रविवार, 3 अप्रैल 2011
क्या आप अपने सांवले रंग से परेशान हैं...?
1. एक बाल्टी ठण्डे या गुनगुने पानी में दो नींबू का रस मिलाकर गर्मियों में कुछ महीने तक नहाने से त्वचा का रंग निखरने लगता है (इस विधि को करने से त्वचा से सम्बन्धी कई रोग ठीक हो जाते हैं )।
2. आंवला का मुरब्बा रोज एक नग खाने से दो तीन महीने में ही रंग निखरने लगते है।
3. गाजर का रस आधा गिलास खाली पेट सुबह शाम लेने से एक महीने में रंग निखरने लगता है।
रोजाना सुबह शाम खाना खाने के बाद थोड़ी मात्रा में सांफ खाने से खून साफ होने लगता है और त्वचा की रंगत बदलने लगती है।
शनिवार, 2 अप्रैल 2011
गजब की औषधि है-हल्दी
भारतीय संस्कृति में हल्दी का विशेष महत्व है। इसे धार्मिक दृष्टि से भी पवित्र एवं शुभ माना जाता है। प्रत्येक शुभ कार्य में हल्दी का उपयोग किसी न किसी रूप में अवश्य किया जाता है। हल्दी की उपयोगिता मसाले के रूप में सर्वविदित है। कोई भी सब्जी या दाल हल्दी के बिना स्वादिष्ट बन ही नहीं सकती। किन्तु मसाले के अतिरिक्त हल्दी के अनेक औषधीय उपयोग भी हैं। हल्दी स्वभाव के तिक्त, रूक्ष, वर्ण करने वाली तथा कफ, पित्त, त्वचा के दोष, रक्तदोष, सूजन, मधुमेह एवं ब्रण को दूर कर राहत पहुंचाने वाली है।
आयुर्वेद की अनेक औषधियों के निर्माण में हल्दी का उपयोग होता है। आयुर्वेदिक तेल, घृत, आसव, अरिष्टों एवं चूर्णों में हल्दी का उपयोग किया जाता है। पारद संहिता में हल्दी के कल्य का वर्णन किया गया है। हल्दी के मुख्य औषधीय उपयोग निम्नवत् हैं :-
चोट लगने पर ः यदि शरीर के किसी भी भाग में चोट लग गयी है और वहां सूजन आ गयी हो तो हल्दी पीसकर उसमें चूना मिलाकर चोट लगे स्थान पर लेप करना चाहिए। यदि चोट भीतरी हो तो गाय के गुनगुने दूध में हल्दी ता चूर्ण मिलाकर पिलाना चाहिए। ऐसा करने से दर्द कम हो जाता है और यदि घाव हो गया हो तो इसका लेप लगाने से कीटाणु नष्ट हो जाते हैं।
फोड़े-फुंसियों में ः यदि फोड़ा फूटा हुआ न हो तो अलसी के पुल्तिस में हल्दी मिलाकर फोड़े पर बांधने से फोड़ा जल्दी ही पककर फूट जाता है। मवाद, बाहर आ जाता है और घाव शीघ्र ही ठीक हो जाता है।
एलर्जी में ः हल्दी का उपयोग, चर्मरोग, जुकाम एवं श्वास की एलर्जी में भी विशेष लाभ पहुंचाता है।
खांसी में ः यदि खांसी हो गयी है तो हल्दी सात माशा, आमी हल्दी दो माशा लेकर इन दोनों को पानी के साथ पीसकर मटर के दाने के बराबर गोलियां बनाकर इनका सुबह-शाम जल के साथ सेवन करने से खांसी में आराम मिलता है। यदि खांसी सूखी हो तो गर्म दूध में हल्दी का एक चम्मच चूर्ण मिलाकर पीने से खांसी ढीली हो जाती है और कफ बाहर आ जाता है। सूखी खांसी में शहद के साथ ही हल्दी का सेवन उपयोगी होता है।
उदर गैस में ः यदि पेट में गैस बन रही हो तो पिसी हल्दी दस रत्ती एवं दस रत्ती काला नमक मिलाकर गर्म जल के साथ सेवन करने से शीघ्र ही लाभ पहुंचता है। इसके सेवन से एक तरफ जहां पेट के अन्दर एकत्रित गैस निकल जाती है, वहां गैस का बनना भी काम हो जाता है।
