गुरुवार, 14 अप्रैल 2011

थकान से हैं परेशान, तुरंत करें ये 4 काम

कई बार इंसान समझ नहीं पाता कि आखिर उसे हुआ क्या है। वो चाहता है कि वह ज्यादा से ज्यादा मेहनत-मशक्कत करे लेकिन चाह कर भी वह ऐसा कर नहीं पाता। सभी जानते हैं कि बगैर मेहनत किये जीवन के किसी भी क्षेत्र में सफलता हासिल नहीं की जा सकती।

उस स्थिति को क्या कहें जब कोई चाह कर भी अपनी मंजिल की तरफ कदम न बढ़ा सके। थकान एक ऐसी ही समस्या है जिसके कारण शारीरिक और मानसिक दोनों तलों पर व्यक्ति असमर्थ और अयोग्य सिद्ध होता है।

थकान को सिर्फ शारीरिक समस्या मानकर उपाय करने से पूरी सफलता प्राप्त नहीं की जा सकती। इसीलिये हम कुछ ऐसे बेहद सरल और कारगर उपाय लेकर आए हैं जो शरीर ही नहीं बल्कि मन के लिये भी टॉनिक का काम करेंगे.....








ध्यान - उगते हुए सूरज की ओर मुखातिब होकर बैठें। मन को एकाग्र करते हुए सकारात्मक ऊर्जा को गहरी सांसों के माध्यम से अपने अंदर खींचे और भीतर ही समाहित कर लें।
प्रात:भ्रमण- यानी तांबें की बर्तन में रखा पानी पीने के बाद अपनी क्षमता और उम्र के अनुसार 2 से 4 किलोमीटर तक किसी साफ-सुथरे और प्राकृतिक वातावरण में मोर्निंग वॉक करना चाहिये।
अध्यात्म- मानसिक जड़ता और निराशाजनक थकान से छुटकारा पाने में आध्यात्मिक किताबों का पढऩा 100 फीसदी कारगर होता है।
उषापान- रात में तांबे के पात्र में रखे हुए पानी को सुबह उठकर क्षमता के अनुसार पीने से शारीरिक चेतना और उत्साह में निश्चित ही बढ़ोत्तरी होती है।

बस 5 मिनट में भीषण गर्मी से मिल जाएगी राहत

आज पूरी दुनिया में योग की धूम मची हुई है। वह समय चला गया जब योग को हिन्दू धर्म की उपासना पद्धति मानकर अन्य धर्मों के लोग इससे मुंह फेर लेते थे। लेकिन अब तस्वीर बदल चुकी है। विज्ञान ने भी अब योग को एकर वैज्ञानिक चिकित्सा पद्धति मानकर इसकी प्रामाणिकता पर मुहर लगा दी है। गर्मियों की लगभग शुरुआत हो चुकी है। बारिश और ठंड की बजाय गर्मियों का सीजन सभी के लिये ज्यादा कठिन और पीड़ादायक होता

है। योग में एक ऐसी क्रिया है, जिसे करने मात्र 5 से 7 मिनट लगते हैं तथा इसके करने से गर्मी में भारी राहत मिलती है। यह क्रिया है-शीतली प्राणायाम। आइये देखें इस योगिक क्रिया को कैसे किया जाता है-



शीतली प्राणायाम: पद्मासन में बैठकर दोनों हाथों से ज्ञान मुद्रा लगाएं। होठों को गोलाकार करते हुए जीभ को पाइप की आकृति में गोल बनाएं। अब धीरे-धीरे गहरा लंबा सांस जीभ से खींचें। इसके बाद जीभ अंदर करके मुंह बंद करें और सांस को कुछ देर यथाशक्ति रोकें। फिर दोनों नासिकाओं से धीरे-धीरे सांस छोड़ें। इस क्रिया को 20 से 25 बार करें। प्रतिदिन शीतली प्राणायाम करने से अधिक गर्मीं के कारण पैदा होने वाली बीमारियां और समस्याएं नहीं होती। लू लगना, एसिडिटी, आंखों और त्वचा के रोगों में तत्काल आराम मिलता है

बुधवार, 13 अप्रैल 2011

अरोचक, एक ऐसा रोग जो इंसान को तिल-तिल मारता है !!

