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शनिवार, 28 मई 2011
नुस्खे सांप के काटने पर
शुक्रवार, 27 मई 2011
इस गोल की पोल में छुपे हैं कई चमत्कारी गुण
अभी हाल ही में हुई एक अंतर्राष्ट्रीय शोध में पता चला है कि सूखे मेवे के रूप में मशहूर गोले यानी नारियल के तेल में बड़े ही चमत्कारी औषधीय गुण पाए जाते हैं। यह तेल मधुमेह, एल्जिमर, हार्ट अटेक, मिर्गी...जैसे घातक रोगों को दबाने में बेहद कारगर हो सकता है।
खोज के अनुसार यह तेल बिना पित्त के ही पचने लगता है जबकि अन्य तेल अमाशय में पित्त के साथ मिल कर पचना शुरू होते हैं। नारियल-तेल बिना पित्त के सीधा लीवर में पहुंच जाता है और वहां से रक्त प्रवाह में और स्नायु कोशों में 'कैटोंन बोडीज़ के रूप में पहुच कर ऊर्जा कि पूर्ति करता है।
यह 'कैटोंन बोडीज़ अत्यंत शक्तिशाली ढंग से नवीन कोशों का निर्माण करती हैं जिस के कारण शर्करा, इंसुलिन आदि की ज़रूरत ही नहीं रह जाती। मधुमेह रोगी को किसी की प्रकार दवा की आवश्यक नहीं रहती। शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता काफी बढ़कर पूरी तरह से काम करने लगती है जिसके कारण सभी रोग धीरे-धीरे अपने आप ठीक होने लगते हैं।
केवल मधुमेह ही नहीं एल्जि़मर, मिर्गी, अधरंग, हार्ट अटैक, चोट आदि के कारण नष्ट हो चुके कोष भी फिर से बनने लगते हैं तथा ये लाइलाज समझे जाने वाले रोग भी ठीक होने लगते हैं।
प्रयोग विधि:
दवाई के रूप में एक दिन में लगभग 45 मि.ली. नारियल तेल का प्रयोग किया जाना चाहिये। शुरुआत केवल एक चम्मच से करते हुए धीरे-धीरे मात्रा बढानी चाहिए अन्यथा हाजमा बिगड़ सकता है। दाल, सब्जी में कच्चा डालकर या तड़के के रूप में इसका प्रयोग किया जा सकता है। गर्मियों में ध्यान रखना चाहिये कि इसके अधिक प्रयोग से शरीर में गर्मी न बढ़ जाए।
गुरुवार, 26 मई 2011
छोटी-छोटी पत्तियों से घरेलू उपचार
. वृक्षों की पत्तियां अनेक गुणों से परिपूर्ण हुआ करती है। प्रकृति द्वारा प्रदत्त ये पतियां न सिर्फ हरियालियां ही देती हैं, बल्कि इन पत्तियों में स्वास्थ्य रक्षा के अनेक सूत्र भी छिपे होते हैं। पतियों में पाए जाने वाले चमत्कारी गुणों को इस प्रकार जाना जा सकता है-
अमरूद की पतियां : अमरुद के पत्तों को कूटकर, लुगदी बनाकर उसे गर्म करके लगाने से गठिया की सूजन दूर हो जाती है। अमरुद के पत्तों को पीसकर उसका रस निकालकर उसमें स्वादानुसार चीनी मिलाकर नित्य पीते रहने से स्वप्नदोष की बीमारी में लाभ होता है। अमरूद की ताजी पत्तियों का रस 10 से 20 मि.ली तक नित्य सुबह-शाम पीने से ल्यूकोरिया नामक बीमारी में अप्रत्याशित लाभ पहुंचाता है।
चम्पा की पत्तियां : चम्पा फूल की पत्तियों को पीसकर उसमें बराबर मात्रा में पानी मिलाकर पीने से पित्त विकार, रक्त विकार एवं पेट के कृमियों में अत्यंत लाभ होता है। इसकी पत्तियों को चबाकर रस चूसने से दांत की कीड़े नष्ट हो जाते हैं तथा पायरिया रोग में लाभ होता है।
