सोमवार, 23 मार्च 2015

रोज़ाना वर्कआउट के बावजूद इन 23 आदतों की वजह से बढ़ सकता है मोटापा


 उच्च रक्तचाप, डाइबिटीज जैसी गंभीर बीमारियों में मोटापा भी शामिल हो चुका है। या यूं कहें कि इन दोनों बीमारियों की जड़ ही मोटापा है। दुनिया का हर दूसरा या तीसरा व्यक्ति इस बीमारी से जूझ रहा है, लेकिन इस समस्या का उचित समाधान नहीं मिल पा रहा। कोई वजन घटाने के लिए डाइटिंग कर रहा है तो कोई रोजाना एक्सरसाइज। इस बात से अंजान होकर कि खान-पान में थोड़ा-सा बदलाव करके हम इस समस्या से छुटकारा पा सकते हैं। साथ ही मोटापे के कारण होने वाली कई प्रकार की बीमारियों से भी। आइए जानते हैं क्या है ये आदतें जो जाने-अंजाने हमारा वजन बढ़ाने में मुख्य भूमिका निभा रही हैं।

1. ओवर इटिंग

आपके पास फैट बढ़ाने वाले खाने-पीने की चीज़ों की लंबी लिस्ट होगी। इन फूड्स को आप खाने से बचते भी हैं। लेकिन उसे खाने की अपनी इच्छा को नहीं मार पाते जो ओवर इटिंग का कारण भी बन जाती है। इसके लिए जरूरी है कि फैट बढ़ाने वाली अपनी मनपसंद चीज़ें कभी-कभार खा लें जिससे आपका मन भरा रहे और आप ओवर इटिंग से बचे रहें।

2. ज्यादा तनाव

तनाव हमारी सेहत का सबसे बड़ा शत्रु है। तनाव से हमारे शरीर में कॉरटिसोल का स्तर बढ़ जाता है। साथ ही वसा और कार्बोहाइड्रेट का भी। तनाव के कारण हम कई बार अपनी भूख को नजरअंदाज कर देते हैं, लेकिन फिर जब भूख लगती है तो हम जरूरत से ज्यादा खा भी लेते हैं। इसके लिए जरूरी है कि हम तनाव कम करने वाली एक्सरसाइज़ और योगासन करें।

Other Reasons: जंक फूड खाना, भूखा रहना, घूमना-फिरना, Genes (जीन), केमिकल इम्बैलेंस, गलत धारणा बना लेना, खड़े होकर खाना, इच्छानुसार खाना-पीना, हेल्दी खाने की अधिकता, नाश्ता ना करना, हर किसी की सलाह लेना, कैल्शियम की कम मात्रा, बैठकर-लेटकर खाना, कम सोना, देर से खाना, जल्दीबाजी में खाना, ऊंची हील पहनना, भावुक होकर खाना, हरी सब्ज़ियां नहीं खाना, खाली पेट एक्सरसाइज करना, एक्सरसाइज से पहले गलत खान-पान।

शुक्रवार, 20 मार्च 2015

मुंह के छाले ठीक करने से लेकर HIV कंट्रोल करने में सक्षम है BANANA


  
 केले के बारे में दुनिया जानती है। किसी शहर या कस्बे का कोई भी बाजार ऐसा नहीं जहां केला बिकते हुए ना मिलें। घर-घर में पसंद किया जाने वाला केला 10 हजार साल से हमारे जीवन का हिस्सा है और आने वाले सैकड़ों हजारों सालों तक इस फल को हम सराहते रहेंगे। महज एक फल के तौर पर जाने वाले केले के बारे में बहुत कम लोग ही जानते हैं कि इसके पौधे में औषधीय गुणों का खज़ाना है। चलिए आज जानते हैं आधुनिक औषधि विज्ञान जगत ने केले के किन-किन गुणों को क्लिनिकल तौर पर प्रमाणित किया है। क्या सिर्फ स्टार्च से भरपूर होने के अलावा केले में और भी कुछ है जो आम तौर पर ज्यादा लोगों को नहीं पता?
मुंह के छाले ठीक करता है
कई आर्टिफिसल और केमिकल्स वाली दवाएं जैसे एस्पिरिन, इण्डोमेथासिन, सिस्टियामाइन, हिस्टामाइन आदि के सेवन के बाद कई लोगों को मुंह में छाले आ जाते हैं। आधुनिक शोधों से जानकारी मिलती है कि कच्चे केले को सुखाकर चूर्ण बना लिया जाए और इस चूर्ण को चाटा जाए, तो मुंह के छालों को ठीक कर देता है।

