बुधवार, 18 मई 2011

बॉडी मसाज से पहले इस बात का ध्यान जरूर रखें क्योंकि...

तेल मालिश करना शरीर के लिए लाभदायक होता है लेकिन इसके भी अपने नियम हैं, अगर उसे ध्यान में नहीं रखा जाए तो परेशानी खड़ी हो सकती है। शास्त्रों और आयुर्वेद में बताया गया है कि रविवार, मंगलवार और शुक्रवार को तेल की मालिश नहीं करनी चाहिए। इससे शरीर पर विपरित प्रभाव पड़ता है।



शास्त्रों के अनुसार रविवार, मंगलवार और शुक्रवार को तेल से मालिश करना मना है। इसके पीछे भी विज्ञान है।



- रविवार का दिन सूर्य से संबंधित है। सूर्य से गर्मी उत्पन्न होती है। अत: इस दिन शरीर में पित्त अन्य दिनों की अपेक्षा अधिक होना स्वाभाविक है। तेल से मालिश करने से भी गर्मी उत्पन्न होती है। इसलिए रविवार को तेल से मालिश करने से रोग होने का भय रहता है।



- मंगल ग्रह का रंग लाल है। इस ग्रह का प्रभाव हमारे रक्त पर पड़ता है। इस दिन शरीर में रक्त का दबाव अधिक होने से खुजली, फोड़े फुन्सी आदि त्वचा रोग या उनसे मृत्यु होने का डर भी रहता है।



- इसी तरह शुक्र ग्रह का संबंध वीर्य तत्व से रहता है। इस दिन मालिश करने से वीर्य संबंधी रोग हो सकते हैं।



- अगर रोजाना मालिश करना हो तो तेल में रविवार को फूल, मंगलवार को मिट्टी और शुक्रवार को गाय का मूत्र डाल लेने से कोई दुष्प्रभाव नहीं होता।

मंगलवार, 17 मई 2011

कभी न होंगे नर्वस व फ्रस्टेट, गर करें ये 7 काम

हेजीटेशन यानी झिझक एक ऐसी समस्या है जो किसी के व्यक्तित्व को पूरी तरह से निखरने और खिलने नहीं देती। कई बार देखने में आता है कि योग्य और प्रतिभाशाली व्यक्ति भी अपने गुणों को अभिव्यक्त नहीं कर पाता है। मंच पर जाने से झिझकना, संकोच करना, चार लोगों के बीच बोलना पड़े तो कतराना, भीड़ के सामने से गुजरना...ये कुछ ऐसे ही अवसर हैं जिन पर हेजीटेशन का शिकार व्यक्ति बड़ी कठिनाई और असहजता का सामना करता है। ऐसे कठिन हालातों से बचने के लिये हम कुछ ऐसे उपाय कर सकते हैं, जो यकीनन कुछ ही दिनों में हमें इस समस्या से छुटकारा दिलाकर आत्मविश्वा से भर देते हैं। तो चलिये जानें कि वे अचूक उपाय कौन से हैं.....

1. नकारात्मक विचारों और दोस्तों से दूर रहें।

2. अपनी दिनचर्या नियमित रखें।

3. योग-प्राणायाम को अपनी नियमित दिनचर्या में अवश्य शामिल करें।

4. प्रतिदिन 30 मिनिट आध्यात्मिक साहित्य पढऩे के लिये रोज निकालें।

5. जल्दी सोने और सुबह जल्दी उठने की आदत डालें।

6. कोरी कल्पनाएं करने और योजनाएं बनाते रहने में समय बर्बाद करने की बजाय, एक छोटा सा ही काम करें

 पर पूरी मेहनत और जी-जान लगाकर करें।

7. सीमा से अधिक झिझक, हीनभावना, या घबराहट होने पर किसी मनोरोग विशेषज्ञ, या साइक्रेटिस्ट से सलाह लें और खुलकर अपनी समस्या बताएं।

ऊपर बताए गए उपायों को पूरी तरह से अपना लेने पर आपका आत्मविश्वास बढऩे लगेगा। जैसे प्रकाश के प्रकट होते ही अंधेरा मिट जाता है, वैसे ही आत्मविश्वास के पैदा होते ही सारे काल्पनिक डरों का अस्तित्व सदैव के लिये समात्प हो जाता है।

