गर्भिणी के लिए
* गर्भिणी, जब २-४ महीने का गर्भ रह जाए, नारियल व मिश्री चबा-चबा कर खाती रहे, थोड़ा थोड़ा, तो बच्चा तेजस्वी होगा और प्रसूति झेलने में शक्ति रहेगी ।
* गर्मी के दिनों में जितना पानी उतना दूध और १ चम्मच घी गाय का (गाय का ना मिले तो भैंस का) मिलाकर पियें तो बुद्धिमान व सुन्दर बक्चा, ऑपरेशन बिना होगा ।
* गर्मी के दिनों में जितना पानी उतना दूध और १ चम्मच घी गाय का (गाय का ना मिले तो भैंस का) मिलाकर पियें तो बुद्धिमान व सुन्दर बक्चा, ऑपरेशन बिना होगा ।
सरल घरेलू चिकित्सा
- छोटे बच्चों के पेट में दर्द होने पर पिसी हुई हींग गर्म पानी में मिलाकर नाभि पर लगायें ।
- यदि बच्चे के पैर में काँटा चुभ गया हो और नहीं निकल रहा हो तो गुड़ गर्म करके उक्त स्थान पर लगायें ।
- प्रतिदिन सुबह-शाम आँखों में पिसी सरसों का तेल उंगली से लगायें । इससे आँखें निरोग रहेंगी , मोतियाबिंद नहीं होगा और दृष्टि साफ़ रहेगी ।
- मोतियाबिंद में छोटी मक्खी का असली शहद और देसी हरे आंवलों का रस बराबर-बराबर मिलाकर एक साफ़ शीशी में रख लें और सुबह-शाम आँख में नियमित रूप से डालें ।
बवासीर
सेहत के लिए आठ डॉक्टर
- सुबह सूर्योदय से कुछ समय पहले २५-५० लम्बे श्वास लिए और छोड़े । "सुबह कीवायु को, सेवन करत सुजान । ताते मुख छवि बढ़त है, बुद्धि होत बलवान" । नेत्रकी ज्योति भी ठीक होगी, प्रसन्नता भी बढ़ेगी । ५-१० नाक से श्वास लिया औरमुंह से छोड़ा । गर्दन पीछे करके २५ श्वास और गर्दन आगे करके 25 श्वास लिए ।
- भोजन ठांस-ठांस के ना करें और सुबह ज्यादा नाश्ते का आग्रह छोड़ दें । रात काकिया हुआ भोजन सुबह ८-९ बजे तक तो पचता रहता है । २ टाइम ही खाएं ।भोजन सात्विक करें, बासी व जूठा ना खाएं, पनीर, मावा और छैना ना खाएं ।
- सुबह-सुबह सूर्योदय के कुछ मिनट पहले कम से कम ८ घूँट पानी पी लिए(डेड़-दो ग्लास) । अगर मासिक, कब्ज़ है तो सवा लीटर ताम्बे का रात का रखा,थोड़ा गुनगुना पानी पियें।
- हफ्ते में १ दिन उपवास ज़रूर करें, लेकिन उपवास के दिन हल्का भोजन याफलाहार लें। नींबू पानी भी लेसकते हैं ।
- सूर्य उदय होने के आधा-पौना घंटे पहले वाले धूप हितकारी है । सूर्य की किरण७ मिनट पेट की तरफ व १० मिनटपीठ की तरफ खानी चाहिए । लेकिन सिर परकोई कपड़ा रख लें । सूर्य की किरणों में सूर्य नमस्कार, प्राणायाम, व्यायामहितकारी है ।
- बिस्तर से उतरें, नीचे धरती पर चटाई-कम्बल आदि बिछा दिया l पूर्वकी तरफ सिर कर दिया l श्वास बाहर फेंक दिए, पेट को अन्दर-बाहर२-५ बार किया l योनी को संकोचन-विस्तरण २५ बार करो l फिर श्वासले लो l फिर श्वास बाहर फेंको और शौच जाने की जगह को, जैसे घोड़ालीद छोड़ता है, संकोचन-विस्तरण करता है, ऐसे करो l ऐसे ४ श्वासलेकर करो तो १०० बार हो जायेगा l इसे बोलते हैं अश्विनी मुद्रा जो कीत्रिदोषनाशक है l बवासीर और कब्ज़ में अदभुद लाभ होता है lस्वप्नदोष आदि में भी फायदा करता है l इससे बुद्धि में इजाफा होगा lकर्तित्व में आप सक्रिय हो जायेंगे l आपका मूलाधार केंद्र प्रभावशालीहोगा l स्वाधिष्ठान केंद्र विकसित होगा l कुण्डलिनी जागरण में मददमिलेगी l ध्यान भजन में बरकत होगी l
दाढ़ी (ठोडी) के बीच में जो खड्डा है, उसे दबाने पर भी कब्ज़ में फायदा होगा l
- उत्तम विचार, संकल्प सुदृढ़ हो इसलिए अच्छे सात्विक विचार वाले पुस्तक पढें ।संतों की वाणी सुनें।
