गुरुवार, 18 सितंबर 2014

कुदरती फेशियल

चेहरे को कांतिवान बनाने का एक कुदरती उपाय भी है। जो बड़ा आसान है। चाहें तो आप भी इसे अपना सकते हैं। प्राकृतिक चिकित्सक स्वर्गीय सोहनलालजी के चिकित्सालय में चेहरे पर साफा बांधा जाता था। काटन के कपड़े की एक छः इंच चौड़ी और छः सात फुट लंबी पट्टी लीजिए।
इसे लपेट कर रोल बना लीजिए। फिर इसे ठंडे पानी में भिगो कर हल्का सा निचोड़ लीजिए। फिर चित्र में दिखाए अनुसार चेहरे व सिर पर लपेट लीजिए। दस-पंद्रह मिनट तक पट्टी लपेटे बैठे रहिए। आप चाहें तो तकिए पर पोलिथीन रख कर लेट भी सकते हैं ताकि तकिया न भीगे। जब आप पंद्रह मिनट बाद पट्टी हटाएंगे तो आपको अपने चेहरे पर एक अलग ही चमक दिखाई देगी, मानो आपने किसी पार्लर में फेशियल कराया हो। इसके अन्य अनेक फायदे हैं। यह मस्तिष्क को ठंडक प्रदान करता है। सिर दर्द से राहत मिलती है। लगातार करते रहने से चेहरे के मुंहासे और झाइयां मिट जाती हैं। लगातार कम्प्यूटर पर कार्य करने से आँखें थक जाती हैं, ऐसे में यह साफा आँखों को ठंडक और आराम देता है। यह पूरी तरह कुदरती उपचार है। न तो पैसा लगता है न कोई साइड इफेक्ट होते हैं। इससे बाल भी मुलायम हो जाते हैं।

हेयर फॉल दूर करने में मेथी है रामबाण



मेथी का इस्तेमाल आपने अपने किचन में तो खूब किया होगा। मार्केट में आसानी से उपलब्ध हो जाने से लोग इसके फायदों से अनजान हैं, लेकिन क्या आपको पता है मेथी के ये दाने कितने फायदेमंद हैं। ये बालों की डैंड्रफ को तो दूर करता ही है साथ ही ये चेहरे के लिए, पेट के लिए और यहां तक कि पथरी की बीमारी में भी काफी फायदेमंद है। आइए आज हम आपको मेथी के फायदों के बारे में बताते हैं।

डैंड्रफ भी हो जाएगी दूर: डैंड्रफ होना बालों की एक आम समस्या है। यह सिर की त्वचा रूखी-सूखी होने और डेड स्किन सेल्स की वजह से होती हैं। इससे छुटकारा पाने के लिए आपने अब तक कई एंटी-डैंड्रफ शैंपू का इस्तेमाल कर लिया है लेकिन फिर भी यह समस्या नहीं जा रही है तो हम आपको इसका घरेलू उपाय बता रहे हैं। बालों से डैंड्रफ दूर करने के लिए मेथी दाने बहुत असरदार होते हैं। इसके लिए मेथी के दानों को मुलायम होने के लिए रात भर पानी में भिगो दें। सुबह इसको पीसकर पेस्ट बना लें। आप चाहें तो इसमें दही मिलाकर पेस्ट को स्कैल्प और बालों की जड़ों पर अच्छे से लगाएं, साथ ही मसाज भी करें। अब इसे 30 मिनट बाद धो लें।

बाल होते हैं मजबूतः मेथी के दाने बालों की जड़ों को मजबूत करते हैं और डैमेज्ड हेयर को पुनर्जीवित करते हैं। इसमें प्रोटीन होता है, इसलिए मेथी दानों को अपनी डाइट में शामिल करने से बाल हेल्दी और खूबसूरत बनेंगे। इसके लिए भीगी हुई मेथी के पेस्ट में एक या दो बड़ा चम्मच नारियल तेल या जैतून के तेल को मिलाकर बालों में लगाएं। सूखने के बाद इसे पानी से धो लें।
[ जारी है ]

