वर्ष 2008 में ब्रिटेन में हुए एक शोध से सामने आया कि यहां के करीब 35 फीसदी लोग भी नैचुरल मेडिसिन पर ही भरोसा करते हैं। नेचुरल मेडिसिन के एक्सपर्ट फिलिप वीक्स कहते हैं कि घरेलू उपाय अपनाने का एक फायदा यह है कि इससे साइड इफेक्ट्स होने की संभावना बिल्कुल नहीं होती है। आइए जानते हैं कुछ ऐसे ही घरेलू उपाय और उनसे दूर होने वाली समस्याओं के बारे में..
पुदीनहरा
पेट में उठने वाली मरोड़, अनियमित बाउल मूवमेंट की समस्या को दूर करने में पुदीनहरा बहुत कारगर उपाय है। इसका तेल भी पेट दर्द से निजात दिलाने में सहायक होता है। जर्मनी स्थित यूनिवर्सिटी ऑफ हेइडेलबर्घ की शोध से साबित होता है कि पुदीनहरा से मुंह के छालों का उपचार भी कारगर होता है। एक शोध से सामने आया कि इसकी एंटीबैक्टीरियल प्रॉपर्टी से वायरस और संक्रमण से बचाव होता है। पुदीनहरा की चाय का सेवन करने से मुंह के छाले जल्दी ठीक होते हैं।
रोजमेरी
यह स्मरणशक्ति बढ़ाने में मदद करती है। फिलिप कहते हैं कि इससे सेरेब्रल (दिमाग का महत्वपूर्ण हिस्सा) का रक्त संचार बढ़ता है। इसमें मौजूद कार्नोसिक एसिड नामक एंटीऑक्सीडेंट दिमाग की कोशिकाओं के लिए बहुत फायदेमंद है। इससे अल्जाइमर यानी भूलने की बीमारी होने की आशंका भी कम होती है।
विशेषज्ञ कहते हैं कि इसकी सुगंध मात्र से व्यक्ति की फोकस करने की क्षमता बढ़ती है। यह खराब मूड को बनाने, शारीरिक थकान के साथ मानसिक थकान दूर करने में भी मदद करता है। डिजॉन स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एग्रोनॉमिक रिसर्च के एक अध्ययन से पता चलता है कि साइटोक्रोम पी450 नामक एंजाइम का निर्माण करने में रोजमेरी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। यह एंजाइम रक्त में मौजूद विषक्त तत्वों को बाहर निकालने में मदद करता है।
तेज पत्ता
एंटीसेप्टिक प्रॉपर्टी होने के कारण प्राचीन समय में इसका इस्तेमाल प्राकृतिक टूथपेस्ट के तौर पर किया जाता था। किसी कीड़े के काटने या त्वचा संबंधित समस्याएं होने पर सूजन से बचने के लिए भी इसे प्रयोग किया जाता था। यूनिवर्सिटी ऑफ एक्सीटर के शोध से सामने आया कि रजोनिवृत्ति के दौर से गुजरने वाली महिलाओं को होने वाली हॉट फ्लशेज.. की समस्या दूर करने के लिए भी यह उपाय कारगर है।
अजवायन के फूल
फंगल इंफेक्शन के लिए जिम्मेदार बैक्टीरिया का नाश करने के लिए यह कारगर उपाय है। फिलिप कहते हैं कि इसकी एंटीबैक्टीरियल प्रॉपर्टी हेलीकोबेक्टर पाइलोरी नामक बैक्टीरिया को बढ़ने से रोकती है, जो पेट में अल्सर के लिए जिम्मेदार होते हैं। इसका सेवन शहद के साथ करने से ब्रोन्चिटिस और सीने में होने वाले संक्रमणों से भी निजात मिलती है।
अजवायन
फिलिप कहते हैं कि इससे तैयार तेल एंटीबॉयोटिक के समान काम करता है, जो स्टेफिलोकोकस नामक बैक्टीरिया को नष्ट करता है। अमेरिका के एक शोध से सामने आया कि इसमें सेब, आलू और संतरे की तुलना में क्रमश: 42 गुना, 30 गुना व 12 गुना अधिक एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं। इससे शरीर के महत्वपूर्ण रसायनों को किन्हीं कारणों से होने वाली क्षति को रोका जा सकता है।
