सुंदर व खुबसूरत चेहरे की ओर सभी आकर्षित होते हैं। हर स्त्री चाहती हैं कि उसके चेहरे में निखार आये व सुंदर बने। इसके लिए सौंदर्य संबंधी बहुत सी बातों को ध्यान में रखना पड़ता हैं क्योंकि सुंदरता तो उसे विरासत में नहीं मिली होती। वर्तमान में सौंदर्य के प्रति उनमें जागरुकता बढ़ी हैं। प्रस्तुत हैं चंद घरेलू उपाय जिसे आप अपनाकर अपने चेहरे में निखार ला सकती हैं, सुंदर बन सकती हैं।
** सांवलापन- चेहरे का सांवलापन दूर करने के लिए गाजर व नींबू का रस दूध में मिलाकर लगायें, मले या फिर गोभी के पत्तियों को बारीक पीसकर उसमें थोड़ा-सा खमीर मिलाकर चेहरे पर मलें। इससे त्वचा का सांवलापन व रुखापन दूर होगा।
** मुलायम चेहरा- चेहरे को मुलायम बनाने के लिए जसवंत के फूलों को पीसकर थोड़ा चंदन पावडर डालकर लगाये। जौ की आटे में दही व कुछ बूंदे बादाम रोगन मिलाकर भी लगा सकते हैं।
** दाग- चेहरे के काले दाग को मिटाने के लिए नींबू के रस में थोड़ा-सा मीठा सोडा मिलाकर चेहरे पर लगाइए या फिर प्रात: काल टमाटर के रस में थोड़ा रुई भिगोकर प्रतिदिन लगायें।
** झुर्रियां- चेहरे की झुर्रियों को समाप्त करने के लिए एक ही प्रकार के लोशन का प्रयोग करें। दूध व सरसों का तेल मिलाकर भी लगा सकते हैं।
** चेहरा कांतिमय- नींबू के दो चार बूंदे मलाई में डालकर चेहरे पर लगाने से चेहरा में निखार आता हैं, त्वचा साफ होती हैं। जीरे को पानी में उबालकर उस उबले पानी से चेहरे को धोने से या नींबू का रस दही में मिलाकर चेहरे पर लगाने से त्वचा में एक नई कांति आ जाती हैं, चेहरा आकर्षक बनता है।
** मुहांसे- मुंहासे की शिकायत होने पर चंदन की लकड़ी और हल्दी को पानी में घिसकर लगाने से मुहांसे मिट जाते हैं। मेकअप मौसम के अनुसार करें। कपड़े भी मौसम के अनुकूल ही पहनें। प्रतिदिन होंठ की बराबर देखभाल करें। घी अथवा मलाई लगाये होंठ मुलायम बनते हैं। प्रतिदिन 3-4 बार साफ पानी से चेहरे को अवश्य धोयें। तेज गर्मी, तेज बारिश व तेज सर्दी से चेहरे को बचायें।
रविवार, 6 मार्च 2011
मधुमेह में क्या खाएं, क्या न खाएं
आधुनिक जीवनशैली और सुख सुविधाओं ने जहां मनुष्य के जीवन को आसान किया है वहीं उसे कुछ बीमारियां भी भेंट स्वरूप दी हैं। ये बीमारियां एक बार लग जाए तो ठीक होने का नाम नहीं लेती क्योंकि इन्हें काबू में तो रखा जा सकता है पर पूरी तरह ठीक करना प्राय: संभव नहीं होता। मधुमेह और रक्तचाप ऐसे ही दो राजरोग हैं जो आर्थिक दृष्टि से समृध्द लोगों को अधिक होते हैं। इन रोगों को जीवनशैली में कुछ बदलाव लाकर और अपने आहार में परिवर्तन लाकर काबू में रखा जा सकता है जिससे दवाइयों पर निर्भरता को कम किया जा सकता है। आइए देखें कि कौन से खाद्य पदार्थ मधुमेह रोग को काबू रखने में हमें सहायता दे सकते हैं।
