बुधवार, 24 नवंबर 2010

दालचीनी

उपयोग : दालचीनी मसालों के रूप में काम में ली जाती है। दालचीनी का तेल बनता है। यह मिठाइयों में सुगंध देने के काम आती है। दालचीनी, साबुन, दांतों के मंजन, पेस्ट, चाकलेट, सुगंध व उत्तेजक के रूप में काम में आती है। दालचीनी, संकेाचक, स्तम्भक, कीटाणुनाशक, वातनाशक, फफून्दनाशक, जी मिचलाना और उल्टी रोकने वाली, पेट की गैस दूर करने वाली है। चाय, कॉफी में दालचीनी डालकर पीने से स्वादिष्ट हो जाती है तथा जुकाम भी ठीक हो जाता है।
दालचीनी हल्की सी कड़वी व मीठी, सुगन्धित, वीर्यवर्द्धक (वीर्य बढ़ाने वाली) त्वचा के रंग में सुन्दरता बढ़ाने वाली, वात-पित्त नाशक, मुंह का सूखना और प्यास को कम करने वाली होती है।
पालक ठण्डा होता है। पालक में दालचीनी डालने से इसकी ठण्डी प्रकृति बदल जाती है। इसी प्रकार दूसरे ठण्डे पदार्थों की प्रकृति बदल जाती है। इसी प्रकार अन्य शीतल पदार्थों की प्रकृति दालचीनी डालकर बदल सकते हैं।
दालचीनी पित्तशामक होती है। यह अपनी गर्मी और तीक्ष्णत: के कारण गुर्दों, स्नायुविक संस्थान और दिल को उत्तेजित करती है। दालचीनी संकोचक और बाजीकरण होने से स्त्री, पुरुषों के यौनांगों (जननांग) के लिए लाभदायक होता है। यह गर्भवती स्त्री के लिए हानिकारक होती है। गर्भवती स्त्रियों को इसे नहीं लेना चाहिए अथवा कम मात्रा में लेना चाहिए।
दालचीनी की उत्तम गुणवत्ता की पहचान :
जो दालचीनी, पतली, मुलायम चमकदार, सुगंधित और चबाने पर तमतमाहट एवं मिठास उत्पन्न करने वाली हो, वह श्रेष्ठ होती है।

दालचीनी का तेल :
दालचीनी से बना यह तेल उत्तम गुण वाला होता है। यह मेडिकल स्टोरों पर उपलब्ध होता है। इस तेल में दालचीनी जैसी गंध व स्वाद होती है। दालचीनी का नया तेल हल्का पीला तथा पुराना होने पर लाल से भूरे रंग का हो जाता है। दालचीनी का तेल भारी और गरिष्ठ होता है जो पानी में डालने पर डूब जाता है। दालचीनी में 2 प्रतिशत तेल होता है जो उड़नशील होता है। इस तेल में गोंद सिनेमिक एसिड, राल, टैनिन, शर्करा, स्टार्च, भस्म, आदि द्रव्य मिलते हैं। दालचीनी का तेल दर्द, घावों और सूजन को नष्ट करता है।
दालचीनी की मात्रा :
दालचीनी गर्म होती है। अत: इसे थोड़ी सी मात्रा में लेते हुए धीरे-धीरे बढ़ाना चाहिए। परन्तु यदि किसी प्रकार का दुष्प्रभाव या हानि हो तो सेवन को कुछ दिन में ही बंद कर देते हैं और दुबारा थोड़ी सी मात्रा में लेना शुरू करें।
दालचीनी पाउडर की मात्रा 1 से 5 ग्राम होती है। पाउडर चम्मच के किनारे से नीचे तक ही भरा जाना चाहिए। बच्चों को भी इसी प्रकार अल्प मात्रा में देते हैं। दालचीनी का तेल 1 से 4 बूंद तक काम में लेते हैं। दालचीनी का तेल तीक्ष्ण और उग्र होता है। इसलिए इसे आंखों के पास न लगाएं।

हकलाना तुतलाना
दालचीनी को रोजाना सुबह-शाम चबाने से हकलापन दूर होता है।
पेट में गैस
दालचीनी पेट की गैस को नष्ट करती है तथा पाचनशक्ति (भोजन पचाने की क्रिया) को बढ़ाती है।
2 चुटकी दालचीनी को पीसकर बारीक चूर्ण बनाकर पानी के साथ लेने से पेट की गैस नष्ट हो जाती है।
दालचीनी के तेल में 1 चम्मच चीनी (शक्कर) डालकर पीने से पेट की गैस में लाभ होता हैं। ध्यान रहे कि अधिक मात्रा में लेने से हानिकारक होती है।

कब्ज
दालचीनी, सोंठ, जीरा और इलायची थोड़ी सी मात्रा में मिलाकर खाते रहने से कब्ज और अजीर्ण (भूख न लगना) में लाभ होता है।
भूख न लगना
2 ग्राम दालचीनी और अजवायन को बराबर मात्रा में लेकर 3 भाग करके भोजन से पहले चबाने से भूख लगने लगती है।
दमा
दालचीनी का छोटा सा टुकड़ा, चौथाई अंजीर या तुलसी के पत्ते, नौसादर (खाने वाला) ज्वार के दाने के बराबर, 1 बड़ी इलायची, काली दाख 4 (काले मुनक्के) थोड़ी सी मिश्री को मिलाकर बारीक पीसकर सेवन करने से दमे के रोग में लाभ होता है।
विधि : एक कप पानी में सभी चीजों को लेकर उबाल लेते हैं। जब आधा पानी शेष रह जाए तो छानकर रोजाना सुबह व शाम को पीना चाहिए। पीने के आधा घंटे बाद तक कुछ न खाएं, पानी भी न पियें। इसके सेवन करने से दमे का दौरा समाप्त हो जाता है।
बालों का झड़ना
आलिव ऑयल गर्म करके इसमें 1 चम्मच शहद और 1 चम्मच दालचीनी पाउडर मिलाकर, लेप बनाकर, सिर में बालों की जड़ों व त्वचा पर स्नान करने से 15 मिनट पहले लगा लें। जिन लोगों के सिर के बाल गिरते हो और जो गंजे हो गये हो उन्हें लाभ होता है।
मूत्राशय संक्रमण
2 चम्मच दालचीनी पाउडर और 1 चम्मच शहद को 1 गिलास हल्के गर्म पानी में घोलकर पीना चाहिए। इससे मूत्राशय के रोग नष्ट हो जाते हैं।