अंजीर की पत्तियां : अंजीर के पत्तियों के रस के सेवन से रक्तिपित्त, रक्तिविकार, वायुविकार आदि का नाश होता है तथा शरीर पुष्ट होता है। श्वेत कुष्ठ वाले स्थान पर अंजीर के पत्तों की लुगदी नित्य बदल-बदल कर लगाते रहने से लाभ होता है।
बनफ्सा की पत्तियां : बनफ्सा की पत्तियों को थकूच कर लुगदी बना लें और उसे घाव, सूजन, पर बांधने से तथा उसका काढ़ा बनाकर पीने से बुखार व मूत्र रोगों में फायदा होता है।
अन्नास की पत्तियां : अनन्नास की सफेद पत्तियों के ताजे रस में चीनी मिलाकर सेवन करने से पेट के कीड़े मर जाते हैं। यह विरेचन का काम भी करता है। इसके रस को अधिक मात्रा में पीने से उल्टियां हो सकती हैं।
चिरयता की पत्तियां : ज्वर में चिरयता की पतियों को पीने से लाभ होता है। इसकी पत्तियों को पानी के साथ गर्म करके काढ़ा बनाकर पीने से ज्वर में तथा पत्तियों को भिंगोकर उसके पानी को छानकर पीने से रक्त में स्थित दोष समाप्त हो जाते हैं।
चौलाई की पत्तियां : चौलाई की पत्तियों को पानी के साथ उबालकर उस पानी में नमक डालकर पीने से पेट दर्द या दस्त साफ न आने में लाभ होता है। पिपरमेंट की पत्तियों के रस को सूंघने से सर्दी, सिरदर्द व जुकाम में अत्यन्त लाभ पहुंचाता है।
अडूसा की पत्तियां : अडूसा की 3-4 पतियों को पीसकर उसका रस निकाल लें। रस में बराबर मात्रा में शहद मिलाकर दिन में तीन बार चाटने पर खांसी से आराम मिल जाता है। लहसुन के पत्तों को पीसकर दाद पर लगाते रहने से आराम होता है। नींबू की पत्तियों के रस को फोड़े फुंसियों पर लगाते रहने से वे ठीक हो जाते हैं।
अनार की पत्तियां : अनार की ताजी पत्तियों के साथ काली मिर्च (गोलकी) को पीसकर इसे 100 ग्राम पानी में मिलाकर सुबह-शाम पीते रहने से महिलाओं की बीमारी श्वेत प्रदर (ल्यूकोरिया) में अप्रत्याशित लाभ होता है।
आम की पत्तियां : आम के पत्तों की भस्म जले हुए स्थान पर नारियल तेल में मिलाकर लगाने से आराम होता है। आम के पत्तियों को थकूच कर पानी में डालकर काढ़ा बनाकर पीते रहने से प्रदर की परेशानियों से मुक्ति मिलती है। इसमें स्वादानुसार चीनी मिलायी जा सकती है।
बिल्व पत्र : बेल के पत्तों को पानी में पीसकर माथे पर लेप करने से मस्तिष्क की गर्मी शांत होती है तथा नींद खूब आती है। बेल की पत्तियां 15 नग, बादाम की गिरियां 2 नग तथा मिश्री 250 ग्राम को मिलाकर, पीसकर आंच पर पका लें। जब शर्बत की तरह बन जाये तो उतार कर ठंडा करके पीते रहने से एक माह के अंदर ही नपुसंकता दूर हो जाती है। मंद आंच पर बेल की पत्तियों को भूनकर बारीक पीसकर कपड़े से छान लें और शीशी में भरकर रख लें। 1 ग्राम की मात्रा में प्रात: सायं शहद के साथ मिलाकर चाटते रहने से कुक्कुर खांसी (हूपिंग कफ) में आराम मिलता है।
पपीते की पत्तियां : पपीते के पत्तों को कूटकर उनकी लुगदी बना लें। इसे हाथीपाव (फिलपांव) नामक बीमारी पर बांधते रहने से धीरे-धीरे उसकी सूजन कम होकर ठीक होने लगती है।
कैंसर रूपी काल का भी काल है यह धार्मिक पौधा!!!
