मंगलवार, 17 जुलाई 2012

मसालों से बना फर्स्ट एड बॉक्स



प्रकृति ने हमें अनेक बहुमूल्य जड़ी-बूटियाँ एवं मसाले उत्तम स्वास्थ्य के लिए उपहार में दिए हैं। मसालों को सामान्यतया स्वास्थ्यवर्धक एवं पाचक माना जाता है। अतः मसालों एवं जड़ी-बूटियों का एक फर्स्ट एड बॉक्स बनाकर हम घरेलू उपचार में प्रयोग कर सकते हैं। ठीक वैसे हीजैसे हमारी दादी-नानी करती हैं।
मसालों से घरेलू उपचार
हल्दी आयुर्वेद के अनुसार हल्दी ऊष्णसौंदर्य बढ़ाने वालीरक्तशोधककफ वात नाशक आदि होती है। सर्दी-खाँसी में गरम पानी से हल्दी की फँकी देने से आराम मिलता है तथा बलगम भी निकल जाता है। हल्दी एंटीबायटिक का काम भी करती है। इसे फेस पैक के रूप मेंबेसन के साथ लगाने से त्वचा में निखार आता है।

अदरक यह पाचक है। पेट में कब्जगैस बननावमनखाँसीकफजुखाम आदि में इसे काम में लाया जाता है। अदरक का रस और शहद मिलाकर चाटते रहने से दमे में आराम मिलता हैसाथ ही भूख भी बढ़ती है। यह पाचन ठीक करता है। नीबू-नमक से बना सूखा अदरक आप यात्रा में साथ रख सकते हैं।
मैथीदाना : मैथीदाना खून को पतला करता हैमल को बाँधता है। मधुमेह रोगी के लिए मैथीदाना रामबाण औषधि है। नित्य खाली पेट एक टी स्पून मैथी दाने का चूर्ण या आखा मैथी दाना पानी के साथ लेने से कब्ज व घुटने के दर्द में आराम मिलता है। साथ ही यह शरीरकी अतिरिक्त चर्बी छाँटने में भी कारगर है। सर्दियों में यह बेहद फायदा करता है।

जीरा जीरा पाचक और सुगंधित है। खाने में अरुचिपेट फूलनाअपच आदि को दूर करता है। जीराअजवाइन पीसकर थोड़ा सा सेंधा नमक डालकर भोजन के बाद लेने से पाचन ठीक रहता है। उल्टी की शिकायत भी बंद हो जाती है। जीरा कृमीनाशक एवं ज्वर निवारक भी है।

सौंफ सौंफ शीतल प्रकृति की औषधि है। भोजन के बाद मुखशुद्धि में इसका प्रयोग होता है। गर्मी में ठंडाई में डाली जाती है। भूनी हुई सौंफ और मिश्री समान मात्रा में पीसकर हर दो घंटे बाद ठंडे पानी के साथ फँकी लेने से मरोड़दार दस्तआँव और पेचिश में लाभ होता है। यह कब्ज को दूर करती है। बादामसौंफ और मिश्री तीनों बराबर भागों में लेकर पीसकर भर दें और रोज दोनों टाइम भोजन के बाद टी स्पून लें। इससे स्मरणशक्ति बढ़ती है।

आँवला आँवला एक ऐसा फल है जिसे सुखाने से भी विटामिन सी पर्याप्त मात्रा में बना रहता है। पौष्टिक है और शोधक रक्त विकार दूर करता हैनेत्र ज्योति बढ़ाता है। आँवले के रोज सेवन से बाल काले रहते हैं। आँवले का प्रयोग रोज सभी को किसी न किसी रूपमें करना चाहिए।

तुलसी तुलसी ज्वरनाशक है तथा शीत प्रधान रोग में यह विशेष रूप से काम में ली जाती है। इसका काढ़ा बनाकर पिलाते हैं। यह कृमिनाशक व वायुनाशक है।
· अजवाइन कफवातनाशक एवं पित्तवर्धक है। अजवाइन के तेल की मालिश से सूजन और दर्द में आराम मिलता है। खाँसी एवं श्वास रोग में इसका चूर्ण या नमकीन सूखा अजवाइन मुँह में रखने से आराम मिलता है। यह भूख बढ़ाता है। अजीर्णअपच एवं उदरशूल मिटाता है। जीवाणु वृद्धि को भी रोककर एंटीबायोटिक की भूमिका निभाता है।

धनिया धनिया का गुण ठंडक पहुँचाना है। यह नेत्र ज्योति बढ़ाता है। इसकी पंजेरी बनाकर गर्मी में रोज खाना चाहिए।

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छोटी हरड़ भोजन के बाद लेने से गैस नहीं बनतीपाचन ठीक रहता है व भोजन ठीक से हजम होता हैखाना खाने के बाद एक छोटी हरड़ चूसना चाहिए।
लेंडीपीपल यह पौष्टिक और पाचक है। प्रातः दूध और शहद के साथ लें तो बलवर्धक है। बच्चों की पसली चलने पर भूनी पीपल का जरा सा चूर्ण शहद में मिलाकर खिलाने से आराम मिलता है। जिगर बढ़ना,तिल्ली बढ़नाअफराअपचवमनअजीर्ण तथा श्वास खाँसी में लाभदायक है।
हींग आयुर्वेद के अनुसार हींग पेट की अग्नि बढ़ाने वालीपित्तवर्धक,मल बाँधने वालीखाँसीकफअफरा मिटाने वाली एवं हृदय से संबंधित छाती के दर्दपेट दर्द को मिटाने वाली औषधि है। भोजन में रोज इसका प्रयोग होता है। बच्चों के पेट में कृमि हो जाए तो हींग पानी में घोलकर पिलाते हैं। बहुत छोटे बच्चों के पेट में दर्द होने पर एकदम थोड़ी-सी हींगपानी में घोलकर पेट पर हल्के से मालिश करने से लाभ होता है।
पुदीना इसका गुण शीतल है। इसे लू लगने परसिरदर्द होने पर पीसकर ठंडाई की तरह पिलाया जाता है। छाले व मसूड़ों के दर्द में इसके पानी के कुल्ले करने से आराम मिलता है। मुँह दुर्गंधनाशक भी है।
यही आपके स्वास्थ्य के लिए प्राकृतिक घरेलू दवाइयाँ हैं। इनका एक फर्स्ट एड बॉक्स बनाकर साथ रखा जा सकता है। लेकिन किसी भी प्रयोग के पूर्व सही मात्रा में सामग्री और प्रयोग संबंधित जानकारी की पुष्टि अवश्य करें।

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