गर्मी की तपन और चिपचिप से राहत दिलाने वाली झमाझम बारिश की शुरुआत हो ही गई। सेहत के लिहाज से यह मौसम काफी संवेदनशील होता है। इसीलिये दुनिया की सबसे प्राचीन चिकित्सा पद्धति आयुर्वेद में बर्षा काल में बीमारियों से बचने के लिये कुछ बेहद महत्वपूर्ण सावधानियां बताई गईं हैं।
बारिश में पानी की स्वच्छता पर खाश ध्यान दें। पानी द्वारा पैदा होने वाले पेट की बीमारियां जैसे- अतिसार, प्रवाहिका एवं हैजा जैसी बीमारियों से बचने के लिए पानी को उबालें, आधा जल जाने पर उतार कर ठंडा होने दें, तत्पश्चात् हिलाये बिना ही ऊपर का पानी दूसरे बर्तन में भर दें एवं उसी पानी का सेवन करें।
पानी को उबालकर ठंडा करके पीना सर्वश्रेष्ठ उपाय है।
आजकल पानी को शुद्ध करने हेतु कई तरह के इलेक्ट्रानिक फि ल्टर भी प्रयुक्त किये जाते हैं। उनका भी उपयोग कर सकते हैं। पीने के लिए और नहाने के लिए गंदे पानी का उपयोग बिल्कुल न करें क्योंकि गंदे पानी के सेवन से उदर व त्वचा सम्बन्धी व्याधियां पैदा हो जाती हैं।
विशेष:
500 ग्राम हरड़ और 50 ग्राम सेंधा नमक के मिश्रण का पाउडर बनाकर प्रतिदिन 5-6 ग्राम लेने से अनजाने या मजबूरी में पीए गए गंदे पानी का प्रभाव अधिकांशत: निष्प्रभावी हो जाता है।
बारिश में पानी की स्वच्छता पर खाश ध्यान दें। पानी द्वारा पैदा होने वाले पेट की बीमारियां जैसे- अतिसार, प्रवाहिका एवं हैजा जैसी बीमारियों से बचने के लिए पानी को उबालें, आधा जल जाने पर उतार कर ठंडा होने दें, तत्पश्चात् हिलाये बिना ही ऊपर का पानी दूसरे बर्तन में भर दें एवं उसी पानी का सेवन करें।
पानी को उबालकर ठंडा करके पीना सर्वश्रेष्ठ उपाय है।
आजकल पानी को शुद्ध करने हेतु कई तरह के इलेक्ट्रानिक फि ल्टर भी प्रयुक्त किये जाते हैं। उनका भी उपयोग कर सकते हैं। पीने के लिए और नहाने के लिए गंदे पानी का उपयोग बिल्कुल न करें क्योंकि गंदे पानी के सेवन से उदर व त्वचा सम्बन्धी व्याधियां पैदा हो जाती हैं।
विशेष:
500 ग्राम हरड़ और 50 ग्राम सेंधा नमक के मिश्रण का पाउडर बनाकर प्रतिदिन 5-6 ग्राम लेने से अनजाने या मजबूरी में पीए गए गंदे पानी का प्रभाव अधिकांशत: निष्प्रभावी हो जाता है।
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