60 दिनों में शरीर को बनाएं बलवान और चमकदार

माना कि शरीर की बजाय गुणों का मूल्य अधिक होता है लेकिन यह भी इतना ही सच है कि इंसान की पहली पहचान उसे देखकर ही बनती है। आन्तरिक व्यक्तित्व का गुणवान होना अच्छी बात है, लेकिन इससे भी बढिय़ा बात तो तब होगी कि आप अंदर और बाहर दोनों ही स्तरों पर आकर्षक और प्रभावशाली व्यक्तित्व के मालिक बनें। तो आइये चलते हैं एक ऐसे बेहद आसान और 100 प्रतिशत असरदार आयुर्वेदिक नुस्खे की तरफ जो शर्तिया तौर पर आपके शरीर को ताकतवर, चमकदार और तेजस्वी बनाता है....

किसी प्रामाणिक और भरोसे की जगह से अश्वगंधा, विधारा, शतावरी 50-50 ग्राम लेकर पीस लें, अब इसमें 150 ग्राम मिश्री मिलाकर रोज प्रात: एक चम्मच चूर्ण पानी या गाय के दूध से खाते रहें। खटाई, अधिक मिर्च-मसाले, बेहद गर्म व बहुत ठंडी चीजों से  कुछ दिनों तक दूरी बनाकर रखें। यदि आपको कब्ज की शिकायत न हो तो यकीनन इस आयुर्वेदिक नुस्खे से मात्र 60 ही दिनों में आपका काया कल्प हो जाएगा।आपको देखकर सहसा लोगों को अपनी आंखों को भरोसा ही नहीं होगा।

