गुरुवार, 18 नवंबर 2010

सिर्फ मरीजों की सब्जी नहीं है परवल

सिर्फ मरीजों की सब्जी नहीं है परवल
परवल दो तरह के होते हैं -एक कडुवा और दूसरा मीठा
बाज़ार में केवल मीठे परवल ही आते हैं जिनकी हम सब्जी खाते हैं. इसकी लताएँ होती हैं ,जो घरों में गमले में लगाई जा सकती हैं. एक बार लगाने पर एक से ज्यादा फसल इनसे मिलती है.
परवल बनाने के तो हजार तरीके प्रचलित हैं ,पर आइये आज देखते हैं कि इनका औषधीय उपयोग क्या है?
***सबसे पहले यह देखिये कि परवल में खून शुद्ध करने का बहुत महत्वपूर्ण गुण पाया जाता है. अगर शरीर में फोड़े -फुंसियां ज्यादा मात्रा में निकाल रही हैं तो बस परवल की कम मसालेदार सब्जी खाना शुरू कर दीजिये २१ दिनों में ही खून की सारी अशुद्धता दूर हो जायेगी और फोड़े फुंसियां निकलना बंद हो जायेंगी
***अगर कहीं आपको कडुवा परवल मिल जाए तो वो आपके गंजेपन को चुटकी बजाते ही दूर कर देगा. कडुवे परवल का रस निकालिए और उसे गंजे सर पर सिर्फ सात दिनों तक लेप कीजिए और रात भर छोड़ दीजिये , नए बाल उग आयेंगे
*** परवल के पत्तों का रस भी गंजेपन को दूर कर देता है ,२१ दिन लगाना पडेगा
*** चेचक निकली हो तो परवल की जड़ का काढा बस दो बार आधा आधा कप पिला दीजिये
*** अगर सर में दर्द हो तो परवल की जड़ को घिस कर मलहम बना लीजिये और उसे माथे पर लेप दीजिये, फ़ौरन आराम मिलेगा
*** हैजा हो गया हो तो परवल और इसके पत्ते की ही सब्जी बार बार खिलाये ,बेहद आराम महसूस होगा .
*** अपच की शिकायत हो या पेट कमजोर हो तो परवल और इसके पत्तों का काढा बनाइये और मिश्री या शक्कर मिला कर आधा आधा कप सुबह शाम ३ दिनों तक पिला दीजिये
देखा आपने परवल कितना गुणकारी होता है ,भला डाक्टर्स इसे खाने की राय न दें तो क्या करें ,इसकी उपेक्षा बहुत मुश्किल है.
मुझे उम्मीद है कि आप लोग खोज-खाज कर दोनों तरह के परवल अपने गमलों में लगा लेंगे क्योंकि बाजार में तो सिर्फ परवल मिलता है ,इसके पत्ते और जड़ तो मिलते नहीं .
सिर्फ मरीजों की सब्जी नहीं है परवल

सरसों का तेल

सरसों का तेल
सरसों का तेल कोई नई चीज़ नहीं है आपके लिए लेकिन है बड़े काम की चीज़ बस रात में सोते समय दोनों नाक में दो दो बूँद डाल लीजिये . पांच दिनों तक लगातार ये काम कीजिए ,उसके बाद जब कभी याद आ जाए तो फिर डाल लीजिएगा .इसके फायदे---
**जो खांसी किसी दवा से अच्छी न हो रही हो वह इस प्रक्रिया से अच्छी हो जायेगी
**श्वास लेने में होने वाली सारी तकलीफें ख़त्म
**शरीर में हल्कापन महसूस होगा
**श्वास फूलना ख़त्म**नाक बंद हो जाना, ख़त्म . बड़ी तकलीफ होती है जब जाड़े के दिनों में नाक जाम हो जाती है और मुंह से श्वास लेनी पड़ती है, छोटे बच्चे तो इस तकलीफ से सबसे ज्यादा परेशान होते हैं और रो रोकर पूरा घर सिर पे उठा लेते हैं.और आसानियाँ तो आप जब ये काम करेंगे तो खुद ही महसूस करेंगे.

