बुधवार, 15 जून 2011

Health 2


ग्रीष्म ऋतु में

ग्रीष्म ऋतु में सूर्य अपनी किरणों द्वारा शरीर के द्रव तथा स्निग्ध अंश का शोषण करता है, जिससे दुर्बलता, अनुत्साह, थकान, बेचैनी आदि उपद्रव उत्पन्न होते हैं। उस समय शीघ्र बल प्राप्त करने के लिए मधुर, स्निग्ध, जलीय, शीत गुणयुक्त सुपाच्य पदार्थों की आवश्यकता होती है। इन दिनों में आहार कम लेकर बार-बार जल पीना हितकर है परंतु गर्मी से बचने के लिए बाजारू शीत पदार्थ एवं फलों के डिब्बाबंद रस हानिकारक हैं। उनसे लाभ की जगह हानि अधिक होती है। उनकी जगह नींबू का शरबत, आम का पना, जीरे की शिकंजी, ठंडाई, हरे नारियल का पानी, फलों का ताजा रस, दूध आदि शीतल, जलीय पदार्थों का सेवन करें। ग्रीष्म ऋतु में स्वाभाविक उत्पन्न होने वाली कमजोरी, बेचैनी आदि परेशानियों से बचने के लिए ताजगी देने वाले कुछ प्रयोगः
धनिया पंचकः धनिया, जीरा व सौंफ समभाग मिलाकर कूट लें। इस मिश्रण में दुगनी मात्रा में काली द्राक्ष व मिश्री मिलाकर रखें।
उपयोगः एक चम्मच मिश्रण 200 मि.ली. पानी में भिगोकर रख दें। दो घंटे बाद हाथ से मसलकर छान लें और सेवन करें। इससे आंतरिक गर्मी, हाथ-पैर के तलुवों तथा आँखों की जलन, मूत्रदाह, अम्लपित्त, पित्तजनित शिरःशूल आदि से राहत मिलती है। गुलकंद का उपयोग करने से भी आँखों की जलन, पित्त व गर्मी से रक्षा होती है।
ठंडाईः जीरा व सौंफ दो-दो चम्मच, चार चम्मच खसखस, चार चम्मच तरबूज के बीज, 15-20 काली मिर्च व 20-25 बादाम रात भर पानी में भिगोकर रखें। सुबह बादाम के छिलके उतारकर सब पदार्थ खूब अच्छे से पीस लें। एक किलो मिश्री अथवा चीनी में चार लिटर पानी मिलाकर उबालें। एक उबाल आने पर थोड़ा-सा दूध मिलाकर ऊपर का मैल निकाल दें। अब पिसा हुआ मिश्रण, एक कटोरी गुलाब की पत्तियाँ तथा 10-15 इलायची का चूर्ण चाशनी में मिलाकर धीमी आँच पर उबालें। चाशनी तीन तार की बन जाने पर मिश्रण को छान लें, फिर ठंडा करके काँच की शीशी में भरकर रखें।
उपयोगः ठंडे दूध अथवा पानी में मिलाकर दिन में या शाम को इसका सेवन कर सकते हैं। यह सुवासित होने के साथ-साथ पौष्टिक भी हैं। इससे शरीर की अतिरिक्त गर्मी नष्ट होती है, मस्तिष्क शांत होता है, नींद भी अच्छी आती है।
आम का पनाः कच्चे आम को पानी में उबालें। ठंडा होने के बाद उसे ठंडे पानी में मसल कर रस बनायें। इस रस में स्वाद के अनुसार गुड़, जीरा, पुदीना, नमक आदि मिलाकर खासकर दोपहर के समय इसका सेवन करें। गर्मियों में स्वास्थ्य-रक्षा हेतु अपने देश का यह एक पारम्परिक नुस्खा है। इसके सेवन से लू लगने का भय नहीं रहता ।
गुलाब शरबतः डेढ़ कि.ग्रा. चीनी में देशी गुलाब के 100 ग्राम फूल मसलकर शरबत बनाया जाय तो वह बाजारू शरबतों से पचासों गुना हितकारी है। सेक्रीन, रासायनिक रंगों और विज्ञापन से बाजारू शरबत महंगे हो जाते हैं। आप घर पर ही यह शरबत बनायें। यह आँखों व पैरो की जलन तथा गर्मी का शमन करता है। पीपल के पेड़ की डालियाँ, पत्ते, फल मिलें तो उन्हें भी काट-कूट के शरबत में उबाल लें। उनका शीतलतादायी गुण भी लाभकारी होगा।
अपवित्र पदार्थों से बने हुए, केमिकलयुक्त, केवल कुछ क्षणों तक शीतलता का आभास कराने वाले परंतु आंतरिक गर्मी बढ़ाने वाले बाजारू शीतपेय आकर्षक रंगीन जहर हैं। अतः इनसे सावधान!