अरोचक बीमारी का दूसरा नाम अग्रिमांद भी है। अरोचक का अर्थ है-भोजन के प्रति रुचि का पूरी तरह से समाप्त हो जाना। अरोचक की प्रारंभिक अवस्था में भूख की कमी और कमजोरी का अहसास होने लगता है। भोजन को ग्रहण करने में ही रुचि न हो या यों कहें कि भूख होते हुए भी व्यक्ति भोजन करने में असमर्थ हो, तो वह आरोचक या 'मन न करना' कहलाता है। आरोचक का अर्थ यह भी होता है कि भूख लगी हो और भोजन भी स्वादिष्ट हो, फि र भी भोजन अच्छा न लगे और गले के नीचे न उतरे। इस रोग से लगातार प्रभावित रहने से इंसान धीरे-धीरे कमजोर होने लगता है और उसकी कार्यक्षमता भी खत्म होने लगती है।

किसे और क्यों होता है?

चाय-कॉफी का अधिक सेवन करना, विषम ज्वर (मलेरिया) के बाद, शोक या किसी प्रकार के तनाव का बना रहना, भय, बहुत लालच करना , गुस्सा व तेज गंध , छाती की जलन, पेट साफ न रहना यानी कब्ज होना, बुखार होना, लीवर तथा आमाशय की खराबी आदि।

ऐसे पहचाने-

खून की कमी, हृदय के समीप अतिशय जलन एवं प्यास की अधिकता, गले से नीचे आहार के उतरने में असमर्थता, मुख में गरमी एवं दुर्गंध की उपस्थिति, चेहरा मलिन एवं चमकहीन, किसी कार्य की इच्छा नहीं, थोडी से श्रम से थकान आना, सूखी डकारें आना, मानसिक विषमता से ग्रस्त होना, शरीर के वजन में दिन-ब-दिन कमी होते जाना, कम खाने पर भी पेट भरा प्रतीत होना।

आयुर्वेदिक व घरेलू नुस्खे-

आयुर्वेद में इंसानी शरीर व मन से जुड़ी अधिकांस बीमारियों का प्रामाणिक व शर्तिया उपाया बताया जाता है। आइये देखते हैं ऐसे ही कुछ आयुर्वेदिक और घरेलू नुस्खे-

1. भोजन के एक घंटा पहले पंचसकार चूर्ण को एक चम्मच गरम पानी के साथ लेने से भूख खुलकर लगती है।

2. रात में सोते समय आँवला 3 भाग, हरड़ 2 भाग तथा बहेड़ा 1 भाग-को बारीक चूर्ण करके एक चम्मच गुनगुने पानी के साथ लेने से सुबह दस्त साफ आता है एवं भूख खुलकर लगती है।

3. भोजन में पतले एवं हलके व्यंजनों का प्रयोग करने से खाया हुआ जल्दी पच जाता है, जिससे जल्दी ही भूख लग जाती है।

4. खाना खाने के बाद अजवायन का चूर्ण थोड़े से गुड़ के साथ खाकर गुनगुना पानी पीने से खाया हुआ पचेगा, भूख लगेगी और खाने में रुचि पैदा होगी।

5. भोजन के बाद हिंग्वष्टक चूर्ण एक चम्मच खाने से पाचन-क्रिया ठीक होगी।

6. भोजन के बाद सुबह-शाम दो-दो चम्मच झंडु पंचासव सीरप लें, इससे खाया-पिया जल्दी पच जाएगा और खाने के प्रति रुचि जाग्रत् होगी।

7. हरे धनिए में हरी मिर्च, टमाटर, अदरक, हरा पुदीना, जीरा, हींग, नमक, काला नमक डालकर सिलबट्टे पर पीसकर बनाई चटनी खाने से भोजन की इच्छा फि र से उत्पन्न होती है।