शुक्रवार, 12 नवंबर 2010

पेट में पीडा

पेट में पीडा
पेट में पीडा होने की व्याधि वक्छ(छाती) से तलपेट के मध्य के क्छेत्र में किसी भी जगह मेहसूस हो सकती सिद्ध होते हैं-
१) पेट दर्द मे हींग का प्रयोग लाभकारी है। २ ग्राम हींग थोडे पानी के साथ पीसकर पेस्ट बनाएं। नाभी पर और आस पास यह पेस्ट लगावें । लेटे रहें। इससे पेट की गैस निष्काषित होकर दर्द में राहत मिल जाती है।
२) अजवाईन तवे पर सेक लें । काला नमक के साथ पीसकर पावडर बनाएं। २-३ ग्राम गरम पानी के साथ दिन में ३ बार लेने से पेट का दर्द दूर होता है।
३) जीरा तवे पर सेकें। २-३ ग्राम की मात्रा गरम पानी के साथ ३ बार लें। इसे चबाकर खाने से भी लाभ होता है।
४) पुदिने और नींबू का रस प्रत्येक एक चम्मच लें। अब इसमें आधा चम्मच अदरक का रस और थोडा सा काला नमक मिलाकर उपयोग करें। यह एक खुराक है। दिन में ३ बार इस्तेमाल करें।
५) सूखा अदरक मुहं मे चूसने से पेट दर्द में राहत मिलती है।
६) कुछ पेट दर्द के रोगी बिना दूध की चाय पीने से पेट दर्द में आराम मेहसूस करते हैं।
७) अदरक का रस नाभी स्थल पर लगाने और हल्की मालिश करने से उपकार होता है।
८) अगर पेट दर्द एसिडीटी (अम्लता) से हो रहा हो तो पानी में थोडा सा मीठा सोडा डालकर पीने से फ़ायदा होता है।
९) पेट दर्द निवारक चूर्ण बनाएं। भुना हुआ जीरा, काली मिर्च, सौंठ( सूखी अदरक) लहसून, धनिया,हींग सूखी पुदीना पत्ती , सबकी बराबर मात्रा लेकर महीन चूर्ण बनावें। थोडा सा काला नमक भी मिश्रित करें। भोजन पश्चात एक चम्मच की मात्रा मामूली गरम जल से लें। पेट दर्द में आशातीत लाभकारी है।
१०) हरा धनिया का रस एक चम्मच शुद्ध घी मे मिलाकर लेने से पेट की व्याधि दूर होती है।
१०) अदरक का रस और अरंडी का तेल प्रत्येक एक चम्मच मिलाकर दिन में ३ बार लेने से पेट दर्द दूर होता है।
११) अदरक का रस एक चम्मच,नींबू का रस २ चम्मच में थोडी सी शकर मिलाकर प्रयोग करें । पेट दर्द में उपकार होता है। दिन में २-३ बार ले सकते हैं।
१२) अनार पेट दर्द मे फ़ायदे मंद है। अनार के बीज निकालें । थोडी मात्रा में नमक और काली मिर्च का पावडर बुरकें। दिन में दो बार लेते रहें।
१३) मैथी के बीज पानी में गलाएं। पीसकर पेस्ट बनाएं। यह पेस्ट २०० ग्राम दही में मिलाकर दिन में दो बार लेने से पेट के विकार नष्ट होते हैं।
१४) इसबगोल के बीज दूध में ४ घंटे गलाएं। रात को सोते वक्त लेते रहने से पेट में मरोड का दर्द और पेचिश ठीक होती है।
१५) सौंफ़ में पेट का दर्द दूर करने के गुण है। १५ ग्राम सौंफ़ रात भर एक गिलास पानी में गलाएं। छानकर सुबह खाली पेट पीते रहें। बहुत गुणकारी उपचार है।

