निम्न रक्तचाप में
10 बूँद बरगद का दूध, लहसुन का रस आधा चम्मच तथा तुलसी का रस आधा चम्मच इन तीनों को मिलाकर चाटने से निम्न रक्तचाप में आराम मिलता है।
चोट-मोच और गठिया रोग में
चोट-मोच और गठिया रोग में सूजन पर इसके दूध का लेप करने से आराम मिलता है। यह सूजन को बढ़ने से रोकता है।
बल-वीर्यवर्धक,मासिक स्राव तथा खूनी बवासीर में
स्वप्नदोष आदि रोगों में बड़ का दूध अत्यन्त लाभकारी है। सूर्योदयक से पूर्व 2-3 बताशों में 3-3 बूँद बड़ का दूध टपकाकर उन्हें खा जायें। प्रतिदिन 1-1 दिन बूँद मात्रा बढ़ाते जायें। 8-10 दिन के बाद मात्रा कम करते-करते अपनी शुरूवाली मात्रा पर आ जायें। यह प्रयोग कम से कम 40 दिन अवश्य करें। बवासीर, धातु-दौर्बल्य, शीघ्र पतन, प्रमेह, स्वप्नदोष आदि रोगों के लिए यह अत्यंत लाभकारी है। इससे हृदय व मस्तिष्क को शक्ति मिलती है तथा पेशाब की रूकावट में आराम होता है। यह प्रयोग बल-वीर्यवर्धक व पौष्टिक है। इसे किसी भी मौसम में किया जा सकता है। इसे सुबह-शाम करने से अत्यधिक मासिक स्राव तथा खूनी बवासीर में रक्तस्राव बंद हो जाता है।
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