by two glassful of water this is to be done every morning in empty stomach as well as before bedtime …

The second methodology is in use of Cinnamon (Dalchini ) powder, half a teaspoon of Cinnamon powdershould be mixed in half cup of water and should be taken after 15~20 mins every morning and evening in empty stomach.

Above methods are very effective in keeping diabetes under control….Deepak ji can be contacted on 09824050784.

चींटियों से छुटकारा पाने का पारंपरिक तरीका / Traditional method to get rid of Ants
November 25, 2013

यह संदेश श्री दीपक आचार्या का अभुमका हेर्बल्स से है इस अपने इस संदेश में दीपकजी हमें घरों में निकल आने वाली चीटियों से निजात पाने का आसान पारंपरिक तरीका बता रहें है….दीपकजी का कहना है की हमारे घरों में अक्सर चीटियाँ निकल आती है कभी दीवारों की दरार से, कभी अलमारी में कभी रसोईघर में शक्कर और अन्य अनाजों के डिब्बों में…इनसे बचने के लिए शक्कर के डिब्बे में 3-4 लौंग रख दीजिये, अन्य जगहों पर निकल आने वाली चीटियों से बचने के लिए 2-4 लौंग को कुचलकर उन जगहों पर डाल दे…बड़ा आसान और असरदार हमारा पारंपरिक तरीका…दीपकजी का संपर्क है 09824050784

 This is a message of Shri. Deepak Aacharya from Abhumka Herbals Pvt. Ltd….In this message Deepakji is telling us how to get rid of unwanted Ants often come out of our homes especially in our kitchen & in food storing containers…Deepakji said to keep out Ants just put 3-4 cloves in our food storing containers or spread some crushed cloves in Ant affected areas. This is our simple and effective traditional method to get rid of Ants…Deepakji is at 09824050784


नीम के औषधीय गुण / Medicinal properties of Neem
November 24, 2013

यह सन्देश निर्मल महंतो का नवाडी, जिला बोकारो, झारखण्ड से है अपने इस सन्देश में निर्मलजी हमें नीम के औषधीय गुणों के बारे में बता रहे है…इनका कहना है की नीम का वृक्ष बहु-औषधीय होता है…इसके पत्तियां नेत्रों के लिए हितकारी है…यह विषनाशक, अरुचि और कुष्ठ का नाश करने वाली होती है…इसकी कोपलें गर्मी और कफ नाशक होती है…इसके सूखे पत्ते कपड़ों और अनाजों का कीड़ों से बचाव करते है…नीम के फुल स्वाद में कडवे और कृमि और कफ नाशक है…इसकी पकी निंबोली नेत्र रोग, रक्तपित्त तथा क्षय रोग नाशक होती है….नीम का पंचांग रक्तविकार, पित्त, खुजली, कुष्ठ नाशक है… नीम का बीज कृमि नाशक, पुराने गठिया और खुजली पर इसका लेप करने से लाभ होता है… नीम का तेल कृमि, कोढ़ और त्वचा रोग नाशक होता है…जोड़ो के दर्द और गठियावात में नीम के तेल की मालिश फायदेमंद है…नीम के पत्तों का एक चम्मच रस 3-4 दिनों तक लेने से भी इन रोगों में लाभ होता है… पकी हुई 3-4 निम्बोली प्रतिदिन खाने से खूनी बवासीर में लाभ मिलता है… नीम का 5 बूँद तेल प्रतिदिन सेवन करने एवं नीम के तेल बवासीर के मस्सो पर लगाने से बवासीर में लाभ होता है…इस प्रकार नीम के तेल का प्रयोग करते समय घी का प्रयोग अवश्य करें…प्रतिदिन नीम की दातुन का प्रयोग दाँतों के सफाई के लिए करते रहने से दन्त रोगों में आराम मिलता है…नीम के पुष्प, निम्बोली, पत्ते, जड़ और छाल का पंचांग यानि काढ़ा तैयार कर थोडा गुनगुना रहने पर इससे गरारे करने से दांतों के कष्ट और मसूढ़ों के सूजन दूर हो जाती है… निर्मलजी का संपर्क है 09204332389

 This is a message of Nirmalji Mahanto from Nawadi, Dist. Bokaro, Jharkhand…He is describing us medicinal properties of Neem (Azadirachta indica). He said Neem has several medicinal properties. Neem has Anti-Venomous, Anti-Anorexia properties. Apart from this dried neem leaves is useful to protect our cloth wares & cereals from insects. In Arthritis & joint pain massage of Neem oil is very beneficial. Regular use of Neem oil and applying it on warts can be useful to cure piles problems… Nirmalji’s contact is 09204332389


नवजात बच्चों के लिए सामान्य चिकित्सा
November 23, 2013

यह सन्देश अनंतराम श्रीमाली का सागर, मध्यप्रदेश से है…इस सन्देश में अनंतरामजी ठण्ड के इस मौसम में दूध पीते नवजात बच्चों को होनी वाली बीमारियों के निदान के बारे में बता रहें है…इनका कहना है की कस्तूरी गोली 1, कायफल 1 ग्राम को दूध में घिसकर इसे माँ अपने दूध में मिलाकर दिन में एक बार पिलायें इससे नवजात बच्चों को ठण्ड के कारण होने वाले रोगों से छुटकारा मिलेगा…बच्चो को होने वाले अतिसार या दस्त में अमरुद 50 ग्राम पत्तों को कूट कर काढ़ा बना लें और लगभग 20-25 ग्राम काढ़े में 1 ग्राम आवंला चूर्ण मिलाकर बच्चों को दिन में दो बार दें यह नवजात बच्चों को होने वाले अतिसार को रोकता है..

This is a message of Anantram Shrimali from Sagar, Madhya Pradesh. In this message Anantramji is telling us how to cure infants in winter season. He said to cure infants from winter related problems take 1 tablet Kasturi and 1 gram Myrica esculenta (Kayephal) and mix together and give it to infants with breast milk. By doing so new born babies can get rid of diseases caused by cold.. To treat Diarrhea in new born babies crush 50 gram Guava leaves and boil it with some water until decoction formed then mix 1 gram Phyllanthus emblica (Amla) powder and give it to new born babies. This can cure them from Diarrhea… Contact of Anantram Shrimali is 9179607522


बवासीर का परंपरागत उपचार / Traditional treatment of Piles
November 22, 2013

यह संदेश श्री अनंतराम श्रीमालीजी का सागर मध्य-प्रदेश से है इस सन्देश में अनंतरामजी हमें बवासीर रोग के कारक, परहेज और उसके पारंपरिक इलाज की जानकारी दे रहे है…इनका कहना है की बवासीर रोग अक्सर रहने वाली कब्ज के कारण होता है…इलाज के आभाव में बवासीर के मस्से आगे चलकर खूनी बवासीर में तब्दील हो जाते है जो पीड़ादायक होते है…खूनी या बादी दोनों ही प्रकार के बवासीर में औषधी के साथ-साथ खानपान का परहेज लाभप्रद होता है… इसमें रोगी को गुड, बेसन, मिर्च, अधिक तेलयुक्त भोज्य सामग्री, अरहर की दाल, उड़द की दाल और वातकारक भोज्य पदार्थो का सेवन तत्काल रोक देवे…इसके उपचार के लिए मुली के रस का गाय के घी के साथ सुबह-शाम सेवन करें, एवं माजूफल का चूर्ण गुदा स्थान पर लगाये इससे लाभ होगा…दूसरा सफ़ेद सुरमा और नागकेसर को समभाग में लेकर कूट-पीसकर बारीक़ कर लें…इसमें शहद मिलकर 1 ग्राम मात्रा में सुबह-शाम चाटें साथ ही कडवी तुरई के बीज को रात को पानी में फुलाकर सुबह इन्हें बारीक पीसकर गुदा स्थान पर लगायें.. यह उपचार बवासीर रोग में अत्यंत प्रभावी है….अनंतराम श्रीमालीजी का संपर्क है..9179607522

