बुधवार, 24 नवंबर 2010

तेलों में छिपे महत्व को समझें


शरीर के विकास के लिये अतिरिक्त कैलोरी की जरूरत होती है तेल कैलोरी का एक मुख्य व ठोस स्त्रोत है ।बच्चों को इसकी जरूरत करीब- करीब अठारह बीस साल की उम्र तक अधिक होती है इसके बाद अतिरिक्त तेल का जरूरत धीरे धीरे कम पडती जाती है और अगर फिर भी आप लगातार अधिक तेल इस्तेमाल करते रहे तो मोटापे के साथ-साथ और कई बीमारियों के शिकार हो सकते है ।कारण तेल में होने वाले कोलेस्ट्रॉल जो हमारे क् लिये नुकसाल दायकककक होता है ।ज्यादातर सभी तलों गी फूड़वैल्यू एक जैसी होती है ।तेल का मेडिकल नाम ट्रइग्लाइसराइडहैं ।तेल अपने में खुद बेस्वाद होता है परंतु सब्जियों में स्वाद उसमें डाले गये मसाले तथा नमक के कारण होता है ।

1. नीम का तेल- नीम के कड़वा होने के बावजूद भी उसमें अनेक गुण हैं। इसका तेल चर्म रोगों में लाभदायक है। कारण यह जीवाणुओं का नाश करता है। नीम के निंबोली का तेल गर्भ निरोधक के रूप में काम आता है। पायरिया रोग में इस तेल की कुछ बूंदें टूथ पेस्ट में डाल कर ब्रश करें। मुंह की बदबू खत्म होगी। मसूड़ों के रोग नष्ट होंगे। इसका तेल बाजार में उपलब्ध है।

2. जैतून का तेल- जैतून का तेल कोई साधारण तेल नहीं है। इसकी मालिश से शरीर काफी आराम मिलता है। यहां तक कि लकवा जैसे रोगों तक को ठीक करने की क्षमता रखता है। इससे अगर आप महिलाएं अपने स्तन के नीचे से ऊपर की ओर मालिश करें, तो स्तन पुष्ट होते हैं। सर्दी के मौसम में इस तेल से शरीर की मालिश करें, तो ठंड का एहसास नहीं होता। इससे चेहरे की मालिश भी कर सकते हैं। चेहरे की सुंदरता एवं कोमलता बनाये रखेगा। यह सूखी त्वचा के लिए उपयोगी है।

3. तिल का तेल- तिल विटामिन ए व ई से भरपूर होता है। इस कारण इसका तेल भी इतना ही महत्व रखता है। इसे हल्का गरम कर त्वचा पर मालिश करने से निखार आता है। अगर बालों में लगाते हैं, तो बालों में निखार आता है, लंबे होते हैं।जोड़ों का दर्द हो, तो तिल के तेल में थोड़ी सी सोंठ पावडर, एक चुटकी हींग पावडर डाल कर गर्म कर मालिश करें। तिल का तेल खाने में भी उतना ही पौष्टिक है विशेषकर पुरुषों के लिए।

4. अलसी का तेल- जिस तरह अलसी तमाम औषधीय गुणों से भरपूर है, उसी तरह इसका तेल भी महत्व रखता है। अगर त्वचा जल जाये, तो अलसी का तेल लगाने से दर्द व जलन से राहत मिलती है। इसमें विटामिन ई होता है। इसका कुष्ठ रोगियों को सेवन करना चाहिए। त्वचा पर लाभ होगा।

5. अरण्ड का तेल- इस तेल से सिर पर मालिश करने पर ठंडा महसूस होता है। बालों की जड़ों को मुलायम बनाता है। अरण्ड का तेल दो चम्मच दूध में डालकर अगर सेवन करते हैं, तो कब्ज की शिकायत दूर होती है। पेट की किसी भी तकलीफ में अरण्ड का तेल दवा जैसा काम करता है। शरीर पर लगाने से त्वचा का रंग साफ होता है। इसके सेवन से स्मरण शक्ति भी बढ़ती है।