जुकाम
1 ग्राम दालचीनी, 3 ग्राम मुलहठी और 7 छोटी इलायची को अच्छी तरह से पीसकर 400 ग्राम पानी में मिलाकर आग पर पकाकर रख दें। पकने के बाद जब पानी आधा बाकी रह जाये तो इसमें 20 ग्राम मिश्री डालकर पीने से जुकाम दूर हो जाता है।
एक बड़े चम्मच शहद में चौथाई चम्मच दालचीनी का पाउडर मिलाकर एक बार रोजाना खाने से तेज व पुराना जुकाम, पुरानी खांसी और साइनसेज ठीक हो जाते हैं। इसे दिन में कम से कम 3 बार लेना चाहिए तथा रोग ठीक होने तक लेते रहें। रोग की प्रारम्भ में इसे 2 बार रोजाना लेना चाहिए।
1 से 3 बूंद दालचीनी के तेल को मिश्री के साथ रोजाना 2-3 बार सेवन करने से जुकाम में आराम आता है। थोड़ी सी बूंदे इस तेल की रूमाल में डालकर सूंघने से भी लाभ होता है।
सन्तानहीनता, बांझपन
वह पुरुष जो बच्चा पैदा करने में असमर्थ होता है, यदि रोजाना सोते समय 2 बड़े चम्मच दालचीनी ले तो वीर्य में वृद्धि होती है और उसकी यह समस्या दूर हो जाती है।
जिस स्त्री के गर्भाधारण ही नहीं होता, वह चुटकी भर दालचीनी पाउडर 1 चम्मच शहद में मिलाकर अपने मसूढ़ों में दिन में कई बार लगायें। थूंके नहीं। इससे यह लार में मिलकर शरीर में चला जाएगा। इससे स्त्रियां कुछ ही दिनों में गर्भवती हो जाती हैं।
सांस में बदबू
सांसों में आने वाली बदबू के लिए वाष्पीकृत, सल्फर यौगिक उत्तरदायी, होते हैं जैसे- हाइड्रोजन सल्फाइड, मिथाइल, मरकैप्टन आदि। इन यौगिकों के स्रोत में ऐसे बैक्टीरिया होते हैं, जो ऑक्सीजन के बिना भी जीवित रह सकते हैं। ये बैक्टीरिया मुंह की भीतरी दीवार की कोशिकाओं, जीभ, मसूढ़ों और दांतों की संधि के बीच रहते हैं। सुबह 2 कप पानी में 1 चम्मच शहद, आधा चम्मच दालचीनी पाउडर मिलाकर गरारे करने से दिन भर सांस में बदबू नहीं आएगी और ताजगी अनुभव होगी।
धूम्रपान
1 चम्मच शहद में 1 चम्मच दालचीनी पाउडर मिलाकर एक चौड़े मुंह की छोटी शीशी में रख लें। जब भी बीड़ी, सिगरेट, जर्दा खाने की इच्छा हो तो इसमें अंगुली डुबोकर चूसें। इससे धूम्रपान छूट जाएगा। मन में निश्चय करके भी धूम्रपान को छोड़ा जा सकता है।
हार्टअटैक
शहद और दालचीनी को बराबर मात्रा में मिलाकर एक चम्मच नाश्ते में ब्रेड या रोटी में लगाकर रोजाना खाएं। इससे धमनियों का कोलेस्ट्राल कम हो जाता है। जिसको एक बार हार्ट अटैक आ चुका है, उनको दुबारा हार्ट अटैक नहीं आता है।

मोटापा घटाना
कप पानी में आधा चम्मच दालचीनी पाउडर मिलाकर उबालते हैं। इसमें 1 चम्मच शहद डालकर रोजाना सुबह नाश्ते से पहले तथा रात को सोने से पहले पियें इससे वजन कम होगा और मोटापा नहीं बढे़गा।

मुंहासें
3 चम्मच शहद में 1 चम्मच दालचीनी पाउडर और कुछ बूंदे नींबू के रस की डालकर लेप बनाकर चेहरे पर लगाएं। फिर 1 घंटे के बाद धोएं। इससे चेहरे के मुंहासे ठीक हो जाएंगे।
चौथाई चम्मच दालचीनी में नींबू के रस की कुछ बूंदे डालकर पेस्ट बनाकर चेहरे पर लगाएं। इसे एक घंटे बाद धोते हैं। इससे मुंहासे ठीक हो जाएंगे।

पेशाब का बार-बार आना
दालचीनी को पीसकर सोते समय पानी से लेने से पेशाब का बार-बार आना कम हो जाता है।
10 ग्राम पिसी दालचीनी में, 10 ग्राम चीनी मिलाकर लगभग 2 ग्राम की मात्रा में रात को सोते समय पानी से लेने से पेशाब के बार-बार आने के रोग से छुटकारा मिलता है।
अफारा (गैस का बनना)
दालचीनी के तेल की 1 से 3 बूंद को मिश्री के साथ सुबह और शाम रोगी को देने से पेट के अफारे (गैस) में लाभ होता है।
योनि का दर्द
1 से 3 बूंद दालचीनी के तेल को बताशे पर डालकर रोजाना सुबह और शाम सेवन करने से योनि का दर्द समाप्त हो जाता हैं।