जामुन : जामुन मधुमेहियों का फल माना जाता है। जामुन का फल, गुठली, छाल सभी मधुमेह रोग में फायदेमंद है। जामुन जिन दिनों में उपलब्ध हो, उन दिनों खूब खाइये। जामुन की गुठली को फेंकिए मत। उन्हें धोकर सुखा कर पीस लें। उसका 3 ग्राम चूर्ण दिन में दो बार सुबह शाम पानी के साथ लें। जामुन स्टार्च को शर्करा में बदलने से रोकता है। इसके नियमित सेवन से मूत्र में शुगर की मात्रा कम होती है।
मेथी : मधुमेह रोग में मेथी का सेवन भी लाभप्रद है। मेथी दानों का चूर्ण बना कर नित्य खाली पेट 1 चम्मच चूर्ण पानी के साथ फांक लें। शुगर कन्ट्रोल करने में सहायता मिलेगी।
टमाटर : मधुमेह के रोगियों के लिए टमाटर लाभदायक है। इसके नियमित सेवन से मूत्र में शक्कर जाना धीरे-धीरे कम हो जाता है।
करेला : करेला वैसे तो अपने कड़वे स्वाद से पहचाना जाता है पर मधुमेहियों के लिए करेले का सेवन बहुत लाभप्रद है। 15 ग्राम करेले के रस को 100 ग्राम पानी में मिलाकर रोगी को नियमित देने से बहुत लाभ मिलता है। नई शोध के अनुसार उबले हुए करेले का रस रोगी के लिए अधिक लाभप्रद है। करेले को बंद कुकर में न उबालें। खुले भिगोने में 15 मिनट तक छोटे टुकड़े कर धीमी आंच पर उबालें। ठंडा होने पर कपड़े से रस छान कर रोगी को दें।
आंवला : आंवले का सेवन भी मधुमेह रोगियों के लिए लाभप्रद है। आंवला कच्चा भी खा सकते हैं और धनिया, पुदीना के साथ पीसकर चटनी के रूप में भी खा सकते हैं। आंवला मधुमेह के साथ-साथ आंखों को भी लाभ पहुंचाता है।
संतरा-नारंगी : मधुमेह रोगी संतरे तथा नारंगी का सेवन कर सकते हैं।
मशरूम : मशरूम में प्रोटीन अधिक होते हैं परन्तु स्टार्च न होने के कारण मधुमेह रोगी इसका सेवन नि:संकोच कर सकते हैं।
खीरा : मधुमेह रोगी को बार-बार भूख लगती है परन्तु अधिक खाना उनके लिए उचित नहीं होता। ऐसे में जब दो भोजन के बीच भूख लगे तो खीरा खा सकते हैं। खीरे से पेट भी भरता है और खीरा नुकसान भी नहीं करता।
चना : चना मधुमेह रोगियों के लिए बहुत अच्छा खाद्य पदार्थ माना जाता है। भूख लगने पर भुने चनों का सेवन किया जा सकता है। नाश्ते में रात के दूध में भिगोए चने सुबह खायें। चने के आटे की रोटी खाना भी लाभप्रद है। यदि खाली चने की रोटी न पचे तो चने के आटे में गेहूं का आटा मिला कर खाएं।
पौष्टिक पराठा : पराठा खाने का मन हो तो बथुआ, पालक, मेथी के पत्तों को आटे में गूंथ कर खाएं। चाहें तो मूली, गोभी को कद्दूकस कर आटे में गूंथ कर परांठा खाएं।
दलिया : चावल के स्थान पर नमकीन सब्जियों वाला दलिया खायें। चावल खाने की इच्छा भी पूरी हो जाएगी और पौष्टिकता भी पूरी मिलेगी।
इडली : इडली के लिए 1 कप मूंग की दाल, आधा कप उड़द की दाल, आधा कप चने की दाल लें। इन्हें रात में भिगोकर रख दें। सुबह पीस कर उसका खमीर उठा लें। उसमें नमक, जीरा, हरा धनिया व हरी मिर्च मिलाकर इडली के सांचे में पकायें। पौष्टिक इडली तैयार है। इससे पेट भी भरेगा और पौष्टिकता भी मिलेगी।