6. मूंगफली का तेल- जिस तरह मूंगफली पौष्टिक होती है। उसी तरह उसका तेल भी लाभदायक होता है, पचने में हल्का। इसके सेवन से प्रोटीन मिलता है। रक्त में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा को कंट्रोल करता है। इसलिए हृदय रोगी इसका सेवन कर सकते हैं। इसके सेवन से जोड़ों के दर्द में लाभ होता है। इसके मालिश से चर्म रोगों में आराम मिलता है।

7. सरसों का तेल- सरसों का तेल मालिश करने पर शरीर के रक्त संचार को बढ़ाता है। थकान दूर करता है। नवजात शिशु एवं प्रसूता की मालिश इसी तेल से करनी चाहिए। सर्दियों में इस तेल की मालिश लाभदायक है। सरसों के तेल को पैर के तलुओं में सुखाने से थकान तुरंत मिटती है तथा नेत्रज्योति बढ़ती है। दाद, खाज, खुजली जैसे चर्म रोग से निजात पायी जा सकती है। चर्म रोग पर सरसों का तेल, आक का तेल, हल्दी डाल कर गर्म करें। ठंडा हो जाने पर लगायें। सरसों का तेल गुनगुना कर पिंडलियों पर लगायें, दर्द ठीक हो जायेगा। गठिया पर सरसों के तेल से मालिश करने पर आराम मिलता है।सरसों का तेल नियमित रूप से बालों पर लगाते रहने से बाल समय से पहले सफेद नहीं होते। सरसों के तेल में सेंधा नमक डाल कर मसूड़ों की मालिश करें। पायरिया ठीक होगा। मसूड़ों से खून आना बंद होगा। बच्चों या बड़ों को जुकाम हो जाये, तो तेल में लहसुन पका कर तेल वापस थोड़ा ठंडा होने पर सीने पर मालिश करें। सर्दी-जुकाम ठीक हो जाता है।

8. राई का तेल- राई का तेल निमोनिया रोग से बचाव करता है। इस तेल की हल्की-हल्की मालिश कर के गुनगुनी धूप लें। इस तरह नियमित रूप से करने पर निमोनिया में फायदा होता है।

9. नारियल का तेल- नारियल के तेल में कपूर मिला कर यदि त्वचा पर लगायें, तो दाद, खाज, खुजली की शिकायत दूर होती है। यदि त्वचा जल जाये, तो तुरंत नारियल का तेल उस पर लगायें, निशान नहीं पड़ेगा। उस पर कुछ दिनों तक लगाते रहें। यह तेल बालों के लिए भी बेहतर होता है।

10. आंवले का तेल- इसमें विटामिन सी और आयरन होता है, जो बालों के लिए पोषक है। बालों के लिए आंवले का तेल बहुत अच्छा है।

फेंके नहीं इस्तेमाल की हुई चाय पत्ती

फेंके नहीं इस्तेमाल की हुई चाय पत्ती
चाय बनाने के बाद छनी हुई चाय की पत्तियां अक्सर लोग बेकार समझकर फेंक देते हैं, लेकिन हम आपको यह बताएगें कि आप इन चाय की पत्तियों को फिर से कैसे इस्तेमाल करें -
- हाथ-पांव या किसी अंग में कट गया हो और खून बह रहा हो, तो इसे भर दें।
- बालों को मुलायम बनाने के लिए चाय की पत्ती को मेहंदी, आंवला के साथ सर पर लगायें अच्छी तरह सूख जाने पर धोयें।
-चाय की पत्ती कपड़े में बांध कर उबलते छोले में डाल दें। इससे छोला रंगदार व स्वादिष्ट बन जाएगा। -चाय की पत्ती को पानी में डालकर उबालें उस पानी से लकडी़ के फर्नीचर और शीशा साफ करें। दाग धब्बे छूट जायेंगे व चमकदार हो जाते हैं।
-बनी हुई चाय की पत्ती अच्छी तरह धो लें। उसमें मिठास न रह जाय। उसे मनीप्लांट और गुलाब पौधे में डालें यह खाद का काम करेगी।
-बनी हुई चाय की पत्ती दुबारा पानी में डाल कर उबालें। उस पानी से घी और तेल के डब्बे साफ करें। इससे डब्बे की दुर्गंध जाती रहेगी।
-जिस स्थान पर अधिक मक्खियां बैठ रही हों। वहां धोयी हुई चाय की पत्ती को गीला करके रगड़ दें।
-चाय की पत्ती में थोड़ा सा विम पाउडर मिलाकर क्राकरी साफ करें। उसमें चमक आ जाएगी।