सिर का दर्द
दालचीनी को पीसकर पानी के साथ सिर पर लेप की तरह से लगाने से ठण्डी हवा लगने से या सर्दी में घूमने से या ठण्ड लगने से होने वाला सिर का दर्द ठीक हो जाता है।
पित्तज या गर्मी के कारण होने वाले सिर के दर्द में दालचीनी, मिश्री और तेजपात को चावलों के पानी में पीसकर सूंघने से सिर का दर्द दूर हो जाता है।
लगभग 5 या 6 बूंद दालचीनी के तेल को 2-3 चम्मच तिल के तेल में मिलाकर मालिश करने से सिर का दर्द दूर हो जाता है।
दालचीनी को पानी में रगड़कर माथे पर लेप करने से सिर दर्द और तनाव दूर हो जाता है।
दालचीनी को पानी में पीसकर मस्तक पर लेप करने से सिर दर्द दूर हो जाता है।
सर्दी के कारण सिरदर्द होने पर पानी में दालचीनी पीसकर गर्म करके ललाट और कनपटी पर लेप करने से लाभ होता है।

याददाश्त कमजोर होना
बराबर मात्रा में दालचीनी और मिश्री को लेकर पीसकर इसका चूर्ण बनाकर कपड़े में छान लें इसे रोजाना 3-4 ग्राम दूध के साथ लेने से याददाश्त मजबूत हो जाती है और भूलने की बीमारी दूर हो जाती है।
शरीर को मोटा और शक्तिशाली बनाना
दालचीनी को बारीक पीसकर इसका चूर्ण बना लें। शाम को इसके लगभग 2 ग्राम चूर्ण को 250 ग्राम दूध में डालकर 1 चम्मच शहद में मिलाकर पीने से शरीर की ताकत के साथ साथ मनुष्य के वीर्य में भी वृद्धि होती है।
प्रसव का आसानीपूर्वक होना
1-1 चम्मच दालचीनी और सौंफ को 200 ग्राम पानी में उबालें जब यह एक चौथाई रह जाये तो इसे ठण्डा करके पीने से प्रसव आसानी से हो जाता है।

नींद न आना
लगभग 125 ग्राम पानी में 3 ग्राम दालचीनी को खूब उबालें। फिर इसको छानकर इसमें 3 बताशे डालकर हल्का गर्म करके सुबह के समय पिलाने से नींद अच्छी आती है।
रक्तप्रदर
रक्तप्रदर में 1 से 3 बूंद दालचीनी का तेल अशोकारिष्ट के प्रत्येक मात्रा के साथ रोजाना 2 बार लेने से गर्भाशय की शिथिलता कम होती है और रक्तप्रदर भी ठीक हो जाता है। रक्तप्रदर में दालचीनी चबाने को भी देना चाहिए।

एड्स
दालचीनी एड्स के लिये बहुत ही लाभदायक होती है क्योंकि इससे खून के सफेद कण की वृद्धि होती है, जबकि एड्स में सफेद कण का कम होना ही अनेक रोगों को आमन्त्रित करता है। साथ ही पेट के कीड़े साफ करने, घाव को भरने एवं ठीक करने के गुणों से युक्त होता है। दालचीनी का चूर्ण लगभग 1 ग्राम का चौथाई भाग की मात्रा में अथवा तेल 1 से 3 बूंद की मात्रा में रोजाना 3 बार सेवन करें।
नपुंसकता
75 ग्राम दालचीनी को पीसकर छान लें। इस 5 ग्राम चूर्ण को पानी में पीसकर सोते समय लिंग पर सुपारी (लिंग का अगला हिस्सा) छोड़कर लेप करें और 2-2 ग्राम सुबह-शाम दूध से लें। इससे कुछ ही समय में नपुंसकता के रोग से मुक्ति मिल जायेगी ।
कुछ अन्य सरल प्रयोग
दालचीनी, कालीमिर्च और अदरक का काढ़ा पीने से जुकाम दूर हो जाता है।
दालचीनी का सेवन करने से अजीर्ण (भूख न लगना), उल्टी, लार, पेट का दर्द और अफारा (पेट में गैस) मिटता है। यह स्त्रियों का ऋतुस्राव (मासिक-धर्म) साफ करती है और गर्भाशय का संकोचन करती है।
1 ग्राम दालचीनी और 5 ग्राम छोटी हरड़ को मिलाकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण को 100 ग्राम गर्म पानी में मिलाकर रात को पीने से सुबह साफ दस्त होता है और पेट की कब्ज दूर होती है।
लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग दालचीनी और सफेद कत्थे के चूर्ण को शहद में मिलाकर खाने से अपच (भोजन का न पचना) के कारण बार-बार होने वाले पतले दस्त बंद हो जाते हैं।
लगभग 1.20 ग्राम दालचीनी का चूर्ण ताजे पानी से लेने से पेचिश बंद हो जाती है।
दालचीनी का तेल 2 से 3 बूंद 1 कप पानी में मिलाकर सेवन करने से इन्फ्लूएंजा, ज्वर (बुखार), ग्रहणी (दस्त), आन्त्रशूल (आंतों में दर्द), हिचकी और उल्टी में लाभ होता है।
दालचीनी के तेल अथवा रस में रुई का फाया भिगोकर दुखती दाढ़ या दांत पर रखने से लाभ होता है।
दालचीनी, कत्था, जायफल और फिटकरी को मिलाकर उसकी गोटी योनि में रखने से प्रदर रोग मिटता है तथा योनि का संकोचन दूर होता है।
हिचकी
3 बूंद दालचीनी के तेल को आधा कप पानी में मिलाकर पीने से हिचकी बंद हो जाती है।
दालचीनी चबाकर चूसने से हिचकी आना रुक जाती है।