पथरी बाहर निकालता है
केले के तने का रस पथरी में बेहद कारगर है। एक शोध के अनुसार केले के तने का रस किडनी में होने वाली पथरी, खास तौर से ओक्सालेट की बनी पथरी को तोड़कर पेशाब मार्ग से बाहर निकाल देता है।
एचआईवी कंट्रोल करता है
अनेक शोधों के परिणामों पर नजर डाली जाए, तो जानकारी मिलती है कि केले में वायरस नियंत्रण के जबरदस्त गुण होते हैं। कुछ शोध तो इसे MRSA और HIV के नियंत्रण तक के लिए उपयोगी मानते हैं।

हेल्थ, त्वचा और बालों के लिए फायदेमंद है Mango, इसमें छिपे हैं ये गुण


 गर्मियां अपने साथ आमों का सीज़न भी लेकर आती है। फलों का राजा आम शायद ही किसी को नापसंद हो और जब ये पता चले कि आम ना सिर्फ स्वाद, बल्कि सेहत के लिहाज से भी बहुत फायदेमंद है, तो भला कौन इसे नहीं चखेगा। हमारे यहां आम के कई प्रकार पाए जाते हैं। इसी के चलते अलग-अलग आम के आकार और स्वाद में भी अंतर पाया जाता है। हापुस, बादाम, तोतापरी, लंगड़ा, सिंदूरी, नीलम, रत्नागिरी, लालपत्ता आदि आम की ही कुछ प्रजातियों के नाम हैं। आम कच्चे और पके दोनों ही रूपों में बड़ा उपयोगी है।
आम में अमिनो एसिड, विटामिन ए, सी और ई, नियासिन और बीटा-कैरोटीन, आयरन, कैल्शियम, मैग्नीशियम, पोटैशियम, विभिन्न प्रकार के एन्जाइम अत्यधिक मात्रा में पाए जाते हैं। विटामिन ए बाहरी वातावरण और कई प्रकार के जीवाणुओं के प्रभाव को रोकता है, तो वहीं विटामिन सी त्वचा के रोगों से बचाता है। विटामिन डी दांतों और हड्डियों के लिए बहुत फायदेमंद होता है।
कोलेस्ट्रॉल कम करता है
रोजाना आम खाने से इसमें मौजूद एडिपोनेक्टिन एक्स्ट्रा कोलेस्ट्रॉल का लेवल धीरे-धीरे कम करता है। और इंसुलिन बनने की प्रक्रिया को बढ़ाता है जिससे एक्स्ट्रा कोलेस्ट्रॉल अपने आप ऊर्जा में बदल जाता है। आम में लेप्टिन नामक केमिकल होता है जिससे भूख कम लगती है। इससे एक्स्ट्रा कैलोरी भी बर्न हो जाती है। पोटैशियम की भरपूर मात्रा हृदय गति और ब्लड प्रेशर दोनों को सुचारू रूप से चलाते हुए हार्ट अटैक के खतरे को कम करती है।
त्वचा निखारे
आम वाला फेस मास्क स्क्रबिंग के लिए भी काफी उपयोगी माना जाता है। इसमें पाए जाने वाले एंटीऑक्सीडेंट्स खासतौर पर विटामिन सी त्वचा को स्वस्थ रखने के साथ ही उसकी चमक को भी बनाए रखते हैं। आम में मौजूद फ्लेवोनॉयड्स त्वचा के रोम छिद्र (ओपन पोर्स) खोलकर मुहांसों को कम करते हैं। आम में पाया जाने वाला बीटा- कैरोटीन नामक तत्व विटामिन ए को कई तत्वों में बांट देता है, जो त्वचा को चमकदार बनाने के साथ ही उसे स्वस्थ भी रखते हैं। साथ ही विटामिन ई फ्री रेडिकल्स को खत्म करता है, जो समय से पहले बुढ़ापे को कम करता है और त्वचा की सफाई कर दाग-धब्बों से छुटकारा दिलाता है।
उपाय- खूबसूरत त्वचा पाने के लिए आम को खाने के बाद उसके छिलकों को फेंकने के बजाय उसके गूदे को अपनी त्वचा पर लगाकर 10-15 मिनट सूखने दें। उसके बाद गुनगुने पानी से धो लें। इतने आसान से तरीके को अपनाकर आप पा सकती हैं चंद मिनटों में दमकती त्वचा।
अन्य लाभ:- लू से बचाता है, आंखों के लिए फायदेमंद, पाचन क्रिया सही रखता है,किडनी की बीमारियां दूर करता है, कैंसर से बचाव, रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है, याददाश्त बढ़ाता है, लव लाइफ सुधारता है, आम से पाएं दमकती त्वचा, ब्लैकहेड्स दूर करता है, उम्र कम करता है, रंग निखारता है, काले धब्बे दूर करे, कील-मुहांसे दूर करे, क्लींजर का काम करता है, फेसवॉश का काम करे, पपड़ी की परत उतारे, सेंसिटिव स्किन के लिए भी फायदेमंद, रूसी की समस्या दूर करे, बालों को झड़ने और सफेद होने से रोके।

