रविवार, 6 मार्च 2011

मधुमेह में क्या खाएं, क्या न खाएं

आधुनिक जीवनशैली और सुख सुविधाओं ने जहां मनुष्य के जीवन को आसान किया है वहीं उसे कुछ बीमारियां भी भेंट स्वरूप दी हैं। ये बीमारियां एक बार लग जाए तो ठीक होने का नाम नहीं लेती क्योंकि इन्हें काबू में तो रखा जा सकता है पर पूरी तरह ठीक करना प्राय: संभव नहीं होता। मधुमेह और रक्तचाप ऐसे ही दो राजरोग हैं जो आर्थिक दृष्टि से समृध्द लोगों को अधिक होते हैं। इन रोगों को जीवनशैली में कुछ बदलाव लाकर और अपने आहार में परिवर्तन लाकर काबू में रखा जा सकता है जिससे दवाइयों पर निर्भरता को कम किया जा सकता है। आइए देखें कि कौन से खाद्य पदार्थ मधुमेह रोग को काबू रखने में हमें सहायता दे सकते हैं।
जामुन : जामुन मधुमेहियों का फल माना जाता है। जामुन का फल, गुठली, छाल सभी मधुमेह रोग में फायदेमंद है। जामुन जिन दिनों में उपलब्ध हो, उन दिनों खूब खाइये। जामुन की गुठली को फेंकिए मत। उन्हें धोकर सुखा कर पीस लें। उसका 3 ग्राम चूर्ण दिन में दो बार सुबह शाम पानी के साथ लें। जामुन स्टार्च को शर्करा में बदलने से रोकता है। इसके नियमित सेवन से मूत्र में शुगर की मात्रा कम होती है।
मेथी : मधुमेह रोग में मेथी का सेवन भी लाभप्रद है। मेथी दानों का चूर्ण बना कर नित्य खाली पेट 1 चम्मच चूर्ण पानी के साथ फांक लें। शुगर कन्ट्रोल करने में सहायता मिलेगी।
टमाटर : मधुमेह के रोगियों के लिए टमाटर लाभदायक है। इसके नियमित सेवन से मूत्र में शक्कर जाना धीरे-धीरे कम हो जाता है।
करेला : करेला वैसे तो अपने कड़वे स्वाद से पहचाना जाता है पर मधुमेहियों के लिए करेले का सेवन बहुत लाभप्रद है। 15 ग्राम करेले के रस को 100 ग्राम पानी में मिलाकर रोगी को नियमित देने से बहुत लाभ मिलता है। नई शोध के अनुसार उबले हुए करेले का रस रोगी के लिए अधिक लाभप्रद है। करेले को बंद कुकर में न उबालें। खुले भिगोने में 15 मिनट तक छोटे टुकड़े कर धीमी आंच पर उबालें। ठंडा होने पर कपड़े से रस छान कर रोगी को दें।
आंवला : आंवले का सेवन भी मधुमेह रोगियों के लिए लाभप्रद है। आंवला कच्चा भी खा सकते हैं और धनिया, पुदीना के साथ पीसकर चटनी के रूप में भी खा सकते हैं। आंवला मधुमेह के साथ-साथ आंखों को भी लाभ पहुंचाता है।
संतरा-नारंगी : मधुमेह रोगी संतरे तथा नारंगी का सेवन कर सकते हैं।
मशरूम : मशरूम में प्रोटीन अधिक होते हैं परन्तु स्टार्च न होने के कारण मधुमेह रोगी इसका सेवन नि:संकोच कर सकते हैं।
खीरा : मधुमेह रोगी को बार-बार भूख लगती है परन्तु अधिक खाना उनके लिए उचित नहीं होता। ऐसे में जब दो भोजन के बीच भूख लगे तो खीरा खा सकते हैं। खीरे से पेट भी भरता है और खीरा नुकसान भी नहीं करता।
चना : चना मधुमेह रोगियों के लिए बहुत अच्छा खाद्य पदार्थ माना जाता है। भूख लगने पर भुने चनों का सेवन किया जा सकता है। नाश्ते में रात के दूध में भिगोए चने सुबह खायें। चने के आटे की रोटी खाना भी लाभप्रद है। यदि खाली चने की रोटी न पचे तो चने के आटे में गेहूं का आटा मिला कर खाएं।
पौष्टिक पराठा : पराठा खाने का मन हो तो बथुआ, पालक, मेथी के पत्तों को आटे में गूंथ कर खाएं। चाहें तो मूली, गोभी को कद्दूकस कर आटे में गूंथ कर परांठा खाएं।
दलिया : चावल के स्थान पर नमकीन सब्जियों वाला दलिया खायें। चावल खाने की इच्छा भी पूरी हो जाएगी और पौष्टिकता भी पूरी मिलेगी।
इडली : इडली के लिए 1 कप मूंग की दाल, आधा कप उड़द की दाल, आधा कप चने की दाल लें। इन्हें रात में भिगोकर रख दें। सुबह पीस कर उसका खमीर उठा लें। उसमें नमक, जीरा, हरा धनिया व हरी मिर्च मिलाकर इडली के सांचे में पकायें। पौष्टिक इडली तैयार है। इससे पेट भी भरेगा और पौष्टिकता भी मिलेगी।
क्या न खाएं : चावल, मिठाई, लस्सी, शकरकंदी, आलू, अरबी, केला, आम, लीची, आइसक्रीम, केक, पेस्ट्री आदि से परहेज रखें। साथ ही साथ चिंता से दूर रहने का प्रयास करें।नियमित रहें : खाने-पीने सोने-जागने का समय निश्चित रखें। योगाभ्यास नियमित करें। प्रात: और शाम लंबी सैर पर निकल जाएं। स्वयं को बीमार न समझे। आत्मविश्वास से जीवन जिएं तो रोग आपके जीवन से दूर हो जायेगा।

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