- सोने के पहले हाथ-पैर १ घंटा पहले सो जाओ । सोते समय नमकअथवा शक्कर के बोरे की नाई बिस्तर पर ना गिरें । सोने के समय ऐसा सोचे "मैं अंतर्यामी प्रभु से मिलने जा रहा हूँ" । हो सके तो कमरे मेंगाय के कंडे में १-२ बूँद गाय के घी की डालकर धूप करें । इससे उर्जायीप्राणवायु बनेगी । जैसे शादी से पहले बेन्ड- बाजे बजते हैं......ऐसे हीजीवात्मा-परमात्मा का रात्रि को मिलन होता है .....इसलिए हास्य प्रयोगकरके वातावरण आनंदित व उत्सवमय बना दो । अगर गुरु से कोईमार्गदर्शन चाहिए तो कंठ में गुरूजी का ध्यान करो । फिर सीधे लेटजाओ और श्वासों की गिनती करो । इस प्रकार की नींद आपकीयोगनिद्रा बन जाएगी । सुबह नींद से उठो, थोड़ी देर शांत बैठो (संकल्परहित अवस्था में) । ५ मिनट श्वासों की गिनती करो । दिनचर्या कासिंहावलोकन करो । कोई निर्णय लेना हो तो विचार करके लो ।
गर्मी शमन के लिए
- गुलाब के फूल धो कर, हल्का धूप में सुखा कर....जितने फूल हैं उससे ३ गुनी शक्कर मिलाकर....मसलकर रख दो बर्तन में कपड़ा बांधकर धूप में....रात को चन्द्रमा की चांदनी पड़े l ऐसा गुलकंद पावर फुल हो जायेगा कि शरीर कि सारी गर्मी निकाल देगा ।
- आंवला पाउडर सिर पर लगा कर थोड़ी देर बाद स्नान करें ।
- पीपल के पत्ते/टहनी/फल जो मिले उसको सुखा दिया.....फिर उसको उबाल दिया, छानकर वो पानी पिया तो कैसी भी गर्मी हो...वो गायब । पीपल के पत्ते, टहनी अथवा फल .....मिक्स करके कूट के रख दिया....१-२ चम्मच उबाल के काड़ा ...वो दूध में डाल के पिया.....सारी गर्मी खिंच के नाश हो जाएगी । अगर मासिक कम आता है या दर्द होता है तो भी लाभ होगा ।
पेट में कृमि व पेट की तकलीफ
पेट में कृमि हैं....पेट में तकलीफ है ....तो थोड़ा पपीता खा ले और ७ बीज भी निगल ले । बाकी बीज रख ले और रोज़ ५ बीज पपीते के निगल ले । इससे पेट के कृमि में फायदा होता है । तुलसी के ५-७ पत्ते चबाकर खाने में भी कृमि में आराम होता है ।
तज का थोड़ा सा पाउडर पानी में उबाल दिया वो पानी छान लिया ....काड़ा बना लिया .....उसमे थोड़ा सा शहद मिलाकर १५-२५ दिन तक पियो l cholestrol कण्ट्रोल हो जायेगा और नाड़ी में जो गड़बडी है......वो साफ़ होकर blood circulation अच्छा होगा l तज का प्रयोग गर्मी हो तो संभल कर करना चहिये ......... नहीं तो फिर दूध में ही थोड़ा सा ले सकते हैं l धातु पतला है या और कोई कमजोरी है तो तभी भी एकाध चने जितना पाउडर दूध आदि में ले लें l
वसंत ऋतु के लिए ख़ास बातें
१८ फरवरी से वसंत ऋतु शुरू होगी.......होली के बाद १५-२० दिन बिना नमक का भोजन करेंऔर अर्ध सिंक हुआ अन्न खाने से वायु-कफ जनित रोग मिटते हैं l होली के बाद २०-२५ दिनतक २० से ३० नीम के कोमल पत्ते और १ काली मिर्च चबाकर खाने से रोग प्रतिकारक शक्तिबढ़ेगी ल होली के बाद खजूर नहीं खाना l होली के बाद के दिनों में रात में चन्द्रमा की चांदनी का सेवन बहुत लाभप्रद है l
१८ फरवरी से वसंत ऋतु शुरू होगी.......होली के बाद १५-२० दिन बिना नमक का भोजन करेंऔर अर्ध सिंक हुआ अन्न खाने से वायु-कफ जनित रोग मिटते हैं l होली के बाद २०-२५ दिनतक २० से ३० नीम के कोमल पत्ते और १ काली मिर्च चबाकर खाने से रोग प्रतिकारक शक्तिबढ़ेगी ल होली के बाद खजूर नहीं खाना l होली के बाद के दिनों में रात में चन्द्रमा की चांदनी का सेवन बहुत लाभप्रद है l
चेहरे की झुर्रियां व चमक बढ़ाने के लिए
- चेहरे पर बुढ़ापे की झुर्रियां पड़ गयी हों तो कड़वे बादाम का तेल, सोने से पहले ज़रा चेहरे पर रगड़ दो तो बुढ़ापे की झुर्रियों में फायदा होता है l
- सरसों के तेल में दही मिलाकर मलें तो भी चेहरे की झुर्रियां व चेहरे का सूखापन हट जायेगा l
- आँख के नीचे झुर्रियां पड़ गयी हों तो दूध की ताज़ी मलाई वहां हलके-हलके मलने से झुर्रियां ठीक होने लगती हैं l अथवा शहद व नींबू का रस मलें l
- नींबू का रस व ग्लिसरीन मिलाकर चेहरे पर मलें तो चेहरे की चमक बढ़ेगी l
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें