आंवला प्रयोग
१०-२० मि.ग्रा. आंवले का रस कद्दूकस करके या मिक्सी में डालकर निकाल लें या २ किलो आंवले धोकर कुक्कर में डाल दो l पानी नहीं डालना है (१ घूँट डाल सकते हैं ) और धीमी आंच पर रख दें l आधी सीटी लगने पर उतार लें l फिर उसके बीज निकाल कर मावा बना दिया (घी में भी सेंक सकते है) l वो मावा फ्रिज में रख दिया l २० ग्राम रस बने, उतना मावा लेकर उसमे २ ग्राम अश्वगंधा चूर्ण मिला दो और सुबह खाली पेट लो और २ घंटे तक कुछ ना खाओ l गजब का वीर्यवान शरीर बनेगा l धातु क्षय व धातु दुर्बलता में बहुत फायदा होगा l इस मावे में राई का बघार देकर, धनिया, पुदीना आदि मिलाकर चटनी भी बना सकते हैं और भोजन के समय ले सकते हैं l
वर्ष भर निरोग रहने के लिए
बड़े लोगों के लिए २५ से १०० तुलसी के पान और छोटों के लिए ५ से २५ तुलसी के पान, उसका रस निकाला, फिर गुड़ अथवा शहद मिला दें और सुबह खाली पेट ले लो l २ से २ १/२ घंटे तक दूसरा कुछ ना लो l ऐसा २-३ महीने करो l तुम्हारे शरीर को जैसे गोदाम में बिल्ली भर दिया, तो चूहों को खोज - खोज के उनका सफाया करती है, ऐसे ही शरीर की, मन की, मति की, गति की जो बीमारियाँ हैं, उन्हें खोज-खोज के ये तुलसी का प्रयोग निकाल देगा l
अगर और बढ़िया स्वास्थ्य लेना हो तो दही ३.५ से ४ घंटे में दही जम जायेगी, इस बोलते हैं मीठी दही (खटास रहित दही) फिर दोपहर को और शाम को, दिन में ३ बार और भी ले सकते हैं l २५ से १०० तुलसी के पान का रस.......... कैसा भी भयंकर कैंसर हो भाग जायेगा l
अश्विनी मुद्रा
बिस्तर से उतरें, नीचे धरती पर चटाई-कम्बल आदि बिछा दिया l पूर्व की तरफ सिर कर दिया l श्वास बाहर फेंक दिए, पेट को अन्दर-बाहर २-५ बार किया l योनी को संकोचन-विस्तरण २५ बार करो l फिर श्वास ले लो l फिर श्वास बाहर फेंको और शौच जाने की जगह को, जैसे घोड़ा लीद छोड़ता है, संकोचन-विस्तरण करता है, ऐसे करो l ऐसे ४ श्वास लेकर करो तो १०० बार हो जायेगा l इसे बोलते हैं अश्विनी मुद्रा जो की त्रिदोषनाशक है l बवासीर और कब्ज़ में अदभुद लाभ होता है l स्वप्नदोष आदि में भी फायदा करता है l इससे बुद्धि में इजाफा होगा l कर्तित्व में आप सक्रिय हो जायेंगे l आपका मूलाधार केंद्र प्रभावशाली होगा l स्वाधिष्ठान केंद्र विकसित होगा l कुण्डलिनी जागरण में मदद मिलेगी l ध्यान भजन में बरकत होगी l
दाढ़ी (ठोडी) के बीच में जो खड्डा है, उसे दबाने पर भी कब्ज़ में फायदा होगा l
जीवन से शुष्कता मिटाने के लिए व ख़ुशी लाने के लिए
तृप्ति प्राणायाम - इसकी खोज महर्षि च्यवन ने की है
पहले दायें बायें से श्वास लिया छोड़ा 10 बार (अनुलोम विलोम); बाद में दोनो नथूनों से शुद्ध हवामान में श्वास भरा; और गुरु मंत्र एक बार जपा और आनंद आनंद चिंतन किया और फूँक मार के अशांति, अतृप्ति को बाहर फेंक दिया; पूरा श्वास भरा और एक दो बार गुरु मंत्र जपा और श्वास मुँह से निकाल दिया, 50-100 बार ऐसा करो; आपके जीवन में उसी समय तृप्ति प्रसन्नता होने लगेगी ,
पहले दायें बायें से श्वास लिया छोड़ा 10 बार (अनुलोम विलोम); बाद में दोनो नथूनों से शुद्ध हवामान में श्वास भरा; और गुरु मंत्र एक बार जपा और आनंद आनंद चिंतन किया और फूँक मार के अशांति, अतृप्ति को बाहर फेंक दिया; पूरा श्वास भरा और एक दो बार गुरु मंत्र जपा और श्वास मुँह से निकाल दिया, 50-100 बार ऐसा करो; आपके जीवन में उसी समय तृप्ति प्रसन्नता होने लगेगी ,