गुरुवार, 11 नवंबर 2010

गर्भाशय (बच्चेदानी) का अपने स्थान से हट जाने का प्राकृतिक चिकित्सा से उपचार:-

गर्भाशय (बच्चेदानी) का अपने स्थान से हट जाने का प्राकृतिक चिकित्सा से उपचार:-
1. गर्भाशय में सूजन हो जाने पर स्त्री रोगी को चार से पांच दिनों तक फलों का रस पीकर उपवास रखना चाहिए, फिर इसके बाद बिना पका संतुलित आहार लेना चाहिए।
2. गर्भाशय में सूजन से पीड़ित स्त्री को कभी भी नमक, मिर्चमसाला वाला, तली भुनी चीजें तथा मिठाईयां आदि नहीं खानी चाहिए।
3. गर्भाशय में सूजन हो जाने पर स्त्री के पेट पर मिट्टी की गीली पट्टी लगानी चाहिए। इसके बाद एनिमा देनी चाहिए और फिर गर्म कटिस्नान कराना चाहिए। इसके बाद टब में नमक डालकर पन्द्रह से बीस मिनट तक स्त्री को इसमें बैठाना चाहिए।
4. गर्भाशय में सूजन से पीड़ित स्त्री को प्रतिदिन दो से तीन बार एक-दो घंटे तक अपने पैर को एक फुट ऊंचा उठाकर लेटना चाहिए और आराम करना चाहिए। इसके बाद रोगी स्त्री को श्वासन क्रिया करनी चाहिए जिसके फलस्वरूप उसका रोग ठीक हो जाता है।