क्या न खाएं : चावल, मिठाई, लस्सी, शकरकंदी, आलू, अरबी, केला, आम, लीची, आइसक्रीम, केक, पेस्ट्री आदि से परहेज रखें। साथ ही साथ चिंता से दूर रहने का प्रयास करें।नियमित रहें : खाने-पीने सोने-जागने का समय निश्चित रखें। योगाभ्यास नियमित करें। प्रात: और शाम लंबी सैर पर निकल जाएं। स्वयं को बीमार न समझे। आत्मविश्वास से जीवन जिएं तो रोग आपके जीवन से दूर हो जायेगा।
जामुन : जामुन मधुमेहियों का फल माना जाता है। जामुन का फल, गुठली, छाल सभी मधुमेह रोग में फायदेमंद है। जामुन जिन दिनों में उपलब्ध हो, उन दिनों खूब खाइये। जामुन की गुठली को फेंकिए मत। उन्हें धोकर सुखा कर पीस लें। उसका 3 ग्राम चूर्ण दिन में दो बार सुबह शाम पानी के साथ लें। जामुन स्टार्च को शर्करा में बदलने से रोकता है। इसके नियमित सेवन से मूत्र में शुगर की मात्रा कम होती है।
मेथी : मधुमेह रोग में मेथी का सेवन भी लाभप्रद है। मेथी दानों का चूर्ण बना कर नित्य खाली पेट 1 चम्मच चूर्ण पानी के साथ फांक लें। शुगर कन्ट्रोल करने में सहायता मिलेगी।
टमाटर : मधुमेह के रोगियों के लिए टमाटर लाभदायक है। इसके नियमित सेवन से मूत्र में शक्कर जाना धीरे-धीरे कम हो जाता है।
करेला : करेला वैसे तो अपने कड़वे स्वाद से पहचाना जाता है पर मधुमेहियों के लिए करेले का सेवन बहुत लाभप्रद है। 15 ग्राम करेले के रस को 100 ग्राम पानी में मिलाकर रोगी को नियमित देने से बहुत लाभ मिलता है। नई शोध के अनुसार उबले हुए करेले का रस रोगी के लिए अधिक लाभप्रद है। करेले को बंद कुकर में न उबालें। खुले भिगोने में 15 मिनट तक छोटे टुकड़े कर धीमी आंच पर उबालें। ठंडा होने पर कपड़े से रस छान कर रोगी को दें।
आंवला : आंवले का सेवन भी मधुमेह रोगियों के लिए लाभप्रद है। आंवला कच्चा भी खा सकते हैं और धनिया, पुदीना के साथ पीसकर चटनी के रूप में भी खा सकते हैं। आंवला मधुमेह के साथ-साथ आंखों को भी लाभ पहुंचाता है।
संतरा-नारंगी : मधुमेह रोगी संतरे तथा नारंगी का सेवन कर सकते हैं।
मशरूम : मशरूम में प्रोटीन अधिक होते हैं परन्तु स्टार्च न होने के कारण मधुमेह रोगी इसका सेवन नि:संकोच कर सकते हैं।
खीरा : मधुमेह रोगी को बार-बार भूख लगती है परन्तु अधिक खाना उनके लिए उचित नहीं होता। ऐसे में जब दो भोजन के बीच भूख लगे तो खीरा खा सकते हैं। खीरे से पेट भी भरता है और खीरा नुकसान भी नहीं करता।
चना : चना मधुमेह रोगियों के लिए बहुत अच्छा खाद्य पदार्थ माना जाता है। भूख लगने पर भुने चनों का सेवन किया जा सकता है। नाश्ते में रात के दूध में भिगोए चने सुबह खायें। चने के आटे की रोटी खाना भी लाभप्रद है। यदि खाली चने की रोटी न पचे तो चने के आटे में गेहूं का आटा मिला कर खाएं।
पौष्टिक पराठा : पराठा खाने का मन हो तो बथुआ, पालक, मेथी के पत्तों को आटे में गूंथ कर खाएं। चाहें तो मूली, गोभी को कद्दूकस कर आटे में गूंथ कर परांठा खाएं।