 This is a message of Shri. Anantram Shrimali from Sagar, Madhya Pradesh…this message is about probable cause, regimen and traditional treatment of piles.. According to him persistent constipation often leads to piles and in absence of proper treatment, piles could transform into hemorrhoid… Along with treatment piles & hemorrhoid, patients should avoid Jaggery (Gur), Gram floor(Besan), spicy & oily food and people should abstain from Arhar Daal and Urad Daal. For treatment Radish juice with pure cow ghee should be taken in morning and evening. Majuphal Churn could be applied directly on the piles. Secondly mix Nagkesar (Mesua ferra) and white kohl commonly known as surma in equal quantity and grind well and lick this 1 gram mixture with honey in morning and evening. Soak Turai seeds (Luffa) in water and apply its paste on rectum.. above treatments have proven effective in cure of piles and hemorrhoid… Contact of Shrimaliji is 9179607522
   
हर्बल शैम्पू बनाने की विधि / Procedure to make Herbal Shampoo
November 21, 2013

यह सन्देश श्री दीपक आचार्या का अभुमका हर्बल प्राइवेट लिमिटेड से है इस सन्देश में दीपकजी हमें घरेलु सामग्रियों से हर्बल शम्पू बनाने की विधि बता रहे है….इसके लिए 1 चम्मच बेकिंग सोडा, 1 चम्मच रीठा चूर्ण और 1 चम्मच सुखी हुई नीम की पत्तियों का चूर्ण.. लेकर इसे एक कप पानी में घोल ले, यह तैयार हो गया आपका हर्बल शेम्पू, इसे किसी बंद बोतल में रख ले…और नहाते समय एक चम्मच इस शम्पू को बालो पर लगाये…इससे बाल चमकदार और रुसी से मुक्त होंगे…इसके साथ अगर आप कंडीशनर का प्रयोग करना चाहते है तो इस शम्पू से नहाने के बाद जासवंत जिसे गुडहल भी कहते है के 2-3 फूलों को मसलकर सर पर लगाने के पश्चात कुछ समय के बाद धो ले… यह शम्पू और कंडीशनर किसी भी केमिकल से मुक्त और बालो के लिए स्वास्थ्यवर्धक है..दीपकजी का संपर्क है 09824050784

 This is a message of Shri. Deepak Acharya from Abhumka Herbal (Pvt) Ltd…This message is about how to make Herbal Shampoo at home by using household materials…Take 1 tablespoon Baking soda, 1 tablespoon Sapindus (Reetha) powder c and 1 tablespoon Dry Azadirachta Indica (Neem) leaves powder. Mix these well in a cup of water and your chemical free Herbal Shampoo is ready to use…Just take 1 spoon of this Shampoo and rinse on you hair at the of bathing. Uing this shampoo will keep your hair free from dandruff…Apart from this if you would like to use conditioner…just take 2-3 flowers of Hibiscus known as Gudhal in Hindi, mesh it and apply on your hair and wash properly after sometime..the shampooo and conditioner are chemical free and would give healthy hair…..Contact of Deepak Aacharya is ०९८२४०५०७८४

अस्थमा / दमे का परंपरागत इलाज / Traditional Treatment Of Asthma
November 20, 2013

इस सन्देश में डॉ. एच.डी गाँधी, डॉ. विजय चौरसिया जो कि गढ़ासराई, जिला डिंडोरी मध्य-प्रदेश से है का साक्षात्कार कर रहे है…. डॉ. चौरसिया पिछले 40 वर्षों से बैगा जनजाति की चिकित्सा पद्धति पर कार्य कर रहे है और इस विषय पर उन्होंने पुस्तकें भी लिखी है…इनका यह अनुभव रहा है की बैगा जनजाति के लोग वास्तव में बैगा वैद्य है जो अधिकतर मध्यप्रदेश के मंडला और डिंडोरी क्षेत्रों में बसते है…इनका मानना है भारतवर्ष में जड़ी-बूटियों के मामलों में दो क्षेत्र ही अधिक प्रसिद्ध है एक हिमालय और दूसरा मध्यप्रदेश और छतीसगढ़…एशिया महाद्वीप की पुरानी जन जातियों में से एक बैगा जनजाति इन्ही क्षेत्रों में सदियों से निवास करती आ रही है…ती है… बैगा जनजाति के लोग सदियों से जंगल में मिलने वाली जड़ी-बूटियों से इलाज करते आये है.. और यह अपने आप को सुषेण वैद्य के वंशज मानते है… यह बैगा जनजाति के लोग “अस्थमा”  या “दमा“ जिसके बारे में कहा जाता है की दमा दम के साथ ही जाता है इसका इलाज बड़ी विश्वसनियता से जड़ी बूटी के माध्यम के से करते है… बैगा जनजाति की लोग इसके इलाज के लिए सफ़ेद अकौआ जिसे सफ़ेद मदार भी कहा जाता है इसके जड़, काली हल्दी, तुलसी की जड़ और अजवाइन का मिश्रण देते है जिससे पुराने से पुराना दमा, श्वास एलर्जिक अस्थमा हमेशा के लिए समाप्त हो जाते है… डॉ चौरसिया का कहना है की इन्होने अभी तक अस्थमा की इस दवा से भारतवर्ष में 8-9 हजार लोगो का इलाज किया है और उन मरीजों के नाम और संपर्क नंबर भी इनके पास है…भारत के लगभग हर क्षेत्र में उनकी दवा का उपयोग हो चूका है और इसके लिए कोई विज्ञापन नहीं दिया गया सिर्फ मौखिक रूप से सुनकर लोग उनके पास इलाज करवाने के लिए आते है….

In this message Dr. Gandhi is talking to Dr. Vijaya Chourasiya of village Garhsarai, Distt. Dindori who tells us about traditional treatment of Asthma as practiced by primitive Baiga Tribe of Dist. Mandla in Chhatisgarh State. Dr. Chourasiya has been working for the last 40 years in this traditional method and has written many books on Baiga Tribe and their tribal treatment methods. According to him the Baiga Tribe is actually the Baiga Vaids who have settled in the Dindori and Mandla region of Madhya Pradesh. As per him the Himalayan range and the region of Madhya Pradesh & Chattisgarh are the two prime areas where there is abundance of herbal plants and roots. Baiga’s traditional healing of Asthma is by combination of Calotropis Gigantea (Madar), Black Turmeric, Basil plant root & Carom seeds and has been successfully used to treat oldest of ailments. Dr. Chourasiya is treating  Asthma for many year and about 8-9 thousand patients have benefited by his medicine. He also has names & contact numbers of treated patients. People have been coming to him purely on word of mouth publicity…

बालों से संबंधित उपचार / Hair Treatment
November 2, 2013

यह संदेश श्री. लोमेश कुमार बचजी का  कोरबा, छत्तीसगढ़ से है… आज लोमेशजी हमें बालों से संबंधित समस्याओं के उपचार के बारे में बता रहे है… उनका कहना है की आजकल बालों के सफ़ेद होने और झड़ने की समस्या आम है… इसके उपचार के लिए कमल का फूल 1 किलो, 250 ग्राम माजोफल और आम की गिरी 1/2 किलो, इन सब को पीसकर 1 किलो दूध में मिलकर उसे एक मटके में भर लें और उस मटके अच्छे से बंद कर 2 महीने के लिए जमीन में गाड दे… 2 माह बाद उसे निकाल उसका पेस्ट बालों में 10 मिनिट तक लगा कर स्नान कर लें…इसे 2 माह तक लगातार करने से बाल चमकदार, काले और घने हो जाते है…यह नुस्खा श्री. लोमेश जी का आजमाया हुआ है…. श्री लोमेश जी का संपर्क है : 9753705914

