रविवार, 12 जून 2011

महिलाएं सुन्दर-सुडोल और हेंडसम बनेंगे पुरुष ऐसा करने से


असंतुलित खान-पान और अन्य कारणों के चलते कई महिलाओं का शरीर पूर्ण विकसित नहीं हो पाता है उनके लिए गोमुखासन काफी लाभदायक है। इस आसन के नियमित प्रयोग से महिलाओं को पूर्ण सौंदर्य प्राप्त होता है। साथ ही फेफड़ों से संबंधित बीमारियां तथा अन्य बीमारियों को दूर रखता है गोमुखासन। इस आसन में हमारी स्थिति गाय के मुख के समान हो जाती है, इसलिए इसे गोमुखासन कहते हैं। स्वाध्याय एवं भजन, स्मरण आदि में इस आसन का प्रयोग किया जाता है। यह स्वास्थ्य के लिए भी काफी लाभकारी हैं।

गोमुखासन की विधि

किसी शुद्ध वातावरण वाले स्थान पर कंबल आदि बिछाकर बैठकर जाएं। अब अपने बाएं पैर को घुटनों से मोड़कर दाएं पैर के नीचे से निकालते हुए एड़ी को पीछे की तरफ  नितम्ब के पास सटाकर रखें। अब दाएं पैर को भी बाएं पैर के ऊपर रखकर एड़ी को पीछे नितम्ब के पास सटाकर रखें। इसके बाद बाएं हाथों को कोहनी से मोड़कर कमर के बगल से पीठ के पीछे लें जाएं तथा दाहिने हाथ को कोहनी से मोड़कर कंधे के ऊपर सिर के पास पीछे की ओर ले जाएं। दोनों हाथों की उंगलियों को हुक की तरह आपस में फंसा लें। सिर व रीढ़ को बिल्कुल सीधा रखें और सीने को भी तानकर रखें। इस स्थिति में कम से कम 2 मिनिट रुकें।फिर हाथ व पैर की स्थिति बदलकर दूसरी तरफ भी इस आसन को इसी तरह करें। इसके बाद 2 मिनट तक आराम करें और पुन: आसन को करें। यह आसन दोनों तरफ से 4-4 बार करना चाहिए। सांस सामान्य रखें।

गोमुखासन के लाभ

इस आसन से फेफड़े से सम्बन्धी बीमारियों में विशेष लाभ होता है। इस आसन से छाती चौड़ी व मजबूत होती है। कंधों, घुटनों, जांघ, कुहनियों, कमर व टखनों को मजबूती मिलती है तथा हाथ, कंधों व पैर भी शक्तिशाली बनते हैं। इससे शरीर में ताजगी, स्फूर्ति व शक्ति का विकास होता हैं। यह आसन दमा (सांस के रोग) तथा क्षय (टी.बी.) के रोगियों को जरुर करना चाहिए। यह पीठ दर्द, वात रोग, कन्धें के कड़ेपन, अपच, हर्नियां तथा आंतों की बीमारियों को दूर करता है। यह अण्डकोष से सम्बन्धित रोग को दूर करता है। इससे प्रमेह, मूत्रकृच्छ, गठिया, मधुमेह, धातु विकार, स्वप्नदोष, शुक्र तारल्य आदि रोग खत्म होता है। यह गुर्दे के विषाक्त (विष वाला) द्रव्यों को बाहर निकालकर रुके हुए पेशाब को बाहर करता है। जिसके घुटनों मे दर्द रहता है या गुदा सम्बन्धित रोग है उन्हें भी गोमुखासन करना चाहिए।

स्त्री-पुरुष दोनों को लाभ

यह आसन उन महिलाओं को अवश्य करना चाहिए, जिनके स्तन किसी कारण से दबे, छोटे तथा अविकसित रह गए हों। यह स्त्रियों के सौन्दर्यता को बढ़ाता है और यह प्रदर रोग में भी लाभकारी हैं। चोड़ी छाती का होना पुरुषों के व्यक्तित्व को प्रभावशाली और आकर्षक बनाता है। गोमुखासन से पुरुषों सा सीना चोड़ा और मजबूत बनता है।