गर्भाशय की सूजन

गर्भाशय की सूजन
कारण:
ऋतुकालीन (माहवारी) असावधानियों का कुप्रभाव यदि गर्भाशय को प्रभावित करता है तो उसमें शोथ (सूजन) उत्पन्न हो जाती है। इसमें रोगी महिला को बहुत अधिक कष्ट उठाना पड़ता है।
लक्षण:
गर्भाशय की सूजन होने पर महिला को पेडू में दर्द और जलन होना सामान्य लक्षण हैं, किसी-किसी को दस्त भी लग सकते हैं तो किसी को दस्त की हाजत जैसी प्रतीत होती है किन्तु दस्त नहीं होता है। किसी को बार-बार मूत्र त्यागने की इच्छा होती है। किसी को बुखार और बुखार के साथ खांसी भी हो जाती है। यदि इस रोग की उत्पन्न होने का कारण शीत लगना हो तो इससे बुखार की तीव्रता बढ़ जाती है।
नीम
नीम, सम्भालू के पत्ते और सोंठ सभी का काढ़ा बनाकर योनि मार्ग (जननांग) में लगाने से गर्भाशय की सूजन नष्ट हो जाती है।
नीम
नीम, सम्भालू के पत्ते और सोंठ सभी का काढ़ा बनाकर योनि मार्ग (जननांग) में लगाने से गर्भाशय की सूजन नष्ट हो जाती है।
बादाम रोगन
बादाम रोगन एक चम्मच, शर्बत बनफ्सा 3 चम्मच और खाण्ड पानी में मिलाकर सुबह के समय पीएं तथा बादाम रोगन का एक फोया गर्भाशय के मुंह पर रखें इससे गर्मी के कारण उत्पन्न गर्भाशय की सूजन ठीक हो जाती है।
बजूरी शर्बत या दीनार
बजूरी या दीनार को दो चम्मच की मात्रा में एक कप पानी में सोते समय सेवन करना चाहिए। इससे गर्भाशय की सूजन मिट जाती है।
अशोक
अशोक की छाल 120 ग्राम, वरजटा, काली सारिवा, लाल चन्दन, दारूहल्दी, मंजीठ प्रत्येक को 100-100 ग्राम मात्रा, छोटी इलायची के दाने और चन्द्रपुटी प्रवाल भस्म 50-50 ग्राम, सहस्त्रपुटी अभ्रक भस्म 40 ग्राम, वंग भस्म और लौह भस्म 30-30 ग्राम तथा मकरध्वज गंधक जारित 10 ग्राम की मात्रा में लेकर सभी औषधियों को कूटछानकर चूर्ण तैयार कर लेते हैं। फिर इसमें क्रमश: खिरेंटी, सेमल की छाल तथा गूलर की छाल के काढ़े में 3-3 दिन खरल करके 1-1 ग्राम की गोलियां बनाकर छाया में सुखा लेते हैं। इसे एक या दो गोली की मात्रा में मिश्रीयुक्त गाय के दूध के साथ सुबह-शाम सेवन करना चाहिए। इसे लगभग एक महीने तक सेवन कराने से स्त्रियों के अनेक रोगों में लाभ मिलता है। इससे गर्भाशय की सूजन, जलन, रक्तप्रदर, माहवारी के विभिन्न विकार या प्रसव के बाद होने वाली दुर्बलता इससे नष्ट हो जाती है।
पानी
गर्भाशय की सूजन होने पर पेडू़ (नाभि) पर गर्म पानी की बोतल को रखने से लाभ मिलता है।
एरण्ड
एरण्ड के पत्तों का रस छानकर रूई भिगोकर गर्भाशय के मुंह पर 3-4 दिनों तक रखने से गर्भाशय की सूजन मिट जाती है।
चिरायता
चिरायते के काढ़े से योनि को धोएं और चिरायता को पानी में पीसकर पेडू़ और योनि पर इसका लेप करें इससे सर्दी की वजह से होने वाली गर्भाशय की सूजन नष्ट हो जाती है।
रेवन्दचीनी
रेवन्दचीनी को 15 ग्राम की मात्रा में पीसकर आधा-आधा ग्राम पानी से दिन में तीन बार लेना चाहिए। इससे गर्भाशय की सूजन मिट जाती है।
कासनी
कासनी की जड़, गुलबनफ्सा और वरियादी 6-6 ग्राम की मात्रा में, गावजवां और तुख्म कसुम 5-5 ग्राम, तथा मुनक्का 6 या 7 को एक साथ बारीक पीसकर उन्हें 250 ग्राम पानी के साथ सुबह-शाम को छानकर पिला देते हैं। यह उपयोग नियमित रूप से आठ-दस दिनों तक करना चाहिए। इससे गर्भाशय की सूजन, रक्तस्राव, श्लैष्मिक स्राव (बलगम, पीव) आदि में पर्याप्त लाभ मिलता है।

सोमवार, 8 नवंबर 2010

बांझपन (Sterility)