This is a message of Shri. Lomesh Bach from korba chhatisgarh…In this  message Lomeshji is telling us about the treatment of  Hair related problems… He said, graying and hair loss problem is common nowadays … To remedy this, take Lotus flowers 1 kg, 250 gms Majufal (Quercus infectoria) & 1/2 kg Mango kernel & grind all these together then add 1 liter milk & put this concentration in clay pitcher and grounded it until 2 months….After two months take out the pitcher and mix all contents well again and store it in Glass jar and apply this paste regularly on hairs 10 minutes  before bathing. For good results this remedy should be continued for 2 months… By doing so your hair will become Black, Shiny, Glossy & it is  very useful for hair loss problems as well…Contact of Shri. Lomeshji is 9753705914


ठण्ड में रखने योग्य सावधानियां / Precautions that should be taken in Autumn
October 26, 2013
यह सन्देश डा. एच.डी गाँधी का है वह शिशिर ऋतु अर्थात शरद ऋतु में उपयोग न करने वाले खाद्य पदार्थों के बारे में बता रहें हैउनका कहना है की ठंडी के मौसम में सभी को कफ ज्यादा बनता है…पाचन शक्ति की गति तीव्र हो जाती है… अत: दही एवं खटाई एवं नए अनाज का प्रयोग कम करे तो अच्छा है.. ठंडी चीजों से बचे…शीत लहर से बचे सूर्य की किरणों को पीठ देकर धूप का सेवन करे…आवला एवं रागी (मोटे अनाज) का प्रयोग अधिक करें.. इसमें प्राकुतिक कैल्सियम और विटामिन सी पाया जाता है… जैसे चवनप्राश, शहद, दूध, घी का प्रयोग हितकारी रहता है.. अश्वगंधा एवं गिलोय का सेवन भी काफी लाभप्रद रहता है..इस ऋतु में पौष्टिक पदार्थ सूखे मेवे और शक्तिवर्धक औषधियां का उपयोग करना चाहिए.. नियमित योग और व्यायाम करना चाहिए… पारंपरिक वैद्यो का कहना है “सुबह की हवा लाखों के दवा”…डा. एच.डी गाँधी का संपर्क है: 9424631467

Dr HD Gandhi from Swasthya Swara is telling us what are dos and donts in autumn. .In cold it is advisable to take curd, sour food products new cereals in less quantity..Take healthy & vitamin enriched food…Honey, Milk, Dry fruits & exercise regularly…Contact of Dr. H D Gandhi is: 9424631467

पारंपरिक चिकित्सा 1


अडूसा के औषधीय गुण / Medicinal Properties of Adhatoda vasica
January 9, 2014

यह संदेश लोमेश कुमार बच का लिमरू वन औषधालय, जिला कोरबा, छतीसगढ़ से है. इस संदेश में वह अडूसा जिसे वासा भी कहा जाता है. इसका पौधा 4 से 10 फीट तक ऊँचा होता है और इसके पत्ते 3 से 8 इंच लम्बे होते है. इसके फूल सफ़ेद रंग के होते है. यह दो प्रकार का होता है श्वेत वासा और श्याम वासा पर श्वेत वासा ही बहुतायत में पाया जाता है…वासा का गुणधर्म उत्तम उत्तेजक, कफ निसारक, आक्षेपकहर है इसका फूल उष्ण, कडवा, ज्वराग्न और रक्त की उष्णता और मांसपेशियों के खिचाव को कम करने वाला होता है.

इसके औषधीय उपयोग हेतु इस पौधे के विभिन्न भागो की अनुशंसित मात्रा इस प्रकार है:

1. पत्र का स्वरस (पत्तियों का अर्क) 1-2 तोला

2. मूल तत्व चूर्ण (जड़ों का चूर्ण) 2-5 रत्ती

3. मूल क्वाथ को 4-8 तोला

इसका प्रयोग कई रोगों के निदान के लिए किया जाता है. उनमे से नया पुराना फुस्फुस रोग, जिसे (ब्रोंकाइटिस) भी कहते है, के उपचार के लिए इसके पत्ते, कंठकारी (जिसे भट्टकटैया भी कहते है), नागरमोथा और सौंठ को समभाग मिलाकर काढ़ा बनाकर 4-8 तोला तक दिया जाता है.

रक्तपित्त, में जिसमे नाक से या खांसी से खून आता है, के उपचार के लिए इसकी पत्तियों का रस शहद में मिलाकर दिया जाता है. बच्चों की कुकूर खांसी में इसकी जड़ का काढ़ा बनाकर देने से कुकूर खांसी और ज्वर में आराम मिलता है. शरीर पर फोड़ा होने पर वाचा की पत्तियों को पानी में पीसकर उसकी लुगदी फोड़े पर लगाने से फोड़ा बैठ जाता है. हाथ-पैरों की ऐंठन और वेदना होने पर वाचा के पत्तियों का रस 500 मी.ली और तिल का तेल 250 मी.ली को पकाकर तेलपाक होने पर इस तेल की मालिश करने से लाभ होता है.

लोमेशजी से संपर्क 9753705914 पर कर सकते है.


Tribal procedure of making Tea / चाय बनाने का पारंपरिक तरीका
January 8, 2014

यह संदेश श्री दीपक आचार्य का अभुमका हर्बल्स प्रा. ली, अहमदाबाद से है… इस संदेश में दीपकजी का कहना है की ठण्ड का मौसम जोरो पर है और ऐसे में चाय का अपना अलग ही महत्व है यह हमें आदिवासी अंचलों में लोगो द्वारा बनाई जाने वाली चाय के बारे में बता रहे है…इनका कहना है की इनके द्वारा बनाई जाने वाली चाय न केवल ठण्ड से निजात दिलाती है बल्कि यह चाय सेहत के लिए भी लाभदायक होती है…इसे बनाने के लिए दो कप पानी में एक चम्मच चाय मिलाकर खौलाते है जब यह एक कप बच जाती है तो फिर उसमे 3 चम्मच शक्कर मिलाई जाती है… आदिवासी हर्बल जानकारों के अनुसार इस तरह की मीठी चाय न केवल दिमाग को शांत रखने में सक्रिय भूमिका निभाती है बल्कि यह तनाव को भी कम करती है… दूसरे प्रकार की चाय बुंदेलखंड के ग्रामीण तैयार करते है वह इसे गौती चाय कहते है… इसके लिए लेमन ग्रास की 2-3 पत्तियों को कुचलकर 2 कप पाने में उबाला जाता है…फिर इसमें शक्कर मिलाई जाती है स्वादानुसार इसमें कुछ बूंदे नीबू रस और थोडा अदरक भी डालते है…इस चाय में दूध का उपयोग नहीं किया जाता है… यह चाय एंटी-आक्सीडेंट से भरपूर होती है जो हमें बाहरी संक्रमणों से बचाती है… दीपकजी का संपर्क है 9824050784

This is a message of Deepak Acharya from Abhumka Herbals Pvt. Ltd, Ahmedaba …In this message Deepakji is telling us traditional procedure of tea making in Tribal areas… He said this sweet tea not only helpful to beat cold but it is very beneficial for health as well… To make this sweet tea boil 2 cup water with 1 spoon tea leaves when water remains 1 cup add 3 spoons sugar…as per Tribal analysts this tea keeps our mind calm & reduce depression…Second type of tea commonly used in the rural areas of Bundelkand and well known as “Gauti”…To prepare this tea boil 2 cup water by adding 2 -3 crushed leaves of Lemon grass then add sugar, lemon juice & ginger as per taste… This “Gauti” tea is full of Anti-oxidant properties and helping to fight infections…Deepakji’s at 9824050784


पेचिश का पारंपरिक उपचार / Traditional remedy for Dysentery
January 7, 2014

यह संदेश श्री अनंतराम श्रीमाली का सागर मध्यप्रदेश से है… अपने इस संदेश में श्रीमालीजी हमें पेचिश और पेट में होने वाली मरोड़ के पारंपरिक उपचार के बारे में बता रहे है… इनका का कहना है की काला जीरा भूनकर 50 ग्राम और 10 ग्राम कुंदस (पंसारी की दुकान में उपलब्ध होता है) का चूर्ण बनाकर उसमे 20 ग्राम मिश्री मिलाकर इसे 10ग्राम सुबह-शाम पानी के साथ लेने से मरोड़ वाली पेचिश ठीक होगी… अगर पेचिश खून के साथ हो रही हो तो उसके उपचार के लिए राल, सौंठ, सौंफ, अनार का छिलका और खसखस 5-5 ग्राम लेकर उसका चूर्ण बना लें… उसमे 15 ग्राम मिश्री मिलाकर सुबह-शाम10 ग्राम लेने से खूनी पेचिश ठीक होती है…अनंतराम श्रीमालीजी का संपर्क है 9179607522