आलू खाने से वज़न बढ़ता नहीं, बल्कि घटता है, ये हैं इसे खाने के फायदे


: भारत में आलू और इसकी सब्ज़ी, चिप्स, कचौड़ी, फ्रेंचफ्राइस लोगों को बहुत पसंद आते हैं, लेकिन अधिक चर्बी वाला समझकर, लोग इसे खाने से परहेज़ करते हैं। ऐसा नहीं है कि आलू मोटापा बढ़ाता है। इसमें विटामिन सी, विटामिन बी, आयरन, कैल्शियम और फॉस्फोरस पाए जाते हैं। आलू स्किन हेल्थ के लिए भी बहुत फायदेमंद है।
पारंपरिक तौर पर आलू का इस्तेमाल आदिवासी सदियों से करते आ रहे हैं। मध्यप्रदेश के पातालकोट घाटी और गुजरात के डांग जिले में आदिवासी आलू को सब्जी के तौर पर इस्तेमाल करते हैं। चलिए जानते हैं 10 आदिवासी हर्बल फॉर्मूलों के बारे में।
वजन कम करने में सहायक
उबले आलुओं पर हल्का-सा नमक छिड़क दिया जाए और उस व्यक्ति को दिया जाए जो वजन कम करना चाहता है, तो फायदा पहुंचता है। आदिवासियों के अनुसार ये सही नहीं है कि आलू मोटापा बढ़ाता है।
वज़न आलुओं की वजह से नहीं बढ़ता, बल्कि आलू को तलने के लिए इस्तेमाल में लाए जाने वाले तेल, घी आदि से बढ़ता है। कच्चे आलू या आलू जिसे तेल, घी आदि के बगैर पकाया जाए, तो वज़न कम करने में मदद मिलती है, क्योंकि इसमें कैलोरी के नाम पर कुछ खास नहीं होता है।
पेट के छालों के लिए कारगर फॉर्मूला
मध्यम आकार के आलू का रस तैयार किया जाए और करीब एक गिलास मात्रा का रस प्रतिदिन सवेरे लिया जाए, तो पाचन तंत्र ठीक होने लगता है। इस रस के सेवन से एसिडिटी नियंत्रण में भी जबरदस्त फायदा होता है। आदिवासियों की मान्यता है कि यह रस पेट के छालों के लिए भी बेहद कारगर फॉर्मूला है।
अन्य लाभ:- ब्लड प्रेशर कंट्रोल करता है, रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है, घाव और छाले ठीक करता है, नींद न आने की समस्या दूर होती है, मस्से खुद टूट जाते हैं, बवासीर में आराम मिलता है, एनीमिया से बचाता है, सुंदर त्वचा के लिए फायदेमंद, बालों को मजबूत बनाता है।

बुधवार, 18 मार्च 2015

स्नान के लिए प्राकृतिक घरेलु पाउडर सुन्नी पिंडी बनाने की विधि


बाजार में कई पाउडर उपलब्ध हैं पर सुन्नी पिंडी एक ऐसी पारंपरिक पाउडर है जो आंध्र प्रदेश के लोगों द्वारा इस्तेमाल की जाती है| यह त्वचा से मृत कोशिकाएं हटाकर उसे मुलायम करने में मदद करती है| कई घरों में यह पाउडर साबुन की जगह पर इस्तेमाल की जाती है|