बांझपन (Sterility)
परिचय:-
इस रोग के कारण रोगी स्त्री को बच्चा नहीं होता हैं, इसलिए इस रोग को बांझपन कहते है। इस रोग के कारण रोगी स्त्री में गर्भधारण करने की असमर्थता रहती है। यदि औरत को बच्चा नहीं होता है तो उसे परिवार तथा समाज में बहुत से मानसिक कष्ट मिलते हैं। इस रोग का प्राकृतिक चिकित्सा से उपचार किया जा सकता है।
कारण-
1. स्त्रियों के प्रजन्न अंग का सही तरह से विकसित न होना।
2. किसी दुर्घटना या चोट के कारण प्रजन्न अंग में कुछ खराबी आना।
3. पुरुषों के वीर्य में शुक्राणु का न होना क्योंकि ऐसे पुरुष जब स्त्रियों से संभोग क्रिया करते हैं तो इनके वीर्य में शुक्राणु न होने के कारण स्त्रियों के डिम्ब में शुक्राणु नहीं पहुंचता है। इसलिए स्त्री गर्भवती नहीं हो पाती है।
4. स्त्रियों को अनियमित मासिकधर्म का रोग होने के कारण भी स्त्री गर्भवती नहीं हो पाती है।
5. चिंता, तनाव तथा डर आदि के कारण भी स्त्री गर्भवती नहीं हो पाती है।
बांझपन से पीड़ित स्त्री का प्राकृतिक चिकित्सा से उपचार-
1. स्त्री को गर्भधारण कराने के लिए उसकी योनि के स्नायु स्वस्थ हो इसके लिए स्त्री का सही आहार, उचित श्रम एवं तनाव रहित होना जरूरी है तभी स्त्री गर्भवती हो सकती है इसलिए स्त्री को इस पर अधिक ध्यान देना चाहिए।
2. स्त्री को गर्भधारण करने के लिए यह भी आवश्यक है कि योनिस्राव क्षारीय होना चाहिए इसलिए स्त्री का भोजन क्षारप्रधान होना चाहिए। इसलिए उसे अधिक मात्रा में अपक्वाहार तथा भिगोई हुई मेवा खानी चाहिए।
3. इस रोग से पीड़ित स्त्रियों को अपने इस रोग का इलाज करने के लिए सबसे पहले अपने शरीर से विजातीय द्रव्यों को बाहर निकालना चाहिए इसके लिए स्त्री को उपवास रखना चाहिए। इसके बाद उसे 1-2 दिन के बाद कुछ अंतराल पर उपवास करते रहना चाहिए।
4. इस रोग से पीड़ित स्त्रियों को दूध की बजाए दही का इस्तेमाल करना चाहिए।
5. स्त्री को गुनगुने पानी में एक चम्मच शहद एवं नींबू का रस मिलाकर पीना चाहिए।
6. इस रोग से पीड़ित स्त्रियों को ज्यादा नमक, मिर्च-मसाले, तले-भुने खाने वाले पदार्थ, चीनी, चाय, काफी मैदा आदि चींजों का सेवन नहीं खानी चाहिए।
7. इस रोग से पीड़ित स्त्रियों को यदि कब्ज हो तो इसका इलाज तुरंत कराना चाहिए।
8. बांझपन को दूर करने के लिए स्त्रियों को विटामिन `सी´ तथा `ई´ की मात्रा वाली चीजें जैसे नींबू, संतरा, आंवला, अंकुरित, गेहूं आदि का भोजन में सेवन अधिक करना चाहिए।
9. स्त्रियों को सर्दियों में प्रतिदिन 5-6 कली लहसुन चबाकर दूध पीना चाहिए, इससे स्त्रियों का बांझपन जल्दी ही दूर हो जाता है।
10. जामुन के पत्तों का काढ़ा बनाकर फिर इसको शहद में मिलाकर प्रतिदिन पीने से स्त्रियों को बहुत अधिक लाभ मिलता है।
11. बड़ (बरगद) के पेड़ की जड़ों को छाया में सुखाकर कूट कर छानकर पाउडर बना लें। फिर इसे स्त्रियों के माहवारी समाप्त होने के बाद तीन दिन लगातार रात को दूध के साथ लें। इस क्रिया को तब तक करते रहना चाहिए जब तक की स्त्री गर्भवती न हो जाए।
12. स्त्री के बांझपन के रोग को ठीक करने के लिए 6 ग्राम सौंफ का चूर्ण घी के साथ तीन महीने तक लेते रहने से स्त्री गर्भधारण करने योग्य हो जाती है।
13. स्त्री के बांझपन के रोग को ठीक करने के लिए उसके पेड़ू पर मिट्टी की गीली पट्टी करनी चाहिए तथा इसके बाद उसे कटिस्नान कराना चाहिए और कुछ दिनों तक उसे कटि लपेट देना चहिए। इसके बाद स्त्री को गर्म पानी का एनिमा देना चाहिए।
14. रूई के फाये को फिटकरी में लपेटकर तथा पानी में भिगोकर रात को जब स्त्री सो रही हो तब उसकी योनि में रखें। सुबह के समय में जब इस रूई को निकालेंगे तो इसके चारों ओर दूध की खुरचन की तरह पपड़ी सी जमा होगी। जब तक पपड़ी आनी बंद न हो तब तक इस इस क्रिया को प्रतिदिन को दोहराते रहना चाहिए। ऐसा कुछ दिनों तक करने से स्त्री गर्भ धारण करने योग्य हो जाती है फिर इसके बाद स्त्री को पुरुष के साथ संभोग क्रिया करनी चाहिए।
15. स्त्री को सहवास करने के लिए कम से कम 6 महीने का समय रखना चाहिए इससे उसके प्रजनन अंगों को आराम मिलेगा और स्त्रियों की योनि की क्रिया सही से होगी। इससे प स्त्रियों के बांझपन का रोग कुछ ही समय में दूर हो जाता है।
16. स्त्रियों के बांझपन की समस्या को दूर करने के लिए प्राकृतिक चिकित्सा के अनुसार कई प्रकार के आसन भी है जिनको करने से उसकी बांझपन की समस्या कुछ ही दिनों में दूर हो सकती है।
17. बांझपन को दूर करने के आसन निम्न हैं- सर्वांगासन, मत्स्यासन, अर्ध मतेन्द्रासन, पश्चिमोत्तानासन, शलभासन आदि।
18. स्त्री में बांझपन का रोग उसके पति के कारण भी हो सकता है इसलिए स्त्रियों को चाहिए कि वह अपने पति का चेकअप कराके उनका इलाज भी कराएं और फिर अपना भी उपचार कराएं।
19. यदि स्त्री-पुरुष दोनों में से किसी के भी प्रजनन अंगों में कोई खराबी हो तो उसका तुरंत ही इलाज कराना चाहिए।