तुलसी का पौधा कितना अनमोल है, यह इसी बात से पता चल जाता है कि इसे गुणों को देखकर इसे भगवान की तरह पूजा जाता है। यूं तो आज हर आदमी को किसी न किसी बीमारी ने अपने कब्जे में कर रखा है। लेकिन केंसर एक ऐसी बीमारी है जो लाइलाज कही जाती है।  अभी तक इस बीमारी का कोई परमानेंट इलाज नहीं है। आज यह बीमारी तेजी से फैल रही है। वैसे तो केंसर का कोई परमानेंट इलाज नहीं है लेकिन फिर भी आर्युवेद ने तुलसी को केंसर से लडऩे का एक बड़ा तरीका बताया है। आर्युवेद में बताया गया है कि तुलसी की पत्तियों के रोजाना प्रयोग से केंसर से लड़ा जा सकता है। और इसके लगातार प्रयोग से केंसर खत्म भी हो सकता है।
- कैंसर की प्रारम्भिक अवस्था में रोगी अगर तुलसी के बीस पत्ते थोड़ा कुचलकर रोज पानी के साथ निगले तो इसे जड़ से खत्म भी किया जा सकता है।
-तुलसी के बीस पच्चीस पत्ते पीसकर एक बड़ी कटोरी दही या एक गिलास छाछ में मथकर सुबह और शाम पीएं कैंसर रोग में बहुत फायदेमंद होता है।
केंसर मरीज के लिए विशेष आहार
अंगूर का रस, अनार का रस, पेठे का रस, नारियल का पानी, जौ का पानी, छाछ, मेथी का रस, आंवला, लहसुन, नीम की पत्तियां, बथुआ, गाजर, टमाटर, पत्तागोभी, पालक और नारियल का पानी।
- कैंसर की प्रारम्भिक अवस्था में रोगी अगर तुलसी के बीस पत्ते थोड़ा कुचलकर रोज पानी के साथ निगले तो इसे जड़ से खत्म भी किया जा सकता है।
-तुलसी के बीस पच्चीस पत्ते पीसकर एक बड़ी कटोरी दही या एक गिलास छाछ में मथकर सुबह और शाम पीएं कैंसर रोग में बहुत फायदेमंद होता है।
केंसर मरीज के लिए विशेष आहार
अंगूर का रस, अनार का रस, पेठे का रस, नारियल का पानी, जौ का पानी, छाछ, मेथी का रस, आंवला, लहसुन, नीम की पत्तियां, बथुआ, गाजर, टमाटर, पत्तागोभी, पालक और नारियल का पानी।
मोतियाबिंद
        गाजर का रस एक गिलास सुबह व शाम पीने से मोतियाबिंद में लाभ मिलता है।
        लहसुन क ो छीलकर पानी में भिगो दे। अगली सुबह खाली पेट लहसुन को खा ले और उसका पानी  पी लें इससे मोतियाबिंद ठीक हो जाता है।
बुधवार, 25 मई 2011
बालों में खुजली हो या डेंड्रफ... घरेलू नुस्खों का कमाल देखें
डेंड्रफ हमारे सिर की त्वचा में स्थित मृत कोशिकाओं से पैदा होती है। साथ ही वात संबंधी दोषों के कारण भी डेंड्रफ हो जाती है। इसकी वजह से सिर में खुजली रहती है और बाल गिरने लगते हैं। इससे निजात पाने की घरेलू टिप्स-
- नारियल के तेल में कपूर मिलाएं और यह तेल अच्छी तरह बालों में तथा सिर पर लगाएं। कुछ ही दिनों डेंड्रफ की समस्या
से राहत मिलेगी।
- नींबू के रस को बालों में लगाएं। कुछ समय बाद सिर धो लें।
- नींबू का रस नारियल के तेल में मिलाकर लगाएं।
- दही से सिर धोएं, इससे भी डेंड्रफ से निजात मिलेगी।
यह उपाय नियमित रूप से अपनाएं।
- नारियल के तेल में कपूर मिलाएं और यह तेल अच्छी तरह बालों में तथा सिर पर लगाएं। कुछ ही दिनों डेंड्रफ की समस्या
से राहत मिलेगी।
- नींबू के रस को बालों में लगाएं। कुछ समय बाद सिर धो लें।
- नींबू का रस नारियल के तेल में मिलाकर लगाएं।
- दही से सिर धोएं, इससे भी डेंड्रफ से निजात मिलेगी।
यह उपाय नियमित रूप से अपनाएं।
पायरिया
- भुनी हुई फिटकरी और अकरकरा को सिरके में मिला लें या बारीक पीसकर रख लें। इस मंजन से दांत साफ करने से पायरिया रोग में आराम मिलता है।
- आंवला जला कर भस्म कर लें। उसमें थोड़ा सा नमक मिलाकर सरसों के तेल के साथ मंजन करने से पायरिया रोग दूर हो जाता है।
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