दलिया : चावल के स्थान पर नमकीन सब्जियों वाला दलिया खायें। चावल खाने की इच्छा भी पूरी हो जाएगी और पौष्टिकता भी पूरी मिलेगी।
इडली : इडली के लिए 1 कप मूंग की दाल, आधा कप उड़द की दाल, आधा कप चने की दाल लें। इन्हें रात में भिगोकर रख दें। सुबह पीस कर उसका खमीर उठा लें। उसमें नमक, जीरा, हरा धनिया व हरी मिर्च मिलाकर इडली के सांचे में पकायें। पौष्टिक इडली तैयार है। इससे पेट भी भरेगा और पौष्टिकता भी मिलेगी।
क्या न खाएं : चावल, मिठाई, लस्सी, शकरकंदी, आलू, अरबी, केला, आम, लीची, आइसक्रीम, केक, पेस्ट्री आदि से परहेज रखें। साथ ही साथ चिंता से दूर रहने का प्रयास करें।नियमित रहें : खाने-पीने सोने-जागने का समय निश्चित रखें। योगाभ्यास नियमित करें। प्रात: और शाम लंबी सैर पर निकल जाएं। स्वयं को बीमार न समझे। आत्मविश्वास से जीवन जिएं तो रोग आपके जीवन से दूर हो जायेगा।
शुक्रवार, 4 मार्च 2011
गुस्से से बढ़ते हैं कील-मुंहासें
क्रोध को दुश्मन कहा जाता है। गुस्से से कई बार हमारे कार्य बिगड़ जाते हैं, रिश्तों में दरार पड़ जाती है। इसके साथ ही ज्यादा गुस्सा करने पर स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां भी बढ़ जाती हैं। आयुर्वेद के अनुसार गुस्सा करने से कील-मुंहासों में बढ़ोतरी होती है।कील-मुंहासें सुंदरता के लिए दाग की तरह ही हैं। इसी वजह से सभी इनसे बचने के लिए कई प्रकार के जतन करते हैं। इस संबंध में आयुर्वेद में कई टिप्स बताई गई हैं। इन टिप्स को अपनाने से त्वचा बेदाग और चमकदार हो जाती है।
- हर रोज 2-3 लीटर पानी अवश्य पीएं।
- अपने चेहरे को ग्लिसरीनयुक्त साबुन से धोएं। ध्यान रहे यदि कोई साबुन त्वचा को नुकसान पहुंचता है तो उसे लगाना तुरंत बंद कर दें।
- संतुलित खाना खाएं। जंक फूड से बचें।- तेल, घी जैसे अत्यधिक वसा वाले खाने कम से कम खाएं।
- कील-मुंहासे का एक बड़ा कारण है पेट का साफ न होना। इसलिए कब्ज की समस्या हो तो उसका इलाज करवाएं।
- बालों में रूसी हो तो उसे दूर करें।
- नींबू भी मुंहासे दूर करता है।
- गुस्से पर काबू रखें। इससे शरीर में कई ऐसे पदार्थ निर्मित हो जाते हैं जिनसे कील-मुंहासें की समस्या पैदा होती है।
- हर रोज 2-3 लीटर पानी अवश्य पीएं।
- अपने चेहरे को ग्लिसरीनयुक्त साबुन से धोएं। ध्यान रहे यदि कोई साबुन त्वचा को नुकसान पहुंचता है तो उसे लगाना तुरंत बंद कर दें।
- संतुलित खाना खाएं। जंक फूड से बचें।- तेल, घी जैसे अत्यधिक वसा वाले खाने कम से कम खाएं।
- कील-मुंहासे का एक बड़ा कारण है पेट का साफ न होना। इसलिए कब्ज की समस्या हो तो उसका इलाज करवाएं।
- बालों में रूसी हो तो उसे दूर करें।
- नींबू भी मुंहासे दूर करता है।
- गुस्से पर काबू रखें। इससे शरीर में कई ऐसे पदार्थ निर्मित हो जाते हैं जिनसे कील-मुंहासें की समस्या पैदा होती है।
अगर आप आधेसिर दर्द से परेशान हैं तो घबराऐं नहीं
