यह तो आप जानते ही होंगे कि बायोकैमिक चिकित्सा पध्दति हानि रहित व लवण चिकित्सा पध्दति है। इस पध्दति में मात्र 12 लवणीय दवाएं है, जो शरीर के लिए आवश्यक है। इन दवाओं की और विशेषता यह है कि ये अधिक मात्रा में दे देने या सभी 12 दवाएं एक साथ दे देने पर भी शरीर को किसी प्रकार की हानि नहीं पहुंचती। यहां हम आपकी जानकारी के लिए सभी 12 दवाओं का महिलाओं से संबंधित विभिन्न रोगों से जुड़ा महत्व बता रहे हैं।
* कल्केरिया फ्लोर : यह दवा गर्म अवस्था में गर्भाशय की संकुचन स्थिति ठीक करती हैष गर्भाशय को मजबूती प्रदान करती है तथा मासिक धर्म के दौरान अत्यधिक रक्तस्राव को सही स्थिति प्रदान करती है।
* कल्केरिया फॉस : यह प्रसव कमजोरी, मासिक धर्म, स्तन पीड़ा, कमर दर्द, श्वेत प्रदर को ठीक करती है। इससे कैल्शियम की कमी को भी दूर किया जा सकता है।
कल्केरिया सल्फ : योनि में खुजली, स्तनों में दर्द, मासिक धर्म की अनियमित स्थिति को ठीक करने के लिए यह दवा उत्तम है।
* फेरम फॉस : यह लवण मासिक धर्म विकृति, शुष्क योनि आदि रोगों में बहुत लाभप्रद है।
* काली मयूर : यह एक तरह से कीटाणुनाशक है। गर्भाशय के घाव, प्रसूति ज्वर में तो बहुत फायदेमंद है।
* काली सल्फ : मासिक धर्म में देरी अथवा अनियमितता सूजाक में बहुत फायदेमंद है।
मैग्नीशिया फॉस : मासिक धर्म के प्रारंभ के समय के कष्ट में डिम्ब ग्रंथियों के दर्द में यह दवा देनी चाहिए।
* नेट्रम मयूर : बांझपन, योनि में जलन, योनि की भीतरी जलन, मैथुन क्रिया के प्रति उदासीनता या उत्तेजना की कमी अथवा स्तनों में दूध की कमी हो तो इस साल्ट का सेवन करना चाहिए।
* नेट्रम फॉस : तिथि से पूर्व मासिक धर्म आना, बदबूदार श्वेत प्रदर, योनि से बदबू आए अथवा बांझपन की स्थिति हो तो इस दवा का सेवन लाभप्रद रहता है।
* नेट्रम सल्फ : मासिक धर्म के दिनों में अपच, पेट दर्द, योनि के छिलने से उत्पन्न पीड़ा हो तो इस दवा का सेवन करें।
* काली फॉस : मासिक धर्म में काम इच्छा, शरीर में पीड़ा, अत्यधिक रक्तस्राव हो तो काली फॉस का सेवन करें।
* साइलीशिया : दुर्गन्धयुक्त मासिक धर्म, स्तन के घाव, स्तनों में गांठ होने या कड़े हो जाने पर, योनि के घाव, मासिक धर्म के दिनों में कब्ज हो तो यह लवण दे सकते हैं।
जहर करेगा स्वर संबंधी विकारों का उपचार सर्वाधिक असरदार और प्राकृतिक विष माने जाने वाले बोटलिनम यया बोटॉक्स का प्रयोग अब तक आंख की एठी हुई मांसपेशियों को ढीला करने और चेहरे की झुर्रिया व झाईयां दूर करने के लिए उसकी मांसपेशियां शिथिल करने में ही किया जाता रहा है किन्तु अब गले की सर्जरी में आवाज गंवा चुके मरीजों की आवाज वापस लाने में भी बोटाक्स नामक यह अत्यन्त तीव्र विष प्रभावी दवा का काम कर रहा है। गले के कैंसर या ऐसे ही अन्य मुख व कंठ विकारों में प्राय: रोगियों का स्वरयंत्र निकाल दिया जाता है और उन्हें अपने कंठ की मांसपेशियां स्वत: ही नियंत्रित करनी पड़ती है जबकि आमतौर पर स्वरयंत्र ही हवा के जरिये आवाज का नियंत्रण करता है। ऐसे में आपरेशन के बाद सामान्य रूप से अपनी प्राकृतिक आवाज पुन: पाना बहुत मुश्किल होता है। कंठ की मांसपेशियों का नियंत्रण स्वयं करते हुए कई बार वे एेंठने लगती हैं और आवाज ठीक से नहीं आ पाती।
टैक्सास विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों के अनुसार स्वरयंत्र के अभाव में कंठ की मांसपेशियों पर बोटाक्स विष का प्रयोग उन्हें शिथिल कर देता है, जिससे उनमें ऐठन नहीं हो पाती और आवाज लगातार ठीक से आती रहती है। वैज्ञानिक दल ने करीब 23 रोगियों पर बोटाक्स का प्रयोग किया, जिनमें से 15 रोगियों की आवाज में फर्क पहले ही इंजेक्शन में आ गया जबकि दूसरा एंजेक्शन देने पर चार अन्य रोगियों की आवाज वापस आ गयी और शेष चार में से एक रोगी की आवाज तीसरा इंजेक्शन देने पर वापस आ गयी। इस महत्वपूर्ण शोध से उत्साहित टैक्सास विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों का मानना है कि स्वर संबंधी विकारों के उपचार में बोटाक्स विष बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।
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