सोमवार, 16 मई 2011


अनेक रोग नाशक भी है पपीता

पपीता एक ऐसा मधुर फल है जो सस्ता, सपरिचित एवं सर्वत्र सुलभ है। यह फल प्राय: बारहों मास पाया जाता है। किन्तु फरवरी से मार्च तथा मई से अक्तूबर के बीच का समय पपीते की ऋतु मानी जाती है। कच्चा पपीता हरे रंग का तथा पकने पर पीले रंग का हो जाता है। कच्चे पपीते में विटामिन ‘ए’ तथा पके पपीते में विटामिन ‘सी’ की मात्रा भरपूर पायी जाती है।
आयुर्वेद में पपीता (पपाया) को अनेक असाध्य रोगों को दूर करने वाला बताया गया है। संग्रहणी, आमाजीर्ण, मन्दाग्नि, पाण्डुरोग (पीलिया), प्लीहा वृध्दि, बन्ध्यत्व को दूर करने वाला, हृदय के लिए उपयोगी, रक्त के जमाव में उपयोगी होने के कारण पपीते का महत्व हमारे जीवन के लिए बहुत अधिक हो जाता है।
पपीते के सेवन से चेहरे पर झुर्रियां पड़ना, बालों का झड़ना, कब्ज, पेट के कीड़े, वीर्यक्षय, स्कर्वी रोग, बवासीर, चर्मरोग, उच्च रक्तचाप, अनियमित मासिक धर्म आदि अनेक बीमारियां दूर हो जाती है। पपीते में कैल्शियम, फास्फोरस, लौह तत्व, विटामिन- ए, बी, सी, डी प्रोटीन, कार्बोज, खनिज आदि अनेक तत्व एक साथ हो जाते हैं। पपीते का बीमारी के अनुसार प्रयोग निम्नानुसार किया जा सकता है।
१) पपीते में ‘कारपेन या कार्पेइन’ नामक एक क्षारीय तत्व होता है जो रक्त चाप को नियंत्रित करता है। इसी कारण उच्च रक्तचाप (हाई ब्लड प्रेशर) के रोगी को एक पपीता (कच्चा) नियमित रूप से खाते रहना चाहिए।
२) बवासीर एक अत्यंत ही कष्टदायक रोग है चाहे वह खूनी बवासीर हो या बादी (सूखा) बवासीर। बवासीर के रोगियों को प्रतिदिन एक पका पपीता खाते रहना चाहिए। बवासीर के मस्सों पर कच्चे पपीते के दूध को लगाते रहने से काफी फायदा होता है।
३) पपीता यकृत तथा लिवर को पुष्ट करके उसे बल प्रदान करता है। पीलिया रोग में जबकि यकृत अत्यन्त कमजोर हो जाता है, पपीते का सेवन बहुत लाभदायक होता है। पीलिया के रोगी को प्रतिदिन एक पका पपीता अवश्य खाना चाहिए। इससे तिल्ली को भी लाभ पहुंचाया है तथा पाचन शक्ति भी सुधरती है।
४) महिलाओं में अनियमित मासिक धर्म एक आम शिकायत होती है। समय से पहले या समय के बाद मासिक आना, अधिक या कम स्राव का आना, दर्द के साथ मासिक का आना आदि से पीड़ित महिलाओं को ढाई सौ ग्राम पका पपीता प्रतिदिन कम से कम एक माह तक अवश्य ही सेवन करना चाहिए। इससे मासिक धर्म से संबंधित सभी परेशानियां दूर हो जाती है।
५) जिन प्रसूता को स्तनों में दूध कम बनता हो, उन्हें प्रतिदिन कच्चे पपीते का सेवन करना चाहिए। सब्जी के रूप में भी इसका सेवन किया जा सकता है। इससे स्तनों में दूध की मात्रा अधिक उतरने लगती है।
६) सौंदर्य वृध्दि के लिए भी पपीते का इस्तेमाल किया जाता है। पपीते को चेहरे पर रगड़ने से चेहरे पर व्याप्त कील मुंहासे, कालिमा व मैल दूर हो जाते हैं तथा एक नया निखार आ जाता है। इसके लगाने से त्वचा कोमल व लावण्ययुक्त हो जाती है। इसके लिए हमेशा पके पपीते का ही प्रयोग करना चाहिए।
७) कब्ज सौ रोगों की जड़ है। अधिकांश लोगों को कब्ज होने की शिकायत होती है। ऐसे लोगों को चाहिए कि वे रात्रि भोजन के बाद पपीते का सेवन नियमित रूप से करते रहें। इससे सुबह दस्त साफ होता है तथा कब्ज दूर हो जाता है।
८) समय से पूर्व चेहरे पर झुर्रियां आना बुढ़ापे की निशानी है। अच्छे पके हुए पपीते के गूदे को उबटन की तरह चेहरे पर लगायें। आधा घंटा लगा रहने दें। जब वह सूख जाये तो गुनगुने पानी से चेहरा धो लें तथा मूंगफली के तेल से हल्के हाथ से चेहरे पर मालिश करें। ऐसा कम से कम एक माह तक नियमित करें।
९) नए जूते-चप्पल पहनने पर उसकी रगड़ लगने से पैरों में छाले हो जाते हैं। यदि इन पर कच्चे पपीते का रस लगाया जाए तो वे शीघ्र ठीक हो जाते हैं।
१०) पपीता वीर्यवर्ध्दक भी है। जिन पुरुषों को वीर्य कम बनता है और वीर्य में शुक्राणु भी कम हों, उन्हें नियमित रूप से पपीते का सेवन करना चाहिए।
११) हृदय रोगियों के लिए भी पपीता काफी लाभदायक होता है। अगर वे पपीते के पत्तों का काढ़ा बनाकर नियमित रूप से एक कप की मात्रा में रोज पीते हैं तो अतिशय लाभ होता है

यह चमत्कारी गोला बन जाएगा मधुमेह का 'काल'!

एक अमेरिकी चकित्सक ने गहन खोजों से साबित किया है कि नारियल तेल का नियमित सेवन करने से मधुमेह रोगियों कि सभी समस्याएं सुलझ सकती हैं। वास्तव में मधुमेह के रोगी के कोश इंसुलिन रेजिस्टेंट हो जाते हैं और इंसुलिन को ग्रहण न करने के कारण ग्लूकोज़ या शर्करा को ऊर्जा में परिवर्तित नहीं कर पाते। ऊर्जा या आहार के अभाव में रोगी के कोश मरने लगते हैं। यही कारण है कि मधुमेह रोगी को कोई भी अन्य रोग होने पर खतरनाक स्थिति बन जाती है, क्योंकि उसके कोश तो आहार के अभाव में पहले ही मर रहे होते हैं ऊपर से नए रोग के कारण मरने वाले कोशों कि भरपाई का काम आ जाता है जो कि शारीर का दुर्बल तंत्र करने में समर्थ नहीं हो पाता। ऐसे में नारियल का तेल सुनिश्चित समाधान के रूप में काम करता है।

उपयोग विधि

चिकित्सा के लिए एक दिन में लगभग 45 मी.ली. नारियल तेल का प्रयोग किया जाना चिहिए जो कि शुरुआत में किसी के लिये भी थोड़ा कठिन हो सकता है। इसलिये शुरुआत केवल एक चम्मच से करते हुए धीरे-धीरे मात्रा बढानी चाहिए अन्यथा पाचन बिगड़ सकता है। दाल, सब्जी में तड़के के रूप में इसका प्रयोग किया जा सकता है।

सावधानी 

किसी प्राकृतिक या आयुर्वेद चिकित्सक की देख रेख में प्रयोग करना अधिक उत्तम होगा।

रविवार, 15 मई 2011

देशी नुस्खा जो मंहगी दवाओं से कई कदम आगे है!!