This is a message of Shri. Anantram Shrimali from Sagar, Madhya Pradesh… In this message he is telling us traditional remedy to cure Dysentery… He said take roasted Black Cumin seed 50 gram, Kundes (Easily available at grocery shop) 10 gram & after making fine powder add 20 gram sugar candy… By taking this combination in 10 gram quantity with water twice a day can cure Dysentery… If Dysentery with mucus & blood take Rasin, Dry Ginger, Fennel seeds, Poppy seeds & Pomegranate skin 5 gram each & make fine powder of these all ingredients add 15 gram sugar candy & take 10 gram twice a day…It can be useful to cure Dysentery with blood & mucus… Anantram Shrimali’s at 9179607522


पुनर्नवा की औषधीय उपयोगिता / Medicinal usage of Punarnava (Boerhavia diffusa)
January 6, 2014

यह संदेश निर्मल अवस्थी का वार्ड क्रमांक 4, कस्तूरबा नगर, बिलासपुर से है…अपने इस संदेश में अवस्थीजी हमें दिव्य औषधि पुनर्नवा के चिकित्सीय गुणों के बारे में बता रहे है…इनका कहना है की पुनर्नवा पगडंडियों के किनारे, बाड़ो में, खेतों की मेड़ो पर आसानी से देखी जा सकती है…इसका पंचांग शीत ऋतु के अंतिम चरण में सुखाकर बंद डिब्बों में रखना चाहिये… इस प्रकार रखने से यह 6 माह से 1 वर्ष तक गुणकारी रहती है… इनका कहना है की पुनर्नवा के उपयोग से मूत्र की मात्रा में पर्याप्त वृद्धी होती है…हृदय का कार्य व्यवस्थित हो जाता है तथा धमनियों में रक्त संचार बढ़ जाता है…जिसके परिणाम स्वरूप शोथ दूर हो जाता है और शरीर को बल मिलता है. पुनर्नवा का 25-40 ग्राम पंचांग 8 गुना जल में मिलाकर पकाएं जब वह चौथाई शेष रह जाये तो उसे छानकर रख लें. इसका सुबह और शाम 10 मी.ली मात्रा में 1 ग्राम सौंठ का चूर्ण मिलाकर सेवन करें…पुनर्नवा बाल-शरबत -पुनर्नवा की पत्तियों का रस 100 मी.ली., मिश्री चूर्ण 200 ग्राम तथा छोटी पीपली का चूर्ण 12 ग्राम मिलाकर पकाएं जब गाढ़ी चाशनी बन जाये तो छानकर रख लें..मात्रा 4-8 बूंद उम्रनुसार बच्चों को दिन में 4-5 बार चटायें. यह बच्चों को होने वाले अनेक प्रकार के रोगों जैसे खांसी, श्वास, दमा, लार बहाना, यकृत विकार, सर्दी-जुकाम, वमन तथा हरे-पीले दस्त के उपचार में लाभदायक है…निर्मल अवस्थीजी का संपर्क 9685441912

This is a message of Nirmal Awasthi from ward no. 4, Kasturba Nagar, Bilaspur..In this message Nirmalji is describing us medicinal usages of Punarnava (Boerhavia diffusa).. Punarnava is a herb & commonly found in farms, rural trails & at road sides. Punarnava enhances the amount of urine discharge…organised  heart functioning..increases blood flow in arteries which results inflammation goes away… Boil 25-40 grams Punarnava panchang (Leaves, flower, bark, seeds & root) in eight times more water than the weight of panchang.. when quarter water remains filter this preparation and take this in 10 ml in quantity after adding 1 gram dry ginger powder twice a day. To prepare Punarnava syrup for children take 100 ml juice of Punarnava leaves, 200 gram sugar candy (Mishri) and 12 gram (Choti Pipli) powder and boil until this combination converts into paste after filtering give 4-5 drops according to child’s age…Contact of Nirmal Kumar Awasthi is 9685441912


शीत ऋतु में बालों की देखभाल / Hair care in winter
December 26, 2013

यह सन्देश दीपक आचार्य का अभुमका हर्बल्स, अहमदाबाद से है ..इस संदेश में दीपकजी हमें ठण्ड के दिनों में बालो को रुसी और बाल झड़ने से बचने के देशी उपायों के बारे में बता रहे हैं…वह आज हमें दो नुस्खो के बारे में बता रहे है…पहला बालों में जब रुसी हो जाये तो मैथी के दानो को पीसकर चूर्ण बना ले…यह चूर्ण 3 ग्राम मात्रा में पानी में मिलाये फिर इसे बालों पर लगायें और आधे घंटे बाद बाल धों लें…ऐसा सप्ताह 2-3 बार करने से रुसी से छुटकारा मिल जायेगा…दूसरा नुस्खा बालों को ठण्ड के मौसम में स्वस्थ और लम्बा रखने के नारियल के तेल में नीबू का रस मिलाकर सर की हलकी मालिश करें…इससे रुसी से छुटकारा मिल जायेगा तथा बाल भी स्वस्थ रहेंगे…दीपकजी का संपर्क है 9824050784

This is a message of Deepak Acharya from Abhumka Herbals Pvt. Ltd., Ahmedabad…In this message he is suggesting us how to take care of hairs in Autumn… He said to protect hairs from dandruff mix 3 gram Fenugreek powder in water and apply this solution to hairs & after half an hour wash hairs properly…& this should be repeated 2-3 times a week…Second remedy to keep your hair healthy & lengthy is add Lemon juice to coconut oil and massage your hair by using this combination….Deepakji’s at 9824050784


अडूसा के औषधीय गुण / Medicinal properties of Adusaa
December 24, 2013

यह संदेश निर्मल अवस्थी का वार्ड क्रमांक 4, कस्तूरबा नगर, बिलासपुर से है…इस संदेश में निर्मलजी हमें अडूसे की चिकित्सीय उपयोगिता के विषय में बता रहे है…इसे वासा के नाम से भी जाना जाता है…इनका कहना है की खांसी होने पर अडूसे की पत्तियों का रस 10 ग्राम और शहद 5 ग्राम प्रातः और शाम दोनों समय सेवन करना चाहिए और ताज़ी पत्तियों के न मिलने की दशा में छायादार जगह पर सुखाये अडूसे के फूलों का चूर्ण का भी उपयोग कर सकते है…बच्चों को जो काली खांसी होती है जिसे कुकुर खांसी भी कहते है के होने पर…वासा की जड़ का काढ़ा डेढ़ से दो चम्मच दिन में दो से तीन बार बच्चों के देने से लाभ होता है…काढ़ा बनाने के लिए अडूसे की जड़ को पानी में उबलना चाहिए जब पानी आधा रह जाये उसे है काढ़ा कहते है…वासा की जड़ का शरबत बनाकर विधिपूर्वक उपयोग करने से पुरानी से पुरानी खांसी और क्षय रोग तक नष्ट होता है…वासा के फूलों को दूगनी मात्रा में मिश्री मिलाकर मिट्टी या कांच के पात्र में रखने से गुलकंद तैयार हो जाता है…इस गुलकंद की 10 ग्राम मात्रा का नित्य सेवन करने से वात / श्वांस / पुराना जुकाम / रक्त-पित्त के रोगियों को लाभ मिलता है… यह ज्वरनाशक और रक्तशोधक है… इसके अतिरिक्त यह रक्तस्राव को रोकने वाला है…इसका प्रयोग शरीर में धातु निर्माण क्रिया को बढ़ाने के लिए कमजोरी दूर करने वाले टॉनिक के रूप में भी होता है… निर्मलजी का संपर्क है 9685441912