पुदीनहरा
पेट में उठने वाली मरोड़, अनियमित बाउल मूवमेंट की समस्या को दूर करने में पुदीनहरा बहुत कारगर उपाय है। इसका तेल भी पेट दर्द से निजात दिलाने में सहायक होता है। जर्मनी स्थित यूनिवर्सिटी ऑफ हेइडेलबर्घ की शोध से साबित होता है कि पुदीनहरा से मुंह के छालों का उपचार भी कारगर होता है। एक शोध से सामने आया कि इसकी एंटीबैक्टीरियल प्रॉपर्टी से वायरस और संक्रमण से बचाव होता है। पुदीनहरा की चाय का सेवन करने से मुंह के छाले जल्दी ठीक होते हैं।
रोजमेरी
यह स्मरणशक्ति बढ़ाने में मदद करती है। फिलिप कहते हैं कि इससे सेरेब्रल (दिमाग का महत्वपूर्ण हिस्सा) का रक्त संचार बढ़ता है। इसमें मौजूद कार्नोसिक एसिड नामक एंटीऑक्सीडेंट दिमाग की कोशिकाओं के लिए बहुत फायदेमंद है। इससे अल्जाइमर यानी भूलने की बीमारी होने की आशंका भी कम होती है।
विशेषज्ञ कहते हैं कि इसकी सुगंध मात्र से व्यक्ति की फोकस करने की क्षमता बढ़ती है। यह खराब मूड को बनाने, शारीरिक थकान के साथ मानसिक थकान दूर करने में भी मदद करता है। डिजॉन स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एग्रोनॉमिक रिसर्च के एक अध्ययन से पता चलता है कि साइटोक्रोम पी450 नामक एंजाइम का निर्माण करने में रोजमेरी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। यह एंजाइम रक्त में मौजूद विषक्त तत्वों को बाहर निकालने में मदद करता है।
तेज पत्ता
एंटीसेप्टिक प्रॉपर्टी होने के कारण प्राचीन समय में इसका इस्तेमाल प्राकृतिक टूथपेस्ट के तौर पर किया जाता था। किसी कीड़े के काटने या त्वचा संबंधित समस्याएं होने पर सूजन से बचने के लिए भी इसे प्रयोग किया जाता था। यूनिवर्सिटी ऑफ एक्सीटर के शोध से सामने आया कि रजोनिवृत्ति के दौर से गुजरने वाली महिलाओं को होने वाली हॉट फ्लशेज.. की समस्या दूर करने के लिए भी यह उपाय कारगर है।
अजवायन के फूल
फंगल इंफेक्शन के लिए जिम्मेदार बैक्टीरिया का नाश करने के लिए यह कारगर उपाय है। फिलिप कहते हैं कि इसकी एंटीबैक्टीरियल प्रॉपर्टी हेलीकोबेक्टर पाइलोरी नामक बैक्टीरिया को बढ़ने से रोकती है, जो पेट में अल्सर के लिए जिम्मेदार होते हैं। इसका सेवन शहद के साथ करने से ब्रोन्चिटिस और सीने में होने वाले संक्रमणों से भी निजात मिलती है।
अजवायन
फिलिप कहते हैं कि इससे तैयार तेल एंटीबॉयोटिक के समान काम करता है, जो स्टेफिलोकोकस नामक बैक्टीरिया को नष्ट करता है। अमेरिका के एक शोध से सामने आया कि इसमें सेब, आलू और संतरे की तुलना में क्रमश: 42 गुना, 30 गुना व 12 गुना अधिक एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं। इससे शरीर के महत्वपूर्ण रसायनों को किन्हीं कारणों से होने वाली क्षति को रोका जा सकता है।
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