8. भोजन करने के बाद थोड़ा सा अनारदाना या उसके बीज के चूर्ण में काला नमक एवं थोड़ी सी मिश्री पीसकर मिलाने के बाद पानी के साथ एक चम्मच खाने से भूख बढ़ती है।

9. एक गिलास छाछ में काला नमक, सादा नमक, पिसा जीरा मिलाकर पीने से पाचन-क्रिया तेज होकर आरोचकता दूर होती है।

मंगलवार, 12 अप्रैल 2011

करिए शैंपू सही तरीके से

बालों की सफाई के लिए बालों को नियमित धोना तो आवश्यक है ही, चाहे आप साबुन से धोएं या शैंपू से। साबुन और शैंपू का यदि सही इस्तेमाल न किया जाए तो बालों की उचित धुलाई नहीं हो सकती। व्यस्त जीवन में अपने बालों के प्रति लापरवाही नहीं बरतनी चाहिए। इनकी उचित देखभाल करनी चाहिए। उचित देखभाल हेतु बालों को साफ रखना अति आवश्यक होता है। सुंदर और स्वस्थ बालों हेतु बालों को साफ करने के सही तरीकों की जानकारी का होना जरूरी है। बालों को सही रूप से कैसे शैम्पू करें, आइये जानिए कुछ विशेष बातें-

* बाल धोने से पूर्व बालों को सुलझा लें। अच्छे ब्रश या कंघी से बाल साफ करें।
* शैंपू लगाने से पूर्व बालों को अच्छी तरह गीला कर लें।
* बालों की लम्बाई और सघनता के अनुसार हथेली पर थोड़ा शैंपू डालें और हाथों पर मल कर फैला लें। फिर बालों के अलग-अलग भागों में लगाकर अच्छी तरह मलें। आवश्यकता होने पर और शैंपू लेकर लगाएं। फिर अच्छी तरह से पानी से बाल साफ करें। ध्यान रखें कि बालों में शैंपू की मात्रा शेष न रहे।
* कभी भी शैंपू की बोतल से सीधा शैंपू सिर पर न लगायें। शैंपू भी अधिक लगेगा और सारे बालों की उचित सफाई नहीं होगी। सिर के ऊपर, पीछे, और दोनों तरफ थोड़ा थोड़ा शैंपू लगाकर सिर साफ करें।
* लंबे बालों के लिए भी शैंपू इस प्रकार लगायें कि बालों की सफाई आसानी से हो सके।
* बालों को धोने के बाद कंडीशनर का प्रयोग अवश्य करें। इससे बालों की खुश्की भी कम होती है और बालों में चमक बनी रहती है। बाजार से अच्छा कंडीशनर लेकर प्रयोग कर सकते हैं नहीं तो घर पर कंडीशनर तैयार करें।
* आधे मग में आधा नींबू निचोड़ कर लगायें। अंडा भी बालों पर लगा सकते हैं या चाय की पत्ती को उबाल कर ठंडा कर भी बालों में लगा सकते हैं। फिर अच्छी तरह से बालों को रिंस करें।
* बालों को साफ पानी से धोने के बाद नर्म सूखे तौलिए को बालों के चारों ओर लपेट लें जिससे तौलिया बालों के पानी को सोख लें।
* बालों को जोर से झाड़े नहीं, न ही गीले बालों में कंघी या ब्रश करें। ऐसा करने से जड़ें कमजोर हो जाती हैं।
* बालों में उंगलियां धीरे-धीरे चलायें ताकि जड़ों तक हवा लगने से बाल सूख जायें।
* कुछ आर्द्र होने पर धीरे-धीरे ब्रश करें या मोटी तरफ से बाल छुड़ायें।
* बालों के पूरी तरह सूखने पर मनचाहे रूप से बाल संवारें।