मुंह पर दाग
दूध की मलाई में चुटकी भर दालचीनी मिलाकर चेहरे पर मलने से चेहरे के दाग-धब्बे दूर हो जाते हैं। बहरापन
शहद और दालचीनी पाउडर को बराबर मात्रा में मिलाकर 1-1 चम्मच सुबह और रात को लेने से सुनने की शक्ति दुबारा आ जाती है अर्थात बहरापन दूर होता है।
कान से कम सुनाई देने के रोग (बहरापन) में कान में दालचीनी का तेल डालने से आराम आता है।
दीर्घ आयु
एक चम्मच दालचीनी पाउडर को 3 कप पानी में उबालें। उबलने के बाद हल्का सा गर्म रहने पर इसमें 4 चम्मच शहद मिलाएं। एक दिन में इसे 4 बार पियें। इससे त्वचा कोमल व ताजी रहेगी और बुढ़ापा भी दूर रहेगा।
वरिष्ठ नागरिक जो दालचीनी और शहद का बराबर मात्रा में सेवन करते हैं उनका शरीर अधिक फुर्तीला और लचकदार रहता है।
बहरापन
शहद और दालचीनी पाउडर को बराबर मात्रा में मिलाकर 1-1 चम्मच सुबह और रात को लेने से सुनने की शक्ति दुबारा आ जाती है अर्थात बहरापन दूर होता है।
कान से कम सुनाई देने के रोग (बहरापन) में कान में दालचीनी का तेल डालने से आराम आता है।
कोलेस्ट्राल
2 बड़े चम्मच शहद, 3 चम्मच दालचीनी पाउडर और 400 मिलीलीटर चाय का उबला पानी घोलकर पियें। इसे पीने के 2 घंटे के बाद ही खून में 10 प्रतिशत कोलेस्ट्राल कम हो जाएगा। यदि 3 दिन तक लगातार पियें तो कोलेस्ट्राल का कोई भी पुराना रोगी हो वह ठीक हो जाएगा।
कंधे में दर्द
कभी-कभी कंधे में दर्द होता है। दालचीनी का प्रयोग करने से कंधे का दर्द ठीक हो जाता है।
शहद और दालचीनी पाउडर को बराबर मात्रा में मिलाकर रोजाना 1 चम्मच सुबह के समय सेवन करने से शरीर में रोगाणुओं और वायरल संक्रमण से लड़ने की शक्ति बढ़ती है, शरीर की प्रतिरोधी शक्ति बढ़ती है। कंधे पर इसी मिश्रण की मालिश करके अन्त में लेप करना चाहिए।
बालों का दोमुंहा होना
बालों पर एक चमकदार और सुरक्षित परत होती है जिसे क्यूटिकल कहते हैं। जब यह परत टूटती है, तो बालों के सिरे भी टूटने लगते हैं। कई बार बालों के अत्यधिक सूखे और कमजोर होने के कारण भी बाल दोमुंहे होने लगते हैं। गीले बालों में कंघी करने से भी बालों की सुरक्षा परत को नुकसान पहुंचता है और यह भी बालों के दोमुंहे होने का कारण बनते हैं। इसी तरह तेज-तेज कंघी करने और धूप में ज्यादा देर रहने से भी बाल कमजोर हो जाते हैं।
दोमुंहे बालों का सबसे अच्छा यही उपचार है कि उन्हें काट दें। बालों को नियमित रूप से काट-छांटकर उन्हें दोमुंहा होने से बचाया जा सकता है। बालों की सुरक्षा हेतु दालचीनी का प्रयोग करें। इससे बाल मजबूत और सुरक्षित रहेंगे।
गठिया (जोड़ों का दर्द/सूजन)
1 भाग शहद, 2 भाग हल्का गर्म पानी और 1 छोटी चम्मच दालचीनी पाउडर को मिला लेते हैं। जिस जोड़ में दर्द कर रहा हो, उस पर धीरे-धीरे इसकी मालिश करें। दर्द कुछ ही मिनटों में मिट जाएगा।
1 गिलास दूध में 1 गिलास पानी मिलाकर इसमें 1 चम्मच पिसी हुई दालचीनी, 4 छोटी इलायची, 1-1 चम्मच सोंठ व हरड़ तथा लहसुन की 3 कली के छोटे-छोटे टुकडे़ डालकर उबालें जब दूध आधा शेष रह जाए तो इसे गर्म ही पीना चाहिए। लहसुन को भी दूध के साथ ही निगल जाना चाहिए। इससे आमवात व गठिया में लाभ मिलता है।
खांसी
दालचीनी को चबाने से सूखी खांसी में आराम मिलता है और यदि गला बैठ गया हो तो आवाज साफ हो जाती है।
चौथाई चम्मच दालचीनी पाउडर को 1 कप पानी में उबालकर 3 बार पीते रहने से खांसी ठीक हो जाती है तथा बलगम बनना बंद हो जाता है।
20 ग्राम दालचीनी, 320 ग्राम मिश्री, 80 ग्राम पीपल, 40 ग्राम छोटी इलायची, 160 ग्राम वंशलोचन को बारीक पीसकर मिलाकर मैदा की छलनी से छान लेते हैं। इसके बाद एक चम्मच शहद को आधा चम्मच मिश्रण में मिलाकर सुबह-शाम चाटे जो लोग शहद नहीं लेते हैं वे गर्म पानी से फंकी करें। यह मिश्रण घर में रखते हैं। जब कभी किसी को खांसी हो इसे देने से लाभ होता है।
50 ग्राम दालचीनी पाउडर, 25 ग्राम पिसी मुलहठी, 50 ग्राम मुनक्का, 15 ग्राम बादाम की गिरी, 50 ग्राम शक्कर को लेकर बारीक पीसकर पानी मिलाकर मटर के दाने के आकार की गोलियां बना लेते हैं। जब भी खांसी हो 1 गोली चूसे अथवा हर 3 घंटे बाद एक गोली चूसे। इससे खांसी नहीं चलेगी और मुंह का स्वाद हल्का होगा।
कायफल के चूर्ण को दालचीनी के साथ खाने से पुरानी खांसी और बच्चों की कालीखांसी दूर हो जाती है। अपच
दालचीनी की 2 ग्राम छाल के चूर्ण को दिन में दो बार पानी से लेने से अपच (भोजन का न पचना) का रोग ठीक हो जाता है।
वीर्यवर्द्धक- दालचीनी को बहुत ही बारीक पीस लेते हैं। इसे 4-4 ग्राम सुबह व शाम को सोते समय दूध से फांके। इससे दूध पच जाता है और वीर्य की वृद्धि होती है।