This is a message of Nirmal Awasthi from ward no. 4, Kasturba Nagar, Bilaspur… In this message he is describing us the medicinal usages of Justicia adhatoda, commonly known as ”Adusaa” or “Vasa” in Hindi language…He said for curing cough take 10 gram juice of Adusaa leaves, add 5 gram Honey in it and take this morning & evening… In case of unavailability of fresh leaves of Adusaa, shadow dry flowers of Adusaa could be taken…In case of Whooping cough this is commonly happens is children give them decoction of Adusaa root…Procedure to make decoction is take root of Adusaa and boil it with water & when water remains half of its actual quantity is known as decoction…Store flowers of Adusaa in Clay or Glass jar add sugar candy (Mishri) in just double quantity of flowers…few days later “Gulkand” become formed…This is a tonic & could be taken in weakness & to improve vitality…Nirmalji’s at 9685441912


हर्बल रूम फ्रेशनर / Herbal room freshener
December 23, 2013

यह संदेश दीपक आचार्य का अभुमका हर्बल्स प्रा.लि अहमदाबाद से है… यह आज अपने संदेश में घरेलू रम फ्रेशनर बनाने का तरीका बता रहे हैं…इनका कहना है की हम फलों के छिलकों को प्रायः फेंक देते है… पर यह एक बेहतरीन और प्राकृतिक रूम फ्रेशनर बनाने के काम आ सकते है…इसे बनाने के लिए खट्टे मौसमी फलों जैसे संतरा, नीबू और मौसंबी के छिलकों को के बर्तन में पानी के साथ उबालें साथ ही इसमें कुछ दालचीनी और 2-4 लौंग भी डाल दे…जब यह खौलने लगे तो सावधानीपूर्वक इस खौलते हुए पानी को अपने घर के सभी कमरों में घुमाएँ…आप पाएँगे की आपके कमरों में एक अच्छी सुगंध फ़ैल जाएगी…इसकी यह सुगंध 12 प्रकार के सूक्ष्म कीटाणुओं को नष्ट कर देती है… दीपक आचार्य का संपर्क है 9824050784

This is a message of Deepak Aacharya from Abhumka Herbals Pvt. Ltd., Ahmedabad… In this message he is telling us how to make household herbal room freshener by using sour fruit skins. He is saying we often throw fruits skins..but they could serve to make the best & natural room freshener.. For doing so boil some sour fruits skins like Orange, Lemon & sweet Lemon in the pot add some Cinnamon & 2-4 Cloves to it. When it starts boiling…Carefully carry this boiling combination in every room of your house… You will feel fine fragrance in your home & this fragrance has disinfectant properties and that kills about 12 types of bacteria’s as well…Deepakji’s at 9824050784


कील-मुहांसों का उपचार / Treatment of Acne & Pimples
December 22, 2013

यह संदेश सरोजनी गोयल का बाल्को कोरबा, छत्तीसगढ़ से है इस संदेश में वह कील और मुहांसो के उपचार के बारे में बता रहीं है…लाल चन्दन और जायफल को पानी में घिसकर चेहरे पर लगाने से मुहांसे नष्ट होते है…चौथाई नीबू का रस थोड़ी सी हल्दी और चुटकी भर नमक मिलाकर थोड़े से गुनगुने पानी में मिलाकर चेहरे पर लगाकर थोड़ी देर रहने दे फिर ठन्डे पानी से धो ले…इसे सप्ताह में 2 बार दोहराए लाभ होगा….नीम की जड़ को पानी में घिसकर चेहरे पर लगाये शीघ्र लाभ होगा…हल्दी और बेसन घोलकर नहाने से पहले चेहरे पर लगाने से लाभ होगा…

नीबू का रस शहद में मिलाकर चेहरे पर लगाने से झाइयाँ और झुर्रियां दूर होंगी…30 ग्राम पिसा अजवाइन 30 ग्राम दही में मिलाकर चेहरे पर रात को सोते समय लगाये और सुबह ठन्डे पाने से धो ले लाभ होगा…मसूर को नीबू के रस के साथ पीसकर चेहरे पर लगाने से लाभ होगा…त्वचा की रंगत बरकरार रखने के लिए जामुन और आप के पत्तों को हल्दी और गुड में लुगदी बनाकर त्वचा पर लेप करें इससे त्वचा कांतिमय हो जाएगी…. बरगद का दूध ऊँगली से चेहरे पर मलने से चेहरे का रंग निखर आता है…थोडा सा दूध चुटकी भर नमक मिलाकर रुई से चेहरे पर मलने से कांति बढती है…सरोजनीजी का संपर्क है: 9165058483

This is a message of Sarojini Goyal from Balko, Korba, Chhatisgarh…In this message she is telling us traditional treatment of Acne & Pimples…She said rub Red Sandalwood (Rakt Chandan) & Nutmeg (Jaayfal) on rough stone with little water until smooth paste is formed and apply this paste on face to cure pimples… Mix quarter lemon juice, little bit turmeric powder & one pinch common salt to small amount of lukewarm water & apply this on face & after few minutes wash your face with cold water…repeat this procedure twice a week…Dilute turmeric powder & gram floor in water and apply this on your face… By applying mixed combination of lemon juice & honey can reduce wrinkles…Apply Banyan tree milk on face with the help of finger tips this can useful for enhancing glossiness & shining on face…Sarojaniji’s at 9165058483


नीबू के औषधीय गुण / Medicinal properties of Lemon
December 21, 2013

यह संदेश शिवकुमार विश्वकर्मा का पांढुर्ना, मध्यप्रदेश से है…इस संदेश में वह हमें नीबू के गुणों के विषय में बता रहे है…इनका कहना है की सुबह एक गिलास पानी में नीबू का रस और 2 चम्मच शहद मिलाकर पीने से मोटापा कम होता है… खाने के सोडे (मीठे सोडे) में नीबू का रस मिलाकर मंजन करने से दांत चमकदार होते है…दो चम्मच नारियल तेल में 1 टिकिया कर्पुर और 1 चम्मच नीबू मिलाकर सर की मालिश करने से बालों का झड़ना कम हो जाता है…नहाते समय पानी में 2-3 नीबू का रस और थोडा से नमक मिलाकर नहाने से शरीर की कांति बढती है…भूने हुए नीबू को शहद के साथ खाने से हैजे के कारण हो रही उल्टियाँ रूकती है… नीबू का रस थोडा गरम कर उसमे थोडा शहद मिलाकर दिन में 2-3 बार चाटने से गले की तकलीफ में आराम मिलता है… नीबू के बीजों का चूर्ण गरम पानी के साथ खाने से पेट के कृमि नष्ट होते है… भोजन से पहले एक गिलास पानी में एक नीबू का रस निचोड़कर पीने से भूख में बढ़ोतरी होती है…शिवकुमार का संपर्क है 9479614459

This is a message of Shivkumar Vishwakarma from Pandhurna, Madhya Pradesh… In this message his is telling us traditional usages of Lemon… He said for reducing weight add lemon juice & 2 tablespoon honey in glassful water and drink regularly at morning… Add little lemon juice to Backing soda and use this combination as toothpaste that makes your teeth bright & shiny…Massaging your head by camphor & lemon mixed coconut oil that can be useful to stop hair loss… Add 2-3 lemon juice and little salt to your bathing water this can be increase body glossiness… Roasted lemon with honey can stop vomiting caused by cholera… By drinking lemon seed powder with lukewarm water it is useful to destroy stomach worms…Shivkumar’s at 9479614459    