शारीरिक कमजोरी, बल वृद्धि व अन्य रोगों में
1. 10 ग्राम काले तिल चबा लो, और ठंडा पानी पियो; 2 घंटे तक कुछ खाओ पियो नहीं l इससे शरीर के कमजोरी मिटकर शरीर मजबूत होगा l दांत व मसूड़े मज़बूत होंगे, मस्तक मज़बूत होगा ल२
नोट: केले खाने के बाद, केले के छिलके पर जो गिरी होती हैं (सफ़ेद) उसे खाने से केला हज़म होता है ।
3. लोहे के बर्तन में पानी गरम करो, फिर पीने लायक हो वो पिया करो; इस से haemoglobin बढ़ेगा; दूध भी उसी में उबालो, दाल भी उसी में बनाओ; इस से भी खून बनेगा;
शिशु व बालक सम्बन्धी बातें
2.चना, मूँग, मोठ यह सब मिलाकर एक कटोरी, एक मुट्ठी भर मूँगफली व एक चम्मच तिल (काले हों तो उत्तम) रात भर पानी में भिगोकर रखें। सुबह नमक मिलाकर भाप लें, उबाल लें। इसमें हरा धनिया, पालक व पत्तागोभी काटकर तथा चुकंदर, मूली एवं गाजर कद्दूकश करके मिला दें। ऊपर से काली मिर्च बुरककर नींबू निचोड़ दें। चार व्यक्तियों के लिए नाश्ता तैयार है। इसे खूब चबा-चबाकर खायें। यह नाश्ता सभी प्रकार खनिज-द्रव्यों, प्रोटीन्स, विटामिन्स व आवश्यक कैलरीज की पूर्ति करता है। जिनकी उम्र 60 साल से अधिक है व जिनकी पाचनशक्ति कमजोर है, उनको नाश्ता नहीं करना चाहिए।
दोपहर के भोजन के बाद एक या दो पके केले खायें, बच्चे मजबूत होंगे lनोट: केले खाने के बाद, केले के छिलके पर जो गिरी होती हैं (सफ़ेद) उसे खाने से केला हज़म होता है ।
3. लोहे के बर्तन में पानी गरम करो, फिर पीने लायक हो वो पिया करो; इस से haemoglobin बढ़ेगा; दूध भी उसी में उबालो, दाल भी उसी में बनाओ; इस से भी खून बनेगा;
4. दो छुआरे (एक व्यक्ति के लिए) धो के, बीज निकाल के, दूध में डाल दो l दूध में पानी डालो l धीमी आँच पर दूध उबालें l धीमी आँच में वो छुआरे उबलेंगे l
हेमंत ऋतु: 23 अक्टूबर - 20 दिसम्बर तक है; इन दिनों शरीर को बनाने वाले भोजन करना चाहिए l200 ग्राम दूध है (छुआरे वाला),
हेमंत ऋतु: 23 अक्टूबर - 20 दिसम्बर तक है; इन दिनों शरीर को बनाने वाले भोजन करना चाहिए l200 ग्राम दूध है (छुआरे वाला),
उसमें अगर 200 ग्राम पानी डालो तो वो दूध पित्त-नाशक हो जाएगा;
उसमें अगर 100 ग्राम पानी डालते हो तो वायु नाशक हो जाएगा;
उसमें अगर 300 ग्राम पानी डालते हो तो कफ नाशक बन जाएगा;
धीमी आँच पर छुआरे वाला दूध आप उबालो; वो छुआरे खा लो और दूध पी लो l
उसमें अगर 100 ग्राम पानी डालते हो तो वायु नाशक हो जाएगा;
उसमें अगर 300 ग्राम पानी डालते हो तो कफ नाशक बन जाएगा;
धीमी आँच पर छुआरे वाला दूध आप उबालो; वो छुआरे खा लो और दूध पी लो l
आपके चेहरे पर सौन्दर्य, कांति, वीर्य की पुष्टि, हृदय और फेफड़े का बल, और महिलाएँ पियें तो अनियमित मासिक धर्म की गड़बड़ी दूर होगी और भाई पियें तो स्वप्न दोष, रक्तचाप (ब्लड प्रेशर), कमर का दर्द, मनकों की गड़बड़, मनकों की गैप, कब्जियत आदि की शिकायत दूर हो जाएगी, बाल घने और लंबे होने लगेंगे l अगर रात को ऐसा दूध पीते हो तो स्वर सुरीला होगा और रात्रि को कुछ बच्चे बिस्तर बिस्तर गीला कर देते हैं - ऐसे बच्चे या ऐसे लोगों के लिए भी यह छुआरे वाला दूध आशीर्वाद रूप हो जाएगा l