पौष्टिक दालचीनी

रसोई में गरम मसाले के रूप में प्रयोग में ली जाने वाली दालचीनी वाकई सेहत के लिए लाभकारी है। यह एंटीसेप्टिक, एंटीफंगल और एंटी वायरल होती है। यह पाचक रसों के स्त्राव को भी उत्तेजित करती है। दांतों की समस्याओं को दूर करने में भी यह उपयोगी है। दालचीनी के चंद घरेलू उपयोग -
- रात को सोते समय नियमित रूप से एक चुटकी दालचीनी पाउडर शहद के साथ मिलाकर लेने से मानसिक तनाव में राहत मिलती है और स्मरण शक्ति बढ़ती है।
- इनफ्लूएंजा, मलेरिया, गले के बैठने जैसे रोगों में दालचीनी गुणकारी है। इन रोगों से छुटकारा पाने के लिए दालचीनी का बारीक पाउडर एक गिलास पानी में उबालें और चुटकीभर कालीमिर्च व शहद के साथ लें।- दालचीनी का नियमित प्रयोग मौसमी बीमारियों को दूर रखता है।
- ठंडी हवा से होने वाले सिरदर्द से राहत पाने के लिए दालचीनी के पाउडर को पानी में मिलाकर पेस्ट बनाकर माथे पर लगाएं।
- दालचीनी पाउडर में नीबू का रस मिलाकर लगाने से मुंहासे व ब्लैकहैड्स दूर होते हैं।
- दालचीनी, डायरिया व जी मिचलाने में भी औषधी के रूप में काम में लाई जाती है।
- मुंह से बदबू आने पर दालचीनी का छोटा टुकड़ा चूसें। यह एक अच्छी माउथ फ्रेशनर भी है।
- दालचीनी में एंटीएजिंग तžव उपस्थित होते हैं। एक नीबू के रस में दो बड़े चम्मच जैतून का तेल, एक कप चीनी, आधा कप दूध, दो चम्मच दालचीनी पाउडर मिलाकर पांच मिनट के लिए शरीर पर लगाएं। इसके बाद नहा लें, त्वचा खिल उठेगी।
- दालचीनी पाउडर की तीन ग्राम मात्रा सुबह-शाम पानी के साथ लेने पर दस्त बंद हो जाते हैं।