 

शुक्रवार, 3 जून 2011

पौष्टिक आटा



गुरुदेव ने आटा को पौष्टिक बनने के लिए निम्नलिखित composition बताया है:
गेहूं - ५ kg
सोयाबीन - १ kg
मक्का - १ kg
जाऊ - १ kg
इसके अलावा अपने रूचि और पाचन के अनुसार बाजरी भी डाल सकते हैं।

काजू प्रयोग



पैरो की एडियों में दरारे हो, पेट में कृमि हो तो बच्चों को २/३ काजू शहद के साथ अच्छी तरह तरह से चबा चबा कर खाने दे…और बड़े है तो ५/७ काजू…..कृमि,कोढ़, काले मसुडो आदि में आराम होगा |काजू प्रयोग से मन भी मजबूत होता है

गुरुवार, 2 जून 2011

कैसा भी बुखार हो, तुरंत भगाएगा ये दादी मा का नुस्खा

बुखार सेहत से जुड़ी हुई एक आम समस्या है। हर किसी को किसी न किसी कारण से बुखार की शिकायत हो ही जाती है। कभी वायरल फीवर के रूप में तो कभी घातक मलेरिया बनकर  अलग-अलग नामों से यह सभी को अपनी चपेट में ले ही लेता है। फिर बड़ा आदमी हो या कोई बच्चा, इस बीमारी की चपेट में आकर कई परेशानियों से घिर जाते हैं। कई बुखार तो ऐसे हैं जो बहुत दिनों तक आदमी को अपनी चपेट में रखकर उसे पूरी तरह से कमजोर बना देता है। यहां हम एक ऐसा दिलस्प मगर 100 फीसदी अचूक और कारगर उपाय जो किसी भी तरह के बुखार में अपना प्रभाव दिखाकर रहता है। इस प्रयोग में भुने हुए नमक को मरीज को दिया जाता है, जिसका प्रभाव कुछ ही समय में सामने आ जाता है...

प्रयोग विधि:

खाने मे इस्तेमाल आने वाला सादा नमक लेकर उसे तवे पर डालकर धीमी आंच पर सेकें। जब इसका कलर काफी जैसा काला भूरा हो जाए तो उतार कर ठण्डा करें। ठण्डा हो जाने पर एक शीशी में भरकर रखें। जब आपको ये महसूस होने लगे की आपको बुखार आ सकता है तो बुखार आने से पहले एक चाय का चम्मच एक गिलास गर्म पानी में मिलाकर ले लें। जब आपका बुखार उतर जाए तो एक चम्मच नमक एक बार फिर से लें। ऐसा करने से बुखार पलटकर भी नहीं आएगा।

विशेष:

- हाई ब्लडप्रेशर के रोगियों को यह प्रयोग नहीं करना चाहिये।

- यह एक पुराना घरेलू नुस्खा है, इसके साथ ही आधुनिक चिकित्सक की सलाह भी अवश्य लें।

- यह प्रयोग एक दम खाली पेट करना चाहिए इसके बाद कुछ खाना नहीं चाहिए और ध्यान रखें कि इस दौरान रोगी  को

  ठण्ड न लगे।

- अगर रोगी को प्यास ज्यादा लगे तो उसे पानी को गर्म कर उसे ठण्डा करके दें।

- इस नुस्खे को अजमाने के बाद रोगी को करीब 48 घंटे तक कुछ खाने को न दें। और उसके बाद उसे दूध, चाय या

  हल्का दलिया बनाकर खिलाऐं।

पौरुष बल बढ़ाने और यौन समस्याएं मिटाने का 1 सरल तरीका


बुधवार, 1 जून 2011

चमत्कारी मिट्टी कर देगी नकसीर की छुट्टी

अक्सर देखा जाता है कि गर्मियां शुरू होते ही कुछ लोगों को नकसीर की प्रॉब्लम होने लगती है। किसी किसी को तो यह समस्या हर साल एक परमानेंट बीमारी की तरह होती जा रही है। लेकिन अब घबराइए नहीं कुछ आयुर्वेदिक नुस्खों को अपना कर आप पुरानी से पुरानी नकसीर से छुटकारा पा सकते हैं।