शिशु व बालक सम्बन्धी बातें
बालक जन्मते ही दाई या नर्स बच्चे को नहलाकर पिता की गोद में बचे को दे और पिता बच्चे के कान में निम्नलिखित मंत्र बोले -
७ बार ॐ का उच्चारण करके "अस्मा भव" तू चटान की नाई अडिग रहना l
७ बार ॐ का उच्चारण करके "परशु भव" तू कुल्हाड़े की नाई विघ्न बाधा को काटने वाला बनना l
७ बार ॐ का उच्चारण करके "हिरन्यस्तुम भव" तू चैतन्य अमर आत्मा है, तुझे कोई दोष ना लगे l
फिर माँ दूध पिलाने से पहले शहद और घी विमिश्रण करके सोने की सलाई से बच्चे की जीभ पर "ॐ" लिखे, फिर उसे दूध पिलाये l
जन्म से २ साल तक शैशव अवस्था होती है - शैशव काल में बच्चा जब हाथ-पैर हिलाने लगे तो उसे गोद में ज्यादा नहीं लेना चाहिए, इससे बच्चों के विकास में बड़ी हानि होती है l हाथ पैर चलने दें, बच्चा मजबूत बने l उसकी प्रतिभा विकसित करने के लिए उसे हँसते-खेलते रखना चाहिए l उसकी अनुकूल वस्तुएं दिलानी चाहिए, नहीं दे सकते तो बोलना चाहिए, चिंता नहीं, आ जायेगी, उसको निषेधात्मक नहीं बोलना चाहिए l उसे पेट की बीमारियाँ ना हों, ये ध्यान रखना चाहिए, अगर पेट की तकलीफ है तो पपीते के बीज २-३ कूट के पिलायें अथवा तुलसी के बीज कूट दें फिर १/४ चुटकी चूर्ण, रात को भिगो कर सुबह पिलायें l
२-५ साल तक उसके मन में जिज्ञासा (जानने की वृति) फूटती है l जो वह पूछे उसे उत्साह से उत्तर दें और उसके सामने प्रश्न लायें जिससे उसकी प्रतिभा विकसित हो l उसे रात को कहानियों के माध्यम से जानने की वृति और विचार की शक्ति पैदा करें l
७ बार ॐ का उच्चारण करके "अस्मा भव" तू चटान की नाई अडिग रहना l
७ बार ॐ का उच्चारण करके "परशु भव" तू कुल्हाड़े की नाई विघ्न बाधा को काटने वाला बनना l
७ बार ॐ का उच्चारण करके "हिरन्यस्तुम भव" तू चैतन्य अमर आत्मा है, तुझे कोई दोष ना लगे l
फिर माँ दूध पिलाने से पहले शहद और घी विमिश्रण करके सोने की सलाई से बच्चे की जीभ पर "ॐ" लिखे, फिर उसे दूध पिलाये l
जन्म से २ साल तक शैशव अवस्था होती है - शैशव काल में बच्चा जब हाथ-पैर हिलाने लगे तो उसे गोद में ज्यादा नहीं लेना चाहिए, इससे बच्चों के विकास में बड़ी हानि होती है l हाथ पैर चलने दें, बच्चा मजबूत बने l उसकी प्रतिभा विकसित करने के लिए उसे हँसते-खेलते रखना चाहिए l उसकी अनुकूल वस्तुएं दिलानी चाहिए, नहीं दे सकते तो बोलना चाहिए, चिंता नहीं, आ जायेगी, उसको निषेधात्मक नहीं बोलना चाहिए l उसे पेट की बीमारियाँ ना हों, ये ध्यान रखना चाहिए, अगर पेट की तकलीफ है तो पपीते के बीज २-३ कूट के पिलायें अथवा तुलसी के बीज कूट दें फिर १/४ चुटकी चूर्ण, रात को भिगो कर सुबह पिलायें l
२-५ साल तक उसके मन में जिज्ञासा (जानने की वृति) फूटती है l जो वह पूछे उसे उत्साह से उत्तर दें और उसके सामने प्रश्न लायें जिससे उसकी प्रतिभा विकसित हो l उसे रात को कहानियों के माध्यम से जानने की वृति और विचार की शक्ति पैदा करें l
दूध-माखन व त्रिफला प्रयोग
त्वचा में खुजली की बीमारी होती है तो त्रिफला ५-७ ग्राम रात को थोड़ा पानी से फांक लें l कई लोगों को गाल पे दाग-दाग हैं, तो १ ग्लास दूध और १०-२० ग्राम माखन (खारा नहीं होना चाहिए) l माखन को पानी में २-४ बार अच्छी तरह से धो के दूध में मिला दें l १-२ बार हिला दें और पियें तो चेहरे पर जो दाग-दागे होते हैं, बादल जैसे (झाइयाँ), वो सब ठीक हो जायेगा l गर्भिणी स्त्री ऐसा दूध पियें तो बालक एकदम लाल-लाल टमाटर जैसा पैदा होता हैl