दांत रोग ः दांत दर्द या दांत संबंधी अन्य विकार हों तो हल्दी का मंजन करना विशेष उपयोगी होता है। मंजन बनाने हेतु हल्दी की गांठ को धीमी आंच पर भूनकर इसे बारीक पीसकर कपड़े में छान लेना चाहिए। इसमें थोड़ा-सा सेंधा नमक मिलाकर प्रातः एवं शाम को भोजन से पूर्व इसका मंजन करना चाहिए।
कान रोग में ः कान संबंधी रोगों में भी हल्दी का उपयोग विशेष लाभकारी होती है। कान बहने, कान दर्द, कान में पीब या मवाद होने पर हल्दी का उपयोग विशेष लाभ पहुंचाता है। कान की तकलीफ होने पर हल्दी को उसकी मात्रा से दोगुने पानी में बारीक पीसकर छान लेना चाहिए। इसके बराबर मात्रा में तिल का तेल मिलाकर धीमी आंच पर पकाना चाहिए। जब पककर मात्र तेल रह जाये तो उसे शीशी में रख लेना चाहिए एवं जब भी कान में दर्द हो या कान संबंधी अन्य तकलीफ हो तो थोड़ा गुनगुना करके दो-तीन बूंद कान में डालनी चाहिए। कान की किसी भी प्रकार की तकलीफ में इससे आराम पहुंचाता है।
मुख संबंधी रोगों में ः मुख संबंधी तकलीफ एवं हलक तथा मुंह में छाले पड़ जाने की स्थिति में अथवा गले में गिल्टियों के निकल आने की स्थिति में हल्दी का सेवन बेहद उपयोगी होता है। मुंह में छाले पड़ने पर एक तोला हल्दी को कूट-पीसकर एक लीटर पानी में उबाल लेना चाहिए। जब खूब उबल जाये तो उतारकर ठंडा कर उससे सुबह-शाम कुल्ला करने से मुंह के छाले ठीक हो जाते हैं एवं जलन भी दूर हो जाती है।
यदि गले में गिल्टियां निकल आई हों तो हल्दी को महीन पीसकर छह माशा की मात्रा में सुबह जल के साथ इसका सेवन करना चाहिए। साथ ही साथ हल्दी को पानी में पीसकर हल्का गर्म करके गले पर इसका लेप करने पर भी आराम मिलता है।
शक्ति से भरपूर है-बादाम
दरम्याने कद के पेड़ पर बादाम लगते हैं। इस पेड़ पर सफेद तथा गुलाबी रंग के फूल लगते हैं। अप्रैल में लगे फूल अगस्त में फल बन जाते हैं। फल हरे रंग का छिलका लिए होते हैं। छिलके में से निकला कच्चा बादाम बहुत सुपाच्य तथा रूचिकर होता है। भारत में कश्मीर, हिमाचल प्रदेश में इसकी अच्छी फसल होती है। अफगानिस्तान तो जैसे बादाम का घर ही है। फल का पूर्ण मालाकार तथा बारीक कंगूरेदार होता है। उपचार भी जान लें बादाम से। ग्रन्थों में बादाम को ‘वाताम’ लिखा मिलता है।
* शरीर की खोई हुई शक्ति पाने के लिए बादाम की गिरी को दूध में उबाल कर पीना लाभ कर रहता है।
* तोतले बच्चों का अच्छा उपचार है। रात को गिरी भिगोएं। प्रात: छील कर गाय के ताजे मक्खन में मिलाकर खिलाएं।
* जो बच्चे अभी बोलना सीख न रहे हों, और आप उनकी इस देरी से चिन्तित हों तो भी मक्खन के साथ रात की भीगी और छीली हुई गिरी खिलाएं। बोलने लगेंगे।
* कमर दर्द जैसे रोगों का अच्छा उपचार है बादाम का सेवन।
* महिलाओं के प्रसूता होने पर उन्हें किसी न किसी रूप में बादाम देना कमजोरी दूर करेगा।
* दांतों की रक्षा के लिए बादाम के छिलकों को जला कर मंजन तैयार करें और प्रतिदिन प्रयोग करें।
* यदि सुनने की शक्ति कम होने का भय हो तो बादाम रोगन की एक-एक बूंद प्रतिदिन डालें।
* औरतों को सफेद पानी (लिकोरिया) बीमारी हो जाने पर बादाम की गिरियां रात भर भिगोएं। प्रात: खिलाएं।
* सिर की खुश्की मिटाने के लिए सिर पर बादाम रोगन की मालिश करें।
* बाल न झड़े, इसके लिए भी सिर पर बादाम रोगन की मालिश करते हैं।