  • आम विकार / पाचन तंत्र ठीक करने के तरीके

  • वज्रासन में बैठ के श्वास बाहर निकालें, मन में रं रं....जप करें.......जठरा प्रदीप्त होगी । ५०-६० सेकंड श्वास बाहर रोके और पेट को अंदर बाहर करें तो जह्त्रा प्रदीप्त होने से उस को पाचन ज्यादा चाहिये तो बदले में आम को पचा लेगी ।
  • एक सेब ले लो..उस मीठे सेब फल में जितने लगा सके उतने लौंग अंदर भोंक दो.......और वो सेब फल पडा रहे छाया में ७ -११ दिन तक ...सेब सड़ जायेगा ...और लौंग मुलायम हो जायेगा...वो लौंग बन गया पाचन तंत्र को तेज करनेवाली औषधि....ये पाचन तंत्र के लिए एकदम वरदान है । 
  • एक रबड़ का पायदान आता है, जिसके एक तरफ गोल सुराख़ होते हैं और एक तरफ लम्बे नुकीले दाने होते हैं । उस पर रोज़ ५ मिनट खड़े रहें ।


सत्तू

गर्मियों में गरमा गरम भोजन से बचें और सत्तू बनवा लें जिस में जौ, चावल, गेंहू और चना हो । इस में घी और ठंडा पानी मिला कर खाए अथवा नमक -मिर्ची डाल के चरपरा बना के खाएं । हलवा भी बना कर खा सकते हैं । ये सत्तू बल दायक और ब्रह्मचर्य के लिए अच्छा है । सफ़र में बाहर का खाने से ये अच्छा है ।


खून बढ़ाने के लिए

  • खून बढ़ाने के लिएगन्ने का रस पियें ।
  • बेल का फल सूखा कर उस के गुदे का चूर्ण में मिश्री मिला कर लेने से भी खून सी बढ़ोतरी होती है ।

फोड़े-फुंसियाँ

फोड़ा-फुंसी है तो पालक+गाजर+ककड़ी तीनों को मिला कर उस का रस ले लें अथवा नारियल का पानी पियें तो फोड़ा पुंसी में आराम होता है ।


पित्तजन्य / गर्मी के कारण बीमारियाँ

धनिया, आंवला, मिश्री समभाग पीस के रख दें........एक चम्मच रात को भिगो दें और सुबह मसल के पियें तो सिर दर्द में आराम हो जायेगा, नींद अच्छी आएगी, मूत्र दाह, नकसीर में आराम होगा, लू से रक्षा होगी और पेट भी साफ रहेगा ।


गर्मी या पित्त के कारण सिर दर्द

गर्मी में सिर दर्द होता हो, कमजोरी हो तो सूखा धनिया पानी में पीस/घिस के माथे पे लेप करने से सिर दर्द में आराम होता है ।


त्वचा के रोग एवं घमोरियां

जिनको को पहले निमोनिया जैसी गंभीर बीमारी हो गयी हो, जिन को चमड़ी के रोग हों या घमोरियां हो वो नीम के फूल १० ग्राम मिश्री मिला कर पियें ।



पक्षाघात (लकवा)-

बरगद का 5 ग्राम दूध महानारायण तेल में मिलाकर मालिश करें।
बड़ की छाल और काली मिर्च दोनों 100-100 ग्राम पीसकर 250 ग्राम सरसों के तेल में पकायें फिर लकवाग्रस्त अंग पर लेप करें।

गर्भस्थापन के लिएः

ऋतुकाल में यदि वन्ध्या स्त्री पुष्य नक्षत्र में लाकर रखे हुए वटशुंग (बड़ के कोंपलों) के चूर्ण को जल के साथ सेवन करे तो उसे अवश्य गर्भधारण होता है। - आयुर्वेदाचार्य शोढल

बल-वीर्य की वृद्धिः

बड़ के कच्चे फल छाया में सुखा के चूर्ण बना लें। बराबर मात्रा में मिश्री मिलाकर रख लें। 10 ग्राम चूर्ण सुबह-शाम दूध के साथ 40 दिन तक सेवन करने से बल-वीर्य और स्तम्भन (वीर्यस्राव को रोकने की) शक्ति में भारी वृद्धि होती है।

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