पाचन में फायदेमंद: मेथी के दानों के सेवन से पेट दर्द और जलन दूर होती है। साथ ही पाचन क्रिया भी दुरुस्त होती है। पाचन संबंधी समस्या को दूर करने के लिए मेथी दानों के पेस्ट में कसी हुई अदरक मिलाएं और खाने से पहले एक बड़ा चम्मच इस पेस्ट को खाएं। इससे पेट से संबंधित रोग दूर होंगे।

डायबीटीज भी करती है कंट्रोल: मेथी के दानों से ब्लड शुगर कंट्रोल होता है। इसमें मौजूद एमीनो एसिड तत्व पैनक्रियाज में इंसुलिन के स्राव को बढ़ाता है जो शरीर से ब्लड शुगर लेवल कम करता है। स्टडी के अनुसार डायबीटीज के रोगियों द्वारा मेथी दानों के सेवन से फायदा होता है। इसके लिए मेथी के दानों को रात भर पानी में भिगोकर रख दें और सुबह इसे छानकर इसका पानी पिएं। ऐसा करीब दो महीने तक लगाकर करने से डायबीटीज में काफी हद तक आराम मिलेगा।

किडनी के लिए फायदेमंदः मेथी के सेवन से किडनी भी स्वस्थ होती है। पथरी के इलाज में मेथी फायदा करती है। इस जादुई औषधि से पथरी पेशाब के साथ शरीर से बाहर निकल जाती है। मेथी के दानों को एक छोटे चम्मच नींबू के रस और शहद के साथ खाने से बुखार में काफी हद तक आराम मिलता है।

पिंपल्स भी हो जाएंगे दूरः मेथी दाने पिंपल्स और ब्लैकहेड ट्रीटमेंट के लिए फायदेमंद है। इसके लिए मेथी के दानों को पीस कर पेस्ट बना लें और इसमें थोड़ा शहद मिलाएं। अब इसे मिक्सचर को रात में सोने से पहले पिंपल्स पर लगाएं और सुबह गुनगुने पानी से चेहरा धो लें। इस उपाय को लगातार करने से कुछ ही दिनों में आपको फर्क नजर आएगा।

वजन कम करने में उपयोगीः मेथी के दानों में फाइबर की मात्रा ज्यादा होती है। खाली पेट मेथी दानों को चबाने से एक्सट्रा कैलरी बर्न होती है। इसका दूसरा उपाय है कि सुबह दो गिलास मेथी का पानी पिएं। मेथी का पानी बनाने क लिए एक बड़ा चम्मच मेथी के दानों को दो गिलास पानी में रातभर भिगो दें और सुबह इसे छानकर पी लें।

बुधवार, 17 सितंबर 2014

जीरा

आपको ब्लड -प्रेशर भी है, एसिडिटी भी है, भूख भी नहीं लगती तो जीरे की शरण में जाइये। १०० ग्राम जीरा २५ ग्राम काली मिर्च और १२५ ग्राम मिश्री या बूरा मिला कर पीस लीजिये ,१-१ चम्म्च पानी से निगल लीजिये सुबह शाम दोनों समय। कम से कम १ माह तक लगातार। 

जीरा कैंसर से बचाता  है ,हर हाल में दोनों समय जीरा भोजन में प्रयोग कीजिये। 

जीरा हीमोग्लोबिन भी बढ़ाता है और प्रतिरोधक क्षमता भी। 

 जीरा हमारी त्वचा का सबसे अच्छा दोस्त है। जीरे का पतला पेस्ट तैयार कीजिये ,इस पेस्ट को साबुन की तरह पुरे बदन पर खूब मलिए। फिर सादे पानी से बिना साबुन के नहा लीजिये। सप्ताह में कम से कम एक बार इस क्रिया को करते रहने से स्किन डिजीज आपसे कोसों दूर रहेगी। 

जीरा मुंह की बदबू भी दूर करता है। भुने हुए जीरे को चबा-चबाकर चूसिये। 

खट्टी डकारें आ रही हो तो भुने हुए जीरे के चूर्ण में सेंधा नमक मिलाकर गर्म पानी से निगलिये ,एक-एक घंटे के अंतराल पर ३ बार लेना काफी होगा। पेट हल्का हो जाएगा। 