अक्सर लोग सिर दर्द की समस्या से परेशान रहते हैं लेकिन कुछ लोगों ऐसे हैं जिनके लिए अक्सर होने वाला आधाशीशी का दर्द बडी परेशानी बन गया है। नीचे बताए जा रहे कुछ आयुर्वेद के उपायों से आप इस समस्या से हमेशा के लिए छुटकारा पा सकते हैं।
1। गाय का ताजा घी सुबह शाम दो चार बूंद नाक में डालने से टपकाने से आधाशीशी का दर्द हमेशा के लिए जड़ से खत्म हो जाता है।
2। सिर के जिस भाग में दर्द हो रहा हो उस तरफ के नथुने में चार पांच बूंद सरसों के तेल की डालने से या तेल को सूंघने से आधासिर दर्द बन्द हो जाता है।
विशेष: इस विधि को अपनाने से नाक से खून आने(नकसीर) की समस्या भी दूर हो जाती है
1। गाय का ताजा घी सुबह शाम दो चार बूंद नाक में डालने से टपकाने से आधाशीशी का दर्द हमेशा के लिए जड़ से खत्म हो जाता है।
2। सिर के जिस भाग में दर्द हो रहा हो उस तरफ के नथुने में चार पांच बूंद सरसों के तेल की डालने से या तेल को सूंघने से आधासिर दर्द बन्द हो जाता है।
विशेष: इस विधि को अपनाने से नाक से खून आने(नकसीर) की समस्या भी दूर हो जाती है
मंगलवार, 1 मार्च 2011
क्या आपको कुछ याद नहीं रहता...?
आजकल अच्छा खान पान न होने की वजह से याददाश्त का कमजोर होना एक आम समस्या बन गई है।हर आदमी अपनी भूलने की आदत से परेशान है लेकिन अब आपको परेशान हो की आवश्यकता नहीं है क्योंकि आयुर्वेद में इस बीमारी को दूर करने के सरलतम उपाय बताए हैं।
1। सात दाने बादाम के रात को भिगोकर सुबह छिलका उतार कर बारीक पीस लें । इस पेस्ट को करीब 250 ग्राम दूध में डालकर तीन उबाल लगाऐं। इसके बाद इसे नीचे उतार कर एक चम्मच घी और दो चम्मच शक्कर मिलाकर ठंडाकर पीऐं। 15 से 20 दिन तक इस विधि को करने से याददाश्त तेज होती है।
2। भीगे हुए बादाम को काली मिर्च के साथ पीस लें या ऐसे ही खूब चबाचबाकर खाऐं और ऊपर से गुनगुना दूध पी लें।
3। एक चाय का चम्मच शंखपुष्पी का चूर्ण दूध या मिश्री के साथ रोजाना तीन से चार हफ्ते तक लें ।
विशेष: सिर का दर्द, आंखों की कमजोरी, आंखों से पानी आना, आंखों में दर्द होने जैसे कई रोगों में यह विधि लाभदायक है।
1। सात दाने बादाम के रात को भिगोकर सुबह छिलका उतार कर बारीक पीस लें । इस पेस्ट को करीब 250 ग्राम दूध में डालकर तीन उबाल लगाऐं। इसके बाद इसे नीचे उतार कर एक चम्मच घी और दो चम्मच शक्कर मिलाकर ठंडाकर पीऐं। 15 से 20 दिन तक इस विधि को करने से याददाश्त तेज होती है।
2। भीगे हुए बादाम को काली मिर्च के साथ पीस लें या ऐसे ही खूब चबाचबाकर खाऐं और ऊपर से गुनगुना दूध पी लें।
3। एक चाय का चम्मच शंखपुष्पी का चूर्ण दूध या मिश्री के साथ रोजाना तीन से चार हफ्ते तक लें ।
विशेष: सिर का दर्द, आंखों की कमजोरी, आंखों से पानी आना, आंखों में दर्द होने जैसे कई रोगों में यह विधि लाभदायक है।
दालचीनी से भगाएं मौसमी बीमारियां