त्वचा का सौंदर्य निखारें


*त्वचा का रंग निखारने मे सबसे महत्वपूर्ण काम केसर का होता है*किसी भी पैक या उबटन मे केसर चुटकी भर डालें त्वचा मे निखार आयेगा .
*प्रति दिन किसी भी तरह से कच्चा लहसुन खायेइससे रक्त काशुध्दीकरण होता है जिसके कारण चेहरे का रंग निखरता है।कोलेस्ट्रोल भी कम होता हैआपके शरीर की सुंदरता को निखारता है।
*त्वचा को मुलायम बनानाहो तो किसीभीमसाज तेल में चुटकी भर लौग पावडर मिलादें फिर मसाज करें
*दिन भर में कम ,से कम दस ग्लास पानी पियें
*भोजन में दूध दही रोजाना लें
*भरपूर नींद ले वरना चेहरे की चमक जाती रहेगी.
*पेट हमेशा साफ रखें कब्ज न होने दें।
*त्वचा की सफाई बराबर करती रहें वरना काला पन होजायेगा।
*रोजाना सोते समयदालचीनी चूरण एक च शहद के साथलेइससेसैंदर्यनिखरता है.
*दाल चीनी पावडर पानी मे डालकर पीने से पानी की कमी दूरहोतीहै,*पानी मे डालकर नहाने से ,सौदर्य बढता है और भीनी भीनी खुशबू आती है।
*दालचीनी त्वचा के लिये कंडीशनर का काम करता है
*चेहरे पर दालचीनी शहद का पैक लगाये झुर्रिया नही पडेंगी*हाथों की कोहनी ,पैर की एडी की त्वचा सख्त हो जाती है तो छोटी इला.यची का चूरणकिसी क्रीम मे मिलाकर लगाने से तुरंत लाभहोगा।
*ठंड के दिनो मे बेबीआयल मेंदालचीनी पावडर ,छो इला.यची पावडर डालकर स्नान के बाद मसाज करें त्वचा निखरती है वखुशबू आती है ।त्वचा का रंग निखारनेके लिये सबसे आसान हल्दी का प्र.योग हैबेसन या आटा मे थोडी सी मलाई व हल्दी डालकर चेहरे पर मलें धीरे 2छुडाते रहें जब बत्ती बनकर उतरने लगे तबतक मले,हफ्ते मे दो बार करें।-
-*त्वचा को खूबसूरत बनाने के घरेलू उपाय
*अण्डेकी सफेदी मेथोडीसा शहद मिलाकर इसका पैक बनाकर त्वचा पर लगाये ।बादाम ,लौग,को सम भाग मे लेकर पावडर बनाए आधा च पावडर को कच्चे दूध मे चुटकी भर हल्दी मिलाकर चेहरे पर लगाये थोडी देर बाद धो लेलाल मसूर की दाल,दो बादाम रात मेभिगा दे सुबह पीसकरचेहरेमुरझाई त्वचा के लिये जैतून का तेल जल्द असर करता है बस तेल लगाकर थोडी देर छोड दे पंद्रह मिनट बाद धोले त्वचा की नमी खो गईहै भीगी मूलतानी मिट्टी ,जैतून का तेल मिलाकर दस मिनट के लिये चेहरे पर लगाये फिर धो ले।मुरझाई त्वचा के लिये जैतून का तेल जल्द असर करता है बस तेल लगाकर थोडी देर छोड दे पंद्रह मिनट बाद धोलेत्वचा कीनमी खो गईहै भीगी मूलतानी मिट्टी ,जैतून का तेल मिलाकर दस मिनट के लिये चेहरे पर लगाये फिर धो ले।पर लगाये सूखने पर दूध से हटाय
4अगर मुहासे हो जाये तो कैसे ,साफकरेपानी में नीम की कुछ पत्तियां डालकर रख दे इससे चेहरे को साफ करें दो तीन बार सुविधा नुसार मुह धोयेनीम ,लौग,हल्दी गुलाबजल,चंदन,सबको मिलाकर लेपलगायेशहद दही मिलाकर चेहरे पर लेप लगाये प्राकृतिक नमी देगाकारणदही मे लैक्टिकएसिड होता है जो त्वचा पर निखार लाता हैचेहरे पर नीबू रस आलूका रस ,दूध,चोकर,मिलाकर उबटन लगाये.मुहासे जब निकलते हो तो उसपर बरफ लगायें ,,

क्या आप जानते हैं

दही मुँह का दुर्गंध मिटाती हैदही का सेवन करने से मसूड़ों की बीमारी व दाँतों की बीमारी कम होती है। दही में पाये जाने वाले बैक्टीरिया मसूड़ों एवं दाँतों की रक्षा करते हैं। ये मुँह के हानिकारक बैक्टीरिया को बैलेंस रखने में मदद करते हैं। दही रोज खायें, साँसों में ताजगी पायें।

पपीते खाने से क्या फायदा है पपीता में विटामिन सी भरपूर मात्रा में होता है, जिससे आपकी त्वचा में निखार आता है। त्वचा जवां नजर आती है, झुर्रियाँ कम पड़ती हैं, त्वचा में पतलापन व सूखापन नहीं होता। विटामिन सी हमारी त्वचा के लिए जरूरी है। यह त्वचा को जरूरी पोषण देता है।

केसर बड़े काम की चीज हैकेसर गर्भवती महिलाओं के लिए वरदान है। केसर इम्यून सिस्टम को मजबूत करता है। इससे गर्भस्थ शिशु का अच्छा विकास होता है, यानी शारीरिक और मानसिक विकास। यह माँ को शक्तिशाली बनाता है। केसर सुरक्षित डिलिवरी के वास्ते बेहद जरूरी है। यह स्त्रियों की शारीरिक सुंदरता को बनाये रखता है। त्वचा में निखार लाता है। गर्भवती महिलाओं को रोज जरा सा केसर डाल कर दूध उबाल कर पीना चाहिए।

नारियल तेल से आपकी सुंदरता बढ़ती है। यह हमारी त्वचा को खूबसूरत बनाता है। यह त्वचा का रूखापन दूर करता है। यदि एड़ियाँ फटी हों, तो रात को लगा कर सो जायें, कुछ दिनों में ठीक हो जायेगा। यह त्वचा के दाग-धब्बे व निशान को साफ करता है। बालों को चमकदार बनाता है, उन्हें पोषण देता है। चेहरे व शरीर पर नारियल तेल की हल्के हाथों से मालिश करें। यह झुर्रियों को उम्र से पहले आने से रोकता है।क्या आप जानते हैं कि छाछ गर्मी और सर्दी दोनों मौसम में अमृत है। इसे सेंधा नमक, भुना जीरा, काली मिर्च डाल कर लें। यह पाचन क्रिया ठीक रखने और शरीर को फुर्तीला रखने में सहायक है।

दवा से बेहतर व्यायाम है? क्या छोटे, क्या बड़े, क्या मोटे, क्या पतले, क्या किसी खास बीमारी के शिकार हैं यानी रक्तचाप मधुमेह में विशेषज्ञ की सलाह से व्यायाम करें। हर तरह के विकार को दूर कर चुस्त, दुरुस्त व फुर्तीला बनायेगा। व्यायाम का रूटीन बनाये रखें।

आहार को ताकतवर कैसे बनाया जाये? रोजाना आहार में फल-सब्जियों को जगह अवश्य दें।चोकर सहित (मोटा आटा) पुराना तथा बिना पॉलिश का चावल खायें।डिब्बा बंद आहार की जगह घर का सादा ताजा भोजन करें।थोड़ी मात्रा में सूखे मेवे अवश्य लें। नमक जरा कम लें।प्रतिदिन 10 गिलास पानी पियें।सब्जियों को पकाने में सरसों के तेल का इस्तेमाल करें।