जीरा उल्टियां भी रोकता है। २ ग्राम जीरे के चूर्ण को एक गिलास पानी में डालिये ,स्वाद केअनुसार सेंधा नमक और नीबू मिलाइये और पी लीजिये ,तुरंत उलटी रुक जायेगी। 

पेट में बहुत तेज दर्द हो रहा हो तो २-३ ग्राम जीरे का चूर्ण शहद मिलाकर चाट लीजिये ,१० मिनट में ही दर्द गायब हो जाएगा। 

जीरा पेट के कीड़े भी मारता है।  २ ग्राम भुने हुए जीरे का चूर्ण शहद में मिलाकर सुबह खाली पेट चटाइए।  कीड़े मल के साथ बाहर निकल जायेंगे। 

जीरे से एक पाचक चूर्ण आप घर में बनाकर रखिये-जीरा सौंफ धनिया ५०-५० ग्राम लीजिये और भून लीजिये फिर इसमें ५० ग्राम अनारदाना ,२५ ग्राम काला नमक, १० ग्राम सेंधा नमक मिलाइये और सबके वजन के बराबर चीनी मिलाइये। एक साथ महीन पीस लीजिये अब इस मिश्रण में ३ नीबू का रस मिला दीजिये। तैयार हो गया पाचक चूर्ण। सुबह शाम १-१ चम्म्च खाइये या आवश्यकतानुसार खाइये। 

जीरे से मंजन भी बनता है जो मसूड़ा  सूज जाए तो बहुत काम आता है। २० ग्राम जीरा भून लीजिये उसमे २० ग्राम सेंधा नमक मिलाइये और महीन पीस लीजिये ,अब इससे मंजन करिये दांत मजबूत होंगे ,मसूड़ों की सूजन ख़त्म होगी। १०० तरह के पेस्ट पर यह अकेला मंजन भारी है।

जीरा गर्भवती नारी के लिए वरदान है। गर्भ के दौरान कब्ज होती है ,जिसकी वजह से बवासीर हो जाना आम बात है। कभी कभी खूनी बवासीर भी हो जाती है। ऎसी दशा में १-१ चम्म्च जीरा ,सौंफ और धनिया लीजिये रात में भीगा दीजिये एक गिलास पानी में। सवेरे इस पानी को उबालिये और आधा पानी जल जाय तो एक चम्म्च देशी घी मिलाकर पी लीजिये। यह काम सुबह शाम ५ दिनों तक कीजिये। बस रोग ख़त्म। 

कालाजीरा हार्ट अटैक के खतरे को ख़त्म कर देता है। २-२ ग्राम काले जीरे का पाउडर शहद में मिलाकर सुबह शाम चाटिये। 

काले जीरे को पानी में उबालकर उस पानी में बैठ जाइये तो खूनी बवासीर, और गर्भाशय और योनि की खुजली तीनो में फायदा मिलेगा। 

नवजात शिशु के मर जाने पर माता के स्तनों का दूध सुखाने के लिए काले जीरे को पानी में पीस कर लेप कर देना चाहिए ,अन्यथा या तो दूध बहता रहेगा या स्तनो में ही एकत्र होकर गांठ का रूप ले लेगा।    

   जहरीले बिच्छू आदि के काटने पर जीरे के चूर्ण और नमक को बराबर मात्रा  में मिला कर फिर उसमे घी मिलाकर मलहम बनाइये और काटे हुए स्थल पर लेप कर दीजिये। जहर उतर जायेगा। 

बहुत पुराना बुखार हो या मलेरिया हो ,काले जीरे का २-३ ग्राम पाउडर गुड मिला कर खा लीजिये। सुबह दोपहर शाम तीन बार ,बुखार गायब।