सुन्नी पिंडी
सामग्री

    हरे चने का आटा – २५० ग्राम
    चने की दाल – २५० ग्राम
    काबुली चना – २५० ग्राम
    ताज़ी पीसी हुई हल्दी – २५ ग्राम
    मुलतानी मिटटी – २०० ग्राम
    गुलाब की पंखुड़ियों का पाउडर – ३० ग्राम
    संतरे के छिलके का पाउडर – ३० ग्राम
    नीम के पत्तों का पाउडर – ३० ग्राम
    शती – ३० ग्राम
    चावल का आटा – ३० ग्राम
    गेहू का आटा – ३० ग्राम
    तुलसी का पाउडर – १० ग्राम
    ४-५ बादाम
    १ बड़ा चम्मच मेथी के बीज

ऊपर दी गयी सामग्री में से जितनी उपलब्ध हो वह इस्तेमाल की जा सकती है| इनसे मिश्रण को अच्छी खुशबु मिलती है और यह त्वचा से सभी प्रकार के दाग धब्बे मिटाकर मृत कोशिकाओं को हटाता है| यह सामग्री किसी भी आयुर्वेदिक भंडार या किराने की दूकान पर आसानी से मिल सकती है|

    हरे चने का आटा, चने की दाल का आटा और काबुली चने का आटा त्वचा से धुल, मिटटी, लगाया हुआ तेल और अतिरिक्त पानी हटाते हैं|
    मेथी के बीज मिश्रण के सभी घटकों को बांधे रखते हैं|
    नींबू से त्वचा पर से गहरे रंग की परत हटती है| तुलसी और नीम त्वचा की कई बिमारियों से रक्षा करते हैं|
    शती और गुलाब की पंखुड़ियाँ सुन्नी पिंडी के मिश्रण को अच्छी खुशबु देते हैं जिस कारण आप इस फेस पैक को घंटो तक अपने चेहरे पर सहन कर सकें|

सुन्नी पिंडी बनाने की विधि

    ताजा हरे चने, चना दाल और काबुली चने लेकर उन्हें धुप में २ दिन के लिए सुखाएं| फिर उन्हें पीसकर आटा बना लें| घर के मिक्सर के ब्लेड को नुकसान से बचाने के लिए बाहर की चक्की में पिसवाने की सलाह है|
    हरे चने का आटा, चने की दाल का आटा, काबुली चने का आटा, हल्दी और अन्य सामग्री मिलाकर यह मिश्रण कांच के बर्तन में अच्छी तरह से ढक्कन लगाकर संग्रहित करें|

इस्तेमाल करने का तरिका

    सुन्नी पिंडी को पानी, दूध, नींबू का रस, मसली हुई ककड़ी, टमाटर का रस या दही इनमे से किसी एक में मिलाएं और पेस्ट बनाएं|
    जिस भाग पर आपको सुन्नी पिंडी लगानी हो उस पर तील का तेल, नारियाल का तेल, जैतून का तेल या सरसों का तेल इनमे से किसी एक तेल से मालिश करें|
    तेल लगाने से सुन्नी पिंडी त्वचा से अच्छी तरह से चिपक जाती है|
    सुन्नी पिंडी को त्वचा पर सूखने के लिए छोड़ दें और सूखने पर पानी से धो डालें|
    सुन्नी पिंडी आपकी त्वचा से धुल, मिटटी हटाकर मृत कोशिकाओं को भी निकालती है| इससे आपकी त्वचा मुलायम, साफ़ और उजली दिखती है|
    सुन्नी पिंडी त्वचा में खून के बहाव को नियमित करती है|

अगर रोज संभव न हो तो हफ्ते में एक बार सुन्नी पिंडी का उपचार करें और अपनी त्वचा को साफ़ सुथरी और मुलायम पायें|

