मंगलवार, 29 मार्च 2011

क्या आप अपने जोड़ो के दर्द से परेशान हैं...?

यदि किसी व्यक्ति को गठिया, साइटिका या रीढ़ की हड्डी या अन्य हड्डी से जुड़ी कोई परेशानी है तो उसके लिए गृद्धासन काफी कारगर उपाय हैं। इसके नियमित अभ्यास से काफी फायदा होता है।

गृद्धासन की विधि

- समतल स्थान पर कंबल आदि बिछाकर जमीन पर सीधा खड़े हो जाएं।

- फिर दाएं पैर को घुटनें से मोड़कर बाएं पैर में रस्सी की तरह लपेटकर खड़े हो जाएं तथा पूरे शरीर का भार एक पैर पर डालें।

- इस तरह दोनों हाथों को भी आपस में इस तरह से लपेटे की अंगूलियां गिद्ध की चोंच की तरह बन जाएं।

- हाथों को मुंह के सामने रखें।

- आसन की इस स्थिति में कुछ देर तक रहें और सामान्य स्थिति में आकर इस क्रिया को दूसरे पैरों से भी करें।

- इसमें घुटनों को हमेशा मुड़े हुए रखें। इस आसन का अभ्यास शुरु में कठिन होता है।

- इस आसन को शुरु में करते समय किसी दूसरे की सहायता ले सकते हैं। बाद में बिना किसी की सहायता से ही करें। इस आसन में शरीर का पूर्ण भार एक पैर पर ही टिका होता है। इसमें शरीर का संतुलन बनाना आवश्यक है।

आसन से रोगों में लाभ

इससे पिण्डलियों की मांसपेशियां विकसित व सख्त बनती है। इस से पैरों व हाथों की हड्डियां मजबूत होती है तथा रीढ़ की हड्डी भी मजबूत होती है। यह हाथ-पैरों को विकसित एवं पुष्ट करता है। यह गठिया तथा पुरानी वातरोग, साइटिका पेन को ठीक करता हैं।

सावधानी

यदि आह्यपको किसी तरह की बीमारी है तो किसी योग प्रशिक्षक से परामर्श अवश्य करें।

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