तेलों में छिपे महत्व को समझें


शरीर के विकास के लिये अतिरिक्त कैलोरी की जरूरत होती है तेल कैलोरी का एक मुख्य व ठोस स्त्रोत है ।बच्चों को इसकी जरूरत करीब- करीब अठारह बीस साल की उम्र तक अधिक होती है इसके बाद अतिरिक्त तेल का जरूरत धीरे धीरे कम पडती जाती है और अगर फिर भी आप लगातार अधिक तेल इस्तेमाल करते रहे तो मोटापे के साथ-साथ और कई बीमारियों के शिकार हो सकते है ।कारण तेल में होने वाले कोलेस्ट्रॉल जो हमारे क् लिये नुकसाल दायकककक होता है ।ज्यादातर सभी तलों गी फूड़वैल्यू एक जैसी होती है ।तेल का मेडिकल नाम ट्रइग्लाइसराइडहैं ।तेल अपने में खुद बेस्वाद होता है परंतु सब्जियों में स्वाद उसमें डाले गये मसाले तथा नमक के कारण होता है ।

1. नीम का तेल- नीम के कड़वा होने के बावजूद भी उसमें अनेक गुण हैं। इसका तेल चर्म रोगों में लाभदायक है। कारण यह जीवाणुओं का नाश करता है। नीम के निंबोली का तेल गर्भ निरोधक के रूप में काम आता है। पायरिया रोग में इस तेल की कुछ बूंदें टूथ पेस्ट में डाल कर ब्रश करें। मुंह की बदबू खत्म होगी। मसूड़ों के रोग नष्ट होंगे। इसका तेल बाजार में उपलब्ध है।

2. जैतून का तेल- जैतून का तेल कोई साधारण तेल नहीं है। इसकी मालिश से शरीर काफी आराम मिलता है। यहां तक कि लकवा जैसे रोगों तक को ठीक करने की क्षमता रखता है। इससे अगर आप महिलाएं अपने स्तन के नीचे से ऊपर की ओर मालिश करें, तो स्तन पुष्ट होते हैं। सर्दी के मौसम में इस तेल से शरीर की मालिश करें, तो ठंड का एहसास नहीं होता। इससे चेहरे की मालिश भी कर सकते हैं। चेहरे की सुंदरता एवं कोमलता बनाये रखेगा। यह सूखी त्वचा के लिए उपयोगी है।

3. तिल का तेल- तिल विटामिन ए व ई से भरपूर होता है। इस कारण इसका तेल भी इतना ही महत्व रखता है। इसे हल्का गरम कर त्वचा पर मालिश करने से निखार आता है। अगर बालों में लगाते हैं, तो बालों में निखार आता है, लंबे होते हैं।जोड़ों का दर्द हो, तो तिल के तेल में थोड़ी सी सोंठ पावडर, एक चुटकी हींग पावडर डाल कर गर्म कर मालिश करें। तिल का तेल खाने में भी उतना ही पौष्टिक है विशेषकर पुरुषों के लिए।

4. अलसी का तेल- जिस तरह अलसी तमाम औषधीय गुणों से भरपूर है, उसी तरह इसका तेल भी महत्व रखता है। अगर त्वचा जल जाये, तो अलसी का तेल लगाने से दर्द व जलन से राहत मिलती है। इसमें विटामिन ई होता है। इसका कुष्ठ रोगियों को सेवन करना चाहिए। त्वचा पर लाभ होगा।

5. अरण्ड का तेल- इस तेल से सिर पर मालिश करने पर ठंडा महसूस होता है। बालों की जड़ों को मुलायम बनाता है। अरण्ड का तेल दो चम्मच दूध में डालकर अगर सेवन करते हैं, तो कब्ज की शिकायत दूर होती है। पेट की किसी भी तकलीफ में अरण्ड का तेल दवा जैसा काम करता है। शरीर पर लगाने से त्वचा का रंग साफ होता है। इसके सेवन से स्मरण शक्ति भी बढ़ती है।

6. मूंगफली का तेल- जिस तरह मूंगफली पौष्टिक होती है। उसी तरह उसका तेल भी लाभदायक होता है, पचने में हल्का। इसके सेवन से प्रोटीन मिलता है। रक्त में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा को कंट्रोल करता है। इसलिए हृदय रोगी इसका सेवन कर सकते हैं। इसके सेवन से जोड़ों के दर्द में लाभ होता है। इसके मालिश से चर्म रोगों में आराम मिलता है।

7. सरसों का तेल- सरसों का तेल मालिश करने पर शरीर के रक्त संचार को बढ़ाता है। थकान दूर करता है। नवजात शिशु एवं प्रसूता की मालिश इसी तेल से करनी चाहिए। सर्दियों में इस तेल की मालिश लाभदायक है। सरसों के तेल को पैर के तलुओं में सुखाने से थकान तुरंत मिटती है तथा नेत्रज्योति बढ़ती है। दाद, खाज, खुजली जैसे चर्म रोग से निजात पायी जा सकती है। चर्म रोग पर सरसों का तेल, आक का तेल, हल्दी डाल कर गर्म करें। ठंडा हो जाने पर लगायें। सरसों का तेल गुनगुना कर पिंडलियों पर लगायें, दर्द ठीक हो जायेगा। गठिया पर सरसों के तेल से मालिश करने पर आराम मिलता है।सरसों का तेल नियमित रूप से बालों पर लगाते रहने से बाल समय से पहले सफेद नहीं होते। सरसों के तेल में सेंधा नमक डाल कर मसूड़ों की मालिश करें। पायरिया ठीक होगा। मसूड़ों से खून आना बंद होगा। बच्चों या बड़ों को जुकाम हो जाये, तो तेल में लहसुन पका कर तेल वापस थोड़ा ठंडा होने पर सीने पर मालिश करें। सर्दी-जुकाम ठीक हो जाता है।