गुरुवार, 18 नवंबर 2010

ये बुखार ,प्लेटलेट्स और हीमोग्लोबिन

ये बुखार ,प्लेटलेट्स और हीमोग्लोबिन
सभी बाढ़ग्रस्त क्षेत्रों में बुखार का प्रकोप है बल्कि यूं कहिये कि जहां बुखार नहीं वहाँ पेट दर्द, उल्टी, चक्कर वगैरा वगैरा ... रोज मेरे पास देश के विभिन्न भागों से प्लेटलेट्स बढ़ाने और हीमोग्लोबिन बढाने के लिए जड़ी-बूटियाँ पूछी जा रही हैं. आप सभी की समस्यायों को देखते हुए मैंने आज ये ही चीजें आपको बताने का निर्णय लिया है ---
-अगर हल्का सा भी बुखार महसूस हो तो सबसे पहले एक बड़ा चम्मच अजवाईन आप पानी से निगल लीजिये और अश्वगंधा का चूर्ण भी एक बड़ा चम्मच पानी से निगल लीजिये ,दोनों के बीच में आधे घंटे का गैप रख सकते हैं. इससे या तो बुखार चढने नहीं पायेगा या चढ़ गया तो तकलीफदेह नहीं होगा न ही ज्यादा नुक्सान पहुंचाएगा.
दूसरा काम तुरंत दूध का प्रयोग बंद कीजिए , काली चाय पीकर काम चलाइये . अजवाईन और अश्वगंध लगातार ५ दिन खाते रहिये, बुखार हो गया हो तो भी और न हुआ हो (रुक गया हो) तो भी. जो लोग बुखार और अस्पताल की प्रक्रिया से वापस आ चुके हैं वे शरीर को हुई क्षतिपूर्ति के लिए अजवाईन ,अश्वगंधा ,गिलोय और हरीमिर्च का सहारा लें . इनसे ताकत , खून की कमी, प्लेटलेट्स सभी सामान्य दशा में लौटेगी .
प्रतिदिन ६ ग्राम अश्वगंधा का पावडर सुबह सवेरे पानी से निगलें, फिर नाश्ता फिर अजवाईन ५ ग्राम पानी से निगलें. दोपहर में गिलोय का पावडर केवल ४ ग्राम खाएं पानी से ही निगलना होगा फिर लंच .साथ ही दिन भर में आपको ६-७ हरी मिर्च कच्ची ही खानी होगी नाश्ते,लंच और डिनर में. ये बहुत जरूरी है .
चाय में दालचीनी पकाकर पियें , चेहरे की चमक भी लौट आयेगी अंग्रेजी दवाओं के साइड इफेक्ट भी ख़त्म होंगे इन दवाओं से ज्यादा सुरक्षित और सस्ता तरीका और कोई नहीं है सिर्फ ७ दिन के प्रयोग में ही आपको जादू जैसा असर दिखाई देगा .ईश्वर सभी को स्वस्थ रखें