गुरुवार, 4 नवंबर 2010

आंत कृमि

आंत कृमि (Intestinal Worms)
परिचय :
आंतों में कई तरह के कीड़े पैदा होते हैं। जिनमें सूत्रकृमि, केंचुए और फीता कृमि खास हैं। आंतों में इसके होने से गुदा में खुजली, भूख न लगना, कब्ज, सिर दर्द आदि लक्षण भी प्रकट होते हैं। कभी-कभी पतले दस्त भी आने लगते हैं। इसे दूर करने के लिए लीवर का स्वस्थ होना जरूरी है। इन कृमियों के अलावा भी कुछ कृमि होते हैं जो अनाज वगैरह को भी खत्म करते हैं।

एरंड का तेल :
काला जीरा, अजवाइन और पलाश को बराबर मात्रा में लेकर चूर्ण बना लें और सोते समय खा लें। दूसरे दिन सुबह के समय एरंड का तेल लें। इससे आंतों के कीडे़ मर जाते हैं।

सोया :
सोया का काढ़ा 40 ग्राम सुबह-शाम पीने पेट में होने वाले कीड़े खत्म हो जाते हैं।
बांस :
बांस के पत्तों को पीसकर रस निकालकर बच्चों को बस्ति (एनिमा क्रिया) दी जाये तो सूत्रकृमि खत्म होते हैं।
सागौन :
सागौन की छाल या लकड़ी का चूर्ण यदि 3 से 12 ग्राम सुबह-शाम खाये तो आंतों के कीड़े खत्म हो जाते हैं।
नारियल :
आंतों के चिपटे कीड़ों को खत्म करने के लिए पीड़ित रोगी को रात में एक नारियल की गरी खिलाकर सवेरे दस्त आने के लिए कोई औषधी खिला दें। इससे आंतों के कीड़े मरकर बाहर निकल आते हैं।
शहतूत :
शहतूत के पेड़ की छाल का काढ़ा 50 से 100 ग्राम की मात्रा में खाने से आंत के कीड़े मरकर बाहर निकल आते हैं।
सेब :
सेब के पेड़ की जड़ 10 ग्राम से 20 ग्राम पीसकर सुबह शाम खाने से कीड़े मरकर मल के साथ बाहर निकल जाते हैं।