* दिमागी काम करने वालों को पांच से सात बादाम प्रतिदिन खाने चाहिए। यह शक्तिशाली टॉनिक है।
* मन्द बुध्दि भी तीव्र कर देते हैं। बादाम तथा बदाम रोगन।
* बादाम को चबाकर खाने से पूर्व कुछ घन्टे पानी में भिगो कर रखें। छील कर खाएं, अथवा छिलके सहित, फिर पीस कर खाएं तो पूरी-पूरी पौष्टिकता मिलेगी।
* शरीर की खोई हुई शक्ति पाने के लिए बादाम की गिरी को दूध में उबाल कर पीना लाभ कर रहता है।
* तोतले बच्चों का अच्छा उपचार है। रात को गिरी भिगोएं। प्रात: छील कर गाय के ताजे मक्खन में मिलाकर खिलाएं।
* जो बच्चे अभी बोलना सीख न रहे हों, और आप उनकी इस देरी से चिन्तित हों तो भी मक्खन के साथ रात की भीगी और छीली हुई गिरी खिलाएं। बोलने लगेंगे।
* कमर दर्द जैसे रोगों का अच्छा उपचार है बादाम का सेवन।
* महिलाओं के प्रसूता होने पर उन्हें किसी न किसी रूप में बादाम देना कमजोरी दूर करेगा।
* दांतों की रक्षा के लिए बादाम के छिलकों को जला कर मंजन तैयार करें और प्रतिदिन प्रयोग करें।
* यदि सुनने की शक्ति कम होने का भय हो तो बादाम रोगन की एक-एक बूंद प्रतिदिन डालें।
* औरतों को सफेद पानी (लिकोरिया) बीमारी हो जाने पर बादाम की गिरियां रात भर भिगोएं। प्रात: खिलाएं।
* सिर की खुश्की मिटाने के लिए सिर पर बादाम रोगन की मालिश करें।
* बाल न झड़े, इसके लिए भी सिर पर बादाम रोगन की मालिश करते हैं।
* दिमागी काम करने वालों को पांच से सात बादाम प्रतिदिन खाने चाहिए। यह शक्तिशाली टॉनिक है।
* मन्द बुध्दि भी तीव्र कर देते हैं। बादाम तथा बदाम रोगन।
* बादाम को चबाकर खाने से पूर्व कुछ घन्टे पानी में भिगो कर रखें। छील कर खाएं, अथवा छिलके सहित, फिर पीस कर खाएं तो पूरी-पूरी पौष्टिकता मिलेगी।
शुक्रवार, 1 अप्रैल 2011
औषधीय गुणों से भरपूर घीया
कुछ सब्जियां प्रकृति की तरफ से फल के रूप में हम सबको मिलती है। घीया सभी सब्जियों से सस्ती मानी जाती है। यह बेल पर पैदा होती है और कुछ ही समय में काफी बड़ी हो जाती है। घीया को लौकी के नाम से जाना जाता है। वास्तव में यह एक औषधि है और इसका उपयोग हजारों रोगियों पर सलाद के रूप में अथवा रस निकालकर या सब्जी के रूप में एक लंबे समय से किया जाता रहा है। लंबी तथा गोल दोनों प्रकार की घीया वीर्यवर्ध्दक, पित्त तथा कफनाशक और धातु को पुष्ट करने वाली होती है।
घीया को कच्चा भी खाया जा सकता है। कच्ची घीया अथवा उसका रस पेट साफ करता है और शरीर को शुध्द एवं स्वस्थ बनाती है। वाग्भट्ट ने इसे तरबूज, खरबूजा, ककड़ी तथा खीरे के परिवार में रखा है। दरअसल ये सभी फल कफ तथा वायु को दूर करते हैं और शरीर से मल निकालते हैं तथा खाने में मीठे होते हैं। 100 ग्राम लौकी के रस में निम्नलिखित तत्व पाए जाते हैं :- पानी 96.1 ग्राम, प्रोटीन 0.2 ग्राम, वसा 0.1 ग्राम, रेशा 0.6 ग्राम, कार्बोज 2.5 ग्राम, कैल्शियम 20 मि.ग्रा., फास्फोरस 10 मि.ग्रा., लौहतत्व 0.5 मि.ग्रा., थायेमीन 0.03 मि.ग्रा., रिबोफ्लेविन 0.01 मि.ग्रा., नियासिन 0.2 मि.ग्रा., खनिज लवण 0.5 प्रतिशत, ऊर्जा 12 कि. कैलोरी।