तुरन्त नकसीर बन्द करने के लिए-

1. थोड़ा सा सुहागा पानी में घोलकर नथूनों पर लगाऐं नकसीर तुरन्त बन्द हो जाएगी।

2. जिस व्यक्ति को नकसीर चल रही है उसे बिठाकर सिर पर ठण्डे पानी की धार डालते हुए सिर भिगों दें। बाद में थोड़ी पीली मिट्टी को भिगोकर सुंघाने से नकसीर तुरन्त बन्द हो जाएगी।

पुरानी नकसीर की बीमारी को हमेशा के लिए बन्द करने के लिए-

करीब 20 ग्राम मुल्तानी मिट्टी को कूट कर रात के समय मिट्टी के बर्तन में करीब एक गिलासपानी में डालकर भिगो दें।  सुबह पानी को निथारकर छान लें। इस साफ पानी को दो तीन दिन पिलाने से वर्षों का पुराना रोग हमेशा के लिए खत्म हो जाता है।

विशेष- बच्चों को इस पानी में मिश्री या बताशा मिलाकर पिलाने से किसी भी तरह की नकसीर हमेशा के लिए बन्द हो जाती है।

नाक में डालो पानी...सर्दीं हो जाएगी छूमंतर

बहुत जल्दी ही बारिश का सुहावना सीजन आने वाला है। बारिश के दिनों में कामकाजी लोगों को न चाहकर भी बारिश के पानी में भीगना ही पड़ता है। जिन लोगों की तासीर गर्म है तथा जो बीमारियों के प्रति ज्यादा मजबूत होते हैं वे तो बारिश के मौसम में सर्दी लगने से बच जाते हैं। लेकिन सभी के साथ ऐसा नहीं है, अधिकांश लोग खाशकर महिलाएं और बच्चे काफी नाजुक प्रकृति के होते हैं। शीत प्रकृति के लोगों को पानी से भीगने या ज्यादा देर पानी के सम्पर्क में रहने से तत्काल सर्दी बैठ जाती है। सर्दी-जुकाम की तकलीफ ऐसी होती है कि इंसान को लगता है कि इससे तो बुखार का आना ज्यादा अच्छा है। आइये चलते हैं एक ऐसे उपाय की ओर जो सर्दी-जुकाम जैसी नामुराद बीमारी को जड़ से मिटा सकता है और वो भी सदा के लिये....

जलनेती: 

यह एक यौगिक क्रिया है, जिसको बगैर किसी अनुभवी मार्गदर्शक के कभी भी नहीं करना चाहिये। इस क्रिया में  नाक के बाएं छेद से पानी डालते हुए शरीर को कुछ इस तरह से रखा जाता है कि सारा का सारा पानी दाहिने नाक की तरफ से निकल जाता है। यही क्रिया दाएं से बाएं भी दोहराई जाती है इस तरह एक चक्र पूरा होता है।

सावधानी: 

किसी अनुभवी मार्गदर्शक की देखरेख में ही इस क्रिया को प्रारंभ करना चाहिये। प्रारंभ में बहुत  कम समय के लिये ही इस क्रिया को प्रारंभ करना चाहिये।

विशेश: 

इस क्रिया के करने से यकीनन पुरानी से पुरानी सर्दी-जुकाम और एलर्जी तक का भी जड़ से से सफाया हो जाता है।

Featured post

इस फ़ार्मूले के हिसाब से पता कर सकती हैं अपनी शुभ दिशाऐं

महिलाएँ ...इस फ़ार्मूले के हिसाब से पता कर सकती हैं अपनी शुभ दिशाऐं।   तो ये है इस फ़ार्मूले का राज... 👇 जन्म वर्ष के केवल आख़री दो अंकों क...