नींबू-अदरक
फ्रिज में नींबू नहीं रखना चाहिए l अगर रखें भी तो जिस दिन काम में लाना है तो ६ घंटे पहले नींबू बाहर निकाल कर रखें, नहीं तो गर्म पानी में डालकर फिर रस निकालें तो ज्यादा रस निकलेगा l ठंडे नींबू में से रस इतना नहीं निकलता, जितना बाहर रखे नींबू से निकलता है l अदरक भी फ्रिज में रखने से उसका प्रभाव कम हो जाता है l
Heart व वायु सम्बन्धी बीमारियों में
Heart व वायु सम्बन्धी बीमारियों में
नींबू वायुनाशक होता है l जठराग्नि को भूख लगाने में मदद करता है l पाचन करता है l पेट में कृमि हों, विष हो उसको भी दूर करता है l पेट की खराबी को दूर करता है l ह्रदय व लीवर को मदद करता है l वात-पित-कफ त्रिदोषनाशक है l त्वचा के विकार दूर करता है l ३० पत्ते तुलसी के उसको घोट दिया l १ गिलास गुनगुना पानी व नींबू पी लें l हफ्ते में या १५ दिन में १ बार पी लें lBlockage कभी होने वाला नहीं, ब्लड सिर्कुलेशन अच्छा होगा, हार्ट मज़बूत बनेगा l हार्ट अटैक नहीं होगा व bye-Pass surgergy नहीं करानी पड़ेगी l कमर दर्द दूर होकर शरीर फुर्तीला होगा l मोटे लोग हफ्ते में २ बार पियें , ठीक-ठाक लोग हफ्ते में १ बार पियें व दुबले पतले लोग १५ दिन में १ बार पियें l बायाँ श्वास चले तब पियेंगे तो अमृत तुल्य लाभ होगा l
Swine Flu
Diabetes
भिन्डी के पौधे सूखे होते हैं, उनको कूट दो, मैदा छान कर लो l १/२ चम्मच पाउडर और शक्कर मिलाकर, पानी से पी लो l इससे भी Diabetes कण्ट्रोल होती है l
गंजापन
- चने की दाल भिगा दिया सुबह, भोर में और रात्रि को चने की डाल और थोड़ी शक्कर मिलाकर खाएं और फिर दूध न पियें, पानी न पियें, एकाध घंटे बाद सो जाएँ l धातु की दुर्बलता दूर होती है, ब्रह्मचर्य पालने में मदद मिलती है l
- जामुन की गुठली सुखा, छाया में और फिर उसका पाऊडर बना के रख दें l ४-४ ग्राम सुबह-शाम पाऊडर फांकें l स्वप्नदोष की, धातु क्षय की बीमारियाँ दूर होती हैं l
भोजन करने की विधि
भोजन के पहले हाथ-पैर और मुंह धो लेना चाहिए l फिर भोजन करने बैठे .... भगवान की सत्ता से अन्न बना है......... भगवान की सत्ता से पानी.......भगवान की सत्ता से सूरज l भगवान की कृपा से भोजन आया .........."ॐ परमात्मने नमः" ......... भगवान को हम नमन करते हैं l फिर भोजन खाएं तो भगवान का नाम लेकर....... भगवान तुम्हारा दिया हुआ भोजन, तुमको ही में भोग लगाता हूँ l मुंह तो अपना खोलो और भोग भगवान को लगाओ l ये प्रसाद हो जायेगा, बुद्धि पवित्र कर देगा l
राग और ताल की महिमा
राग और ताल सुनने से बहुत सी बीमारियाँ दूर होती हैं :-
- राग मारवा और राग भोपाली से आंतों की बीमारियाँ दूर होती हैं l
- राग आसारी से मस्तक के रोग दूर होते हैं l
- राग भैरवी से सिरदर्द ठीक होने लगता है l
- राग सोहनी से सिरदर्द और मरुरज्जू (रीड़ की हड्डी में जो मनके घिस गए, वो ठीक होने लगते हैं l)
- राग वसंत और राग सोरट से नपुंसकता दूर हो जाती है l
खाने का समय
होंठ फटने पर
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