खसरे की परंपरागत चिकित्सा / Traditional remedy of Measles
December 20, 2013

यह संदेश अनंतराम श्रीमाली का सागर, मध्यप्रदेश से है…इस संदेश में अनंतरामजी हमें खसरे से बचने का परंपरागत उपाय बता रहे है इनका कहना है की जब बुखार लगातार2-3 दिनों तक आये और खसरे यह चेचक के लक्षण हो तो गुडहल जिसे जासवंद भी कहा जाता है इसके फूल का हरा छिलका निकालकर 2 फूल उसे खिला दे..इससे खसरे का प्रकोप कम होगा… दूसरा उपाय के तहत अगर खसरा हो गया है और शरीर पर दाने दिखने लगे हो तो नीम के पानी से ही उसको स्नान कराये और रोगी के कमरे में गुडहल के फूल और नीम की पत्तियाँ रखे क्योंकि इसमें कीटनाशक गुण होता है… इससे रोगी को दाह (जलन) नहीं होगी.. अगर खसरा होने की संभावना भी हो तो उसके रोकथाम की दृष्टी से रोग संभावित व्यक्ति को दो गुडहल के फूल खिला दे…एक सावधानी रखे की रोगी से अन्य स्वास्थय व्यक्ति यथासंभव दूर रहे जिससे इस रोग को फैलने से रोका जा सके…अनंतराम श्रीमाली का संपर्क है 9179607522

This is a message of Anantram Shrimali from Sagar, Madhya Pradesh…In this message Anantramji is suggesting us traditional remedy for curing Measles. He said if fever persists for 2-3 days and if there could be possibility of Measles then 2 flowers of Hibiscus (Jaswand) after removing green rind can be given to the patient. Secondly, Bathing with Azadirachta indica (Neem) treated water can be very useful for the patient as Neem has disinfectant properties…& it can reducing burning sensation as well. Healthy person should keep distance from patient as much as possible to prevent spreading of disease…Shrimaliji’s at ९१७९६०७५२२



कांतिमय चेहरे के लिए टमाटर का उपयोग / Tomato’s for glossing face


यह संदेश श्री दीपक आचार्य का अभुमका हर्बल्स प्रा. लि, अहमदाबाद से है…अपने इस संदेश में दीपकजी हमें बता रहे है की किस प्रकार आदिवासी अपने चेहरे की रंगत को बढ़ाने के लिए टमाटर के रस का उपयोग करते है…इनका कहना है की एक गिलास टमाटर का रस तैयार कर लिया जाये और उसमे 2 चम्मच शहद मिलकर पिया जाये तो मात्र एक महीने में ही चेहरे पर रंगत दिखाई देने लगती है… इसी प्रकार 2 टमाटर और एक गिलास पानी को मिक्सर में पीस कर उसे बिना छाने 30 दिनों तक पीने से चेहरे पर रंगत दिखाई देने लगती है, चेहरे के निशान और झुर्रियां मिट जाती है… पातालकोट के हर्बल जानकार जिन्हें भुमका कहा जाता है वह इसे नुस्खे का उपयोग वजन कम करने के लिए करते है उनका मानना इस प्रकार इसे प्रतिदिन एक बार खाली पेट लेने से शरीर का वजन धीरे-धीरे कम होने लगता है… वहीँ दूसरी तरफ गुजरात के डांग आदिवासी मानते है की यह लीवर और फेफड़ों के लिए लाभकारी टॉनिक होता है…दीपकजी का संपर्क है 9824050784

This is a message of Deepak Aacharya from Abhumka Herbals, Ahmedabad…In this message he is telling us how tribal peoples use Tomato juice to enhance glossiness of their face.. For doing so take one glassful Tomato juice add two tablespoon Honey in it and drink regularly for month…Secondly, Grind 2 Tomatoes along with 1 glass water in mixer and drink without filtration ..it should be continued for month… Herbal experts of Patalkot who are known as “Bhumka” they are using this combination for reducing weight & on another side “Daang” Adiwasi’s of Gujrat believe this preparation is very good tonic for lever & lungs…Deepakji’s at 9824050784


वजन घटाने का परंपरागत उपाय / Traditional method for losing weight
December 18, 2013

यह संदेश डॉ एच.डी गाँधी का स्वास्थय स्वर से है…अपने इस संदेश में डॉ. गाँधी हमें मोटापा घटाने और अतिरिक्त चर्बी को कम करने का परंपरागत तरीका बता रहे है..इनका कहना है की मोटापा कम करने के लिए 250 ग्राम मेथी-दाना, 100 ग्राम आजवाइन और 100 ग्राम वन-जीरा को भूनकर इसका चूर्ण बनाकर किसी बोतल या हवाबंद डब्बे में रख ले…यह औषधियां प्रायः सभी जगह उपलब्ध होती है… इस चूर्ण को आधा या एक चम्मच की मात्रा में रात को सोते वक्त गुनगुने पानी के साथ लेना है…इस बात का विशेष ध्यान रखे की इस चूर्ण को लेने के बाद 1 घंटे तक कुछ न खाये… यह चूर्ण सभी उम्र के व्यक्ति ले सकते है…इसका पूरा लाभ लेने के लिए इसका सेवन तीन माह तक करें…इस प्रकार करने से शरीर की अतिरिक्त वसा समाप्त होकर शरीर कांतिमय होने लगेगा…डॉ. एच डी गाँधी का संपर्क है 9424631467

This is a message of Dr. H D Gandhi from Swasthya Swara… In this message he is telling us traditional method to reduce excess fat from our body… For doing so  roast 250 gms Fenugreek seeds, 100 gms Carom seeds & & 100 gms Black cumin & grind until powder is formed. Keep this powder in a airtight container. Take this combination half to one table spoon in quantity with lukewarm water at bedtime & avoid to take any food at least an hour after taking this preparation.. For better results it should be continued for three months…Dr. Gandhiji’s at 9424631467


चमेली के पत्तियों के गुण / Properties of Jasmine leaves
December 17, 2013

यह संदेश शिवेंद्र कुमार प्रजापति का जिला अनुपपुर, मध्यप्रदेश से है…इस संदेश में शिवेंद्रजी हमें चमेली के पत्तियों के औषधीय गुणों के विषय में बता रहे है… इनका कहना है की अगर किसी को मसूढ़ों में दर्द हो तो चमेली के पत्तियों को पानी में उबालकर उससे गरारे करने से दर्द में आराम मिलता है… मुहँ में अगर छाले हो गए हो तो चमेली के पत्तों को पान की तरह चबाने से लाभ मिलता है… सरदर्द होने पर सर पर चमेली के फूलों का लेप या चमेली के तेल से सर की मालिश करने से सरदर्द से राहत मिलती है…चमेली के 10 ग्राम पत्ते पीसकर पानी के साथ पीने से पेट के कीड़े नष्ट होकर नित्यक्रिया के दौरान निकल जाते है…अगर उल्टियाँ हो रही हो तो 10 मी.ली चमेली के पत्तियों के रस में 2 ग्राम कालीमिर्च का चूर्ण मिलाकर चाटने से आराम मिलता है शिवेंद्र का संपर्क है 9981915159

This is a message of Shivendra Kumar Prajapati from Anuppur dist., Madhya Pradesh… In this message Shivendraji is telling us about the medicinal properties of Jasmine leaves…In Toothache & Gums pain Jasmine leaves boil in water and rinse your mouth using this water can be useful to get relief… In case of mouth ulcers chewing of Jasmine leaves could be beneficial… In Headache apply Jasmine flower paste on affected area or massage gently by Jasmine oil… In case of vomiting 10 ml Jasmine leaves juice with 2 gram Black pepper powder could be taken… Shivendra’s at 9981915159


अतिसार एवं वमन का उपचार / Treatment of Diarrhea & Vomiting
December 16, 2013

यह सन्देश अब्बास खान का पिपलिया  इलाही, सागर मध्यप्रदेश से है…इस सन्देश में वह अतिसार एवं वमन का इलाज बता रहे है…इनका कहना है की इसके लिए वयस्क व्यक्ति को एक चम्मच प्याज के रस में 2 संजीवनी की गोली मिलाकर दे और बच्चों को एक चम्मच प्याज के रस में 1 संजीवनी की गोली मिलाकर दे… इससे वमन एवं अतिसार दोनों में लाभ मिलता है…अब्बासजी का संपर्क है द्वारा अनंतराम श्रीमाली 9179607522
This is a message of Abbas Khan from Pipaliya Ilahi, Sagar Madhya Pradesh…In this message he is telling us the traditional treatment of Diarrhea and Vomiting…For Adults take one teaspoon onion juice with 2 pills of Snajavini..& for children give them a teaspoon of onion juice with 1 pill of  of Sanjivni…This remedy can equally works in both Diarrhea & Vomiting…Contact of Abbas Khan’s is C/o Anantram Shrimali 9179607522


