दस्त या अतिसार स्वयं तो रोग है ही, यदि ये बने रहें तो शरीर में पानी की कमी हो जाना लाजमी है। यह शरीर में पानी की कमी ही डीहाईड्रेशन है, जो कि दस्तों से भी अधिक खतरनाक है। अत: दस्तों का सही, तुरंत इलाज करना जरूरी है। बार-बार शौच जाना बहुत कमजोरी भी ला देता है।
कारण : 1. अशुध्द दूषित पानी पीना, 2. अंतड़ियों में भोजन का सड़ना, 3. आवश्यकता से अधिक खाना, 4. किसी अन्य रोग के कारण एन्टीबायोटिक दवाएं खाना, 5. ऐसी दवाएं खाना जो दस्त लगाती हों, 6. भोजन की किसी प्रकार से एलर्जी हो जाना, 7. बासी भोजन खाने से, 8. फल से जो गल-सड़ गये हों, 9. पुरानी मिठाई से, 10. गंदे, मक्खियों वाले, धूल वाले कटे फल आदि खाने से भी, 11. घबराहट, मानसिक दबाव, भय तथा तनाव भी दस्त लगा देते हैं।
उपचार : दस्तों से बचने के लिए निम्नलिखित उपचार कर सकते हैं-
जीरा तथा सौंफ से- एक चम्मच जीरा, एक चम्मच सौंफ लेकर तवे पर भून लें। फिर चकला-बेलना पर या सिल पर पीसें। इसे खाकर ताजा पानी पी लें। ऐसी तीन खुराक एक दिन में लेनी है। कुल चार दिन उपचार करना है। यह चूर्ण इकट्ठा, एक बार बनाकर भी रख सकते हैं।
ईसबगोल की भूसी से- ईसबगोल की भूसी के दो चम्मच लें। एक डिश प्लेट दही में मिलाकर खाएं। ऐसी तीन खुराक दिन में लें। तीन दिनों तक लेते रहें। आराम मिलेगा।
अदरक का रस- एक प्याला उबला हुआ पानी लें। इसमें अदरक का ताजा रस एक चम्मच डालें। कुछ देर रखा रहने दें। जब गुनगुना हो जाए तो पी लें। ऐसी चार खुराक हर घंटे-डेढ़ घंटे के बाद लें। दो ही दिनों में आराम मिल जायेगा।
डीहाईड्रेशन से बचें- इस रोग में डीहाईड्रेशन का बहुत डर रहता है। इससे बचने का प्रयत्न करना जरूरी है।
1. उबाल कर, ठंडा करके पानी पीने की आदत डाले।
2. इलेक्ट्राल को घोलकर पीते रहें।
3. गुनगुने पानी में चीनी, नमक और नींबू स्वाद के अनुसार मात्रा में डालें और पी लें। दिन भर पीते रहें जब तक दस्त परेशान कर रहे हों। ऐसा करने से पानी की कमी नहीं होती और रोग भी जल्दी शांत होता है। इस रोग से कमजोरी भी आ जाती है। अत: जल्दी से जल्दी इलाज कर अपना बचाव करें।
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