सिर्फ मरीजों की सब्जी नहीं है परवल

सिर्फ मरीजों की सब्जी नहीं है परवल
परवल दो तरह के होते हैं -एक कडुवा और दूसरा मीठा
बाज़ार में केवल मीठे परवल ही आते हैं जिनकी हम सब्जी खाते हैं. इसकी लताएँ होती हैं ,जो घरों में गमले में लगाई जा सकती हैं. एक बार लगाने पर एक से ज्यादा फसल इनसे मिलती है.
परवल बनाने के तो हजार तरीके प्रचलित हैं ,पर आइये आज देखते हैं कि इनका औषधीय उपयोग क्या है?
***सबसे पहले यह देखिये कि परवल में खून शुद्ध करने का बहुत महत्वपूर्ण गुण पाया जाता है. अगर शरीर में फोड़े -फुंसियां ज्यादा मात्रा में निकाल रही हैं तो बस परवल की कम मसालेदार सब्जी खाना शुरू कर दीजिये २१ दिनों में ही खून की सारी अशुद्धता दूर हो जायेगी और फोड़े फुंसियां निकलना बंद हो जायेंगी
***अगर कहीं आपको कडुवा परवल मिल जाए तो वो आपके गंजेपन को चुटकी बजाते ही दूर कर देगा. कडुवे परवल का रस निकालिए और उसे गंजे सर पर सिर्फ सात दिनों तक लेप कीजिए और रात भर छोड़ दीजिये , नए बाल उग आयेंगे
*** परवल के पत्तों का रस भी गंजेपन को दूर कर देता है ,२१ दिन लगाना पडेगा
*** चेचक निकली हो तो परवल की जड़ का काढा बस दो बार आधा आधा कप पिला दीजिये
*** अगर सर में दर्द हो तो परवल की जड़ को घिस कर मलहम बना लीजिये और उसे माथे पर लेप दीजिये, फ़ौरन आराम मिलेगा
*** हैजा हो गया हो तो परवल और इसके पत्ते की ही सब्जी बार बार खिलाये ,बेहद आराम महसूस होगा .
*** अपच की शिकायत हो या पेट कमजोर हो तो परवल और इसके पत्तों का काढा बनाइये और मिश्री या शक्कर मिला कर आधा आधा कप सुबह शाम ३ दिनों तक पिला दीजिये
देखा आपने परवल कितना गुणकारी होता है ,भला डाक्टर्स इसे खाने की राय न दें तो क्या करें ,इसकी उपेक्षा बहुत मुश्किल है.
मुझे उम्मीद है कि आप लोग खोज-खाज कर दोनों तरह के परवल अपने गमलों में लगा लेंगे क्योंकि बाजार में तो सिर्फ परवल मिलता है ,इसके पत्ते और जड़ तो मिलते नहीं .
सिर्फ मरीजों की सब्जी नहीं है परवल

सरसों का तेल

सरसों का तेल
सरसों का तेल कोई नई चीज़ नहीं है आपके लिए लेकिन है बड़े काम की चीज़ बस रात में सोते समय दोनों नाक में दो दो बूँद डाल लीजिये . पांच दिनों तक लगातार ये काम कीजिए ,उसके बाद जब कभी याद आ जाए तो फिर डाल लीजिएगा .इसके फायदे---
**जो खांसी किसी दवा से अच्छी न हो रही हो वह इस प्रक्रिया से अच्छी हो जायेगी
**श्वास लेने में होने वाली सारी तकलीफें ख़त्म
**शरीर में हल्कापन महसूस होगा
**श्वास फूलना ख़त्म**नाक बंद हो जाना, ख़त्म . बड़ी तकलीफ होती है जब जाड़े के दिनों में नाक जाम हो जाती है और मुंह से श्वास लेनी पड़ती है, छोटे बच्चे तो इस तकलीफ से सबसे ज्यादा परेशान होते हैं और रो रोकर पूरा घर सिर पे उठा लेते हैं.और आसानियाँ तो आप जब ये काम करेंगे तो खुद ही महसूस करेंगे.

