बहुत जल्दी ही बारिश का सुहावना सीजन आने वाला है। बारिश के दिनों में कामकाजी लोगों को न चाहकर भी बारिश के पानी में भीगना ही पड़ता है। जिन लोगों की तासीर गर्म है तथा जो बीमारियों के प्रति ज्यादा मजबूत होते हैं वे तो बारिश के मौसम में सर्दी लगने से बच जाते हैं। लेकिन सभी के साथ ऐसा नहीं है, अधिकांश लोग खाशकर महिलाएं और बच्चे काफी नाजुक प्रकृति के होते हैं। शीत प्रकृति के लोगों को पानी से भीगने या ज्यादा देर पानी के सम्पर्क में रहने से तत्काल सर्दी बैठ जाती है। सर्दी-जुकाम की तकलीफ ऐसी होती है कि इंसान को लगता है कि इससे तो बुखार का आना ज्यादा अच्छा है। आइये चलते हैं एक ऐसे उपाय की ओर जो सर्दी-जुकाम जैसी नामुराद बीमारी को जड़ से मिटा सकता है और वो भी सदा के लिये....
जलनेती:
यह एक यौगिक क्रिया है, जिसको बगैर किसी अनुभवी मार्गदर्शक के कभी भी नहीं करना चाहिये। इस क्रिया में नाक के बाएं छेद से पानी डालते हुए शरीर को कुछ इस तरह से रखा जाता है कि सारा का सारा पानी दाहिने नाक की तरफ से निकल जाता है। यही क्रिया दाएं से बाएं भी दोहराई जाती है इस तरह एक चक्र पूरा होता है।
सावधानी:
किसी अनुभवी मार्गदर्शक की देखरेख में ही इस क्रिया को प्रारंभ करना चाहिये। प्रारंभ में बहुत कम समय के लिये ही इस क्रिया को प्रारंभ करना चाहिये।
विशेश:
इस क्रिया के करने से यकीनन पुरानी से पुरानी सर्दी-जुकाम और एलर्जी तक का भी जड़ से से सफाया हो जाता है।
जलनेती:
यह एक यौगिक क्रिया है, जिसको बगैर किसी अनुभवी मार्गदर्शक के कभी भी नहीं करना चाहिये। इस क्रिया में नाक के बाएं छेद से पानी डालते हुए शरीर को कुछ इस तरह से रखा जाता है कि सारा का सारा पानी दाहिने नाक की तरफ से निकल जाता है। यही क्रिया दाएं से बाएं भी दोहराई जाती है इस तरह एक चक्र पूरा होता है।
सावधानी:
किसी अनुभवी मार्गदर्शक की देखरेख में ही इस क्रिया को प्रारंभ करना चाहिये। प्रारंभ में बहुत कम समय के लिये ही इस क्रिया को प्रारंभ करना चाहिये।
विशेश:
इस क्रिया के करने से यकीनन पुरानी से पुरानी सर्दी-जुकाम और एलर्जी तक का भी जड़ से से सफाया हो जाता है।
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