नारियल एक गुण अनेक

मानव के दैनिक जीवन में नारियल का अत्यधिक महत्व है। यह कहना सर्वथा उचित होगा कि नारियल अनेक गुणों का भंडार होने के अतिरिक्त कार्यों में भी शुभ माना जाता है। भारत, मलाया, गुवाना नारियल के मूलत: जन्मस्थान माने जाते हैं। नारियल को उसके विभिन्न गुणानुसार निम्न प्रकार से उपयोग में लाया जा सकता है।

1. नारियल का तेल बालों के लिए बहुत उपयोगी है। यह बालों की जड़ों में प्रवेश कर बालों को जड़ से ही सुदृढ़ करते हुए घने लम्बे बालों का पोषण करता है। नारियल तेल के निरंतर उपयोग से सिर की रूसी समाप्त होकर बालों का झड़ना रूक जाता है।
2. औषधीय गुणों की खान नारियल में कार्बोहाइड्रेट, कैल्शियम, प्रोटीन, फाइबर, आयरन और विटामिन होते हैं, जिनसे आवश्यक शक्ति एवं प्रतिशोधात्मक ऊर्जा शरीर को प्राप्त होती है। नारियल में विद्यमान खनिज, प्रोटीन एवं विटामिन- ए की प्रचुर मात्रा मानव जीवन को उच्च स्तरीय औषधीय गुण प्रदान करती है, जिससे शरीर स्वस्थ, सुंदर बना रहता है।
3. पौष्टिक तत्वों एवं औषधीय गुणों का भंडार नारियल तेल, चेहरे के दाग-धब्बे मिटाने में गुणकारी प्रमाणित हो रहा है। नारियल तेल लगाने से शरीर पर होने वाली पित्त ठीक हो जाती है। नारियल से बनी खाद्य सामग्री स्वादिष्ट एवं पौष्टिक तत्वों से भरपूर होती है। नारियल की चटनी दक्षिण भारतीय भोजन इडली-डोसा को पूर्णता प्रदान करती है।
4. कच्चे नारियल के गूदे के प्रयोग से अपच ठीक हो जाती है, जिससे पाचन क्रिया ठीक-ठाक बनी रहती है।
5. कच्चे नारियल के पानी को खनिज जल (मिनरल वाटर) कहा जाए तो उचित प्रतीत होगा, क्योंकि इसके सेवन से हैजा, बुखार में स्वास्थ्य लाभ होता है और शरीर में गैस बनने व उल्टी होने की स्थिति में राहत महसूस होन लगती है। नारियल पानी पीने से गर्मी में राहत मिलती है, जिससे शरीर सदैव तरोताजा व स्वस्थ बना रहता है।
6. नींद न आने का स्थिति में नारियल के दूध का उपयोग बहुत गुणकारी एवं लाभदायक है। सूखे नारियल का सेवन एसिडिटी के उपचार में सहायक है।
7. स्वादिष्ट भोजन-मिष्टान्न में सूखे कटे एवं पिसे हुए नारियल के प्रयोग के अतिरिक्त शुध्दता के कारण धार्मिक कार्यों और प्रसाद वितरण में यह शुभ माना जाता है।
इस प्रकार नारियल के विभिन्न उपयोगों से प्रमाणित हो जाता है कि नारियल अनेक गुणों का धारक है, जिसका अन्य कोई विकल्प नहीं है।