चाहे कितना भी पुराना हो सिर दर्द दूर करेगा ये मीठा पाक

इसके मुख्यतः दो कारण हैं- एक पित्त की अधिकता व दूसरा कब्ज। इसमें दीर्घकाल तक सतत दर्द रहता है अथवा महीने-दो महीने या इससे अधिक समय पर सिरदर्द का दौरा सा पड़ता है। इसके निवारण के लिए 500 ग्राम बादाम दरदरा कूट लें। 100 ग्राम घी में धीमी आँच पर सेंक लें। 750 ग्राम मिश्री की गाढ़ी, लच्छेदार चाशनी बनाकर उसमें यह बादाम तथा जावंत्री, जायफल, इलायची, तेजपत्र का चूर्ण प्रत्येक 3-3 ग्राम व 5 ग्राम प्रवालपिष्टी मिलाकर अच्छी तरह घोंट लें। थाली में जमाकर छोटे-छोटे टुकड़े काटकर सुरक्षित रख लें। 10 से 20 ग्राम सुबह दूध अथवा पानी के साथ लें। (पाचनशक्ति उत्तम हो तो शाम को पुनः ले सकते हैं।) खट्टे, तीखे, तले हुए व पचने में भारी पदार्थों का सेवन न करें।
*सिर दर्द मिटाने वाले आयुर्वेदिक नुस्खों के बारे में आप हमारे अन्य लेखों में विस्तार से हरिओमकेयर डॉट कॉम पर देख सकते है ।

बादाम अपने स्निग्ध व मृदु-विरेचक गुणों से पित्त व संचित मल को बाहर निकाल कर सिरदर्द को जड़ से मिटा देता है। साथ में मस्तिष्क, नेत्र व हृदय को बल प्रदान करता है।

अमेरिकन बादाम जिसका तेल, सत्त्व निकला हुआ हो वह नहीं, मामरी बादाम अथवा देशी बादाम भी अपने हाथ से गिरी निकाल से इस्तेमाल करो तो लाभदायक है। अमेरिकन बादाम का तेल गर्मी दे के निकाल देते हैं।

बौद्धिक काम करने वालों के लिए तथा शुक्रधातु की क्षीणता व स्नायुओं की दुर्बलता में भी यह बादामपाक अतीव लाभकारी है। स्वस्थ व्यक्तियों के लिए सर्दियों में सेवन करने योग्य यह एक उत्तम पुष्टिदायी पाक है।

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अनुशासन के बिना जीवन सफल नहीं हो सकता। हर व्यक्ति अपने विवेक से अनुशासित रहता है। जब तक विवेक प्रबुद्ध और जागरूक नहीं हो जाता है। ऐसे में सफल होने के लिए विवेक का जागृत होना जरूरी है। इसके लिए नीचे लिखी योगमुद्रा सबसे अच्छा उपाय है।



विधि- अनुशासन मुद्रा के लिए तर्जनी यानी इंडैक्स फिंगर अंगुली को सीधा रखें। शेष तीन अंगुलियों-कनिष्ठा छोटी अंगुली अनामिका   (रिंग फिंगर) और मध्यमा (मिडिल फिंगर) को अंगुठे के साथ मिलाएं। इस तरह बनने वाली मुद्रा को अनुशासन मुद्रा कहा गया है।

 
आसन- पद्मासन व सुखासन में इस मुद्रा का प्रयोग किया जा सकता है।

 
समय- रोज आठ मिनट से प्रारंभ करें। एक महिने तक रोज एक-एक मिनट बढ़ाएं।

 
लाभ- इस मुद्रा को करने से व्यक्ति अनुशासित होने लगता है। नेतृत्व क्षमताऔर कार्य क्षमता बढ़ती है। अपने आप में पौरुष का अनुभव होता है।

एक्जिमा नाशक दवा

5 नग माजूफल, 5 नग सुपारी, 5 दाने करंज, 5 दाने कुजले और सौरही थोड़ी (बच्चों के खेलने की)।

सबको एक मिट्टी के कुल्हड़ में रखकर कुल्हड़ का मुँह मिट्टी के ढक्कन से बंद कर गूँथा हुआ आटा लगाकर बंद कर दें। कुल्हड़ लाल हो जाए तब उतार लें। दवाओं की भस्म निकाल लें तथा पीसकर रख दें।

रस कपूर 20 ग्राम, सफेद खैर, मुर्दा शंख और छोटी इलायची के दाने तीनों 5-5 ग्राम इंच चारों को पीसकर चूर्ण कर लें और भस्म के चूर्ण के साथ मिला दें। शुद्ध चमेली के तेल में मिलाकर मलहम तैयार करें।