मुनक्का के औषधीय गुण / Medicinal Properties of Dry Grapes
December 15, 2013

यह संदेश डॉ. एच. डी. गाँधी का स्वास्थय स्वर से है आज यह हमें सर्दी की दिनों में मुनक्का के प्रयोग के बारे में बता रहे है…इनका कहना है की मुनक्का का उपयोग सर्दी-जुकाम, चर्मरोग, कब्ज और पौष्टिकता के लिहाज से किया जाता है…रात भर पानी में भीगी 10-12 मुनक्का सुबह बीज निकालकर चबा-चबा के खाने से खून की कमी दूर होती है साथ ही चर्मरोग और नकसीर में भी लाभ मिलता है. एक पाव दूध में 10 मुनक्का उबाल ले…उसमे एक चम्मच शुद्ध घी और स्वादानुसार मिश्री मिलाकर सुबह खाली पेट सेवन करने से शारीरिक कमजोरी में लाभ मिलता है…8-10 नग मुनक्का भूनकर उसमे काला नमक मिलाकर खाने से कब्ज में राहत मिलती है… नजला-जुकाम और एलर्जी में4-6 नग मुनक्का और लहसुन भूनकर खाने से लाभ होता है पर इसे खाने के बाद पानी न पियें… जो बच्चे रात को बिस्तर में पेशाब करते है उन्हें 2-3 मुनक्का बीज निकालकर रात को सोने के पहले 21 दिनों तक खिलाने से लाभ मिलता है… डॉ. एच. डी. गाँधी का संपर्क है 9424631467

This is a message of Dr. H.D. Gandhi from Swasthya Swara… In this message he is telling about the medicinal usages of Dry Grapes (Munnaka). He said it is very useful for curing cough-cold, skin disease, nosebleed & for nourishing health. To get relief in physical weakness boil 10 nos Dry Grapes in 250 ml milk add 1 tablespoon pure ghee & sugar candy… take this combination empty stomach regularly in morning & this should be continued until winter…By eating overnight soaked 10-12 nos Dry Grapes can be useful for curing skin diseases & can also beneficial for Anemic persons…To get rid of constipation eat 8-10 nos roasted Dry Grapes with rock salt… 4-6 nos Dry Grapes & Garlic could be taken to get relief from cough-cold…Don’t drink water after eating this preparation. 2-3 seedless Dry Grapes could be given at bed time to Nocturnal enuresis suffering children & it should continued for 21 Days…Dr. H. D. Gandhi’s at 9424631467


हकलाने / तुतलाने की चिकित्सा / Treatment of Stammering & Lisping
December 14, 2013

यह सन्देश निर्मल महतोजी का बोकारो झारखण्ड से है…अपने इस सन्देश में निर्मलजी हमें बच्चों की बीमारियों के इलाज के विषय में बता रहे हैं….बचपन में अक्सर बच्चे हकलाना, तुतलाना जैंसी बीमारियों के शिकार हो जाते हैं….इनका कहना है की फूला हुआ सुहागा शहद में मिला कर जीभ पर रगड़ने से हकलाना कम हो जाता है…दूसरा इलाज बच्चा एक ताजा हरा आंवला कुछ दिन चबाये तो उसका तुतलाना बंद हो जाता है…तीसरा इलाज यदि बच्चा मुहँ में दो काली मिर्च रखकर चबाएं और चूसें यह प्रयोग दिन में दो बार लम्बे समय तक करें…..चौथा इलाज तेजपत्ता को जीभ के नीचे रखने से रुक रुक कर बोलना और हकलाना बंद हो जाता है…निर्मल महतो का संपर्क है 09204332389

 This message is recorded by Shri Nirmal Mahto from Bokaro, Jharkhand. In this message he is advising about the treatment of stammering (Haklanaa). To cure stammering he suggests four remedies. First is to rub puffed Borax (Suhaga) & some honey on tongue this can reduce stammering. In second treatment affected child chew fresh green Indian gooseberry (Amla) regularly for few days, it is effective to reduce Lisping. Third one is if affected child can chew 2 Black pepper twice a day regularly it can be useful. Nirmalji’s at is 09204332389…


अपामार्ग के औषधीय गुण / Medicinal Properties of Achyranthes aspera
December 13, 2013

यह सन्देश डॉ दीपक आचार्य का अभुमका हर्बल्स प्राइवेट लिमिटेड अहमदाबाद से है…उनका यह कहना है की मध्यप्रदेश के पातालकोट में आदिवासी अपामार्ग या लट्ठजीरा का औषधीय उपयोग किस प्रकार करते है…अपामार्ग अक्सर खेत खलियानों के आस पास या सड़कों के किनारे देखा जा सकता है, जब हम खेतों या आस पास के उद्यानों में जाते हैं तो अक्सर इसके बीज हमारे शरीर पर कपड़ों पर चिपक जाते हैं और यह जीरे की तरह दिखाई देते हैं…पातालकोट के आदिवासियों के अनुसार यदि लटजीरे के बीजों को एकत्र करकर मिटटी के बर्तन में भूनकर उसे पीसकर चूर्ण बनाकर लगभग आधा चम्मच इसे खाया जाये तो भूख कम लगती है तथा यह शरीर की वसा को भी कम करता है इस प्रकार यह कम करने में भी मदद करता है इसके कोई दुष्परिणाम भी नहीं है….इसके तने को साफ़ करकर दातुन की तरह उपयोग करें तो दांतों से जो खून बहने की समस्या होती है वह भी धीरे-धीरे इससे समाप्त हो जाती है….दीपकजी का संपर्क है 9824050784

 This message is a message of Deepak Acharya from Abhumka Herbals, Ahemdabad…In this message he is telling us about how the Tribal of Patalkot use the Apamarg plant as a medicine….He said Apamarg is a common weed & could be easily found everywhere. Whenever anybody passes nearby this weed its seeds stick with our body and clothes ..It looks like Jeera (Cumin)..According to Tribal knowledge tribes of Patalkot if we collect the seeds of Apamarg and roast them in clay pot and grind well to make powder…This powder can be useful for loosing weight…Deepakji’s at 9824050784


पथरी का उपचार / Treatment of Stone Problem
December 12, 2013

यह संदेश श्री. अवधेश कश्यप का जिला कोटा, छत्तीसगढ़ से है… इस संदेश में अवधेशजी पथरी के उपचार के बारे में बता रहें है.. इनका कहना है की इसके उपचार का परम्परागत ज्ञान अमूल्य है… इसके उपचार के लिए पाषणभेद जिसे पत्थरचूर भी कहते है की 10 पत्ते और अजवायन के 10 पत्ते  (छोटी पत्तियां अधिक उपयुक्त होती है) को पीसकर उसकी लुगदी बना ले और उस लुगदी में एक चम्मच गोखरू चूर्ण (गोखरू चूर्ण बाजार में आसानी से उपलब्ध होता है) मिलाकर 3 दिनों तक सुबह खाली पेट लेना है जिसे पित्ताशय में पथरी हो उसे यह योग 15 दिनों तक लेना है…यह विरेचक और दस्तावर है इस प्रक्रिया में दस्त और उल्टियाँ भी हो सकती है…

पत्तियों का चयन करते समय अनुपात का ध्यान रखे अगर पत्तियां छोटी हो तो भी दस ही लेनी है…अवधेश कश्यप का संपर्क है: 7587038414

This is a message of Vidhya Awadhesh Kashyap from Kota, Chhatisgarh.. In this message Awdheshji is telling about the treatment of stone. He say’s traditional healing knowledge is invaluable…Here, he suggests remedy for the treatment of stone related problems. Take 10 leaves of Pashanbhed (Bergenia ciliata), 10 leaves of Carom plant (Trachyspermum ammi), for this small leaves are suggested the grind them well until a paste is formed then mix one spoon of Gkhuru powder (Tribulus terrestris) & mix them well. Take this preparation at morning with empty stomach for 3 days & for those who has stone in Gallbladder they can continue this remedy for 15 days. Due to the cathartic nature of this remedy symptoms of vomiting and loose motions could be possible.