बिजौरा नींबू :
बिजौरा नींबू की जड़ 10 ग्राम पीसकर रोज सवेरे 2-4 दिनों तक पिलाने से कीड़े खत्म होते हैं।

करेले :
आंतों के कीड़े खत्म करने के लिए करेले का रस गरम पानी में लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग मिलाकर खाने से पूरा फायदा होता है और कीड़े खत्म होते हैं।
कच्चे अनानास :
कच्चे अनानास का रस नियमित रूप से खाने से आंतों के कीड़े खत्म होते हैं।
अजवायन :
किरमानी अजवायन का चूर्ण डेढ़ ग्राम से 3 ग्राम सुबह-शाम खाने से आंत के कीड़े खत्म होते हैं।
पुदीना :
पुदीना के पत्तों को खाने से आंतों के दर्द और कीड़े दूर होते हैं।

टमाटर :
टमाटर के रस में कालीमिर्च और कालानमक मिलाकर नियमित सुबह खाली पेट खाने से एक हफ्ते में ही कीड़े खत्म हो जाते हैं।

हींग :
पानी में हींग घोलकर नाभि के नीचे लगाने से आंतों के कीड़े मल के साथ बाहर आ जाते हैं।
गाजर :
गाजर को कद्दूकस कर नियमित खिलाने से आंतों के कीड़े मर जाते हैं।

बथुआ :
आंतों में कीड़े होने पर बथुआ का साग खाना लाभदायक होता है।
अखरोट :
अखरोट के पत्तों का रस 10 से 20 ग्राम खाने से पेट के कीड़े खत्म होते हैं।
अखरोट का तेल बताशे में 15 से 20 बूंद डालकर या दूध में मिलाकर सुबह-शाम खाने से आंत के कीड़े खत्म होते हैं।
अनार :
अनार के जड़ की छाल 1 से 2 ग्राम खाने से आंतों के कीड़े खत्म हो जाते हैं। इसे नियमित सुबह-शाम दें। अनार के फल का छिलका भी इसी मात्रा में लेने से कीड़ नष्ट होते हैं।
अनार का रस आंतों के कीडे़ और दस्तों में लाभकारी होता है। लीवर की कार्यक्षमता को बढ़ाता है और पाचन में सहायता करता है।
लहसुन :
लहसुन का रस 10 से 30 बूंद को दूध में मिलाकर सुबह-शाम खाने से पेट के कीड़े खत्म होते हैं।
लहसुन के रस में शहद मिलाकर खाने से आंत के कीड़े खत्म हो जाते हैं।
लहसुन को बायविडंग के चूर्ण के साथ खाने से आंत के कीडे़ समाप्त हो जाते हैं।
नमक :
बच्चों के पेट में कीड़े होने पर नमक मिलाकर गुनगुना पानी पिला दें। नाभि पर हल्दी पीसकर लगा दें। दो से तीन दिनों तक ऐसा करने से बच्चों के पेट के सारे कीड़े खत्म हो जाते हैं।
बच्चों के आंतों के कीड़ों में नमक मिलाकर हल्का गरम पानी मिलाकर पिला दें। नाभि पर हल्दी पीसकर लगा दें। ऐसा रोज करने से तीन दिनों में आंतों के सारे कीड़े खत्म हो जाते हैं।
सूत्रकृमि में नमक के लेप को नाभि के नीचे लगाने से लाभ होता है।
केला :
केला शहद में भिगोकर रात के समय खायें। अगले दिन सुबह के समय एरण्डी का तेल लें। इससे कीड़े मल के साथ बाहर निकल जाते हैं।

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