इस मलहम को एक्जिमा, दाद, खाज, खुजली वाले स्थान पर लगाएँ। कुछ दिनों में आराम मिलेगा।

बबासीर के मस्सों को कैसे नष्ट करें

1- नीम के कोमल पत्तियों को घी में भूनकर उसमें थोड़े-से कपूर डालकर टिकिया बना लें। टिकियों को गुदाद्वार पर बांधने से मस्से नष्ट होते हैं।

2- आधा चम्मच हर्र का चूर्ण गर्म पानी से सुबह-शाम खाने से बादी बवासीर बन्द हो जाती है।

3-नीम के कोमल पत्तियों को घी में भूनकर उसमें थोड़े-से कपूर डालकर टिकिया बना लें। टिकियों को गुदाद्वार पर बांधने से मस्से नष्ट होते हैं।

4- छोटी मक्खी को शहद और गाय का घी बराबर मात्रा में लेकर मस्सों पर लगायें। इस मिश्रण को बवासीर के मस्सों पर लगाने से कुछ सप्ताह में ही मस्से सूखकर गिर जाते हैं।

5-थूहर के दूध में हल्दी का बारीक चूर्ण मिलाकर उसमें सूत का धागा भिगोकर छाया में सुखा लें। इस धागे से मस्सों को बांधें, मस्से को धागे से बांधने पर 4-5 दिन तक खून निकलता है तथा बाद में मस्से सूख कर गिर जाते हैं। ध्यान रहे- इसका प्रयोग कमजोर रोगी पर न करें।

6- नीलाथोथा 20 ग्राम और अफीम 40 ग्राम लेकर इसे महीन कूट लें। इस चूर्ण को 40 ग्राम सरसों के तेल में मिलाकर पकायें। प्रतिदिन सुबह-शाम उस मिश्रण (पेस्ट) को रूई से मस्सों पर लगाने से मस्से 8 से 10 दिनों में ही सूखकर गिर जाते हैं।

7- मदार का दूध और हल्दी को पीसकर मस्सों पर रखकर लगोट बांधें। इसको लगाने से मस्से सूखकर ठीक हो जाते हैं।

8- कालीमिर्च और स्याहजीरा (काला जीरा) को बराबर मात्रा में मिलाकर चूर्ण बनायें। यह चूर्ण लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग से लगभग आधा ग्राम की मात्रा में शहद के साथ प्रतिदिन सुबह-शाम पीने से बवासीर ठीक होता है तथा बवासीर के मस्से भी ठीक होते हैं।

9- कालीमिर्च 3 ग्राम, पीपल 5 ग्राम, सौंठ 10 ग्राम तथा जिमीकन्द 20 ग्राम को सूखाकर महीन चूर्ण बना लें। उस चूर्ण में 200 ग्राम गुड़ डालकर अच्छी तरह मिला लें। इससे बेर के बराबर गोलियां बनाकर 1-1 गोली दूध या जल के साथ प्रतिदिन दो बार पीने से खूनी तथा बादी दोनों बवासीर ठीक होती है।

10- लौकी के पत्तों को पीसकर बवासीर के मस्सों पर बांधने से कुछ ही दिनों में लाभ दिखना शुरू हो जाता है।

11- लौकी या तुलसी के पत्तों को जल के साथ पीसकर अर्श (बवासीर) के मस्से पर दिन में दो से तीन बार लगाने से पीड़ा व जलन कम होती है तथा मस्से भी नष्ट होते है।

12- नीम की निबौली, कलमीशोरा, रसौत और हरड़ 10-10 ग्राम लेकर कूट-पीसकर, बारीककर मूली के रस में घोटकर जंगली बेर के बराबर गोलियां बना लें। सुबह-शाम एक-एक गोली ताजे पानी या मट्ठा के साथ खाने से खूनी बवासीर से खून आना पहले ही दिन बन्द हो जाता है और बादी बवासीर एक महीने के प्रयोग से पूरी तरह नष्ट हो जाती है।

13- मूली के रस में नीम की निबौली की गिरी पीसकर कपूर मिलाकर मस्सों पर लेप करने से मस्से सूख जाते हैं।