देव वृक्ष पीपल में रहता है देवताओं का निवास

भारतीय संस्कृति में पीपल देववृक्ष है, इसके सात्विक प्रभाव के स्पर्श से अन्त: चेतना पुलकित और प्रफुल्लित होती है। पीपल वृक्ष प्राचीन काल से ही भारतीय जनमानस में विशेष रूप से पूजनीय रहा है। ग्रंथों में पीपल को प्रत्यक्ष देवता की संज्ञा दी गई है। स्कन्दपुराणमें वर्णित है कि अश्वत्थ(पीपल) के मूल में विष्णु, तने में केशव, शाखाओं में नारायण, पत्तों में श्रीहरिऔर फलों में सभी देवताओं के साथ अच्युत सदैव निवास करते हैं। पीपल भगवान विष्णु का जीवन्त और पूर्णत:मूर्तिमान स्वरूप है। यह सभी अभीष्टोंका साधक है। इसका आश्रय मानव के सभी पाप ताप का शमन करता है। भगवान कृष्ण कहते हैं-
अश्वत्थ: सर्ववृक्षाणां
अर्थात् समस्त वृक्षों में मैं पीपल का वृक्ष हूं। स्वयं भगवान ने उससे अपनी उपमा देकर पीपल के देवत्व और दिव्यत्वको व्यक्त किया है। शास्त्रों में वर्णित है कि
अश्वत्थ: पूजितोयत्र पूजिता:सर्व देवता:।
अर्थात् पीपल की सविधि पूजा-अर्चना करने से सम्पूर्ण देवता स्वयं ही पूजित हो जाते हैं। पीपल का वृक्ष लगाने वाले की वंश परम्परा कभी विनष्ट नहीं होती। पीपल की सेवा करने वाले सद्गति प्राप्त करते हैं। पीपल वृक्ष की प्रार्थना के लिए अश्वत्थस्तोत्रम्में दिया गया
मंत्र है-

अश्वत्थ सुमहाभागसुभग प्रियदर्शन। इष्टकामांश्चमेदेहिशत्रुभ्यस्तुपराभवम्॥आयु: प्रजांधनंधान्यंसौभाग्यंसर्व संपदं।देहिदेवि महावृक्षत्वामहंशरणंगत:॥

वृहस्पतिकी प्रतिकूलता से उत्पन्न होने वाले अशुभ फल में पीपल समिधा से हवन करने पर शांति मिलती है।

आप सभी को सब प्रकार से पीपल वृक्ष की आराधना करनी चाहिए। इसके पूजन से यम लोक के दारुण दु:ख से मुक्ति मिलती है। अश्वत्थोपनयनव्रत में महर्षि शौनकवर्णित करते हैं कि मंगल मुहूर्त में पीपल के वृक्ष को लगाकर आठ वर्षो तक पुत्र की भांति उसका लालन-पालन करना चाहिए। इसके अनन्तर उपनयनसंस्कार करके नित्य सम्यक् पूजा करने से अक्षय लक्ष्मी मिलती हैं।

पीपल वृक्ष की नित्य तीन बार परिक्रमा करने और जल चढाने पर दरिद्रता, दु:ख और दुर्भाग्य का विनाश होता है। पीपल के दर्शन-पूजन से दीर्घायु तथा समृद्धि प्राप्त होती है। अश्वत्थ व्रत अनुष्ठान से कन्या अखण्ड सौभाग्य पाती है।

शनिवार की अमावस्या को पीपल वृक्ष के पूजन और सात परिक्रमा करने से तथा काले तिल से युक्त सरसोतेल के दीपक को जलाकर छायादानसे शनि की पीडा का शमन होता है।

अथर्ववेदके उपवेद आयुर्वेद में पीपल के औषधीय गुणों का अनेक असाध्य रोगों में उपयोग वर्णित है। अनुराधा नक्षत्र से युक्त शनिवार की अमावस्या में पीपल वृक्ष के पूजन से शनि से मुक्ति प्राप्त होती है।
श्रावण मास में अमावस्या की समाप्ति पर पीपल वृक्ष के नीचे शनिवार के दिन हनुमान की पूजा करने से बडे संकट से मुक्ति मिल जाती है।
पीपल का वृक्ष इसीलिए ब्रह्मस्थानहै। इससे सात्विकताबढती है। पीपल के वृक्ष के नीचे मंत्र,जप और ध्यान उपादेय रहता है।
श्रीमद्भागवत् में वर्णित है कि द्वापरयुगमें परमधाम जाने से पूर्व योगेश्वर श्रीकृष्ण इस दिव्य पीपल वृक्ष के नीचे बैठकर ध्यान में लीन हुए। इसका प्रभाव तन-मन तक ही नहीं भाव जगत तक रहता है।