कुंदरू के सेवन से उतर जाता है चश्मा, लाल भाजी से बढ़ते हैं ब्लड प्लेटलेट्स


: कुंदरू की जड़ों, तनों और पत्तियों में कई गुण हैं। ये चर्म रोगों, जुकाम, फेफड़ों के शोथ तथा डायबिटीज़ में लाभदायक बताया गया है। इसके अलावा अगर आप अपने खान-पान में सुधार करके आंखों से चश्मा हटाना चाहते हैं, तो भी कुंदरू का सेवन लाभ पहुंचाता है। कुंदरू के अलावा ऐसे कई आहार हैं, जिनके नियमित सेवन से हम स्वस्थ ज़िंदगी जी सकते हैं। इन आहारों को आदिवासी अपने भोजन में ज़रूर शामिल करते हैं।
आदिवासी भोजन और उसके गुण:
आदिकाल से ही वनस्पतियां मनुष्यों और जंतुओं के आहार का मुख्य स्त्रोत रही हैं। ग्रामीण, आदिवासी और वनांचलों के नजदीक रहने वाले लोग हमेशा से विभिन्न प्रकार की वन संपदाओं को ही अपना आहार अंग बनाए हुए हैं। एक तरफ हमारे गांव और जंगल हैं, वहीं दूसरी तरफ तथाकथित विकसित समाज है जिसने ज्यादा विकसित होने की दौड़ में अपने लालन-पालन में पोषक तत्वों को कहीं खो दिया है। पिछले दो दशकों में विश्व के तमाम बड़े वैज्ञानिकों ने अपनी शोध से ये साबित भी किया है कि आदिवासियों के प्राकृतिक आहार को अगर आज की दौड़ भरी जिंदगी में लोग अपना लें, तो सूक्ष्म तत्वों की कमी से होने वाले अनेक रोगों की छुट्टी हो सकती है। आइए हम भी जानते हैं कुछ ऐसे ही आहार के बारे में जो हम सभी की बेहतर सेहत के लिए रामबाण साबित हो सकते हैं।

चश्मा हटाए कुंदरू का सेवन
आदिवासियों के अनुसार कुंदरू के फल की अधकच्ची सब्जी लगातार कुछ दिनों तक खाने से आखों से चश्मा तक उतर जाता है। साथ ही माना जाता है कि इसकी सब्जी के निरंतर उपभोग से बाल झड़ने का क्रम बंद हो जाता है। यह गंजेपन से भी बचा जा सकता है।
ब्लड प्लेटलेट्स बढ़ाता है हरा और लाल साग
आदिवासियों के भोजन में हरी पत्तियों वाली साग-भाजियों की भरमार होती है। आदिवासियों के अनुसार शरीर में ताकत और चपलता बढ़ाने के लिए लाल भाजी बड़ी ही महत्वपूर्ण है, जबकि कुल्थी, डोमा और चौलाई जैसी भाजियां रक्त के लाल कणों (RBC) की संख्या बढ़ाने के साथ ब्लड प्लेटलेट्स को भी बढ़ाते हैं। यानी आपकी ताकत बढ़ाने और आपको स्वस्थ रखने की ताकत इन भाजियों में समाहित है।

मंगलवार, 17 मार्च 2015

स्तन कैंसर रोकती है पत्ता गोभी,चुकंदर दवाओं के साइड इफेक्ट्स करता है कम



 महिलाओं में स्तन कैंसर जैसी घातक बीमारी से निपटने के लिए इन आठ वनस्पतियों को काफी महत्वपूर्ण माना जाता है। इन आठ वनस्पतियों और इनमें पाए जाने वाले रसायनों पर औषधि विज्ञान जगत में जबरदस्त शोध जारी है। चलिए आज जिक्र करते हैं इन्हीं आठ वनस्पतियों के बारे में और जानते हैं कि आखिर क्या कहती है मॉडर्न रिसर्च। साथ ही ये भी जानते हैं कि किस तरह ये वनस्पतियां महिलाओं में स्तन कैंसर को रोक सकती हैं या उपचार करने में कारगर साबित हो सकती हैं।
पत्ता गोभी: इंडोल-3-कार्बिनोल नामक रसायन पत्ता गोभी में काफी मात्रा में पाया जाता है। आधुनिक शोधों से जानकारी मिलती है कि यह रसायन स्तन कैंसर होने की संभावनाओं को काफी हद तक कम करता है।
चुकंदर: लाल चुकंदर का काढ़ा मल्टी ऑर्गन ट्यूमर्स की वृद्धि रोकने में कारगर है। अब वैज्ञानिक इसके काढ़े या जूस को अन्य कैंसर औषधियों के साथ उपयोग में लाने का प्रयास कर रहे हैं, ताकि कैंसर दवाओं के साइड इफेक्ट्स को कम करने में भी मदद मिले।

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