8. राई का तेल- राई का तेल निमोनिया रोग से बचाव करता है। इस तेल की हल्की-हल्की मालिश कर के गुनगुनी धूप लें। इस तरह नियमित रूप से करने पर निमोनिया में फायदा होता है।

9. नारियल का तेल- नारियल के तेल में कपूर मिला कर यदि त्वचा पर लगायें, तो दाद, खाज, खुजली की शिकायत दूर होती है। यदि त्वचा जल जाये, तो तुरंत नारियल का तेल उस पर लगायें, निशान नहीं पड़ेगा। उस पर कुछ दिनों तक लगाते रहें। यह तेल बालों के लिए भी बेहतर होता है।

10. आंवले का तेल- इसमें विटामिन सी और आयरन होता है, जो बालों के लिए पोषक है। बालों के लिए आंवले का तेल बहुत अच्छा है।

फेंके नहीं इस्तेमाल की हुई चाय पत्ती

फेंके नहीं इस्तेमाल की हुई चाय पत्ती
चाय बनाने के बाद छनी हुई चाय की पत्तियां अक्सर लोग बेकार समझकर फेंक देते हैं, लेकिन हम आपको यह बताएगें कि आप इन चाय की पत्तियों को फिर से कैसे इस्तेमाल करें -
- हाथ-पांव या किसी अंग में कट गया हो और खून बह रहा हो, तो इसे भर दें।
- बालों को मुलायम बनाने के लिए चाय की पत्ती को मेहंदी, आंवला के साथ सर पर लगायें अच्छी तरह सूख जाने पर धोयें।
-चाय की पत्ती कपड़े में बांध कर उबलते छोले में डाल दें। इससे छोला रंगदार व स्वादिष्ट बन जाएगा। -चाय की पत्ती को पानी में डालकर उबालें उस पानी से लकडी़ के फर्नीचर और शीशा साफ करें। दाग धब्बे छूट जायेंगे व चमकदार हो जाते हैं।
-बनी हुई चाय की पत्ती अच्छी तरह धो लें। उसमें मिठास न रह जाय। उसे मनीप्लांट और गुलाब पौधे में डालें यह खाद का काम करेगी।
-बनी हुई चाय की पत्ती दुबारा पानी में डाल कर उबालें। उस पानी से घी और तेल के डब्बे साफ करें। इससे डब्बे की दुर्गंध जाती रहेगी।
-जिस स्थान पर अधिक मक्खियां बैठ रही हों। वहां धोयी हुई चाय की पत्ती को गीला करके रगड़ दें।
-चाय की पत्ती में थोड़ा सा विम पाउडर मिलाकर क्राकरी साफ करें। उसमें चमक आ जाएगी।

गुरुवार, 18 नवंबर 2010

ये बुखार ,प्लेटलेट्स और हीमोग्लोबिन

ये बुखार ,प्लेटलेट्स और हीमोग्लोबिन
सभी बाढ़ग्रस्त क्षेत्रों में बुखार का प्रकोप है बल्कि यूं कहिये कि जहां बुखार नहीं वहाँ पेट दर्द, उल्टी, चक्कर वगैरा वगैरा ... रोज मेरे पास देश के विभिन्न भागों से प्लेटलेट्स बढ़ाने और हीमोग्लोबिन बढाने के लिए जड़ी-बूटियाँ पूछी जा रही हैं. आप सभी की समस्यायों को देखते हुए मैंने आज ये ही चीजें आपको बताने का निर्णय लिया है ---
-अगर हल्का सा भी बुखार महसूस हो तो सबसे पहले एक बड़ा चम्मच अजवाईन आप पानी से निगल लीजिये और अश्वगंधा का चूर्ण भी एक बड़ा चम्मच पानी से निगल लीजिये ,दोनों के बीच में आधे घंटे का गैप रख सकते हैं. इससे या तो बुखार चढने नहीं पायेगा या चढ़ गया तो तकलीफदेह नहीं होगा न ही ज्यादा नुक्सान पहुंचाएगा.
दूसरा काम तुरंत दूध का प्रयोग बंद कीजिए , काली चाय पीकर काम चलाइये . अजवाईन और अश्वगंध लगातार ५ दिन खाते रहिये, बुखार हो गया हो तो भी और न हुआ हो (रुक गया हो) तो भी. जो लोग बुखार और अस्पताल की प्रक्रिया से वापस आ चुके हैं वे शरीर को हुई क्षतिपूर्ति के लिए अजवाईन ,अश्वगंधा ,गिलोय और हरीमिर्च का सहारा लें . इनसे ताकत , खून की कमी, प्लेटलेट्स सभी सामान्य दशा में लौटेगी .
प्रतिदिन ६ ग्राम अश्वगंधा का पावडर सुबह सवेरे पानी से निगलें, फिर नाश्ता फिर अजवाईन ५ ग्राम पानी से निगलें. दोपहर में गिलोय का पावडर केवल ४ ग्राम खाएं पानी से ही निगलना होगा फिर लंच .साथ ही दिन भर में आपको ६-७ हरी मिर्च कच्ची ही खानी होगी नाश्ते,लंच और डिनर में. ये बहुत जरूरी है .
चाय में दालचीनी पकाकर पियें , चेहरे की चमक भी लौट आयेगी अंग्रेजी दवाओं के साइड इफेक्ट भी ख़त्म होंगे इन दवाओं से ज्यादा सुरक्षित और सस्ता तरीका और कोई नहीं है सिर्फ ७ दिन के प्रयोग में ही आपको जादू जैसा असर दिखाई देगा .ईश्वर सभी को स्वस्थ रखें

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