पीपल के औषधीय गु

पीपल के वृक्षों में अनेक औषधीय गुण हैं। जो गुणी होता है, लोग उसका आदर करते ही हैं। तुलसी का पौधा गुणों का भंडार है। लोग उसे पूजते हैं। पीपल की लकड़ी, पत्तियों के डंठल, हरे पत्ते एवं सूखी पत्तियां, सभी गुणकारी हैं और उनका उपयोग रोगों के निवारण के हेतु किस प्रकार किया जा सकता है देखें-

-पीलिया : पीलिया के रोगी को पीपल की नर्म टहनी (जो की पेंसिल जैसी पतली हो) के छोटे-छोटे टुकड़े काटकर माला बना लें। यह माला पीलिया रोग के रोगी को एक सप्ताह धारण करवाने से पीलिया नष्ट हो जाता है।
-रतौंधी : बहुत से लोगों को रात में दिखाई नहीं पड़ता। शाम का झुट-पुटा फैलते ही आंखों के आगे अंधियारा सा छा जाता है। इसकी सहज औषध है पीपल। पीपल की लकड़ी का एक टुकड़ा लेकर गोमूत्र के साथ उसे शिला पर पीसें। इसका अंजन दो-चार दिन आंखों में लगाने से रतौंधी में लाभ होता है।
-मलेरिया : पीपल की टहनी का दातुन कई दिनों तक करने से तथा उसको चूसने से मलेरिया बुखार उतर जाता है।
-कान दर्द : पीपल की ताजी हरी पत्तियों को निचोड़कर उसका रस कान में डालने से कान दर्द दूर होता है। कुछ समय तक इसके नियमित सेवन से कान का बहरापन भी जाता रहता है।
-खांसी और दमा : पीपल के सूखे पत्ते को खूब कूटें। जब पाउडर सा बन जाए, तब उसे कपड़े से छान लें। लगभग 5 ग्राम चूर्ण को दो चम्मच मधु मिलाकर एक महीना सुबह चाटने से दमा और खांसी में लाभ होता है।
-सर्दी और सिरदर्द : सर्दी के सिरदर्द के लिए सिर्फ पीपल की दो-चार कोमल पत्तियों को चूसें। दो-तीन बार ऎसा करने से सर्दी जुकाम में लाभ होना संभव है। उपचार के लिए इसके उपयोग से पूर्व किसी
विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें
अन्य उपयोग : * इसकी छाल का रस या दूध लगाने से पैरों की बिवाई ठीक हो जाती है।
* पीपल की छाल को जलाकर राख कर लें, इसे एक कप पानी में घोलकर रख दें, जब राख नीचे बैठ जाए, तब पानी नितारकर पिलाने से हिचकी आना बंद हो जाता है।
* इसके पत्तों को जलाकर राख कर लें, यह राख घावों पर बुरकने से घाव ठीक हो जाते हैं

दमा : पीपल की अन्तरछाल (छाल के अन्दर का भाग) निकालकर सुखा लें और कूट-पीसकर खूब महीन चूर्ण कर लें, यह चूर्ण दमा रोगी को देने से दमा में आराम मिलता है। पूर्णिमा की रात को खीर बनाकर उसमें यह चूर्ण बुरककर खीर को 4-5 घंटे चन्द्रमा की किरणों में रखें, इससे खीर में ऐसे औषधीय तत्व आ जाते हैं कि दमा रोगी को बहुत आराम मिलता है। इसके सेवन का समय पूर्णिमा की रात को माना जाता है।

दाद-खाज : पीपल के 4-5 कोमल, नरम पत्ते खूब चबा-चबाकर खाने से, इसकी छाल का काढ़ा बनाकर आधा कप मात्रा में पीने से दाद, खाज, खुजली आदि चर्म रोगों में आराम होता है।

मसूड़े : मसूड़ों की सूजन दूर करने के लिए इसकी छाल के काढ़े से कुल्ले करें

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