सामान्यत: सभी लोगों मौसम परिवर्तन के समय छोटी-छोटी बीमारियों से ग्रसित हो जाते हैं। मौसमी बीमारियां जैसे सर्दी-जुकाम, बुखार, खांसी आदि। इनसे बचने के लिए आयुर्वेद में दालचीनी का उपयोग बताया गया है।
यदि आप अत्यधिक कार्य की वजह से मानसिक तनाव झेल रहे हैं तो रात को सोते समय एक चुटकी दालचीनी पाउडर शहद के साथ लें, इससे सोचने की शक्ति भी बढ़ती है। कुछ ही दिनों तनाव दूर हो जाएगा।
यदि आपका गला बैठ गया है, तो दालचीनी का बारीक पाउडर एक गिलास पानी में उबालें और चुटकीभर कालीमिर्च व शहद के साथ लें।
प्रतिदिन रात को सोते समय दालचीनी का सेवन करें। इससे मौसमी बीमारियों को आपसे दूर रहेंगी।
सिरदर्द होने पर दालचीनी के पाउडर को पानी में मिलाकर पेस्ट बनाकर माथे पर लगाएं।
स्कीन संबंधी बीमारी जैसे कील-मुंहासे, काले दाग-धब्बे होने पर दालचीनी के पाउडर को नीबू के उस में मिलाकर लगाएं।
यदि आपके मुंह से बदबू आती है तो दालचीनी का छोटा टुकड़ा चूसें।
दस्त की समस्या होने पर एक चम्मच दालचीनी पाउडर सुबह-शाम पानी के साथ लें।
यदि आप अत्यधिक कार्य की वजह से मानसिक तनाव झेल रहे हैं तो रात को सोते समय एक चुटकी दालचीनी पाउडर शहद के साथ लें, इससे सोचने की शक्ति भी बढ़ती है। कुछ ही दिनों तनाव दूर हो जाएगा।
यदि आपका गला बैठ गया है, तो दालचीनी का बारीक पाउडर एक गिलास पानी में उबालें और चुटकीभर कालीमिर्च व शहद के साथ लें।
प्रतिदिन रात को सोते समय दालचीनी का सेवन करें। इससे मौसमी बीमारियों को आपसे दूर रहेंगी।
सिरदर्द होने पर दालचीनी के पाउडर को पानी में मिलाकर पेस्ट बनाकर माथे पर लगाएं।
स्कीन संबंधी बीमारी जैसे कील-मुंहासे, काले दाग-धब्बे होने पर दालचीनी के पाउडर को नीबू के उस में मिलाकर लगाएं।
यदि आपके मुंह से बदबू आती है तो दालचीनी का छोटा टुकड़ा चूसें।
दस्त की समस्या होने पर एक चम्मच दालचीनी पाउडर सुबह-शाम पानी के साथ लें।
शहद से बंद होगा बालों का झडऩा
सामान्यत: सभी के यहां शहद आसानी से मिल जाता है। शहद के औषधीय गुण सभी जानते हैं। शहद की तासीर ठंडी होती है और यह कई बीमारियों को दूर करने में सक्षम है। शहद से बालों का झडऩा भी रोका जा सकता है। आज छोटी उम्र से ही बालों के झडऩे की समस्या देखी जाती है। इस बीमारी से बचने के लिए शहद और दालचीनी कारगर उपाय है।
बाल झड़ते हैं तो गरम जैतून के तेल में एक चम्मच शहद और एक चम्मच दालचीनी पाउडर का पेस्ट बनाएं। नहाने से पहले इस पेस्ट को सिर पर लगा लें। 15 मिनट बाद बाल गरम पानी से सिर को धोएं। ऐसा करने पर कुछ ही दिनों बालों के झडऩे की समस्या दूर हो
बाल झड़ते हैं तो गरम जैतून के तेल में एक चम्मच शहद और एक चम्मच दालचीनी पाउडर का पेस्ट बनाएं। नहाने से पहले इस पेस्ट को सिर पर लगा लें। 15 मिनट बाद बाल गरम पानी से सिर को धोएं। ऐसा करने पर कुछ ही दिनों बालों के झडऩे की समस्या दूर हो
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