14- सूखे आंवलों का चूर्ण 20 ग्राम लेकर 250 मिलीलीटर पानी में मिलाकर मिट्टी के बर्तन में रातभर भिगोकर रखें। दूसरे दिन सुबह उसे हाथों से मलकर छान लें तथा छने हुए पानी में 5 ग्राम चिरचिटा की जड़ का चूर्ण और 50 ग्राम मिश्री मिलाकर पीयें। इसको पीने से बवासीर कुछ दिनों में ही ठीक हो जाते हैं और मस्से सूखकर गिर जाते हैं।

15- करेले के बीजों को सूखाकर इसका महीन पाउडर बनाकर इसे कपड़े से छान लें। इसके पाउडर में थोड़ी-सी शहद तथा सिरका मिलाकर मलहम बना लें। इस मलहम को लगातार 20 दिन तक मस्सों पर लगाने से मस्से सूख जाते हैं, तथा बवासीर (अर्श) रोग ठीक हो जाता है।

16- बवासीर के मस्सों को दूर करने के लिए 2 प्याज को भूमल (धीमी आग या राख की आग) में सेंककर छिलका उताकर लुगदी बनाकर मस्सों पर बांधने से मस्से तुरन्त नष्ट हो जाते हैं।

17- चाय की पत्तियों को पीसकर मलहम बना लें और इसे गर्म करके मस्सों पर लगायें। इस मलहम को लगाने से मस्से सूखकर गिरने लगते हैं।

18- लगभग 60 ग्राम काले तिल खाकर ऊपर से ठंड़ा पानी पीने से बिना खून वाली बवासीर (वादी बवासीर) ठीक हो जाती है। दही के साथ पीने से खूनी बवासीर भी नष्ट हो जाती है।

19- मेंहदीं के पत्तों को जल के साथ पीसकर गुदाद्वार पर लगाकर लंगोट बांधे। इससे मस्से सूख कर गिर जाते हैं।

20- बैंगन को जला लें। इनकी राख शहद में मिलाकर मरहम बना लें। इसे मस्सों पर लगायें। मस्से सूखकर गिर जायेंगें।

21- हरसिंगार के बीजों को छील लें। 10 ग्राम बीज में 3 ग्राम कालीमिर्च मिलाकर पीसकर गुदा पर लगाने से बादी बवासीर ठीक होती है।

22- छोटी हरड़, पीपल और सहजने की छाल का चूर्ण बनाकर उसी मात्रा में मिश्री मिलाकर खायें। इससे बादी बवासीर ठीक होती है।

23- सांप की केंचुली को जलाकर उसे सरसों के तेल में मिलायें। इस तेल को गुदा पर लगाने से मस्से कटकर गिर जाते हैं।

24- कपूर को आठ गुना अरण्डी के गर्म तेल में मिलाकर मलहम बनाकर रखें। पैखाने के बाद मस्सों को धोकर और पौंछकर मस्सों पर मलहम को लगायें। इसको लगाने से दर्द, जलन, चुभन आदि में आराम रहता है तथा मस्से सूखकर गिर जाते हैं।

25- फूली हुई और दर्दनाक बवासीर पर हरी या सूखी भांग 10 ग्राम अलसी, 30 ग्राम की पुल्टिश बनाकर बांधने से दर्द और खुजली मिट जाती है।

26- तुलसी के पत्ते का रस निकालकर इसे नीम के तेल में मिलाकर प्रतिदिन सुबह-शाम मस्सों पर लगाएं। मस्सों पर इसको लगाने से मस्से जल्द ठीक हो जाते हैं।

27- चुकन्दर खाने व रस पीते रहने से बवासीर के मस्से समाप्त हो जाते हैं।

28- बवासीर के मस्सों पर करीब एक महीने तक लगातार पपीते का दूध लगाने से मस्से सूख जाते हैं।

29- भूनी फिटकरी और नीलाथोथा 10-10 ग्राम को पीसकर 80 ग्राम गाय के घी में मिलाकर प्रतिदिन सुबह-शाम मस्सों पर लगायें। इससे मस्से सूखकर गिर जाते हैं।

30- कनेर की जड़ को ठंड़े पानी के

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