शुक्रवार, 12 नवंबर 2010

पेट में पीडा

पेट में पीडा
पेट में पीडा होने की व्याधि वक्छ(छाती) से तलपेट के मध्य के क्छेत्र में किसी भी जगह मेहसूस हो सकती सिद्ध होते हैं-
१) पेट दर्द मे हींग का प्रयोग लाभकारी है। २ ग्राम हींग थोडे पानी के साथ पीसकर पेस्ट बनाएं। नाभी पर और आस पास यह पेस्ट लगावें । लेटे रहें। इससे पेट की गैस निष्काषित होकर दर्द में राहत मिल जाती है।
२) अजवाईन तवे पर सेक लें । काला नमक के साथ पीसकर पावडर बनाएं। २-३ ग्राम गरम पानी के साथ दिन में ३ बार लेने से पेट का दर्द दूर होता है।
३) जीरा तवे पर सेकें। २-३ ग्राम की मात्रा गरम पानी के साथ ३ बार लें। इसे चबाकर खाने से भी लाभ होता है।
४) पुदिने और नींबू का रस प्रत्येक एक चम्मच लें। अब इसमें आधा चम्मच अदरक का रस और थोडा सा काला नमक मिलाकर उपयोग करें। यह एक खुराक है। दिन में ३ बार इस्तेमाल करें।
५) सूखा अदरक मुहं मे चूसने से पेट दर्द में राहत मिलती है।
६) कुछ पेट दर्द के रोगी बिना दूध की चाय पीने से पेट दर्द में आराम मेहसूस करते हैं।
७) अदरक का रस नाभी स्थल पर लगाने और हल्की मालिश करने से उपकार होता है।
८) अगर पेट दर्द एसिडीटी (अम्लता) से हो रहा हो तो पानी में थोडा सा मीठा सोडा डालकर पीने से फ़ायदा होता है।
९) पेट दर्द निवारक चूर्ण बनाएं। भुना हुआ जीरा, काली मिर्च, सौंठ( सूखी अदरक) लहसून, धनिया,हींग सूखी पुदीना पत्ती , सबकी बराबर मात्रा लेकर महीन चूर्ण बनावें। थोडा सा काला नमक भी मिश्रित करें। भोजन पश्चात एक चम्मच की मात्रा मामूली गरम जल से लें। पेट दर्द में आशातीत लाभकारी है।
१०) हरा धनिया का रस एक चम्मच शुद्ध घी मे मिलाकर लेने से पेट की व्याधि दूर होती है।
१०) अदरक का रस और अरंडी का तेल प्रत्येक एक चम्मच मिलाकर दिन में ३ बार लेने से पेट दर्द दूर होता है।
११) अदरक का रस एक चम्मच,नींबू का रस २ चम्मच में थोडी सी शकर मिलाकर प्रयोग करें । पेट दर्द में उपकार होता है। दिन में २-३ बार ले सकते हैं।
१२) अनार पेट दर्द मे फ़ायदे मंद है। अनार के बीज निकालें । थोडी मात्रा में नमक और काली मिर्च का पावडर बुरकें। दिन में दो बार लेते रहें।
१३) मैथी के बीज पानी में गलाएं। पीसकर पेस्ट बनाएं। यह पेस्ट २०० ग्राम दही में मिलाकर दिन में दो बार लेने से पेट के विकार नष्ट होते हैं।
१४) इसबगोल के बीज दूध में ४ घंटे गलाएं। रात को सोते वक्त लेते रहने से पेट में मरोड का दर्द और पेचिश ठीक होती है।
१५) सौंफ़ में पेट का दर्द दूर करने के गुण है। १५ ग्राम सौंफ़ रात भर एक गिलास पानी में गलाएं। छानकर सुबह खाली पेट पीते रहें। बहुत गुणकारी उपचार है।

गुरुवार, 11 नवंबर 2010

गर्भाशय (बच्चेदानी) का अपने स्थान से हट जाने का प्राकृतिक चिकित्सा से उपचार:-

गर्भाशय (बच्चेदानी) का अपने स्थान से हट जाने का प्राकृतिक चिकित्सा से उपचार:-
1. गर्भाशय में सूजन हो जाने पर स्त्री रोगी को चार से पांच दिनों तक फलों का रस पीकर उपवास रखना चाहिए, फिर इसके बाद बिना पका संतुलित आहार लेना चाहिए।
2. गर्भाशय में सूजन से पीड़ित स्त्री को कभी भी नमक, मिर्चमसाला वाला, तली भुनी चीजें तथा मिठाईयां आदि नहीं खानी चाहिए।
3. गर्भाशय में सूजन हो जाने पर स्त्री के पेट पर मिट्टी की गीली पट्टी लगानी चाहिए। इसके बाद एनिमा देनी चाहिए और फिर गर्म कटिस्नान कराना चाहिए। इसके बाद टब में नमक डालकर पन्द्रह से बीस मिनट तक स्त्री को इसमें बैठाना चाहिए।
4. गर्भाशय में सूजन से पीड़ित स्त्री को प्रतिदिन दो से तीन बार एक-दो घंटे तक अपने पैर को एक फुट ऊंचा उठाकर लेटना चाहिए और आराम करना चाहिए। इसके बाद रोगी स्त्री को श्वासन क्रिया करनी चाहिए जिसके फलस्वरूप उसका रोग ठीक हो जाता है।

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