घीया का प्रयोग आंतों की कमजोरी, कब्ज, पीलिया, उच्च रक्तचाप, हृदय रोग, मधुमेह, आंत आमाशय या यकृत की सृजन, शरीर में जलन, मानसिक उत्तेजना, लकवा, संधिवात, स्ायु रोग आदि में बहुत उपयोगी है। आइए, डालें घीया के औषधीय गुणों पर एक नजर :-
1) हैजा होने पर 25 मि.ली. घीया के रस में आधा नींबू का रस मिलाकर धीरे-धीरे पीएं। इससे मूत्र बहुत आता है।
2) खांसी, टी.बी., सीने में जलन आदि में भी घीया बहुत उपयोगी है।
3) हृदय रोग में, विशेषकर भोजन के पश्चात् एक कप घीया के रस में थोड़ी सी काली मिर्च और पुदीना डालकर पीने से हृदय रोग कुछ ही दिनों में ठीक हो जाता है।
4) पुराना बुखार तथा कफ से पैदा होने वाले रोगों में यह उत्तम औषधि है।
5) घीया में श्रेष्ठ किस्म का पोटेशियम प्रचुर मात्रा में मिलता है, जिसकी वजह से यह गुर्दे के रोगों में बहुत उपयोगी है और इससे पेशाब खुलकर आता है।
6) घीया श्लेषमा रहित आहार है। इसमें खनिज लवण अच्छी मात्रा में मिलती है।
7) लौकी के बीज का तेल कोलेस्ट्रॉल को कम करता है तथा हृदय को शक्ति देता है। यह रक्त की नाड़ियों को भी स्वस्थ बनाता है।
क्या आप फास्ट फूड के साथ कॉफी लेते हैं तो सावधान!
लंदन। अगर आप फास्ट फूड के शौकीन हैं तो अगली बार इसके साथ कॉफी पीने से परहेज करें। ऐसा इसलिए क्योंकि इन दोनों का एक साथ सेवन खून में शुगर का स्तर बढ़ा सकता है।
शोधकर्ताओं की मानें तो अगर एक स्वस्थ व्यक्ति भी फास्ट फूड के साथ कैफीन युक्त पदार्थ का सेवन करता है तो उनके खून में शुगर का लेवल डायबिटीज होने की हद तक बढ़ जाता है। ‘जरनल ऑफ न्यूट्रिशन’ में छपे एक शोध के मुताबिक शरीर में प्राकृतिक रूप से पाई जाने वाली वसा खून में मौजूद शुगर को संतुलित रखती है लेकिन अगर इसके साथ कैफीनयुक्त कॉफी मिल जाए तो शरीर में इसका असर उलटा हो जाता है। और यह अंगों को प्रभावित कर सकती है। कैनेडा की ग्यिूल्फ यूनिवर्सिटी के शोध प्रमुख मैरी सोलिल बियूडोइन ने यह जानकारी दी।
गुरुवार, 31 मार्च 2011
सेहत बनानी है तो पिंड खजूर खाएं
यह शरीर में रक्त संचार को सही रखता है। इसको खाने से सर्दी जुकाम, खांसी, बुखार जैसी समस्याएं कम होती हैं। मस्तिष्क की कार्य क्षमता बढ़ती है। इसमें मौजूद कार्बोज एवं कैलोरी के कारण यह वजन बढ़ाने में सहायक है। यह पेट साफ रखता है, कब्ज दूर करता है एवं थकान मिटाता है। इसमें प्रोटीन, खनिज, कार्बोज, आयरन, कैल्शियम, पोटेशियम मौजूद हैं।
दिल को दुरुस्त रखें सब्जियां
हमारे खानपान में शामिल अनेक वस्तुएं ऐसी हैं जो शरीर के राजा हृदय को अपने गुणों के कारण दुरुस्त रखती हैं। प्रतिदिन खाली पेट लहसुन की दो कलियां सेवन करने से कोलेस्ट्रॉल संतुलित रहता है। मेथी के दाने व भाजी से भी यही लाभ मिलता है। प्याज सलाद में शामिल होकर रक्त प्रवाह ठीक रखता है। यह कमजोर हृदय की स्थिति में घबराहट या दिल की धड़कन बढ़ने पर लाभ दिलाता है। गाजर की सब्जी, सलाद या रस दिल की बढ़ी हुई धड़कन ठीक करता है। लौकी की सब्जी या रस कोलेस्ट्रॉल का स्तर सामान्य अवस्था में लाता है। टमाटर में मौजूद तत्व सलाद व सब्जी के माध्यम से दिल की बीमारी का खतरा कम करते हैं अतएव सुविधा के अनुसार इन्हें सेवन कर दिल को दुरूस्त रखें।
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