Care should be taken when choosing leaves, even  if leaves are smaller in size they should be always 10 nos.


कपास के पेड़ की उपयोगिता / Importance of Cotton Plant
December 10, 2013

यह संदेश श्री निर्मल कुमार अवस्थीजी का वार्ड क्रमांक 4, कस्तूरबा नगर, छत्तीसगढ़ से है…आज निर्मलजी हमें कपास के पेड़ की उपयोगिता को वर्णित कर रहे है…उनका कहना है की ईश्वर ने मानव को स्वास्थ्य रखने के लिए आलग -अलग प्रकार की वनस्पतियों की उत्त्पति की है…ईश्वर ने कुछ ऐसी वनस्पतियाँ बनाई है जिस पर पुष्प लगे बिना फल प्राप्त, तो कुछ ऐसी भी जिस पर पुष्प तो लगते है  पर फल नहीं आते है…पुष्पों में ऐसा प्रकृति प्रद्दत दिव्य गुण अन्तर्निहित रहता है जिसके यथा-विधि उपयोग से हम अपना जीवन सुखी बना सकते है…निर्मलजी, कपास के पुष्पों और बीजों के चिकित्सीय गुणों के विषय में बता रहे है…इस वनस्पति पर आधारित  नुस्खे विभिन्न प्रकार के चर्म-रोगों, विषैले जंतुओं के काटने, और गर्भाशय से संबंधित चिकित्सीय निदानों पर प्रमुखता से है.. यह मुत्रक, निष्कारक और कान की सभी प्रकार की तकलीफों को दूर करने वाले होते है…इसके बीज (बिनौले) दूध बनाने वाले होते है… कपास की जड़ को पीसकर चावल  के पानी के साथ पिलाने पर श्वेत प्रदर में लाभ होता है… इसके बिनौले की मींगी और सौंठ को जल के साथ पीसकर अंडकोष पर लगाने से अंडकोष वृद्धी रूकती है….कपास के पुष्प का शरबत पिलाने से पागलपन में लाभ होता है और चित्त प्रसन्न होता है….बिनौले को पानी में औटाकर उसके पानी से कुल्ले करने से दन्त पीड़ा कम होती है…कपास की जड़ का काढ़ा पिलाने से पेशाब करने में होने वाली जलन मिटती है और मुत्रदाह में लाभ होता है…इसके बिनौले की मींगी को पानी के साथ पीसकर जलने वाले स्थान पर लगाने से आग की जलन कम होती है…खुनी बवासीर में इसके केसर को शक्कर और मक्खन के साथ देने से लाभ होता है…. रक्त प्रदर और रक्तार्श में कमल का केसर, मुल्तानी मिट्टी और शक्कर मिलाकर फांकने से लाभ होता है…कमलडंडी और नागकेसर को पीसकर दूध के साथ पिलाने पर दूसरे महीने में होने वाला गर्भस्राव (गर्भपात) मिट जाता है… धातु रोग में कपास के बीजों की मींगी को पीसकर दूध के साथ पिलाने से लाभ होता है….श्री निर्मल अवस्थीजी का संपर्क है: 09685441912

 This message is recorded by Shri Nirmal Kumar Awasthi from ward No. 2, Kasturba Nagar , Chattisgarh …..In this message he is telling us about the medicinal properties of flowers & seeds of Cotton plant. Various parts of this plant can be used to cure different diseases….Remedy for Leucorrhoea is first grind Cotton plant add some rice water in it. This can be used as a tonic for Leucorrhoea patients. Boil cotton seed in water & this water can me used as mouthwash to strengthen teeth & gums…Squash of flowers of Cotton plant can useful in madness..For more information Nirmal Awasthi is at 09685441912

सर्दियों के लिए शक्तिवर्धक पाक / Health energizing tonic in winter
December 9, 2013

यह संदेश डॉ. एच डी गाँधी का धर्मार्थ दवाखाना मोतीनगर रायपुर छत्तीसगढ़ से है….इस संदेश में वह सर्दी के मौसम में शक्ति बढाने के लिए कई उपाय बता रहे हैं…पहले नुस्खे में वह शक्तिदायक, बलवर्धक मुसली पाक बनाने की विधि वह बता रहे हैं इसके लिए मुसली चूर्ण 2.5 किलो, कौंच बीज के 1 किलो चूर्ण को 5 लीटर दूध में पकाएं फिर उसे एक किलो घी में भुनकर उसमे 5 किलो मिश्री की चाशनी डाल दे… उसमे विदारीकन्द , गोखरू, सतावर, सौंठ का चूर्ण, दाल-चीनी, इलायची, नागकेसर ,लौंग, जायफल ,जायपत्ती और वंशलोचन 100-100 ग्राम मिला दें…इसे 10 ग्राम प्रतिदिन दूध के साथ सेवन करने से शरीर बलवान होता है…दूसरा नुस्खा है बालसेमर का चूर्ण में दुगुनी मात्रा में मिश्री मिलाकर दूध के साथ सेवन करने से शक्ति बढती है…तीसरा नुस्खा है अश्वगंधा, सतावर सफ़ेद मूसली और विदारीकन्द सभी को 100-100 ग्राम तथा सौंठ, केसर, जायफल, लौंग को 10-10 ग्राम सभी का चूर्ण बनाकर एकसाथ रख लें फिर 10 ग्राम शहद और 200 ग्राम दूध के साथ प्रतिदिन सेवन करें सर्दियों के  लिए यह बहुत अच्छा नुस्खा है…5 ग्राम अश्वगंधा चूर्ण को 50 ग्राम आंवले के रस के साथ प्रातः काल खाली पेट सेवन करने से शक्ति बढती है…चौथा नुस्खा है त्रिफला एवं मुलैठी दोनों को 2-2 ग्राम तथा उसमे 5 ग्राम मिश्री मिलाकर प्रतिदिन सेवन करने से मनुष्य स्वस्थ्य रहता है….पाँचवा नुस्खा है अश्वगंधा का 5 ग्राम के चूर्ण में बराबर मात्रा में मिश्री मिलाकर दूध के साथ प्रातः काल एवं सायंकाल भोजन से पूर्व सेवन करने लाभ होता है छटवां नुस्खा है 5 ग्राम अश्वगंधा चूर्ण में बराबर मात्रा में मिश्री और शहद मिलाकर 6 माह तक सेवन करने के से दुर्बलता 1 वर्ष के लिए दूर हो जाती है सातवा नुस्खा है….सफ़ेद मुसली और मिश्री में बड़ी इलायची के बीज मिलाकर पीसकर प्रातः और सायं सेवन करने से शीघ्र लाभ होगा… डॉ. एच. गाँधी का संपर्क है 9424631467

This is a message of Dr. H D Gandhi from Dharmath Dawakhana Motinagar, Raipur, Chhatisgarh…In this message he is telling us how to make traditional health tonic to increase our power & immunity during winter season..To make Musli Paak boil 1 kg Musli (Chlorophytum borivilianum) & 1 kg Kounch seed (Mucuna pruriens) powder in milk…then roast this combination in 5 kg pure ghee & add 5 kg sugar candy…now add Vidarikand (Pueraria tuberose) , Gokhru, Satavar (Asparagus racemosus), Dry Ginger powder, Cinnamon powder, Cardamom powder, Nagkeser (Mesua ferrea), Clove powder, Nutmeg powder, Jaypatti and Vanshlochan (Bambusa arundinacea) each in 100 gm quantity…To boost your immunity take this preparation 10 gms with milk…Dr. H D Gandhi is at 9424631467

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