गुस्से का उपयोग
गुस्सा आये तो गुस्से को देखो, गुस्से में तपो मत, गुस्से का उपयोग करो, सामनेवाले का अहित ना करो ।
- बड़ों पर गुस्सा आये तो उनके चरणों में मत्था टेक दो.........कि माफ़कर दो हमें आप पर गुस्सा आ रहा है। ऐसा मन में भी कर सकते हैं।बड़ों के आगे अहम् पिघला दो । अथवा तो ईश्वर के चरणों में मत्था टेकदो कि हमें बड़ों पर गुस्सा आ रहा है.......आप ही संभालो। अहम् में हीगुस्सा आता है ।
- एक घूंट पानी की मुंह में डाल दो । धीरे-धीरे पानी को नीचे उतरने दो । गुस्से की गर्मी, पित्त शांत हो जायेगा ।
- गुस्सा आया तो हाथ की उँगलियों के नाखून हाथ की गद्दी पर लगे, ऐसे मुट्ठी बंद कर लो । गुस्सा आया है तो ज्ञान स्वरुप ईश्वर की सत्ता से जान रहा हूँ, ऐसा विचार करते हुए, गुस्से का उपयोग करें ।
पुरानी नकसीर
मासिक धर्म सम्बन्धी जानकारी
मासिक आने पर तुरंत स्नान कर लेना चाहिये। अगर रात को आये तो रात को झट से स्नान करके सूखे तौलिये से पोंछ लें । इस दिनों ज्यादा गर्म ना खाएं । अगर ज्यादा आता है या बंद नहीं होता तो ठन्डे पानी से स्नान करें या ठन्डे पानी में बैठे और मिश्री चूसें ।
सांप के काटने पर
सांप के काटने पर, हरा पीपल का पत्ता लें, और उसकी डंडी (एक ऊँगली में ३ पोरे होते हैं) १ पोरे जितनी दोनों कानो में डालें, ज्यादा अंदर ना डालें, इससे कान का पर्दा फटने का डर होता है । डंडी अंदर डाल कर ॐ नमः शिवाय.......ॐ गरल....गरल......गरल ......गरल बोलते रहें। इसी कुछ समय में सांप का ज़हर उतर जायेगा ।
स्वास्थ्यवर्धक सौंफ
मस्तिष्क संबंधी रोगों में सौंफ अत्यंत गुणकारी है। यह मस्तिष्क की कमजोरी के अतिरिक्त दृष्टि-दुर्बलता, चक्कर आना एवं पाचनशक्ति बढ़ाने में भी लाभकारी है। इसके निरंतर सेवन से दृष्टि कमजोर नहीं होती तथा मोतियाबिंद से रक्षा होती है।
उलटी, प्यास, जी मिचलाना, पित्त-विकार, जलन, पेटदर्द, अग्निमांद्य, पेचिश, मरोड़ आदि व्याधियों में यह लाभप्रद है।
सौंफ, धनिया व मिश्री का समभाग चूर्ण 6 ग्राम की मात्रा में भोजन के बाद लेने से हाथ-पाँव तथा पेशाब की जलन, अम्लपित्त (एसिडिटी) व सिरदर्द में आराम मिलता है।
सौंफ और मिश्री का समभाग चूर्ण मिलाकर रखें। दो चम्मच मिश्रण दोनों समय भोजन के बाद एक से दो माह तक खाने से मस्तिष्क की कमजोरी दूर होती है तथा जठराग्नि तीव्र होती है।
बच्चों के पेट के रोगों में दो चम्मच सौंफ का चूर्ण दो कप पानी में अच्छी तरह उबाल लें। एक चौथाई पानी शेष रहने पर छानकर ठण्डा कर लें। इसे एक-एक चम्मच की मात्रा में दिन में तीन-चार बार पिलाने से पेट का अफरा, अपच, उलटी (दूध फेंकना), मरोड़ आदि शिकायतें दूर होती हैं।
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