बुधवार, 15 जून 2011

Health 7


खूनी बवासीर)

काले तिल के चूर्ण में मक्खन मिलाकर खाने से रक्तार्श (खूनी बवासीर) नष्ट हो जाती है।

नपुंसकता

एक भाग गोखरू चूर्ण में दस भाग तिल का चूर्ण मिलाके 5 से 10 ग्राम मिश्रण बकरी के दूध में उबाल कर, मिश्री मिला के पीने से षढंतानपुंसकता (Impotency) नष्ट होती है।


वातजनित रोगों में

पेट मे वायु के कारण दर्द हो रहा हो तो तिल को पीसकर, गोला बनाकर पेट पर घुमायें।
वातजनित रोगों में तिल में पुराना गुड़ मिलाकर खायें।

हड्डियों की कमजोरी

वार्धक्यजन्य हड्डियों की कमजोरी उससे होने वाले दर्द में दर्दवाले स्थान पर 15 मिनट तक तिल के तेल की धारा करें।
पैर में फटने या सूई चुभने जैसी पीड़ा हो तो तिल के तेल से मालिश कर रात को गर्म पानी से सेंक करें।

अत्यन्त प्यास

अत्यन्त प्यास लगती हो तो तिल की खली को सिरके में पीसकर समग्र शरीर पर लेप करें।

वजन घटाने व बढ़ाने के लिए

तिल का तेल पीने से अति स्थूल (मोटे) व्यक्तियों का वजन घटने लगता है व कृश (पतले) व्यक्तियों का वजन बढ़ने लगता है।
तैलपान विधिः सुबह 20 से 50 मि।ली. गुनगुना तेल पीकर,गुनगुना पानी पियें। बाद में जब तक खुलकर भूख न लगे तब तक कुछ न खायें।

जोड़ों के दर्द में

एक भाग सोंठ चूर्ण में दस भाग तिल का चूर्ण मिलाकर 5 से 10 ग्राम मिश्रण सुबह शाम लेने से जोड़ों के दर्द में राहत मिलती है।

बिस्तर गीला करना
छोटे बच्चे अगर रात को बिस्तर गीला करते हैं तो २५ ग्राम काले तिल चबाएं और थोड़ी देर बाद पानी पी लें ।


पेशाब सम्बन्धी बीमारियाँ

  • ६० साल के बाद पेशाब खुल कर नहीं आटा तो जौ की रोटीजौ की राबजौ काभोजन करें । गाय को जौ खिलाओ औरगाय की लीद से जौ चुनवा के उस जौ कोपिसवाओ और उसकी रोटी बना कर खाओ ।
  • भोजन में मूली खाएं ।
  • १ बादाम भिगा के रख दो और सुबह छिलका उतार के खूब चबा-चबा के खाएं ।

छोटे बच्चों की पुष्टि के लिए
  • नवजात कमजोर बच्चा है तो ७ तुलसी के पत्ते रगड़ के, १ बूंद शहद मिलाकर चटायें ।
  • ६ महीने के ऊपर के बच्चों को रात को एक बादाम भिगा दो और सुबह खूबबारीक पीस करपेस्ट बनाकर उसमे - बूंद शहद की मिलाकर बच्चोंकोचटायें इससे बच्चे स्वस्थ  पुष्ट होंगे 

बुढ़ापे की झुर्रियां

चेहरे पर तिल के तेल की मसाज करें और १५ दिन आंवले का रस १५-२० ग्राम, शहद व घी मिलाकर पियें ।

नवजात कमज़ोर शिशु के लिए
प्रसूता (नवजात शिशु की माँगाय या भैंस का दूध  घी खाए तथा भोजन के बाद सेब  केलाखाएतो कमज़ोर बच्चा स्वस्थ होगा 

गर्भावस्था में गर्भिणी चन्द्रमा व सूर्य की किरणें नाभि पर आने दें, इससे भी बच्चा स्वस्थ होगा 


सौंफ, मिश्री व धनिया प्रयोग
  • जिनको मगज में चक्कर आते हों, अफरा, एसिडिटी, शक्ति कमज़ोर हो अथवा नींद (अधिक या कम नींद) में गड़बडी हो, ऐसे लोग सौंफ व मिश्री समभाग मिश्रण करके रखें । भोजन के बाद २ चम्मच खूब चबा-चबा कर मज़े के खाएं । १-२ महीना खाने से मस्तिक्ष की कमजोरी दूर होती है, नेत्र की ज्योति व यादशक्ति बढ़ती है ।
  • सौंफ, मिश्री व धनिया समभाग चूर्ण बना कर ६-६ ग्राम भोजन के बाद चबा-चबा कर खाने से हाथ पैर की जलन, छाती की जलन, नेत्रों की जलन, पेशाब की जलन व सिरदर्द दूर होता है ।

मंत्र से आरोग्यता
शब्दों की ध्वनि का अलग-अलग अंगों पर एवं वातावरण पर असर होता है। कई शब्दों का उच्चारण कुदरती रूप से होता है। आलस्य के समय कुदरती आ... आ... होता है। रोग की पीड़ा के समय ॐ.... ॐ.... का उच्चारण कुदरती ऊँह.... ऊँह.... के रूप में होता है। यदि कुछ अक्षरों का महत्त्व समझकर उच्चारण किया जाय तो बहुत सारे रोगों से छुटकारा मिल सकता है।
'' उच्चारण से जननेन्द्रिय पर अच्छा असर पड़ता है।
'' उच्चारण से जीवनशक्ति आदि पर अच्छा प्रभाव पड़ता है। दमा और खाँसी के रोग में आराम मिलता हैआलस्य दूर होता है।
'' उच्चारण से कफआँतों का विष और मल दूर होता है। कब्ज,पेड़ू के दर्द, सिरदर्द और हृदयरोग में भी बड़ा लाभ होता है। उदासीनता और क्रोध मिटाने में भी यह अक्षर बड़ा फायदा करता है।
'' उच्चारण से ऊर्जाशक्ति का विकास होता है।
'' उच्चारण से मानसिक शक्तियाँ विकसित होती हैं। शायद इसीलिए भारत के ऋषियों ने जन्मदात्री के लिए 'माता' शब्द पसंद किया होगा।
'' का उच्चारण करने से ऊर्जा प्राप्त होती है और मानसिक शक्तियाँ विकसित होती हैं। मस्तिष्कपेट और सूक्ष्म इन्द्रियों पर सात्त्विक असर होता है।
'ह्रीं' उच्चारण करने से पाचन-तंत्रगले और हृदय पर अच्छा प्रभाव पड़ता है।
'ह्रं' उच्चारण करने से पेटजिगरतिल्लीआँतों और गर्भाशय पर अच्छा असर पड़ता है।

यदि कोई शिशु रात को चौंकता है

यदि कोई शिशु रात को चौंकता हैउसे नींद नहीं आतीमाँ को जगाता हैपरेशान रहता है तो उसके सिरहाने के नीचे फिटकरी रख दें। इससे उसे बढ़िया नींद आयेगी।

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