खांसी की समस्या एक आम समस्या है। हर कोई अपनी जिंदगी में कई बार खांसी समस्या से परेशान होता है। बुखार से तो फिर भी इंसान हिम्मत के दम पर झूझता रह सकता है लेकिन सर्दी-खांसी से व्यक्ति इतना बेहाल हो जाता है कि वह किसी काम को करने के लायक ही नहीं बचता। वर्तमान में सर्वाधिक प्रचलित ऐलापैथिक चिकित्सा पद्धति में खांसी को भगाने के लिये ढेरों-ढेर दवाइयां मौजूद हैं लेकिन जानकारों की माने तो ये दवाइयां खांसी को तो रोक देती हैं किन्तु दूसरी कई अन्य समस्याओं को पैदा कर सकती है। इसीलिये यहां हम लाएं हैं आयुर्वेद से खोज कर एक ऐसा प्रयोग लाएं हैं जो बेहद आसान होते हुए भी 100 फीसदी कारगर है....

काली मिर्च का पाउडर मुनक्का दाख के साथ लपेट लें। काली मिर्च से लिपटी हुईं मुनक्का दाखों को तवे पर थोड़े से शुद्ध देसी घी के साथ हल्की आंच पर सेक लें। पर्याप्त सिकी हुई मुनक्का को दो-दो की संख्या में मुंह में रखकर चूंसते रहें। आप देखेंगे कि कुछ ही घंटों में आपकी खांसी जड़ से मिट चुकी है।

रिकार्डतोड़ गरमी में कैसे रहें आइस कूल


धीरे-धीरे गर्मी का मौसम अपने चरम पर पहुंचने लगा है। प्रकृति के संतुलन के लिये गर्मी का सीजन चाहे कितना भी जरूरी हो लेकिन इतना तो तय है कि ठंड़ और बरसात की तरह गर्मी को सायद ही कोई पसंद करता हो। फिर गर्मी को सहना सभी के लिए काफी मुश्किल भी होता है। लेकिन चिंता न करें इसका भी तोड़ यानी अचूक उपाय मौजूद है। इसका उपाय है योग मुद्रा। योग मुद्रा के द्वारा हम हमारे शरीर का तापमान वातावरण के अनुसार रखकर इस चिलचिलाती गर्मी के असर को कम कर सकते हैं। रोज सुबह-सुबह 10-15 मिनिट निम्न मुद्रा को करें, दिनभर शरीर में ठंडक बनी रहेगी। इस मुद्रा को काकी मुद्रा कहते हैं।

मुद्रा करने की विधि

किसी शांत और शुद्ध वातावरण वाले स्थान पर कंबल या आसन बिछाकर पद्मासन में बैठ जाएं। फिर होठों को पतली सी नली के रूप में मोड़कर कौए की चोंच जैसा आकार बना लें। इसके बाद अपना पूरा ध्यान नाक के आगे के भाग पर लगाएं। अब मुंह से धीरे-धीरे गहरी सांस लेकर होठों को बंद कर लें और सांस को नाक से बाहर छोड़े। इस क्रिया को कम से कम 10 मिनिट तक करें।

इस क्रिया के लाभ

काकी मुद्रा करने से श्वास संबंधी कई बीमारियां दूर होती हैं और हम इन बीमारियों से हमेशा बचे रहते हैं। इससे होठों की सुंदरता बढ़ती है। इसमें मुंह से अंदर जाने वाली हवा का संपर्क मुंह की दीवारों से होता है। इस मुद्रा को करने से शरीर से बहुत से रोग दूर हो जातें है। इस मुद्रा के निरंतर अभ्यास से अम्लपित्त का बढऩा कम हो जाता है। इससे हमारा पाचन तंत्र सुचारू रूप से कार्य करता है और कई पेट संबंधी बीमारियां नहीं होती हैं।

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